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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, April 19, 2024

    बेसिक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर सेंधमारी

    बेसिक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर सेंधमारी


    प्रयागराज। बेसिक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट खोलेंगे तो आपको इस विभाग की जानकारी नहीं, बल्कि बिहार में देसी गोपालन प्रोत्साहन योजना की खबर दिखेगी। लाडली योजना और मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड के परिणाम की खबर मिलेगी। ऐसा केवल इसी वेबसाइट के साथ नहीं है।


    समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय के लिंक पर दूसरी वेबसाइट खुल रही है। इन वेबसाइटों में सेंधमारी हो गई है। वेबसाइट https://basiceducation.up.gov.in के मुख्य पृष्ठ पर बेसिक शिक्षा निदेशालय, समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय, एससीईआरटी, बेसिक शिक्षा बोर्ड, मिड-डे मील और साक्षरता निदेशालय का लिंक दिया गया है। 


    इसमें से बेसिक शिक्षा और समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय पर क्लिक करते ही नया पेज खुलता है। उसमें इन विभागों के वेबसाइट से इतर यूपीईएफए डाट काम खुलता है। यह एक निजी वेबसाइट है, विसमें विभिन्न राज्यों की सरकारी योजनाओं से जुड़ी खबरें प्रस्वरित हो रही हैं। वेवसाइट ने अपने घोषणा पत्र में साफ-साफ लिखा है कि उसका सरकारी विभागों से कोई संबंध नहीं है। इसके बाद भी सरकारी वेबसाइट से इसका लिंक हो जाना और वहां खबरों का बेधड़क प्रसारण होना हैरतअंगेज है।  बेसिक शिक्षा विभाग की साइट पर विभाग की एक भी योजना का जिक्र नहीं होना भी चौकाता है। प्रेरणा पोर्टल का भी यही आलम है। यहां बेसिक शिक्षा का जो लिंक दिया गया है, उसे क्लिक करने पर कुछ और ही खुल रहा है।


    जिम्मेदारी से बच रहे अधिकारी

    बेसिक शिक्षा सचिव सुरेंद्र तिवारी ने विभागीय वेबसाइट पर सेंधमारी पर कड़ा कि इसका हमसे कोई लेना देना नहीं है। वेवस्वइट का संचालन सखनऊ से होता है।


    वेबसाइट में बाहरी कैसे आ घुसा, कराएंगे जांच

    बेसिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रताप सिंह बघेल भी वेबसाइट की हैकिंग से हैरत में हैं। उन्होंने कहा कि आपके जरिये यह बात संज्ञान में आई है। पहले विभाग की कई वेबसाइट थी, जिन्हें एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। सभी का नहीं लिंक दिया गया है। इसमें कैसे कोई और घुस गया, इसे चेक कराते हैं । ठीक भी कराएंगे।


    मामला संज्ञान में नहीं है। ऐसा है तो यह काफी संवेदनशील मुद्दा है। इसे तुरंत दिखवाकर ठीक किया जाएगा। विभाग की साइट पर कोई और प्रचार नहीं कर सकता है। -डॉ. शन्मुगा सुंदरम, प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग


    अपडेट: बेसिक शिक्षा निदेशालय के लिंक को सही कर दिया गया है। जबकि समग्र शिक्षा वाले लिंक पर अभी भी मध्य प्रदेश की योजनाओं का प्रचार जारी है। 👇

    माध्यमिक शिक्षकों की भी संबद्धता खत्म कराने की DGSE से मांग, राजकीय शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा से की मांग

    माध्यमिक शिक्षकों की भी संबद्धता खत्म कराने की DGSE से मांग, राजकीय शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा से की मांग



    लखनऊ। राजकीय शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर बेसिक की भांति माध्यमिक के शिक्षकों की भी विद्यालय से इतर संबद्धता समाप्त करने की मांग की है। क्योंकि इसकी वजह से राजकीय इंटर कॉलेजों की पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है।


    संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय ने कहा है कि सुल्तानपुर, अमेठी, हमीरपुर, प्रयागराज, कौशांबी, सोनभद्र, सिद्धार्थनगर, अंबेडकरनगर, मऊ व कुशीनगर आदि जिलों में शिक्षक अपने मूल विद्यालय से इतर संबद्ध हैं। प्रयागराज में एक बालिका इंटर कॉलेज में शिक्षकों की कमी से कक्षा 11 में छात्राओं की संख्या कम हो गई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी बेसिक शिक्षकों की संबद्धता समाप्त करने संबंधित आदेश, माध्यमिक के लिए भी जारी किया जाए। ताकि विद्यालयों में पठनपाठन सुचारू रूप से हो सके।

    Thursday, April 18, 2024

    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका

    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका

    🔴 परिषदीय स्कूलों से 'रिटर्न गिफ्ट' पा रहे निजी विद्यालय !

    🔴 आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति लोगों में विश्वास नहीं

    🔴 कक्षा एक में प्रवेश के लिए उम्र छह से कम न हो

    🔴 बच्चों के निजी स्कूलों में जाने की संभावना


    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका है। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का निजी स्कूल धड़ल्ले से नामांकन कर रहे हैं। इन स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी जैसी कक्षाओं के विकल्प मौजूद हैं लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों जिसे बाल वाटिका भी कहा जा रहा है, के प्रति अधिक विश्वास नहीं है।


    स्कूल शिक्षा महानिदेशक एवं शिक्षा निदेशक बेसिक ने नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में आदेश दिया है कि परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चे की आयु छह वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। किसी भी दशा में इनका प्रवेश नहीं हो सकता है। शिक्षक बताते हैं कि ऐसे तमाम बच्चों को वापस भेज दिया गया जिनकी उम्र छह वर्ष से चाहे कुछ दिन ही कम क्यों न रही हो। लोग कहते हैं कि जब तक जिम्मेदार चेतेंगे तब तक बड़ी संख्या में बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला करा चुके होंगे।


    इन आदेशों ने बढ़ाई शिक्षकों की मुश्किलेंः बिडंबना यह है कि नए सत्र के पहले सप्ताह में शिक्षकों ने गत वर्ष जारी आदेश के अनुसार उन बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश दे दिया जिनकी आयु एक जुलाई 2024 को छह वर्ष पूरी हो रही थी लेकिन 9 अप्रैल को सामने आए बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश में छह वर्ष की आयु पूरी होने की आधार तिथि एक जुलाई की बजाए एक अप्रैल कर दी गई। इससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि एक जुलाई के आधार पर जिन बच्चों का नामांकन कर लिया गया है, उन बच्चों के अभिभावकों को क्या जवाब दिया जाएगा।


    अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र ! 

    सरकार आंगनबाड़ी केन्द्रों को बाल वाटिका केन्द्र के रूप में विकसित कर रही है लेकिन लोगों के बीच आंगनबाड़ी केन्द्र अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र के रूप में ही चर्चित हैं।

    निजी स्कूल जहां प्री प्राइमरी कक्षाओं को प्ले ग्रुप, एलकेजी व यूकेजी के रूप में संचालित करते हैं तो वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में सिर्फ एक कार्यकत्री इतनी कक्षाओं को कैसे संचालित करेगी, इस पर भी सवाल हैं।

    प्राइमरी स्कूलों के नोडल शिक्षक अपनी कक्षा देखेंगे या आंगनबाड़ी केन्द्र, इस पर भी सवाल खड़े हैं। बहरहाल, अब देखना यह कि शिक्षा प्रशासन इस समस्या से कैसे निपटता है। यदि इस समस्या को बढ़ने दिया गया तो स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी और इसका खामियाजा सरकारी शिक्षा तंत्र को भुगतना पड़ेगा। सरकारी शिक्षा जगत में लोगों का विश्वास भी धीरे-धीरे कम होता जाएगा।



    प्री प्राइमरी क्लासेज के संचालन न होने से परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, प्राइवेट स्कूलों को मिलेगा लाभ

    सरकारी परिषदीय स्कूलों में घटेगा बच्चों का नामांकन,  निदेशक के आदेश पर शिक्षकों की नाराजगी


    लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए एक अप्रैल को बच्चा 6 साल का होना अनिवार्य है। इससे नीचे है तो उसका प्रवेश आंगनबाड़ी या फिर प्री- नर्सरी स्कूलों में लिया जायेगा।

    इस बारे में आदेश आने के बाद शिक्षकों ने नाराजगी जाहिर की है। शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में प्री नर्सरी कक्षाओं का संचालन नहीं होता है। ऐसे में ये बच्चे अगर प्राइवेट स्कूल में प्री नर्सरी में प्रवेश लेकर पढ़ने जाते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह लौटकर उनके यहां कक्षा-एक में प्रवेश लेंगे। 

    इसके बाद सरकारी सरकारी स्कूलों में नामांकन संख्या तेजी से घटेगी और इसका असर शैक्षिक सत्र 2024-25 में पंजीकृत होने वाले बच्चों का यू डायस पर डाटा फीडिंग के बाद दिखाई पड़ेगा। हालांकि, शिक्षक 2023 में जारी शासनादेश क भी हवाला दे रहे हैं। वहीं विभाग भी अपने निर्णय पर कायम है।

