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Tuesday, August 22, 2119

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    Tuesday, December 24, 2024

    नियमित NPS अंशदान में घोर लापरवाही पर वित्त नियंत्रक (बेसिक शिक्षा) ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, देखें कोर्ट ऑर्डर और आदेश

    नियमित NPS अंशदान में घोर लापरवाही पर वित्त नियंत्रक (बेसिक शिक्षा) ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, देखें कोर्ट ऑर्डर और आदेश 

    हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार के निर्देशों की अनदेखी पर इस कृत्य को बताया सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रतीक 

    पर्याप्त बजट के बावजूद जमा नहीं हुआ अंशदान  


    रायबरेली । हाईकोर्ट के आदेश और पर्याप्त धनराशि आवंटन के बावजूद रायबरेली में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) अंशदान जमा करने में हो रही लापरवाही ने सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक राकेश सिंह ने इस मामले में वित्त एवं लेखाधिकारी, रायबरेली से स्पष्टीकरण मांगते हुए इसे सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रतीक बताया है।  


    कंपोजिट स्कूल बेलाखारा, विकास क्षेत्र राही के सहायक अध्यापक श्री राहुल बाजपेयी ने 21 नवंबर 2024 को लिखित शिकायत में बताया कि उनके वेतन से हर महीने एनपीएस अंशदान काटा जा रहा है, लेकिन अगस्त 2024 से अब तक यह उनके एनपीएस खाते में जमा नहीं किया गया है। यही नहीं, सरकारी अंशदान भी लगातार लंबित है, जिससे उनके वित्तीय अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  


    रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यालय ने जून और अक्टूबर 2024 में क्रमशः ₹36.60 करोड़ और ₹19.16 करोड़ की धनराशि, कुल ₹55.76 करोड़, रायबरेली को आवंटित की थी। इतनी बड़ी राशि होने के बावजूद एनपीएस खाते में अंशदान जमा न करना विभागीय कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही और असंवेदनशीलता को दर्शाता है।  


    वित्त नियंत्रक ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी को निर्देश दिया है कि तत्काल लंबित अंशदान को अद्यतन कराते हुए यह स्पष्ट करें कि पर्याप्त बजट होने के बाद भी नियोक्ता अंशदान नियमित रूप से क्यों नहीं जमा किया गया। इसके साथ ही मुख्यालय ने इसे शासकीय कार्यों में ढिलाई का गंभीर मामला मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।  


    इस घटना से रायबरेली के बेसिक शिक्षा के कर्मचारियों और शिक्षकों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि यदि एनपीएस जैसे महत्वपूर्ण वित्तीय दायित्वों में ही विभाग इतनी लापरवाही बरतेगा, तो कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित कैसे होगा?  


    वित्तीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना उच्च अधिकारियों की कार्यशैली और सरकारी आदेशों के अनुपालन में ढिलाई का नतीजा है। यदि समय पर अंशदान जमा नहीं किया गया, तो न केवल कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड पर असर पड़ेगा, बल्कि यह सरकार की साख पर भी बट्टा लगाएगा।  


    हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद एनपीएस अंशदान में हो रही इस घोर लापरवाही ने सरकारी तंत्र की जवाबदेही और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल वित्तीय लापरवाही नहीं, बल्कि कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का उदाहरण है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।  

    यूपी बोर्ड सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन करेगा प्रायोगिक परीक्षकों की नियुक्ति, अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति होने पर प्रधानाचार्य होंगे उत्तरदायी

    यूपी बोर्ड सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन करेगा प्रायोगिक परीक्षकों की नियुक्तिअयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति होने पर प्रधानाचार्य होंगे उत्तरदायी


    24 दिसंबर 2024
    प्रयागराज । यूपी बोर्ड के पोर्टल पर सोमवार को शिक्षकों की अपडेट सूची प्रधानाचार्यों ने अपलोड कर दी। बोर्ड शिक्षकों की अपलोड सूची विवरण के की जांच करेगा। सॉफ्टवेयर द्वारा ऑनलाइन परीक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। जनवरी के पहले सप्ताह में बोर्ड परीक्षकों को प्रमाण पत्र देगा।

     इसके बाद  बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र व्यवस्थापक, कक्ष निरीक्षक और परीक्षक की नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव ने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिए थे कि वह सूची में शिक्षकों के विवरण की जांच कर लें। त्रुटियों को सुधारकर दोबारा से सूची अपलोड की गई।

    डीआईओएस ने प्रधानाचार्यों को इस संबंध में पत्र भेजा था। जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अपात्र व अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति मिलने पर प्रधानाचार्य का उत्तरदायित्व होगा। उनके खिलाफ कार्यवाही होगी।

    डीआईओएस ओमकार राणा ने बताया कि शिक्षकों की अपडेट सूची बोर्ड के पोर्टल पर अपलोड की गई है। बोर्ड ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से परीक्षकों की नियुक्ति करेगा। अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति होने पर प्रधानाचार्य उत्तरदायी होंगे। 



    यदि अपात्र या अयोग्य शिक्षक बने परीक्षक तो प्रधानाचार्य होंगे जिम्मेदार, यूपी बोर्ड ने स्कूलों से 23 दिसंबर तक मांगी शिक्षकों की अपडेट लिस्ट

    21 जनवरी से पांच फरवरी तक होनी है यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं

    17 दिसम्बर 
    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की प्रायोगिक - परीक्षाएं 21 जनवरी से पांच फरवरी तक आयोजित की जानी है। इसमें परीक्षकों की तैनाती के लिए बोर्ड ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों से 23 दिसंबर तक शिक्षकों की अपडेट लिस्ट की मांग की है। बोर्ड के सचिव ने कहा कि अगर कोई अपात्र या अयोग्य शिक्षक परीक्षक बनता है तो स्कूल के प्रधानाचार्य इसके जिम्मेदार होंगे।


    यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने कहा है कि वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम घोषित किया जा चुका है। परीक्षा केंद्रों पर केंद्र व्यवस्थापकों, बाह्य केंद्र व्यवस्थापकों, कक्ष - निरीक्षकों एवं प्रयोगात्मक परीक्षा व मूल्यांकन कार्य के लिए परीक्षकों की नियुक्ति की जानी है। इसके लिए सभी प्रधानाचार्य अपने-अपने विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के अपलोड कराए गए विवरणों की एक बार फिर गहनता से जांच कर लें।


    सचिव ने चेतावनी भी दी है कि पोर्टल पर अपलोड कराई गई त्रुटिपूर्ण या भ्रामक सूचनाओं के आधार पर यदि कोई अपात्र या अयोग्य शिक्षक परीक्षक नियुक्त हो जाता है तो प्रधानाचार्य इसके उत्तरदायी माने जाएंगे। सचिव ने निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों के नाम, जन्मतिथि, नियुक्ति तिथि, पंजीकरण संख्या व अध्यापन का विषय, अर्हता की ठीक से जांच कर ली जाए।


    साथ ही हाईस्कूल या इंटरमीडिएट के जिस विषय के अध्यापन के लिए उनकी नियुक्ति की गई है, उस विषय का विषय कोड व विषय के नाम की भी सावधानीपूर्वक जांच की जाए। ताकि कोई भी शिक्षक किसी गलत विषय में परीक्षक नियुक्त न हो सके और न ही कोई अपात्र शिक्षक परीक्षक नियुक्त हो सके। यह भी ध्यान रखने को कहा है कि का किसी भी दशा में एक शिक्षक विवरण एक से अधिक विद्यालयों से अग्रसारित न हो।




    यूपी बोर्ड प्रैक्टिकल और वायवा की होगी वीडियो रिकार्डिंग, परीक्षा केंद्र से ही पोर्टल पर अपलोड होंगे नंबर

    यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा में करेगा बड़ा परिवर्तन

    परीक्षा केंद्र से 200 मीटर दूर जाने के बाद एप नहीं करेगा काम

    15 दिसंबर 
    प्रयागराज : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की वर्ष 2025 की परीक्षा के प्रश्नपत्रों की स्ट्रांग रूम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से निगरानी की तैयारी के बीच यूपी बोर्ड प्रायोगिक परीक्षा के आयोजन को लेकर भी बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा में शुचिता और पारदर्शिता के लिए तकनीक का उपयोग किया जाएगा। 


    इसके लिए यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने एप विकसित कराया है। यह एप परीक्षा केंद्र के 200 मीटर दायरे के बाहर जाने पर काम नहीं करेगा। यानी परीक्षक परीक्षा केंद्र से ही परीक्षार्थियों को एप के माध्यम से पोर्टल पर अंक प्रदान कर सकेंगे। केंद्र पर परीक्षकों द्वारा परीक्षार्थियों का वायवा लिए जाने की प्रधानाचार्यों को वीडियो रिकार्डिंग भी करानी होगी।


    यूपी बोर्ड सचिव के निर्देश पर इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा को ड्यूटी लगाने के पहले शिक्षकों का विवरण उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर अपडेट किया रहा। इसके अतिरिक्त प्रायोगिक परीक्षा के दौरान केंद्र पर गए बिना ही परीक्षा संपन्न कराकर अंक देने में अब परीक्षकों की मनमर्जी नहीं चलेगी। प्रायोगिक परीक्षा के लिए जिन परीक्षकों की ड्यूटी लगेगी, उन्हें नई व्यवस्था के तहत एप पर ही पासवर्ड आनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। इस व्यवस्था से परीक्षक अब किसी विशेष स्थान पर बैठकर सुनियोजित तरीके से परीक्षार्थी को अंक नहीं दे सकेंगे। 

    इसके अलावा प्रायोगिक परीक्षा के दौरान वायवा लिए जाने की वीडियो रिकार्डिंग कराकर प्रधानाचार्य को उसे यूपी बोर्ड को भेजना होगा। इतना ही नहीं, परीक्षक नियुक्त किए जाने में भी बोर्ड सख्ती बरतेगा। इसमें उसी शिक्षक की परीक्षक के रूप में ड्यूटी लगाई जाएगी, जिनके पास संबंधित विषय की अर्हता तो होगी ही, साथ में वह विद्यालय में वही विषय पढ़ा भी रहे होंगे। यानी अगर कंप्यूटर विषय में भी अर्हता है, इतिहास या कोई अन्य विषय पढ़ा रहे हैं, तो उनकी ड्यूटी कंप्यूटर विषय की प्रायोगिक परीक्षा में नहीं लगेगी। नई व्यवस्था के क्रम में परीक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वह आसानी से प्रायोगिक परीक्षा संपन्न करा सकें।

    फर्जी शिक्षक बता रिक्शा चालक को भेजी गई वसूली नोटिस निरस्त, बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

    फर्जी शिक्षक बता रिक्शा चालक को भेजी गई वसूली नोटिस निरस्त, बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल


    24 दिसंबर 2024
    श्रावस्तीः भिनगा क्षेत्र के गोड़पुरवा निवासी रिक्शा चालक को फर्जी शिक्षक बताकर भुगतान किए गए वेतन की वसूली के लिए 51 लाख 63 हजार 52 रुपये की रिकवरी नोटिस बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भेजी गई थी। मीडिया में खबरें आने के बाद बीएसए ने इसे संज्ञान लेते हुए रिकवरी नोटिस को निरस्त कर दिया है। इस घटना का कारण लिपिकीय त्रुटि बताया गया है।

    गोड़पुरवा गांव निवासी मनोहर यादव दिल्ली में रहकर हाथ रिक्शा चलाते हैं। वह निरक्षर भी हैं। वर्तमान समय में घर आए थे। शुक्रवार को उन्हें डाकिया के माध्यम से बीएसए कार्यालय से जारी 51 लाख 63 हजार 53 रुपये वसूली नोटिस मिली। इसमें उसे फर्जी शिक्षक भी बताया गया था।

    बीएसए अजय कुमार ने बताया कि जमुनहा ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय नौव्वापुरवा में फर्जी सहायक शिक्षक को पकड़ा गया था। फर्जी सहायक शिक्षक सुरेंद्र प्रताप सिंह को बर्खास्त करते हुए भिनगा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। लिपिकीय त्रुटिवश इसमें भिनगा क्षेत्र के गोड़पुरवा निवासी मनोहर यादव को आरोपित बनाया गया था। 

    पड़ताल के बाद पता चला कि वसूली नोटिस अंबेडकर नगर जिले के सीहमई कारीरात गांव निवासी देवमणि को जारी होनी थी। पहले जारी नोटिस को निरस्त करते हुए वसूली की नई नोटिस जारी कर दी गई है।



    अजब गजब: बेसिक शिक्षा विभाग ने फर्जी शिक्षक बता रिक्शाचालक को भेजा 51 लाख रुपए की रिकवरी नोटिस, जानिए किस जनपद का है मामला 


    22 दिसम्बर 2024
    उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में बेसिक शिक्षा विभाग ने रिक्शा चालक को 51 लाख रुपए की रिकवरी नोटिस भेज दिया है। एक सप्ताह में जमा कराने को कहा गया। यह सुनकर परिवार के होश उड़ गए।

    यूपी के श्रावस्ती जिले में बेसिक शिक्षा विभाग ने फर्जी शिक्षक बताकर एक रिक्शा चालक को 51 लाख 63 हजार रुपये की रिकवरी नोटिस थमा दी है। भुगतान न करने पर आरसी जारी कराते हुए वसूली की चेतावनी भी दी गई है। एक सप्ताह में जमा कराने को कहा गया। यह सुनकर उसके परिवार के होश उड़ गए।


    कोतवाली भिनगा क्षेत्र के गांव गोड़पुरवा निवासी मनोहर यादव पुत्र ठाकुर प्रसाद दिल्ली में रहकर रिक्शा चलाता है। परिवार के लोग गांव में ही रहते हैं। कुछ दिन पहले ही वह घर आया है। शुक्रवार को डाकिया से मनोहर को एक पत्र मिला। गांव के कुछ लोगों को दिखाने पर पता चला कि वह पत्र जिला बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भेजा गया है जो रिकवरी नोटिस है। 

    इसमें उसे फर्जी शिक्षक बताया गया है और उसकी नियुक्ति समाप्त कर दी गई है। अब तक उसके द्वारा प्राप्त की गई धनराशि 51 लाख 63 हजार रुपये एक सप्ताह में जमा कराने को कहा गया। यह सुनकर उसके होश उड़ गए। उसका कहना है कि वह निरक्षर है और दिल्ली में रिक्शा चलाता है।


    दूसरे के नाम व अभिलेख से नौकरी करने का है मामला

    मनोहर को जारी की गई रिकवरी नोटिस में दावा किया गया है कि वह सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुत्र बहादुर सिंह निवासी सीहमई कारीरात तहसील अकबरपुर अम्बेडकरनगर के फर्जी नाम व पते का प्रयोग कर बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन श्रावस्ती के जमुनहा ब्लाक स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय नौव्वापुरवा में सहायक शिक्षक की नौकरी कर रहा था। 

    कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग कर नौकरी अर्जित करने की पुष्टि होने पर 14 जुलाई वर्ष 2020 में उसकी नियुक्ति समाप्त कर दी गई। साथ ही कोतवाली भिनगा में मामला दर्ज कराया गया। 12 दिसम्बर को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी की ओर से नोटिस जारी कर कथित रूप से बेसिक शिक्षा विभाग से फर्जी तरीके से नौकरी करते हुए प्राप्त की गई 51 लाख 63 हजार 53 रुपये एक सप्ताह में कोषागार में जमा कराने का निर्देश दिया गया। भुगतान न करने पर भू-राजस्व वसूली की तरह कार्रवाई की चेतावनी दी गई।


    मामले की पुष्टि करके ही कार्रवाई होगी: बीएसए

    बीएसए अजय कुमार ने बताया कि पुलिस विवेचना के बाद जो लिस्ट आई है उसमें दिए गए नाम के हिसाब से कार्रवाई की गई है। बाबू को थाने भेजकर फिर नाम चेक करने को कहा गया है। यदि कमी हुई तो सुधार किया जाएगा लेकिन यदि विवेचना में पुलिस ने यही नाम दिया है तो मामले की पुष्टि करके ही कार्रवाई होगी।

    स्कूलों में सुरक्षा उपायों की निगरानी के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

    स्कूलों में सुरक्षा उपायों की निगरानी के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

    24 दिसंबर 2024
    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1.41 लाख स्कूलों की सुरक्षा उपायों की निगरानी न कराने के मामले में राज्य सरकार से 24 जनवरी तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को 14 वर्ष से लागू न करने पर सख्ती दिखाई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अविनाश मेहरोत्रा मामले में दिए गए फैसले को लागू करने को कहा था।

    हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश 24 साल पुरानी उस पीआईएल पर दिया है। इसमें गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स ने आवासीय क्षेत्रों में मानकों के विपरीत चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया था।

    याचिका में 16 स्कूलों की सूची में जापलिंग रोड के सीएमएस समेत अन्य स्कूलों के नाम हैं। पहले कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीपपति त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि प्रदेश के 1.41 लाख स्कूलों का मुआयना किया जाना है।


    बतौर केस प्रदेश के पांच स्कूलों का निरीक्षण कराने का आदेश : इसी मामले में सुनवाई के समय न्यायमित्र अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से बनाई गई कार्य योजना के परीक्षण के लिए बतौर उदाहरण पांच स्कूलों में निरीक्षण कराया जाना उचित होगा। इसके तहत कोर्ट ने बाराबंकी, अयोध्या, कमालपुर शामली, बिस्वा सीतापुर के राजकीय इंटर कालेजों समेत प्राथमिक विद्यालय किशोरपुरा मऊरानीपुर झांसी का निरीक्षण चार सप्ताह में राज्य सरकार की गठित समिति से करवाने का आदेश दिया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत इन शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।




    स्कूली इमारतों की जांच को लेकर कोई प्रगति नहीं होने पर हाईकोर्ट हैरान

    23 दिसम्बर 2024
    लखनऊ । स्कूली 121 बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवायी के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों के निरीक्षण के सम्बंध में कोई प्रगति नहीं हुई है और न ही सुरक्षा के लिहाज से स्कूली इमारतों का कोई निरीक्षण हुआ है। 

    न्यायालय ने कहा कि हम हैरान हैं कि इसके बावजूद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कैसे कह रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस विषय पर काफी काम किया है। यह टिप्पणियां न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है।

    शहर के 100 से अधिक स्कूलों के भवन जर्जर

    शहर में 100 से अधिक प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के भवन जर्जर हैं। पीडब्ल्यूडी की सर्वे रिपोर्ट में शहर यह भवन जर्जर पाये गए थे। इनमें 36 स्कूल माध्यमिक स्कूल हैं। अन्य 64 प्राइमरी स्कूल हैं। सबसे अधिक माल और बीकेटी के 40 स्कूल के भवन हैं। कई स्कूलों के जर्जर भवन में हादसे की डर से बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर दिया गया है। बीकेटी के 17 और मॉल के 23 स्कूल के जर्जर भवन शामिल शामिल हैं।



    हाईकोर्ट ने मांगा स्कूलों में सुरक्षा उपायों पर प्रगति का ब्योरा

    03 दिसंबर 2024
    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1,41000 स्कूलों की सुरक्षा का मुआयना कराने के मामले में सुप्रीमकोर्ट के दिशानिर्देशों को लागू करने के मामले में राज्य सरकार और न्यायमित्र अधिवक्ता से प्रगति का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है। 

    मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इसके पहले आठ नवंबर की सुनवाई में हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा अविनाश मेहरोत्रा के मामले में दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश गोमती रिवर बैंक रेजिडेंट्स की और से वर्ष 2020 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानकों का उल्लंघन कर चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया गया है। 

    मामले में कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि स्कूलों का मुआयना किया जाना है।


    लखनऊ में छोटे बच्चों को स्कूल परिसर से लाने-ले जाने के मामले में मांगी प्रगति रिपोर्ट : हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आदेश पर लखनऊ में कक्षा 5 तक के छोटे बच्चों की स्कूल परिसर से लाने-ले जाने के मामले में स्कूलों से बातचीत जारी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता से प्रगति का ब्योरा तलब किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता जय दीप नारायण माथुर ने कोर्ट को बताया कि वह कई स्कूलों के संपर्क में हैं और इनके प्राधिकारियों से सकारात्मक बातचीत हो रही है। शैक्षणिक परिसरों के बाहर व भीतर विद्यार्थियों की यातायात समेत सुरक्षा व्यवस्था सुधारने को कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर 16 दिसंबर को उनसे प्रगति का ब्योरा पेश करने को कहा है। 



    सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद स्कूलों में 14 वर्षों से सुरक्षा मानकों का निरीक्षण नहीं होने पर हाईकोर्ट खफा

    09 नवंबर 2024
    लखनऊ । स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों का पिछले 14 वर्षों से निरीक्षण नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पिछले दो वर्षों के 'मिनट्स ऑफ मीटिंग्स' को तलब कर लिया है। 


    न्यायालय ने कहा कि यदि हम पाते हैं कि आपदा प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, इस सम्बंध में कुछ भी नहीं किया है तो यथोचित आदेश पारित किया जाएगा। मामले की अगली सुनवायी 11 नवंबर को होगी।


    यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है।


    उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। सुनवायी के दौरान न्यायालय ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशानिर्देशों को लागू करने पर जोर दिया है। पिछली सुनवाई में पारित आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश में कुल लगभग 1.41 लाख स्कूल हैं, जिनका निरीक्षण करने में लगभग आठ माह का समय लग जाएगा।


    सिर्फ तीन स्कूलों ने दी पिक-ड्रॉप की सुविधा

    इसी मामले की पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने हजरतगंज व राजभवन के पास के स्कूलों को कक्षा 5 तक के बच्चों को स्कूल परिसर में ही पिक- ड्रॉप की सुविधा देने का आदेश दिया था। इस बार उपस्थित रहे, डीसीपी यातायात प्रबल प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि तीन स्कूलों ने इस आदेश का पालन किया है। इस पर न्यायालय ने मामले में न्यायमित्र नियुक्त अधिवक्ता जेएन माथुर को बाकी के स्कूल प्रबंधन से बात करने का जिम्मा दिया है।

    ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न पत्र लिखकर कराई गईं बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में छमाही परीक्षायें

    ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न पत्र लिखकर कराई गईं बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में छमाही परीक्षायें 


    लखनऊ । प्राइमरी स्कूलों में सोमवार को शुरू हुई अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में शिक्षकों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। परीक्षा से पहले शिक्षकों ने प्रश्न पत्र में दिये सवाल ब्लैक बोर्ड पर लिखे। उसके बाद बच्चों ने परीक्षा दी।


    बीएसए कार्यालयों की ओर से अर्द्ध वाषिक परीक्षा के प्रश्न पत्र हाथ से लिखे पीडीएफ प्रधानाध्यापकों को भेजी गई थी। परीक्षा दो पालियों में आयोजित की गई। 


    पहली पाली सुबह 9:30 से 11:30 और दूसरी पाली 12:30 से 2:30 बजे के बीच हुई। कक्षा एक से पांच तक बच्चों का मौखिक परीक्षा हुई। जबकि कक्षा छह से आठ के बच्चों की क्राफ्ट, कृषि, खेल व शारीरिक शिक्षा की परीक्षा हुई।


    Sunday, December 22, 2024

    फर्जी खबरें और साइबर अपराध रोकने के लिए छात्रों को डिजिटल वॉरियर बनाएगी उत्तर प्रदेश पुलिस

    फर्जी खबरें और साइबर अपराध रोकने के लिए छात्रों को डिजिटल वॉरियर बनाएगी उत्तर प्रदेश पुलिस

    फर्जी खबरें और साइबर अपराध रोकने के लिए डीजीपी की पहल

    सभी विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों को जारी किए गए दिशा-निर्देश


    लखनऊ। प्रदेश में फर्जी खबरें और साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस स्कूल-कॉलेजों व विवि के छात्रों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को डिजिटल वॉरियर बनाएगी। महाकुंभ 2025 के आयोजन को देखते हुए प्रयागराज में हुए डिजिटल वॉरियर के पायलट प्रयोग के अच्छे नतीजे सामने आने पर अब यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने इस संबंध में शनिवार को सभी विभागाध्यक्षों व कार्यालयाध्यक्षों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।


    साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2023 में व्हाट्सएप कम्युनिटी ग्रुप बनाए थे। इसमें समाज के सक्रिय विभिन्न वर्गों के लोगों को जोड़ा गया था। इस ग्रुप की सहायता से अब भ्रामक खबरों के खंडन के साथ पुलिस के अच्छे कार्यों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। 


    वर्तमान में करीब 10 लाख लोग डिजिटल वालंटियर्स के रूप में और 2 लाख पुलिसकर्मी कम्यूनिटी ग्रुप से जुड़े हैं। इन वालंटियर्स को गांव, मोहल्ले और स्थानीय कस्बों से जोड़ा गया है। इस पहल के अच्छे नतीजों को देखते हुए डीजीपी ने अब सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और कॉलेज व विवि के छात्रों को यूपी पुलिस का डिजिटल वॉरियर बनाने का निर्णय लिया है। 


    ऐसे बनेंगे डिजिटल वॉरियर
    निर्देश के मुताबिक साफ-सुथरी छवि वाले युवाओं को डिजिटल वॉरियर बनाया जाएगा। इसके लिए उन्हें एक फॉर्म भरना होगा। उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन होगा। सभी स्कूलों, कॉलेजों और विवि में साइबर क्लब बनाए जाएंगे। एक शिक्षक को इसका नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा। डीजीपी मुख्यालय की ओर से उत्कृष्ट कार्य करने वाले डिजिटल वॉरियर को प्रोत्साहित व पुरस्कृत भी किया जाएगा ।


     इन श्रेणियों में होगा चुनाव
    फेक न्यूज के खंडन और साइबर अपराध के प्रति सचेत करने के लिए, साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता के लिए, साइबर ट्रेनर और पुलिस के अभियानों व सराहनीय कार्यों के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल वॉरियर का चुनाव होगा।

    यूपी के निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए आए 1.32 लाख आवेदन, 24 दिसंबर को निकलेगी ऑनलाइन लाटरी

    यूपी के निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए आए 1.32 लाख आवेदन, 24 दिसंबर को निकलेगी ऑनलाइन लाटरी


    लखनऊ । प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में प्री-प्राइमरी व कक्षा एक में प्रवेश के लिए 1.32 लाख आवेदन फार्म भरे गए हैं। गरीब परिवार के बच्चों को मुफ्त दाखिला देने के लिए पहले चरण की प्रक्रिया चल रही है। अब सत्यापन के बाद 24 दिसंबर को आनलाइन लाटरी निकाली जाएगी और सीटें आवंटित की जाएगी। आवंटित स्कूलों में अभिभावक 27 दिसंबर तक अपने बच्चे का प्रवेश करा सकेंगे।


    शैक्षिक सत्र 2025-26 में प्रवेश के लिए चार चरणों में प्रवेश प्रक्रिया 27 मार्च 2025 तक चलेगी। 62,871 निजी स्कूलों में 6.03 लाख सीटें हैं। प्रदेश में इस बार सर्वाधिक 10,278 आवेदन फार्म वाराणसी में भरे गए हैं। वहीं लखनऊ में 8,714, कानपुर में 8,276, अलीगढ़ में 4,880 और आगरा में 4,626 आवेदन फार्म भरे गए हैं। आरटीई के तहत अधिक से अधिक दाखिले कराने के लिए इस बार चार चरणों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 


    शैक्षिक सत्र 2025- 26 के लिए प्रवेश प्रक्रिया 27 मार्च तक ही पूरी की जाएगी। इस अब 62,871 निजी स्कूलों में कुल 6.03 लाख सीटें हैं। 3.91 लाख कक्षा एक और 2.11 लाख सीटें प्री-प्राइमरी कक्षा में हैं। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के निर्देश पर सभी जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में हेल्प डेस्क बनाकर अभिभावकों को आनलाइन आवेदन फार्म भरवाने में मदद की जा रही है।

    Saturday, December 21, 2024

    बेसिक हो या माध्यमिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के समायोजन के मामले में साबित हुए फिसड्डी

    बेसिक हो या माध्यमिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के समायोजन के मामले में साबित हुए फिसड्डी 


    माध्यमिक शिक्षा : अतिरिक्त शिक्षकों की सूची मांगकर भूले

    प्रयागराज । सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अतिरिक्त (सरप्लस) शिक्षकों की सूची मंगाकर शिक्षा विभाग के अफसर भूल गए। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से 10 जनवरी 2024 को जारी शासनादेश में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी।

    शासनादेश के अनुसार छात्रसंख्या के अनुपात में गणना की गई तो 21 एडेड स्कूलों में सरप्लस शिक्षक मिले थे। इसकी रिपोर्ट निदेशक को भेजी गई लेकिन समायोजन तो दूर जून अंत में हुए तबादले में इन्हीं स्कूलों में और शिक्षक भेज दिए गए। 

    उदाहरण के तौर पर फरवरी 2024 की रिपोर्ट में केपी जायसवाल इंटर कॉलेज में 13 शिक्षक अतिरिक्त थे और इसके बावजूद जुलाई 2024 में यहां चार शिक्षक और भेज दिए गए थे। इलाहाबाद इंटर कॉलेज में 12 शिक्षक पहले ही आवश्यकता से अधिक थे लेकिन जुलाई में एलटी ग्रेड के छह शिक्षक और भेज दिए गए। ईश्वर शरण इंटर कॉलेज में पांच शिक्षक अधिक होने के बावजूद चार और शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। राजकीय इंटर कॉलेज में 19 शिक्षक सरप्लस होने के बावजूद लगातार शिक्षकों को संबद्ध किया जा रहा है। 



    बेसिक शिक्षा: परिषदीय शिक्षकों का भी नहीं हुआ समायोजन

    प्रयागराज । माध्यमिक स्कूलों में ही नहीं परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में भी शिक्षकों का समायोजन नहीं हो पा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से 26 जून 2024 को जारी समायोजन नीति में कनिष्ठ शिक्षकों को दूसरे स्कूल में भेजने की बात कही गई थी। इसे मनमाना करार देते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने छह नवंबर 2024 को नीति ही निरस्त कर दी थी।

    याचिकाकर्ता राहुल पांडेय के अनुसार अफसरों की मनमानी के कारण आठ साल से परिषदीय स्कूलों में समायोजन नहीं हो सका है। जिले का कैडर होने के बावजूद बाहर के शिक्षक तो शहरी सीमा के आसपास स्कूलों में भरे जा रहे हैं लेकिन जिले में ही नियुक्ति पाने वाले शिक्षक परेशान हैं।

    यूपी बोर्ड इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 23 जनवरी से

    यूपी बोर्ड इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 23 जनवरी से

    हाईस्कूल की प्रयोगात्मक परीक्षाएं विद्यालय स्तर पर आन्तरिक मूल्यांकन (प्रोजेक्ट कार्य) के आधार पर होगी। 


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 23 जनवरी से शुरू होने जा रही हैं। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए मंडलवार कार्यक्रम के अनुसार प्रयोगात्मक परीक्षा दो चरणों में 23 से 31 जनवरी व एक से आठ फरवरी तक होंगी।




    पहले चरण में 23 से 31 जनवरी तक आगरा मंडल, सहारनपुर, बरेली, लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, अयोध्या, आजामगढ़, देवीपाटल व बस्ती मंडल के जिलों की प्रयोगात्मक परीक्षाएं होंगी।

    वहीं, दूसरे चरण में एक से आठ फरवरी तक अलीगढ़ मंडल, मेरठ, मुरादाबाद, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी व गोरखपुर मंडल के जिलों की प्रयोगात्मक परीक्षाएं होंगी। 


    विद्यालय स्तर पर कक्षा 12 की प्री-बोर्ड प्रैक्टिकल परीक्षाएं 4 से 10 जनवरी के मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्यों की ओर से कराई जाएंगी। हाईस्कूल की प्रयोगात्मक परीक्षाएं पिछले वर्ष की भांति विद्यालय स्तर पर आंतरिक मूल्यांकन (प्रोजेक्ट कार्य) के आधार पर कराई जाएंगी। 


    सचिव के अनुसार प्रयोगात्मक परीक्षाओं के बारे में अन्य आवश्यक जानकारी व परीक्षकों की नियुक्ति आदि की सूचना माध्यमिक शिक्षा परिषद के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है। परीक्षाओं की शुचिता को रखने रखने के उद्देश्य से प्रधानाचार्यों को प्रयोगात्मक परीक्षाएं सीसीटीवी की निगरानी में करानी होगी। 




