देश में शिक्षकों के लगभग दस लाख पद रिक्त, संसदीय समिति ने जल्द पदों को भरने का दिया निर्देश, नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों में संविदा नियुक्तियां रोकने की सिफारिश
14.8 लाख स्कूलों में से तीन हजार केंद्र चला रहा
नई दिल्ली । देश में स्कूली शिक्षा में शिक्षकों के लगभग 10 लाख पद रिक्त हैं। संसदीय समिति की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिक्तियों को भरने के लिए समिति की बार-बार की गई सिफारिश के बावजूद शिक्षकों की संविदा नियुक्तियां की जा रही हैं।
संसदीय समिति ने कहा कि 14.8 लाख विद्यालयों में से भारत सरकार केवल लगभग तीन हजार विद्यालयों का ही संचालन करती है। इनमें भी भारत सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों केंद्रीय विद्यालय (केवी), नवोदय विद्यालय (एनवी) आदि में रिक्तियों का स्तर भी चिंताजनक है। केवी और एनवी में भी कुल मिलाकर 30 से 50% रिक्तियां हैं।
समिति ने अपनी 349वीं और 363वीं रिपोर्ट में सिफारिशों को दोहराते हुए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को निर्देश दिया है कि वह भारत सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों जैसे केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों आदि में शिक्षकों के रिक्त पदों को संविदा शिक्षकों के स्थान पर नियमित/स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के माध्यम से 31 मार्च, 2026 से पहले भरे।
समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि वह इन स्कूलों में शिक्षकों की संविदा नियुक्तियों को रोकने की सिफारिश करती है। समिति का कहना है कि विभिन्न राज्यों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा वित्त पोषित स्कूलों में शिक्षकों के लगभग 10 लाख रिक्त पदों में से प्राथमिक स्तर पर लगभग 7.5 लाख पद रिक्त हैं।
कार्यान्वयन के दो स्तर हों
समिति का मानना है कि टीचर एजुकेशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दो व्यापक स्तर होने चाहिए। पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक स्तर के लिए प्राथमिक स्तर के शिक्षक जो इस स्तर पर सभी विषय पढ़ा सकें और विषय-विशिष्ट शिक्षकों के लिए मध्य और माध्यमिक स्तर के शिक्षक हों।
आवंटन स्थगित रखा जाए
समिति ने कहा है कि जिन राज्यों ने नियमित/स्थायी शिक्षकों से रिक्तियों को भरने के लिए विभाग के निर्देशों का पालन नहीं किया है उन राज्यों के सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) कोष के आवंटन को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक कि संबंधित राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर लेते।
कांग्रेस का समिति की सिफारिशों का समर्थन
नई दिल्ली । कांग्रेस ने बुधवार को शिक्षा संबंधी संसदीय समिति की सिफारिशों का समर्थन किया है। समिति ने केंद्र और राज्यों के अधीनस्थ विद्यालयों में 10 लाख शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने समेत कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शिक्षा, महिला, बाल, खेल एवं युवा मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट का लिंक 'एक्स' पर साझा किया।
छह राज्यों में स्कूलों का औचक निरीक्षण
नई दिल्ली । सीबीएसई ने छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दस स्कूलों में बुधवार को औचक निरीक्षण किया। मकदस स्कूलों में नियमों के उल्लंघन से जुड़ी जानकारी जुटानी थी। सीबीएसई बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि औचक निरीक्षण के जरिए ये देखा गया की स्कूलों के संचालन में नियमों की अनदेखी तो नहीं हो रही। ऐसे छात्र तो नहीं है जिनका दाखिला तो है लेकिन उनकी उपस्थिति नहीं है और स्कूल में पढ़ाई व सुविधाओं की स्थिति क्या है।
'केंद्रीय स्कूलों में संविदा पर न हो नियुक्ति' – संसदीय समिति ने रिपोर्ट में लगभग 10 लाख रिक्त शिक्षक पदों पर जताई चिंता
NCTE में 2019 से 15 जून 2025 तक कोई भी स्थायी नियुक्ति न होने पर सवाल
समिति ने कहा, केवी और नवोदय विद्यालयों में भी 30 से 50% तक रिक्तियां
नई दिल्लीः संसदीय पैनल ने स्कूली शिक्षा समेत दूसरे संस्थानों में शिक्षकों के लाखों खाली पदों और अनुबंध के आधार पर भर्ती पर गंभीर चिंता जताई है। शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में पेश 368वीं रिपोर्ट में कहा है कि देश के स्कूलों में शिक्षकों के करीब 10 लाख पद रिक्त हैं।
देश में 14.8 लाख स्कूलों में से भारत सरकार करीब 3000 स्कूलों का ही संचालन करती है लेकिन समिति ने पाया है कि केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में भी रिक्तियों का स्तर चिंताजनक है। केवी और नवोदय विद्यालयों में भी कुल मिलाकर 30 से 50% तक रिक्तियां हैं। समिति ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित केवी, नवोदय विद्यालयों में संविदा की जगह 31 मार्च 2026 तक शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति हो। समिति ने कहा कि स्कूलों में संविदा वाली नियुक्तियां रोकी जाएं।
'राज्यों की फंडिंग रोकी जाए': संसदीय पैनल ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के जरिए पैसा पाने वाले स्कूलों में प्रारंभिक और प्राथमिक स्तर पर ही 7.5 लाख रिक्तियां हैं। रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति करने के निर्देशों को नहीं मानने वाले राज्यों की सर्व शिक्षा अभियान के तहत फंडिंग (अध्यापक निधि) कतब तक रोकी जाए, जब तक वे निर्देशों का पालन नहीं कर लेते।
NCTE पर भी सवालः नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) में 2019 से 15 जून 2025 तक टीचिंग, नॉन टीचिंग और प्रशासनिक कर्मचारियों की कोई भर्ती नहीं होने के मसले को भी समिति ने गंभीर बताया है।
'यूनिवर्सिटी को मिले आजादी': समिति का मानना है कि यूनिवर्सिटीज को अपना पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए केवल 30% छूट के बजाए ज्यादा आजादी दी जानी चाहिए।