    शिक्षकों का कहना है कि 1 अप्रैल की जगह 31 जुलाई तक 6 साल पूरा करने वाले बच्चे को कक्षा-एक में प्रवेश लेने की अनुमति दी जानी चाहिए नहीं नामांकन संख्या स्कूलों में घटेगी। शिक्षक कहते हैं कि निदेशक के आदेश के मुताबिक, यदि कोई बच्चा जुलाई मई माह में भी 6 साल पूरा करता है तो नये आदेश के मुताबिक, उसके कक्षा-एक में प्रवेश लेने के लिए पूरे एक साल का इंतजार करना होगा।


    नौ अप्रैल को हटाई गई एक अप्रैल से प्रवेश आयु में मिली छूट

    • आठ अप्रैल तक छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में हुए प्रवेश से दुविधा में प्रधानाध्यापक

    • निदेशक बेसिक शिक्षा ने छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में प्रवेश नहीं लेने के दिए हैं निर्देश


    प्रयागराज : शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश को लेकर दो आदेश से प्रधानाध्यापक एवं असमंजस में हैं। प्रधानाध्यापकों ने एक अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिक सत्र में निर्धारित छह वर्ष की आयु के नियम को आदेशानुसार शिथिल करते हुए इससे कम आयु पर भी बच्चों के - प्रवेश लेने शुरू कर दिया है।

     कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने आयु शिथिल करते हुए - प्रवेश लेने के निर्देश अलग से जारी - किए। यह प्रक्रिया चल रही थी कि नौ अप्रैल को बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने आदेश जारी किया कि कक्षा एक में एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष आयु पूर्ण कर चुके बच्चों को ही प्रवेश दिया जाए। इससे कम आयु पर प्रवेश न किया जाए। अब प्रधानाध्यापक असमंजस में हैं कि आठ अप्रैल तक आयु सीमा शिथिल कर जिन बच्चों के प्रवेश ले लिए हैं, उनका क्या होगा।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं निपुण भारत मिशन के परिपेक्ष्य में कक्षा एक में न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित की गई है। वर्तमान शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 31 जुलाई 2024 के बीच जो बच्चे छह वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हैं, उन्हें निर्धारित आयु सीमा में शिथिलता प्रदान करते हुए सत्र के प्रारंभ में ही प्रवेश लेने की अनुमति प्रदान की गई है।

     कुछ बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के क्रम में परिषदीय स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया गतिमान होने के बीच बेसिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी बीएसए को नौ अप्रैल को आदेश जारी किया। इसमें निर्देश हैं कि एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन किसी भी दशा में न किया जाए। इसमें यह भी कहा कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन बाल वाटिका में किया जाए। इस आदेश से प्रधानाध्यापक दोहरे संकट में हैं।

    एक तो यह कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के हो चुके प्रवेश को लेकर क्या करें। फिलहाल, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का प्रवेश लेना प्रधानाध्यापकों ने बंद कर दिया है। दूसरा, यह कि निजी स्कूलों में छह वर्ष से कम आयु में प्रवेश पर अभिभावकों का रुझान उस ओर होने से परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या पर असर पड़ सकता है।



    परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

    लखनऊ : सूबे के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के आयु की बाध्यता होने से दाखिला प्रभावित हो रहा है। जबकि निजी स्कूलों में तीन वर्ष के बच्चे का नामांकन हो जाता है। शहर और गांव के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक घर-घर जाकर छह वर्षीय बच्चे खोज रहे हैं।


    बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों में एक अप्रैल 2024 को छह साल की आयु पूरा करने वाले बच्चों का कक्षा एक में नामांकन किया जा रहा है। उम्र की पुष्टि के लिए उनके पास आधार नंबर होना चाहिए। यदि यह नहीं है तो परिजनों का आधार कार्ड लगेगा। यदि बच्चे की उम्र छह साल से कम मिलती है तो उसका नामांकन नहीं होगा। ऐसे में परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।


    वहीं निजी स्कूलों में तीन साल की उम्र में ही बच्चों का नामांकन हो जाता है। कॉन्वेंट स्कूलों में पीजी, यूकेजी और एलकेजी में पढ़ाई करने के बाद कक्षा एक में प्रवेश लिया जाता है। जबकि प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ बालवाटिका की ही कक्षाएं संचलित की जा रही हैं। 


    नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

    बेसिक शिक्षा विभाग ने प्री प्राइमरी स्कूल (आंगनबाड़ी) में दाखिले की न्यूनतम उम्र तीन साल और कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम उम्र छह वर्ष निर्धारित की है। इस नियम के चलते अभिभावकों को निजी स्कूलों का रुख करना पड़ रहा है। अगर नियमों में ढील नहीं दी गई, तो सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में गिरावट आ जाएगी। 



    सत्र शुरू होने के बाद जिले से लेकर प्रदेश स्तर से जारी आदेशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश की उम्र को लेकर शिक्षक परेशान, जानिए क्यों हैं ऐसे हाल?

    कुछ बीएसए ही करवा रहे 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला, अभिभावकों की परेशानी कौन दूर करेगा?

    नया सत्र शुरू होने के बाद भी जारी हो रहे आदेेश 


    UP School Admission Age Row: यूपी के स्कूलों में दाखिले को लेकर विवाद गहरा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 6 साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूलों में एडमिशन कराने पर रोक है। इसके बाद भी बीएसए की ओर कम उम्र के बच्चों का दाखिला कराया जा रहा है। कड़े आदेश के बाद अभिभावकों की परेशानी बढ़ी हुई है।


    लखनऊ: कक्षा एक में छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाना है। इस बाबत केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश के कुछ जिलों में बीएसए ने 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। स्कूलों में दाखिले ले भी लिए गए हैं। अब शिक्षक और छात्र परेशान हैं कि जिनके दाखिले हो गए, उनका क्या होगा। पहले राइट टु एजुकेशन (आरटीई) में यही नियम था कि छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाएगा। अब नई शिक्षा नीति में एक बार फिर से इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।


    स्कूलों में दाखिले को लेकर लगातार जारी हो रहे आदेशों ने अभिभावकों को कंफ्यूज कर दिया है। पिछले साल भी केंद्र सरकार ने इस तरह के आदेश जारी किए थे। तब यह कहते हुए प्रदेश में छूट दे दी गई थी कि बच्चों का दाखिला हो चुका है। ऐसे में अगले साल से इसे सख्ती से लागू किया जाए। इस साल तो केंद्र सरकार ने फरवरी में ही इस बाबत आदेश जारी करके सभी राज्यों को सचेत कर दिया था कि छह साल से कम के बच्चों के दाखिले कक्षा एक में न किए जाएं। उसके बाद डीजी स्कूल शिक्षा ने भी इस बारे में आदेश जारी किए थे।


    एक अप्रैल से शुरू हुए एडमिशन
    प्रदेश में 1 अप्रैल से स्कूल खुले और स्कूल चलो अभियान शुरू हुआ। इसके बाद अलग-अलग जिलों में बीएसए ने अलग-अलग आदेश जारी कर दिए। बाराबंकी के बीएसए ने स्कूलों को आदेश दिए कि 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच जिन बच्चों की उम्र 6 साल हो रही है, उनका दाखिला ले लिया जाए। वहीं अयोध्या के बीएसए ने आदेश दिया है कि 5 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बच्चों का अनिवार्य तौर पर स्कूल में दाखिला करवाया जाए। कोई भी बच्चा छूटने न पाए। अब एक बार फिर बेसिक शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया है कि उन बच्चों का दाखिला ही कक्षा एक में किया जाए, जिनकी उम्र 1 अप्रैल को छह साल पूरी हो चुकी है।


    1 अप्रैल को 6 साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा एक में दाखिला लिया जाएगा। यह स्पष्ट निर्देश हैं। यदि कहीं बीएसए ने गलत आदेश दिए हैं तो उनसे स्पष्टीकरण लेकर कार्रवाई की जाएगी। –प्रताप सिंह बघेल, निदेशक-बेसिक शिक्षा


    बढ़ेगी छात्रों और शिक्षकों की परेशानी

    बीएसए के इन आदेशों के चलते ज्यादातर जिलों में स्कूल ऐसे बच्चों का दाखिला ले चुके हैं जिनकी उम्र 1 अप्रैल को 6 साल पूरी नहीं हुई है। इस बारे में बाराबंकी के शिक्षक निर्भय सिंह कहते हैं कि सत्र की शुरुआत से पहले ही यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए थी। अब जिनका दाखिला लो चुका है, उनको लेकर असमंजस है। इससे बच्चे, अभिभावकों और शिक्षकों की परेशानी बढ़ेगी। 

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह भी कहते हैं कि जिनका दाखिला ले लिया है, उनको निकालते हैं तो विवाद होगा। अफसर कुछ तय नहीं कर पाते और बाद में दोष शिक्षकों पर मढ़ दिया जाता है। कई स्कूलों में आगनबाड़ी केंद्र भी हैं। उनके बच्चों की उम्र कक्षा 6 में दाखिले के लिए पूरी नहीं हुई है तो उसका क्या करेंगे, इस बारे में भी स्पष्ट होना चाहिए।

