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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, April 11, 2025

    माध्यमिक कॉलेजों में विशेष नामांकन अभियान शुरू, परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों से आठवीं पास करने वालों को प्रवेश दिलाकर बढ़ाए जाएंगे बच्चे


    माध्यमिक कॉलेजों में विशेष नामांकन अभियान शुरू, परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों से आठवीं पास करने वालों को प्रवेश दिलाकर बढ़ाए जाएंगे बच्चे


    आठवीं पास सभी छात्रों को दिलाया जाएगा नौवीं में प्रवेश, बीएसए देंगे 8वीं पास छात्रों की सूची, 15 अक्तूबर तक चलेगा अभियान


    लखनऊ। प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेज समेत एडेड व वित्त विहीन विद्यालयों व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आठवीं के विद्यार्थियों को नौवीं कक्षा में शत-प्रतिशत प्रवेश दिलाने के लिए 15 अक्तूबर तक अभियान चलाया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र भेजकर निर्देश दिया है।


    आठवीं के सभी विद्यार्थियों को राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवेश दिलाने के लिए इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों व  बेसिक शिक्षा परिषद के प्रधानाध्यापकों से संपर्क करेंगे। इस साल आठवीं पास करने वाले विद्यार्थियों की सूची जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से राजकीय इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को उपलब्ध कराई जाएगी। 


    सूची में दर्ज विद्यार्थियों को सभी राजकीय इंटर कॉलेजों, एडेड व वित्तविहीन विद्यालयों में दाखिला दिलाया जाएगा। शासन का सख्त निर्देश है कि आठवीं उत्तीर्ण सभी बच्चों को प्रवेश दिलाया जाए। ताकि कोई भी छात्र शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न रह जाए। सभी आठवीं पास विद्यार्थियों को नौवीं कक्षा में प्रवेश दिलाने के निर्देश हैं। एक अप्रैल से 15 अक्तूबर तक अभियान चलाकर प्रवेश सुनिश्चित कराया जाएगा।

    बेसिक शिक्षकों के परस्पर स्थानांतरण के आवेदन की अंतिम तिथि से पहले ही अलीगढ़ की शिक्षिका कासोशल मीडिया पर कार्यमुक्ति का आदेश वायरल

    आवेदन भी नहीं कर पाए शिक्षक और एक का हो गया स्थानांतरण

    बेसिक शिक्षकों के परस्पर स्थानांतरण के आवेदन की अंतिम तिथि से पहले ही अलीगढ़ की शिक्षिका का
    सोशल मीडिया पर कार्यमुक्ति का आदेश वायरल 


    लखनऊ।  बेसिक शिक्षकों के परस्पर स्थानांतरण के आवेदन की अंतिम तिथि से पहले ही एक शिक्षिका का स्थानांतरण विभाग में चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर शिक्षिका के कार्यमुक्ति का आदेश वायरल हो गया है। बेसिक के हजारों न शिक्षक अलीगढ़ के चंडौस ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय सूरजपुर की सहायक अध्यापक पूर्णिमा सिंह का  गौतमबुद्धनगर के लिए कार्यमुक्ति आदेश से हैरान हैं। 

    7 अप्रैल को कार्यमुक्ति आदेश अलीगढ़ के बीएसए न डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बेसिक शिक्षा परिषद सचिव सुरेंद्र तिवारी के आदेश पर किया है। शिक्षक पूछ रहे हैं कि किस स्थानांतरण नीति का पालन न करते हुए यह कार्यमुक्ति आदेश किया गया, ताकि वह भी लाभान्वित हो सकें। 


    बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत महिला/पुरुष शिक्षकों को विशेष परिस्थितियों में शासन 6 के आदेश पर स्थानांतरण किया जा सकता है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों के निर्णय के बाद ही यह फैसला लिया गया होगा। इस संबंध में पूरी जानकारी नहीं है। - गणेश कुमार, अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक)


    करीब आठ वर्ष से सामान्य अंतः जनपदीय स्थानांतरण नहीं किए गए। जून 2023 में करीब 21 हजार शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण किए गए, जिनमें लगभग 15 हजार महिलाएं थीं। पुरुष शिक्षकों में करीब सात हजार को ही स्थानांतरण मिला था, जिससे अधिकांश शिक्षक दूर जिलों में अटके हैं। ऐसे में कई शिक्षकों ने पारिवारिक व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के आधार पर आवेदन देकर अंतरजनपदीय स्थानांतरण की मांग परिषद सचिव से की थी, लेकिन नहीं हुए। इसी तरह की पीड़ा दूर जिलों में नियुक्त कई शिक्षकों की है। इनको तो अंतरजनपदीय स्थानांतरण नहीं मिले, लेकिन अलीगढ़ की एक सहायक अध्यापक गौतमबुद्धनगर के लिए कार्यमुक्त कर दी गईं। 

    कार्यमुक्ति आदेश में अलीगढ़ बीएसए ने लिखा है कि बेसिक शिक्षा परिषद सचिव के 4 अप्रैल के पत्रांक के द्वारा यह स्थानांतरण किया गया है। वहीं जब इस संबंध में सचिव सुरेन्द्र तिवारी से संपर्क करने की कोशिश कि गई तो उनसे बात नहीं हो पाई।



    बोले शिक्षक नेता, तबादला नीति का उल्लंघन

    उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि इस तरह का स्थानांतरण परस्पर तबादला नीति का उल्लंघन है, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि अगर यह स्थानांतरण विशेष परिस्थितियों में किया गया है तो कई ऐसे शिक्षक है जो कि 15 वर्षों से अपने मूल जनपद से दूर रह कर सेवा दे रहे हैं और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं उनका भी स्थानांतरण किया जाना चाहिए। जूनियर शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी का कहना है कि अभी तक सभी शिक्षकों ने परस्पर स्थानांतरण के लिए आवेदन तक नहीं किया। पूरी प्रक्रिया बाकी है। उससे पहले इस तरह का आदेश चौंकाने वाला है। इससे शिक्षकों में रोष है।




    स्थानांतरण की प्रतीक्षा में हजारों बेसिक शिक्षक, एक का आदेश जारी

    प्रयागराज : सामान्य अंतरजनपदीय स्थानांतरण खुलने/मिलने की प्रतीक्षा कर रहे बेसिक शिक्षा परिषद के हजारों शिक्षक अलीगढ़ के चंडौस ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय सूरजपुर की सहायक अध्यापक पूर्णिमा सिंह का गौतमबुद्धनगर के लिए कार्यमुक्ति आदेश देखकर चौंक गए। सात अप्रैल को यह कार्यमुक्ति आदेश अलीगढ़ के बीएसए डा. राकेश कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद सचिव सुरेंद्र तिवारी के पत्रांक के अनुपालन में किया है। सामान्य शिक्षक पूछ रहे हैं कि किस स्थानांतरण नीति का पालन करते हुए यह कार्यमुक्ति आदेश किया गया, ताकि वह भी लाभान्वित हो सकें।

    बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत महिला/पुरुष शिक्षकों को करीब आठ वर्ष से सामान्य अंतः जनपदीय स्थानांतरण नहीं किए गए। जून 2023 में करीब 21 हजार शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण किए गए, जिनमें लगभग 15 हजार महिलाएं थीं। पुरुष शिक्षकों में करीब सात हजार को ही स्थानांतरण मिला था, जिससे अधिकांश शिक्षक दूर जिलों में अटके हैं। ऐसे में कई शिक्षकों ने पारिवारिक व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के आधार पर आवेदन देकर अंतरजनपदीय स्थानांतरण की मांग परिषद सचिव से की थी, लेकिन नहीं हुए। 

    इसी तरह की पीड़ा दूर जिलों में नियुक्त कई शिक्षकों की है। इनको तो अंतरजनपदीय स्थानांतरण नहीं मिले, लेकिन अलीगढ़ की एक सहायक अध्यापक गौतमबुद्धनगर के लिए कार्यमुक्त कर दी गईं। कार्यमुक्ति आदेश में अलीगढ़ बीएसए ने लिखा है कि बेसिक शिक्षा परिषद सचिव के चार अप्रैल के पत्रांक के द्वारा यह स्थानांतरण किया गया है। 

    मामले पर परिषद सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव व वैचारिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष डा. ज्ञानप्रकाश सिंह ने सामान्य स्थानांतरण खोले जाने की मांग की है, ताकि सभी शिक्षकों को लाभ मिल सके।


    एक और जिले में विद्यालय समय परिवर्तन आदेश जारी, देखें

    एक और जिले में विद्यालय समय परिवर्तन आदेश जारी, देखें



    महोबा 


    हमीरपुर 

    प्रयागराज


    Thursday, April 10, 2025

    नवचयनित प्रत्येक ARP को 10 स्कूलों को बनाना होगा निपुण, प्रत्येक ब्लाक में पांच यानी कुल 4,130 एआरपी के चयन की प्रक्रिया आज कल में होगी पूरी

    नवचयनित प्रत्येक ARP को 10 स्कूलों को बनाना होगा निपुण, प्रत्येक ब्लाक में पांच यानी कुल 4,130 एआरपी के चयन की प्रक्रिया आज कल में होगी पूरी  

    परिषदीय स्कूलों के श्रेष्ठ शिक्षकों को एआरपी के रूप में किया जा रहा चयनित

    हर वर्ष कार्यों के मूल्यांकन के बाद ही बढ़ेगा कार्यकाल


    लखनऊ: परिषदीय स्कूलों के श्रेष्ठ शिक्षकों को एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) के रूप में चयनित किया जा रहा है। प्रत्येक ब्लाक में पांच-पांच यानी कुल 4,130 एआरपी के चयन की प्रक्रिया गुरुवार तक पूरी होगी। अब बीते तीन वर्षों या उससे अधिक समय से इस पद पर जमे शिक्षकों को हटाकर नए अध्यापकों का अवसर दिया जा रहा है। फिलहाल अब हर वर्ष इनके कार्यों का मूल्यांकन कर ही कार्यकाल को बढ़ाया जाएगा। प्रत्येक एआरपी को 10-10 विद्यालयों को निपुण बनाना होगा।


    प्रदेश भर में 31 मार्च को सभी एआरपी का कार्यकाल खत्म हो चुका है। अब शिक्षकों की परीक्षा व इंटरव्यू लेकर उन्हें एआरपी के पद पर चयनित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है, जो गुरुवार को पूरी होगी। फिलहाल योग्य एआरपी न मिल पाने के कारण चयन की तिथि को बढ़ाना पड़ा। 


