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Tuesday, August 22, 2119

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    Wednesday, February 5, 2025

    स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : हाईकोर्ट

    शिक्षकों की कमी एक समस्या है लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है – जागरण संपादकीय 


    किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक ही न हो तो उस विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन जब हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद भी स्पष्ट कार्रवाई न की जाए तो इससे शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर संदेह पैदा होता है। ऐसे में उच्च न्यायालय की यह चिंता उचित है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। 

    राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया। न्यायालय की यह टिप्पणी बांदा के अतर्रा स्थित विद्यालय में ढाई वर्ष से प्रधानाध्यापक व दो सहायक शिक्षकों के रिक्त चल रहे पदों को लेकर है, जिस पर शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी के बाद विद्यालय प्रबंध समिति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

    बांदा के विद्यालय का प्रकरण संदर्भ भर है, वास्तविकता यह है कि प्रदेश में अनेक ऐसे विद्यालय हैं, जहां निर्धारित अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। यह इसलिए भी गंभीर है कि शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त है और किसी भी स्वस्थ समाज के लिए शिक्षा अनिवार्यता भी है। शिक्षकों की कमी एक समस्या है, लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है। यह शिक्षा की गुणवत्ता से भी समझौता है जिस पर अविलंब ध्यान देने की आवश्यकता है।



    स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : हाईकोर्ट

    बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की याचिका पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

    रिक्तियां न भरे जाने को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की टिप्पणी


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों की कमी से छात्र परेशान हैं। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसके बाद भी प्रतिवादी अधिकारी रिक्त पदों को न भरकर मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने यह टिप्पणी कृषि औद्योगिक विद्यालय और एक अन्य की ओर रिक्त पदों को भरने को लेकर दाखिल याचिका पर की।


    कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि संस्थान के बार-बार अनुरोध के बावजूद आज तक अधिकारियों ने प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं। स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न किए जाने से व्यथित होकर विद्यालय की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

    न्यायालय को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा है। इसके बाद भी आज तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया। इसका संज्ञान लेते हुए एकल जज ने महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी नियत की है।



    शिक्षकों की कमी से छात्रों की परेशानी पर हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में शिक्षकों की कमी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यूपी में यह सर्वविदित तथ्य है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कृषि औद्योगिक विद्यालय एएयू अतर्रा बांदा की प्रबंध समिति ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

    याचिका स्वीकृत पदों के अनुसार शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्तियां न किए जाने को लेकर दाखिल की गई है। याचिका के अनुसार स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं।

    कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने हेडमास्टर और शिक्षकों की नियुक्ति की समय सीमा को लेकर अस्पष्टता की ओर इशारा किया था। तब कोर्ट ने विशेष रूप से टिप्पणी की थी कि बड़ी संख्या में रिक्तियों के कारण राज्य की शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है और इस मुद्दे के समाधान में कोई प्रगति नहीं हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव के लिए शासन के पत्र भेजे जाने के बावजूद अब तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

    इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महानिदेशक बेसिक शिक्षा से राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख लगाई है।

    बोर्ड का गठन न होने से अटका मदरसा अधिनियम में कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की डिग्रियां हटाने का संशोधन, शासन को प्रस्ताव भेजने से पहले मदरसा बोर्ड का लेना होगा अनुमोदन

    बोर्ड का गठन न होने से अटका मदरसा अधिनियम में कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की डिग्रियां हटाने का संशोधन, शासन को प्रस्ताव भेजने से पहले मदरसा बोर्ड का लेना होगा अनुमोदन

    05 फरवरी 2025
    लखनऊ। उप्र. मदरसा शिक्षा बोर्ड का गठन न होने से मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में संशोधन अटक गया है। इसके तहत कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की डिग्रियां इस अधिनियम के दायरे से बाहर की जानी हैं। शासन को संशोधन प्रस्ताव भेजने से पहले मदरसा शिक्षा बोर्ड से अनुमोदन लेना अनिवार्य होता है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम को असांविधानिक करार दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई तो शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यूपी मदरसा अधिनियम के सभी प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करते हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बारहवीं कक्षा से आगे कामिल और फाजिल का प्रमाणपत्र देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं दी जा सकती। क्योंकि, उच्च शिक्षा यूजीसी अधिनियम के तहत संचालित होती है।

    अधिनियम के दायरे से बाहर की जानी हैं कामिल और फाजिल की डिग्रियां

    बता दें कि उप्र. मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में बोर्ड की शक्तियां बताई गई हैं। इसमें कहा गया है कि मदरसा बोर्ड मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं का संचालन करेगा। इस एक्ट के आधार पर ही उप्र. अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली, 2016 तैयार की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर यूपी में मदरसा अधिनियम और नियमावली में संशोधन होना है।

    शासन के सूत्र बताते हैं कि संशोधनों का प्रस्ताव पहले मदरसा बोर्ड से पास होगा। वर्तमान में वहां न तो कोई अध्यक्ष है और न ही सदस्य। बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष और चारों सदस्यों का कार्यकाल अक्तूबर में ही समाप्त हो चुका है। इसलिए बोर्ड के इन पदों पर तैनाती के बाद ही संशोधन प्रस्ताव की गाड़ी आगे बढ़ पाएगी।




    मदरसों में अब कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की नहीं होगी पढ़ाई, मदरसा शिक्षा परिषद ने जारी किया आदेश

    दोनों डिग्रियों की भाषा विश्वविद्यालय से संबद्धता पर नहीं हुआ निर्णय

    दोनों पाठ्यक्रमों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर असमंजस बना