    प्राइमरी स्कूलों में दाखिले की उम्र बढ़ाने से घटे बच्चे, एक अप्रैल को 6 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा एक में प्रवेश

    प्राइमरी स्कूलों में दाखिले की उम्र बढ़ाने से घटे बच्चे, एक अप्रैल को 6 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा एक में प्रवेश


    लखनऊ । प्राइमरी स्कूलों में दाखिले की उम्र बढ़ाने से छात्र-छात्राओं की संख्या कम हो गई। एक अप्रैल को छह वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा- एक में दाखिले के आदेश से बीते साल के मुकाबले 50 फीसदी बच्चे घटे हैं। बच्चों की संख्या लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में घट गई है। कुछ स्कूलों ने छह साल के भीतर वाले बच्चों के दाखिले ले लिये हैं। अब उनके दाखिले फंस गए हैं।


     बेसिक शिक्षक विभाग के स्कूल चलो अभियान के तहत बच्चों के नामांकन बढ़ाने के सारे जतन असफल साबित हो रहे हैं। शिक्षक घर-घर बच्चे खोज रहे हैं, छह साल वाले बच्चे नहीं मिल रहे हैं। अभिभावकों ने दाखिले निजी स्कूलों में करा दिये हैं। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने नौ अप्रैल को आदेश में निर्देश दिये कि कक्षा-एक में दाखिले के लिए उम्र एक अप्रैल को छह वर्ष होनी चाहिए।


    राजधानी में साल भर में स्कूलों में घट गए 25 हजार बच्चे

    लखनऊ में 1619 प्राइमरी स्कूलों में बीते वर्ष बच्चों की संख्या दो लाख के ऊपर थी। इस साल घटकर दो लाख के भीतर आ गई है। 16 अप्रैल तक नामांकित बच्चों की संख्या औसतन एक लाख 75 हजार है। बीते साल की तुलना में 25 हजार कम हो गई है। सबसे ज्यादा बच्चे कक्षा एक में घटे हैं।


    निजी स्कूलों में मां बाप ने कराए बच्चों के दाखिले

    प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के दाखिले न होने पर अभिभावकों ने निजी स्कूलों में दाखिला करा दिया है। कोई भी अभिभावक बच्चे को घर में नहीं बैठाना चाहता है। कई निजी स्कूल दो बच्चों के दाखिले पर एक बच्चे की फीस माफ कर दी है। ऐसे में शिक्षकों के सामने नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल है।

    यूपी बोर्ड : टॉपरों को मिले अंकों का कर रहे मिलान, रिजल्ट जल्द

    यूपी बोर्ड : टॉपरों को मिले अंकों का कर रहे मिलान, रिजल्ट जल्द

    ● हाईस्कूल-इंटरमीडिएट का परिणाम बनकर तैयार

    ● मेरिट में गड़बड़ी से बचने के लिए हो रहा परीक्षण

    प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 का परिणाम बनकर लगभग तैयार है। अगले सप्ताह 55 लाख से अधिक परीक्षार्थियों का परिणाम घोषित करने की तैयारी है। फिलहाल प्रदेश की मेरिट में शामिल टॉप टेन और जिले के टॉपर्स को मिले अंकों के मिलान का काम चल रहा है। मूल्यांकन पूरा होने के बाद बोर्ड परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाएं बोर्ड के प्रयागराज, वाराणसी, मेरठ, बरेली और गोरखपुर स्थित पांचों क्षेत्रीय कार्यालयों में भेज दी गई थीं।


    जहां मेधावियों की कॉपियां निकालकर उन्हें मिले अंकों का फिर से मिलान किया जा रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षकों ने शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है ताकि मेरिट सूची घोषित होने के बाद किसी प्रकार की विवाद की स्थिति पैदा न हो। पिछले साल बोर्ड परीक्षा की मेरिट सूची को लेकर विवाद हो गया था। मेरिट में एक बहन का नाम आने पर दूसरी बहन ने कम अंक मिलने पर आपत्ति जताई थी। परीक्षण करने पर आपत्ति सही मिली थी। हालांकि सगी बहन होने के कारण मामला रफादफा हो गया था। इस घटना से सीख लेते हुए बोर्ड के अफसर उत्तरपुस्तिकाओं का परीक्षण करा रहे हैं ताकि बाद में कोई असहज स्थिति पैदा न हो।


    अनुमति के बाद घोषित की जाएगी तारीख

    यूपी बोर्ड की परीक्षा का परिणाम कब घोषित होगा इसे लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार निर्वाचन आयोग और शासन की अनुमति मिलने के बाद परिणाम घोषित करने की तारीख जारी की जाएगी। वैसे बोर्ड के स्तर से परिणाम घोषित करने संबंधी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

    Wednesday, April 17, 2024

    दीक्षा पर अपलोड किये गये स्कूल रेडीनेस कोर्स 1, 2 और 3, देखें लिंक और कक्षा 1 के नोडल टीचर और प्रधानाध्यापक रजिस्ट्रेशन करके करें कोर्स पूरा

    दीक्षा पर अपलोड किये गये स्कूल रेडीनेस कोर्स 1, 2 और 3, देखें लिंक और कक्षा 1 के नोडल टीचर और प्रधानाध्यापक रजिस्ट्रेशन करके करें कोर्स पूरा

     

    🔴 Course-1 Link 


    🔴 Course-2 Link


    🔴 Coursel 3 Link 



    कोरोना काल के पश्चात परिवर्तित किए गए परिषदीय विद्यालयों के संचालन समय को पूर्ववत करने के सम्बन्ध में शिक्षक संघ की मांग

    कोरोना काल के पश्चात परिवर्तित किए गए परिषदीय विद्यालयों के संचालन समय को पूर्ववत करने के सम्बन्ध में  शिक्षक संघ की मांग




    DGSE से परिषदीय स्कूलों का समय साढ़े 7 से साढ़े 12 तक करने की मांग

    उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रांतीय संयोजक अपूर्व दीक्षित द्वारा महानिदेशक को एक पत्र द्वारा भीषण गर्मी व लू के चलते स्कूल समय परिवर्तन की मांग रखी। प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय कुमार कनौजिया ने बताया कि स्कूल सुबह 8 से 2 बजे तक है। भीषण गर्मी को देखते हुए विद्यालय का समय सुबह 7:30 से दोपहर 12:30 तक करने की बात रखी गई। 




    वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी में परिषदीय विद्यालयों में अध्यनरत बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के दृष्टिगत विद्यालयों के समय परिवर्तन के सम्बन्ध में PSPSA ने सीएम योगी से की मांग




    परिषदीय विद्यालयों के समय में परिवर्तन करने को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी लिखा शासन को पत्र




    कोरोना काल के पश्चात परिवर्तित किए गए परिषदीय विद्यालयों के संचालन समय को पूर्ववत करने के सम्बन्ध में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की सीएम योगी से मांग


    मई के पहले सप्ताह में आ सकता है CBSE बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम

    मई के पहले सप्ताह में आ सकता है CBSE बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम


    प्रयागराज। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का परिणाम मई के पहले सप्ताह में आ सकता है। इसके लिए तैयारी चल रही है। अब तक हाईस्कूल की कॉपियों का मूल्यांकन पूरा हो चुका है। इंटरमीडिएट की कॉपियों के मूल्यांकन हफ्तेभर में पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद परिणाम जारी कर दिया जाएगा।


    सीबीएसई बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होकर 13 मार्च को खत्म हो गई थी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 15 फरवरी से दो अप्रैल तक चली थी। हाईस्कूल की परीक्षा खत्म होने के बाद मूल्यांकन काम शुरू हो गया था।


    इंटरमीडिएट की परीक्षा देर तक दो अप्रैल तक चली। इसलिए अब तक इसकी कॉपियों का मूल्यांकन नहीं हो सका है। कई केंद्रों पर मूल्यांकन का काम चल रहा है। अधिकारियों ने बताया कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परिणाम एक साथ जारी किया जाएगा। पिछले वर्ष सीबीएसई का परिणाम 12 मई को जारी किया था।

    Tuesday, April 16, 2024

    NCERT : नई किताबें आने तक स्कूलों में पढ़ाया जाएगा ब्रिज कोर्स, वेबसाइट पर पाठ्यक्रम जारी, शिक्षकों को दिया गया ऑनलाइन प्रशिक्षण

    एनसीईआरटी के पास किताबों की कमी, निजी प्रकाशकों की चांदी

    प्रयागराज। स्कूलों में नया सत्र शुरू होने के साथ ही बाजार में मांग के अनुरूप राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें उपलब्ध नहीं हैं। किताबों के लिए बच्चे दुकान-दुकान भटक रहे हैं। हालात यह है कि पुस्तकों के थोक विक्रेता ने एनसीईआरटी की किताबों के लिए 10 लाख का ऑर्डर दिया था तो उन्हें दो लाख की किताबें मिली हैं। 

    एनसीईआरटी की लापरवाही से किताबें नहीं मिल पा रही हैं। इसका फायदा एक बार फिर निजी प्रकाशक उठा रहे हैं। नया सत्र शुरू होने के साथ ही निजी प्रकाशकों की किताबें बाजार में आ गई हैं। दूसरी ओर एनसीईआरटी की किताबें बाजार में कम मिल रही हैं। 