    यह एआरपी अपने-अपने ब्लाक के परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने में अध्यापकों की मदद करते हैं। विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रम और विभिन्न टीचिंग माड्यूल को बेहतर ढंग से लागू कराने में मदद करते हैं। छात्रों को भाषा व गणित में निपुण बनाने के लिए निपुण भारत मिशन चलाया जा रहा है। ऐसे विद्यालय जहां पर 80 प्रतिशत छात्र गणित व भाषा में दक्ष हैं, उन्हें निपुण विद्यालय घोषित किया जाता है।


    अब एआरपी की जिम्मेदारी होगी कि वह अपने-अपने ब्लाक के 10-10 विद्यालयों को निपुण बनाएंगे। तीन वर्ष इनका अधिकतम कार्यकाल होगा, लेकिन एक-एक वर्ष पर कार्यों की समीक्षा होगी। संतोषजनक कार्य न होने पर इन्हें हटा दिया जाएगा।

    बीईओ की पदोन्नति के लिए गलत ढंग से कोटा बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध हुआ तेज

    बीईओ की पदोन्नति के लिए गलत ढंग से कोटा बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध हुआ तेज

    उम्र राजकीय शिक्षक संघ ने निदेशालय में किया प्रदर्शन, 

    माध्यमिक शिक्षा निदेशक को सौंपा ज्ञापन, न्याय की मांग

    लखनऊ । राजकीय शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेश ने खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को प्रोन्नति देने के लिए पदोन्नति कोटे को गलत ढंग से बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध तेज कर दिया है। बुधवार को राजधानी स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशक के शिविर कार्यालय में बढ़ी संख्या में पहुंचे शिक्षकों ने कहा कि इससे बीईओ को लाभ होगा और शिक्षकों को नुकसान होगा, जबकि उनकी संख्या कहीं अधिक है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव को शिक्षकों ने ज्ञापन सौंपा और प्रस्ताव को वापस लिए जाने की मांग की।


    संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार भड़ाना व महामंत्री डा. रवि भूषण का कहना है कि शैक्षिक अध्यापन (अधीनस्थ राजपत्रित) और शैक्षिक (राजपत्रित निरीक्षण शाखा) के पदों में पदोन्नति कोटे में गड़बड़ी कर बीईओ को अनुचित लाभ देने की तैयारी की जा रही है। उनका कहना है कि हाईस्कूल के प्रिंसिपल के पदों पर कार्यरत 61 प्रतिशत पुरुष शाखा व 22 प्रतिशत महिला शाखा के प्रधानाचार्यों और 17 प्रतिशत बीईओ को पदोन्नति देकर राजकीय इंटर कालेज में प्रिंसिपल, बेसिक शिक्षा अधिकारी व एसोसिएट जिला ने विद्यालय निरीक्षक बनाया जाता है। 


    पहले बीईओ प्रति उप जिला म विद्यालय निरीक्षक पदनाम से जाने जाते थे। वर्ष 2011 में शासनादेश जारी कर इन्हें बीईओ पदनाम दिया ि गया, लेकिन नियमावली अभी तक स नहीं बनी। अब बीईओ के पदोन्नति कोटे के पदों को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत करने का प्रस्तावज्ञ तैयार किया गया है। बीईओ की संख्या 1,031 है और शैक्षिक संवर्ग के राजपत्रित अधिकारियों के समकक्ष शिक्षकों की संख्या 25 हजार है। ऐसे में बीईओ का पदोन्नति कोटा दोगुणा किया जाना अनुचित है।


    23 GIC में बनाए जाएंगे मिनी स्टेडियम, खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए प्रति विद्यालय 4.92 करोड़ मंजूर, सरकार ने जारी किया बजट

    23 GIC  में बनाए जाएंगे मिनी स्टेडियम, खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए प्रति विद्यालय 4.92 करोड़ मंजूर, सरकार ने जारी किया बजट

    ■ बरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, मेरठ और फतेहपुर के दो-दो स्कूल

    ■ प्रयागराज समेत प्रदेश के 18 जिलों में बनेंगे इंडोर मिनी स्टेडियम

    10 अप्रैल 2025
    प्रयागराज । स्कूली बच्चों में खेलकूद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश के 23 राजकीय इंटर कॉलेजों में 113.16 करोड़ रुपये से इंडोर मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे। 18 जिलों के इन जीआईसी और जीजीआईसी में मिनी स्टेडियम निर्माण के लिए प्रत्येक विद्यालय को 4.92-4.92 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने 26 मार्च को संबंधित जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को प्रत्येक विद्यालय के लिए 2.16 करोड़ की धनराशि जारी भी कर दी है।

    बरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, मेरठ और फतेहपुर के दो-दो स्कूलों में मिनी स्टेडियम बनेगा, जबकि प्रयागराज समेत अन्य जिलों में एक-एक स्कूल को चुना गया है। बरेली में पीएमश्री जीआईसी और जीजीआईसी, सुल्तानपुर में जीआईसी और राजकीय अभिनव विद्यालय टिकरीपन्ना, अमेठी में जीआईसी टीकरमाफी व जीजीआईसी सोनारीकला, मेरठ में जीआईसी हस्तिनापुर व जीआईसी, जबकि फतेहपुर में पीएमश्री जीआईसी व पीएमश्री जीजीआईसी में मिनी स्टेडियम बनेगा।

    इसके अलावा प्रयागराज में पीएमश्री जीआईसी, जीआईसी रायबरेली, जीआईसी इटावा, राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज गोरखपुर, जीआईसी मिर्जापुर, जीआईसी सीतापुर, जीआईसी लखीमपुर, जीआईसी ललितपुर, जीआईसी महाराजगंज, पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज टिम्बरपुर सोरों कासगंज, जीआईसी मुरादाबाद, राजकीय रजा इंटर कॉलेज रामपुर, जीआईसी उरई जालौन में मिनी स्टेडियम को मंजूरी मिली है।

    अन्य जिलों में भी बनेगा मिनी स्टेडियम
    प्रदेश के दूसरे जिलों के राजकीय इंटर कॉलेजों में मिनी स्टेडियम का निर्माण होगा। अपर शिक्षा निदेशक राजकीय अजय कुमार द्विवेदी का कहना है कि जिला मुख्यालय के जिन राजकीय इंटर कॉलेजों में 2500 वर्गमीटर से अधिक जमीन है वहां मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। पहले चरण में 18 जिलों के 23 कॉलेजों के लिए 49.68 करोड़ की धनराशि जारी हो चुकी है। अन्य जिलों में मिनी स्टेडियम स्थापित करने के लिए सूचना मांगी जा रही है।




    राजकीय इंटर कॉलेज की खाली जमीनों पर बनेंगे इंडोर मिनी स्टेडियम, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने दिए एस्टीमेट तैयार करने के निर्देश, जिला मुख्यालय पर प्रोजेक्ट अलंकार के तहत होगा निर्माण 


    23 फरवरी 2025
    लखनऊ। प्रदेश में जिला मुख्यालय स्तर पर राजकीय इंटर कॉलेजों में खाली पड़ी जमीन पर इंडोर मिनी स्टेडियम बनेंगे। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक से एस्टीमेट तैयार करके उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसके लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत बजट दिया जाएगा।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग का कहना है कि जिला मुख्यालय स्तर पर ऐसे राजकीय इंटर कॉलेज (बालक-बालिका), जहां 2500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खाली है। यहां पर खेल सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए एक मिनी स्टेडियम बनाने व चलाने का प्रस्ताव है।


    माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को खेल विभाग से अनुमोदित इंडोर मिनी स्टेडियम का मॉडल भी भेजा है। उन्होंने इसके अनुसार जिला मुख्यालय के ऐसे इंटर कॉलेजों को चिह्नित करते हुए मंडलवार एस्टीमेट तैयार कराने के निर्देश दिए हैं।

    यह पांच करोड़ रुपये से अधिक का नहीं होना चाहिए। प्रोजेक्ट अलंकार के तहत इन स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। इसके माध्यम से राजकीय इंटर कॉलेजों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ करने का काम किया जा सकेगा।

    गोद में बच्चा लिए बेसिक शिक्षक दंपति मांग रहे एक संग रहने का हक

    गोद में बच्चा लिए बेसिक शिक्षक दंपति मांग रहे एक संग रहने का हक

    लखनऊ : महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय के बाहर छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लिए शिक्षक दंपती हाथों में तख्तियां लिए धरने पर बैठे थे। आवाज एक थी, 'हमें साथ रहने दीजिए, हमें एक जनपद में स्थानांतरण दीजिए।' प्रदेश के अलग-अलग जिलों में तैनात ये शिक्षक दंपती वर्षों से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। कोई सहारनपुर में है तो उसकी पत्नी महराजगंज में, कोई मेरठ में तो पत्नी शाहजहांपुर में। विपुल त्यागी, संतोष त्यागी, अनुज मिश्रा ऐसे सैकड़ों नाम हैं जिनकी पारिवारिक जिंदगी बिखरी हुई है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें एक ही जिले में तैनाती नहीं मिली।

    छुट्टियां खत्म हो चुकी हैं। सीएल, ईएल, मेडिकल सभी छुट्टियां इस्तेमाल हो चुकी हैं। अब इन शिक्षकों के पास एक ही उम्मीद बची है अंतरजनपदीय स्थानांतरण।

    इसकी आस लेकर छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लिए ये शिक्षक लखनऊ महानिदेशक कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे, ताकि सरकार उनकी पुकार सुने। धरना स्थल पर एक महिला शिक्षिका की आंखें भर आईं। बोलीं, बच्चे पूछते हैं कि मम्मी-पापा कब साथ रहेंगे? हम बच्चों को क्या जवाब दें? कभी-कभी इतना तनाव हो जाता है कि पढ़ाने का मन ही नहीं करता। 

    धरना दे रहे शिक्षकों में से एक ने कहा, बच्चे संभालें या स्कूल चलाएं? माता-पिता की तबीयत खराब हो तो हम पहुंच भी नहीं सकते। हम सरकार से कुछ मांग नहीं रहे, बस एक मानवीय व्यवस्था की गुहार लगा रहे हैं। धरना दे रहे शिक्षकों की मांग थी कि इस ग्रीष्मकालीन अवकाश में सरकार विशेष विचार करे और पति-पत्नी शिक्षकों को बिना शर्त अंतरजनपदीय तबादले की सुविधा दे।




    परिषदीय विद्यालयों में सामान्य तबादले की मांग को लेकर शिक्षकों का धरना, सैकड़ों शिक्षक पति-पत्नी ऐसे जो काफी दूर पाए हैं तैनाती


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में एक तरफ परस्पर तबादले की प्रक्रिया चल रही है जो दूसरी तरफ सामान्य तबादलों की मांग तेज हो रही है। इसके तहत मंगलवार को काफी संख्या में शिक्षक बेसिक शिक्षा निदेशालय पहुंचे। यहां उन्होंने धरना देकर सामान्य तबादला करने की मांग की। दोपहर बाद उनकी महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से मुलाकाल हुई।


