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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, August 22, 2025

    निजी स्कूलों में बढ़े बच्चे, ज्यादा दूरी की पेयरिंग रद्द करने में आनाकानी से परिषदीय स्कूलों में घटी हाजिरी, विभागीय मंत्री के एलान के बावजूद कई जिलों में नहीं जारी हुए पेयरिंग रद्द करने के आदेश

    निजी स्कूलों में बढ़े बच्चे, ज्यादा दूरी की पेयरिंग रद्द करने में आनाकानी से परिषदीय स्कूलों में घटी हाजिरी, विभागीय मंत्री के एलान के बावजूद कई जिलों में नहीं जारी हुए पेयरिंग रद्द करने के आदेश


    लखनऊः बेसिक शिक्षा विभाग ने बेहतर पढ़ाई और सुविधाओं का तर्क देकर बेसिक स्कूलों की पेयरिंग तो कर दी, लेकिन इसका फायदा बेसिक स्कूलों के बजाय निजी स्कूलों को मिल रहा है। दूरी बढ़ने के कारण पेयर किए गए सभी स्कूलों में बच्चों की हाजिरी घट गई है। बीते दिनों बेसिक शिक्षा मंत्री ने एक किमी से ज्यादा दूरी वाले स्कूलों की पेयरिंग रद्द करने का ऐलान किया था, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने अब तक कोई आदेश नहीं जारी किया है। ऐसे में तमाम अभिभावकों ने बच्चों को दूर भेजने के बजाय नजदीक के निजी स्कूलों में दाखिला करवाना शुरू कर दिया है।


    8 बच्चों ने छोड़ा स्कूलः बीकेटी में प्राथमिक विद्यालय उमरभारी से करीब एक किमी दूर ज्वारगांव तरैया प्राथमिक विद्यालय है। इसके बावजूद 2.5 किमी दूर पीएस कमला बाग बड़ौली में प्राथमिक विद्यालय उमरभारी की पेयरिंग कर दी। मौजूदा सत्र में उमरभारी स्कूल में 23 बच्चे थे, लेकिन पेयरिंग के बाद इनकी तादाद 15 के आसपास हो गई है। जानकारी के मुताबिक, सात से आठ बच्चों के अभिभावकों ने इनका दाखिला नजदीक के निजी स्कूलों में करवा दिया है।


    15 के आसपास बच्चो ने छोड़ा स्कूलः बीकेटी में ही पीएस पालपुर की पेयरिंग पीएस रायपुर राजा में हुई है। दोनों स्कूलों के बीच की दूरी 2.5 किमी से अधिक है। पीएस रायपुर राजा की बिल्डिंग भी अच्छी स्थिति में नहीं है। पेयरिंग से पहले पीएस पालपुर में 37 बच्चे थे। अब इनमें से दो-तीन बच्चे ही रायपुर राजा पहुंच रहे हैं। करीब 15 बच्चों के अभिभावकों ने इनका दाखिला दूसरे स्कूलों में करवा दिया है। बाकी बच्चों के अभिभावक पेयरिंग रद्द होने का इंतजार कर रहे है, ताकि बच्चों को दोबारा स्कूल भेज सकें।


     स्कूल के साथ चलेगी बाल वाटिकाः मंत्री के ऐलान के 20 दिन बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग ने एक किमी से ज्यादा दूरी वाले स्कूलों की पेयरिंग रद्द करने का आदेश जारी नहीं किया है। विभागीय अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इस बीच पेयर किए गए स्कूलों में बाल वाटिका खुलने लगी है। सीडीओ बाल वाटिका खोलने के लिए 96 स्कूलों की सूची जारी की है। इसमें यह भी जिक्र है कि पेयरिंग रद्द होने के बाद एक ही भवन में स्कूल और बाल वाटिका चलाई जाएगी।

    SCERT निदेशक को अवमानना का नोटिस, जानिए क्यों?

    SCERT निदेशक को अवमानना का नोटिस, जानिए क्यों? 


    इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक [2] गणेश कुमार को अवमानना का नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने उनसे कहा है कि साक्षी एवं 77 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में दिए गए हाईकोर्ट के आदेश का पालन करें या अदालत उपस्थित हो कर स्पष्टीकरण दें। 


    शीतल की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने याची की अधिवक्ता जाह्नवी सिंह और कौन्तेय सिंह को सुनकर दिया है। हाईकोर्ट ने 6 जुलाई 2023 को फैसले में कहा था कि बीटीसी/डीएलएड कोर्स के वे छात्र-छात्राएं जिन्होंने किसी पेपर में तीन बार असफलता पाई है, उन्हें एक अतिरिक्त अवसर दिया जाएगा। कोर्ट ने अगली परीक्षा में याचियों बैठने का मौका देने का निर्देश दिया था लेकिन आदेश के बावजूद छात्रों को अब तक मौका नहीं मिला। 

    कोर्ट ने निदेशक को नोटिस जारी कर 24 सितंबर तक आदेश का पालन कर हलफनामा दाखिल करने या स्वयं कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।

    बेसिक शिक्षा परिषद के स्थानांतरण और समायोजन आदेश को दी चुनौती, बिना अपर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को अपर प्राइमरी में प्रोन्नत करने का आरोप, जवाब तलब

    बेसिक शिक्षा परिषद के स्थानांतरण और समायोजन आदेश को दी चुनौती, बिना अपर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को अपर प्राइमरी में प्रोन्नत करने का आरोप, जवाब तलब

    प्रयागराज। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण, समायोजन को लेकर जारी 26 जून को जारी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके साथ ही बीएसए प्रयागराज के एक जुलाई को जारी समायोजन आदेश को भी चुनौती दी गई है। 

    याचियों का आरोप है कि इस आदेश के जरिए प्राथमिक विद्यालयों में हेडमास्टर पद पर काम कर रहे शिक्षकों को बिना अपर टीईटी उत्तीर्ण किए अपर प्राइमरी स्कूलों में प्रोन्नत किया जा रहा है। अंशुमान सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने बेसिक शिक्षा विभाग से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

    याचियों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 26 जून को सर्कुलर जारी कर शिक्षकों के स्थानांतरण / समायोजन का आदेश दिया। इसके अनुपालन में बीएसए प्रयागराज ने एक जुलाई को स्थानांतरण आदेश जारी किया। इसके माध्यम से कई ऐसे अध्यापकों को अपर प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर प्रोन्नत कर दिया जो प्राइमरी स्कूलों में हेड मास्टर पद पर काम कर रहे थे। ऐसा कारण एनसीटीई के प्रावधानों के विपरीत है।

     एनसीटीई ने 11 सितंबर 2023 को अधिसूचना जारी कर अपर प्राइमरी स्कूलों में प्रोन्नति के लिए अपर टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया है। मद्रास हाईकोर्ट ने भी एक निर्णय में अपर टीईटी उत्तीर्ण करना प्रोन्नति के लिए अनिवार्य कहा है। इस फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित है। इसके बावजूद प्राइमरी स्कूलों के हेड मास्टरों को अपर प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर प्रोन्नत किया जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।



    शिक्षकों के स्थानांतरण व समायोजन पर बेसिक शिक्षा विभाग से मांगा जवाब

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों के स्थानांतरण, समायोजन को लेकर 26 जून को जारी आदेश और प्रयागराज के बीएसए के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर बेसिक शिक्षा विभाग से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।


     साथ ही अगली सुनवाई के लिए छह अक्तूबर की तिथि नियत की है। यह आदेश न्यायमूर्ति  मंजूरानी चौहान की एकलपीठ ने प्रयागराज के अंशुमान सिंह व अन्य की याचिका पर दिया। 

    याची अधिवक्ता ने दलील दी कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 26 जून को शिक्षकों के स्थानांतरण / समायोजन का आदेश दिया है। इसे लेकर एक सर्कुलर भी जारी किया गया है। इसके अनुपालन में प्रयागराज के बीएसए ने भी एक जुलाई को स्थानांतरण आदेश जारी किया।

     इस आदेश से प्राइमरी स्कूलों में हेड मास्टर पद पर कार्यरत कई अध्यापकों को अपर प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर प्रोन्नत कर दिया गया। यह एनसीटीई के नियमों के खिलाफ है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि छह अक्तूबर नियत कर दी है। 