    NCERT : नई किताबें आने तक स्कूलों में पढ़ाया जाएगा ब्रिज कोर्स, वेबसाइट पर पाठ्यक्रम जारी, शिक्षकों को दिया गया ऑनलाइन प्रशिक्षण


    प्रयागराज। नया सत्र शुरू हो गया है। स्कूल खुले एक पखवाड़ा बीत गया है, लेकिन अब तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा तीन और छह की पुस्तकें बाजार में नहीं आई हैं। इन कक्षाओं का पाठ्यक्रम इस बार बदल दिया गया है। पाठ्यक्रम बदलने के बाद नई किताबें नहीं छप पाई हैं। ऐसे में इन कक्षाओं के बच्चों को ब्रिज कोर्स पढ़ाया जा रहा है।


    एनसीईआरटी की ओर से कक्षा तीन और छह की किताबें बदलने की घोषणा कुछ महीने पहले हुई थी। नया सत्र शुरू होने के साथ किताबें बाजार में आ जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए बदलाव किया जा रहा है। बच्चों पर पाठ्यपुस्तकों का बोझ कम करने का भी प्रयास चल रहा है। इन किताबों में क्या-क्या बदलाव किया गया है, अब तक इसे भी स्पष्ट नहीं किया गया है।


     इसलिए एनसीईआरटी ने इन दोनों कक्षाओं में पढ़ाई के लिए ब्रिज कोर्स जारी किया है। एनसीईआरटी की वेबसाइट पर ब्रिज कोर्स का लिंक भी दिया गया है। शिक्षकों ने उसे डाउनलोड कर लिया और पढ़ाना शुरू कर दिया है।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा सत्र 2024-25 का तिथिवार एकेडमिक कैलेंडर जारी, करें डॉउनलोड Download Academic Calander MSP

    शैक्षणिक कैलेंडर में यूपी बोर्ड सचिव ने दिए निर्देश, NEP लागू करने को स्कूल बनाएंगे प्लान

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर स्कूलों में होगी कार्यशाला, स्कूल प्लान में विद्यालय स्तर की गतिविधियां होंगी


    प्रयागराज । यूपी बोर्ड से जुड़े 27 हजार से अधिक स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू करने के लिए स्कूल स्तर पर योजना बनाई जाएगी। शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए 12 अप्रैल को जारी एकेडमिक कैलेंडर में सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने निर्देश दिया है कि एनईपी 2020 के विषय में विद्यालयों में कार्यशाला का आयोजन किया जाए।


    साथ ही प्रत्येक विद्यालय में एनईपी के क्रियान्वयन के संबंध में स्कूल प्लान विकसित किया जाए जिसमें स्कूल स्तर पर आयोजित की जाने वाली गतिविधियों को सम्मिलित किया जाए।  एनईपी को लागू करने में स्कूलों की अहम भूमिका होने जा रही है। नीति में स्कूल परिसर (क्लस्टर) की अवधारणा है जिसमें साधन संपन्न एक माध्यमिक विद्यालय अपने पांच से दस किलोमीटर दायरे में आंगनबाड़ी केंद्रों सहित अपने पड़ोस में निचले ग्रेड की पेशकश करने वाले अन्य सभी विद्यालय का नेतृत्व करेगा।


    यह सुझाव 1964-66 में शिक्षा आयोग ने दिया था लेकिन लागू नहीं किया गया था। इस स्कूल परिसर (क्लस्टर) का उद्देश्य अधिक संसाधन दक्षता और क्लस्टर में स्कूलों के अधिक प्रभावी कामकाज, समन्वय, नेतृत्व, शासन और प्रबंधन करना है। स्कूल कॉप्लेक्स/क्लस्टर व्यवस्था से विद्यार्थियों का गवर्नेस भी सुधरेगा और अधिक कुशल बनेंगे।

    यह पहला मौका है जब एकेडमिक कैलेंडर में एनईपी के क्रियान्वयन की चरणबद्ध तरीके से स्कूलों में लागू हो रही है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्कूलों को प्लान बनाने के निर्देश दिए गए हैं। दिब्यकांत शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड



    यूपी बोर्ड के स्कूलों में नया सवेरा डिजिटल ज्ञान का खुलेगा भंडार, नए कैलेंडर में बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर की गई पहल

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड के विद्यालयों में नया सवेरा होगा। नए सत्र में विद्यालयों में नया सवेरा के तहत संस्कार, नैतिक शिक्षा, मूल्यों का पाठ पढ़ाया जाएगा। डिजिटल ज्ञान का भी भंडार खुलेगा। डिजिटल लिट्रेसी को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक बच्चे की ई-मेल आईडी बनवाई जाएगी। इसके व्यावहारिक प्रयोग के बारे में उनको सिखाया जाएगा।


    इसके तहत सप्ताह में दो दिन शिक्षाधिकारियों को विद्यालयों की प्रातःकालीन सभा में पहुंचना होगा। उन्हें बच्चों से कॅरिअर, नियमित दिनचर्या, अनुशासन व प्रासंगिक विषयों पर प्रेरक संवाद करने होंगे। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यूपी बोर्ड ने शैक्षिक कैलेंडर जारी किया है।


    नए कैलेंडर के अनुसार अब प्रार्थना के 15 मिनट समय आरक्षित किया गया है। प्रार्थना के दौरान प्रतिदिन प्रासंगिक विषयों पर बच्चों को जानकारी देनी होगी। हँड्स ऑन एक्टीविटीज एवं एक्सपीरियंस लर्निंग विधा को गणित एवं विज्ञान विषय में लागू करने के लिए सप्ताह में दो दिन निर्धारित किए जाएंगे। हर विद्यालय में लाइब्रेरी अनिवार्य है।  माध्यमिक शिक्षा परिषद् (उ.प्र) के विद्यालयों में ई-बुक्स उपलब्ध रहेगी। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए स्कूल प्लान विकसित किया जाएगा।


    कॉन्वेंट विद्यालयों की तर्ज पर समर कैंप आयोजित किए जाएंगे। इसमें बच्चों की रुचि के अनुसार उनको गीत, नृत्य, सिलाई, कढ़ाई, लेखन, चित्रकला, रंगोली, नाटक भी सिखाया जाएगा। यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल बताते हैं कि अब शिक्षकों को डायरी भी उपलब्ध कराई जाएगी। उसमें शिक्षण योजना का उल्लेख करना होगा और उसे प्रधानाचार्य नियमित चेक करेंगे। इस सत्र में कक्षा नौ और 10 की परीक्षा में 30 अंक के बहुविकल्पीय और 70 अंक के लिखित प्रश्न होंगे। सभी विद्यालयों में पर्यावरण क्लव बनाया जाएगा। इस क्लब के लिए प्रत्येक कक्षा के कुछ छात्र-छात्राओं को पर्यावरण मित्र बनाया जाएगा।


    विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस 21 अगस्त को मनाया जाएगा। अर्द्धवार्षिक परीक्षा सितंबर में कराई जाएगी। खेलकूल, एनसीसी, स्काउटिंग आदि की रूपरेखा जुलाई में तैयार कर लेनी है। महापुरुषों की जयंती पर स्कूलों में निबंध, पोस्टर और वाद विवाद प्रतियोगिता कराई जाएगी, जिससे उनके जीवन से जुड़े प्रसंगों और योगदान की जानकारी बच्चों को रहे। बालिकाओं की सुरक्षा की उद्देश्य से शक्ति मंच का गठन किया जाएगा। समय समय पर स्कूलों में हेल्थ कैंप आयोजित किए जाएंगे। यूपी दिवस पर 24 जनवरी को जिला, मंडल और प्रदेश स्तर की प्रतियोगिता होगी। बच्चों को ओडीओपी की जानकारी दी जाएगी।


    विद्यालयों की बनेगी वेबसाइट

    प्रदेशभर के 27 हजार विद्यालय यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। इसमें अधिकतर विद्यालय वित्तविहीन हैं। सभी विद्यालयों की अपनी वेबसाइट होनी चाहिए। इसके लिए यूपी बोर्ड से पिछले वर्ष ही निर्देशित किया गया था। अब तक सभी विद्यालयों की वेबसाइट नहीं बनी है। अब नए कैलेंडर में इसका उल्लेख किया गया है। सचिव ने निर्देश दिया कि जुलाई- अगस्त 2024 तक सभी विद्यालय वेबसाइट का कार्य पूर्ण करवा लें।



    यूपी बोर्ड का सलाना शैक्षणिक कैलेंडर जारी, शनिवार को कॅरिअर गाइडेंस, बोर्ड परीक्षा फरवरी में कराने की योजना

    नई शिक्षा नीति के अनुसार कार्यक्रम निर्धारित

    प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) का वार्षिक कैलेंडर शुक्रवार को जारी कर दिया गया है। इस बार नई शिक्षा नीति के अनुसार कई बदलाव किए गए हैं। अब हर शनिवार को सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों के साथ ही कॅरिअर गाइडेंस कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कैलेंडर में महीनेवार गतिविधियां तय की गई हैं।