    परिषदीय विद्यालयों में सामान्य तबादले पिछले कई सालों से नहीं हुए हैं। परस्पर तबादले में कई शिक्षकों को जोड़ा (पेयर) नहीं मिल पाता है। इसकी वजह से काफी शिक्षक तबादले से वंचित हैं। बेसिक शिक्षा निदेशालय में धरने पर बैठे परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने कहा कि वे पति-पत्नी दोनों शिक्षक हैं। एक गोरखपुर में तो दूसरा आजमगढ़ में तैनात है।

    ऐसे काफी शिक्षक हैं जो पति-पत्नी 2-300 किमी दूर तैनात हैं। जबकि उनके माता-पिता तीसरी जगह हैं। विभाग ऐसे शिक्षक पति-पत्नी को कर एक ही जिले में तैनाती दे। ताकि वे अपने परिवार की देखभाल कर सकें। ऐसे शिक्षकों को बिना शर्त तबादला दिया जाए।

    शिक्षकों ने बताया कि दोपहर बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से मुलाकात हुई। उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में तबादले करने का आश्वासन दिया है।

    पहले स्वीकृत करते थे अवकाश बाद में रुपये नहीं मिलने पर करते थे अनुपस्थित, भारी पड़ी बीईओ को मनमानी, अब हुए निलंबित

    पहले स्वीकृत करते थे अवकाश बाद में रुपये नहीं मिलने पर करते थे अनुपस्थित, भारी पड़ी बीईओ को मनमानी, अब हुए निलंबित

    • जांच में दोषी मिले थे बीईओ इटवा, डीएम ने कार्रवाई के लिए लिखा था पत्र


    सिद्धार्थनगररुपये लेकर अवकाश स्वीकृत करना सहित तमाम कार्यों में मनमाना रवैया अपनाना खंड शिक्षाधिकाकरी (बीईओ) महेंद्र कुमार को भारी पड़ा। जिलाधिकारी के पत्र व जांच रिपोर्ट के आधार पर अपर शिक्षा निदेशक बेसिक कामता राम पाल ने मंगलवार को उन्हें निलंबित कर दिया।

    बीईओ इटवा महेंद्र कुमार द्वारा अवकाश स्वीकृत करने के नाम पर मनमानी की जा रही है। वह पहले अवकाश स्वीकृत करते थे और उसके लिए रुपये नहीं मिलते तो बाद में निरीक्षण कर उसी शिक्षक को अनुपस्थित कर देते थे।  जिलाधिकारी डा.राजा गणपति आर ने संज्ञान लेकर शासन को पत्र लिखा था। अपर शिक्षा निदेशक बेसिक ने पत्र का संज्ञान लेकर बीईओ इटवा को निलंबित कर दिया। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी शैलेष कुमार का कहना है कि डीएम के आधार पर अपर निदेशक बेसिक ने बीईओ इटवा को निलंबित कर दिया है। जांच होने तक वह मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक गोरखपुर मंडल कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।


    यह था मामला : इटवा तहसील क्षेत्र के ग्राम सिसवा बुजुर्ग निवासी शैलेष कुमार ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर बीइओ इटवा पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि बीईओ इटवा अवकाश स्वीकृत करने के नाम पर शिक्षकों से धन उगाही करते हैं, जहां रुपये नहीं मिलते उसके अवकाश को निरस्त करते हैं। जांच के नाम उनका उत्पीड़न करते हैं। डीमए ने मामले को गंभीरता से लेते हुए  तत्कालीन उप जिलाधिकारी इटवा को मामले की जांच करायी थी। जांच में बीईओ अधिकांश बिंदुओं में दोषी मिले थे। जांच में पता चला है कि इटवा ब्लाक संसाधन क्षेत्र के शिक्षक अजय मौर्या ने दो दिवसीय अवकाश के लिए आवेदन दिया था। बीइओ ने उनके अवकाश को स्वीकृत किया और बाद में उन्हें निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित कर दिया है। एसडीएम ने इसे मनमानीपूर्ण रवैया बताया था।

    प्राथमिक विद्यालय इटवा प्रथम की सहायक अध्यापिका सरिता मौर्या ने बच्चे के देखभाल के के लिए अवकाश मांगा था। शैलेष ने आरोप लगाया है कि रिश्वत नहीं मिलने पर बीईओ ने उनके आवेदन को निरस्त कर दिया। एसडीएम की जांच में रुपये लेने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है, लेकिन आवेदन निरस्त करने व बाद में स्वीकृत करने को एसडीएम ने बीइओ का मनमानी पूर्ण रवैया माना था।

    बीईओ इटवा अवकाश स्वीकृत करने के मामले में दोषी मिले थे। उनकी जांच करायी गयी थी। उनके विरुद्ध शासन को पत्र लिखा गया था। पत्र का संज्ञान लेकर अपर निदेशक बेसिक ने उन्हें निलंबित कर दिया।डा. राजा गणपति आर, जिलाधिकारी



    भ्रष्ट आचरण पर सिद्धार्थनगर के  BEO निलंबित, देखें आदेश 
     

    जिले के स्ट्रांग रूम में रहेंगे यूपी बोर्ड परीक्षा के बचे रिजर्व प्रश्नपत्र, वर्ष 2026 की प्री बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यालयों को दिए जाने की योजना

    जिले के स्ट्रांग रूम में रहेंगे यूपी बोर्ड परीक्षा के बचे रिजर्व प्रश्नपत्र, वर्ष 2026 की प्री बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यालयों को दिए जाने की योजना 


    प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 के लिए केंद्रों पर भेजे गए अतिरिक्त (रिजर्व) प्रश्नपत्र सचिव भगवती सिंह ने वापस मंगाए हैं। यह में सुरक्षित रखवाए जाएंगे। इन प्रश्नपत्रों को वर्ष 2026 की प्री बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यालयों को दिए जाने की योजना है। इससे जहां छात्र-छात्राएं इन प्रश्नपत्रों से परीक्षा देकर बोर्ड परीक्षा को लेकर अपनी तैयारी परख सकेंगे, वहीं करोड़ों रुपये से छपवाए गए प्रश्नपत्रों का सदुपयोग भी हो जाएगा।

    यूपी बोर्ड ने परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र लीक होने या किसी कारण शुचिता प्रभावित होने पर दूसरे प्रश्नपत्र से परीक्षा कराने के लिए प्रत्येक विषय के अतिरिक्त प्रश्नपत्र तैयार कराए थे। प्रश्नपत्रों को जिला मुख्यालय के स्ट्रांग रूम पर रखने के बजाय पहली बार सभी 8140 परीक्षा केंद्रों के स्ट्रांग रूमों में भेजा गया था, ताकि आवश्यकता पड़ने पर परीक्षार्थियों को देकर तत्काल परीक्षा संपन्न कराई जा सके। इन प्रश्नपत्रों को एक अतिरिक्त अलमारी में रखवाया गया था। चूंकि इसका उपयोग नहीं करना पड़ा, इसलिए वर्ष 2026 की प्री बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यालयों को देने की योजना यूपी बोर्ड ने तैयार की है। 

    अभी कुछ जिलों के कई परीक्षा केंद्रों से चौथी अलमारी में रखे अतिरिक्त प्रश्नपत्र जिला मुख्यालय के स्ट्रांग रूमों में नहीं पहुंचाए गए हैं। इसके चलते जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रश्नपत्रों को अविलंब मुख्यालय के कंट्रोल रूम में पहुंचाने के निर्देश प्रधानाचार्यों/केंद्र व्यवस्थापकों को दिए हैं। प्रवक्ताओं से प्रश्नपत्र तैयार कराकर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की प्री बोर्ड परीक्षा कराते हैं।




    यूपी बोर्ड: बेकार नहीं जाएंगे अतिरिक्त / रिजर्व प्रश्नपत्र, प्री बोर्ड के लिए इस्तेमाल किए जाने की हो रही कवायद

    06 अप्रैल 2025
    प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 के लिए केंद्रों पर भेजे गए अतिरिक्त (रिजर्व) प्रश्नपत्रों की आवश्यकता नहीं पड़ने पर वह अनुपयोगी हो गए। 

    इन प्रश्नपत्रों को नष्ट कराने के बजाय यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने वर्ष 2026 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट प्री बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यालयों को उपलब्ध कराने की योजना तैयार की है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है, ताकि अनुमति मिलने पर जहां विद्यालयों द्वारा प्रश्नपत्रों का सदुपयोग किया जा सकेगा।

    Wednesday, April 9, 2025

    यूपी में अब अब पट्टे की जमीन पर खुल सकेंगे संस्कृत विद्यालय, नियामावली में संशोधन, यूपी बोर्ड की तरह 30 साल का पट्टा जरूरी

    यूपी में अब अब पट्टे की जमीन पर खुल सकेंगे संस्कृत विद्यालय, नियामावली में संशोधन, यूपी बोर्ड की तरह 30 साल का पट्टा जरूरी


    लखनऊ : अव पट्टे (लीज) की जमीन पर भी संस्कृत विद्यालय खुल सकेंगे। इस वावत प्रदेश सरकार ने नियमावली में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। संशोधन के अनुसार संबंधित संस्था के नाम 30 साल का पट्टा होना जरूरी है। यह पट्टा स्कूल संचालन के लिए ही होना चाहिए। प्रदेश में कुल 1,246 संस्कृत विद्यालय हैं। इनमें से दो राजकीय और 973 एडेड विद्यालय हैं। वहीं 271 निजी विद्यालय हैं। इनमें एक लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं।


    इस बीच प्रदेश सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए 12 नए राजकीय विद्यालय खोले जाने हैं। साथ ही संस्कृत निदेशालय और वोर्ड का नया भवन भी प्रस्तावित है। फिर भी कई कठिनाइयां हैं, जिनकी वजह से विद्यालयों और छात्रों की संख्या नहीं वढ़ पा रही। 


    संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वोर्ड के सदस्यों ने यह सुझाव दिया था कि यूपी बोर्ड और सीबीएसई की तरह यहां भी लीज पर विद्यालय खोलने का प्रावधान किया जाए। इस पर दो साल पहल मंथन शुरू हुआ। वाद में इस पर प्रस्ताव तैयार हुआ और नियमावली में संशोधन हुआ। अव प्रदेश सरकार ने यह संशोधन कर दिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। अधिसूचना के अनुसार सीबीएसई और यूपी वोर्ड की तरह यदि संस्था के नाम 30 साल के लिए जमीन का पट्टा है तो संस्कृत शिक्षा वोर्ड उसे मान्यता देगा।


    खुलेंगे पांच नए संस्कृत विद्यालय

    प्रदेश में पांच नए संस्कृत विद्यालय खुलेंगे। संस्कृत शिक्षा बोर्ड की मान्यता समिति की बैठक में इन विद्यालयों की मान्यता को मंजूरी दे दी गई। इसके अलावा तीन स्कूलों में डिप्लोमा कोर्स के लिए मान्यता दे दी गई। वहीं दो स्कूलों में विज्ञान विषयों की मान्यता को स्वीकृति मिल गई।



    क्यों पड़ी नियमावली में बदलाव की जरूरत ?