    पीएमश्री विद्यालयों के छात्रों को पढ़ाएंगे IIT के शिक्षक, माध्यमिक शिक्षा विभाग की नई पहल, चलेगी ऑनलाइन क्लास

    पीएमश्री विद्यालयों के छात्रों को पढ़ाएंगे IIT के शिक्षक, माध्यमिक शिक्षा विभाग की नई पहल, चलेगी ऑनलाइन क्लास


    लखनऊ। प्रदेश के पीएमश्री विद्यालयों के छात्रों को अब आईआईटी के शिक्षक व शोधार्थी अत्याधुनिक क्षेत्र में दक्ष बनाएंगे। समग्र शिक्षा के तहत इसकी आईटीआई कानपुर के साथ शुरुआत होगी। इसमें विशेषज्ञ छात्रों की ऑनलाइन क्लास लेंगे। यह क्लास इंटरैक्टिव (परस्पर संवादात्मक) होगी। छात्र विशेषज्ञों से सवाल भी पूछ सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा विभाग की छात्रों के लिए यह नई पहल है।


    आईआईटी कानपुर के कुछ शिक्षकों ने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को गणित, फिजिक्स व केमेस्ट्री में पारंगत बनाने के लिए पिछले दिनों रंजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र की शुरुआत की थी। इसमें विभिन्न माध्यमों से बच्चों को जोड़कर ऑनलाइन क्लास चलाई थी। इसका पायलट प्रोजेक्ट श्रीराम जानकी इंटर कॉलेज बिठूर कानपुर में चलाया गया। इससे बोर्ड परिणाम में काफी सुधार हुआ। ऑनलाइन रूरल एजुकेशन इनीसिएटिव (ओरी) के तहत कुछ प्रदेशों में भी यह प्रयोग हुआ है।

    अब समग्र शिक्षा के तहत प्रदेश के सभी 145 पीएमश्री विद्यालयों में इसे लागू करने की तैयारी है। इसमें न सिर्फ छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा, बल्कि इसका वीडियो यूट्यूब पर भी अपलोड किया जाएगा। इसके लिए तकनीकी सहयोग भी दिया जाएगा। इसमें साइंस किट के माध्यम से छात्रों को प्रैक्टिकल जानकारी देंगे। ओरी में आईआईटी के वर्तमान शिक्षकों के साथ शोधार्थी व मास्टर डिग्री के छात्र भी कक्षाएं लेंगे। अब तक इस प्लेटफार्म से 50 से ज्यादा शिक्षक व शोधार्थी जुड़ चुके हैं।


    कर सकेंगे सवाल-जवाब

    हर एक प्रमुख चैप्टर को काफी विस्तार से अलग से जानकारी देगा। इसमें लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके वीडियो व प्रिंट माध्यम से छात्र आसानी से पाठ को समझ सकेंगे। सामान्य क्लास की तरह छात्र सवाल जवाब कर सकेंगे।

    हाईस्कूल और इंटर के छात्र सीखेंगे सॉफ्ट और कोर स्किल, कौशल विकास मिशन छात्रों को देगा 210 घंटे का प्रशिक्षण

    हाईस्कूल और इंटर के छात्र सीखेंगे सॉफ्ट और कोर स्किल, कौशल विकास मिशन छात्रों को देगा 210 घंटे का प्रशिक्षण


    लखनऊ। प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्रों को प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत कोर स्किल, सॉफ्ट स्किल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही उद्योगों का भ्रमण भी कराया जाएगा। कौशल विकास मिशन निदेशक पुलकित खरे ने बृहस्पतिवार को वर्चुअल बैठक कर इसके लिए दिशा-निर्देश दिए। 


    मिशन निदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप छात्रों को 210 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें 150 घंटे कोर स्किल, 30 घंटे सॉफ्ट स्किल और 30 घंटे उद्योगों का भ्रमण शामिल होगा। सॉफ्ट स्किल का विकास और उद्योगों का भ्रमण कराया जाना अनिवार्य है। 

    उन्होंने सेक्टर स्किल काउंसिल से अपेक्षा की कि वे इन कोर्सों को जल्द डिजाइन कर एनसीवीईटी से अनुमोदन कराके मिशन को उपलब्ध कराएं। मिशन निदेशक ने बताया कि पहली बार प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत छात्र-छात्राओं को निशुल्क कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ उद्योगों के भ्रमण का अवसर मिलेगा। इससे छात्र-छात्राओं में रोजगारोन्मुखी शिक्षा और व्यावहारिक अनुभव का विकास होगा। 

    यह प्रशिक्षण छात्रों की रुचि व जिलाधिकारी द्वारा सुझाए गए सेक्टर और कोर्स के अनुरूप होगा। बैठक में उपस्थित सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ व प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे निर्धारित समय में कोर्स तैयार कर विभाग को उपलब्ध कराएंगे।

    हाईकोर्ट में बोली यूपी सरकार– एक किलोमीटर से अधिक दूरी के स्कूलों का नहीं होगा विलय, सीतापुर में स्कूलों की पेयरिंग पर यथास्थिति अगली सुनवाई 01 सितंबर तक बरकरार रखने के आदेश


    हाईकोर्ट में बोली यूपी सरकार– एक किलोमीटर से अधिक दूरी के स्कूलों का नहीं होगा विलय, सीतापुर में स्कूलों की पेयरिंग पर यथास्थिति अगली सुनवाई 01 सितंबर तक बरकरार रखने के आदेश


    लखनऊ। प्रदेश के सरकारी स्कूलों के मर्जर (विलय) को लेकर चल रही कवायद पर आज लखनऊ हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की। अदालत ने साफ कहा कि राज्य सरकार को अब तक हुए सभी आदेशों और निर्णयों को रिकॉर्ड पर लाना होगा, जिससे अदालत पूरे मामले की गहराई से पड़ताल कर सके। कोर्ट ने साथ ही यह भी निर्देश दिया कि सीतापुर ज़िले के स्कूलों के संबंध में वर्तमान स्थिति को यथावत बनाए रखा जा, यानी वहां फिलहाल कोई नया बदलाव लागू नहीं होगा। 


    यूपी में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में गुरूवार को स्कूलों की पेयरिंग के मामले में सुनवायी हुी। याची पक्ष की ओर से उपस्थित अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने बताया कि सीतापुर में स्कूलों की पेयरिंग पर यथास्थिति अगली सुनवाई तक बरकरार रखने के आदेश न्यायालय ने दिए हैं।

    वहीं राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को अवगत कराया गया है कि एक किलोमीटर से कम दूरी वाले तथा जिन स्कूलों में 50 से अधिक बच्चे हैं, उनकी पेयरिंग नहीं की जाएगी। इस पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने सरकार को इस सम्बंध में पारित आदेश को रिकॉर्ड पर लाने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 1 सितम्बर को होगी।


    सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के विलय पर रोक

    यूपी में अभिभावकों और बच्चों को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीतापुर जनपद में प्राथमिक स्कूलों के विलय पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। 

    न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से हलफनामे के साथ दाखिल रिकॉर्ड में स्पष्ट तौर पर कुछ विसंगतियां पाई गई हैं। लिहाजा अगली सुनवाई तक सीतापुर जनपद के संबंध में चल रही कार्रवाई पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि तय करते हुए अपील करने वालों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।



    यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने सीतापुर के स्कूली बच्चों की ओर से उनके अभिभावकों द्वारा दाखिल दो विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया था। अपीलों में एकल पीठ के 7 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें स्कूलों का विलय करने के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था





    हाईकोर्ट में परिषदीय स्कूलों के विलय मामले में सुनवाई आज, अनियमितताओं के मद्देनजर हाईकोर्ट ने सीतापुर में स्कूलों की यथास्थिति बहाल रखने का दिया था आदेश


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के विलय मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में 21 अगस्त को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष विशेष अपीलें सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सूचीबद्ध हैं।