    सत्र 2024-25 एक अप्रैल से शुरू हो गया है। प्रतिदिन सुबह प्रार्थना में शिक्षकों और विद्यार्थियों को सुविचार प्रस्तुत करना होगा। सर्वश्रेष्ठ सुविचार देने वाले को माह के अंत में सम्मानित करना होगा। नए सत्र में नया सवेरा कार्यक्रम होगा। इसमें विद्यार्थियों को जीवन मूल्यों, अनुशासन आदि के बारे में बताया जाएगा। कक्षा नौ से 12 तक के प्रत्येक विद्यार्थी का करियर गाइडेंस पोर्टल पंख पर पंजीकरण करवाया जाएगा। मई के तीसरे सप्ताह और अन्य महीनों के अंतिम सप्ताह में मासिक टेस्ट होगा। मासिक टेस्ट में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाएंगे।

    अर्द्धवार्षिक परीक्षा अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में होगी। जनवरी प्रथम सप्ताह तक सभी कक्षाओं का पाठ्यक्रम पूरा करना होगा। इसके दूसरे सप्ताह में कक्षा 12 की प्री बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षा, तृतीय सप्ताह में 10वीं और 12वीं की प्री बोर्ड लिखित परीक्षा होगी।

    जनवरी के अंतिम सप्ताह में नौवीं और 11वीं की वार्षिक परीक्षा होगी। उसके बाद फरवरी में इसका परिणाम आ जाएगा। वहीं, बोर्ड की प्रयोगात्मक परीक्षा 21 जनवरी से पांच फरवरी तक और लिखित परीक्षा फरवरी में होगी। यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि सभी कक्षाओं के लिए निर्धारित मासिक पाठ्यक्रम उसी माह पूर्ण करेंगे।



    माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा सत्र 2024-25 का तिथिवार एकेडमिक कैलेंडर जारी, करें डॉउनलोड 
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    10वीं, 12वीं में फेल छात्रों को उसी स्कूल की नियमित कक्षा में दाखिला, पढ़ाई की बाधाएं दूर करेंगे शिक्षक

    बोर्ड में फेल लाखों छात्रों की नहीं रुकेगी पढ़ाई, मिलेगा प्रवेश

    नियमित छात्र के रूप में कक्षाएं, मार्कशीट में दर्ज नहीं होगा फेल

    फेल छात्रों को प्रवेश नहीं देते हैं निजी स्कूल, प्राइवेट देते हैं परीक्षा


    नई दिल्ली: दसवीं और बारहवीं में फेल होने वाले छात्रों से स्कूल अब किनारा नहीं कर सकेंगे। न ही उन्हें नियमित छात्र के रूप में दाखिला देने से मना कर पाएंगे। शिक्षा मंत्रालय ने दसवीं और बारहवीं में फेल होने वाले छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए पहल तेज की है। इसके तहत स्कूल उन्हें नियमित छात्र के रूप में दाखिला देंगे और उनके लिए नियमित कक्षाएं भी आयोजित कराऐंगे। वहीं उन्हें दिए जाने वाले प्रमाण पत्रों में भी कहीं भी उनके फेल होने या फिर एक्स छात्र जैसा कोई जिक्र भी नहीं रहेगा।

    शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल उस समय तेज की है, जब देश में हर साल औसतन 46 लाख छात्र दसवीं और बारहवीं में फेल हो जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में दसवीं में 27.47 लाख और बारहवीं में 18.63 लाख छात्र फेल हुए थे। इनमें से अधिकांश राज्यों में छात्रों को नियमित छात्र के रूप में दाखिला नहीं दिया गया। ऐसे में फेल होने वाले करीब 55 प्रतिशथ छात्रों ने दोबारा कहीं भी दाखिला नहीं लिया। इन छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी और दूसरे काम-धंधों में लग गए। मंत्रालय का मानना है कि यदि फेल होने वाले इन छात्रों पर ध्यान दिया जाए, तो इनमें से अधिकांश पढ़ाई जारी रख सकते हैं और अपने भविष्य को नए सिरे से संवार सकते हैं।

    मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आंध्र प्रदेश ने दसवीं और बारहवीं में फेल होने वाले छात्रों के लिए कुछ ऐसी ही पहल की है। अब से उन्हें स्कूलों में फेल होने के बाद फिर से नियमित छात्र के रूप में दाखिला दिया जा रहा है। मंत्रालय का मानना है कि स्कूली छात्रों के तैयार किए जा रहे पहचान पत्र से इसमें और आसानी होगी। क्योंकि इसके जरिये छात्रों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को जल्द ही निर्देश जारी करने की तैयारी है।


    10वीं, 12वीं में फेल छात्रों को उसी स्कूल की नियमित कक्षा में दाखिला, पढ़ाई की बाधाएं दूर करेंगे शिक्षक


    नई दिल्ली। अब फेल होने पर छात्र को प्राइवेट उम्मीदवार की तरह घर में रहकर पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है। उसे उसी स्कूल की नियमित कक्षा में दोबारा दाखिला मिलेगा। शिक्षक ऐसे बच्चों की भाषा और विषय की दिक्कतों को दूर करेंगे और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।


    10वीं और 12वीं कक्षा में  करीब 46 लाख छात्र फेल होते हैं। शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत राज्यों के साथ मिलकर वर्ष 2030 तक 100 फीसदी स्कूली साक्षरता का लक्ष्य पूरा करने की योजना तैयार की है और इसके लिए आंध्र प्रदेश के शिक्षा मॉडल को बेहतर माना है।

    शिक्षा राज्यों का विषय होता है, इसीलिए मंत्रालय ने सभी राज्यों से आंध्र की तरह योजना बनाकर अपने प्रदेश की शिक्षा में सुधार लाने को कहा है। दरअसल, देशभर के स्कूल शिक्षा बोर्ड में फेल शब्द को स्कूली शिक्षा की पढ़ाई बीच में छोड़ने का सबसे बड़ा कारण माना गया है। वर्ष 2024 में 10वीं में करीब 34 लाख छात्र फेल हुए हैं। जबकि वर्ष 2022-23 में 1.89 करोड़ से अधिक छात्र कक्षा 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें से 1.60 करोड़ से अधिक पास और करीब 29 लाख से अधिक फेल थे। देशभर में 10वीं कक्षा में ड्रॉपआउट प्रतिशत 2021-22 में 20.6 प्रतिशत था, जबकि 2018-19 में 28.4 फीसदी था और अब यह 21 प्रतिशत है।



    10वीं में 27.50, 12वीं में 18.50 लाख छात्र हुए थे असफल

    राज्यों और सीबीएसई के स्कूलों में वर्ष 2022-23 में दसवीं में 27.50 लाख से अधिक और 12वीं कक्षा में 18.50 लाख से अधिक छात्र फेल हुए थे। स्कूलों में मनमाने नियमों के कारण ऐसे ज्यादातर छात्रों को दोबारा नियमित कक्षा में दाखिला ही नहीं मिला। स्कूलों को अपना रिजल्ट बेहतरीन की होड़ लगी हुई है। ऐसे में कमजोर छात्रों को जब स्कूल दाखिला नहीं देते हैं तो उन्हें प्राइवेट छात्र के रूप में अलग से परीक्षा देनी होती है। 

    इन सबके कारण छात्र घर में बैठकर खुद या प्राइवेट कोचिंग लेकर तैयारी करता है। इसके बाद करीब पांच लाख छात्र ही ओपन स्कूल बोर्ड में शामिल होकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं। नियमित कक्षा में सहपाठियों के साथ पढ़ने का मौका न मिलने के कारण उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है और वे पिछड़ते चले जाते हैं। इसी कारण फेल के बाद पास होने वाले छात्रों का आंकड़ा भी बेहद कम है।


    यूपी बोर्ड: अगले सप्ताह की शुरुआत में घोषित हो सकता है परिणाम, अंतिम चरण में हाईस्कूल और इंटर के परिणाम की तैयारी

    यूपी बोर्ड: अगले सप्ताह की शुरुआत में घोषित हो सकता है परिणाम, अंतिम चरण में हाईस्कूल और इंटर के परिणाम की तैयारी

    • अंकों के मिलान के बाद फाइनल रूप देने में जुटे अधिकारी

    प्रयागराजः यूपी बोर्ड की वर्ष 2024 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम तैयार किए जाने की प्रक्रिया अब अंतिम दौर में है।


    बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल के निर्देश पर क्षेत्रीय अपर सचिवों ने मूल्यांकन के दौरान परीक्षकों द्वारा परीक्षार्थियों को दिए गए अंकों का मिलान करा लिया है। अब परीक्षाफल को अंतिम रूप देने में बोर्ड के अधिकारी जुटे हुए हैं। बोर्ड पिछले वर्ष 25 अप्रैल को घोषित किए गए परीक्षाफल से पहले इस बार परिणाम घोषित करने की तैयारी में हैं। तेजी से तैयारी को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले सप्ताह की शुरुआत में परीक्षाफल घोषित किया जा सकता है।

    यूपी बोर्ड की परीक्षा 22 फरवरी से नौ मार्च के बीच 12 कार्यदिवस में संपन्न कराकर बोर्ड सचिव ने उतने ही कार्यदिवस में 16 से 30 मार्च के मध्य मूल्यांकन पूर्ण कराया। मूल्यांकन कार्य निर्धारित तिथि 31 मार्च से एक दिन पहले पूर्ण कराकर बोर्ड ने पिछले वर्ष से भी पहले इस बार परीक्षाफल घोषित किए जाने के संकेत दे दिए हैं। मूल्यांकन कार्य प्रदेश के 259 मूल्यांकन केंद्रों पर संपन्न कराया गया।