    03 फरवरी 2025
    लखनऊ। मदरसों में अब कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की कक्षाएं नहीं संचालित होंगी। मदरसा शिक्षा परिषद ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। हालांकि, पहले से पढ़ रहे विद्यार्थियों पर अब तक शासन स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में करीब 37000 छात्र-छात्राओं के भविष्य पर असमंजस बना है।


    उप्र. मदरसा शिक्षा परिषद की कामिल और फाजिल की डिग्री को यूजीसी से मान्यता नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन डिग्रियों को असांविधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद मदरसा शिक्षा परिषद ने दोनों पाठ्यक्रमों में नए प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इन डिग्रियों की भाषा विश्वविद्यालय से संबद्धता का मामला शासन से तय होने के बाद पढ़ रहे विद्यार्थियों के भविष्य पर फैसला होना था, लेकिन इस निर्णय से पहले ही कक्षाएं बंद करने का निर्णय हो गया है।

    रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेज कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से डिग्री असांविधानिक घोषित होने के बाद मदरसों में कामिल और फाजिल का पठन-पाठन या अध्यापन नहीं किया जा सकता है। दोनों पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों का मामला हाईकोर्ट में है। कोर्ट के निर्णय के बाद इस पर फैसला होगा। संवाद



    37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर खतरा

    मदरसा परिषद से मान्यता प्राप्त और अनुदानित 16460 मदरसों में कामिल प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष में करीब 28000 और फाजिल के प्रथम व द्वितीय वर्ष में करीब 9000 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। मदरसा एजुकेशनल एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दोनों पाठ्यक्रमों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर असमंजस बना हुआ है।

    Tuesday, February 4, 2025

    बजट में शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा की मांग

    बजट में शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा की मांग


    लखनऊ। प्रदेश में जल्द ही नए वित्तीय वर्ष का बजट पास किया जाएगा। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से नए वित्तीय वर्ष के बजट में शिक्षामित्रों व अनुदेशको के मानदेय वृद्धि की घोषणा करने की मांग की है।


    संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा की प्राथमिक विद्यालयों मे 1.32 लाख शिक्षामित्र व जूनियर विद्यालयों मे तैनात 27 हजार अनुदेशकों की हालत कम मानदेय के कारण बहुत ही खराब हो चुकी है। कम मानदेय की वजह से वे अपने बच्चों की पढ़ाई व माता-पिता का उचित इलाज भी नहीं करा पा रहे है। मानदेय बढ़ाने के लिए पिछले साल मंत्री व उच्च अधिकारियों के साथ कई बार बैठक भी हुई किंतु अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया।

    उन्होंने कहा कि जहां स्थाई शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए 8वां पे कमीशन का एलान हो चुका है। वहीं उनके ही बराबर काम करने वाले उसी विद्यालय में कार्यरत शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय में कई साल से एक रुपये भी नहीं हो रही है। प्रदेश सरकार मानदेय बढ़ाने की घोषणा करे, ताकि दोनों वर्ग समानता से जीवन जी सके। 

    यूपी मदरसा बोर्ड की परीक्षा समय सारिणी जारी, जानिए कब से होंगी मुंशी-मौलवी और आलिम की परीक्षा - MADRASA BOARD EXAM SCHEDULE

    यूपी मदरसा बोर्ड की परीक्षा समय सारिणी जारी, जानिए कब से होंगी मुंशी-मौलवी और आलिम की परीक्षा - MADRASA BOARD EXAM SCHEDULE

    परीक्षा के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. परीक्षा में लगभग 90 हजार छात्र-छात्राएं होंगे शामिल


    लखनऊ:उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने 2025 में होने वाली मुंशी (सेकेण्डरी फारसी), मौलवी (सेकेण्डरी अरबी) और आलिम (सीनियर सेकेंडरी अरबी/फारसी) परीक्षाओं की समय-सारणी जारी कर दी है. यह परीक्षाएं 17 से शुरू होकर 22 फरवरी तक चलेंगी.

    मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि परीक्षाएं दो पालियों में आयोजित की जाएंगी. पहली पाली सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक, जबकि दूसरी पाली दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक होगी. हालांकि, शुक्रवार को केवल एक ही पाली में परीक्षा आयोजित की जाएगी. उन्होंने कहा कि मुंशी-मौलवी परीक्षाओं में कुल 6 प्रश्नपत्र होंगे, जबकि आलिम परीक्षा में 5 प्रश्नपत्र होंगे. परीक्षा में लगभग 90 हजार छात्र-छात्राएं शामिल होंगे.

    मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार ने बताया कि परीक्षा केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. परीक्षा के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इसके साथ ही मदरसा बोर्ड के अधिकारी लखनऊ से ऑनलाइन निगरानी करेंगे. परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड समय से पहले मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाएंगे. यहां से छात्र-छात्राएं डाउनलोड कर सकेंगे. 

    रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि परीक्षा के सफल संचालन के लिए समुचित तैयारियां सुनिश्चित की जाएं.