    बीती 24 जुलाई को हाईकोर्ट ने विलय प्रक्रिया में उजागर हुई स्पष्ट अनियमितताओं के मद्देनजर सीतापुर के स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह अंतरिम आदेश देते समय अदालत ने स्कूलों के विलय या मर्जर की सरकार की नीति और इसपर अमल करने की मेरिट पर कुछ नहीं किया है।


    मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष 24 जुलाई को विशेष अपीलों पर राज्य सरकार व  बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ताओं ने बहस की थी। अदालत के सामने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए विलय के कुछ दस्तावेजों अनियमितताएं सामने आईं थीं।

    राज्य सरकार की ओर से इनका स्पष्टीकरण देने का समय मांगा गया था। जिनके मद्देनजर कोर्ट ने सीतापुर जिले में स्कूलों की विलय/पेयरिंग प्रक्रिया पर 21 अगस्त तक मौजूदा स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। अदालत ने अपीलकर्ताओं को राज्य सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे पर जवाब पेश करने को अगली सुनवाई तक का समय दिया था। 

    सामूहिक बीमा के अन्तर्गत हुई ₹ 87 की कटौती की वापसी के संबंध में

    सामूहिक बीमा के अन्तर्गत हुई ₹ 87 की कटौती की वापसी के संबंध में



    Thursday, August 21, 2025

    यूपी बोर्ड : तीन दशक पहले विषय समाप्त, शिक्षकों की करेंगे भर्ती

    यूपी बोर्ड : तीन दशक पहले विषय समाप्त, शिक्षकों की करेंगे भर्ती
     
    यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल स्तर पर एक अलग विषय के रूप में पढ़ाए जा रहे जीव विज्ञान को तीन दशक पहले ही समाप्त कर दिया था, लेकिन इस विषय के शिक्षकों की भर्ती तमाम विवादों के बावजूद बदस्तूर जारी है।

    राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापकों) की भर्ती के लिए 28 मार्च को जारी उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा (षष्टम संशोधन) नियमावली 2024 में तमाम संशोधन हुए लेकिन हाईस्कूल स्तर पर जीव विज्ञान विषय का पद बना हुआ है और 28 जुलाई को शुरू हुई भर्ती में पुरुष शाखा में 185 और महिला शाखा में 29 पदों के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं।


    दशकों से शिक्षक भर्ती की योग्यता संबंधी विवाद को झेल रहे यूपी बोर्ड ने प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) भर्ती में भी 28 मार्च को जारी राजकीय विद्यालयों की शिक्षक भर्ती की अर्हता को मान्य कर लिया था। हालांकि 22 अप्रैल 2025 को जारी शासनादेश में टीजीटी जीव विज्ञान शामिल नहीं था। इस पर माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों से मिलकर नियमावली संशोधन को लेकर आपत्ति की।

    उनका तर्क था कि एडेड कॉलेजों में टीजीटी जीव विज्ञान के पद को समाप्त करने और टीजीटी विज्ञान में केवल भौतिक तथा रसायन विज्ञान के साथ स्नातक अभ्यर्थियों को ही मौका देने से जीव विज्ञान से स्नातक करने वाले अभ्यर्थियों का नुकसान हो रहा है। कई अन्य बिन्दुओं पर आपत्तियां की थी। इस पर यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने एडेड कॉलेजों की शिक्षक भर्ती में अर्हता संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजा है। यानि एडेड कॉलेजों में टीजीटी जीव विज्ञान के पदों पर फिर से भर्ती होगी।

    इसमें टीजीटी जीव विज्ञान के पदों पर भर्ती के साथ ही सहायता प्राप्त संस्थाओं के समान ही वित्तविहीन स्कूलों में शिक्षकों के चयन की अर्हता करने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा पदोन्नति के पदों के लिए एलटी को बीएड के समकक्ष रखने और प्रवक्ता नागरिकशास्त्र की भर्ती के लिए नागरिकशास्त्र में परास्नातक के स्थान पर राजनीति विज्ञान में परास्नातक अर्हता रखने का अनुरोध किया गया है।

    प्रदेश के अशासकीय सहायता प्रास माध्यमिक संस्थाओं में कार्यरत अध्यापकों की ज्येष्ठता निर्धारण के सम्बन्ध में

    प्रदेश के अशासकीय सहायता प्रास माध्यमिक संस्थाओं में कार्यरत अध्यापकों की ज्येष्ठता निर्धारण के सम्बन्ध में


    यूपी बोर्ड : 10वीं-12वीं में प्रवेश की तिथि एक सितंबर तक बढ़ी, 9वीं-11वीं के पंजीकरण दस सितंबर तक होंगे

     यूपी बोर्ड : 10वीं-12वीं में प्रवेश की तिथि एक सितंबर तक बढ़ी, 9वीं-11वीं के पंजीकरण दस सितंबर तक होंगे

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2026 के लिए छात्र-छात्राओं के प्रवेश की अंतिम तिथि एक सितंबर तक बढ़ा दी गई है। स्कूलों के प्रधानाचार्य कोषागार में चालान के माध्यम से परीक्षा शुल्क एक सितंबर तक जमा कर सकेंगे। पहले इसकी अंतिम तिथि 10 अगस्त थी। छात्र-छात्राओं के विवरण और शुल्क जमा करने की सूचना बोर्ड की वेबसाइट पर छह सितंबर की रात 12 बजे तक अपलोड होंगे। पहले इसके लिए 16 अगस्त तक की तिथि निर्धारित थी।

    इसी प्रकार प्रधानाचार्य वेबसाइट पर अपलोड विवरण की चेकलिस्ट प्राप्त कर छात्र-छात्राओं के नाम, माता/पिता का नाम, जेंडर, विषय, फोटो आदि की सात से 11 सितंबर तक भलीभांति जांच करेंगे। विवरण में कोई त्रुटि है तो 12 से 20 सितंबर तक प्रधानाचार्य संशोधित करेंगे।


    नौवीं-11वीं के पंजीकरण दस सितंबर तक होंगे

    बोर्ड की ओर से कक्षा नौ और 11 के पंजीकरण की तिथि भी बढ़ा दी गई है। कक्षा नौ और 11 में पंजीकरण शुल्क कोषागार में जमा करने एवं पंजीकरण शुल्क की सूचना तथा छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरणों को बोर्ड की वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड करने की अंतिम तिथि दस सितंबर हो गई है। प्रधानाचार्य 11 से 13 सितंबर तक चेकलिस्ट प्राप्त कर जांच करेंगे और 14 से 20 सितम्बर तक त्रुटि संशोधित कर सकेंगे। नामावली और कोषपत्र 30 सितंबर तक जमा होंगे।





    यूपी बोर्ड में कक्षा 9 और 11 और 10 और 12 की पंजीकरण तिथि एक सितंबर तक बढ़ना तय, शासन को भेजा प्रस्ताव

    प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2026 के लिए छात्र-छात्राओं की पंजीकरण तिथि बढ़ना तय है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति महेन्द्र देव ने शासन को इस आशय का प्रस्ताव भेजा है और एक-दो दिन में शासनादेश जारी होने की उम्मीद है।

    10वीं-12वीं के परीक्षार्थियों के परीक्षा शुल्क कोषागार में चालान के माध्यम से जमा करने की अंतिम 10 अगस्त से बढ़ाकर एक सितंबर करने का प्रस्ताव है। स्कूलों के प्रधानाचार्य छात्र-छात्राओं के विवरण और शुल्क जमा करने की सूचना बोर्ड की वेबसाइट पर छह सितंबर की रात 12 बजे तक अपलोड कर सकेंगे। इसी प्रकार प्रधानाचार्यों को वेबसाइट पर अपलोड विवरण की चेकलिस्ट प्राप्त कर छात्र-छात्राओं के नाम, माता/पिता का नाम, जेंडर, विषय, फोटो आदि की सात से 11 सितंबर तक भलीभांति जांच करने का मौका मिलेगा।

    कक्षा नौ और 11 की अंतिम तिथि भी बढ़ेगी : बोर्ड की ओर से कक्षा नौ और 11 के पंजीकरण की तिथि में भी वृद्धि का प्रस्ताव भेजा है गया है। कक्षा नौ और 11 में पंजीकरण शुल्क कोषागार में जमा करने एवं पंजीकरण शुल्क की सूचना तथा छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरणों को बोर्ड की वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड करने की अंतिम तिथि 25 अगस्त से बढ़ाकर दस सितंबर करने का अनुरोध किया गया है।