    मूल्यांकन के आधार पर परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं पर दिए गए अंकों का मिलान अवार्ड ब्लैंक से करा लिया गया है। इस तरह परीक्षाफल घोषित करने के पहले सभी परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में पहुंचा दी गई हैं, ताकि परीक्षाफल घोषित किए जाने के बाद स्क्रूटनी के लिए परीक्षार्थी आवेदन कर सकें और कापियों में पर दिए गए अंकों का परीक्षण किया जा सके। वर्ष 2024 की परीक्षा में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट को मिलाकर कुल 55,25,308 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे, जिसमें से 51,99,308 सम्मिलित हुए।

    NCERT : नई किताबें आने तक स्कूलों में पढ़ाया जाएगा ब्रिज कोर्स, वेबसाइट पर पाठ्यक्रम जारी, शिक्षकों को दिया गया ऑनलाइन प्रशिक्षण

    NCERT : नई किताबें आने तक स्कूलों में पढ़ाया जाएगा ब्रिज कोर्स, वेबसाइट पर पाठ्यक्रम जारी, शिक्षकों को दिया गया ऑनलाइन प्रशिक्षण


    प्रयागराज। नया सत्र शुरू हो गया है। स्कूल खुले एक पखवाड़ा बीत गया है, लेकिन अब तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा तीन और छह की पुस्तकें बाजार में नहीं आई हैं। इन कक्षाओं का पाठ्यक्रम इस बार बदल दिया गया है। पाठ्यक्रम बदलने के बाद नई किताबें नहीं छप पाई हैं। ऐसे में इन कक्षाओं के बच्चों को ब्रिज कोर्स पढ़ाया जा रहा है।


    एनसीईआरटी की ओर से कक्षा तीन और छह की किताबें बदलने की घोषणा कुछ महीने पहले हुई थी। नया सत्र शुरू होने के साथ किताबें बाजार में आ जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए बदलाव किया जा रहा है। बच्चों पर पाठ्यपुस्तकों का बोझ कम करने का भी प्रयास चल रहा है। इन किताबों में क्या-क्या बदलाव किया गया है, अब तक इसे भी स्पष्ट नहीं किया गया है।


     इसलिए एनसीईआरटी ने इन दोनों कक्षाओं में पढ़ाई के लिए ब्रिज कोर्स जारी किया है। एनसीईआरटी की वेबसाइट पर ब्रिज कोर्स का लिंक भी दिया गया है। शिक्षकों ने उसे डाउनलोड कर लिया और पढ़ाना शुरू कर दिया है।


    एनसीईआरटी के पास किताबों की कमी, निजी प्रकाशकों की चांदी

    प्रयागराज। स्कूलों में नया सत्र शुरू होने के साथ ही बाजार में मांग के अनुरूप राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें उपलब्ध नहीं हैं। किताबों के लिए बच्चे दुकान-दुकान भटक रहे हैं। हालात यह है कि पुस्तकों के थोक विक्रेता ने एनसीईआरटी की किताबों के लिए 10 लाख का ऑर्डर दिया था तो उन्हें दो लाख की किताबें मिली हैं। 

    एनसीईआरटी की लापरवाही से किताबें नहीं मिल पा रही हैं। इसका फायदा एक बार फिर निजी प्रकाशक उठा रहे हैं। नया सत्र शुरू होने के साथ ही निजी प्रकाशकों की किताबें बाजार में आ गई हैं। दूसरी ओर एनसीईआरटी की किताबें बाजार में कम मिल रही हैं। संवाद

    Monday, April 15, 2024

    PEN नंबर से विद्यार्थियों को मिलेगी विशिष्ट पहचान, फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम

    PEN नंबर से विद्यार्थियों को मिलेगी विशिष्ट पहचान, फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम
     

    सूबे के सभी मान्यता प्राप्त, शासकीय, अशासकीय, परिषदीय और निजी विद्यालयों में पंजीकृत कक्षा एक से 12 तक के विद्यार्थियों की अब पेन (परमानेंट एजुकेशनल नंबर) से पहचान होगी। विद्यार्थियों की टीसी पर उनका पेन और विद्यालय का यू-डायस कोड भी दर्ज किया जाएगा। इससे विद्यार्थी का विवरण ऑनलाइन देखा जा सकेगा। इससे शिक्षा जगत में होने वाले कई तरह के फर्जीवाड़ों पर रोक लगेगी।

    अब विद्यार्थियों को टीसी, परीक्षा के दौरान प्रवेश पत्र में त्रुटियां और बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाई जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सभी विद्यार्थियों का परमानेंट एजुकेशन नंबर जारी किया जाएगा। इसी के आधार पर विद्यार्थियों का सारा विवरण आसानी से प्राप्त हो जाएगा। साथ ही बिना मान्यता प्राप्त संचालित हो रहे स्कूलों पर भी लगाम लगेगी।

    भारत सरकार के यू-डायस पोर्टल पर कक्षा एक से 12 तक सभी विद्यार्थियों का विवरण अपलोड कराया गया है। इसमें विद्यार्थी का नाम, पिता, माता का नाम, जन्मतिथि, आधार नंबर, अभिभावक व विद्यार्थी का बैंक खाता आदि का विवरण शामिल है।

    विद्यार्थी का यू-डायस पोर्टल पर विवरण अपलोड होने के बाद उसका परमानेंट एजुकेशनल नंबर जारी हो जाएगा। इसी पेन नंबर से ही ऑनलाइन टीसी जारी करने की व्यवस्था शुरू होगी। इससे देश में किसी भी विद्यार्थी का यू-डायस कोड व पेन नंबर से विवरण देखा जा सकता है।



    विद्यार्थियों का बनेगा पर्सनल एजुकेशन नंबर, प्राथमिक और माध्यमिक विभाग ने तैयारी शुरू की

    कक्षा एक से इंटर तक के विद्यार्थियों का पर्सनल एजुकेशन नंबर (पेन) जारी किया जाएगा। विद्यार्थियों की टीसी (स्थानांतरण प्रमाण पत्र) पर पेन और विद्यालय का यू-डायस कोड भी दर्ज किया जाएगा। शासन से आदेश आने के बाद प्राथमिक और माध्यमिक विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।

    बिना मान्यता के विद्यालयों के संचालित होने और एक ही विद्यार्थी का दो स्कूलों में नामांकन होने का मामला शिक्षा विभाग के सामने आता रहता है। ऐसे में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए अब विद्यार्थियों को पेन ( पर्सनल एजुकेशन नंबर) जारी करने का आदेश दिया गया है। 

    नए शैक्षिक सत्र 2024 के लिए पेन नंबर की तैयारी तेज कर दी गई है। इसमें यू-डायस पोर्टल पर विद्यार्थियों की आईडी तैयार की जाएगी। विद्यार्थियों से जुड़ी सभी जानकारी इस नंबर से देखी जा सकेगी।

    विद्यार्थियों के विवरण स्वास्थ्य, कद, ब्लड ग्रुप के साथ शैक्षिक विवरण से जुड़ी जानकारी इसमें रहेगी। शासन से आदेश आने के बाद विभाग ने विद्यालयों को निर्देश जारी कर दिया है। 

    विद्यार्थियों का पेन जारी किया जाएगा। यू डायस पोर्टल पर यह नंबर डालते ही उनसे जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध हो जाएंगी। इससे फर्जीवाड़ा रोकने में आसानी होगी। एक ही बच्चे का दो जगह नामांकन नहीं किया जा सकेगा।


    यूपी : अब कक्षा एक से इंटर तक के विद्यार्थियों के लिए 'पेन' अनिवार्य, प्रदेश में लागू कराने के लिए आदेश जारी


    लखनऊ : अब कक्षा एक से इंटरमीडिएट तक के विद्यार्थियों का पर्सनल एजुकेशन नंबर (पेन) अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश को प्रदेश में लागू कराने के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं। 

    स्कूली शिक्षा महानिदेशालय की ओर से सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों व जिला विद्यालय निरीक्षकों को इसे बनवाने के निर्देश दिए गए हैं। पेन के बिना विद्यार्थियों की गणना किसी भी प्रकार के शैक्षिक सरकारी रिकार्ड में नहीं हो स्कूलों सकेगी। शैक्षिक सरकारी रिकार्ड में नाम न होने के कारण विद्यार्थियों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) नहीं मिल सकेगी। छात्रवृत्ति व अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो जाएंगे। 


    यही नहीं, शासकीय प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा व मान्य में पंजीकरण नहीं हो सकेगा। ऐसे में सरकारी , अशासकीय सहायता प्राप्त ऐडेड स्कूलों व निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए यह बहुत जरूरी है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से परिषदीय में पढ़ रहे 1.96 करोड़ विद्यार्थियों का पेन बनाने के लिए यू-डायस प्लस पोर्टल पर प्रोफाइल अपडेट करने के निर्देश सभी बीएसए को दिए गए हैं।