    Gratuity: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद भी ग्रेच्युटी देने से इनकार करने वाले शासनादेश को किया रद्द

    Gratuity: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद भी ग्रेच्युटी देने से इनकार करने वाले शासनादेश को किया रद्द 


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सरकारी आदेश को इस हद तक रद्द कर दिया कि उसने उन शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने कार्यकारी आदेश पर क़ानून की प्रधानता का हवाला देते हुए रिटायरमेंट की आयु से आगे जारी रखने का विकल्प चुना था। याचिका दायर की गई थी जिसमें 22.06.2018 के सरकारी आदेश के खंड 4 (1) को चुनौती दी गई थी और साथ ही याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी के दावे की अस्वीकृति के संचार को चुनौती दी गई थी। जीओ द्वारा, अतिरिक्त वर्षों तक काम करने वाले शिक्षकों के कारण ग्रेच्युटी से इनकार कर दिया गया था, जो उन्हें अधिक सेवा लाभ के हकदार थे।

     
    यूनिवसटी कॉलेज रिटायर्ड टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन, लखनऊ और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विचार के लिए दो प्रश्न तैयार किए: क्या याचिकाकर्ता पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 में कर्मचारियों की परिभाषा के तहत आते हैं, और क्या वे परिभाषा खंड द्वारा कवर किए जाने पर भी भुगतान से बाहर किए जाने के लिए उत्तरदायी थे। 

    न्यायालय ने कहा कि एक वर्ग के रूप में शिक्षकों को 1972 के अधिनियम में संशोधन द्वारा कर्मचारियों की परिभाषा के तहत लाया गया था। यह संशोधन प्रकृति में पूर्वव्यापी था, और संशोधन अधिनियम द्वारा कवर किए गए सभी शिक्षकों को कवर करेगा। तदनुसार, यह माना गया कि शिक्षक 1972 के अधिनियम में कर्मचारियों की परिभाषा के अंतर्गत आएंगे। 

    इलाहाबाद हाईकोर्ट इसके बाद, न्यायालय ने कहा कि पिछले सरकारी आदेश ने संशोधन अधिनियम के कारण शिक्षकों को कर्मचारियों की परिभाषा के दायरे में लाने के कारण सभी महत्व खो दिए थे। यूनिवर्सिटी कॉलेज मामले में न्यायालय ने अधिनियम की धारा 14 (नॉन-ऑब्स्टेंटे क्लॉज) का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम के प्रावधान अन्य प्रावधानों के साथ असंगत होने के बावजूद लागू रहेंगे। यह उत्तरदाताओं का मामला नहीं था कि शिक्षकों को 1972 अधिनियम की धारा 5 के तहत प्रयोज्यता से छूट दी गई थी। तदनुसार, धारा 14 की अनिवार्य शर्तें स्वचालित रूप से लागू होंगी। 

    यह भी देखा गया कि स्थापित कानून के अनुसार, क़ानून कार्यकारी आदेशों पर प्रबल होता है। इसलिए, न्यायालय ने माना था कि अतिरिक्त वर्षों की सेवा के बदले शिक्षकों द्वारा अपनी ग्रेच्युटी माफ करने का पहलू अप्रासंगिक हो जाएगा, क्योंकि स्वीकृति और निष्कासन के सिद्धांत क़ानून के खिलाफ लागू नहीं होते हैं। 

    मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए, जस्टिस मनीष माथुर ने कहा कि यूनिवर्सिटी कॉलेज में निर्णय को पूरी तरह से लागू माना गया था, एकमात्र अंतर यह था कि आयु में वृद्धि 60 से 62 वर्ष थी, जबकि यूनिवर्सिटी कॉलेज में यह 58 से 60 वर्ष थी। ग्रेच्युटी से इनकार दोनों मामलों में समान तर्क पर था। तदनुसार, याचिका को अनुमति दी गई। सरकारी आदेश और उसके बाद के संचार को रद्द कर दिया गया, उत्तरदाताओं ने याचिकाकर्ता को उसकी रिटायरमेंट की तारीख से भुगतान की तारीख तक इस तरह के बकाया पर 6% ब्याज के साथ ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया। 

    आधार की कमियों की वजह से नहीं बन पा रही हैं अपार आईडी, जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत, शिक्षक परेशान और जिम्मेदार नहीं दे पा रहे समाधान

    आधार की कमियों की वजह से नहीं बन पा रही हैं अपार आईडी, जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत, शिक्षक परेशान और जिम्मेदार नहीं दे पा रहे समाधान


    बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने के लिए स्कूलों पर काफी दबाव है। इसके लिए रविवार को भी स्कूल व कार्यालय खोले गए, लेकिन अपार आईडी बनाने में सबसे बड़ी बाधा छात्रों व उनके अभिभावकों के आधार कार्ड हैं। इनमें कुछ के आधार नहीं हैं तो कुछ के आधार में कमियां हैं। इससे अपार आईडी बनने में दिक्कत आ रही है।

    प्रदेश में चार फरवरी तक शत-प्रतिशत छात्रों की अपार आईडी बनाने का लक्ष्य है, लेकिन इसकी प्रगति ठीक नहीं है। शिक्षकों के मुताबिक छात्र के आधार में दर्ज नाम व पते से स्कूल के रिकॉर्ड में थोड़ा भी अंतर है तो अपार आईडी नहीं बन रही है। 


    उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि अपार आईडी बनाने से पहले आधार में संशोधन के लिए कैंप लगाना चाहिए जिससे ऐसी दिक्कतें न हों। उप्र. बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि आधार न होने व इसमें कमियों से काफी दिक्कतें हो रही हैं। इसके लिए भी शिक्षक पर ही दबाव बनाया जाता है।


    यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं

    विद्यालयों में एक दिक्कत यह भी आ रही है कि स्कूल स्तर पर यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं है। इसके लिए आवेदन भेजा जाता है और निदेशालय स्तर पर इसमें सुधार किया जाता है। इसमें काफी समय भी लगता है। 

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह ने कहा कि बच्चों का नामांकन सिर्फ पहले क्लास में होता है। दूसरी व तीसरी क्लास में बच्चे का पुराना ही डाटा लिया जाता है। किसी भी तरह के संशोधन के लिए मैनुअल प्रस्ताव लिया जाता है और फिर निदेशालय इस पर कार्यवाही करता है। डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को दिया जाना चाहिए।


    जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर कहा है कि तहसील व खंड विकास अधिकारी कार्यालय से छात्रों के जन्म प्रमाणपत्र समय से नहीं जारी हो रहे हैं। इससे अपार आईडी बनने में भी दिक्कत आ रही है। आधार कार्ड न होने से छात्रों को डीबीटी का लाभ भी नहीं मिल रहा है। बच्चों व अभिभावकों के आधार कार्ड व स्कूल डाटा में भी अंतर है। इन समस्याओं की तरफ ध्यान दिया जाए।

    प्रत्येक माह NPS की धनराशि राज्यांश सहित संबंधित माह के वेतन के साथ ही सभी संबंधित के प्रान खाते में जमा करने का शिक्षा निदेशक माध्यमिक का पत्र जारी

    प्रत्येक माह NPS की धनराशि राज्यांश सहित संबंधित माह के वेतन के साथ ही सभी संबंधित के प्रान खाते में जमा करने का शिक्षा निदेशक माध्यमिक का पत्र जारी



    Monday, February 3, 2025

    बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित हो रहा 1st उत्तर प्रदेश टीचर प्रीमियर लीग (UPTPL-01), लगेगा प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा कर्मी क्रिकेटरों का जमावड़ा

    बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित हो रहा 1st उत्तर प्रदेश टीचर प्रीमियर लीग (UPTPL-01), लगेगा प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा कर्मी क्रिकेटरों का जमावड़ा 



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    1st उत्तर प्रदेश टीचर प्रीमियर लीग
               (UPTPL) 2025
                   ग्लोबल कप 
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    बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में दिनांक 26 फरवरी 2025 से 02 मार्च 2025 के मध्य UPTPL-2025 का आयोजन बरेली शहर के GP ग्राउंड, रेलवे स्टेडियम रोड नंबर 04 एवं खलीफा खुसरो मैदान में आयोजित होगा।


    जिसके मुख्य बिंदु निम्नवत है:-

    01. बेसिक विभाग में कार्यरत समस्त कार्मिक उक्त आयोजन में प्रतिभाग के सकेंगे।(बेसिक विभाग की EHRMS कोड अनिवार्य)

    02. प्रत्येक खिलाड़ी हेतु पंजीकरण शुल्क 1500/- रुपए एवं कप्तान बनने के इच्छुक खिलाड़ियों हेतु पंजीकरण शुल्क 2500/- रुपए होगा।(पंजीकरण फॉर्म PDF या Jpg फाइल के रूप में अलग से प्राप्त हो जाएगा।) (नीचे देखें)
    अंतिम तिथि 10 फरवरी 2025

    03. प्रत्येक टीम हेतु फ्रेंचाइजी आयोजन समिति निर्धारित करेगी।
    अंतिम तिथि 11 फरवरी 2025

    04. प्रत्येक टीम हेतु एक मेंटर आयोजन समिति निर्धारित करेगी।
    अंतिम तिथि 12 फरवरी 2025

    05. प्रत्येक टीम हेतु कप्तान का चयन उपलब्ध विकल्पों में से फ्रेंचाइजी - मेंटर एवं आयोजन समिति समेकित रूप से करेगी।
    अंतिम तिथि 13 फरवरी 2025

    06. प्रत्येक टीम का नाम आयोजन समिति - फ्रेंचाइजी - मेंटर - कप्तान समेकित रूप से सभी मिलकर निर्धारित करेंगे।
    अंतिम तिथि 14 फरवरी 2025

    07. जिस खिलाड़ी/कप्तान का चयन किसी टीम में अंतिम 16 में हो जाएगा,उसका पंजीकरण शुल्क 1500/- या 2500/- आयोजन समिति के पास जमा हो जाएगा एवं शेष का पंजीकरण शुल्क वापस हो जायेगा।

    08. प्रत्येक फ्रेंचाइजी - मेंटर को 24000 प्वाइंट प्राप्त होंगे।जिसमें से प्रत्येक कप्तान की खरीद में 3000 प्वाइंट खर्च माने जाएंगे। शेष 21000 प्वाइंट से अन्य 15 खिलाड़ियों का चयन खुले ऑक्शन में करना होगा।

    09. किसी खिलाड़ी के अंतिम 16 में चयन होने पर किसी धनराशि की प्राप्ति खिलाड़ी को न होगी।चयनित खिलाड़ियों का पंजीकरण शुल्क आयोजन समिति के पास जमा हो जाएगा।

    10. प्रत्येक फ्रेंचाइजी को खिलाड़ी ऑक्शन में बोली हेतु प्रत्येक सफल बोली के बाद एक नियत प्वाइंट का लिफाफा प्राप्त होता जाएगा। कुल 16 लिफाफे प्वाइंट के प्राप्त होंगे।

    यथा - प्रथम लिफाफा कप्तान चयन हेतु 3000 प्वाइंट
    द्वितीय लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
    तृतीय लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
    चतुर्थ लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
    पंचम लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
    षष्ठ लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 1000 प्वाइंट
    ......
    ......
    ......
    षोडश लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 1000 प्वाइंट
    कुल 24000 प्वाइंट
                 