    11 साल की नौकरी के बाद बाद फर्जी डिग्री वाले 22 शिक्षक बर्खास्त, जिला विद्यालय निरीक्षकों को एफआइआर दर्ज कराने के लिए निर्देश

    11 साल की नौकरी के बाद बाद फर्जी डिग्री वाले 22 शिक्षक बर्खास्त, जिला विद्यालय निरीक्षकों को एफआइआर दर्ज कराने के लिए निर्देश


    लखनऊः माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक पदों पर हुईं नियुक्तियों की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सत्यापन में 22 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने उनकी सेवाएं समाप्त करते हुए वेतन की रिकवरी और उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। यह सभी नियुक्तियां आजमगढ़ मंडल में अप्रैल 2014 में हुई थी। स्थानांतरण के बाद वर्तमान में ये सभी शिक्षक अलग-अलग कालेजों में कार्यरत थे।

    माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से एलटी ग्रेड (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) के रिक्त पदों को भरने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से आवेदन पत्र आमंत्रित किए थे। इन नियुक्तियों में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक व प्रशिक्षण अर्हता के आधार पर मेरिट बनाकर काउंसिलिंग के जरिये चयन किया गया था। दस्तावेजों की गहन जांच में कई अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र कूटरचित मिले। फर्जी अभिलेखों के आधार पर नियुक्त हुए 22 शिक्षकों की सेवाएं 11 वर्ष के बाद तत्काल समाप्त कर दी गईं हैं। 

    इन फर्जी शिक्षकों से उनके द्वारा अब तक प्राप्त वेतन की वसूली (रिकवरी) की जाएगी। इसके अतिरिक्त संबंधित शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश भी जारी किए गए हैं। संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षकों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।


    लाखों रुपये की आएगी रिकवरी 
    एलटी ग्रेड में शिक्षकों का शुरुआती वेतन करीब 55 हजार रुपये महीने है जो वरिष्ठता के हिसाब से इस समय 75 हजार रुपये महीने होगा। ऐसे में अगर औसत 60 हजार रुपये महीने के हिसाब से एक वर्ष के वेतन की गणना करें तो 7,20,000 रुपये हुए। इस तरह से नौ वर्ष में प्राप्त वेतन का आकलन करें तो यह 64,80,000 रुपये हुए। ऐसे में एक शिक्षक से करीब 64-65 लाख रुपये की रिकवरी होगी। 

    सवाल यह है कि ये शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों के बूते कैसे नौकरी करते रहे और सत्यापन में इतना समय लग गया। अब इन शिक्षकों से रिकवरी कैसे होगी? माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने बताया कि पहले मेरिट के आधार पर नियुक्ति होती थी।


    Wednesday, August 20, 2025

    सरप्लस का ठप्पा लगकर स्थानांतरित हुए शिक्षक अब नहीं हो पा रहे कार्यमुक्त, जानिए क्यों?

    सरप्लस का ठप्पा लगकर स्थानांतरित हुए शिक्षक अब नहीं हो पा रहे कार्यमुक्त, जानिए क्यों? 

    स्कूलों का मर्जर रद्द, फिर भी शिक्षकों का कर दिया समायोजन, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने तैनाती में की गड़बड़ी


    प्रयागराज । आठ अगस्त को जारी परिषदीय शिक्षकों की जिले के अंदर स्थानांतरण और समायोजन सूची पर सवाल खड़े हुए हैं। सरकार ने जिन स्कूलों का विलय रद्द कर दिया है उनके शिक्षकों का भी तबादला कर दिया गया है। एक तरफ शिक्षक सरप्लस होने के बावजूद स्थानांतरित हो चुके हैं, उनका स्थानांतरण रद्द किया जा रहा है। 


    शिक्षकों का कहना है कि 23 मई 2025 को जारी स्थानांतरण नीति में स्वेच्छा से आवेदन करने वालों के तार्किक परिनियोजन (तैनाती) के नाम पर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की है। प्रथम चरण में 30 जून को जारी सूची में 20182 शिक्षकों का समायोजन हुआ था जिसमें तमाम प्राथमिक विद्यालयों को एकल अध्यापक कर दिया। 


    आरटीई के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 60 छात्रसंख्या तक 2 स्थायी शिक्षकों का होना अनिवार्य है तथा 100 छात्रसंख्या पर उच्च प्राथमिक स्कूलों में विषयवार कम से कम तीन शिक्षक होना चाहिए। गणित/विज्ञान, भाषा और सामाजिक विषय के एक-एक शिक्षक आवश्यक हैं।

    पहली सूची में प्राथमिक के प्रधानाध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित कर दिया, जबकि 150 छात्रसंख्या से कम पर किसी प्रधानाध्यापक को सरप्लस घोषित करने पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से स्टे चल रहा था। इसके बावजूद 26 जून को इन प्रधानाध्यापकों से विकल्प लेकर उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर तैनात कर दिया गया। 

    उच्च प्राथमिक स्तर पर सब्जेक्ट मैपिंग होने के बावजूद न तो विषयवार शिक्षकों को सरप्लस घोषित किया और न ही विषयवार रिक्तियों को दर्शाया गया। एक स्कूल में शिक्षक छात्र अनुपात ठीक करने के नाम पर दूसरे स्कूल का अनुपात बिगाड़ दिया गया है।

    यूपी बोर्ड के माध्यमिक स्कूलों में 'शुगर बोर्ड प्रदर्शित करने के सम्बंध में।

    यूपी बोर्ड के माध्यमिक स्कूलों में 'शुगर बोर्ड प्रदर्शित करने के सम्बंध में।


    शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम के आवास पर किया प्रदर्शन, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से नाराज हैं पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी

    शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम के आवास पर किया प्रदर्शन,  सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से नाराज हैं पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी


    लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मंगलवार को 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में पहुंचे अभ्यर्थी 'केशव चाचा न्याय करो' के नारे लगा रहे थे। ये अभ्यर्थी पिछड़े वर्ग के थे और सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई न होने के चलते नाराज थे।

    प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों की पुलिस बल से नोकझोक भी हुई। अभ्यर्थियों ने बताया कि हाई कोर्ट का जो फैसला आया था सरकार ने उसे जानबूझ कर लटका दिया। इससे यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चला गया। सरकार के पास पर्याप्त समय था वह चाहती तो हाईकोर्ट डबल बेंच के फैसले का पालन करके सबके साथ न्याय कर सकती थी।


    प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब परिणाम आया तो इसमें आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में निर्णय दिया और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया। पहले भी इस संबंध में अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की थी जिसमें मौर्य ने अन्याय न होने देने की बात कही थी।




    69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने घेरा बेसिक शिक्षा मंत्री का आवास, 
    सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पैरवी करने की मांग, अपर मुख्य सचिव से मिले, फिर भी नहीं बन पाई बात


    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के आवास का घेराव किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पैरवी नहीं की जा रही है। पुलिस अभ्यर्थियों को बलपूर्वक ईको गार्डेन ले गई। दोपहर बाद इनकी अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार से वार्ता हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला।


    अभ्यर्थियों ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती में अनियमितता के कारण आरक्षित वर्ग के काफी अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित हैं। इस मामले की लंबी सुनवाई हाईकोर्ट में हुई और फैसला उनके पक्ष में आया लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण उसका पालन नहीं हुआ और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी पक्ष रखने से पीछे हट रही है।


    हमारी मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करे और जल्द इस मामले का निस्तारण कराए। सुप्रीम कोर्ट में अब तक 20 से अधिक तारीख लगी लेकिन सुनवाई नहीं हुई। धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल व धनंजय गुप्ता ने बताया कि उनकी मंत्री से मुलाकात नहीं हुई। पुलिस उन्हें जबर्दस्ती उठाकर ईको गार्डेन ले गई।


    वहीं पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने बताया कि 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्रस्तावित थी। किंतु अब यह केस अनलिस्टेड में चला गया है। अब यह नहीं पता है कि इसकी अगली सुनवाई कब होगी।

    Tuesday, August 19, 2025

    यूपी में विद्यालयों बंद करने के फैसले के खिलाफ आप नेता संजय सिंह की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, जानिए क्यों?