    प्रदेश सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रही है लेकिन कुछ पुराने नियम और ऐसी समस्याएं हैं, जिनकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं। यह बात सामने आई कि यूपी बोर्ड और सीबीएसई में 30 साल की लीज पर मान्यता मिल जाती है। वहीं संस्कृत विद्यालय खोलने के लिए अपनी जमीन होनी चाहिए। यही वजह है कि नियमावली में संशोधन किया गया। अब यूपी बोर्ड और सीबीएसई की तरह आसानी से संस्कृत स्कूल खुल सकेंगे। नए विद्यालय खोलने के साथ ही कई पुराने विद्यालयों को भी इसका लाभहोगा। करीब 50% संस्कृत विद्यालय मठों और मंदिरों में चलते हैं। उनमें ज्यादातर के पास लीज या दान की जमीन है। वे दान की जमीन का पट्टा कराके भी विद्यालय संचालित कर सकेंगे। उनका भी नियमानुसार संचालन हो सकेगा।

    भीषण गर्मी और लू के चलते परिषदीय विद्यालयों का समय बदलने की मांग

    भीषण गर्मी और लू के चलते परिषदीय विद्यालयों का समय बदलने की मांग को लेकर शिक्षक संघों द्वारा मांग 




    कॉमन एडमिशन पोर्टल स्थगित, समर्थ के जरिये यूपी राज्य विवि पूरी करेंगे प्रवेश प्रक्रिया, राज्य विश्वविद्यालयों में अब गति पकड़ेगी नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया

    कॉमन एडमिशन पोर्टल स्थगित, समर्थ के जरिये यूपी राज्य विवि पूरी करेंगे प्रवेश प्रक्रिया, राज्य विश्वविद्यालयों में अब गति पकड़ेगी नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया


    विशेष सचिव उच्च शिक्षा ने राज्य विश्वविद्यालयों को बैठक में दिए निर्देश

    09 अप्रैल 2025
    लखनऊ। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में नए सत्र 2025-26 में कॉमन एडमिशन पोर्टल (समान प्रवेश आवेदन) से रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को स्थगित कर दिया गया है। फिलहाल राज्य विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल के माध्यम से स्वयं प्रवेश प्रक्रिया पूरी करेंगे। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव शिपु गिरी ने मंगलवार को राज्य विश्वविद्यालयों की बैठक में ये निर्देश जारी किए। साथ ही इसका आदेश भी जारी कर दिया गया।

    केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए होने वाले कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) की तरह ही उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य विश्वविद्यालयों में भी कॉमन एडमिशन पोर्टल से नए सत्र में प्रवेश प्रक्रिया आयोजित करने की घोषणा की थी। विभाग की ओर से लेकर कवायद भी शुरू उसमें काफी दिक्कत आ रही थी। साथ ही काफी समय भी लग रहा था। इसे लेकर राज्य विश्वविद्यालय काफी परेशान थे।

    इसके बाद आनन-फानन उच्च शिक्षा विभाग ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों की मंगलवार को बैठक की। बैठक में विशेष सचिव शिपु गिरी ने कहा कि फिलहाल कॉमन एडमिशन पोर्टल तैयार नहीं है। अभी इसमें समय लग रहा है। ऐसे में सभी राज्य विश्वविद्यालय पूर्व की भांति अपनी व्यवस्था से प्रवेश करेंगे। 

    इसमें उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य विश्वविद्यालय व महाविद्यालय समर्थ पोर्टल के माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया पूरी करेंगे, ताकि सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के छात्रों का डाटा एक जगह हो। उन्होंने कहा है कि सभी विश्वविद्यालय व इससे संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों व महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया समर्थ पोर्टल पर पहले से उपलब्ध एडमिशन मॉड्यूल के माध्यम से कराया जाना सुनिश्चित करें।

    उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इस स्पष्टीकरण के बाद राज्य विश्वविद्यालयों ने अपने यहां नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी तेज कर दी है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवेश समन्वयक प्रो. अनित्य गौरव ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आज की बैठक में दिए गए निर्देश के बाद हमने समर्थ से प्रवेश करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। हम एक-दो दिन में इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने की स्थिति में होंगे।



    यूपी में कॉमन एडमिशन पोर्टल के फेर में फंसी राज्य विवि की प्रवेश प्रक्रिया उच्च शिक्षा विभाग नहीं शुरू कर सका पोर्टल, दाखिले के लिए छात्र परेशान

    07 अप्रैल 2025
    लखनऊ। उच्च शिक्षा विभाग ने इस साल पहली बार राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में राज्य संयुक्त प्रवेश पोर्टल (समान प्रवेश आवेदन) से प्रवेश की घोषणा की है, लेकिन अप्रैल का पहला सप्ताह बीतने के बाद भी विभाग कॉमन एडमिशन पोर्टल नहीं शुरू कर सका है। इससे राज्य विवि व महाविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया 15 दिन से ज्यादा पिछड़ चुकी है और छात्र दाखिले के लिए परेशान हैं।

    शिक्षा मंत्रालय देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कंबाइंड यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) करा रहा है। इसी तर्ज पर प्रदेश में भी उच्च शिक्षा विभाग ने पिछले साल ही राज्य संयुक्त प्रवेश पोर्टल से प्रवेश कराने की घोषणा की थी। पर, अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है, जबकि इसको लेकर विभाग प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के साथ कई बैठकें कर चुका है। 


    लखनऊ विश्वविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि, छत्रपति शाहूजी महाराज विवि कानपुर, प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विवि प्रयागराज समेत कई राज्य विवि में नए सत्र के प्रवेश से जुड़ी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। उन्हें बस उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का इंतजार है। 

    लखनऊ विश्वविद्यालय ने तो अपने यहां दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन फॉर्म 17 मार्च को जारी कर दिए हैं। विवि ने पिछले सत्र 2024-25 में अपने यूजी पीजी प्रवेश फार्म 27 मार्च तो सत्र 2023-24 में 22 मार्च को जारी किए थे, लेकिन इस बार सात अप्रैल बीतने के बाद भी विभाग के आदेश का इंतजार है। राज्य विवि से संबद्ध व अन्य महाविद्यालय भी इसके फेर में फंसे हैं।


    समर्थ पोर्टल के चक्कर में फंसा मामला

    उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कॉमन एडमिशन पोर्टल का संचालन समर्थ पोर्टल से किया जाना है। समर्थ पोर्टल का विकास दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस पोर्टल से प्रवेश पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने में दिक्कत आ रही है। सभी राज्य विवि की ओर से इस पर डाटा अपडेट किया जा चुका है, लेकिन उनकी ओर से उठाए गए सवालों का निराकरण करके आवेदन प्रक्रिया शुरू करने में समस्या आ रही है।


    सभी बोर्डों की हो चुकीं परीक्षाएं, छात्र भटक रहे

    प्रदेश में यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड आदि की इंटर की परीक्षाएं हो चुकी हैं। वहीं केंद्रीय विवि में सीयूईटी का भी आयोजन हो चुका है, लेकिन राज्य विवि की प्रवेश प्रक्रिया नहीं शुरू होने से छात्र भी प्रवेश के लिए भटक रहे हैं। प्रवेश संबंधित जानकारी के लिए वह राज्य विवि व महाविद्यालयों के चक्कर भी काट रहे हैं। पर, उन्हें प्रवेश आवेदन को लेकर जानकारी नहीं मिल पा रही है।


    प्रवेश की केंद्रीयकृत व्यवस्था से राज्य विवि व महाविद्यालयों की ऑटोनॉमी को खतरे में डाला जा रहा है। सीयूईटी लागू करने से लगातार केंद्रीय विवि में सत्र लेट हो रहा है। उच्च शिक्षा विभाग समर्थ पोर्टल से क्या करना चाहता है, स्पष्ट नहीं है। इसका असर पढ़ाई पर भी पड़ रहा है।- डॉ. मनीष श्रीवास्तव, कार्यालय सचिव, फेडरेशन ऑफ यूपी यूनिवर्सिटी एसोसिएटेड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (फुफुक्टा)


    कॉमन एडमिशन पोर्टल को लेकर हो रही दिक्कत की जानकारी मिली है। प्रदेश में एक बेहतर व्यवस्था लागू करने के लिए इस पोर्टल को प्रभावी बनाने का काम चल रहा है। व्यस्तता से इस तरफ ध्यान नहीं दे पाया। जल्द ही उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर इसका निस्तारण कराएंगे। जल्द से जल्द राज्य विवि व कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी। - योगेंद्र उपाध्याय, उच्च शिक्षा मंत्री

    Tuesday, April 8, 2025

    बोर्ड परीक्षार्थियों के विवरण में संशोधन को करें आवेदन, यूपी बोर्ड ने 9 अप्रैल तक निवारण का एक और मौका दिया

    यूपी बोर्ड : नौ अप्रैल के बाद शुरू हो जाएगी रिजल्ट बनाने की प्रक्रिया, त्रुटिरहित परिणाम के लिए यूपी बोर्ड ने दिया अतिरिक्त मौका, अप्रैल के अंत में संभावित है परीक्षाफल


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का परीक्षाफल तैयार करने की प्रक्रिया नौ अप्रैल के बाद शुरू कर दी जाएगी। परिणाम तैयार होने में तकरीबन 15 दिनों का वक्त लगेगा। ऐसे में यूपी बोर्ड अपनी तैयारी के अनुरूप अप्रैल के अंतिम सप्ताह में रिजल्ट जारी कर सकता है।

    वैसे तो यूपी बोर्ड की परीक्षा 12 मार्च को समाप्त हो गई थी और कॉपियों का मूल्यांकन भी दो अप्रैल को पूरा हो चुका है लेकिन बोर्ड के अफसर चाहते हैं कि रिजल्ट में किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाए और किसी भी परीक्षार्थी को दिक्कत न हो। यही वजह है कि यूपी बोर्ड ने छूटे हुए अभ्यर्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षा कराने का निर्णय लिया, जो सोमवार से शुरू हो गई है और आठ अप्रैल को पूरी हो जाएगी।