              
              ऑक्शन टेबल
    पसंद     Max खर्च   Max बोल 
    1st कप्तान  3000    3000
    2nd पसंद    5500    2500
    3rd पसंद     8000    2500
    4th पसंद   10500    2500
    5th पसंद   13000    2500
    6th पसंद   14000    1000
    7th पसंद   14000    1000
    8th पसंद  14000    1000
    9th पसंद   14000    1000
    10th पसंद 14000    1000
    11th पसंद 14000    1000
    12th पसंद 14000    1000
    13th पसंद 14000    1000
    14th पसंद 14000    1000
    15th पसंद 14000    1000
    16th पसंद 14000    1000
    (प्रत्येक सफल बोली के बाद ही अगला प्वाइंट लिफाफा मिलेगा।)

    11. प्रत्येक फ्रेंचाइजी को अधिकतम 24000 प्वाइंट से ही 16 खिलाड़ी चयनित करने होंगे।

    12. प्रत्येक खिलाड़ी का बेस प्वाइंट स्तर 1000 प्वाइंट होगा एवं प्रत्येक बोली कम से कम 50 अंक से आगे बढ़ती हुई अधिकतम 2500 अंक तक जाएगी।

    13. किसी खिलाड़ी हेतु 2500 प्वाइंट तक बोली जाने पर यदि एक से अधिक फ्रेंचाइजी टीम का दावा प्रस्तुत होता है तो खिलाड़ी हेतु क्वाइन उछाल के टीम निर्धारित होगी।

    14. प्रत्येक कप्तान का बेस प्वाइंट स्तर 3000 प्वाइंट का ही होगा। एक ही कप्तान हेतु एक से अधिक दावा प्रस्तुत होने पर क्वाइन उछाल के टीम हेतु कप्तान का चयन होगा।

    15. प्रत्येक फ्रेंचाइजी- मेंटर- कप्तान की समेकित जिम्मेदारी होगी कि 16 सदस्यीय टीम से प्रत्येक उपलब्ध खिलाड़ी को कुल 05 लीग में से कम से कम 02 लीग मैच अवश्य प्रतिभाग करने को प्राप्त हो।

    16. प्रत्येक टीम को एक दिन में 20-20 ओवर के दो लीग मैच खेलने को होंगे।

    17. प्रत्येक टीम को कुल 05लीग मैच खेलने को मिलेगे।

    18. टेबल टॉप 04 टीम अगले चरण में प्रवेश करेगी।
    टेबल टॉपर एवं टेबल 2nd टॉपर के मध्य क्वालीफायर प्रथम एवं टेबल 3rd प्लेस एवं 4th प्लेस के मध्य एलिमिनेटर खेला जाएगा।

    19. क्वालीफायर प्रथम के लूजर एवं एलिमिनेटर के विनर के मध्य क्वालीफायर द्वितीय खेला जाएगा।

    20. क्वालीफायर प्रथम विजेता एवं क्वालीफायर द्वितीय विजेता के मध्य ग्रैंड फिनाले का आयोजन होगा।



    📢   समय सारिणी (प्रत्येक टीम हेतु)

    26Feb 08:00AM to 11:30PM प्रथम लीग मैच
    26Feb 01:00PM to 04:30PM द्वितीय लीग मैच

    27Feb 08:00AM to 11:30PM तृतीय लीग मैच
    27Feb 01:00PM to 04:30PM चतुर्थ लीग मैच

    28Feb 08:00AM to 11:30PM पंचम लीग मैच
    28Feb 01:00PM to 04:30PM एलिमिनेटर मैच

    01March 08:00AM to 11:30PM Q1 मैच
    01March 01:00PM to 04:30PM Q2मैच

    02 March 2025 ग्रैंड फिनाले


    आयोजक :-
    नित्यानंद - केसी पटेल - अनवर हसनैन 
    Mob Number 7017909190
    बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश
    🏏⚾🏏⚾🏏⚾🏏⚾🏏⚾🏏⚾


    दिव्यांग शिक्षकों को 18 वर्ष बाद भी नहीं मिली प्रोन्नति, राजकीय इंटर कॉलेजों के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

    दिव्यांग शिक्षकों को 18 वर्ष बाद भी नहीं मिली प्रोन्नति, राजकीय इंटर कॉलेजों के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार


    लखनऊ। राजकीय इंटर कॉलेजों मे कार्यरत दिव्यांग प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापकों को करीब 18 साल से प्रोन्नति में चार फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। तमाम प्रयास के बाद ढाई माह पहले चयन समिति की बैठक हुई और प्रमाणपत्रों की जांच हुई, लेकिन अब तक पदोन्नति सूची जारी नहीं की गई है। ऐसे में प्रवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। इन शिक्षकों ने प्रोन्नति में भेदभाव का आरोप लगाया है।


    सीएम को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि दिव्यांगजनों को सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति में चार फीसदी आरक्षण दिया जाता है, लेकिन उनको आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापकों ने आरोप लगाया है कि सूची जारी नहीं करने से निदेशालय की मंशा पर शक हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने और जल्द से जल्द सूची जारी करने का आदेश देने की मांग की है। ताकि सेवानिवृत्ति से पहले कुछ अध्यापकों को एक वेतन वृद्धि मिल सके।

    पत्र में यह भी बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में समूह ग और समूह ख की प्रोन्नति प्रक्रिया दो माह में पूरी कर ली गई और उन्हें तैनाती भी दे दी गई है, लेकिन उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। चयन समिति की बैठक होने के ढाई माह बाद भी अभी तक प्रोन्नति की कार्यवाही पूरी न होना इसका सुबूत है। दिव्यांग अध्यापकों ने मांग को लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भी पत्र भेजा है।

    अपार आईडी जनरेशन संबंधी समस्याओं के निस्तारण की मांग के साथ कतिपय जनपदों में अवकाश में स्कूल खोलने के बदले अवकाश की मांग के साथ PSPSA ने उठाया मुद्दा

    अपार आईडी जनरेशन संबंधी समस्याओं के निस्तारण की मांग के साथ कतिपय जनपदों में अवकाश में स्कूल खोलने के बदले अवकाश की मांग के साथ PSPSA ने उठाया मुद्दा 

    Sunday, February 2, 2025

    IIT संस्थानों में 6500 सीट तो मेडिकल कॉलेज 10 हजार नई सीट, बजट में बड़ी घोषणाएं

    IIT संस्थानों में 6500 सीट तो मेडिकल कॉलेज 10 हजार नई सीट, बजट में बड़ी घोषणाएं 


    Education Budget: मोदी सरकार ने बजट में शिक्षा के लिए कई बड़ी सौगात दिया है। 5 IIT संस्थानों में 6500 सीट तो मेडिकल कॉलेज 10 हजार नई सीटें जोड़ी जाएंगी।

    Education Budget: मोदी सरकार द्वारा 2025-26 के बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए कई बड़ी सौगात दी है। मोदी सरकार ने शिक्षा के लिए 1,28,650.05 करोड़ की राशि का आवंटन किया है। बता दें, ये शिक्षा के लिए आवंटित ये बजट पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 6.65 फीसदी ज्यादा है। बता दें, शिक्षा के क्षेत्र में की गई बड़ी घोषणाओं में पांच नये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में 6,500 और छात्रों की शिक्षा की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार, मेडिकल की 10,000 नयी सीट और शिक्षा के लिए AI उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है।

    केंद्रीय बजट 2025-26 में शिक्षा मंत्रालय को 1.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किया गया है, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान 1.14 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। उच्च शिक्षा विभाग को जहां 50,067 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, वहीं स्कूली शिक्षा विभाग को 78,572 करोड़ रुपये मिले हैं।

    भारतीय भाषा पुस्तक योजना की होगी शुरुआत
    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं की पुस्तकों का डिजिटल रूप उपलब्ध कराने के लिए 'भारतीय भाषा पुस्तक' योजना शुरू करेगी। उन्होंने बताया कि सरकार पांच IIT संस्थानों में अतिरिक्त बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगी और IIT पटना का विस्तार करेगी।

    चुनाव से पहले IIT पटना के विस्तार का ऐलान
    IIT पटना के विस्तार की घोषणा ऐसे समय की गई है जब बिहार विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने की संभावना है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, "पिछले 10 वर्षों में 23 IIT में छात्रों की कुल संख्या 100 प्रतिशत बढ़ी है और यह 65,000 से बढ़कर 1.35 लाख हो गई है। 2014 के बाद शुरू किए गए पांच आईआईटी में अतिरिक्त बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा ताकि 6,500 और छात्रों को शिक्षा मिल सके। आईआईटी पटना में छात्रावास और अन्य बुनियादी ढांचे की क्षमता का भी विस्तार किया जाएगा।"

    इन IIT कॉलेजों में बढ़ी सीट
    बता दें, पांच नये आईआईटी जम्मू, भिलाई, धारवाड़, पलक्कड़ और तिरूपति में हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे विभिन्न मापदंडों में 'बड़ी छलांग' लगेगी। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "पांच साल की अवधि में इन IIT में अतिरिक्त 6,500 सीट जोड़ी जाएंगी और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे को उन्नत किया जाएगा। बजट में भारत की मानव पूंजी के सर्वांगीण विकास को सुविधाजनक बनाने पर जोर दिया गया है।"

    उन्होंने कहा, "मैंने 2023 में कृषि, टिकाऊ शहरों और स्वास्थ्य के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में उत्कृष्टता के तीन केंद्रों की घोषणा की थी। अब 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शिक्षा के लिए एआई में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।" विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) तक, शिक्षा मंत्रालय के तहत अधिकांश निकायों के आवंटन में बढ़ोतरी हुई है।

    शीर्ष बिजनेस स्कूल - भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), जिन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके आवंटित बजट में लगातार कटौती का सामना करना पड़ा, को भी पिछले साल के संशोधित अनुमान 227 करोड़ रुपये के मुकाबले 251 करोड़ रुपये का बढ़ा हुआ आवंटन मिला है। केंद्रीय बजट में आईआईटी को 11,349 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो चालू वित्त वर्ष के 10,467 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से अधिक है।



    बजट : आईआईटी, एसपीए और इग्नू को बड़ी सौगात मिली

    नई दिल्ली । राजधानी के शिक्षण संस्थानों के बजट में भी बढ़ोतरी की गई है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के बजट में वृद्धि हुई है।

    वहीं, विश्वविद्यालयों के अनुदान में भी इस बार वृद्धि से राजधानी में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षण व्यवस्थाएं, मूलभूत सुविधाएं और नियुक्तियों आदि पर इस बजट का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का वर्ष 2023-24 का वित्तीय बजट 130 करोड़ रुपये था, जिसे वर्ष 2024-25 में बढ़ाकर 147 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

    वहीं, देश के आईआईटी के बजट में कुल 956 करोड़ का इजाफा हुआ है। तकनीकी शिक्षा, शोध और नवोन्मेष की तरफ वित्त मंत्री ने अपने बजट में बात की थी। इग्नू की कार्यवाहक कुलपति प्रो. उमा कांजीलाल का कहना है कि वित्तीय बजट बढ़ाया जाना स्वागत योग्य कदम है।

    इस अतिरिक्त 17 करोड़ की राशि से शैक्षणिक कार्यक्रमों, डिजिटल अवसंरचना और छात्र सहायता सेवाओं को सशक्त बना सकेंगे। छात्रों को इससे सीखने में सहूलियत होगी।