    यूपी बोर्ड : प्रयोगात्मक परीक्षा 23 जनवरी से आठ फरवरी

    प्रयागराज । यूपी बोर्ड ने प्रयोगात्मक परीक्षा का कार्यक्रम शुक्रवार को जारी कर दिया है। प्रयोगात्मक परीक्षा दो चरणों में होगी। प्रथम चरण की 23 से 31 जनवरी और द्वितीय चरण एक से आठ फरवरी के मध्य होगा। प्रथम चरण में आगरा, सहारनपुर, बरेली, लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, अयोध्या, आजमगढ़, देवीपाटन और बस्ती में प्रयोगात्मक परीक्षा होगी।

    द्वितीय चरण में अलीगढ़, मेरठ, मुरादाबाद, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी और गोरखपुर जनपद की प्रयोगात्मक परीक्षा होगी। शुचिता के लिए सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में प्रयोगात्मक परीक्षाएं होंगी। साथ ही रिकॉर्डिंग भी सुरक्षित रखनी होगी। 


    हाईस्कूल की प्रयोगात्मक परीक्षाएं विद्यालय स्तर पर आन्तरिक मूल्यांकन (प्रोजेक्ट कार्य) के आधार पर होगी। नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा तथा इंटरमीडिएट की नैतिक, योग, खेल और शारीरिक शिक्षा के प्राप्तांक विद्यालय के प्रधानाचार्य के माध्यम से परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर अपलोड किए जाएंगे। 

    प्राप्ताकों को अपलोड किए जाने के लिए 10 जनवरी से वेबसाइट क्रियाशील की जाएगी। विद्यालय स्तर पर कराई जाने वाली कक्षा 12वीं की प्री-बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षाएं 04 जनवरी से 10 जनवरी के मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्यों की ओर से होगी। विद्यालय स्तर पर कक्षा 10 और 12 की प्री-बोर्ड लिखित परीक्षा 11 से 21 जनवरी के मध्य होगी।

    समाज कल्याण द्वारा संचालित विद्यालय से सेवानिवृत शिक्षिका को सत्रलाभ की अवधि का वेतन न देना पड़ा भारी, कोर्ट उठने तक हिरासत में लिए गए विशेष सचिव समाज कल्याण, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना में सुनाई सजा, दो हजार रुपये जुर्माना लगाया, आदेश के बावजूद शिक्षिका को नहीं दिया था नौ माह का वेतन

    समाज कल्याण द्वारा संचालित विद्यालय से सेवानिवृत शिक्षिका को सत्रलाभ की अवधि का वेतन न देना पड़ा भारी, कोर्ट उठने तक हिरासत में लिए गए विशेष सचिव समाज कल्याणइलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना में सुनाई सजा, दो हजार रुपये जुर्माना लगाया

    आदेश के बावजूद शिक्षिका को नहीं दिया था नौ माह का वेतन


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश की अवमानना में विशेष सचिव समाज कल्याण रजनीश चंद्रा को कोर्ट उठने तक हिरासत में रहने की सगा सुनाई। साथ ही उन पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। विशेष सचिव शाम चार बजे तक हिरासत में रहे।


    यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने फतेहपुर की सहायक अध्यापिका सुमन देवी की अवमानना याचिका पर दिया। सुमन समाज कल्याण विभाग से संचालित डॉ. बीआर अंबेडकर शिक्षा सदन में सहायक अध्यापिका थीं और अप्रैल 2022 को अवकाश प्राप्त किया। बीच सत्र में सेवानिवृति होने के कारण इन्होंने नियमानुसार सत्र लाभ के लिए आवेदन किया। आवेदन स्वीकार नहीं करने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।


    याचिका लंबित रहने के दौरान ही विभाग ने इन्हें सत्र लाभ देते हुए विद्यालय में ज्वाइन करा दिया। याची ने 21 जनवरी 2023 को ज्वाइन कर लिया। लेकिन, इन्हें अप्रैल 2022 से 21 जनवरी 2023 तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इसके खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।


    अधिवक्ता ने दलील दी कि विभागीय गलती से याची को ज्वाइन नहीं कराया। साथ ही काम नहीं तो वेतन नहीं का सिद्धांत मानकर भुगतान नहीं किया। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए याची को वेतन भुगतान करने का आदेश दिया। इस आदेश के बावजूद विशेष सचिव ने आदेश पारित कर कहा कि याची से काम नहीं लिया गया है। इसलिए वेतन नहीं दिया जा सकता है। इसके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई।


    न्यायालय ने इसे अदालत के आदेश की अवमानना मानते हुए विशेष सचिव रजनीश चंद्रा व फतेहपुर के जिला समाज कल्याण अधिकारी और जिला पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण अधिकारी प्रसून राय को तलब किया। रजनीश चंद्रा और प्रसून राय के खिलाफ अदालत ने अवमानना का केस चलाते हुए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। रजनीश चंद्रा ने अपने हलफनामे में माफी मांगते हुए बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन कर दिया गया है।


    कोर्ट स्पष्टीकरण से सहमत नहीं था। इसलिए रजनीश चंद्र को अदालत उठने तक हिरासत में रहने की सजा सुनाई है। जबकि, प्रसून राय को अवमानना के आरोप से बरी कर दिया है।

    शिक्षक के निलंबन के मामले बीएसए हरदोई के खिलाफ जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट करें दाखिल : हाईकोर्ट

    शिक्षक के निलंबन के मामले बीएसए हरदोई के खिलाफ जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट करें दाखिल : हाईकोर्ट

    शिक्षक के निलंबन के मामले में कार्रवाई को पाया अनुचित


    लखनऊ। हरदोई के एक शिक्षक के निलंबन मामले में बीएसए ने हाईकोर्ट लखनऊ के आदेश की अवहेलना करते हुए आदेश पास करने पर हाईकोर्ट ने बीएसए के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। अदालत ने बीएसए के खिलाफ जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही जांच पूरी होने तक बीएसए को कोई जिम्मेदारी न देने के भी निर्देश दिए हैं।

    न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने राजीव कुमार मिश्रा की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई नौ अप्रैल को नियत की है।

    याची के अधिवक्ता विजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत ने याची के खिलाफ आदेश पारित करने से पहले याची को जीवन निर्वाह भत्ता देने का आदेश दिया था। संबंधित बीएसए ने अदालत के आदेश की अवहेलना करते हुए पिछली दिनांक में फर्जी आदेश पारित कर दिया।

    अदालत ने बीएसए के आदेश पर नाराजगी जताते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। अदालत ने बीएसए द्वारा पारित 10 अप्रैल के आदेश को भी निरस्त कर दिया है।




    हरदोई बीएसए को निलंबित करने का हाईकोर्ट का आदेश, निलंबित शिक्षक को बर्खास्त करने और उसके देयकों के भुगतान के बारे में उच्च न्यायालय के अवहेलना पड़ी भारी  

    हरदोई। बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह को मनमानी भारी पड़ गई है, उनके द्वारा निलंबित शिक्षक को टर्मिनेट करने और उसके देयकों के भुगतान के बारे में उच्च न्यायालय के दो निर्देशों की अवहेलना की गाज जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह पर गिरी है। दरअसल हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस अब्दुल मुईन ने बीएसए वीपी सिंह को निलंबित करने का शासन को आदेश दिया है। मामला बावन ब्लॉक के सधई बेहटा परिषदीय विद्यालय में तैनात रहे अध्यापक राजीव कुमार मिश्रा से जुड़ा है। 


    जानकारी के अनुसार राजीव को विभाग ने निलंबित और बाद में बर्खास्त कर दिया था। राजीव विभाग की कार्यवाही और देयकों आदि के भुगतान नहीं होने का मामला उच्च न्यायालय लखनऊ ले गए थे। बताते हैं, देयकों के भुगतान को लेकर हाई कोर्ट ने दो मर्तबा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह को दिशा निर्देश जारी किए थे। लेकिन, वीपी सिंह ने हाई कोर्ट के निर्देश पर अमल नहीं किया। न्यायालय की अवमानना से क्षुब्ध जस्टिस अब्दुल मुईन ने हरदोई बीएसए को निलंबित करने का आदेश शासन को दिया है और भविष्य में कभी बीएसए जैसे महत्वपूर्ण पर से इन्हें दूर रखने के दिशा निर्देश सरकार को जारी किए हैं। 


    🔴 देखें कोर्ट ऑर्डर 👇



    आश्रम पद्धति विद्यालयों में एक तिहाई से ज्यादा पद खाली, प्रदेश में कुल 109 विद्यालयों में 431 प्रवक्ता और 409 सहायक अध्यापकों की कमी

    आश्रम पद्धति विद्यालयों में एक तिहाई से ज्यादा पद खाली, प्रदेश में कुल 109 विद्यालयों में 431 प्रवक्ता और 409 सहायक अध्यापकों की कमी


    लखनऊ। प्रदेश में जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों (आश्रम पद्धति) में एक तिहाई से ज्यादा पद खाली हैं। प्रवक्ता के 431 और सहायक अध्यापक के 409 पद रिक्त चल रहे हैं। वहीं, पत्रवाहक या माली के सभी 194 पद खाली हैं।


    यूपी में वर्तमान में 109 आश्रम पद्धति विद्यालय हैं। विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रधानाचार्य के 3 और उप प्रधानाचार्य के 4 पद खाली हैं। लाइब्रेरियन के 97, वरिष्ठ सहायक के 58, कनिष्ठ सहायक के 149, छात्रवास सहायक के 61, फार्मासिस्ट या नर्स के 37 पद खाली चल रहे हैं। वहीं, मेस हेल्पर के सभी 194 और चौकीदार सह स्वीपर के भी सभी 194 पद रिक्त हैं। अलबत्ता कंप्युटर ऑपरेटर और चतुर्थ श्रेणी (संविदा के आधार पर) के सभी पद भरे हुए हैं।


    आश्रम पद्धति विद्यालयों में कुल 4753 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 1831 रिक्त हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इन पदों को शीघ्र भरे जाने की आवश्यकता है।

    Friday, December 20, 2024

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी विज्ञप्ति

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी विज्ञप्ति

    (सभी जनपदों से निकलने वाली आगामी ARP भर्ती विज्ञप्तियां इसी पोस्ट में अपडेट की जाएंगी।)




    जनपद:  झांसी
     




    मान्यता की पत्रावली यूपी बोर्ड को न भेजने पर फंसे कई DIOS, यूपी बोर्ड सचिव ने मांगा कार्यवाही संबंधी प्रस्ताव

    मान्यता की पत्रावली यूपी बोर्ड को न भेजने पर फंसे कई DIOS, यूपी बोर्ड सचिव ने मांगा कार्यवाही संबंधी प्रस्ताव


    • वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के 12 जिलों में रोकी गईं 74 पत्रावलियां 


    प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) से मान्यता लेने के लिए प्रबंधतंत्र की ओर से किए गए आनलाइन आवेदन के क्रम में कई पत्रावलियां जिला स्तर पर रोक लिए जाने को यूपी बोर्ड सचिव ने गंभीरता से लिया है। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने परीक्षण कराया तो वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के 12 जनपदों से कुल 74 पत्रावलियां क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत नहीं की गईं। इसे माध्यमिक शिक्षा परिषद की नियमावली का उल्लंघन माना गया। ऐसे में संबंधित जनपदों के जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआइओएस) के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने का प्रस्ताव बोर्ड सचिव ने क्षेत्रीय अपर सचिव से मांगा है। संबंधित डीआइओएस के विरुद्ध कार्यवाही के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा।


