आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के चयन की प्रक्रिया तय, प्रदेशभर में रिक्त हैं 50 हजार पद, देखें चयन के क्या होंगे नियम
आंगनबाड़ी में होंगी 53 हजार भर्तियां, जानें क्या होगी प्रकिया?
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के 53 हजार पदों पर भर्ती का रास्ता साफ
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के रिक्त करीब 53 हजार पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। मानदेय के आधार पर होने वाली इन पदों पर भर्ती के लिए नये सिरे से चयन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है शासन ने शुक्रवार को शासनादेश जारी कर दिया है। पिछले कई महीनों से चयन प्रक्रिया का निर्धारण न होने की वजह से भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही थी। अब जल्द ही आईसीडीएस निदेशालय द्वारा इन तीनों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बता दें कि पिछले साल से लेकर अब तक विभाग में करीब 30 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 62 साल की आयू पूरी करने पर सेवानिवृत्त कर दिया गया है। इसके अलावा करीब 23 हजार पद पहले से ही खाली थे। लेकिन नये सिरे से चयन प्रक्रिया का प्रारूप तय करने की कवायद के चलते इन पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही थी। हालांकि शासन स्तर से चयन प्रक्रिया का प्रारूप करीब चार महीने पहले से ही तैयार कर लिया गया था, लेकिन उच्च स्तर पर निर्णय न होने की वजह से मामला लटका हुआ था।
लखनऊ : प्रदेश सरकार ने बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के करीब 53 हजार से अधिक पदों पर भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। सरकार ने इन पदों पर भर्ती के लिए नए सिरे से चयन प्रक्रिया निर्धारण कर दी है।
सरकार ने शुक्रवार को इसका आदेश जारी कर दिए। अब जल्द ही बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू करेगा। दरअसल, विभाग में करीब 53 हजार पद रिक्त चल रहे हैं। सरकार पिछले काफी समय से चयन प्रक्रिया का प्रारूप तय करने में जुटी थी। इस कारण रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही थी। अब विभाग ने इसका निर्धारण कर लिया है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की अपर मुख्य सचिव एस राधा चौहान ने शुक्रवार को चयन प्रक्रिया का आदेश जारी कर दिया।
इसके तहत अब सभी जिलों में डीएम की देखरेख में गठित चयन समिति इन पदों पर भर्ती करेगी। निदेशक जल्द ही जिलेवार रिक्तियों का ब्यौरा डीएम को उपलब्ध करा देंगे। चयन समिति की संस्तुति के बाद डीएम के अनुमोदन के बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी। डीएम की देखरेख में गठित होने वाली चयन समिति में जिले में तैनात समूह ‘क’ व ‘ख’ संवर्ग की महिला अफसर सदस्य रहेंगी।
पहले महिला अधिकारी सदस्य नहीं होती थी। डीएम द्वारा नामित सीडीओ या एडीएम समिति के अध्यक्ष होंगे, जबकि डीपीओ सदस्य सचिव होंगे। समिति में अनुसूचित जाति व अनुसचित जनजाति और पिछड़ी जाति के एक-एक जिला स्तरीय अधिकारी व संबंधित परियोजना के बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) भी सदस्य होंगे।
नियम : कमेटी में महिला अधिकारी का होना अनिवार्य
राज्य मुख्यालय : आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के चयन के लिए बनने वाली चयन समिति में अब महिला अधिकारी का होना अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं चयन के लिए पहली वरीयता गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार के सदस्य को दी जाएगी। चयन के लिए शहरी क्षेत्र के लिए गरीबी की आय सीमा 56460 रुपये और गांव में 46080 रुपये निर्धारित की गई है। इसके अलावा 62 वर्ष की होने पर सेवाएं स्वतः खत्म हो जाएंगी। प्रदेश में लम्बे समय से 50 हजार पद रिक्त हैं।
इस संबंध में बाल विकास सेवा व पुष्टाहार की अपर मुख्य सचिव एस राधा चौहान ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिकाओं की नियुक्ति प्रक्रिया का पुनर्निधारण कर दिया है। इसके अलावा पहले की योग्यताएं पूर्ववत ही रखी गई हैं। हाईस्कूल पास युवतियां ही आंगनबाड़ी और मिनी केंद्र पर कार्यकत्रियों तैनात की जा सकेंगी । सहायिकाओं के लिए शैक्षिक योग्यता न्यूनतम पांचवीं पास रखी गई है। इन पदों पर चयन के लिए आयु सीमा 21 से 45 वर्ष है। वहीं सहायिका से आंगनबाड़ी कार्यकत्री पद पर चयन के लिए उम्र सीमा 50 वर्ष निर्धारित की गई है। पांच वर्ष सहायिका के पद पर काम करने वाली ही कार्यकत्री पद के लिए आवेदन कर सकती हैं। चयन मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जाएगा।
भर्ती की प्रक्रिया 45 दिन में पूरी की जाएगी
आवेदन पत्र का प्रारूप एनआईसी तैयार करेगा और जिलों को उपलब्ध कराएगा। विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद चयन प्रक्रिया 45 दिनों में पूरी की जाएगी। यदि कोई आंगनबाड़ी कार्यकर्वी या सहायिका किसी लाभ के पद पर चयनित होती है तो उस पद पर शपथ लेने के साथ ही उसकी सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। सेविकाएं या कार्यकत्रियां समायोजन के लिए प्रार्थना कर सकती है।
हाईस्कूल,इंटर व स्नातक के अंक जोड़कर बनेगी मेटिट
हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक के अंक प्रतिशत को 10 से विभाजित करने पर जो उत्तर आएगा उसे ही अंक माना जाएगा। स्नातक के बाद के अंक नहीं जोड़े जाएंगे। जैसे हाईस्कूल में 45 फीसदी अंक हैं तो इसे 10 से विभाजित करने पर 4.5 होगा। इसी तरह तीनों परीक्षाओं के अंक जोड़े जाएंगे।
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