    अगले पांच साल में सरकारी स्कूलों में 50 हजार अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने की घोषणामाध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी एआई रोबोटिक्स व थ्रीडी प्रिंटिंग में होंगे दक्ष

    लखनऊ। केंद्रीय बजट में अगले पांच साल में सरकारी स्कूलों में 50 हजार अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने की घोषणा की गई है। इसका लाभ प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को मिलेगा। इसके प्रभावी होने से प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्र भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स व थ्रीडी प्रिंटिंग आदि में भी दक्ष हो सकेंगे।


    प्रदेश में केंद्र सरकार के सहयोग से समग्र शिक्षा के तहत 101 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा नौ से 12 तक) में अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना हो चुकी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 535 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में इन लैब की स्थापना की जा रही है, जो मार्च 2025 तक पूरी हो जाएंगी। बाद में बचे हुए 300 राजकीय 


    🔴 535 विद्यालयों में चल रहा काम, 101 में बन चुकी लैब
    🔴 अभी 9वीं से 12वीं तक के विद्यालयों में लैब

    विष्णुकांत ने बताया कि प्रदेश में 2,400 राजकीय माध्यमिक विद्यालय हैं। इसमें 900 विद्यालय कक्षा आठ से 12 तक के और 1500 विद्यालय कक्षा एक से 10वीं तक के हैं। पहले चरण में 900 विद्यालयों जहां 8वीं से 12वीं तक की पढ़ाई हो रही है, वहां लैब बनाई जा रही है। अगर केंद्र सरकार से सहयोग मिलेगा तो अगले चरण में 10वीं तक के माध्यमिक विद्यालयों में भी इसकी स्थापना करेंगे।



    ग्रामीण माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा, सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का लाभ

    लखनऊ। केंद्रीय बजट में भारत नेट परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देने की घोषणा की गई है। इससे यूपी के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में डिजिटल माध्यम से लर्निंग और कामकाज को बढ़ावा मिलेगा।

    प्रदेश में 2,400 से अधिक राजकीय माध्यमिक विद्यालय हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की बात तो दूर शहरी क्षेत्र में स्थित विद्यालयों में भी इंटरनेट की सुविधा न के बराबर है। ऐसे में कुछ विद्यालयों में प्रधानाचार्य की ओर से किसी मद से तो कई जगहों पर शिक्षक खुद की इंटरनेट व्यवस्था से ही कामकाज निपटाते हैं। इसकी वजह से विद्यालयों में डिजिटल माध्यम से पठन-पाठन को बढ़ावा नहीं दिया जा पा रहा है।

    इसका माध्यमिक विद्यालयों के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को काफी लाभ मिलेगा। ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अत्याधुनिक लैब का संचालन भी हो सकेगा। समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णुकांत पांडेय ने कहा कि यह सुविधा राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में बदलाव लाएगा।

    प्रदेश में 3500 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) हैं। यहां पर ब्रांडबैंड कनेक्टिविटी सुविधा होने से बायोमेट्रिक अटेंडेंस, दवाओं के रखरखाव का विवरण, टीके के संबंध में जारी होने वाले निर्देश व आंकड़े तत्काल जारी किए जा सकेंगे।

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन विज्ञप्ति

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन विज्ञप्ति

    (सभी जनपदों से निकलने वाली आगामी ARP भर्ती विज्ञप्तियां इसी पोस्ट में अपडेट की जाएंगी।)


    फॉर्म 





    श्रावस्ती 

    देवरिया

    वाराणसी 

    हरदोई

    भदोही




    फतेहपुर 

    अम्बेडकरनगर

    सोनभद्र 


    औरैया 

    इटावा 

    बरेली

    जौनपुर 


    अमेठी 



    संतकबीरनगर

    लखनऊ 



    कुशीनगर 

    बलरामपुर 

    जनपद:  झांसी
    जनपद :गोरखपुर

    जनपद: एटा

    जालौन

    सुल्तानपुर








    अपार आईडी के लिए कई जिलों में रविवार को भी स्कूल खोलने के आदेश पर उबाल, DGSE ने कहा जिले में स्कूल खोलने का निर्णय अपने स्तर पर कर रहे हैं बीएसए

    अपार आईडी के लिए कई जिलों में रविवार को भी स्कूल खोलने के आदेश पर उबाल, DGSE ने कहा जिले में स्कूल खोलने का निर्णय अपने स्तर पर कर रहे हैं बीएसए 
     

    शिक्षक-कर्मचारी अपडेट करेंगे विद्यार्थियों का डाटा

    कुछ जिलों में माध्यमिक विद्यालय भी खुलेंगे


    लखनऊ। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में सिर्फ 52 फीसदी ही ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने पर सख्ती शुरू हो गई है। महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा ने शनिवार को इसकी समीक्षा की और सभी को इसमें गति लाने के निर्देश दिए। इसके बाद कई जिलों ने रविवार को विद्यालय खोलने और डाटा अपडेट व अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। जिससे शिक्षक और शिक्षक संगठनों में उबाल आ गया है, और एक सुर से सभी ने इसका विरोध कर दिया है। 


    प्राइवेट विद्यालयों में जहां 89 फीसदी, वहीं सरकारी में सिर्फ 52 फीसदी ही अपार आईडी बनीं हैं। सरकारी विद्यालयों में कई जिलों में 90 फीसदी तक की अपार आईडी नहीं बनी है। इस पर महानिदेशक ने कड़ी नाराजगी संबंधित जिलों के अधिकारियों से जताई है। उन्होंने इसे 100 फीसदी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पांच फरवरी को फिर से इसकी समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। 

    इसके बाद लखनऊ, औरैया, उन्नाव, फर्रुखाबाद, मिर्जापुर, फतेहपुर आदि कई जिलों में रविवार को विद्यालय खोलने और अपार आईडी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को 20-20 विद्यालयों का निरीक्षण करने को भी कहा है। इसी तरह माध्यमिक में भी उन्नाव, मेरठ, गौतमबुद्धनगर आदि जिलों में स्कूल खोलकर डाटा अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।

    वहीं महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा कि जिन जिलों में अपार आईडी बनाने की स्थिति खराब है। उन्हें इसमें गति लाने के निर्देश दिए हैं। जिले में स्कूल खोलने का निर्णय अपने स्तर पर कर रहे हैं।


    रविवार को स्कूल खोलने का शिक्षक और संगठना करेंगे विरोध

    वहीं शिक्षक संगठनों ने लगातार दूसरे रविवार को स्कूल खोलने पर नाराजगी जताई ई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार तिवारी ने कहा कि यह निर्णय न्यायोचित नहीं है। हर रविवार विद्यालय खोलने का आदेश तानाशाही है। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि रविवार को स्कूल खोलने का शिक्षक विरोध करेंगे। प्रशासन द्वारा इस तरह हर रविवार को किसी न किसी माध्यम से स्कूल को छुट्टियों में खोला जा रहा है। रविवार की छुट्टी में काफी शिक्षक अपने जिलों में व बाहर चले जाते हैं। ऐसे में यह निर्णय अव्यवहारिक है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का स्कूल खोलने का विरोध का मैसेज शिक्षक समूहों में वायरल है। 

    Saturday, February 1, 2025

    परिषदीय शिक्षकों के सेवा संबंधी मामलों के निपटारे के लिए बना मानव संपदा पोर्टल बना जी का जंजाल, जानिए क्यों❓

    परिषदीय शिक्षकों के सेवा संबंधी मामलों के निपटारे के लिए बना मानव संपदा पोर्टल बना जी का जंजाल, जानिए क्यों❓


    लखनऊ। परिषदीय शिक्षकों की सेवा संबंधी मामले के निपटारे के लिए बना मानव संपदा पोर्टल गुरुजी के लिए ही जी का जंजाल बन गया है।

    हालत यह है कि बीते दो महीने से शिक्षकों के किसी भी प्रकार के ऑनलाइन रिक्वेस्ट को पोर्टल न तो दर्ज कर पा रहा है और न ही सेवा से जुड़े प्रकरणों में किसी प्रकार का सुधार हो पा रहा है।



     ऊपर से बेसिक शिक्षा परिषद ने ऑफलाइन संशोधन पर रोक लगा रखी है नतीजा लाखों शिक्षकों की सेवा संबंधी समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। पिछले माह तक ऑफलाइन संशोधन हो जा रहा था ,वह भी अब नहीं हो पा रहा क्योंकि बेसिक शिक्षा परिषद ने इसे रोक दिया है। नतीजा, शिक्षक परेशान हैं, उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। 


    लखनऊ समेत कई अन्य जिलों में शिक्षकों के चयनित वेतनमान तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र को ऑनलाइन आवेदन भी मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से ही लिए जाने का प्रावधान किया गया है लेकिन अब तक एल वन एवं एल टू अधिकारी नहीं बनाए जा सके हैं।

    आर्थिक सर्वेक्षण में शिक्षा पर ज्यादा खर्च का संकेत, शिक्षा के ढांचे की मजबूती पर भी जोर

    आर्थिक सर्वेक्षण में शिक्षा पर ज्यादा खर्च का संकेत, शिक्षा के ढांचे की मजबूती पर भी जोर
     

    स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के बुनियादी ढांचे की मजबूती का जिक्र करते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में शिक्षा पर ज्यादा खर्च का संकेत दिया है।

    स्कूली शिक्षा में शत प्रतिशत नामांकन लक्ष्य की ओर बढ़ने के साथ उच्च शिक्षा के लिए मौजूदा शैक्षिक नेटवर्क और बुनियादी ढांचे को दोगुना करने की बात सर्वे में है। सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। वर्ष 2040 तक सभी उच्चतर शिक्षा संस्थान बहुविषयक संस्थान बन जाएंगे।


    आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 रिपोर्ट में शिक्षा और मानव संसाधन विकास को देश की आर्थिक और सामाजिक तरक्की के लिए सबसे अहम बताया गया है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी जोर इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका पर भी जोर दिया गया है। भारत में 14.72 लाख स्कूल हैं, जिनमें 24.8 करोड़ छात्र पढ़ते हैं और इन स्कूलों में 98 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। सरकारी स्कूल कुल स्कूलों का 69 हिस्सा है, जिनमें 50 छात्र नामांकित हैं और 51 शिक्षक कार्यरत हैं।


    स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट दिख रही

    आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक बीते वर्षों में स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई है। यह प्राथमिक स्तर पर 1.9, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2, माध्यमिक स्तर पर 14.1 है। शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी जोर दिया जा रहा है। यूडीआईएसई 2023-24 रिपोर्ट के अनुसार जिन स्कूलों में कंप्यूटर मौजूद हैं, उनका प्रतिशत 2019-20 में 38.5 से बढ़कर 2023-24 में 57.2 हो गया। इंटरनेट सुविधा वाले स्कूलों की संख्या 2019-20 में 22.3 से बढ़कर 2023-24 में 53.9 हो गई।