    मान्यता लेकर विद्यालय संचालित करने के लिए यूपी बोर्ड सचिव ने आनलाइन आवेदन लिए थे। इस क्रम में प्राप्त आवेदनों का परीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट के साथ जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्रावली क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजी जानी थी। इस क्रम में क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ, बरेली, गोरखपुर, प्रयागराज और वाराणसी की ओर से प्रस्तुत की गईं सभी 327 पत्रावलियों का यूपी बोर्ड मुख्यालय में हुई बैठक में मान्यता समिति ने मानकों पर परीक्षण किया। इसमें कुल 103 पत्रावलियों को स्वीकृत कर 224 पत्रावलियों को अस्वीकृत कर दिया गया।


    मान्यता का प्रकरण शासन स्तर पर उठने के बाद बोर्ड सचिव ने परीक्षण कराया तो पता चला कि अयोध्या से 28, आजमगढ़ से 20, गाजीपुर से 13, जौनपुर से तीन, अमेठी व मीरजापुर से दो-दो तथा आंबेडकरनगर, बलिया, मऊ, चंदौली, भदोही और सोनभद्र जिले से एक-एक पत्रावली संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी को प्रस्तुत नहीं की गई। इस स्थिति पर बोर्ड ने संबंधित डीआइओएस एवं क्षेत्रीय कार्यालय की कार्यशैली को असंतोषजनक माना। 


    बोर्ड सचिव ने क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के अपर सचिव को भेजे पत्र में लिखा है कि संबंधित डीआइओएस ने परिषद के विनियम का पालन नहीं किया, साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा सतत् पर्यवेक्षण एवं प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई। ऐसे में संबंधित अधिकारियों की उदासीनतापूर्ण एवं गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के दृष्टिगत उनके विरुद्ध कार्यवाही के लिए साक्ष्य सहित प्रस्ताव यूपी बोर्ड मुख्यालय को उपलब्ध कराएं, जिससे उनके विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा शासन को भेजी जा सके।

    69000 शिक्षक भर्ती में फिर नहीं हो सकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, अब जनवरी के पहले सप्ताह में उम्मीद


    69000 शिक्षक भर्ती में फिर नहीं हो सकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, अब जनवरी के पहले सप्ताह में उम्मीद

    20 दिसम्बर 2024
    लखनऊ
    69000 teacher recruitment: 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में बृहस्पतिवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई। इसके पहले भी चार बार इस मामले में तारीख मिलने के बाद भी सुनवाई नहीं हो सकी। 

    69000 शिक्षक भर्ती में बृहस्पतिवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई। इससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को निराशा हाथ लगी है। इस मामले की अब जनवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई प्रस्तावित है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि पिछले कई बार से तारीख लग रही है लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। इससे अभ्यर्थियों में काफी निराशा है। उम्मीद है कि जल्द हमें न्याय मिलेगा।




    69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई 11 दिसम्बर को

    07 दिसंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अगली तिथि अब 11 दिसंबर लग गई है। इस मामले में पिछली कई बार से सुनवाई के लिए केस का नंबर न आने पर अभ्यर्थी निराश हैं। साथ ही उन्हें यह उम्मीद भी है कि अगली तिथि पर सुनवाई होगी और उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलेगा।

    सुशील कश्यप व भास्कर सिंह के नेतृत्व में अभ्यर्थियों ने बैठक कर अगली सुनवाई को लेकर रणनीति तय की। अभ्यार्थियों ने कहा कि बेसिक शिक्षा के अधिकारियों ने इस शिक्षक भर्ती की चयन सूची को आज तक मूल चयन सूची के रूप में जारी नहीं किया गया। जबकि हाईकोर्ट लखनऊ सिंगल बेंच, डबल बेंच, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग भी शिक्षक भर्ती की मूल चयन सूची मांग चुका है। 



    69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो सकी सुनवाई, 17 दिसंबर मिली अगली तारीख 

    05 दिसंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के मामले की बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 17 दिसंबर संभावित है। वहीं अभ्यर्थियों ने इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई कर उनको न्याय देने की मांग की है।

    लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा 13 अगस्त को इस मामले में दिए गए आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी। इसके बाद इस मामले में सुनवाई के लिए 15 अक्तूबर, 12 नवंबर, 20 नवंबर, 27 नवंबर और फिर चार दिसंबर की डेट मिली। किंतु इन तिथियों पर सुनवाई नहीं हो सकी।

    आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि आज भी हमारे मामले में सुनवाई का नंबर नहीं आया। हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट हमें न्याय देगा। वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का पक्ष रख रहे विनय पांडेय ने कहा कि आज कुछ कारण से सुनवाई नहीं हो सकी। 



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब चार दिसम्बर को

    02 दिसंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 10 दिसंबर की जगह अब चार दिसंबर को होगी। इस मामले की सुनवाई अब जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस संजय करोल करेंगे। 
    आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे भास्कर सिंह व सुशील कश्यप ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर वह सुप्रीम कोर्ट से निश्चित तौर पर जीतेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया है।

    यही वजह है कि लखनऊ हाईकोर्ट डबल बेंच ने 13 अगस्त को 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट को रद्द करके नई सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। 



    69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो पाई सुनवाई, अगली डेट 10 दिसम्बर को सुनवाई संभावित 

    28 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर अभ्यर्थियों ने निराशा जताई है। अभी अगली सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 10 दिसंबर है, हालांकि इससे पहले भी सुनवाई संभावित है। अभ्यर्थियों ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार से इस मामले में पहल करने की मांग की है।

    आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि आज प्रस्तावित सुनवाई अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों का न्याय की उम्मीद बढ़ती जा रही है। वहीं भास्कर सिंह व सुशील कश्यप ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 2000 आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थी ही याची बने हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह 10 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में याची लाभ का प्रस्ताव प्रस्तुत करे। ताकि इस मामले का निस्तारण हो सके।

    उन्होंने कहा कि वह एक से तीन दिसंबर तक ई-मेल भेजकर राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश आदि से जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई की अपील करेंगे। दूसरी तरफ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ रहे विनय पांडेय ने कहा कि जल्द ही इस मामले में सुनवाई होने की उम्मीद है। 



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई, अब 27 नवंबर को होगी अगली सुनवाई 

    21 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। किंतु कतिपय कारणों से यह सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर लगी है। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। 


    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अब 27 नवंबर को होगी सुनवाई

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। अब 27 नवंबर सुनवाई होगी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। 
    इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि 23 सितंबर के बाद से लगातार डेट मिल रही है। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है।

    चयनित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विनय पांडेय ने कहा कि अब 27 नवंबर को होने वाली सुनवाई में न्याय की उम्मीद है। 




    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज,  सुनवाई पर टिकी अभ्यर्थियों की उम्मीद 

    20 नवम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि उनके मामले में निर्णय होगा और उन्हें जल्द न्याय मिलेगा। पिछले कई तारीखों पर सुनवाई नहीं हो सकी है, इससे प्रभावित अभ्यर्थी निराश हैं। पहले सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 19 नवंबर थी जो अब बदलकर 20 नवंबर को हो गई है।

    69000 शिक्षक भर्ती मामले में 13 अगस्त को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नई सूची बनाकर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का निर्देश दिया था। इसे अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    वहीं आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए मांग कर रहे थे। किंतु इस पर निर्णय नहीं हो सका और अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

    आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। साथ ही 23 सितंबर को अगली सुनवाई की तिथि तय की थी। लेकिन इस तिथि को सुनवाई नहीं हो सकी। फिर 15 अक्तूबर और 12 नवंबर की तिथि लगी। किंतु इस दिन भी सुनवाई नहीं हो सकी। इसको लेकर अभ्यर्थी निराश हैं।



    कल नहीं हो सकी सुनवाई, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अब 19 नवंबर को होगी सुनवाई

    13 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ में यह सुनवाई होनी थी। लेकिन, समयाभाव के कारण केस की सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है।


    69000 शिक्षक भर्ती : आज भी नहीं हो सकी सुनवाई

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी। अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इस भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय देते हुए पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए नई सूची जारी करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर चयनित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    11 नवम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार 12 नवंबर को होगी। यह सुनवाई 15 नवंबर को प्रस्तावित थी। सुनवाई पहले होने के कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बैठक कर आगे की रणनीति बनाई। साथ ही उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही न्याय मिलेगा।

    सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अक्तूबर से चल रहा है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने इस मामले की एक सुनवाई हुई है। इसके बाद से इस पर डेट लग रही है। दिवाली से पहले इस मामले में अगली तिथि 15 नवंबर को प्रस्तावित हुई थी। किंतु अब यह 12 नवंबर को ही लग गई है।

     पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने बैठक में कहा कि वह 2020 से इस मामले की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

    Thursday, December 19, 2024

    उच्च शिक्षा के लिए प्रदेश में विदेशी विवि के परिसरों को मिली मंजूरी

    उच्च शिक्षा के लिए प्रदेश में विदेशी विवि के परिसरों को मिली मंजूरी


    लखनऊ। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि विधानसभा ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने वाले चार विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इससे प्रदेश में तीन नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और विदेशी विवि परिसरों के लिए रास्ता साफ हो गया है। 


    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने में यह ऐतिहासिक कदम है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि नए विश्वविद्यालयों और विदेशी परिसरों के माध्यम से छात्रों को उनके प्रदेश में ही विश्वस्तरीय शिक्षा का अवसर मिलेगा। विदेशी विश्वविद्यालय के आने से प्रदेश के छात्रों को अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा, उन्हें उच्च शिक्षा प्रदेश में ही सस्ती और सहज मिलेगी। 


    उन्होंने कहा कि अब किसी भी अन्य राज्य में रजिस्टर्ड संस्थाएं, कम्पनियां, ट्रस्ट जिनका रिकार्ड भी अच्छा हो, यूपी में निजी विव खोलने के लिए योग्य होंगी। अगर यूजीसी विदेशी विवि को प्रदेश में मान्यता दी जाती है तो ऐसी संस्थाएं भी प्रदेश में विवि स्थापित कर सकेगी। मंत्री ने कहा कि यह विधेयक प्रदेश के छात्रों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेंगे। 

    माध्यमिक शिक्षकों ने घेरा निदेशालय, दिनभर चले प्रदर्शन में सेवा सुरक्षा के साथ पदोन्नति व पेंशन की उठाई मांग

    माध्यमिक शिक्षकों ने घेरा निदेशालय, दिनभर चले प्रदर्शन में सेवा सुरक्षा के साथ पदोन्नति व पेंशन की उठाई मांग