    प्रयोगात्मक परीक्षा में शामिल होने से 36,932 अभ्यर्थी वंचित रह गए थे, जिन्हें अब अंतिम अवसर दिया गया है। यह परीक्षा भी सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में कराई जा रही है। दूसरी ओर, प्रदेश के 62 जनपदों के 420 विद्यालयों ने शैक्षिक सत्र 2024-25 में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं के हाईस्कूल में विद्यालय स्तर पर आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के अंक और इंटरमीडिएट के नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा के अंक परिषद की वेबसाइट पर अद्यतन अपलोड नहीं किए थे।

    आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड करने के लिए यूपी बोर्ड ने ने विद्यालयों को सात अप्रैल तक का समय दिया था और सोमवार को यह मियाद भी पूरी हो गई। यूपी बोर्ड ने परीक्षार्थियों के शैक्षिक विवरण में संशोधन के लिए नौ अप्रैल तक का समय दिया गया है। परीक्षार्थियों के विषय/वर्ग, छात्र के नाम, माता/पिता के नाम में वर्तनी त्रुटि, जन्मतिथि, जेंडर, जाति, फोटो आदि में संशोधन का मौका दिया गया है।

    आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड होने, छूटे हुए परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षा पूरी होने और शैक्षिक विवरण में संशोधन के बाद यूपी बोर्ड रिजल्ट तैयार करने का काम शुरू करेगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा परिणाम तैयार करने में कम से कम 15 दिनों का वक्त लगेगा। अप्रैल के अंत में परिणाम जारी करने की योजना है।




    बोर्ड परीक्षार्थियों के विवरण में संशोधन को करें आवेदन, यूपी बोर्ड ने 9 अप्रैल तक निवारण का एक और मौका दिया

    प्रयागराज । हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 का परिणाम तैयार करने में जुटे यूपी बोर्ड ने परीक्षार्थियों के शैक्षिक विवरणों की त्रुटियों के निवारण का एक और मौका दिया है। बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरणों में यदि अभी भी विषय/वर्ग, नाम, माता/पिता के नाम में वर्तनी त्रुटि, जन्मतिथि, जेंडर, जाति, फोटो आदि का संशोधन बाकी है तो संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य बोर्ड की वेबसाइट पर सात से नौ अप्रैल की शाम छह बजे तक तक आवेदन कर सकते हैं।

    प्रधानाचार्य को निर्धारित प्रारूप पर अपेक्षित संशोधन का विवरण मैन्युअल के अनुसार भली-भांति अंकित कर सत्यापित करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक से अनुमोदन प्राप्त कर वेबसाइट पर पुनः लॉगइन कर पूरित प्रारूप एवं सभी आवश्यक साक्ष्य व प्रपत्रों को अपलोड करेंगे। 

    सचिव भगवती सिंह ने डीआईओएस को निर्देशित किया है कि संशोधन से संबंधित आवश्यक साक्ष्य/प्रपत्र प्रस्तुत करने पर ही अनुमोदन प्रदान करें। छात्रहित को ध्यान में रखते हुए परीक्षा परिणाम की घोषणा से पहले संशोधन के लिए यह अंतिम अवसर प्रदान किया गया है।


    अनिवार्य प्रशिक्षण किए बगैर चार साल से पढ़ा रहे हजारों बीएड डिग्रीधारी शिक्षक, सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल 2024 को एनसीटीई को दिए थे निर्देश

    अनिवार्य प्रशिक्षण किए बगैर चार साल से पढ़ा रहे हजारों बीएड डिग्रीधारी शिक्षक,  सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल 2024 को एनसीटीई को दिए थे निर्देश

    ■ बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों के लिए सालभर में बनाना था ब्रिज कोर्स


    प्रयागराज। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित बीएड डिग्रीधारी शिक्षक छह महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण किए बगैर चार साल से अधिक समय से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) भी कम जिम्मेदार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल 2024 को केवल बीएड योग्यता के आधार पर चयनित शिक्षकों की नियुक्तियों को संरक्षित करते हुए एनसीटीई को निर्देशित किया था कि वह सालभर के अंदर छह माह के ब्रिज कोर्स को डिजाइन कर अधिसूचित करे। शिक्षा मंत्रालय को इसकी समग्र निगरानी का दायित्व सौंपा गया था। हालांकि समयसीमा बीतने के बावजूद छह माह का ब्रिज कोर्स तैयार नहीं हो सका है।


    यही कारण है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी पूरा नहीं पा रहा। शिक्षक भर्ती मामलों के जानकार राहुल पांडेय ने बताया कि एनसीटीई ने 28 जून 2018 को प्राथमिक स्कूलों की भर्ती में बीएड अर्हता को इस शर्त के साथ मान्य कर लिया था कि ऐसे शिक्षकों को नियुक्ति के दो साल के अंदर छह महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य रूप से करना होगा। ताकि बीएड और डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) के प्रशिक्षण में अंतर को दूर करते हुए बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक कक्षा के बच्चों की क्षमताओं और अपेक्षाओं से अवगत कराया जा सके। 

    उसके बाद उत्तर प्रदेश में दिसंबर 2018 में शुरू हुई 69000 शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्य कर लिया गया और हजारों अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया। 69000 भर्ती के पहले बैच में 31,277 और दूसरे बैच में 36,590 शिक्षकों को क्रमशः अक्तूबर और दिसंबर 2020 में नियुक्ति मिली थी। बाद में डीएलएड अभ्यर्थियों की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना निरस्त कर दी थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने भी राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद यूपी के कुछ शिक्षामित्रों ने 69000 भर्ती में चयनित बीएड डिग्रीधारियों को बाहर करने की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में कर दी।

    इस मामले में बीएड शिक्षकों की तरफ से शीर्ष अदालत में पैरवी करने वाले अधिवक्ता राकेश मिश्रा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति को संरक्षित करते हुए एनसीटीई को सालभर में ब्रिज कोर्स डिजाइन करने के आदेश दिए थे।

    ब्रिज कोर्स डिजाइन करने के लिए एनसीटीई ने 16 जुलाई 2024 को विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था लेकिन अब तक ब्रिज कोर्स की अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है। सूत्रों के अनुसार इस मामले को कई शिक्षक एनसीटीई को कानूनी नोटिस भेजने की तैयारी में हैं। जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की जा सकती है।

    इंजीनियरिंग की किताबें 12 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की तैयारी, अनुवाद का काम जारी, एआईसीटीई ने 2026 तक योजना पूरा करने का रखा लक्ष्य

    इंजीनियरिंग की किताबें 12 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की तैयारी, अनुवाद का काम जारी, एआईसीटीई ने 2026 तक योजना पूरा करने का रखा लक्ष्य


    दिसंबर 2026 तक 12 भारतीय भाषाओं में सभी इंजीनियरिंग डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। अलग- अलग विषयों और शैक्षणिक वर्षों के लिए पाठ्य पुस्तकों के अनुवाद का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है। बताते चलें कि एआईसीटीई विश्वविद्यालय से संबद्ध और स्वायत्त तकनीकी संस्थानों की निगरानी करता है।

    भारतीय भाषाओं में ये पाठ्य पुस्तकें एआईसीटीई के मॉडल पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार की गई हैं और ये सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस जैसी मुख्य इंजीनियरिंग शाखाओं को कवर करती हैं।

    एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर टीजी सीताराम ने कहा कि पहले और दूसरे वर्ष के इंजीनियरिंग डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए लगभग 600 पाठ्यपुस्तकें पहले ही तैयार की जा चुकी हैं और 12 क्षेत्रीय भाषाओं में अपलोड भी की जा चुकी हैं। इन क्षेत्रीय भाषाओं में हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल हैं।

    उन्होंने आगे कहा, हमने इंजीनियरिंग के डिप्लोमा और डिग्री दोनों की पहले और दूसरे वर्ष की दो वर्षों की पुस्तकें तैयार कर ली हैं। तीसरे और चौथे वर्ष की पाठ्यपुस्तकों के लिए काम तेजी से चल रहा है। इनमें से भी हमने तीसरे वर्ष के लिए लगभग 40 से 50 पुस्तकें तैयार कर ली हैं।


    मातृभाषा में आसानी से समझाई गई है मुश्किल इंजीनियरिंग की पढ़ाई

    प्रोफेसर सीताराम ने आगे कहा कि ये पाठ्य पुस्तकें आधुनिक तरीके से तैयार की गई हैं ताकि छात्र अपनी मातृभाषा में आसानी से इन्हें समझ सकें। हर अध्याय में उद्देश्य, परिणाम आधारित शिक्षण तत्व और समस्या समाधान अभ्यास शामिल हैं। इससे पाठ्य सामग्री अधिक व्यवस्थित और लक्ष्य आधारित बनती है। अनुवाद प्रक्रिया को तेज करने के लिए एआईसीटीई कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल कर रहा है। सीताराम ने बताया कि उनका डीप लर्निंग मॉडल यानी गहन शिक्षण मॉडल एक पुस्तक को लगभग 10 मिनट में 80 फीसदी की सटीकता के साथ अनुवाद कर सकता है। इसके बाद विशेषज्ञ उसे पढ़कर सुधार करते हैं। भारत के संविधान में 22 मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं, लेकिन अभी यह योजना सिर्फ 12 प्रमुख भाषाओं तक सीमित है क्योंकि बजट की कमी है।


    ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्रों को होगी आसानी

    सीताराम ने यह भी साफ कर दिया किया कि छात्रों के लिए क्षेत्रीय भाषा में पढ़ना अनिवार्य नहीं है। यह केवल एक विकल्प है, खासकर उन छात्रों के लिए जो अपनी मातृभाषा में पढ़ना ज्यादा सहज महसूस करते हैं। मसलन ग्रामीण क्षेत्रों के कई छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने में अधिक सहजता से महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले कई छात्रों को अंग्रेजी समझने में परेशानी होती है। इससे उनके लिए विषय समझना और मुश्किल हो जाता है। मातृभाषा में पढ़ने से वे विषय को बेहतर तरीके समझ पाएंगे।


    सरकार ने योजना को कारगर बनाने के लिए कस ली है कमर

    प्रोफेसर सीताराम ने क्षेत्रीय भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को नौकरी मिलने में मुश्किल होने की बात मानते हुए कहा कि यह एक चुनौती है, जिससे पार पाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मॉडल को कारगर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए सरकार को जागरूकता अभियान चलाने होंगे और उद्योगों को ऐसे छात्रों को मौका देने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने बताया कि कनाडा और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में छात्र फ्रेंच या जर्मन जैसी भाषाओं में उच्च शिक्षा ले सकते हैं, तो भारत में भी यह संभव होना ही चाहिए। सीताराम का मानना है कि यह कोशिश ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के छात्रों को सशक्त बनाएगी और इंजीनियरिंग शिक्षा को और अधिक समावेशी और सुलभ बनाएगी।

    रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान के बाद NCERT की अनुमति मिली, इस बार भी जुलाई में मिलेगी नौ से बारहवीं तक की किताबें

    रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान के बाद NCERT की अनुमति मिली, इस बार भी जुलाई में मिलेगी नौ से बारहवीं तक की किताबें

    ■ यूपी बोर्ड जल्द  किताबें छपवाने की तैयारी में

    ■ बोर्ड पुस्तकों के प्रकाशन की शुरू करेगा प्रक्रिया

    08 अप्रैल 2025
    प्रयागराज । एक सत्र के अंतराल के बाद यूपी बोर्ड ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) की किताबों के प्रकाशन की तैयारी शुरू कर दी है। रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान के बाद एनसीईआरटी ने अपनी अधिकृत किताबें छापने की अनुमति बोर्डको दे दीहै। अब किताबोंके प्रकाशन के लिए जल्द टेंडर जारी होगा। सारी औपचारिकता पूरी होने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाएगा। बोर्ड से जुड़े 27 हजार स्कूलों में पढ़नेवालेकक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में किताबें मिलने की उम्मीद है। 

    पूर्व के वर्षों में भी अमूमन जुलाई में ही बाजारों में किताबें उपलब्ध हो सकी थीं। वैसे तो प्रदेशभर के माध्यमिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत एक अप्रैल से हो चुकी है, लेकिन बोर्ड को शासन से प्रकाशकों पर बकाया रॉयल्टी-जीएसटी के भुगतान के लिए शासन से मंजूरी लेने में समय लग गया। इस धनराशि का भुगतान नहीं होने के कारण ही पिछले साल बोर्ड एनसीईआरटी की सस्ती और मानक किताबें नहीं छपवा सका था।





    यूपी बोर्ड ने रायल्टी के चुकाए 2.99 करोड़ रुपये, जुलाई में नई पाठ्यपुस्तकें, टेंडर निकालकर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की किताबें छपवाने में लग सकते हैं तीन महीने

    • रायल्टी का पैसा न चुकाने पर एनसीईआरटी ने नहीं दी थी पाठ्यपुस्तकें छापने की अनुमति

    25 मार्च 2025
    प्रयागराज : इस वर्ष हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राएं  राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) आधारित पाठ्यक्रम की नई पाठ्यपुस्तकों / से पढ़ाई करेंगे। पिछले दो वर्ष एनसीईआरटी ने वर्ष 2020-2021 की रायल्टी का 2.99 करोड़ रुपया नहीं दिए जाने पर यूपी बोर्ड को पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति नहीं दी थी। अब रायल्टी के बकाए का भुगतान कर दिए जाने की से पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में कोई अड्चन नहीं है। ऐसे में यूपी बोर्ड टेंडर आमंत्रित कर पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की तैयारी कर रहा है। इस प्रक्रिया में करीब तीन महीने का समय लग सकता है। ऐसे में ग्रीष्म अवकाश के बाद जुलाई में विद्यालय खुलने के साथ ही छात्र-छात्राओं के लिए एनसीईआरटी आधारित पाठ्यक्रम की नई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध सकेंगी।

    वर्ष 2020-2021 की किताबों की रायल्टी का पैसा यूपी बोर्ड द्वारा नहीं चुकाए जाने के बावजूद एनसीईआरटी ने दो वर्ष इस प्रत्याशा में पुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति दी थी कि भुगतान हो जाएगा। भुगतान नहीं किए जाने पर एनसीईआरटी ने 2023-24 एवं 2024-25 सत्र में पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की अनुमति नहीं दी। रायल्टी का बकाया भुगतान किए जाने के लिए बोर्ड ने पूर्व में भी शासन को पत्र लिखा, लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते पुरानी किताबों की व्यवस्था कर तथा आनलाइन उपलब्ध पुस्तकों से पठन-पाठन कराया गया। 

    अब 2025-26 के सत्र लिए भी यही स्थिति न बने, इसलिए बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने भुगतान के लिए शासन को पत्र लिखा। बैठक भी आयोजित की गई। शासन से रायल्टी की बकाया धनराशि के भुगतान की अनुमति मिल गई। भुगतान के बाद अब यूपी बोर्ड पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन के लिए जल्द टेंडर आमंत्रित करेगा। यूपी बोर्ड के विद्यालयों में हाईस्कूल के 49 तथा इंटरमीडिएट के 103 विषयों की पढ़ाई होती है। इसमें बोर्ड ने प्रमुख 36 विषयों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अपनाया है।




    यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को किताबों के लिए करना होगा 3 माह का इंतजार, दस दिन बाद एक अप्रैल से शुरू हो रहा नया शैक्षणिक सत्र

    ■ एनसीईआरटी किताबों के लिए अब तक जारी नहीं हो सका टेंडर

    ■ पिछले साल जीएसटी-रॉयल्टी के विवाद में नहीं छपी थीं किताबें


    प्रयागराज । यूपी बोर्ड से जुड़े 27 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को नए सत्र में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) किताबों के लिए कम से कम तीन महीने इंतजार करना होगा। प्रदेशभर के माध्यमिक स्कूलों में 2025-26 सत्र की शुरुआत एक अप्रैल से होनी है जबकि किताबें बाजार में जून अंत या जुलाई के पहले सप्ताह में ही उपलब्ध हो सकेंगी।


    यूपी बोर्ड ने हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की अपनी किताबों का टेंडर तो 12 मार्च को जारी कर दिया है और चार अप्रैल को खोला जाएगा लेकिन एनसीईआरटी किताबों के लिए टेंडर की अनुमति अब तक शासन से नहीं मिल सकी है। ये अलग बात है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने एनसीईआरटी से किताबों का कॉपीराइट मांगने के लिए शासन से अक्टूबर में ही अनुमति मांग ली थी।


    हर बार जुलाई तक उपलब्ध हो पाती हैं किताबें

    एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों के समय से किताबें उपलब्ध कराने के दावों के बावजूद हर साल जुलाई तक ही किताबें बाजार में पहुंच पाती हैं। पिछले साल तो किताबें छप ही नहीं सकी थीं। उससे पहले के सत्रों में भी जुलाई तक ही किताबें उपलब्ध हो सकी हैं। इसके चलते अधिकांश छात्र-छात्राओं को महंगी और अनाधिकृत किताबें खरीदनी पड़ती हैं। सत्र शुरू होने के साथ ही शिक्षक विद्यार्थियों पर किताबें खरीदने का दबाव बनाने लगते हैं और अप्रैल में ही अधिकांश बच्चे महंगी किताबें खरीद लेते हैं।


    सूत्रों के अनुसार, मार्च अंत तक अनुमति मिलने की उम्मीद है जिसके बाद छपाई की प्रक्रिया शुरू होगी और किताबों के बाजार में आने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाएगा। टेंडर जारी होने में अमूमन एक महीने का समय लगता है। उसके बाद प्रकाशकों को अपनी तैयारी करने में लगभग एक महीने लग जाते हैं और फिर प्रकाशन से लेकर बाजार तक पहुंचाने में न्यूनतम एक महीने का समय चाहिए होता है।


    हालांकि एक अच्छी बात है कि शासन ने रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान की अनुमति दे दी है जिससे इस सत्र में एनसीईआरटी किताबों के प्रकाशन का रास्ता साफ हो गया है। पिछले साल यूपी बोर्ड और प्रकाशकों के बीच इसी विवाद के कारण किताबों का प्रकाशन नहीं हो सका था। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और तीन महीने में एनसीईआरटी किताबें बाजार में सुलभहो जाएंगी।

    Monday, April 7, 2025

    Say No! – 'न' कहने की कला भी बच्चों को सिखाएंगे शिक्षक, विद्यार्थियों में संचार कौशल संवर्द्धन के लिए बनाई गई गाइड, मनोविज्ञानशाला ने माध्यमिक शिक्षकों को दिया प्रशिक्षण

    Say No! – 'न' कहने की कला भी बच्चों को सिखाएंगे शिक्षक, विद्यार्थियों में संचार कौशल संवर्द्धन के लिए बनाई गई गाइड, मनोविज्ञानशाला ने माध्यमिक शिक्षकों को दिया प्रशिक्षण


    प्रयागराज । प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और 2460 राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों को अब शिक्षक न कहने की कला भी सिखाएंगे। मनोविज्ञानशाला एवं निर्देशन विभाग के विशेषज्ञों ने ‘विद्यार्थियों में संचार कौशल संवर्द्धन’ के लिए शिक्षक गाइड तैयार की है और चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों का प्रशिक्षण पूरा भी हो चुका है। अब नए सत्र में ये शिक्षक बच्चों को संचार कौशल की बारीकियां सिखाने के साथ ही बच्चों को कब और कहां न कहना है, इसकी जानकारी भी देंगे।

    मनोविज्ञानशाला की निदेशक ऊषा चन्द्रा ने बताया कि बच्चों में संचार कौशल संवर्द्धन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। स्पष्टता की कमी, खराब श्रवण कौशल, सांस्कृतिक एवं भाषाई अवरोध, सूचना अवरोध, प्रतिपुष्टि की कमी आदि के कारण विद्यार्थी अपनी बातों, विचारों को सभी के समक्ष प्रभावी रूप से व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते हैं जिसके लिए आवश्यक है कि उन्हें संचार में कौशलयुक्त बनाया जाए।



     ● नए सत्र में शिक्षक बच्चों को सिखाएंगे कब न कहना जरूरी

    ● कैसे करें अभिवादन, स्वयं और दूसरों का कैसे दें परिचय

    🔴 कब नहीं कहना जरूरी 

    ● यदि आप असहज महसूस करते हैं।
    ● आप दोषी या बाध्य महसूस करते हैं।
    ● जब आप पर अधिक बोझ हो।
    ● यदि अनुरोध आपकी व्यक्तिगत सीमाओं को पार करता है।
    ● यदि आप किसी और को खुश करने के लिए ही हां कह रहे हैं।



    🔴 नहीं कहना कैसे सीखें

    ● न कहने के लिए तार्किक कारण बताएं।
    ● स्पष्ट रहें।
    ● संक्षेप में कारण बताएं।
    ● आभार व्यक्त करें।
    ● कोई विकल्प दीजिए।
    ● अपने उत्तर पर अड़े रहें।
    ● अपने अनुरोध के नकारात्मक प्रभाव की व्याख्या करें।


    नहीं कहना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे विद्यार्थियों के सर्वोत्तम हितों की रक्षा होती है। मानसिक स्पष्टता बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों को उन कार्यों को करने से मना करना चाहिए जिन्हें वह नहीं कर सकते। - ऊषा चन्द्रा, निदेशक मनोविज्ञानशाला