    PEN : प्रदेश में पर्सनल एजुकेशन नंबर बनाने की प्रक्रिया हुई तेज

    लखनऊ। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के क्रम में प्रदेश में भी कक्षा एक से 12वीं तक के विद्यार्थियों की पर्सनल एजुकेशन नंबर (पेन) को अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें कहा गया है कि पेन के बिना विद्यार्थियों की गिनती किसी शैक्षिक रिकॉर्ड में नहीं की जाएगी। इसे लेकर जिला स्तर पर कवायद तेज हो गई है। 

    जानकारी के अनुसार विभाग की ओर से सभी बीएसए व डीआईओएस को इसे बनवाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बिना विद्यार्थियों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं मिल सकेगा। यह भी कहा जा रहा है कि विद्यार्थी छात्रवृत्ति या अन्य सरकारी योजनाओं से भी लाभान्वित नहीं हो पाएंगे। ऐसे में सरकारी स्कूलों के साथ-साथ एडेड व निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए भी यह जरूरी है। 

    देवरिया, गोंडा, सीतापुर आदि जिलों में बीएसए की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि यू-डायस पोर्टल पर विद्यार्थी का प्रोफाइल, नामांकन प्रोफाइल दर्ज किए जाएं। 



    अब परमानेंट एजुकेशन नम्बर की मदद से फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक, यू-डाइस के जरिए विद्यार्थीयों  को PEN नंबर होगा अलॉट 

    Permanent education number अब फर्जी डिग्री का उपयोग कर नौकरी लगने वाले लोगों का भंडाफोड़ किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय पैन कार्ड के समान छात्रों को परमानेंट एजुकेशन नम्बर (permanent education number, PEN) देने की योजना बनाई गईं है।

    इन कार्ड में छात्रों की शैक्षणिक सम्बन्धी सभी विवरण शामिल होंगे। यू-डाइस (यूनिफाइड़ डिस्ट्रिक इनफॉर्मेशन सिस्टम फोर एजुकेशन) के जरिए ये नंबर तैयार किया जा रहा है। PEN के माध्यम से फर्जी मार्कशीट से नौकरी पर अंकुश लग सकेगा। वहीं सरकारी योजनाओं में फर्जी तरीके से लाभ लेने की सूचना मिलती है

    इस पर भी पाबंदी लग सकेगी। क्योंकि केवल एक नम्बर के माध्यम से ही विद्यार्थी की सभी प्रकार की सूचनाएं पोर्टल के माध्यम से देखी जा सकेंगी। विद्यार्थियों की 53 प्रकार की सूचनाएं संग्रहित रहेंगी। इसमें विद्यार्थियों की हेल्थ, हाइट, ब्लड ग्रुप व वजन आदि की जानकारी भी रहेगी। 



    टीसी के साथ नहीं मिल पा रहा PEN (Permanent Education Number), जानिए क्यों जरूरी है यू-डायस और पेन नंबर?

    नए सत्र में अभिभावकों के लिए एक स्कूल से दूसरे स्कूल में बच्चे का प्रवेश करवाना मुश्किल होता जा रहा है। इस तरह के प्रवेश के लिए ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) के साथ परमानेंट एजुकेशन नंबर (PEN) भी जरूरी है। ज्यादातर स्कूल टीसी पर PEN दर्ज नहीं कर रहे, जबकि नए स्कूल में PEN के बिना प्रवेश नहीं हो रहा। ऐसे में अभिभावक टीसी मिलने के बाद भी प्रवेश के लिए चक्कर काटने को मजबूर हैं। 


    स्कूलों में प्रवेश के लिए बीते सत्र से परमानेंट एजुकेशन नंबर अनिवार्य हो गया है। इसके लिए स्कूलों को अपने यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का रेकॉर्ड यू-डायस पर चढ़ाना होता है। इससे उनका परमानेंट एजुकेशन नंबर जनरेट होता है, लेकिन स्कूल टीसी के साथ स्टूडेंट का परमानेंट एजुकेशन नंबर नहीं दे रहे। 


    माध्यमिक विद्यालयों, सीबीएसई और सीआईएससीई स्कूलों को अभी तक टीसी पर यू-डायस कोड और पेन दर्ज करने का लिखित आदेश भी जारी नहीं हुआ है। इसके साथ टीसी पर पेन और आधार दर्ज करने का अलग कॉलम भी तय नहीं है। दूसरे स्कूल में बच्चे का प्रवेश करवाने जा रहे अभिभावकों को मुसीबतें उठानी पड़ रही हैं।


    पेन नंबर की व्यवस्था पिछले साल लागू हुई है। । इस सत्र में सभी बच्चों के रेकॉर्ड ऑनलाइन हो जाएंगे। फिलहाल टीसी के साथ पेन नंबर और यू-डायस कोड लिखने के निर्देश दिए गए हैं। - राकेश कुमार पांडे, डीआईओएस, लखनऊ


    राजधानी समेत प्रदेश में कई स्कूल रजिस्टर्ड नहीं है। कई
    बच्चों के नाम एक से अधिक स्कूल में दर्ज होने के मामले
    भी सामने आते हैं। यह फर्जीवाड़ा रोकने के लिए रजिस्टर्ड स्कूलों का यू-डायस और स्टूडेंट का PEN जारी किया जा रहा है। स्कूल यू-डायस पर स्टूडेंट्स का पूरा रेकॉर्ड आधार, कक्षा, सेक्शन, माता-पिता का नाम, पता, जन्मतिथि वगैरह दर्ज करते हैं। रेकॉर्ड दर्ज करते ही स्टूडेंट का पेन नंबर जनरेट हो जाता है। स्कूलों को टीसी के साथ PEN देने के निर्देश हैं, लेकिन नई व्यवस्था के कारण स्कूलों में गलती हो रही है। कई स्कूलों में अभी बच्चों के रेकॉर्ड यू-डायस पर अपलोड नहीं हो सके हैं। ऐसे में अभिभावक टीसी लेते समय स्कूल से PEN की मांग कर सकते हैं।

    Sunday, April 14, 2024

    परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प में छठे फेज के थर्ड पार्टी सर्वे में वाराणसी प्रदेश में अव्वल

    परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प में छठे फेज के थर्ड पार्टी सर्वे में वाराणसी प्रदेश में अव्वल

     पूर्वाचल के चार जिले टॉप-10 में


    वाराणसी। बेसिक स्कूलों का कायाकल्प कर विकसित बनाने के मामले में वाराणसी जिला प्रदेश में नंबर एक स्थान बनने में कामयाब हुआ है। छठे फेज के थर्ड पार्टी सर्वे में 19 पैरामीटर्स पर बेहतर प्रदर्शन करने के कारण जिले को 96 फीसदी की परिपूर्णता हासिल हुई है। सर्वे में टॉप-10 में पूर्वांचल के चार जिले शामिल हैं। भदोही दूसरे स्थान पर, बंदौली चौथे और जौनपुर सातवें पर है। इससे पूर्व पांचवें फेज के सर्वे में वाराणसी 93 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर था, जबकि कासगंज प्रथम स्थान पर था।


    कायाकल्प के छठे चरण का थर्ड पार्टी सर्वे गत फरवरी में हुआ था। सर्वे करने वालों ने प्रदेश के सभी जिलों के प्राथमिक विद्यालयों का भ्रमण कर 19 मानकों पर उनकी प्रगति देखी। इसमें विद्यालयों की चहारदीवारी, बालक-बालिकाओं के शौचालय, यूरिनल, पेयजल, साफ सफाई, डेस्क-बेंच, विद्यालय के कक्षों की स्थिति, रंगाई-पुताई, बिजली आपूर्ति, ब्लैक बोर्ड, ग्रीन बोर्ड, रसोई घर आदि की स्थिति पर मूल्यांकन किया गया। 


    वाराणसी जिले के 1141 में से 1138 बेसिक स्कूलों का मूल्यांकन किया गया। इनमें से 96 फीसदी विद्यालय 19 बिंदुओं पर खरे उतरे। जबकि फर्नीचर की उपलब्धता के मामले में वाराणसी के विद्यालय पीछे रह गए। 73 फीसदी विद्यालयों में ही पर्याप्त फर्नीचर मिले।


    जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने कहा कि कुछ विद्यालयों में फर्नीचर की पूरी उपलब्धता अभी नहीं हो पाई है, नहीं तो वाराणसी के विद्यालय शत- प्रतिशत परिपूर्णता के स्तर को प्रा कर लेते।



    ऐसे किया जाता है थर्ड पार्टी सर्वे

    शिक्षा विभाग में थर्ड पार्टी सर्वे का काम जिल्ला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्रशिक्षुओं या विभाग से इतर शिक्षकों के जरिये कराया जाता है। ये सर्वेयर विद्यालयों में जाकर सभी बिंदुओं पर उनका मूल्यांकन करते हैं। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है।

    प्रमोशन, भर्ती के इंतजार में प्राचार्यों के 180 पद खाली, डीपीसी न होने से कार्यवाहक प्राचार्यों के भरोसे चल रहे राजकीय महाविद्यालय

    प्रमोशन, भर्ती के इंतजार में प्राचार्यों के 180 पद खाली, डीपीसी न होने से कार्यवाहक प्राचार्यों के भरोसे चल रहे राजकीय महाविद्यालय


    प्रयागराज। प्रमोशन और भर्ती के इंतजार में राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्राचार्यों के 180 पद खाली पड़े हैं। यह महाविद्यालय कार्यवाहक प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं।


    राजकीय महाविद्यालयों में बीते कई वर्षों से प्राचार्य पद पर प्रमोशन के लिए डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) की बैठक नहीं हुई है। हालत यह है कि प्रदेश भर में कुल 170 राजकीय महाविद्यालयों में से 130 महाविद्यालयों में स्थायी प्राचार्य के पद खाली पड़े हैं। 


    राजकीय महाविद्यालयों में केवल प्रमोशन से प्राचार्य के पद भरे जाते हैं। ऐसे में जब तक डीपीसी नहीं होती, तब तक पद खाली रहेंगे। राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य पद पर प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए शिक्षक संगठनों ने काफी प्रयास किए लेकिन कई मामले कोर्ट में होने के कारण शासन ने यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई, जबकि पहले यह तय हुआ था कि जो मामले कोर्ट में लंबित हैं, उन्हें छोड़कर बाकी मामलों में प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और पद अब तक खाली हैं।


    वहीं, अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। प्रदेश भर में 331 अशासकीय महाविद्यालय हैं और इनमें से तकरीबन 50 महाविद्यालयों में प्राचार्यों के पद रिक्त पड़े हैं। 


    CBSE : ब्रिज कोर्स का पाठ्यक्रम स्कूलों को भेजा, कक्षा तीन और छह के छात्रों के लिए एनसीईआरटी ने ब्रिज कोर्स किया जारी

    CBSE : ब्रिज कोर्स का पाठ्यक्रम स्कूलों को भेजा, कक्षा तीन और छह के छात्रों के लिए एनसीईआरटी ने ब्रिज कोर्स किया जारी

    नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा विद्यालयी शिक्षा (एनसीएफ-एसई) 2023 के अनुसार कक्षा 3 और 6 में नए पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन व परिपालन के बारे में स्कूलों के लिए सर्कुलर जारी किया है।


    बोर्ड ने एनसीईआरटी द्वारा जारी ब्रिज कोर्स का लिंक भी स्कूलों को भेजा है। इसमें कक्षा 6 के विषयों की पीडीएफ कॉपी है, जिससे शिक्षक, छात्र और अभिभावक इसका उपयोग कर सकते हैं। बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने विद्यालयी शिक्षा के लिए एनसीएफ-एसई के अनुसार कक्षा 3 की पाठ्य पुस्तक हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गणित के साथ-साथ कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और हमारे आसपास की दुनिया विषयक पुस्तकों को अंतिम रूप दे दिया है। विद्यार्थियों को पुराने पाठ्यक्रम से नए पाठ्यक्रम में सुचारु रूप से स्थानांतरित करने और रुचिकर ढंग से पढ़ाई का वातावरण प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश भी दिए हैं। इसमें कक्षा 6 के लिए ब्रिज कोर्स और कक्षा 3 के लिए दो सप्ताह का आधारभूत कार्यक्रम शामिल है। बोर्ड ने कहा है कि कक्षा 6 के लिए एनसीईआरटी की वेबसाइट से संबंधित पीडीएफ विषय के अनुसार प्राप्त किए जा सकते हैं।

    कक्षा 6 के लिए ब्रिज कोर्स के दिशा-निर्देश https//ncert. nic.in/ pdf/ Bridge_Month_Program/Grade6 /BMP_Grade-6-Guidelines.pdf से प्राप्त हो सकते हैं। इसके अलावा 10 विषयों के पीडीएफ लिंक भी स्कूलों को भेजे गए हैं। बोर्ड ने प्रधानाचार्यों व प्रमुखों से अनुरोध किया है कि वह अपने शिक्षकों के बीच इस जानकारी का प्रसार करें।

    केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई के नए मानक, अब प्रत्येक कक्षा में 40 की जगह 32 बचे ही होंगे

    केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई के नए मानक, अब प्रत्येक कक्षा में 40 की जगह 32 बचे ही होंगे


    प्रयागराज। केंद्रीय विद्यालयों की कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या में कमी कर दी गई है। अब किसी भी कक्षा में 32 से अधिक बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। पहले यह मानक 40 बच्चों का था। इस बदलाव से अभिभावकों में नाराजगी है। इस कारण कक्षा एक के अलावा अन्य कक्षाओं में प्रवेश नहीं हो रहा है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यह बदलाव किया गया है।


    सैन्यकर्मियों के बच्चों का इन विद्यालयों में प्राथमिकता में प्रवेश हो जाता है। उसके बाद रिक्त सीटों पर अन्य वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इस बार प्रवेश की गाइडलाइन जारी हुई तो पूर्व के सापेक्ष प्रत्येक कक्षा में बच्चों की संख्या कम कर दी गई है। केवल कक्षा एक में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन लिया जा रहा है। कक्षा दो से 11वीं तक की कक्षाओं में प्रवेश के लिए फार्म नहीं दिए जा रहे हैं। कई विद्यालयों ने दो से ऊपर की कक्षाओं में प्रवेश न होने का बोर्ड लगा दिया है।


    प्राचार्यों ने बताया कि पहली कक्षा में विद्यार्थियों का मानक 40 का था। हर वर्ष प्रत्येक कक्षा में औसतन चार या पांच बच्चों के अभिभावकों के तबादले के कारण स्कूल छोड़ते थे तो उनके स्थान पर दूसरे बच्चों को प्रवेश मिल जाता था। इस बार कक्षा का मानक कम कर दिया है। अब कुछ बच्चे स्कूल छोड़ेंगे, तब भी कक्षा की क्षमता 32 से अधिक रहेगी। उन्होंने बताया कि अब केवल केवल कक्षा एक में ही प्रवेश हो रहा है। उसके लिए आनलाइन आवेदन 15 अप्रैल तक लिया जाएगा। प्रवेश का परिणाम 22 अप्रैल को जारी कर दिया जाएगा। 30 जून तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी है। 

    प्रवेश के लिए भटक रहे हैं अभिभावक

    केवी में प्रवेश के लिए अभिभावक परेशान हैं। धूमनगंज की सरोज देवी ने अपनी बेटी का कक्षा नौ में प्रवेश के लिए केवी न्यू कैंट, केवी मनौरी और केवी बमरौली गई लेकिन फार्म नहीं मिला। ऐसे ही कन्हईपुर के त्रिभुवन सिंह भी अपने बेटे का कक्षा पांच प्रवेश कराने के लिए भटक रहे हैं। करेली के तलहा रहमानी ने कक्षा चार में बेटे का प्रवेश करवाने के लिए कई केवी का चक्कर लगाया लेकिन फार्म नहीं मिला।

    श्रेणी एक और दो को रियायत

    जिस विभाग के परिसर में केंद्रीय विद्यालय है, वहां के कर्मियों के बच्चों को प्रवेश में रियायत दी है। उनके बच्चों को कक्षा एक में अधिकतम 40 की क्षमता तक और दो से 11वीं तक 45 की क्षमता तक प्रवेश दिया जाएगा।


    Saturday, April 13, 2024

    अमित भारद्वाज को उच्च शिक्षा निदेशक पद पर फिर मिली तैनाती, पूर्व में चल रही जांच और कार्यवाई समाप्त

    अमित भारद्वाज को उच्च शिक्षा निदेशक पद पर फिर मिली तैनाती, पूर्व में चल रही जांच और कार्यवाई समाप्त 


    लखनऊ। शासन ने डॉ. अमित भारद्वाज को उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर तैनात किया है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एमपी अग्रवाल ने बताया कि उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर रहते हुए उनके विरुद्ध चल रही जांच की वजह से उन्हें पद से हटाकर उच्च शिक्षा परिषद से संबद्ध किया गया था। हाल में उनके खिलाफ चल रही जांच को समाप्त किया गया है। इसके बाद डॉ. अमित को उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर तैनात किया गया है। 

    शासन ने डॉ. अमित भारद्वाज के विरुद्ध चल रही विभागीय कार्रवाई को समाप्त करते हुए उन्हें फिर से निदेशक उच्च शिक्षा के पद पर तैनात कर दिया है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी किया।


    इससे पहले 14 फरवरी 2023 को उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। साथ ही उन्हें निदेशक उच्च शिक्षा के पद से हटाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया था। जांच के बाद यह विभागीय कार्रवाई 12 अप्रैल 2024 को समाप्त कर दी गई। साथ ही उनकी संबद्धता समाप्त करते हुए उन्हें फिर से निदेशक उच्च शिक्षा के पद पर तैनात करने का फैसला किया गया। 


    डॉ. भारद्वाज को हटाए जाने के बाद डॉ. ब्रह्मदेव कार्यवाहक निदेशक उच्च शिक्षा बनाए गए थे। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद पहले डॉ. केसी वर्मा और बाद में डॉ. धर्मेन्द्र प्रताप शाही कार्यवाहक निदेशक उच्च शिक्षा बनाए गए। वर्तमान में डॉ. शाही ही प्रभार संभाल रहे थे।