    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षकों ने बुधवार को पार्क रोड स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के शिविर कार्यालय का घेराव किया। दिनभर चले प्रदर्शन के बाद, शाम चार बजे शिक्षकों ने सचिवालय के घेराव के नियत से कदम बढ़ाया तो पुलिस ने रास्ते में ही रोक लिया। इस दौरान शिक्षकों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई।


    सभी शिक्षक पहले तो निदेशालय के सामने शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। जैसे ही माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने सचिवालय की ओर कदम बढ़ाने के लिए शिक्षकों से कहा वैसे ही पुलिस भी सतर्क हो गई। 


    इस बारे में प्रादेशिक उपाध्यक्ष व प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 21 हमारे पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने समाप्त नही होने दी थी। हम भी सेवा सुरक्षा संबंधी धारा बहाल कराएंगे।


    उन्होंने कहा हमारी मांग है कि शिक्षकों की पदोन्नति संबंधी धारा 12, प्रधानाचार्यों की तदर्थ पदोन्नति संबंधी धारा 18, तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण निःशुल्क चिकित्सा सुविधा सरकार की ओर से दी जाए। 


    शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि एक वर्ष बीतने के बाद भी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा संबंधी धारा 21 को बहाल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा अब इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अत एकमात्र संघर्ष का ही रास्ता है।

    यूपी : सैनिक स्कूल में प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरी, परीक्षा 29 दिसम्बर की परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी


    यूपी : सैनिक स्कूल में प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरी, परीक्षा 29 दिसम्बर की परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी 


    सैनिक स्कूल में प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरी कर ली गई है। एडमिट कार्ड विद्यालय की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं। कैप्टन मनोज कुमार पांडेय सैनिक स्कूल लखनऊ सरोजनीनगर और गोरखपुर में प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरी हो गई है। सत्र 2025-26 में कक्षा 6 व 9 में प्रवेश के लिए ये परीक्षा 29 दिसंबर को आयोजित होगी। प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले सभी बच्चों के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए। 


    आवेदक अपने एडमिट कार्ड विद्यालय की बेबसाइट www.upsainikschool.org से डाउनलोड कर सकते हैं। आवेदक एडमिट कार्ड डाउनलोड करते समय अपने आवेदन पत्र एवं एडमिट कार्ड का विवरण जरूरी तौर पर चेक कर लें एवं किसी तरह की समस्या होने पर विद्यालय के हेल्पलाइन नम्बर 7052777795 पर फोन कर सकते है अथवा ईमेल आईडी info@upsainikschool.org पर मेल कर सकते हैं।


    परीक्षा के बाद इस तरह होगा चयन
    प्रवेश के लिए, उम्मीदवारों को एक प्रश्न पत्र वाली लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए। अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान, गणित और बौद्धिक क्षमता। परीक्षा ओएमआर आधारित होगी। रिक्त सीटों की संख्या के सापेक्ष तीन गुना उम्मीदवारों को मेरिट के आधार पर साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। मेडिकल जांच और साक्षात्कार के बाद मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। 10 सीटों को भुगतान सीटों के हिस्से के रूप में घोषित किया गया है। भुगतान सीट की स्कूल फीस सामान्य सीट फीस से दोगुनी है। इसलिए भुगतान सीटें उम्मीदवारों को मेरिट के क्रम में केवल 100 की मेरिट रैंक तक ही दी जाएंगी।


    इन जनपदों में आयोजित होगी परीक्षा
    परीक्षा आगरा, अयोध्या, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, मेरठ, प्रयागराज, वाराणसी और लखनऊ।

    Wednesday, December 18, 2024

    एडेड डिग्री कॉलेज के शिक्षकों का तीन साल में एक बार तबादला, कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली- 2024 को प्रख्यापित करने की दी मंजूरी

    एडेड डिग्री कॉलेज के शिक्षकों का तीन साल में एक बार तबादला, कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली- 2024 को प्रख्यापित करने की दी मंजूरी 


    लखनऊ । कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानान्तरण नियमावली- 2024 को प्रख्यापित करने की सहमति दे दी है। इसके तहत अब सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों का तीन साल पर एक बार तबादला हो सकेगा।


    पूर्व में एडेड कालेजों के शिक्षकों के तबादलों में काफी समस्याएं आती थी। 10 साल सेवा के बाद ही तबादले का प्रावधान था। बाद में अवधि पांच साल कर दी लेकिन इससे भी एडेड कॉलेजों के शिक्षकों की समस्याएं दूर नहीं हुईं। 


    नए शिक्षा आयोग के गठन संस्तुति पर सरकार ने एडेड कॉलेजों के शिक्षकों के स्थानांतरण तीन वर्ष पर एक बार करने का प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।


    उच्च शिक्षा विभाग की ओर से तबादला प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए यह बदलाव किया गया है। पूर्व में तबादला पाने के लिए पांच साल की सेवा अनिवार्य थी। इसे सरल करते हुए तीन साल किया गया है। विभाग के अनुसार शिक्षकों को तबादला के लिए अपने महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र से और संबंधित विश्वविद्यालय से अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा। इस अनुमोदित आवेदन को निदेशक उच्च के सामने प्रस्तुत करना होगा। 

    1504 शिक्षकों, 390 प्रधानाध्यापकों की 31 मार्च तक पूरी होगी भर्ती प्रक्रिया, एडेड जूनियर हाईस्कूलों में 10 महीनों से भर्ती है अटकी

    1504 शिक्षकों, 390 प्रधानाध्यापकों की 31 मार्च तक पूरी होगी भर्ती प्रक्रियाएडेड जूनियर हाईस्कूलों में 10 महीनों से भर्ती है अटकी

    निर्दलीय सदस्य ने इस मुद्दे पर किया सदन का बहिर्गमन


    लखनऊ : अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों के 1,504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया अगले साल 31 मार्च तक पूरी की जाएगी। मेरिट लिस्ट जारी करने और अंतिम चयन परिणाम के बाद तैनाती की प्रक्रिया निर्धारित तारीख तक पूरी कर ली जाएगी। 


    विधान परिषद में मंगलवार को निर्दलीय सदस्य राजबहादुर सिंह चंदेल व डा. आकाश अग्रवाल के सवाल पर सरकार ने यह आश्वासन दिया। बीते 10 महीने से चयन परिणाम जारी न होने से अभ्यर्थी परेशान हैं। बीती 15 फरवरी को हाईकोर्ट ने परीक्षा परिणाम जारी करने को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था।


    निर्दलीय सदस्य डा. आकाश अग्रवाल ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन भी किया। दोनों ही सदस्यों ने कहा कि एडेड जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापकों व सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों पर चयन के लिए वर्ष 2021 में आयोजित परीक्षा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। शिक्षकों के 1,504 पदों के सापेक्ष 2,71071 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी और 42,066 अभ्यर्थी परीक्षा में पास हुए। 


    प्रधानाध्यापकों के 390 पदों के सापेक्ष 14,931 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी और इसमें से 1544 अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। ऐसे में कुल 43,610 अभ्यर्थियों को परीक्षा परिणाम का इंतजार है क्योंकि इन्हीं में से मेरिट तैयार कर अंतिम चयन परिणाम जारी किया जाना है। 10 महीने पहले कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। फिर भी बेसिक शिक्षा विभाग प्रक्रिया नहीं पूरी कर पा रहा है।


     इस पर विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह को निर्देश दिए कि वह 31 मार्च 2025 तक भर्ती प्रक्रिया को पूरी कराएं। मंत्री ने सदन को भरोसा दिलाया कि वह निर्धारित तारीख तक भर्ती प्रक्रिया को पूरी कराएंगे।

    प्रदेशभर में निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण की होगी उच्च स्तरीय जांच

    प्रदेशभर में निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण की होगी उच्च स्तरीय जांच


    लखनऊ : चालू शैक्षिक सत्र में सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को निश्शुल्क दी जाने वाली पाठ्यपुस्तकें मिलीं या नहीं, इसकी जांच कराई जाएगी। अगले वर्ष फरवरी तक इस प्रकरण की जांच पूरी की जाएगी। अगले वर्ष एक अप्रैल को शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र के पहले ही दिन सभी छात्रों को मुफ्त किताबें मिल जाएं, इसके लिए व्यवस्था बनाई जाएगी। विधान परिषद में शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल पर सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया।


    विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 515 करोड़ रुपये का बजट है। ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने सिद्धार्थ नगर के ब्लाक संसाधन केंद्र, बांसी के कर्मचारियों द्वारा बीती 15 अक्टूबर को 4,133 सरकारी किताबें आठ हजार रुपये में बेचे जाने और इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) व दो कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने का मुद्दा उठाया।


     कहा कि बीईओ की गिरफ्तारी को अब उप जिलाधिकारी नौगढ़ अवैधानिक बता रहे हैं। ऐसे में अपराध करने वाले अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कर्मचारियों ने यह स्वीकार किया है कि कुल आठ हजार रुपये में किताबें बेची गईं। छह हजार रुपये बीईओ व एक-एक हजार रुपये दोनों कर्मचारियों ने लिए। 


    इस पर विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह को निर्देश दिए कि वह अगले बजट सत्र से पहले पाठ्यपुस्तक वितरण की उच्च स्तरीय जांच और पुस्तक वितरण का सत्यापन कराएं। मंत्री ने कहा कि वह जांच व सत्यापन का कार्य पूरा कर सदन को अवगत कराएंगे।

    फिलहाल नहीं होगी यूपी में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती: विधानसभा में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का जवाब

    फिलहाल नहीं होगी यूपी में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती: विधानसभा में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का जवाब 


    लखनऊ: बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती की कोई नई योजना फिलहाल नहीं है। प्रदेश में शिक्षकों की संख्या मानक के अनुरूप है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 30 छात्रों पर एक शिक्षक हैं। अगर शिक्षामित्रों को भी जोड़ लिया जाए तो यह अनुपात एक शिक्षक पर 22 छात्रों का हो जाता है।


    प्रश्नकाल में सपा सदस्य अनिल प्रधान और संदीप सिंह के प्रश्न पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि अगर प्रदेश में छात्रों की संख्या बढ़ेगी और नए छात्र आएंगे तो सरकार जरूर शिक्षकों की भर्ती पर विचार करेगी। इस पर अनिल प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में एक आंकड़े में बताया है कि प्रदेश में 7.85 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि यह आंकड़ा कहां से आया है, इसको वह दिखवा रहे हैं।

    Tuesday, December 17, 2024

    निजी विद्यालयों को मान्यता देने को संशोधित नियमावली में नहीं होगा बदलाव, माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा, विद्यालयों को मानने होंगे नए नियम

    निजी विद्यालयों को मान्यता देने को संशोधित नियमावली में नहीं होगा बदलाव माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा, विद्यालयों को मानने होंगे नए नियम

    • न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होना चाहिए निजी विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन


    लखनऊः शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधान परिषद में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने स्पष्ट किया है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की तरफ से निजी (वित्तविहीन) विद्यालयों को मान्यता देने के लिए संशोधित नियमावली में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों के लिए खेल व अन्य गतिविधियों के लिए विद्यालयों में मैदान की जरूरत होती है। इसी के मद्देनजर मान्यता की नियमावली में बदलाव किया गया है।