    Sunday, April 6, 2025

    यूपी बोर्ड के 17 हजार से अधिक परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड नहीं होने के कारण अनुत्तीर्ण होने का खतरा, सात अप्रैल तक अंक अपलोड करने के निर्देश

    यूपी बोर्ड के 17 हजार से अधिक परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड नहीं होने के कारण अनुत्तीर्ण होने का खतरा,  सात अप्रैल तक अंक अपलोड करने के निर्देश

    आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड न होने पर अनुत्तीर्ण हो जाएंगे परीक्षार्थी


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन पूरा हो चुका है और अब परीक्षाफल तैयार किए जाने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है लेकिन हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के 17 हजार से अधिक परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक अब तक अपलोड नहीं किए गए हैं। अंक अपलोड नहीं हुए तो परीक्षार्थी फेल हो जाएंगे। बोर्ड के सचिव ने सभी प्रधानाचार्यों को सात अप्रैल तक अंक अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।

    प्रदेश के 62 जनपदों के 420 विद्यालयों ने शैक्षिक सत्र 2024-25 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के हाईस्कूल में विद्यालय स्तर पर आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के अंक और इंटरमीडिएट के नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा के अंक परिषद की वेबसाइट पर अद्यतन अपलोड नहीं किए हैं। इनमें हाईस्कूल के 7200 व इंटरमीडिएट के 9800 से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हैं।

    यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए निर्देश दिया है कि शेष छात्र-छात्राओं के हाईस्कूल आंतरिक मूल्यांकन व इंटरमीडिएट के नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा के अंक परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर सात अप्रैल को शाम चार बजे तक प्रत्येक दशा में अपलोड कर दिए जाएं।

    उन्होंने स्पष्ट किया है कि निर्धारित समय तक अंक अपलोड न किए जाने पर संबंधित परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण हो जाएंगे। तय समय तक आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड न किए जाने के कारण यदि किसी परीक्षार्थी का परीक्षा परिणाम प्रभावित होता है तो उसके लिए संबंधित प्रधानाचार्य एवं शिथिल पर्यवेक्षण के लिए जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक पूरी तरह से उत्तरदायी होंगे।


    यूपी बोर्ड के 17 हजार से अधिक परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड नहीं होने के कारण अनुत्तीर्ण होने का खतरा, सात अप्रैल तक अंक अपलोड करने के निर्देश

    यूपी बोर्ड के 17 हजार से अधिक परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड नहीं होने के कारण अनुत्तीर्ण होने का खतरा,  सात अप्रैल तक अंक अपलोड करने के निर्देश

    आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड न होने पर अनुत्तीर्ण हो जाएंगे परीक्षार्थी


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन पूरा हो चुका है और अब परीक्षाफल तैयार किए जाने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है लेकिन हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के 17 हजार से अधिक परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक अब तक अपलोड नहीं किए गए हैं। अंक अपलोड नहीं हुए तो परीक्षार्थी फेल हो जाएंगे। बोर्ड के सचिव ने सभी प्रधानाचार्यों को सात अप्रैल तक अंक अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।

    प्रदेश के 62 जनपदों के 420 विद्यालयों ने शैक्षिक सत्र 2024-25 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के हाईस्कूल में विद्यालय स्तर पर आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के अंक और इंटरमीडिएट के नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा के अंक परिषद की वेबसाइट पर अद्यतन अपलोड नहीं किए हैं। इनमें हाईस्कूल के 7200 व इंटरमीडिएट के 9800 से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हैं।

    यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए निर्देश दिया है कि शेष छात्र-छात्राओं के हाईस्कूल आंतरिक मूल्यांकन व इंटरमीडिएट के नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा के अंक परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर सात अप्रैल को शाम चार बजे तक प्रत्येक दशा में अपलोड कर दिए जाएं।

    उन्होंने स्पष्ट किया है कि निर्धारित समय तक अंक अपलोड न किए जाने पर संबंधित परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण हो जाएंगे। तय समय तक आंतरिक मूल्यांकन के अंक अपलोड न किए जाने के कारण यदि किसी परीक्षार्थी का परीक्षा परिणाम प्रभावित होता है तो उसके लिए संबंधित प्रधानाचार्य एवं शिथिल पर्यवेक्षण के लिए जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक पूरी तरह से उत्तरदायी होंगे।


    विदेशी डिग्री की मान्यता के लिए यूजीसी ने जारी किए नए नियम, देखें डिग्री की मान्यता के लिए शर्तें

    विदेशी डिग्री की मान्यता के लिए यूजीसी ने जारी किए नए नियम, देखें डिग्री की मान्यता के लिए शर्तें


    नई दिल्ली । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त शैक्षणिक योग्यता, डिग्री को मान्यता देने और समकक्ष डिग्री प्रदान करने की व्यवस्था को ज्यादा कारगर बनाने को एक नया विनियमन अधिसूचित किया है। पाठ्यक्रम के क्रेडिट के आधार पर डिग्री को वेटेज दिया जाएगा।

    यूजीसी ने यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब विदेशों से अंतर्राष्ट्रीय डिग्री हासिल कर लौटने वाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है। 4 अप्रैल को अधिसूचित नए विनियमों-यूजीसी (विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं को मान्यता और समकक्षता प्रदान करना) विनियम, 2025 के तहत, आयोग ने एक पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-संचालित तंत्र स्थापित किया है। 

    विदेशी योग्यताओं के लिए समकक्षता प्रमाणपत्र प्रदान करने के प्रावधान चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, कानून, वास्तुकला और अन्य क्षेत्रों में प्रदान की गई व्यावसायिक डिग्री पर लागू नहीं होंगे। यह संबंधित नियामक निकायों द्वारा निर्धारित विशिष्ट मानदंडों और मान्यता प्रक्रिया ओं द्वारा शासित होती रहेंगी। 

    यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा, यह सुधार एक दीर्घकालिक चुनौती का समाधान करता है और भारत को शिक्षा के लिए वैश्विक केंद्र में बदलने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य के अनुरूप है।


    स्थायी समिति की स्थापना का प्रावधान
    एक स्थायी समिति की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इसके तहत पहले दी जाने वाली तदर्थ अधार पर मान्यता स्टेटस को हटा दिया गया है। स्थायी सामिति संस्थानों और योग्यताओं, डिग्री की वैधता और भारतीय मानकों के साथ उसकी समानता की जांच करेगी।


    मजबूत और निष्पक्ष प्रक्रिया विकसित की
    यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि स्थायी समिति का निर्णय पाठ्यक्रम की न्यूनतम अवधि और क्रेडिट पर आधारित होगा। पहले क्रेडिट के आधार पर सिस्टम नहीं था। वेटेज के लिए सामान्य क्रेडिट में 10 प्रतिशत तक के अंतर की अनुमति होगी। यह पाठ्यक्रम की संरचना का भी आकलन करेगा।


    🔴  डिग्री की मान्यता के लिए कई शर्तें

    विदेशी शिक्षा संस्थान को स्वदेश में लागू प्रासंगिक कानूनों के तहत मान्यता प्राप्त होना चाहिए।

    2  यह भी देखा जाएगा कि आवेदक डिग्री के लिए जिस अध्ययन कार्यक्रम में प्रवेश ले रहा है उसमें प्रवेश-स्तर की आवश्यकताएं, अध्ययन के लिए योग्यताएं भारत में अध्ययन के संबंधित कार्यक्रम के समान हैं।

    गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों, गैर-मान्यता प्राप्त कार्यक्रमों या भारत में विनियामक मानदंडों के उल्लंघन में प्राप्त योग्यताएं समकक्षता के लिए पात्र नहीं होंगी।

    यूजीसी ने विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं को समकक्षता प्रमाण पत्र देने के लिए एक व्यवस्थित ऑनलाइन प्रक्रिया की रूपरेखा भी तैयार की है।

    आवेदकों को निर्धारित शुल्क और जहां आवश्यक हो, दस्तावेजों के प्रमाणित अंग्रेजी अनुवाद के साथ एक समर्पित पोर्टल के माध्यम से अपना अनुरोध प्रस्तुत करना होगा।

    प्रत्येक आवेदन का मूल्यांकन शिक्षा विशेषज्ञों की एक स्थायी समिति द्वारा किया जाएगा, जिसे दस कार्य दिवसों के भीतर अपनी सिफारिश जारी करनी होगी।

    7  आयोग पंद्रह कार्य दिवसों में अपना अंतिम निर्णय बताना होगा। यदि अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता है, तो आवेदकों को निर्णय समय-सीमा में संगत विस्तार के साथ अधिक समय दिया जाएगा।

    अस्वीकृति के मामलों में, आवेदक निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान करके तीस कार्य दिवसों के भीतर समीक्षा की मांग कर सकते हैं।

    9  एक अलग समीक्षा समिति आवेदन का पुनर्मूल्यांकन करेगी और दस कार्य दिवसों में अपनी सिफारिश प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद आयोग अंतिम निर्णय जारी करेगा।

    10  यदि आवेदन स्वीकार किया जाता है, तो ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से एक वेटेज प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।



    जिले के अंदर पारस्परिक स्थानांतरण के पोर्टल में समस्या, तकनीकी खामी के चलते शिक्षक नहीं भर पा रहे आवेदन फॉर्म


    जिले के अंदर पारस्परिक स्थानांतरण के पोर्टल में समस्या, तकनीकी खामी के चलते शिक्षक नहीं भर पा रहे आवेदन फॉर्म

    06 अप्रैल 2025
    लखनऊ परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का पारस्परिक स्थानांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया पोर्टल पर शुरू होने के साथ ही तकनीकी समस्याएं आ रही हैं। इसलिए बड़ी संख्या में शिक्षक आवेदन फॉर्म पोर्टल पर नहीं भर पा रहे हैं।

    बेसिक शिक्षा विभाग के जारी आदेश में कहा गया था कि 2024-25 सत्र के लिए शिक्षक 2 अप्रैल से जिले के भीतर आपसी सहमति से तबादले हेतु आवेदन कर सकते हैं। लेकिन एनआईसी द्वारा विकसित पोर्टल पर तकनीकी खामी के कारण 2 व 3 को पोर्टल चला नहीं। जैसे तैसे पोर्टल 4 की देर शाम से खुलना शुरू हुआ।

    कई शिक्षकों ने बताया कि पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन पर फाइनल सबमिट का ऑप्शन काम नहीं कर रहा है। विभाग का कहना है कि इस समस्या को एनआईसी टीम के सहयोग से जल्द दूर किया जाएगा। लेकिन जब तक यह ठीक नहीं होता, तब तक आवेदन प्रक्रिया में देरी होना तय है।