    यूपी में विद्यालयों बंद करने के फैसले के खिलाफ आप नेता संजय सिंह की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, जानिए क्यों? 


    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के 105 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के फैसले के खिलाफ आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। 

    यूपी सरकार ने जिन प्राथमिक विद्यालयों में शून्य या कम नामांकन हैं उनका पास के दूसरे विद्यालय में विलय कर दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि इसी तरह का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है। 


    पीठ ने याचिकाकर्ता से संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका को वापस लेने को कहा। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि सैकड़ों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है। पीठ ने कहा कि यह एक स्थानीय समस्या है और अन्य राज्यों तक नहीं फैली है, इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को इसकी जांच करनी चाहिए। 

    अदालत ने कहा कि यह मामला बच्चों के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत वैधानिक अधिकारों के प्रवर्तन से संबंधित है। हाईकोर्ट पहले से ही इस मामले पर विचार कर रहा है, इसलिए बेहतर होगा कि वह इस पर निर्णय ले। अदालत ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट दी और मामले का शीघ्र निपटारा करने के लिए कहा। 



    वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु पूर्वदशम् छात्रवृत्ति (कक्षा-9 व 10) व दशमोत्तर छात्रवृत्ति / शुल्क प्रतिपूर्ति (कक्षा-11 व 12) योजनान्तर्गत छात्रवृत्ति का वितरण 02 अक्टूबर 2025 को कराये जाने के संबंध में

    वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु पूर्वदशम् छात्रवृत्ति (कक्षा-9 व 10) व दशमोत्तर छात्रवृत्ति / शुल्क प्रतिपूर्ति (कक्षा-11 व 12) योजनान्तर्गत छात्रवृत्ति का वितरण 02 अक्टूबर 2025 को कराये जाने के संबंध में।


    12 साल से प्रधानाचार्यों की भर्ती नहीं, शिक्षक पहुंचे हाईकोर्ट, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नहीं हुई प्रधानाचार्य भर्ती, 2013 में आखिरी बार आई थी भर्ती, नहीं भरे जा सके थे पद

    12 साल से प्रधानाचार्यों की भर्ती नहीं, शिक्षक पहुंचे हाईकोर्ट, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नहीं हुई प्रधानाचार्य भर्ती, 2013 में आखिरी बार आई थी भर्ती, नहीं भरे जा सके थे पद


    प्रयागराज । प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 12 साल से प्रधानाचार्यों की भर्ती न होने पर अब शिक्षकों ने ही मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को प्रधानाचार्य भर्ती का विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया जाए। इस मामले की सुनवाई चार सितंबर को होनी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एडेड कॉलेजों में प्रधानाचार्यों के पदों पर लंबे समय से भर्ती नहीं हुई है। इसके चलते पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। लिहाजा आयोग को निश्चित समय में रिक्त पदों को भरने के आदेश दिए जाएं।


    632 पदों के लिए 2013 में आया था विज्ञापनः उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने प्रधानाचार्य के 632 पदों पर भर्ती के लिए 2013 के अंत में विज्ञापन जारी किया था और फरवरी 2014 तक प्रधानाचार्यों की भर्ती न होने पर तदर्थ प्रधानाचार्य की नियुक्ति का नियम बदल गया है। पहले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के चयन न करने पर प्रबंधन वरिष्ठतम शिक्षक को तदर्थ प्रधानाचार्य का पदभार ग्रहण करवाते थे। दो महीने बाद उन्हें नियमित के बराबर वेतन मिलने लगता था। अब नए आयोग को नियुक्ति की जिम्मेदारी मिलने के बाद यह नियम समाप्त हो गया है।


    आवेदन लिए गए थे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद चयन बोर्ड ने 11 से 13 नवंबर 2022 के बीच 632 में से 581 पदों का परिणाम घोषित किया था। सभी चयनित प्रधानाचार्य कार्यभार ग्रहण भी नहीं कर सके थे कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रक्रिया में नौ साल का समय लगने पर भर्ती निरस्त कर दी थी।

    सुप्रीम कोर्ट और शासन का आदेश, पर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर मौन, 29334 विज्ञान गणित शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया नहीं हो सकी प्रारंभ

    सुप्रीम कोर्ट और शासन का आदेश, पर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर मौन, 29334 विज्ञान गणित शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया नहीं हो सकी प्रारंभ 


    प्रयागराज।  परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान और गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापक भर्ती में रिक्त 1700 से अधिक पदों पर चयन के लिए सुप्रीम कोर्ट और शासन का आदेश होने के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर मौन हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी को बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को आदेश दिया था कि इस भर्ती में चयनित न्यूनतम कटऑफ से अधिक अंक पाने वाले उन सभी अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाए जिन्होंने 31 दिसंबर 2019 के पूर्व सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थी।



    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शासन के उपसचिव आनंद कुमार सिंह ने 19 जुलाई को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा को याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों के चयन के निर्देश दिए थे। हालांकि शासन के आदेश के एक महीने बाद भी प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।


     सालों हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले बेरोजगार एक महीने से इसी आस में बैठे हैं कि प्रक्रिया शुरू होगी लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर फाइल दवाए बैठे हैं। गौरतलब है कि 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती 11 जुलाई 2013 को शुरू हुई थी।

    पुरानी रिक्तियों पर संशोधित नियमावली से BEO की पदोन्नति का शिक्षक संघ करेगा विरोध

    पुरानी रिक्तियों पर संशोधित नियमावली से BEO की पदोन्नति का शिक्षक संघ करेगा विरोध

    1992 की पदोन्नति नियमावली से शैक्षिक सामान्य शिक्षा संवर्ग (समूह ख) पदों पर पदोन्नति की मांग


    प्रयागराज : शैक्षिक सामान्य शिक्षा संवर्ग (समूह ख) पदों पर पदोन्नति के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा अधीनस्थ राजपत्रित शिक्षक (पुरुष/महिला) तथा निरीक्षण शाखा (खंड शिक्षा अधिकारी) की मांगी गई गोपनीय आख्या पर राजकीय शिक्षक संघ सतर्क हो गया है। 


    अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) पंचम संशोधन नियमावली 2025 द्वारा परिवर्तित किए गए पदोन्नति कोटे के बजाय पूर्व में स्थापित 1992 की नियमावली के तहत पदोन्नति दी जाए, क्योंकि पदोन्नति के रिक्त पद संशोधित की गई नियमावली से पहले के हैं।


    भेजे पत्र में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय एवं प्रांतीय महामंत्री सत्यशंकर मिश्र ने बताया है कि शैक्षिक सामान्य शिक्षा संवर्ग के समूह ख (क्लास-2) के पदों पर पदोन्नति के लिए 14 जुलाई 2025 को नियमावली में किए गए संशोधन में पदोन्नति कोटा क्रमशः 33 प्रतिशत पुरुष/33 प्रतिशत महिला (अधीनस्थ राजपत्रित) / 34 प्रतिशत निरीक्षण शाखा का निर्धारित किया गया है।


     इसके पहले वर्ष 1992 की स्थापित पदोन्नति नियमावली में यह कोटा 61 प्रतिशत पुरुष / 22 प्रतिशत महिला/17 प्रतिशत निरीक्षण शाखा (डीआइ) निर्धारित था। अब जो पदोन्नति माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा होने जा रही वह रिक्तियां वर्ष 2014-15 लेकर 2024-25 तक की हैं, ऐसे में पूर्व के रिक्त पदों पर नए संशोधन नियमावली द्वारा निर्धारित कोटे से पदोन्नति नहीं हो सकती। 


    इसे नियम विरुद्ध बताते हुए पुरानी नियमावली के अनुसार पदोन्नति किए जाने की मांग की गई है। साथ ही कहा है कि यदि संशोधन पदोन्नति कोटा नियमावली के अनुसार प्रोन्नति की गई तो राजकीय शिक्षक संघ इसका विरोध करेगा और हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा।

    Monday, August 18, 2025

    विलय के बाद खाली हुए स्कूलों में बाल वाटिका शुरू, अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक ने पहुंच कर देखी व्यवस्था

    विलय के बाद खाली हुए स्कूलों में बाल वाटिका शुरू, अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक ने पहुंच कर देखी व्यवस्था


    लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद खाली हुए भवनों में बेसिक शिक्षा विभाग ने बाल वाटिका की विधिवत शुरुआत स्वतंत्रता दिवस पर की। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के साथ मिलकर इनको चलाया जाएगा। खाली हुए स्कूलों में पास की आंगनबाड़ी को भी शिफ्ट किया गया है।


    राजधानी में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार खुद मोहनलालगंज के एक स्कूल पहुंचे। उन्होंने यहां व्यवस्था देखी, आवश्यक निर्देश दिए। साथ ही बच्चों से बात की, उनको चॉकलेट भी दी। वहीं महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने लखनऊ के बख्शी का तालाब में आदर्श बाल वाटिका विश्रामपुर का शुभारंभकिया। इससे पहले उन्होंने यहां झंडारोहण भी किया।


    उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छोटे और सीमित उपयोग वाले स्कूलों को बड़े व अधिक संसाधन वाले स्कूलों में समेकन पर बल देती है। इसी के दृष्टिगत पेयरिंग हुए विद्यालय में प्री प्राइमरी शिक्षा/ बाल वाटिका का शुभारंभकिया गया। आईसीडीएस के सहयोग से नई बाल वाटिकाएं चलाई जा रही हैं तथा बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा अवसंरचनात्मक व अकादमिक सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।


    इसी क्रम में प्रदेश में अन्य स्कूलों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों, अधिकारियों ने 15 अगस्त को बाल वाटिका की शुरुआत की। अधिकारियों ने कहा कि अभी यह पहला चरण है। अन्य खाली हुए स्कूलों में भी जल्द ही सभी व्यवस्था कर इसकी शुरुआत की जाएगी।

    Sunday, August 17, 2025

    बीएड : पहले चरण में 13494 ने भरी च्वाइस, 25 अगस्त तक जमा करनी होगी फीस, 27 अगस्त से दूसरे चरण चरण की काउंसलिंग शुरू होगी

    बीएड : पहले चरण में  13494 ने भरी च्वाइस, 25 अगस्त तक जमा करनी होगी फीस, 27 अगस्त से दूसरे चरण चरण की काउंसलिंग शुरू होगी


    झांसी। बीएड काउंसलिंग के पहले चरण में 13494 छात्र-छात्राओं ने कॉलेज की च्वाइस भरी है। इन्हें सीट का आवंटन कर दिया गया है। अब इन अभ्यर्थियों को 25 अगस्त तक फीस जमा करनी होगी। इसके बाद 27 अगस्त से दूसरे चरण चरण की काउंसलिंग शुरू होगी। 


    प्रदेश के 69 जिलों के 751 केंद्रों पर बीएड की 2.40 लाख सीटों पर प्रवेश के लिए एक जून को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश परीक्षा कराई गई थी। इसका परिणाम 17 जून को जारी किया गया। इसके बाद 3.04 लाख अभ्यर्थियों की पहले चरण की काउंसलिंग 30 जुलाई से शुरू हुई। बीएड प्रवेश परीक्षा के समन्वयक प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि अभ्यर्थियों को 12 अगस्त तक कॉलेज की च्वाइस भरने का मौका दिया गया था। 

    Saturday, August 16, 2025

    यूपी में पिछले सात साल में 30,000 से अधिक शिक्षक हुए रिटायर, बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी

    यूपी में पिछले सात साल में 30,000 से अधिक शिक्षक हुए रिटायर, बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी


    लखनऊ। प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2018 से 2024 तक कुल 30,611 शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं। यह जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से विधानसभा में दी गई।

    प्राप्त विवरण के अनुसार, वर्ष 2018 से ही हर साल बड़ी संख्या में शिक्षक सेवा से बाहर होते गए। सबसे अधिक सेवानिवृत्ति वर्ष 2018 में हुई, जब 7,956 शिक्षक रिटायर हुए। इसके बाद 2019 में 5,691, 2020 में 4,340, 2021 में 3,592, 2022 में 3,049, 2023 में 2,664 और 2024 में 2,707 शिक्षक सेवा निवृत्त हुए। इस प्रकार, 2018 से 2024 तक कुल मिलाकर 30,611 शिक्षक सेवा से बाहर हो गए।


    शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रही सेवानिवृत्तियों के बावजूद नई भर्तियों की गति धीमी रही, जिससे विद्यालयों में शिक्षकों की कमी गहराती जा रही है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि समय पर भर्ती की प्रक्रिया तेज़ नहीं हुई, तो इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता पर पड़ेगा।

    प्रदेश सरकार का दावा है कि नई भर्तियों की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह आंकड़ा बताता है कि स्कूलों में शिक्षक संख्या लगातार घट रही है और सरकार भर्ती प्रक्रिया में विफल रही है।


    Friday, August 15, 2025

    आय से अधिक संपत्ति में सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व बीएसए पर मुकदमा

    आय से अधिक संपत्ति में सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व बीएसए पर मुकदमा
     

    वाराणसी । उप्र सतर्कता अधिष्ठान वाराणसी इकाई ने वाराणसी के पूर्व बीएसए जय सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर मुकदमा दर्ज किया है। उनके पास एक करोड़ 21 लाख 61 हजार 921 रुपये की संपत्ति अधिक मिली है।


    शासन की ओर से तीन जून 2022 को जांच के लिए निर्देश मिला था। इस क्रम में पूर्व बीएसए जय सिंह के खिलाफ उप्र सतर्कता अधिष्ठान वाराणसी इकाई ने जांच शुरू की। फतेहपुर जिले के बसंत खेड़ा निवासी जय सिंह के खिलाफ खुली जांच में पाया गया कि वह लोक सेवक के रूप में कार्यरत रहते हुए अपनी आय के सभी ज्ञात एवं वैध श्रोतों से कुल 1 करोड़ 05 लाख 61 हजार 334.5 रुपये अर्जित की।


    जबकि इस अवधि में इनकी ओर से कुल 2 करोड़ 27 लाख 23 हजार 256 रुपये खर्च किया गया। इस प्रकार जय सिंह अपनी आय के सापेक्ष 1 करोड़ 21 लाख 61 हजार 921 रुपये अधिक खर्च किया। जय सिंह वाराणसी में 2019 में बीएसए थे। इस समय सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

    ‘प्रवक्ता भर्ती के लिए टीईटी अनिवार्य क्यों नहीं किया’, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जानकारी मांगी, 21 अगस्त को अगली सुनवाई

    ‘प्रवक्ता भर्ती के लिए टीईटी अनिवार्य क्यों नहीं किया’,  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जानकारी मांगी, 21 अगस्त को अगली सुनवाई 
     

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से हाल ही में हुई राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता पदों की भर्ती में टीईटी अनिवार्य न किए जाने के संदर्भ में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि जब एनसीटीई ने इसे अनिवार्य कर रखा है तो हालिया भर्ती में इसे क्यों नहीं शामिल किया गया। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने अखिलेश व अन्य की याचिका पर दिया है।


    एडवोकेट तान्या पांडेय ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग जीआईसी और जीजीआईसी में कक्षा छह से 10 तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भर्ती करने जा रहा है। इसके लिए उसने विज्ञापन जारी किया है लेकिन विज्ञापन में शिक्षकों की भर्ती अर्हता में टीईटी को शामिल नहीं किया है। जबकि एनसीटीई की 2010 की अधिसूचना के अनुसार छह से आठ तक के छात्रों के लिए टीईटी अनिवार्य है। विज्ञापन छह से 10 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती के लिए निकाला गया है इसलिए इसमें टीईटी अनिवार्य की अर्हता होनी चाहिए।


    एनसीटीई के अधिवक्ता वैभव त्रिपाठी ने इस पर सहमति जताई। आयोग के अधिवक्ता पीके रघुवंशी ने कहा कि आयोग केवल भर्ती के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर रहा है। अर्हता तय करने का काम राज्य सरकार का है। स्थायी अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने जवाब के लिए एक सप्ताह का वक्ता मांगा। कोर्ट ने उन्हें उक्त समय देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख लगाई है।


    Thursday, August 14, 2025

    विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के पुनरीक्षण के सम्बन्ध में शैक्षणिक संस्थानों के प्रवेश रजिस्टर की उपलब्धता सम्बन्धित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों तथा बूथ लेवल अधिकारियों तक कराने हेतु आदेश

    विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के पुनरीक्षण के सम्बन्ध में शैक्षणिक संस्थानों के प्रवेश रजिस्टर की उपलब्धता सम्बन्धित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों तथा बूथ लेवल अधिकारियों तक कराने हेतु आदेश 


    नौवीं कक्षा में किताब खोलकर दे सकेंगे परीक्षा, CBSE ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 के लिए ओपन बुक असेसमेंट को दी मंजूरी

    नौवीं कक्षा में किताब खोलकर दे सकेंगे परीक्षा, CBSE ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 के लिए ओपन बुक असेसमेंट को दी मंजूरी


    नई दिल्ली। सीबीएसई के स्कूलों में अब नौवीं कक्षा में विद्यार्थी किताब खोलकर परीक्षा दे सकेंगे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्ष बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 से स्कूलों को इस तरह परीक्षा लेने की मंजूरी दे दी है। इसे ओपन बुक असेसमेंट कहा जाएगा। हालांकि बोर्ड ने इसे अनिवार्य नहीं किया है और इसे लागू करने का फैसला स्कूलों पर छोड़ा गया है।

    सीबीएसई की पाठ्यचर्या समिति ने ओपन बुक असेसमेंट का प्रस्ताव दिया था। बोर्ड इस असेसमेंट का फ्रेमवर्क, यानी परीक्षा कैसे ली जाए, तैयार कर स्कूलों को भेजेगा। इसके तहत साल में तीन बार परीक्षा होगी, जिसमें भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे मुख्य विषय शामिल होंगे। 

    बोर्ड को उम्मीद है कि इस पहल से विद्यार्थियों में रटने की जगह समझने की क्षमता विकसित होगी। परीक्षा का तनाव कम होगा और वैचारिक समझ मजबूत होगी। साथ ही, उनके प्रदर्शन में भी सुधार होगा। इसे मंजूर करने से पहले पायलट स्टडी कराई गई थी। इसमें छात्रों के प्रदर्शन का बारीकी से विश्लेषण किया गया। छात्रों को अलग-अलग विषय दिए गए थे। इसमें विद्यार्थियों का परिणाम 12 से 47 फीसदी तक रहा और उनकी सोचने और सवाल हल करने की क्षमता में सुधार देखने को मिला। इस वर्ष बोर्ड की गवर्निंग बॉडी की जून में हुई बैठक में इन सिफारिशों को मंजूर किया गया। 


    यह है ओपन बुक टेस्ट... स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफएसई) के अनुसार ओपन बुक टेस्ट वह होता है जिसमें विद्यार्थियों को प्रश्नों के उत्तर देते समय संसाधनों और संदर्भों जैसे, पाठ्यपुस्तकें, नोट्स तक पहुंच दी जाती है।




    अगले वर्ष से किताब के साथ परीक्षा दे सकेंगे नौवीं के छात्र,  CBSE ने ओपन बुक असेसमेंट को दी मंजूरी


    ओपन बुक प्रणाली का उद्देश्य परीक्षा के तनाव को कम करना

    योग्यता-आधारित शिक्षा को बढ़ावा, रटने की जरूरत खत्म


    नई दिल्ली ।  अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2026-27 से कक्षा नौवीं के सीबीएसई छात्र खुली किताब लेकर परीक्षा दे सकेंगे। छात्रों पर परीक्षा के तनाव को कम करने के मकसद से सीबीएसई अगले सत्र से ओपन बुक असेसमेंट (ओबीए) योजना शुरू करने जा रहा है। इससे छात्रों में रटने की जरूरत नहीं रह जाएगी और वे योग्यता-आधारित शिक्षा ले सकेंगे।


    पाठ्यक्रम समिति और शासी निकाय के प्रस्ताव के मुताबिक हर सत्र में तीन प्रमुख विषयों, भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के लिखित पेपर में खुली किताब लेकर बच्चे परीक्षा दे सकेंगे। शासी निकाय ने जून में हुई बैठक में ये निर्णय लिया था। यह निर्णय एक पायलट स्टडी पर आधारित है जिसमें अतिरिक्त पठन सामग्री को शामिल नहीं किया गया और पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों का परीक्षण किया गया। इसमें छात्रों को 12 प्रतिशत से लेकर 47 प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त हुए। इससे संसाधनों के प्रभावी उपयोग और अंतःविषय अवधारणाओं को समझने में आने वाली चुनौतियों का पता चला। 


    गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, सीबीएसई सैंपल पेपर भी तैयार करेगा और छात्रों को संदर्भ सामग्री को समझने के लिए मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। बोर्ड को उम्मीद है कि इस पहल से परीक्षा का तनाव कम होगा और वैचारिक समझ मजबूत होगी। साथ ही ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि इस ढांचे की स्कूलों को सिफारिश की जाएगी, लेकिन इसका कार्यान्वयन अनिवार्य नहीं होगा।


    स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफएसई) के अनुसार ओपन-बुक टेस्ट वह होता है जिसमें छात्रों को प्रश्नों के उत्तर देते समय संसाधनों और संदर्भों (जैसे, पाठ्यपुस्तकें, कक्षा नोट्स, पुस्तकालय की पुस्तकें) तक पहुंच प्राप्त होती है। ये परीक्षण उपलब्ध जानकारी को संसाधित करने या उसका उपयोग करने और उसे विभिन्न संदर्भों में लागू करने की क्षमता का आकलन करते हैं। ये परीक्षण रटने की पद्धति से ध्यान हटाकर एप्लीकेशन और सिंथेसिस पर केंद्रित करते हैं।'

    देश में शिक्षकों के लगभग दस लाख पद रिक्त, संसदीय समिति ने जल्द पदों को भरने का दिया निर्देश, नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों में संविदा नियुक्तियां रोकने की सिफारिश

    देश में शिक्षकों के लगभग दस लाख पद रिक्त, संसदीय समिति ने जल्द पदों को भरने का दिया निर्देश, नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों में संविदा नियुक्तियां रोकने की सिफारिश

    14.8 लाख स्कूलों में से तीन हजार केंद्र चला रहा


    नई दिल्ली । देश में स्कूली शिक्षा में शिक्षकों के लगभग 10 लाख पद रिक्त हैं। संसदीय समिति की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिक्तियों को भरने के लिए समिति की बार-बार की गई सिफारिश के बावजूद शिक्षकों की संविदा नियुक्तियां की जा रही हैं।

    संसदीय समिति ने कहा कि 14.8 लाख विद्यालयों में से भारत सरकार केवल लगभग तीन हजार विद्यालयों का ही संचालन करती है। इनमें भी भारत सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों केंद्रीय विद्यालय (केवी), नवोदय विद्यालय (एनवी) आदि में रिक्तियों का स्तर भी चिंताजनक है। केवी और एनवी में भी कुल मिलाकर 30 से 50% रिक्तियां हैं। 

    समिति ने अपनी 349वीं और 363वीं रिपोर्ट में सिफारिशों को दोहराते हुए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को निर्देश दिया है कि वह भारत सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों जैसे केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों आदि में शिक्षकों के रिक्त पदों को संविदा शिक्षकों के स्थान पर नियमित/स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के माध्यम से 31 मार्च, 2026 से पहले भरे। 

    समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि वह इन स्कूलों में शिक्षकों की संविदा नियुक्तियों को रोकने की सिफारिश करती है। समिति का कहना है कि विभिन्न राज्यों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा वित्त पोषित स्कूलों में शिक्षकों के लगभग 10 लाख रिक्त पदों में से प्राथमिक स्तर पर लगभग 7.5 लाख पद रिक्त हैं।


    कार्यान्वयन के दो स्तर हों
    समिति का मानना है कि टीचर एजुकेशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दो व्यापक स्तर होने चाहिए। पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक स्तर के लिए प्राथमिक स्तर के शिक्षक जो इस स्तर पर सभी विषय पढ़ा सकें और विषय-विशिष्ट शिक्षकों के लिए मध्य और माध्यमिक स्तर के शिक्षक हों।


    आवंटन स्थगित रखा जाए
    समिति ने कहा है कि जिन राज्यों ने नियमित/स्थायी शिक्षकों से रिक्तियों को भरने के लिए विभाग के निर्देशों का पालन नहीं किया है उन राज्यों के सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) कोष के आवंटन को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक कि संबंधित राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर लेते।


    कांग्रेस का समिति की सिफारिशों का समर्थन
    नई दिल्ली । कांग्रेस ने बुधवार को शिक्षा संबंधी संसदीय समिति की सिफारिशों का समर्थन किया है। समिति ने केंद्र और राज्यों के अधीनस्थ विद्यालयों में 10 लाख शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने समेत कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शिक्षा, महिला, बाल, खेल एवं युवा मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट का लिंक 'एक्स' पर साझा किया।


    छह राज्यों में स्कूलों का औचक निरीक्षण
    नई दिल्ली । सीबीएसई ने छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दस स्कूलों में बुधवार को औचक निरीक्षण किया। मकदस स्कूलों में नियमों के उल्लंघन से जुड़ी जानकारी जुटानी थी। सीबीएसई बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि औचक निरीक्षण के जरिए ये देखा गया की स्कूलों के संचालन में नियमों की अनदेखी तो नहीं हो रही। ऐसे छात्र तो नहीं है जिनका दाखिला तो है लेकिन उनकी उपस्थिति नहीं है और स्कूल में पढ़ाई व सुविधाओं की स्थिति क्या है।




    'केंद्रीय स्कूलों में संविदा पर न हो नियुक्ति' – संसदीय समिति ने रिपोर्ट में लगभग 10 लाख रिक्त शिक्षक पदों पर जताई चिंता

    NCTE में 2019 से 15 जून 2025 तक कोई भी स्थायी नियुक्ति न होने पर सवाल

    समिति ने कहा, केवी और नवोदय विद्यालयों में भी 30 से 50% तक रिक्तियां 


    नई दिल्लीः संसदीय पैनल ने स्कूली शिक्षा समेत दूसरे संस्थानों में शिक्षकों के लाखों खाली पदों और अनुबंध के आधार पर भर्ती पर गंभीर चिंता जताई है। शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में पेश 368वीं रिपोर्ट में कहा है कि देश के स्कूलों में शिक्षकों के करीब 10 लाख पद रिक्त हैं। 

    देश में 14.8 लाख स्कूलों में से भारत सरकार करीब 3000 स्कूलों का ही संचालन करती है लेकिन समिति ने पाया है कि केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में भी रिक्तियों का स्तर चिंताजनक है। केवी और नवोदय विद्यालयों में भी कुल मिलाकर 30 से 50% तक रिक्तियां हैं। समिति ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित केवी, नवोदय विद्यालयों में संविदा की जगह 31 मार्च 2026 तक शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति हो। समिति ने कहा कि स्कूलों में संविदा वाली नियुक्तियां रोकी जाएं।


    'राज्यों की फंडिंग रोकी जाए': संसदीय पैनल ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के जरिए पैसा पाने वाले स्कूलों में प्रारंभिक और प्राथमिक स्तर पर ही 7.5 लाख रिक्तियां हैं। रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति करने के निर्देशों को नहीं मानने वाले राज्यों की सर्व शिक्षा अभियान के तहत फंडिंग (अध्यापक निधि) कतब तक रोकी जाए, जब तक वे निर्देशों का पालन नहीं कर लेते।


    NCTE पर भी सवालः नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) में 2019 से 15 जून 2025 तक टीचिंग, नॉन टीचिंग और प्रशासनिक कर्मचारियों की कोई भर्ती नहीं होने के मसले को भी समिति ने गंभीर बताया है।


    'यूनिवर्सिटी को मिले आजादी': समिति का मानना है कि यूनिवर्सिटीज को अपना पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए केवल 30% छूट के बजाए ज्यादा आजादी दी जानी चाहिए।

    शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने की मांग, विधान परिषद में मुद्दा प्रमुखता से उठा

    शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने की मांग, विधान परिषद में मुद्दा प्रमुखता से उठा

    शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने उठाया मुद्दा, आश्वासन न मिलने पर किया वॉकआउट


    लखनऊ। विधान परिषद में बुधवार को माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने का मुद्दा प्रमुखता से उठा। शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने कहा कि इससे शिक्षकों का शोषण बढ़ गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने भी उनका समर्थन किया। माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाव देवी ने कहा कि नियमों में संशोधन की कोई आवश्यकता नजर नहीं आ रही है। इस पर ध्रुव त्रिपाठी ने सदन से वॉकआउट किया।



    ध्रुव त्रिपाठी ने कार्यस्थगन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि शिक्षकों की सेवा शर्तों को शिक्षा सेवा चयन आयोग के दायरे से बाहर रखा गया है। रद्द किए गए चयन बोर्ड अधिनियम में स्पष्ट व्यवस्था थी कि बोर्ड के अनुमोदन के बिना दंड की कोई भी कार्यवाही शून्य होगी। जो आयोग चयन करता है, दंड भी वही देता है। लेकिन, शिक्षकों के मामले में ऐसा नहीं रह गया है इसलिए रद्द किए गए चयन बोर्ड के अधिनियम की धाराएं 12, 18 और 21 को मूल रूप से इंटरमीडिएट एक्ट में प्रतिस्थापित किया जाए।


    भाजपा के उमेश द्विवेदी, श्रीश चंद्र और देवेंद्र प्रताप सिंह समेत कई सदस्यों ने भी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा संबंधी की इस मांग का समर्थन किया। नेता विरोधी दल लाल बिहारी यादव ने भी कहा कि ध्रुव त्रिपाठी ने महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि अगर शिक्षक डीआईओएस की कार्रवाई से असंतुष्ट है तो उसके खिलाफ मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक के यहां अपील कर सकता है। उमेश द्विवेदी ने कहा कि शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार किसी एक अधिकारी को नहीं, बल्कि कमेटी को होना चाहिए।

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों में अगले साल होंगे सिर्फ ऑनलाइन तबादले, शासनादेश व विस्तृत दिशा निर्देश जारी, वरीयता व मानक भी निर्धारित

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों में अगले साल होंगे सिर्फ ऑनलाइन तबादले, शासनादेश व विस्तृत दिशा निर्देश जारी, वरीयता व मानक भी निर्धारित


    लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के इस साल फंसे ऑफलाइन तबादलों के बीच शासन ने अगले साल 2026-27 में सिर्फ ऑनलाइन तबादला करने का निर्णय लिया है। शासन ने इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने के साथ ही आवश्यक मानक व वरीयता भी तय कर दी है।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि सत्र 2026-27 में एडेड हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों का तबादला ऑनलाइन किया जाएगा। इसके लिए शिक्षक वांछित जिले के विद्यालय में ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इन विद्यालयों में खाली पदों का ब्योरा वेबसाइट पर दिया जाएगा।

    उन्होंने कहा है कि शिक्षक वरीयता क्रम में पांच खाली स्थान वाले विद्यालयों का चयन कर सकेंगे। तबादले के लिए जिन शिक्षकों के पति-पत्नी सेना या अर्द्धसैनिक बल में हैं, नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात हैं, कैंसर आदि गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, पति-पत्नी सरकारी नौकरी में हैं और अलग-अलग जिले में तैनात हैं, जिनकी आयु 31 मार्च को 58 साल पूरी हो चुकी है, उनको वरीयता दी जाएगी। एक से अधिक आवेदकों का गुणांक समान होने पर अधिकतम आयु वाले को वरीयता दी जाएगी।

    महानिदेशक स्कूल शिक्षा को दिए निर्देश में अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा है कि किसी भी संस्था में कार्यरत शिक्षकों का 20 फीसदी की सीमा तक ही तबादला किया जाएगा।