    विधान परिषद के सदस्य डा. आकाश अग्रवाल व राज बहादुर सिंह चन्देल ने मुद्दा उठाया कि नई नियमावली के अनुसार हाई स्कूलों को कभी भी उच्चीकृत नहीं किया जा सकता है। पुराने विद्यालयों को उच्चीकृत करने के लिए नियमावली में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि शहरों में निजी विद्यालय और भूमि नहीं जुटा सकते हैं वल्कि विद्यालयों में और मंजिलों का निर्माण करा सकते हैं। संशोधित नियमावली के अनुसार शहरी क्षेत्रों में विद्यालयों को मान्यता लेने के लिए कम से कम 3,000 व ग्रामीण क्षेत्रों में 6,000 वर्ग मीटर भूमि होना जरूरी है।


     उमेश द्विवेदी ने कहा कि जो विद्यालय पहले से मान्यता प्राप्त हैं, उन्हें उच्चीकृत किया जाए। डा. हरि सिंह ढिल्लो ने कहा कि एकल विषय वाले विद्यालयों को भी नई नियमावली के अनुसार ही मान्यता दी जा रही है। इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि नियमावली में काफी सोच-विचार कर संशोधन किया गया है। इसलिए इसमें बदलाव संभव नहीं है।


    संस्कृत पाठशालाओं का हो सुधार 
    विधान परिषद के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने प्रदेश की संस्कृत पाठशालाओं की स्थिति सुधारने की मांग की है। उन्होंने सदन में कहा कि संस्कृत पाठशालाओं के भवनों की देखरेख न होने के कारण ज्यादातर भवन जर्जर हो चुके हैं। वहीं संस्कृत शिक्षकों को भी केवल 15,000 रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। मान्यता प्राप्त संस्कृत पाठशालाओं को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। 


    उन्होंने निजी विद्यालयों के शिक्षकों को कम से कम 25,000 रुपये वेतन दिया जाने की मांग की। इस पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि अंशकालिक शिक्षकों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंधन की होती है। यह सरकार का दायित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि अरबी फारसी मदरसों को लेकर बनाई गई सेवा नियमावली में दंड प्रक्रिया की व्यवस्था को स्पष्ट नहीं किया गया है। शिक्षकों व कर्मचारियों के हित में नियमावली में संशोधन की जरूरत है।

    अगले शैक्षणिक वर्ष से 20 प्रतिशत सस्ती मिलेंगी कक्षा 9 से 12 की NCERT पाठ्यपुस्तकें

    अगले शैक्षणिक वर्ष से 20 प्रतिशत सस्ती मिलेंगी कक्षा 9 से 12 की NCERT पाठ्यपुस्तकें


    नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सोमवार को आगामी शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 9 से 12 तक की पाठ्यपुस्तकों की कीमतों में 20 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की। 


    एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की। वे एनसीईआरटी मुख्यालय में सभागार के निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।

    सकलानी ने कहा कि पहली बार पाठ्यपुस्तकों की कीमत में इतनी कमी की गई है। इस वर्ष एनसीईआरटी ने कागज खरीद की दक्षता में काफी सुधार किया और नवीनतम प्रिंटिंग मशीनों के साथ प्रिंटर भी शामिल किए हैं।

     एनसीईआरटी ने इसका लाभ देश के छात्रों को देने का फैसला किया है। भूमि पूजन कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। 

    विधान परिषद में ₹25 हजार महीना वेतन देने की मांग पर सरकार का जवाब – वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन का दायित्व प्रबंधतंत्र का

    विधान परिषद में ₹25 हजार महीना वेतन देने की मांग पर सरकार का जवाब – वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन का दायित्व प्रबंधतंत्र का

    विधान परिषद में शिक्षक एमएलसी ने 25 हजार रुपये महीना वेतन देने की उठाई थी मांग


    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा के वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को 25 हजार रुपये महीना वेतन देने का मुद्दा सोमवार को विधान परिषद में शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने उठाया। उन्होंने कहा कि पूरी योग्यता होने के बाद भी शिक्षक बदहाली व भुखमरी के कगार पर हैं। लगभग 2600 विद्यालयों के तीन लाख शिक्षक उपेक्षा का शिकार हैं।


    इसके जवाब में माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि निर्धारित सेवा शर्तों के अनुसार इन शिक्षकों की परिलब्धियों का भुगतान प्रबंध तंत्र करेगा। प्रबंधतंत्र भुगतान निजी स्त्रोत से करेगा, यह सरकार का दायित्व नहीं है।


     इस पर नेता प्रतिपक्ष लालबिहारी यादव ने कहा कि यह जवाब असांविधानिक है। नए बदलाव में अंशकालिक शिक्षक रहे ही नहीं, वह पूर्णकालिक हो चुके हैं। एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल ने वित्तविहीन विद्यालयों को मान्यता देने के लिए जारी नियमावली को नियमों के विपरीत बताया। कहा कि जमीन और जमानत राशि के मानक न्यायोचित नहीं हैं। एमएलसी राजबहादुर सिंह चंदेल ने कहा कि पहले से चल रही संस्थाओं को उच्चीकृत करने के लिए मानक शिथिल किए जाएं।


    इस पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि वित्तविहीन विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मान्यता शर्त में संशोधन किया गया है। एनईपी-2020 के अनुसार विद्यालयों में खेलकूद के मैदान जरूरी हैं। 10वीं कक्षा में शारीरिक व व्यायाम शिक्षा देने के लिए जमीन जरूरी है। ऐसे में नई नियमावली में किसी तरह के संशोधन की कोई जरूरत नहीं है।


     एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने प्रदेश के अरबी-फारसी मदरसों में प्रभावी सेवा नियमावली को दोषपूर्ण व शिक्षकों के हित के विपरीत बताया। उन्होंने इंटर शिक्षा अधिनियम में निलंबन की अवधि 60 दिन करने और संस्कृत पाठशालाओं को संसाधनयुक्त बनाने के लिए शिक्षकों को वेतन की समानता व असहायिक संस्कृत पाठशालाओं को अनुदान सूची पर लेने की मांग की। इसे अधिष्ठाता ने सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया। 

    First Aid Box in Basic Shiksha Schools: परिषदीय स्कूलों में हो सकेगा बच्चों का प्राथमिक उपचार, कंपोजिट ग्रांट से फर्स्टएड बॉक्स की होगी व्यवस्था, एक शिक्षक होगा प्रशिक्षित

    First Aid Box in Basic Shiksha Schools: परिषदीय स्कूलों में हो सकेगा बच्चों का प्राथमिक उपचार, कंपोजिट ग्रांट से फर्स्टएड बॉक्स की होगी व्यवस्था, एक शिक्षक होगा प्रशिक्षित 



    लखनऊ। आपात स्थिति में अब बच्चों का प्राथमिक उपचार स्कूल में ही हो सकेगा। इसके लिए परिषदीय स्कूलों में प्राथमिक स्वास्थ्य किट की व्यवस्था की जाएगी। प्रत्येक स्कूल के एक शिक्षक को प्राथमिक उपचार के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।


    सूबे के परिषदीय विद्यालयों में करीब करोड़ों बच्चे पंजीकृत हैं। स्कूल परिसर में प्रायः बच्चे खेल-खेल में चोटिल हो जाते हैं, या आकस्मिक बीमार पड़ जाते हैं।


    स्कूल में की जाएगी स्वास्थ्य किट की व्यवस्था, एक शिक्षक को किया जाएगा प्रशिक्षित

    ऐसी स्थिति में अब बच्चों का प्राथमिक उपचार स्कूल में ही हो सकेगा। इसके लिए परिषदीय स्कूलों में प्राथमिक स्वास्थ्य किट की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही प्रत्येक स्कूल के एक शिक्षक को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। पिछले माह विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट के तहत लगभग एक करोड़ की राशि भेजी गई थी। सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिए गए थे कि इस बार खेल सामग्री के साथ ही स्वास्थ्य किट भी खरीदनी है।


    किट में सभी प्रकार की जरूरी दवाएं मौजूद होंगी, जिससे बच्चों को आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार मिल सकेगा। सभी विद्यालयों में राशि भेजी जा चुकी है। किट खरीदने के निर्देश भी दिए गए हैं। आने वाले दिनों में सभी स्कूलों में किट की जांच की जाएगी।


    किट में होंगे ये सामान
    स्वास्थ्य किट में डिटॉल, पट्टी, गरम पट्टी, बैंडेज, रुई, कैंची, एंटीसेप्टिक लोशन, क्रीम, टेप, ग्लब्स, थर्मामीटर, सेफ्टी पिन, साबुन, चिमटी, लाल दवा, फिटकरी, सैनिटाइजर रहेगा।

    मदरसा बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन 31 दिसंबर तक

    मदरसा बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन 31 दिसंबर तक

    16 दिसंबर 2024
    लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद की मुंशी/मौलवी (सेकेंड्री), आलिम (सीनियर सेकेंड्री) की परीक्षा के आवेदन पत्र मदरसा पोर्टल पर शनिवार से ऑनलाइन भरे जाएंगे। मदरसा बोर्ड ने परीक्षा फार्म भरने की प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू कर दी है। बोर्ड ने आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की है। 

    बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि राजकीय कोष में परीक्षा शुल्क चालान के जरिये 28 दिसंबर तक जमा किया जा सकेगा। मदरसों के प्रधानाचार्य आवेदन पत्रों को नियमानुसार मदरसा पोर्टल पर 2 जनवरी 2025 तक लॉक करेंगे। इसके बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी परीक्षा आवेदन पत्रों को ऑनलाइन मदरसा पोर्टल पर संदेहास्पद डाटा को सम्मिलित करते हुए 6 जनवरी तक लॉक करेंगे। 




    मदरसा शिक्षा बोर्ड परीक्षा 2025 की आवेदन प्रक्रिया शुरू, परीक्षा फार्म भरने को लेकर दिशानिर्देश जारी

    ट्रेजरी चालान के माध्यम से भरा जाएगा परीक्षा शुल्क

    8 दिसम्बर 2024
    लखनऊ : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की मुंशी/ - मौलवी (सेकेंड्री फारसी एवं अरबी), आलिम (सीनियर सेकेंड्री फारसी - एवं अरबी) परीक्षा-2025 के परीक्षा फार्म भरने को लेकर दिशानिर्देश - जारी कर दिए गए हैं। यह दिशानिर्देश बोर्ड के रजिस्ट्रार ने सभी जिला -अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेज दिए हैं।


    परीक्षा शुल्क मदरसा से परीक्षा - वर्ष 2025 की गाइडलाइन जारी होने की तिथि से ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा किया जाएगा। शिक्षा, खेलकूद, कला एवं संस्कृति - विषय का परीक्षा शुल्क 0202 लेखाशीर्षक से जमा किया जाएगा। इसके अलावा सामान्य शिक्षा का 01, प्रारंभिक शिक्षा का 101 और अरबी फारसी मदरसों का मान्यता शुल्क व - अन्य शुल्क लेखाशीर्षक 10 होगा। - मदरसे परीक्षार्थियों से आफलाइन आवेदन प्राप्त करके निर्धारित शुल्क जमा करने के उपरांत पोर्टल - के माध्यम से आनलाइन भरेंगे।


    मदरसा बोर्ड से वर्ष 2018 से 2024 के बीच परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले परीक्षार्थियों को आवंटित स्टूडेंट आइडी आनलाइन फार्म भरते समय उपलब्ध कराने पर अपना व्यक्तिगत विवरण भरने की आवश्यकता नहीं होगी। मुंशी/मौलवी (सेकेंड्री फारसी एवं अरबी) पाठ्यक्रम के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष निर्धारित की गई है। राज्यानुदानित/सहायता प्राप्त मदरसों के लिए व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरवाने की अधिकतम संख्या 500 होगी। वहीं, गैर अनुदानित मान्यता प्राप्त मदरसों के लिए व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरवाने की अधिकतम संख्या 400 होगी।


    संस्थागत बालकों के मुंशी मौलवी की परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क 120 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। आलिम के लिए परीक्षा शुल्क 180 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। संस्थागत बालिकाओं का मुंशी/मौलवी का परीक्षा शुल्क 60 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये, आलिम की परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क 80 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। इसी तरह मुंशी/मौलवी की व्यक्तिगत परीक्षा देने वाले बालकों का परीक्षा शुल्क 240 रुपये और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये, आलिम की परीक्षा का परीक्षा शुल्क 280 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। मुंशी/मौलवी की व्यक्तिगत परीक्षा देने वाली बालिकाओं का परीक्षा शुल्क 130 रुपये और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये, आलिम की परीक्षा का शुल्क 160 और अंक पत्र 50 रुपये होगा।

    Monday, December 16, 2024

    बेसिक शिक्षा : नौ साल से प्रमोशन नहीं हुए, पहले वाले भी होने लगे निरस्त, जानिए! क्या है विवाद?

    बेसिक शिक्षा : नौ साल से प्रमोशन नहीं हुए, पहले वाले भी होने लगे निरस्त,  जानिए! क्या है विवाद?


    लखनऊ : प्रदेश के बेसिक स्कूलों में नौ साल से शिक्षकों के प्रमोशन नहीं हुए। इससे पहले जो प्रमोशन हुए थे, वे भी अब वरिष्ठता विवाद में उलझते जा रहे हैं। वरिष्ठता विवाद के बाद हाई कोर्ट के निर्देश पर तीन जिलों के प्रमोशन निरस्त भी कर दिए गए हैं। इससे प्रदेश के अन्य जिलों के प्रमोट हुए शिक्षक भी सहमे हुए हैं कि इस आदेश असर प्रदेश के सभी जिलों पर न पड़े।


    60 फीसदी स्कूल प्रभारी हेड के सहारे 
    बेसिक स्कूलों में आखिरी बार 2015 में प्रमोशन हुए थे। पहले जिला स्तर से प्रमोशन होते थे। ऐसे में कई जिले तो ऐसे हैं जहां 15 साल से प्रमोशन ही नहीं हुए हैं। इस वजह से प्रदेश के करीब 60% स्कूलों में स्थायी हेड मास्टर नहीं हैं। वे प्रभारी शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। अब तीन जिलों के प्रमोशन फिर से रद कर दिए गए हैं। ये जिले बुलंदशहर, सहारनपुर और सोनभद्र हैं। इससे अब प्रदेश में शिक्षकों को डर सता रहा है कि कहीं उनके जिले में भी प्रमोशन पर कोर्ट के आदेश का असर न पड़े।


    जानिए! क्या है विवाद?

    तीन जिलों में रद किए गए प्रमोशन में मुख्य विवाद वरिष्ठता तय करने को लेकर है। जूनियर स्कूलों के हेड के पद पर जो प्रमोशन किए गए थे, उसमें कार्यभार ग्रहण करने की तारीख के आधार पर वरिष्ठता तय की गई थी। इसको लेकर कुछ शिक्षक तभी कोर्ट चले गए थे कि वरिष्ठता का निर्धारण नियुक्ति की तारीख से होना चाहिए, न कि कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से। जूनियर हाईस्कूलों में कुछ शिक्षक ऐसे भी थे जिनकी भर्ती सीधे जूनियर में ही हुई थी।

    उन्होंने भी एक मुकदमा दायर कर दिया। इस तरह इस मामले में तीन पक्ष हो गए। इस पर कोर्ट ने इसी साल सरकार को निर्देश दिए थे कि वरिष्ठता का निर्धारण तय नियमावली के आधार पर करते हुए मामले को निस्तारित किया जाए। बेसिक शिक्षा विभाग ने अब इसका निस्तारण करते हुए संबंधित बीएसए को आदेश जारी कर दिए। जिन तीन जिलों के शिक्षक कोर्ट गए थे, वहां के बीएसए ने प्रमोशन निरस्त कर दिए हैं।

    Sunday, December 15, 2024

    परीक्षाएं 23 दिसंबर से और पेपर कितने नंबर का? यह पता नहीं, बेसिक स्कूलों की अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं लेकिन विभाग के अलग-अलग निर्देशों से असमंजस

    परीक्षाएं 23 दिसंबर से और पेपर कितने नंबर का? यह पता नहीं, बेसिक स्कूलों की अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं लेकिन विभाग के अलग-अलग निर्देशों से असमंजस


    लखनऊ: बेसिक स्कूलों में 23 दिसंबर से अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं होनी हैं। स्कीम जारी कर गई है लेकिन शिक्षक परेशान है कि किस पूर्णाक के आधार पर नंवर दें? टर्म परीक्षाओं, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं 100, 120 या 200 में से कितने पूर्णाक पूणर्णांक का ही पता नहीं 100, 120 या 200 नंबर में से किस आधार पर जांचें कॉपियां और कैसे बनाएं मार्कशीट की होगी? 


    वेसिक सकूलों में कक्षा एक से आठ तक की अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की स्कीम जारी कर दी गई है। परीक्षाएं 23 दिसंबर से हैं। उसी के साथ लिखित और मौखिक अंकों का विवरण भी दिया गया है। उसमें लिखा है कि लिखित अर्द्धवार्षिक परीक्षा में सभी प्रश्न पत्रों के पूर्णांक 50 होंगे। शिक्षकों का कहना है कि वार्षिक परीक्षा  50 पूर्णांक की पहले से ही होती है। वहीं एक टर्म एग्जाम हो चुके हैं। उसका पूर्णाक 10 था। एक और टर्म एग्जाम होगा तो वह भी 10 नंवर का होगा। इस तरह साल भर में कुल पूर्णांक 120 हो गया।


    पहले यह थी व्यवस्था

    पहले अर्द्धवार्षिक परीक्षा 30 अंक की होती थी। वहीं, टर्म एग्जाम 10-10 नंवर के होते थे। 50 अंक की वार्षिक परीक्षा होती थी। इस तरह पूर्णाक 100 हो जाता था। शिक्षकों का कहना है कि तव कोई कंफ्यूजन नहीं होता था। पिछले साल से यह गड़बड़ी देखने को मिल रही है। विभाग के स्तर से मार्गदर्शन भी नहीं दिया जाता। यही वजह है कि अलग-अलग स्कूल अलग-अलग पूर्णाक तय करके नंवर देते हैं।


    मार्कशीट के प्रोफार्मा में 200 पूर्णांक

    शिक्षकों की मुसीबत तब और बढ़ गई जब उन्होंने मार्कशीट तैयार करने का प्रोफार्मा देखा। उसमें टर्म एग्जाम 20-20 नंबर के हैं। अर्द्धवार्षिक परीक्षा के पूर्णाक 60 दिए गए हैं। वार्षिक परीक्षा 100 पूर्णांक की होनी है। इस तरह कुल पूर्णांक 200 हो गया। अब शिक्षक तय नहीं कर पा रहे है कि किस पूर्णांक को मानकर वे कॉपी जांचें और मार्कशीट बनाएं। इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षक बहुत कन्फ्यूज है। इससे मूल्यांकन में काफी दिक्कत आएगी। विभाग को इस बारे में स्पष्ट करना चाहिए कि किस आधार पर मूल्यांकन किया जाए और मार्कशीट तैयार की जाए।


    ये गड़बड़ी सुधारी

    बेसिक शिक्षा विभाग ने इस बार स्कीम भी गलत जारी कर दी थी। जो स्कीम जारी की गई थी उसमें कक्षा 6 में हिंदी और कक्षा सात और आठ में विज्ञान की परीक्षा का कोई जिक्र ही नहीं था। विवाद उठने पर विभाग ने शुक्रवार को संशोधित स्कीम जारी कर दी।




    असमंजस : सौ की परीक्षा में दो सौ अंक देंगे गुरुजी, रिपोर्ट फार्म में अधिक पूर्णाक देख परेशान हो रहे शिक्षकप्रत्येक बच्चे की ऑनलाइन की जा रही हॉलिस्टिक (समग्र) रिपोर्ट


    लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी हो रहे नित नए आदेशों ने शिक्षकों को पशोपेश में डाल दिया है। ऑनलाइन की जा रही छात्र- छात्राओं को हॉलिस्टिक रिपोर्ट (समग्र रिपोर्ट) में गुरुजी को अब पूर्णांक से भी ज्यादा अंक देने होंगे।


    पूरे सत्र में 100 अंकों की परीक्षा होती है, लेकिन रिपोर्ट में पूर्णांक 200 दिया गया है। परिषदीय स्कूलों में प्रतिवर्ष 10-10 अंकों की दो सत्र परीक्षा के अलावा 30 अंकों की अर्धवार्षिक और 50 अंकों की वार्षिक परीक्षा होती है। इस तरह पूरे सत्र में कुल 100 अंकों की परीक्षा होती है।


    इसी के आधार पर इस बार की प्रथम सत्र परीक्षा सितंबर माह में 10 अंकों की हो चुकी है। इसके अंक भी परिणाम रजिस्टर में दर्ज किए जा चुके हैं। अर्द्धवार्षिक परीक्षा का भी कार्यक्रम जारी किया जा चुका है।


    इसका भी पूर्णांक 50 दिया गया है। इसके बावजूद कक्षा तीन, चार और पांच की ऑनलाइन की जा रही रिपोर्ट में सत्र परीक्षा का पूर्णांक 20 और अर्द्धवार्षिक का 60 दिया गया है। साल भर में होने वाली परीक्षाओं का कुल पूर्णांक 100 है, जबकि हॉलिस्टिक रिपोर्ट में वर्षभर की परीक्षाओं का पूर्णांक 200 दर्ज करना है।


    शिक्षकों की समझ नहीं आ रहा कि जब सत्र परीक्षा 10 अंकों की हुई है तो वे 20 पूर्णांक में से अंक कैसे भरें। आगे होने वाली परीक्षाओं में भी यही स्थिति होने वाली है।