    शिक्षकों का कहना कि प्रक्रिया में देरी हुई है और अब भी पोर्टल में दिक्कतें हैं, ऐसे में आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ाया जाए ताकि सभी शिक्षक समय से अपना आवेदन कर सकें। कई ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षक नेटवर्क समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिससे ऑनलाइन प्रक्रिया और भी कठिन हो गई है।

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार की शाम को पोर्टल एक्टिव हो पाया है, उसके बाद भी सर्वर और ओटीपी समस्या बनी हुई है, आवेदन के आखरी चरण में एरर 404 वेब लिंक में प्रदर्शित हो रहा है, जिससे शिक्षको का ऑनलाइन आवेदन नहीं हो पा रहा है। पीपीए को लेकर भी कुछ यही स्थिति थी, उच्चाधिकारियों को इन समस्याओं पर ध्यान देना बहुत अनिवार्य है।



    अंततः जिले के अंदर शिक्षकों के परस्पर तबादले के लिए आवेदन हुए शुरू



    05 अप्रैल 2025
    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को जिले के अंदर परस्पर तबादले के लिए आवेदन प्रक्रिया शुक्रवार शाम को शुरू हो गई। हालांकि आवेदन पूरी तरह से भरने के बाद सबमिट करने में कुछ शिक्षकों को दिक्कत आ रही थी। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इसे ठीक कराने की कवायद की जा रही है।

    बेसिक शिक्षा विभाग ने दो अप्रैल से परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के जिले के अंदर परस्पर तबादला प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया था। लेकिन बृहस्पतिवार देर शाम तक यह प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकी थी। इससे शिक्षकों में काफी नाराजगी थी। 

    विभागीय अधिकारियों ने एनआईसी से संपर्क कर शुक्रवार शाम को आवेदन प्रक्रिया शुरू करा दी। हालांकि शिक्षकों का कहना है कि आवेदन फाइनल सबमिट नहीं हो पा रहा है।

    वहीं एक से दूसरे जिले में प्राइमरी हेड का जूनियर सहायक से विषय समान होने पर जोड़ा बन रहा है। जबकि जिले के अंदर परस्पर तबादले में ऐसा नहीं है। विभाग द्वारा अलग-अलग नियम बनाए गए हैं।



    जिलों के अंदर म्यूचुअल ट्रांसफर की प्रक्रिया में देरी, 48 घंटे बाद भी नहीं शुरू हो सके आवेदन, शिक्षक हैं परेशान

    04 अप्रैल 2025
    लखनऊ: परिषदीय विद्यालयों में लंबे समय बाद शुरू होने वाली पारस्परिक तबादले की प्रक्रिया अभी भी विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते अटकी हुई है। दो अप्रैल से शिक्षकों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन 48 घंटे बाद भी ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है, जिससे शिक्षक वर्ग में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

    बेसिक शिक्षा परिषद ने पहले ही आदेश जारी कर दिया था कि एक जिले से दूसरे जिले में पारस्परिक तबादले के लिए आवेदन 1 से 11 अप्रैल तक और जिले के भीतर तबादले के लिए आवेदन 2 से 11 अप्रैल तक किए जा सकेंगे। लेकिन दो अप्रैल को शुरू होने वाली यह प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है।



    अन्तर्जनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन शुरू, जिले के अंदर म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए आज से शुरू होंगे आवेदन

    02 अप्रैल 2025
    प्रदेश में बेसिक शिक्षकों के अन्तर्जनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन प्रक्रिया कल से शुरू हो गई है। वहीं, जिले के अंदर म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन आज से किए जा सकेंगे। इच्छुक शिक्षक निर्धारित पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

     ट्रांसफर प्रक्रिया के तहत शिक्षक अपनी सुविधा के अनुसार इच्छित स्थान पर स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि और अन्य दिशा-निर्देश शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए जा चुके हैं।
     


    परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के परस्पर अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण के लिए आवेदन आज से,  जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए कल से शुरू होंगे आवेदन 



    01 अप्रैल 2025
    प्रयागराज । परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के पारस्परिक तबादले के लिए आवेदन मंगलवार से शुरू होंगे। पारस्परिक अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण के लिए एक से 11 अप्रैल तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होंगे जबकि जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए शिक्षक दो से 11 अप्रैल तक ऑनलाइन पंजीकरण करेंगे।

    अंतर जनपदीय पारस्परिक तबादले के लिए शिक्षक अपने ऑनलाइन आवेदन पत्र का प्रिंटआउट संबंधित बीएसए कार्यालय में 15 अप्रैल तक जमा करेंगे। 16 से 20 अप्रैल तक बीएसए के स्तर से खंड शिक्षा अधिकारी को सत्यापन के लिए आवेदन पत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। सत्यापन के बाद 21 से 25 अप्रैल तक जिला स्तरीय समिति की बैठक में संस्तुति दी जाएगी। 26 अप्रैल से 10 मई तक शिक्षक/शिक्षिका आपसी सहमति से ओटीपी के माध्यम से जोड़ा (पेयर) बनाएंगे। 15 मई को स्थानान्तरण आदेश जारी होंगे।

    वहीं दूसरी ओर जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए 11 अप्रैल तक आवेदन करने के बाद शिक्षक उसका प्रिंटआउट संबंधित जिले के बीएसए कार्यालय में 15 अप्रैल तक जमा करेंगे। आवेदक की पात्रता के सत्यापन के लिए बीएसए 16 से 20 अप्रैल तक संबंधित खंड शिक्षाधिकारी को आवेदन पत्र उपलब्ध कराएंगे। उसके बाद 21 से 23 अप्रैल के बीच जिला स्तरीय समिति से संस्तुति ली जाएगी। 24 से 30 अप्रैल के बीच शिक्षक किसी भी प्रकार की आपत्ति जिला स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

    जिला स्तरीय समिति आपत्तियों का निराकरण करते हुए एक से पांच मई तक डाटा को अंतिम रूप से संस्तुत करेगी। छह से 15 मई तक शिक्षक आपसी सहमति से ओटीपी के माध्यम से जोड़ा बनाएंगे और 18 मई को स्थानान्तरण आदेश जारी होगा।



    स्थानांतरण प्रक्रिया जल्द साथी तलाश रहे परिषदीय शिक्षक, एक अप्रैल से पोर्टल पर पंजीकरण होगा शुरू

    एक अप्रैल से स्थानांतरण के लिए शिक्षक शुरू करेंगे पंजीकरण

    साथी की तलाश करने के शिक्षक ग्रुप पर साझा कर रहे जानकारी

    30 मार्च 2025
    परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शिक्षा विभाग जल्द शुरू करेगा। स्थानांतरण प्रक्रिया के तहत शिक्षक एक अप्रैल से पोर्टल पर पंजीकरण कराना शुरू कर देंगे। परस्पर स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व अन्य जनपदों में कार्यरत शिक्षक अपने साथी की तलाश करने में जुटे गए हैं। ग्रुप में वह मैसेज कर जानकारी जुटा रहे है।

    गर्मियों की छुट्टी होने से पूर्व बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी कर लेगा। स्थानांतरण पाने वाले शिक्षकों को 15 मई तक प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिलीव कर दिया जाएगा। परस्पर स्थानांतरण प्रक्रिया के तहत शिक्षक अन्य जनपद जाने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं को अपना सहमतिपत्र बीएसए कार्यालय में जमा करना होगा।

    शिक्षक शिक्षिकाओं ने व्हाट्सएप ग्रुप पर अपने स्कूल, ब्लॉक, मोबाइल नंबर सहित जिले का ब्योरा डालना शुरू कर दिया है, ताकि एक से जिले में आने के इच्छुक शिक्षक उनसे संपर्क कर सकें। खंड शिक्षाधिकारी जांच करने के बाद शासन को रिपोर्ट भेजेंगे। इसके बाद ही पारस्परिक तबादला का लाभ ले सकेंगे।




    सब्जेक्ट मैपिंग से होंगे पारस्परिक स्थानांतरण, मानक पूर्ण करने वाले बेसिक शिक्षकों का ही पारस्परिक स्थानांतरण होगा

    » बेसिक शिक्षा के शिक्षकों के विषयों को तीन वर्ग में बांटा गया

    25 मार्च 2025
    लखनऊ । बेसिक शिक्षा के शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण के लिए सब्जेक्ट मैपिंग (समान विषय) के अनुसार होगा। जिसके तहत अपर प्राइमरी तथा संविलित विद्यालयों में एक समान श्रेणी में ही तबादले किए जाएंगे, मसलन, सहायक अध्यापक अपर प्राइमरी से सहायक अध्यापक अपर प्राइमरी में विषय समान होने की स्थिति में और प्रधानाध्यापक प्राइमरी स्कूल का सहायक अध्यापक अपर प्राइमरी स्कूल से तथा सहायक अध्यापक अपर प्राइमरी का प्रधानाध्यापक प्राइमरी स्कूल से विषय समान होने की स्थिति में स्थानांतरित हो सकेंगे। एक बार स्थानांतरण हो जाने के बाद किसी भी शिक्षक को अपना आवेदन वापस लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।


    विषयों के तीन वर्ग 
    पारस्परिक स्थानांतरण के लिए विषयों को तीन वर्गों में बांटा गया है। पहला भाषा दूसरा गणित व विज्ञान तीसरे वर्ग को सामाजिक विषय को रखा गया है। हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत ये सभी भाषा विषय के अंतर्गत आते हैं। इसलिए हिन्दी का अंग्रेजी शिक्षक से पारस्परिक स्थानांतरण हो सकेगा। विषय समान होने पर जिले के बाहर अपर प्राइमरी का सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक से पारस्परिक स्थानांतरण कर सकेगा लेकिन जिले के भीतर यह नियम लागू नहीं होगा।

    अन्तर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण की प्रक्रिया को पारदर्शी और समय सीमा के भीतर संपन्न कराने के लिए जिले स्तर पर समिति बनाई गई है, जिसमे जिले के सीडीओ अध्यक्ष होंगे जबकि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य तथा वित्त एवं लेखा अधिकारी (बेसिक शिक्षा) के साथ-साथ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इस समिति के सदस्य हैं। अन्तर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण की सभी प्रक्रिया राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, लखनऊ द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन होगी।

    स्थानांतरण के लिए तय प्रक्रिया के अनुसार आवेदन पत्र सबमिट करने के बाद ही पूर्ण माना जाएगा अन्यथा की स्थिति में आवेदन पत्र निरस्त माना जाएगा। जमा किए गए आवेदन पत्र में किसी भी स्तर पर किसी भी प्रकार का संशोधन अनुमन्य नहीं होगा। जिन शिक्षकों अथवा शिक्षिकाओं द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के सत्यापन में अभिलेख फर्जी या गलत पाए जाएंगे उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी।