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Tuesday, August 22, 2119

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    Monday, January 6, 2025

    आउटसोर्स कर्मचारियों को शोषण से मिलेगी निजात, 20 हजार होगा न्यूनतम वेतन, जल्द जारी होगी नियमावली


    न्यूनतम मजदूरी की दर से या उससे कम वेतन पाने वाले संवर्गों के कार्मियों के मानदेय में होगी बढ़ोत्तरी 

    आउटसोर्स कर्मचारियों को शोषण से मिलेगी निजात,  20 हजार तक होगा न्यूनतम वेतन, जल्द जारी होगी नियमावली


    शिक्षामित्रों समेत आठ लाख कर्मियों का मानदेय बढ़ेगा, योगी सरकार जल्द कैबिनेट में लाने जा रही प्रस्ताव

    प्रस्ताव को वित्त विभाग दे चुका है मंजूरीइन कर्मियों को होगा लाभ

    🔴 05 लाख आउटसोर्स कर्मचारी
    🔴 25 हजार 223 अनुदेशक
    🔴 1.20 लाख संविदाकर्मी
    🔴 03 हजार दैनिक वेतनभोगी
    🔴 01 लाख 43 हजार 450 शिक्षामित्र

    17 से 20 हजार रुपये तक मानदेय होने की संभावना, अभी 09 से 10 हजार रुपये मिलते हैं


    लखनऊ। योगी सरकार शिक्षामित्रों और अनुदेशकों समेत प्रदेश के लगभग आठ लाख कार्मिकों के वेतन और मानदेय में भारी भरकम बढ़ोतरी की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यूनतम मजदूरी की दर से या उससे कम वेतन पाने वाले संवर्गों के कार्मियों को एक समान 17,000 से 20,000 रुपये प्रतिमाह देने के निर्देश दिए हैं ताकि ऐसे सभी कर्मी जो इस श्रेणी में हैं, वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें।


    इसके लिए तैयार प्रस्ताव को वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे जल्द कैबिनेट से पास कराने की तैयारी है। राज्य सरकार ने अलग- अलग विभागों में तैनात संविदाकर्मियों से लेकर आउटसोर्सिंग एजेन्सियों के माध्यम से तैनात कर्मियों व दैनिक वेतन भोगियों को केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में तय की गई न्यूनतम मजदूरी की राशि के बराबर वेतन या मानदेय देने का निर्णय किया था। इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास मंजूरी के लिए भेजा गया। 


    वहां से इस प्रस्ताव में कुछ और संवर्गों को भी इसका लाभ देने के उद्देश्य से उन्हें भी जोड़ने के निर्देश दिए गए। इसमें शिक्षामित्र और अनुदेशक भी शामिल हैं। सरकार का मानना है कि वर्तमान में श्रम विभाग के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जो न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है, वह उपयुक्त नहीं है लिहाजा इसमें वृद्धि करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार यह कदम उठाने जा रही है।


    प्रस्ताव को वित्त विभाग दे चुका है मंजूरी

    ■ शिक्षामित्रों को तबादले की सुविधा के ऐलान के बाद राज्य सरकार देने जा रही एक और बड़ी सौगात

    ■ मुख्यमंत्री ने मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी जोड़ने के दिए निर्देश


    लाखों कर्मियों का मानदेय अभी काफी कम

    वर्तमान में शिक्षामित्रों को 10,000 रुपये और अनुदेशकों को 9,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है। अकुशल श्रमिक को 10,701 रुपये, अर्धकुशल को 11,772 रुपये प्रतिमाह तथा कुशल को 13, 186 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। हाल ही में राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय वापसी व अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा देने का शासनादेश जारी कर उन्हें बड़ी राहत दी है।


    इन कर्मियों को लाभ

    05 लाख आउटसोर्स कर्मचारी
    25 हजार 223 अनुदेशक
    1.20 लाख संविदाकर्मी
    03 हजार दैनिक वेतनभोगी
    01 लाख 43 हजार 450 शिक्षामित्र

    परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आठवां संस्करण नई दिल्ली के भारत मंडपम में होगा आयोजित, 14 जनवरी 2025 तक कर सकेंगे आवेदन

    परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आठवां संस्करण नई दिल्ली के भारत मंडपम में होगा आयोजित, 14 जनवरी 2025 तक कर सकेंगे आवेदन

    उत्तर प्रदेश। परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने कक्षा छह से 12वीं तक के विद्यार्थियों से संवाद करेंगे। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विद्यार्थी, अभिभावक व शिक्षक 14 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।  बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के मानसिक दबाव को कम करने के लिए पीएम परीक्षा संबंधी समस्याओं, तैयारी एवं अच्छे अंक लाने के विषय में छात्रों से चर्चा करेंगे। 

    पोर्टल पर जाकर विद्यार्थी व शिक्षक ऑनलाइन पंजीयन कर सकेंगे। इसके बाद बहुविकल्पीय प्रश्न आधारित जवाब विद्यार्थी व शिक्षक देंगे। चयनित विद्यार्थी व शिक्षक नई दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।


    ऐसे करें आवेदन

    परीक्षा पे चर्चा में शामिल होने के लिए पोर्टल पर आवेदक को अपना ब्योरा दर्ज करना होगा। पांच प्रश्न पूछे जाएंगे, चार विकल्प दिए जाएंगे। सही उत्तर का चयन करने के बाद इसे सबमिट करना होगा। 


    Pariksha Pe Charcha: पीएम मोदी के साथ 'परीक्षा पे चर्चा' में शामिल होने का मौका, ऐसे करें अपना रजिस्ट्रेशन

    Pariksha Pe Charcha 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "परीक्षा पे चर्चा 2025" की एक बार फिर अध्यक्षता करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। जो छात्र, माता-पिता और शिक्षक इस खास कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन विंडो 14 जनवरी 2025 तक खुली रहेगी।

    परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को परीक्षा के तनाव से निपटने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके जरिए प्रधानमंत्री सीधे बच्चों से संवाद करते हैं। इस कार्यकर्म का ऑनलाइन प्रसारण भी किया जाता है। यह कार्यक्रम साल 2018 में शुरू किया गया था तब से निरंतर हर साल इसका आयोजन किया जा रहा है।


    आवेदन प्रक्रिया केवल आधिकारिक वेबसाइट innovateindia1.mygov.in पर उपलब्ध है। इच्छुक लोग वेबसाइट पर जाकर या दिए गए डायरेक्ट लिंक का उपयोग कर आसानी से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। परीक्षा पे चर्चा में शामिल होने का यह सुनहरा मौका है, जहां प्रधानमंत्री छात्रों, माता-पिता और शिक्षकों से जुड़कर उनके सवालों का जवाब देंगे। ऐसे में इस कार्यकर्म का हिस्सा बनने के लिए आवेदन करने में देरी न करें।


    'परीक्षा पे चर्चा' के लिए रजिस्ट्रेशन करने के आसान स्टेप्स (Pariksha Pe Charcha Registration)

    'परीक्षा पे चर्चा 2025' रजिस्ट्रेशन करने के लिए सबसे पहले इसकी वेबसाइट innovateindia1.mygov.in पर विजिट करें।
    वेबसाइट के होम पेज पर 'Participate Now' ऑप्शन पर क्लिक करें।

    अपनी कैटेगरी के अनुसार 'Student (Self Participation), Student (Participation through Teacher login), Teacher, Parent' सेलेक्ट करें।

    कैटेगरी सेलेक्ट करने के बाद नीचे 'क्लिक टू पार्टिसिपेट' पर क्लिक करें।

    अपना पूरा नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी भर कर रजिस्टर करें।

    इस प्रक्रिया को मांगे गेय अन्य डिटेल को भरकर पूरा करें।


    मोबाइल नंबर/ ईमेल के जरिए करें आवेदन
    परीक्षा पे चर्चा में रजिस्ट्रेशन करने के लिए ज्यादा डॉक्युमेंट की जरूरत नहीं है। आवेदनकर्ता को रजिस्ट्रेशन के लिए बस मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी की जरूरत होगी। रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा होएं का बाद केवल आवेदक को अपना पूरा नाम और मोबाइल नंबर/ ईमेल आईडी दर्ज करना होगा।


    84 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन
    बता दें, परीक्षा पे चर्चा के लिए अब तक 84 लाख से भी अधिक पंजीकरण किए जा चुके हैं। ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अब तक 84 लाख से अधिक स्टूडेंट्स/ पेरेंट्स/ टीचर्स 'परीक्षा में चर्चा 2025' में शामिल होने के लिए खुद को रजिस्टर कर चुके हैं। वेबसाइट पर उपलब्ध डाटा के अनुसार 30 दिसंबर 2024 तक 76.37+ लाख स्टूडेंट्स, 6.65+ लाख टीचर्स और 1.12+ लाख माता पिता ने 'परीक्षा पे चर्चा' के इस सत्र में शामिल होने के लिए पंजीकरण किया है। ऐसा अनुमान है कि लास्ट डेट तक 1 करोड़ से भी अधिक रजिस्ट्रेशन इस सत्र के लिए प्राप्त हो सकते हैं।

    यूपी बोर्ड की आज से चालू होगी हेल्पडेस्क, विषय विशेषज्ञ और काउंसलर परीक्षार्थियों को दिखाएंगे राह


    यूपी बोर्ड की आज से चालू होगी हेल्पडेस्क, विषय विशेषज्ञ और काउंसलर परीक्षार्थियों को दिखाएंगे राह

    ई-मेल आईडी upmspprayagraj@gmail.com, एक्स हैंडल : @upboardpry, फेसबुक पेज : Madhyamik Shiksha Parishad Uttar Pradesh, यूट्यूब चैनल : Madhyamik Shiksha Parishad, UP, Prayagraj (www.youtube.com/@upboardpryj) एवं इंस्टाग्राम आईडी : @upboardpryj से भी समस्याओं का समाधान पा सकेंगे।


    प्रयागराज : 24 फरवरी से शुरू हो रही यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा से डेढ़ महीने पहले सोमवार से यूपी बोर्ड की हेल्पडेस्क सक्रिय होगी। बोर्ड के टोल फ्री नंबर 18001805310 और 18001805312 नंबर पर परीक्षार्थी सुबह 11 से चार बजे तक अपने विषय और मनोवैज्ञानिक समस्या का समाधान प्राप्त कर सकेंगे।


    पूर्व के वर्षों में परीक्षा के दौरान हेल्पलाइन चालू होती थी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने इस बार डेढ़ महीने ही हेल्पडेस्क शुरू करने के निर्देश दिए हैं ताकि परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों की और अच्छे से मदद की जा सके। बोर्ड के उपसचिव आनंद त्रिपाठी ने बताया कि बोर्ड मुख्यालय में विषय विशेषज्ञों के साथ ही मनोविज्ञानशाला के दो काउंसलर भी मौजूद रहेंगे जो तत्काल समस्या का समाधान करेंगे। 


    यदि किसी विषय के विशेषज्ञ उपस्थित नहीं हैं तो संबंधित छात्र को बाद में फोन करके उसकी समस्या का समाधान करेंगे। यह हेल्पडेस्क 12 मार्च को परीक्षा समाप्त होने तक चालू रहेगी। बोर्ड सचिव ने मुख्यालय के साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय और मंडल मुख्यालय स्तर पर भी हेल्पडेस्क बनाने के निर्देश दिए हैं। बोर्ड परीक्षा से पूर्व छात्र-छात्राओं में अध्ययन के लिए एकाग्र न हो पाना, परीक्षा से भय, अच्छे अंक न लाने का भय, परीक्षा से संबंधित दबाव आदि की समस्या आम है। इससे विद्यार्थी परीक्षा में अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते।

    Sunday, January 5, 2025

    बच्चों का इंटरनेट मीडिया अकाउंट खोलने को अब माता-पिता की सहमति होगी आवश्यक

    बच्चों का इंटरनेट मीडिया अकाउंट खोलने को अब माता-पिता की सहमति होगी आवश्यक

    सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी किया

    नियमों के उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं

    डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक 2023 को 14 महीने पहले दी गई थी मंजूरी

    18 फरवरी के बाद अंतिम नियम बनाने के लिए मसौदे पर किया जाएगा विचार



    नई दिल्ली ।  सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का बहुप्रतीक्षित मसौदा जारी कर दिया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि बच्चों द्वारा कोई भी अकाउंट बनाने से पहले इंटरनेट मीडिया या आनलाइन प्लेटफार्म को माता-पिता की सहमति लेनी होगी। इसके अलावा माता-पिता की पहचान और आयु को भी स्वैच्छिक रूप से प्रदान किए गए प्रमाणपत्र के माध्यम से सत्यापित करना होगा, जो सरकार द्वारा अधिकृत किसी संस्था द्वारा जारी किया जाएगा।

    नियमों के अनुसार, कोई संस्था व्यक्तिगत डाटा का उपयोग और प्रसंस्करण तभी कर पाएगी, जब किसी व्यक्ति ने सहमति प्रबंधक को अपनी स्वीकृति दे दी हो। सहमति प्रबंधक ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे लोगों की सहमति के रिकार्ड का प्रबंधन करने का दायित्व सौंपा जाएगा। बच्चों की डाटा प्रोसेसिंग के मामले में डिजिटल प्लेटफार्म को यह जांच करने के लिए उचित परिश्रम करना होगा कि बच्चे के माता-पिता के रूप में खुद की पहचान करने वाला व्यक्ति वयस्क है और किसी भी कानूनी अनुपालन के संबंध में आवश्यक होने पर उसकी पहचान की जा सकती है।

    मसौदा नियमों को फिलहाल सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया है। इसमें नियमों के उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं है। 18 फरवरी के बाद अंतिम नियम बनाने के लिए मसौदे पर विचार किया जाएगा। मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए 'माईगाव' वेबसाइट पर उपलब्ध है।

    संसद द्वारा लगभग 14 महीने पहले डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक 2023 को मंजूरी दिए जाने के बाद मसौदा नियम जारी किए गए हैं। मसौदा नियम में किसी व्यक्ति से स्पष्ट सहमति प्राप्त करने के लिए एक तंत्र बनाया गया है। डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 में व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने और उसका उपयोग करने वाली संस्थाओं को डाटा फिड्‌यूशियरी कहा गया है। डाटा फिड्यूशियरी को केवल उस समय तक डाटा रखने की अनुमति होगी, जिसके लिए सहमति प्रदान की गई है। उसके बाद इसे हटा देना होगा। 

    मसौदा नियम में क्हा गया है कि डाटा फिड्यूशियरी को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित तकनीकी और संगठनात्मक उपाय अपनाने होंगे कि बच्चे के किसी भी व्यक्तिगत डाटा के प्रसंस्करण से पहले माता-पिता की सहमति प्राप्त की जाए। ई-कामर्स, इंटरनेट मीडिया और गेमिंग प्लेटफार्म डाटा फिड्यूशियरी की श्रेणी में आएंगे।

    मसौदा नियमों में बार-बार उल्लंघन पर सहमति प्रबंधक का रजिस्ट्रेशन निलंबित या रद करने का उल्लेख किया गया है, लेकिन डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत स्वीकृत दंड का कोई उल्लेख नहीं है। अधिनियम में डाटा फिड्‌यूशियरी पर 250 करोड़ तक का जुर्माना लगाने का प्रविधान किया गया था।




    माता-पिता की सहमति के बिना नहीं कर सकेंगे बच्चों के डाटा का इस्तेमाल, डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण का मसौदा जारी, दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान नहीं

    नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी)- 2025 का मसौदा जारी कर दिया है। इसमें नाबालिग बच्चों और दिव्यांगों के व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा पर जोर दिया गया है, हालांकि इसके उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं है। 

    मसौदे के अनुसार, बच्चों के डाटा का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। यानी, माता-पिता की सहमति के बिना कोई भी डाटा फिड्यूशरीज (व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने व इसका इस्तेमाल करने वाली संस्थाएं) बच्चों का डाटा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी।

    करीब 14 महीने पहले संसद की ओर से डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 को मंजूरी देने के बाद मसौदा नियम सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए गए हैं।

    मसौदा नियम माईजीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। मसौदा नियमों में डिजिटल डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति लेने, डाटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान तय किए गए हैं। नियमों में व्यक्तियों से स्पष्ट सहमति हासिल करने के लिए एक तंत्र बनाने की बात कही गई है। 18 फरवरी के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

    यूजीसी नेट, पीएचडी बिना भी विश्वविद्यालयों में बन सकेंगे शिक्षक, यूजीसी ने एनईपी 2020 के अनुरूप नियमों में किए बेहद महत्वपूर्ण बदलाव

    यूजीसी नेट, पीएचडी बिना भी विश्वविद्यालयों में बन सकेंगे शिक्षक, यूजीसी ने एनईपी 2020 के अनुरूप नियमों में किए बेहद महत्वपूर्ण बदलाव



    नई दिल्ली। देश के विश्वविद्यालयों में अब तीन तरह के शिक्षक सेवाएं देंगे। इनमें दो तरह के नियमित और एक तरह के अस्थायी शिक्षक होंगे। अस्थायी शिक्षक का कार्यकाल 3 वर्ष होगा। नियमित शिक्षकों में यूजीसी नेट परीक्षा करने वालों के साथ ही विशेषज्ञ स्नातक शामिल होंगे, जिनके लिए यूजीसी नेट या पीएचडी की अनिवार्यता नहीं होगी। नई शिक्षा नीति के अनुरूप विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) नियमों में बदलाव कर रहा है जो अगले शैक्षिक वर्ष से लागू होंगे।


    केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शिक्षक नियमों में बदलाव पर आधारित यूजीसी निमयन 2025 को जारी करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षा में पढ़ने, पढ़ाने के नियमों में बदलाव के आधार पर इन नियमों को तैयार किया गया है। एनईपी में छात्रों के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा, समानता, उपलब्धता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसी के तहत अगले 20 से 40 सालों में रोजगार की बदलती मांग के आधार पर छात्रों को तैयार करना है।


    एक साथ दो डिग्री की पढ़ाई

    छात्रों को स्नातक में एक साथ दो डिग्री की पढ़ाई करने की अनुमति होगी। कौशल आधारित कोर्स जुड़ रहे हैं। प्रोजेक्ट और फील्ड वर्क, इंटर्नशिप पर फोकस होगा। छात्र एक विषय की पढ़ाई के साथ किसी अन्य विषय में इंटर्नशिप कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्र इंटर्नशिप के लिए हॉस्पिटल को भी चुन सकते हैं। इसमें मरीजों की देखभाल और प्रबंधन का विषय शामिल होगा।


    इस तरह से बनेंगे शिक्षक

    विश्वविद्यालयों में अब शिक्षक बनने के लिए एक ही विषय में यूजी, पीजी व पीएचडी की बाध्यता नहीं होगी। पीएचडी की डिग्री अस्सिटेंट प्रोफेसर से एसोसिएट व प्रोफेसर की पदोन्नति के लिए जरूरी होगी। योग, ड्रामा, फाइन आर्ट्स आदि क्षेत्रों में महारत हासिल स्नातक भी अस्सिटेंट प्रोफेसर बन सकेंगे। इनके लिए यूजीसी नेट या पीएचडी की डिग्री जरूरी नहीं होगी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड जरूरी होगा। विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के विशेषज्ञ भी विश्वविद्यालयों में 3 वर्ष तक शिक्षक बनकर सेवाएं दे सकेंगे।


    नए नियमों में छात्रों की सुविधाओं पर ध्यान

    नए नियमों में हर तरह के छात्रों की सुविधाओं को ध्यान में रखा गया है, ताकि वे पढ़ाई को बोझ न समझें। जिन छात्रों को सीखने और समझने की क्षमता कम है उन्हें अपनी सुविधा और पसंद से देरी से डिग्री हासिल करने की छूट होगी, वहीं तेजी से सीखने और समझने वाले 10 फीसदी छात्रों को डिग्री की पढ़ाई जल्द पूरी करने की अनुमति होगी।

    नौ साल में 12 लाख महिला शिक्षकों की हुई नियुक्ति, भारत में छात्रों का स्कूलिंग में समय बिताने का औसत बढ़ रहा

    नौ साल में 12 लाख महिला शिक्षकों की हुई नियुक्ति, भारत में छात्रों का स्कूलिंग में समय बिताने का औसत बढ़ रहा

    ■ भारत में छात्रों की स्कूलिंग अवधि बढ़ी
    ■ दस सालों में प्रति छात्र खर्च 130 फीसदी बढ़ा


    नई दिल्ली । देश में पिछले नौ साल में करीब 12 लाख अतिरिक्त महिला शिक्षक स्कूलों में नियुक्त हुई हैं। इसके अलावा स्कूलों की गुणवत्ता को लेकर कई मानकों में सुधार हुआ है। इसकी वजह से भारत में छात्रों का स्कूलिंग में समय बिताने का औसत बढ़ रहा है।


    यह वर्ष 2013 में 11.81 वर्ष का था। अब यह बढ़कर 13.28 वर्ष तक पहुंच गया है। यानी अब छात्र ज्यादा समय तक स्कूलों में टिक रहे हैं और स्कूल से उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाने का रुझान सकारात्मक है। 


    अधिकारियों का कहना है कि हम यूनीक आईडी से छात्रों के मूवमेंट को ट्रैक करके एक वास्तविक डेटा बैंक तैयार करने का प्रयास रहे हैं जिससे यह पता चल सके कि छात्र कब और कहां पढ़ाई कर रहे हैं। इससे यह भी पता चलेगा कि छात्रों ने किस स्तर पर स्कूलिंग छोड़ी। 


    करीब 18 करोड़ छात्रों का डेटा एकत्र किया गया था। इनमें से 11 करोड़ का सत्यापन किया गया। शिक्षा मंत्रालय द्वारा एकत्र डेटा यह भी बताता है कि पिछले दस सालों में प्रति छात्र खर्च 130 फीसदी बढ़ा है। इससे स्कूलों में नामांकन से लेकर अधारभूत ढांचे में बढ़ोतरी हुई है।

    मृतक आश्रितों की नियुक्ति में लापरवाही पर नाराजगी के बाद जागा माध्यमिक शिक्षा विभाग, आवेदन पत्र मिलते ही तुरंत निर्णय लेने का निर्देश जारी

    मृतक आश्रितों की नियुक्ति में लापरवाही पर नाराजगी के बाद जागा माध्यमिक शिक्षा विभाग,  आवेदन पत्र मिलते ही तुरंत निर्णय लेने का निर्देश जारी 


    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने मृतक आश्रितों की नियुक्ति में जिला स्तर पर हो रही लापरवाही पर नाराजगी जताई है। विधान परिषद सदस्यों की ओर से यह मामला उठाने पर विभाग ने इस पर तेजी से कार्यवाही शुरू की है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को निर्देश दिया है कि इसके आवेदन पत्र मिलते ही तुरंत निर्णय लिया जाए।

     उन्होंने कहा है कि विधान परिषद की विनियमन समीक्षा की सात जनवरी को बैठक प्रस्तावित है। इसे लेकर एमएलसी राजबहादुर सिंह चंदेल द्वारा नियम 110 के तहत सूचना दी गई है कि संस्था प्रबंधकों द्वारा मृतक आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति में बाधा पैदा की जा रही है। इससे शिक्षकों व कर्मचारियों में नाराजगी है। 



    Madhymik Shiksha Mritak Ashrit Niyukti : उत्तर प्रदेश में शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी की सेवा में मृत्यु की परिस्थिति में उसके मृतक आश्रित को योग्यतानुसार अराजपत्रित पदों पर नियुक्ति किये जाने के सम्बन्ध में आदेश जारी 


    यूपी बोर्ड से मान्यता के मामले अब 15 जनवरी तक किए जाएंगे निस्तारित, 394 स्कूल प्रबंधकों ने मान्यता के लिए यूपी बोर्ड में किए हैं आवेदन

    यूपी बोर्ड से मान्यता के मामले अब 15 जनवरी तक किए जाएंगे निस्तारित 394 स्कूल प्रबंधकों ने मान्यता के लिए यूपी बोर्ड में किए हैं आवेदन

    सचिव क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों व डीआईओएस को जारी किया पत्र

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड से मान्यता के लिए संस्थाओं की ओर से किए गए आवेदनों के निस्तारण की अंतिम तिथि 15 जनवरी तक बढ़ा दी गई है। बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों व प्रयागराज, मेरठ, बरेली, वाराणसी और गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिवों को पत्र जारी कर दिशा-निर्देश दिए हैं।


    मान्यता के लिए संस्थाओं द्वारा आवेदित प्रकरणों के निस्तारण के लिए पहले अंतिम तिथि 30 नवंबर 2024 निर्धारित की गई थी। सचिव ने पत्र जारी कर संबंधित अफसरों को निर्देश दिए हैं कि 15 जनवरी तक सभी प्रकरणों का निस्तारण हर हाल में होना चाहिए। निर्धारित तिथि तक निस्तारण न होने पर संबंधित अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए आगे की कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेज दी जाएगी।


    मान्यता के प्रकरणों के निस्तारण के लिए बोर्ड में क्षेत्रीय कार्यालयवार प्राप्त आवेदनों पर विचार-विमर्श के बाद संस्तुति शासन को भेजी जाएगी और शासन से ऑनलाइन मान्यता आदेश जारी होंगे। स्कूलों को 2025-26 शैक्षिक सत्र से मान्यता दी जाएगी। बोर्ड से मान्यता के लिए इस साल प्रदेश के 394 स्कूल प्रबंधकों ने आवेदन किए हैं। पहले बोर्ड ने 31 मई तक आवेदन मांगे थे लेकिन बाद में 30 जून तक तिथि बढ़ा दी।


    हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के लिए मान्यता सबसे पहले तीन वर्ष के लिए दी जाएगी। इसके बाद मान्यता की शर्तों के अनुपालन और विद्यालय संचालन के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं की समुचित उपलब्धता होने पर ही पांच वर्ष के लिए मान्यता नवीनीकरण किया जाएगा। वर्तमान में बोर्ड से 27,871 स्कूलों को मान्यता मिली है, जिनमें 20,936 स्कूल वित्तविहीन हैं।

    Saturday, January 4, 2025

    16 हजार मदरसों का बोझ सात कर्मियों पर जबकि 26 पद खाली, मदरसा बोर्ड को 18 साल से नहीं मिला स्थायी रजिस्ट्रार

    16 हजार मदरसों का बोझ सात कर्मियों पर जबकि 26 पद खाली, मदरसा बोर्ड को 18 साल से नहीं मिला स्थायी रजिस्ट्रार


    लखनऊ। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त प्रदेश के 16,460 मदरसों का बोझ मात्र सात कर्मचारी उठा रहे हैं। स्वीकृत 33 पदों में 26 बोर्ड के गठन के बाद से ही खाली है। यहां तक कि बोर्ड को बीते 18 सालों से स्थायी रजिस्ट्रार तक नहीं मिल पाया है। कर्मचारियों की कमी से शासकीय कार्य लंबित रहते हैं, जिससे मदरसों को समस्या का सामना करना पड़ता है।


    मदरसा शिक्षा परिषद का गठन वर्ष 2007 में किया गया। इससे पहले यह उत्तर प्रदेश अरबी-फारसी बोर्ड के तौर पर काम कर रहा था। उस समय प्रदेश से मात्र दो हजार मदरसे बोर्ड से मान्यता प्राप्त थे।

    बोर्ड की परीक्षाओं के संचालन व अन्य कामकाज के लिए सरकार ने चार अधिकारियों सहित 33 पद स्वीकृत किए। इसके बाद पांच नियमित कर्मचारियों को नियुक्त किया गया। तीन कर्मचारी अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय से बोर्ड में अटैच किए गए थे। वर्ष 2016-17 में तीन संविदाकर्मियों को नियमित किया गया, लेकिन बोर्ड के कुल कर्मचारियों की संख्या आठ ही रही।


    बोर्ड में परिचारक पद पर तैनात कर्मचारी के मई 2024 में निधन के बाद सात कर्मचारी ही बचे हैं। मदरसे बढ़े पर कर्मचारियों की संख्या जस की तस वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से प्रदेश में 16,460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं।


    इन सभी मदरसों में परीक्षा फॉर्म भरवाने, परीक्षा केंद्र बनवाने, प्रवेश पत्र मुहैया करवाने से लेकर मार्कशीट वितरण तक की जिम्मेदारी के अलावा मार्कशीट के सत्यापन, कोर्ट के मामलों के साथ सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी मुहैया कराने की जिम्मेदारी भी बोर्ड के सात कर्मचारियों पर ही है।

    मौजूदा समय में पासपोर्ट कार्यालय से आने वाले मार्कशीट सत्यापन के मामले सबसे ज्यादा लंबित रहते हैं। इससे दूसरे जिलों से विद्यार्थियों को बोर्ड के चक्कर लगाने पड़ते हैं।


    अन्य अधिकारियों को दिया जा रहा रजिस्ट्रार का अतिरिक्त चार्ज

    मदरसा बोर्ड के वर्ष 2007 में गठन के बाद से अब तक स्थायी रजिस्ट्रार की नियुक्ति नहीं की गई। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उप निदेशक और संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों को बोर्ड के रजिस्ट्रार का अतिरिक्त चार्ज दिया जा रहा है। शासन को कई बार स्थाई रजिस्ट्रार और स्वीकृत खाली पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन मंजूरी नही मिली।


    बोर्ड में स्वीकृत पद

    रजिस्ट्रार-01, उप रजिस्ट्रार/निरीक्षक- 02, सहायक लेखाधिकारी- 01, प्रशासनिक अधिकारी-01, आशुलिपिक 02, वरिष्ठ सहायक- 06, कनिष्ठ सहायक-09, सह स्टोर कीपर- 01, टंकक 02, दफ्तरी - 01, अर्दली/ परिचारक/स्वीपर- 07, तैनात कुल कर्मचारी-07, वरिष्ठ सहायक 06, कनिष्ठ सहायक 01


    मदरसा बोर्ड के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव अधियाचन में कई सालों से लंबित है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही भर्ती की जा सकती है। - आरपी सिंह, रजिस्ट्रार, मदरसा बोर्ड

    PM Shri School's Enrollment: पीएम श्री से जुड़े स्कूलों में 75% से अधिक बढ़ा नामांकन

    PM Shri School's Enrollment: पीएम श्री से जुड़े स्कूलों में 75% से अधिक बढ़ा नामांकन



    नई दिल्ली : देश में भले ही ऐसे स्कूलों की बड़ी संख्या है जो कम नामांकन या फिर जीरो नामांकन जैसी स्थिति से जूझ रहे है, लेकिन यदि स्कूलों को बेहतर बना दिया जाए तो उन्हें कम नामांकन जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।


     इसका अंदाजा पीएम-श्री (पीएम स्कूल फार राइजिंग इंडिया) के तहत चयनित स्कूलों से लगाया जा सकता है, जहां पीएम-श्री में चयनित होने और व्यवस्थाओं में सुधार होते ही इन स्कूलों के नामांकन में 75 प्रतिशत से अधिक की उछाल मिली है।


     पीएम- श्री में शामिल होने के बाद स्कूलों में आए बदलाव को लेकर पांच राज्यों के 40 स्कूलों में कराए अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है। मंत्रालय के बताया कि पीएम-श्री में चयनित होने से पहले वर्ष 2020-21 में इन स्कूलों में नामांकन करीब 14 हजार था, जो पीएम-श्री बनने के बाद वर्ष 2023- 24 में बढ़कर 25 हजार से अधिक हो गया है। 2021-22 में पहली खेप में देशभर के करीब आठ हजार स्कूलों का चयन किया गया था।

    नामांकन में 37 लाख की कमी की खबर पर शिक्षा मंत्रालय ने की स्थिति स्पष्ट

    नामांकन में 37 लाख की कमी की खबर पर शिक्षा मंत्रालय ने की स्थिति स्पष्ट

    03 जनवरी 2024
    शिक्षा मंत्रालय ने यूडीआइएसई (यूनीफाइड डिस्ट्रिक्स इन्फार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन प्लस) 2023-24 की रिपोर्ट में स्कूली नामांकन में आई 37 लाख की गिरावट पर स्थिति स्पष्ट की। कहा कि पहले के मुकाबले स्कूली शिक्षा के यह आंकड़े अब और ज्यादा सटीक है।

    मंत्रालय के मुताबिक यूडीआइएसई प्लस के जो आंकड़े हैं वह राज्यों की ओर से मुहैया कराए जाते हैं। मंत्रालय सिर्फ इन्हें जांचता है। अब तक राज्य इन आंकड़ों को लगभग में दिया करते थे, लेकिन नई व्यवस्था के तहत इस बार आंकड़े छात्रों की संख्या के साथ ही उनके नाम और पिता के नाम के साथ मांगी गई थी।




    स्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट दर्ज, शिक्षा मंत्रालय की UDISE+ की वर्ष 2022-23 और 2023- 24 की रिपोर्ट में खुलासा

    31 दिसम्बर 2024
    नई दिल्ली। देशभर मेंस्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट आई है। यह गिरावट एससी, एसटी, ओबीसी और लड़कियों के वर्ग में सबसे अधिक है। वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में स्कूली शिक्षा की विभिन्न श्रेणियों में यह गिरावट है। माध्यमिक के तहत कक्षा नौंवी से 12वीं में यह गिरावट 17 लाख से अधिक है। हालांकि प्री-प्राइमरी के नामांकन में मामूली तो कुल स्कूलों में 5782 की बढ़ोतरी है।



    शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई प्लस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र नामांकन में 37.45 लाख की गिरावट है। 


    वर्ष 2023-24 में सकल नामांकन 24.80 करोड़ था। इससे पहले वर्ष 2022-23 में 25.17 करोड़ तो वर्ष 2021-22 में 26.52 करोड़ से कम था। इस प्रकार वर्ष 2022- 23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 37 लाख से अधिक पार कर गया है। हालांकि, प्रतिशत में यह आंकड़ा सिर्फ 1.5 फीसदी है। 


    वर्ष 2023-24 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के कुल नामांकन में 25 लाख की गिरावट आई है। अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी में 2022-23 की तुलना में स्कूलों में 12 लाख कम छात्र नामांकित हैं।

    अब शुल्क भरपाई का बेजा फायदा नहीं ले पाएंगे सरकारी कार्मिक, छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर दिखेगा इनकम टैक्स रिटर्न का ब्योरा, हो रही ऐसी व्यवस्था

    अब शुल्क भरपाई का बेजा फायदा नहीं ले पाएंगे सरकारी कार्मिक, छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर दिखेगा इनकम टैक्स रिटर्न का ब्योरा, हो रही ऐसी व्यवस्था

    समाज कल्याण विभाग ने श्रीट्रॉन इंडिया लिमिटेड से मांगी मदद


    लखनऊ। सरकारी कर्मचारी छात्रवृत्ति व शुल्क भरपाई योजना का बेजा फायदा नहीं उठा पाएंगे। इसके लिए छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर ही छात्र के माता-पिता या अभिभावक के इनकम टैक्स का ब्योरा प्रदर्शित होने की व्यवस्था की जा रही है। समाज कल्याण विभाग ने इस संबंध में श्रीट्रॉन इंडिया लिमिटेड से मदद मांगी है।


    प्रदेश में ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले अनुसूचित जाति व जनजाति परिवारों के विद्यार्थी और दो लाख रुपये तक सालाना आय वाले अन्य वर्गों के विद्यार्थी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। विगत वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता, अभिभावक या पति की सरकारी नौकरी होने के बावजूद छात्रों ने तहसील से फर्जी आय प्रमाणपत्र बनवाया। उसके आधार पर भुगतान प्राप्त किया। इतना ही नहीं, गाजियाबाद में तो एक छात्र करोड़ों का टर्नओवर होने के बावजूद योजना का लाभ लेने के लिए कोर्ट तक चला गया।


    इस घपले को शुरुआत में ही पकड़ने के लिए वर्ष 2025-26 से नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसमें माता-पिता, अभिभावक या पति का पैन नंबर और विगत वर्ष के दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) में प्रदर्शित आय छात्रवृत्ति के ऑनलाइन आवेदन पत्र में ऑटो फेच (स्वतः ग्रहण) होकर दिखने लगेगी। इसके लिए श्रीट्रॉन इंडिया लि. के जरिये आयकर विभाग से जरूरी अनुमतित ली जाएगी।


    फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति लेने वालों से होगी रिकवरी

    समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी छात्र ने फर्जी आय प्रमाणपत्र लगाकर विगत वर्षों में धनराशि ली है, तो उससे ब्याज समेत रिकवरी होगी। पैन और आधार नंबर के आधार पर विगत वर्षों की आयकर विवरणी से अभिभावकों की आय का पता लगाया जाएगा।

    Friday, January 3, 2025

    66 हजार बेसिक शिक्षकों को सात साल बाद भी नहीं मिला साढ़े तीन माह का मानदेय, जानिए! पूरा मामला

    66 हजार बेसिक शिक्षकों को सात साल बाद भी नहीं मिला साढ़े तीन माह का मानदेय, जानिए! पूरा मामला  


    प्रयागराज : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के तहत नियुक्त तकरीबन 66 हजार शिक्षकों को सात साल बाद भी तीन महीने से अधिक समय का बकाया मानदेय का भुगतान नहीं हो सका है। इन प्रशिक्षु शिक्षकों की छह महीने का प्रशिक्षण जनवरी 2015 से प्रारम्भ होकर सात नवंबर 2015 तक लगभग साढ़े नौ महीने चला था। 72825 बैच के शिक्षकों को केवल छह महीने का ही मानदेय दिया गया। सात साल से अधिक हो गए हैं लेकिन बकाया तीन महीने 16 दिन का मानदेय अभी तक नहीं दिया गया है।

    इस संबंध में लखनऊ  के शिक्षक निर्भय सिंह⁩ के आईजीआरएस पर पूछे सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार  ने नियम तो बता दिया लेकिन भुगतान के संबंध में कोई साफ जवाब नहीं दिया।


    उच्च शिक्षा निदेशालय का आधा काम लखनऊ स्थानांतरित करने की तैयारी, अपर निदेशक बेसिक व माध्यमिक का कार्यालय भी राजधानी ले जाने की योजना

    उच्च शिक्षा निदेशालय का आधा काम लखनऊ स्थानांतरित करने की तैयारीअपर निदेशक बेसिक व माध्यमिक का कार्यालय भी राजधानी ले जाने की योजना

    शासन ने मांगा प्रस्ताव, शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने किया विरोध


    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का आधा काम प्रदेश की राजधानी लखनऊ शिफ्ट किए जाने की तैयारी है। वहीं, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालय का एक हिस्सा भी लखनऊ ले जाने की तैयारी हो चुकी है। शासन ने इस बाबत प्रस्ताव मांगे हैं लेकिन शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ इसके विरोध में उतर आया है। बृहस्पतिवार को हुई संघ की सामान्य सभा की बैठक में इसके विरुद्ध प्रस्ताव पारित किए गए।


    उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की ओर से 30 दिसंबर, 2024 को पत्र जारी कर उच्च शिक्षा निदेशालय, प्रयागराज स्थित मुख्यालय का शिविर कार्यालय लखनऊ में बनाए जाने व शिविर कार्यालय से ही 50 फीसदी कार्य संचालित किए जाने से संबंधित प्रस्ताव मांगा गया है। प्रयागराज की गरिमा उच्च शिक्षा निदेशालय को विखंडित किए जाने का सामान्य सभा की ओर से विरोध किया गया।


    वहीं, शिक्षा निदेशक (बेसिक) द्वारा प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा को एक प्रस्ताव प्रेषित किया गया है, जिसमें शिक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश (मुख्यालय) प्रयागराज से अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) एवं अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) का कैम्प कार्यालय लखनऊ की प्रस्तावित बिल्डिंग में स्थापित किए जाने का उल्लेख है।


    शिक्षा निदेशक (बेसिक) के पत्र द्वारा प्रेषित प्रस्ताव का भी सामान्य सभा ने विरोध किया है। सामान्य सभा की बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षा निदेशालय प्रयागराज में तैनात अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) सुरेंद्र कुमार तिवारी व अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी द्वारा मुख्यालय से लगातार अनुपस्थित रहने के शासकीय कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।


    उन्होंने संबंधित अधिकारियों के प्रयागराज मुख्यालय में नियमित रूप से बैठने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखने का निर्णय लिया है। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि अपर निदेशकों के अलावा प्रयागराज में ही सुरेंद्र कुमार तिवारी को सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद एवं अजय कुमार द्विवेदी को अपर शिक्षा निदेशक (पत्राचार) के अतिरिक्त पद की भी जिम्मेदारी शासन द्वारा दिए जाने के बावजूद शिक्षा निदेशालय मुख्यालय प्रयागराज में माह में दो से तीन दिन ही बैठते हैं। इन अधिकारियों के मुख्यालय में लगातार अनुपस्थित रहने के कारण शासकीय कार्य प्रभावित हो रहा है।


    संघ के पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि इस मसले पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बात की जाएगी। सांसदों, विधायकों व मंत्रियों के माध्यम से भी मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई जाएगी। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव व मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि प्रयागराज की गरिमा से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। अगर बात नहीं बनी तो व्यापक रूप से आंदोलन किया जाएगा।

    जब एचआरए इतना कम तो दूर के ब्लॉक में क्यों जाएं शिक्षक?

    जब एचआरए इतना कम तो दूर के ब्लॉक में क्यों जाएं शिक्षक?

    शिक्षकों की भारी कमी के बावजूद ब्लॉक में तबादला नहीं चाहते शिक्षक


    लखनऊ: लखनऊ के माल ब्लॉक में शिक्षकों की भारी कमी है लेकिन वहां कोई शिक्षक नहीं जाना चाहता। ऐसा ही हाल सीतापुर के रेउसा और बेहटा ब्लॉक का भी है। वजह यह कि जिला मुख्यालय से दूर यह ब्लॉक 'सी' कैटीगरी में आते हैं। ब्लॉक दूर होने के साथ ही यहां का एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) भी सबसे कम है।


    ये हैं तीन श्रेणियां : बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर में बेसिक स्कूलों की तीन श्रेणियां तय की है। ऐसे जिले जहां नगर निगम है, वहां के शहरी शहरी क्षेत्रों को 'ए' कैटीगरी में रखा है। इसके अलावा अन्य जिलों के शहरी क्षत्रों को 'बी' कैटीगरी में रखा है। अन्य सभी ब्लॉक को 'सी' कैटीगरी में रखा गया है। तीनों कैटीगरी में एचआरए अलग-अलग है। इन तीनों कैटीगरी का एचआरए क्रमशः 4040, 2020 और 1340 रुपये/माह है। लखनऊ का माल ब्लॉक सी कैटीगरी में है। वहीं, अन्य सभी ब्लॉक और शहरी क्षेत्र ए कैटीगरी में आते है। तीन अलग-अलग कैटीगरी होने के कारण शिक्षक सी कैटीगरी वाले ब्लॉक में जाने को तैयार नहीं होते। सामान्य तबादले होते हैं, तब भी वे इन ब्लॉक का चयन करने से बचते हैं। इससे वहां शिक्षकों की भारी कमी रहती है। वहीं, म्यूचुअल तवादलों में दिक्कत इन ब्लॉक के शिक्षकों के लिए है। वहां कोई दूसरा उनके साथ म्यूचुअल पेयर नहीं बनाना चाहता। ऐसे में वे उसी ब्लॉक में पड़े रहते हैं।

    इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि समय के साथ शहरी सीमा में विस्तार हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि ग्रामीण और शहरी कैडर एक कर दिया जाए। इससे ब्लॉक की कैटीगरी भी समान हो जाएंगी और सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।


    अलग-अलग कैडर और एचआरए की वजह से आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस बारे में विचार किया जा रहा है। कोशिश होगी कि जल्द कोई निर्णय हो सके। - सुरेंद्र तिवारी, सचिव-बेसिक शिक्षा परिषद


    शिक्षा पर कैसे पड़ रहा असर? 
     यहां बात सिर्फ तबादले की नहीं है। कई मुद्दों के अनुसार ब्लॉक की ये तीन कैटीगरी दशकों पहले तय की गई थी, तब से काफी बदलाव आया है। नगर निगम के  निर्णय न लेने के कारण दिक्कते बढ़ती जा रही है। पालिका, नगर पंचायत क्षेत्रों में भी बदलाव आया है। शहरीकरण बढ़ा है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने कैडर नहीं बदला। कई ग्रामीण इलाके ऐसे भी है जो सीमा विस्तार के बाद शहरी सीमा में आ गए लेकिन अभी तक उनका कैडर ग्रामीण ही रखा है। इस कैडर को एक करने की कवायद कई साल से चल रही है लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। 

    हाल ही में लखनऊ और गोरखपुर में शहरी सीमा में शामिल हुए स्कूलों को लेकर हाई कोर्ट भी निर्णय दे चुका है लेकिन उस पर भी अमल नहीं हुआ। इससे शिक्षको को तो परेशानी होती ही है। शिक्षा व्यवस्था पर भी खराब असर पड़ रहा है। शहर के स्कूलों में भी कई स्कूलों में शिक्षक नहीं है। लेकिन कैडर अलग होने के कारण यहां ग्रामीण क्षेत्र से शिक्षकों का तबादला नहीं हो सकता। इससे यहा शिक्षकों की कमी है। वहीं, सी कैटीगरी वाले स्कूलों में शिक्षक नहीं जाना चाहते।



    शहरी व ग्रामीण ब्लॉकों का अलग मकान किराया भत्ता बन रहा तबादले के आकर्षण में बाधा

    शिक्षकों का परस्पर तबादला : दूर के ब्लॉकों में जाने से कतराते हैं परिषदीय शिक्षक

    तबादला प्रक्रिया को लेकर कम नहीं है दिक्कतें


    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के परस्पर तबादले में कई पेंच हैं। शहरी और ग्रामीण ब्लॉकों के लिए अलग-अलग मकान भत्ता (एचआरए) होने से शिक्षक मुख्यालय से दूर के ब्लॉकों में स्थानांतरण से कतरा रहे हैं। यही वजह है कि दूर के ब्लॉकों में शिक्षकों की संख्या कम है। वहीं, एक बार सुदूर ब्लॉकों में तैनाती पाने वाले शिक्षकों की शहरी क्षेत्रों में वापसी नहीं हो पाती है।


    परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक लगभग एक साल से जिले के अंदर व एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले का इंतजार कर रहे हैं। शासन ने हाल ही में जिले के अंदर परस्पर तबादले के लिए दिशा- निर्देश जारी किए हैं। हालांकि अभी इसके लिए समय सारिणी नहीं जारी की गई है। शिक्षक एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि दूर के ब्लॉक में एचआरए कम होने से मुख्यालय के पास के शिक्षक उनसे म्युचुअल तबादले को नहीं तैयार होते हैं। लखनऊ में ही माल ब्लॉक को छोड़कर अन्य सभी में प्राथमिक शिक्षक का एचआरए 4040 है जबकि माल ब्लॉक के शिक्षकों का एचआरए सिर्फ 1340 रुपये है।


    यही नहीं गोरखपुर में कुल 21 ब्लॉक हैं। लगभग 15 ब्लॉक में एचआरए 4040 और अन्य में 1340 है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि यही वजह है कि दूर ब्लॉक में एक बार तबादला या तैनाती पाने वाले शिक्षक मुख्यालय के पास नहीं पहुंच पाते हैं। बेसिक शिक्षा विभाग को इसके लिए कोई रास्ता निकालना होगा नहीं आने वाले समय में यह बड़ी समस्या बनेगी।



    10 जनवरी तक अपडेट होगा डाटा तो कब होंगे तबादले

    बेसिक शिक्षा परिषद ने जिले के अंदर परस्पर तबादले के लिए 10 जनवरी तक शिक्षकों का डाटा अपडेट करने का निर्देश बीएसए को दिया है। ऐसे में शिक्षक यह कह रहे हैं कि अगर 10 जनवरी तक डाटा अपडेट होगा तो तबादला प्रक्रिया कब शुरू होगी और कब तक पूरी होगी? क्योंकि जाड़े की छुट्टियां 14 जनवरी तक ही हैं। वहीं शिक्षकों ने जल्द तबादला प्रक्रिया का कार्यक्रम जारी करने की मांग की है।


    दूर के ब्लॉक में शिक्षकों को नहीं मिलता लाभ

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी निर्भय सिंह कहते हैं कि परस्पर तबादले में दूर के ब्लॉक में तैनात शिक्षकों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जो दूर के ब्लॉक में नियुक्त शिक्षक हैं, वहां कम एचआरए होने से कोई तबादला नहीं लेना चाहता है। इससे दूर के ब्लॉक में शिक्षकों की कमी हो गई है।

    Madarsa Holiday List: मदरसों में शुक्रवार को होगा साप्ताहिक अवकाश, मदरसा शिक्षा परिषद के वर्ष 2025 की अवकाशों की सूची जारी, करें डॉउनलोड

    Madarsa Holiday List: मदरसों में शुक्रवार को होगा साप्ताहिक अवकाश, मदरसा शिक्षा परिषद के वर्ष 2025 की अवकाशों की सूची जारी, करें डॉउनलोड 

    शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मियों को 14 दिनों का आकस्मिक अवकाश

    लखनऊ । उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने वर्ष 2025 के लिए मदरसों में लागू होने वाले अवकाशों की सूची जारी कर दी है। परिषद के रजिस्ट्रार आरपी सिंह के जारी आदेश के अनुसार, मदरसों में साप्ताहिक अवकाश हर शुक्रवार को रहेगा। शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों को 14 दिनों का आकस्मिक अवकाश भी दिया जाएगा।


    जारी आदेश में कहा गया है कि गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती पर शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा। हालांकि इन राष्ट्रीय पर्वों पर शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। मदरसों में स्थानीय त्योहार और चांद दिखने के आधार पर भी अवकाश दिए जाएंगे। इसके अलावा जिलाधिकारी या सक्षम अधिकारी की ओर से घोषित मौसम आधारित अवकाश का पालन किया जाएगा।


    यह भी स्पष्ट किया गया है कि शीतकालीन अवकाश एक से 10 जनवरी तक रहेगा। इसके अलावा सात जनवरी को ख्वाजा गरीब नवाज की छठी शरीफ, 14 जनवरी को हजरत अली जयंती, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस, 13 व 14 फरवरी को शबे-बरात और 26 फरवरी से 30 मार्च तक वार्षिक अवकाश रहेगा। 


    इसी तरह 14 मार्च को होली, 31 मार्च से तीन अप्रैल ईद-उल-फितर, 10 अप्रैल को महावीर जयंती, 14 अप्रैल को डा. बीआर आंबेडकर जयंती, 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा, छह जून से 10 जून तक ईद-उल-अजहा, तीन से सात जुलाई मोहर्रम, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम, चार व पांच सितंबर को ईद-मिलादुन्नबी, दो अक्टूबर को गांधी जयंती और विजयदशमी, 21 अक्टूबर को दीपावली, पांच नवंबर को गुरु नानक जयंती और 25 दिसंबर को क्रिसमस पर्व पर अवकाश रहेगा। राष्ट्रीय पर्वों और विशेष अवसरों पर मदरसों में सांस्कृतिक एवं शिक्षण गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

    जूनियर एडेड भर्ती का आरक्षण जिलास्तर पर लगेगा, तीन साल से फंसी शिक्षक भर्ती को पूरा करने में जुटे अफसर, आरक्षण तय, इसी सप्ताह आवेदन की उम्मीद

    जूनियर एडेड भर्ती का आरक्षण जिलास्तर पर लगेगा, तीन साल से फंसी शिक्षक भर्ती को पूरा करने में जुटे अफसर, आरक्षण तय, इसी सप्ताह आवेदन की उम्मीद


    प्रयागराज । सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 1504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर भर्ती के लिए आरक्षण जिलेस्तर पर ही लगेगा। आरक्षण को लेकर चले आ रहे असंमजस को दूर करते हुए शिक्षा निदेशालय के अफसरों ने जिलेस्तर पर आरक्षण निर्धारित करते हुए भर्ती के लिए आवेदन लेने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। 


    उम्मीद है कि इसी सप्ताह आवेदन शुरू हो जाएगा। सफल अभ्यर्थियों से राज्य स्तर पर आवेदन लिए जाएंगे और उसके बाद जिलों को सूची भेजकर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस भर्ती के लिए 17 अक्तूबर 2021 को लिखित परीक्षा कराई गई थी। उसके बाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर 15 नवंबर 2021 को परिणाम घोषित होने के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने कम अंक मिलने की शिकायत करते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं कर दी थी।


     हाईकोर्ट के आदेश पर शासन ने 12 अप्रैल को एक समिति का गठन करते हुए आपत्तियों की जांच कराई। 571 शिकायतों के मिलान में 132 शिकायतें सही पाई गई थी। इस पर पुर्नमूल्यांकन करते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने 6 सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया।


    परीक्षा में सम्मिलित 271071 अभ्यर्थियों में से 42066 जबकि प्रधानाध्यापकों की भर्ती के लिए 14,931 अभ्यर्थियों में से 1544 को सफल घोषित किया गया था। कुछ अभ्यर्थियों ने संशोधित परिणाम को भी चुनौती दी थी लेकिन अंततः हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण कराने के आदेश दिए थे।


    तीन साल से फंसी हुई है भर्ती

    राज्य या जिलेस्तर पर आरक्षण लागू करने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। पिछले दिनों शासन से सख्ती होने के बाद नियमावली के अनुसार जिलेस्तर पर आरक्षण का निर्णय लिया गया या है। तीन साल से भर्ती फंसी होने के कारण कई स्कूलों में ताला पड़ने की नौबत है क्योंकि वहां शिक्षक ही नहीं बचे है।

    यूपी बोर्ड : भौतिक-रसायन में सर्वाधिक 16.50 लाख देंगे प्रैक्टिकल, परीक्षकों की सूची नए सिरे से तैयार की जा रही, एप से अपलोड करने होंगे अंक

    यूपी बोर्ड : भौतिक-रसायन में सर्वाधिक 16.50 लाख देंगे प्रैक्टिकल, परीक्षकों की सूची नए सिरे से तैयार की जा रही, एप से अपलोड करने होंगे अंक

    प्रयागराज : यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा में भौतिक और रसायन विज्ञान में सर्वाधिक छात्र-छात्राएं शामिल होंगे। इंटर विज्ञान वर्ग के अंतर्गत रसायन विज्ञान में 1650937 व भौतिक विज्ञान में 1650482 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं जबकि जीव विज्ञान में 1249485 विद्यार्थी प्रायोगिक परीक्षा देंगे। इसके बाद कला वर्ग में सबसे अधिक संख्या भूगोल लेने वाले विद्यार्थियों की है।


    प्रदेश में 267394 छात्राओं ने गृह विज्ञान विषय लिया है। कृषि वर्ग के विभिन्न विषयों में अधिकतम 14609 परीक्षार्थी प्रायोगिक परीक्षा में शामिल होंगे। कुछ पाठ्यक्रमों में परीक्षार्थियों की संख्या दस से भी कम है। सेक्रेटेरिएट एंड अंग्रेजी टाइपिंग में मात्र छह और नृत्य में केवल पांच बच्चे हैं। 14 बच्चों ने मधुमक्खी पालन और 15 ने इम्ब्रायडरी विषय चुना है। यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा 23 जनवरी से आठ फरवरी तक दो चरणों में कराई जाएगी। इसके लिए बोर्ड ने तैयारियां तेज कर दी है। परीक्षकों की सूची नए सिरे से तैयार की जा रही है। इस बार एप से परीक्षकों को छात्र-छात्राओं के अंक अपलोड करने होंगे।


    व्यवसायिक कोर्स का क्रेज कम : बोर्ड की ओर से संचालित व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों का रुझान कम है। सेक्रेटेरिएट एंड हिंदी टाइपिंग में 4231, ड्रेस डिजाइनिंग में 4178, खाद्य प्रसंस्करण कोर्स में 3631 जबकि हिंदी-अंग्रेजी टाइपिंग में 2635 परीक्षार्थी हैं।

    Thursday, January 2, 2025

    PhD : नए साल पर UGC का तोहफा, शुरू किया पीएचडी अवॉर्ड पोर्टल, जानें योग्यता नियम व शर्तें


    PhD : नए साल पर UGC का तोहफा, शुरू किया पीएचडी अवॉर्ड पोर्टल, जानें योग्यता नियम व शर्तें


    UGC PhD Award : इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए यूजीसी ने बुधवार को अपने पोर्टल पर पीएचडी उत्कृष्टता अवॉर्ड पोर्टल लॉन्च किया। अब अच्छी थीसिस व शोर्ध कार्य करने वाले रिसर्चर्स को पुरस्कृत किया जाएगा।


    UGC PhD Award : नए साल पर यूजीसी ने पीएचडी कर रहे शोधार्थियों को नया तोहफा दिया है। इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बुधवार को अपने पोर्टल पर पीएचडी उत्कृष्टता अवॉर्ड पोर्टल लॉन्च किया। अब अच्छी थीसिस व शोर्ध कार्य करने वाले रिसर्चर्स को पुरस्कृत किया जाएगा। पीएचडी एक्सीलेंस साइटेशन पोर्टल ( PhD Excellence Citation Portal ) पर विश्वविद्यालय हर साल अधिकतम पांच थीसिस को नामांकित कर सकते हैं। पांच विषयों साइंसेज (एग्रीकल्चर साइसेंज, मेडिकल साइंसेज समेत), इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी, सोशल साइंसेज (एजुकेशन एंड ह्यूमैनिटीज भी), इंडियन लैंग्वेज और कॉमर्स एंड मैनेजमेंट प्रत्येक में एक एक नामांकन होगा।


    यूजीसी के चेयरमैन जगदीश कुमार ने पोर्टल लॉन्च के मौके पर कहा, 'आज से विश्वविद्यालय यूजीसी पोर्टल पर अपने सर्वश्रेष्ठ पीएचडी शोध को नामांकित कर सकते हैं। हमने पहले ही सभी विश्वविद्यालयों को इस कार्यक्रम के बारे में सूचित कर दिया है और उनसे अपने सर्वश्रेष्ठ शोधों की पहचान करने और उन्हें नामांकित करने का आग्रह किया है।'


     यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से अपने शोधकर्ताओं के पीएचडी शोध की पहले से स्क्रीनिंग करने और पोर्टल के माध्यम से उपरोक्त विषयों के उम्मीदवारों को नामांकित करने को कहा है। कुमार ने कहा, 'हमने पहले ही सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर उनसे अपने विश्वविद्यालय में सर्वश्रेष्ठ शोध की पहचान करने और उन्हें यूजीसी पोर्टल पर नामांकित करने का अनुरोध किया है।'



    योजना की अहम बातें

    - अब अच्छा शोध कार्य करने वाले पीएचडी शोधार्थियों को सम्मानित करेगा। यह पहल विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट डॉक्टरल शोध कार्यों को पहचान दिलाने को लेकर है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो नए ज्ञान के सृजन और खोज को भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मानती है।

    - यूजीसी ने फैसला किया है कि हर साल देश के तमाम विश्वविद्यालयों की टॉप 10 पीएचडी थीसिस को चुना जाएगा और उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 को ध्यान में रखकर की गई है जिसमें रिसर्च और नए ज्ञान के सृजन पर जोर दिया गया है।


    कौन से विश्वविद्यालय के शोधार्थी होंगे इसके योग्य
    देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय व डीम्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थी इसके पात्र होंगे। यह भी नियम है कि केवल वे विश्वविद्यालय ही इसमें भाग ले सकते हैं, जो राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) से मान्यता प्राप्त हैं और यूजीसी अधिनियम की धारा 2(f) के तहत सूचीबद्ध हैं।


    इन 5 स्ट्रीम से चुनी जाएंगी बेस्ट 10 थीसिस

    - साइंसेज (एग्रीकल्चर साइसेंज, मेडिकल साइंसेज समेत)
    - इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी
    - सोशल साइंसेज (एजुकेशन एंड ह्यूमैनिटीज भी)
    - इंडियन लैंग्वेज
    - कॉमर्स एंड मैनेजमेंट स्ट्रीम शामिल है।

    यूनिवर्सिटी पांच स्ट्रीम से हर वर्ष 1-1 पीएचडी थीसिस यानी कुल पांच पीएचडी थीसिस की सिफारिश कर सकती हैं। हर साल बीते वर्ष में यूनिवर्सिटी द्वारा 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच दीक्षांत समारोह में जो पीएचडी डिग्री वितरित की गई होंगी, उनमें से वह चयन कर सकती है। अंतिम चयन यूजीसी स्तर पर एक चयन समिति द्वारा किया जाएगा।


    कैसे होगा चयन
    देश भर के विश्वविद्यालयों से टॉप 10 थीसिस का चुनाव बेहद चुनौतिपूर्ण होगा। ऐसे में चयन प्रक्रिया दो चरणों में बांटी गई है। पहले चरण में विश्वविद्यालय स्तर पर बनी स्क्रीनिंग समिति शोधार्थियों के कार्यों की समीक्षा करेगी। कैंडिडेट्स को शार्टलिस्ट कर वह अपनी सिफारिश यूजीसी को भेजेगी। इसके बाद यूजीसी की चयन समिति विश्वविद्यालयों की लिस्ट देखेगी और विश्लेषण कर अंतिम चयन करेगी।

    साइटेशन के लिए चयन समिति 1 अगस्त तक पीएचडी विजेताओं की सिफारिश करेगी। यूजीसी हर साल 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन 10 शोधार्थियों को पीएचडी एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित करेगी।


    पीएचडी करने वालों में बंपर बढ़ोतरी
    यूजीसी के एक अध्ययन के मुताबिक पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या में हाल के वर्षों में बंपर इजाफा हुआ है। 2010-11 में 77,798 पीएचडी दाखिले हुए थे जबकि 2017-18 में यह 1,61,412 हो गए। पीएचडी में दाखिला लेने वालों में हर साल 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई।


    UGC NET या PhD वाले विषय में बन सकेंगे शिक्षक; NEP के तहत संशोधन की तैयारी

    UGC NET  या PhD वाले विषय में बन सकेंगे शिक्षक; NEP  के तहत संशोधन की तैयारी


    Professor Recruitment Rule: विश्वविद्यालयों में अब यूजीसी नेट या पीएचडी वाले विषयों में ही शिक्षक बना जा सकेगा। शिक्षक बनने के लिए पहले एक ही विषय में स्नातक(यूजी), परास्नातक (पीजी) और पीएचडी होना जरूरी था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 के तहत विश्वविद्यालयों का शिक्षक बनने की प्रक्रिया में लचीलापन लाया जा रहा है। इसका मकसद उच्च शिक्षा में छात्रों को विभिन्न विषयों की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करना है। 


    इसके अलावा प्रमोशन में अब शोधपत्र, स्टार्टअप, उद्यमिता, नवाचार, पेटेंट, उद्योग साझेदारी आदि के मूल्यांकन सहायक होंगे। इसके अलावा, असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट और प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन के लिए पीएचडी व फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग अनिवार्य होगी। सूत्रों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर रोजगार में लगातार बदलाव आ रहा है। अब साधारण डिग्री, पांरपरिक तरीके से विषयों के किताबी ज्ञान से छात्रों को तैयार नहीं किया जा सकता है।


    रेग्यूलेशन 2018 में संशोधन की तैयारी
    इन्हीं जरूरतों और बदलाव को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अपने रेग्यूलेशन 2018 में संशोधन की तैयारी कर रहा है। उसकी जगह यूजीसी रेग्यूलेशन 2024 आएगा। इससे यूजीसी के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होगा।


    असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर 12 साल में बन तो जाएंगे, लेकिन प्रमोशन में मूल्यांकन प्रक्रिया बदल जाएगी। इसका मकसद गुणवत्ता में सुधार, आम लोग, समाज व विश्वविद्यालय हित पर फोकस करना है। इससे विभिन्न विषयों में शोध के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। इसके साथ ही शिक्षक भी नए विचारों से दक्ष होंगे।
     

    एक ही विषय में पढ़ाई की बंदिश समाप्त
    अभी तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने के लिए यूजी, पीजी और पीएचडी में एक ही विषय में पढ़ाई होनी जरूरी थी। लेकिन एनईपी 2020 में यूजी, पीजी के दौरान छात्रों को बहुविषयक पढ़ाई की आजादी दी गई है, ताकि छात्र का हर क्षेत्र में समग्र विकास हो सके। इसी के तहत शिक्षक बनने के नियमों में यह बदलाव किया जा रहा है।


    क्षेत्र में महारत तो भी शिक्षक बन सकेंगे
    स्नातक करने वाले अगर किसी क्षेत्र में महारत हासिल करते हैं तो वह उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक बन सकेंगे। इसमें योग, नाटक, फाइन आर्ट्स आदि क्षेत्रों के महारत हासिल लोगों को शिक्षक बनने का मौका मिलेगा। वे सीधे अस्सिटेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन उनके पास राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड या पुरस्कार होना जरूरी है।

    शिक्षामित्रों के तबादले व मानदेय बढ़ाने का लंबा होता जा रहा इंतजार, बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक कई बार मिला आश्वासन आदेश में नहीं बदल पा रहा

    शिक्षामित्रों के तबादले व मानदेय बढ़ाने का लंबा होता जा रहा इंतजार, बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक कई बार मिला आश्वासन आदेश में नहीं बदल पा रहा  

    मानदेय का मामला बेसिक शिक्षा और वित्त विभाग के बीच फंसा


    लखनऊ। प्रदेश में एक तरफ परिषदीय विद्यालयों के 4.50 लाख शिक्षकों के जिले के अंदर परस्पर तबादले की फिर से प्रक्रिया शुरू हो गई है। किंतु इन विद्यालयों में तैनात लगभग 1.42 लाख शिक्षामित्रों का मूल विद्यालय वापसी (तबादला) व मानदेय बढ़ाने का इंतजार और लंबा होता जा रहा है। बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक हर बार आश्वासन तो मिला लेकिन अब तक कोई आदेश नहीं जारी हुआ है।


    प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में जाड़े व गर्मी की छुट्टियों में शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया पूरी करने का आदेश है। पिछले दिनों लखनऊ में धरना-प्रदर्शन के बाद हुई वार्ता में प्रमुख सचिव ने शिक्षामित्र संघ को भी शिक्षामित्रों के उनके मूल विद्यालय वापसी, महिला शिक्षिकाओं को उनके घर के पास विद्यालय आवंटित करने, मानदेय वृद्धि आदि का आश्वासन दिया था। मानदेय वृद्धि के लिए तो शिक्षक विधायकों के साथ हुई सीएम से मुलाकात में भी आश्वासन मिला था। किंतु विभागीय अधिकारियों ने इस पर भी कार्यवाही नहीं की।


    जानकारी के अनुसार विभाग ने बिना किसी संस्तुति के मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव वित्तीय समीक्षा के लिए वित्त विभाग को भेज दिया। जबकि वित्त विभाग ने यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि विभाग ने कोई प्रस्ताव ही नहीं दिया।


    वित्त विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि जब आर्थिक भार विभाग पर पड़ना है तो वही बताएगा कि मानदेय कितना बढ़ाना है। जब विभाग स्पष्ट प्रस्ताव भेजेगा, तभी इस पर हम कोई मत दे पाएंगे। जानकारी के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग ने कोई स्पष्ट प्रस्ताव अभी तक नहीं भेजा है। इस तरह मामला बेसिक शिक्षा और वित्त विभाग के बीच फंसा हुआ है।


    शिक्षामित्रों के तबादले या मूल विद्यालय वापसी से जुड़ा आदेश जल्द जारी किया जाएगा। मानदेय को लेकर जो भी स्पष्ट प्रस्ताव भेजना है, वह भी जल्द करेंगे। इस पर तेजी से काम हो रहा है। जल्द ही शिक्षामित्रों को भी खुशखबरी मिलेगी। -डॉ. एमकेएस सुंदरम, प्रस प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग


    बेसिक शिक्षा मंत्री व विभाग के प्रमुख सचिव से हर मुलाकात व वार्ता में सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन मिला। इसके बाद भी मूल विद्यालय वापसी, मानदेय बढ़ाने आदि मांगों पर अभी तक कोई आदेश नहीं जारी हुआ। इस पर जल्द आदेश जारी किया जाना चाहिए। -शिवकुमार शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ

    छात्रों को मोबाइल, लैपटॉप से दूर रखने का तरीका सीखेंगे शिक्षक, मनोविज्ञानशाला प्रदेश के शिक्षकों के लिए तैयार कर रही है एकाग्रता बढ़ाने वाली गाइड

    छात्रों को मोबाइल, लैपटॉप से दूर रखने का तरीका सीखेंगे शिक्षक, मनोविज्ञानशाला प्रदेश के शिक्षकों के लिए तैयार कर रही है एकाग्रता बढ़ाने वाली गाइड


    प्रयागराज । छात्र- छात्राओं को स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट, टीवी और सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले 14 से 18 वर्ष के छात्र-छात्राओं को डिजिटल डिटॉक्स (एक तय समय के लिए मोबाइल, लैपटॉप आदि से दूर रखने के लिए) शिक्षकों की गाइड तैयार कर रहे हैं। मनोविज्ञानशाला की निदेशक उषा चंद्रा ने बताया कि गाइड बनने के बाद शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उसके बाद ये शिक्षक कक्षाओं में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को रचनात्मकता की ओर प्रेरित करेंगे।


    गतिविधि एकः पर्यावरण (40 मिनट)

    शिक्षक विद्यार्थियों को स्कूल मैदान का भ्रमण कराएंगे ताकि वह प्रकृति से निकटता महसूस कर सकें। उनसे गमलों में पौधे लगवाएंगे और कुछ दल बनाकर पूरे साल निश्चित संख्या में पौधों की देखरेख का प्रोजेक्ट देंगे। अच्छे तरीके से देखभाल करने वाले बच्चों को प्रोत्साहन के रूप में प्रमाणपत्र वगैरह भी दे सकते हैं।


    गतिविधि दोः एकाग्रता (40 मिनट)

    सबसे पहले शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर कैंची, गोंद, कागज, सुतली, दफ्ती और रंग के नाम लिखेंगे। उसके बाद विद्यार्थियों से पूछेंगे कि आंख बंद करके मन को एकाग्र करते हुए चिंतन करें कि इन चीजों का उपयोग करके वह क्राफ्ट से जुड़ी कौन कौन सी ची बना सकते हैं। उसके बाद उन्हें सामग्री देकर वस्तुएं बनवाएंगे और अपनी बनाई चीजों का प्रदर्शन करेंगे। इस गतिविधि में दूसरों और स्वयं की बनाई चीजों की सराहना करना सीखेंगे।


    गतिविधि तीनः आओ किताब पढ़ें (40-45 मिनट)

    शिक्षक छात्र-छात्राओं को लाइब्रेरी में ले जाएंगे और उन्हें अपनी रुचि के अनुसार पुस्तक, पत्रिका या अखबार चुनने को कहें। प्रत्येक विद्यार्थी को प्रेरित करें कि कम से कम एक कहानी या लेख ध्यानपूर्वक पढ़ें। अगले दिन विद्यार्थी से पढ़े हुए लेख या कहानी को सुनाने को कहें। शिक्षक विद्यार्थियों को प्रतिदिन अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।


    गतिविधि चारः समय का सदुपयोग (30-35 मिनट)

    इसमें शिक्षक विद्यार्थियों को कुछ समय आंख बंद करके शांति की मुद्रा में बैठने के लिए कहेंगे। उसके बाद सादा कागज वितरित कर लिखने को कहेंगे कि प्रतिदिन कितना समय स्क्रीन अर्थात सोशल मीडिया पर व्यतीत करते हैं। थोड़ा समय देकर उनके नॉन डिजिटल शौक या रुचि का कक्षा में प्रदर्शन भी कराएंगे। उनसे पूछेंगे कि मनपसंद काम करके कैसा लगा और स्क्रीन से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे।

    उच्च शिक्षण संस्थानों में कौशल आधारित नए कोर्स होंगे शुरू, यूजीसी ने जारी किया मसौदा नए सत्र से मिलेगी अनुमति

    इतिहास पढ़ने वाले अब सीखेंगे एआइ व डिजिटल मैपिंग भी


    • उच्च शिक्षण संस्थानों में कौशल आधारित नए कोर्स होंगे शुरू
    • यूजीसी ने जारी किया मसौदा नए सत्र से मिलेगी अनुमति


    नई दिल्ली: बीए, बीएससी व बीकाम जैसी पढ़ाई करने के बाद कोई बेकार न घूमे इसके लिए इन कोर्सों में अब कौशल आधारित शिक्षा का तड़का लगेगा। इससे न सिर्फ इन कोर्सों की पढ़ाई और भी ज्यादा रुचिकर हो जाएगी बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। फिलहाल जो योजना बनाई गई है, उनमें इतिहात, राजनीति विज्ञान और बायोलाजी जैसे विषयों के साथ स्नातक करने वाले छात्रों को इन कोर्सों के साथ एआइ, डिजिटल मैपिंग व डाटा एनालसिस जैसी रोजगार परक शिक्षा भी दी जाएगी।


    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अलग-अलग बंटी शैक्षणिक और कौशल आधारित शिक्षा को एक साथ लाने की यह पहल शुरू की है। इसके लिए एक मसौदा भी जारी किया है। देशभर के विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़े लोगों से इसे लेकर राय मांगी है। यूजीसी ने यह पहल नए क्रेडिट फ्रेमवर्क को अमल में लाने के बाद शुरू की है। यूजीसी ने इन कोर्सों को आफलाइन के साथ आनलाइन मोड में शुरू करने की अनुमति दी है।


    इनके लिए भी होंगे कोर्स

    यूजीसी की इस पहल के तहत उद्योगों में पहले से काम कर रहे कर्मचारियों की अपस्किलिंग और री-स्किलिंग के लिए भी उद्योगों की मांग को देखते हुए कुछ शार्ट टर्म के कोर्स भी शुरू होंगे। यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों से स्थानीय स्तर पर उद्योगों की जरूरत को देखते हुए इन कोसों को तैयार करने को कहा है। माना जा रहा है कि इस पहल से उद्योगों के उत्पादन में और सुधार आएगा।


    ये पढ़ेंगे छात्र

    बीए इतिहास : डिजिटल हिस्ट्री। एआइ इन हिस्टोरिकल रिसर्च, डिजिटल मैपिंग, डाटा एनालिसिस, कल्चरल रिसोर्स मैनेजमेंट

    बीए पालिटिकल साइंस : डाटा

    एनालिसिस आफ पालिटिकल साइंस, डिजिटल एडवोकेसी एंड कैपनिंग, एआइ एप्लीकेशन इन पालीटिकल एनालिसिल, पालिटिकल रिस्क एनालिसिस फार फोर कास्टिंग

    बीएससी बायोलाजी: फार्मेसी एंड

    ङग डेवेलपमेंट, बायोमेडिकल रिसर्च मेथड, क्लिनीकल ट्रायल मैनेजमेंट, वैक्सीन डेवेलपमेंट आदि

    बीएससी फिजिस्कः एआइ इन

    फिजिक्स, डाटा साइंस, स्पेस साइंस एंड टेक्नालाजी, रोबोटिक्स. क्वाटम कंप्यूटरिंग फंडामेंटल आदि।

    नए शैक्षणिक सत्र से चौथी, पांचवीं, सातवीं व आठवीं के बच्चे भी पढ़ेंगे नई NCERT पाठ्यपुस्तकें

    नए शैक्षणिक सत्र से चौथी, पांचवीं, सातवीं व आठवीं के बच्चे भी पढ़ेंगे नई NCERT पाठ्यपुस्तकें

    • एनईपी की सिफारिशों के तहत तैयार की जा रही हैं स्कूलों के लिए नई पाठ्यपुस्तकें।

    • बालवाटिका सहित पहली, दूसरी, तीसरी व छठी कक्षाओं की पुस्तकें पहले ही आ चुकीं


     नई दिल्ली : स्कूली शिक्षा के लिहाज से वर्ष 2025 काफी अहम है। इस साल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार की जा रही चार और कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें आएंगी। इनमें चौथी, पांचवीं, सातवीं व आठवीं कक्षाएं की पाठ्यपुस्तकें शामिल हैं। इसी शैक्षणिक सत्र से यानी 2025-26 से ही दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं भी साल में दो बार आयोजित होंगी। इनमें पहली परीक्षा फरवरी मार्च में तो दूसरी परीक्षा मई-जून महीने में आयोजित हो सकती है।


    नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद से स्कूली शिक्षा को इन बदलावों के अमल का इंतजार था। रही बात नीति के तहत स्कूलों के लिए तैयार होने वाली नई पाठ्यपुस्तकों की तो उसको लेकर कार्य नई नीति आने के बाद से ही शुरू हो गया था। साथ ही अब तक बालवाटिका स्तर की तीन कक्षाओं सहित पहली, दूसरी, तीसरी व छठीं कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें आ चुकी हैं।


     इस साल चार और कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें आने के बाद स्कूलों में आठवीं तक की पढ़ाई नई पाठ्यपुस्तकें से ही शुरू हो जाएगी। अगले साल बाकी बची कक्षाओं यानी नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकें भी आ जाएंगी। शिक्षा मंत्रालय इन पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने से जुड़ा कार्यक्रम पहले ही घोषित कर चुका है।


    स्कूली शिक्षा में इस साल से जो एक और बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, वह दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को साल में दो बार कराने का फैसला है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस पर शैक्षणिक सत्र 2025-26 से ही अमल होगा। यानी इस साल जो भी बच्चे दसवीं और बारहवीं कक्षाओं में आएंगे, उन्हें बोर्ड परीक्षा में शामिल होने का दो बार मौका मिलेगा।


    इस दौरान वह इनमें से कोई एक परीक्षा या फिर दोनों परीक्षा में बैठ सकेंगे। साथ ही इनमें से जिस परीक्षा में उनके बेहतर अंक होंगे, उन्हें ही अंतिम अंक माना जा जाएगा। यह परीक्षा ठीक जेईई मेन की तरह की होगी जिसमें छात्रों को अभी परीक्षा में शामिल होने के दो मौके मिलते हैं। इनमें से जिस परीक्षा में उनके अंक अधिक होते हैं, उन्हें ही अंतिम माना जाता है।

    Wednesday, January 1, 2025

    जनपद के अंदर म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए नीति तो हुई जारी लेकिन तबादलों के लिए करना पड़ सकता है लंबा इंतजार, जानिए क्यों?

    जनपद  के अंदर म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए नीति तो हुई जारी लेकिन तबादलों के लिए करना पड़ सकता है लंबा इंतजार, जानिए क्यों? 
     

    लखनऊ।  बेसिक शिक्षकों के अंतःजनपदीय म्यूचुअल तबादलों के लिए नीति जारी हो गई है, लेकिन तबादलों के लिए लंबा इंतजार करना होगा। तबादला आदेश सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों में ही जारी हो सकते हैं। अभी तबादलों की प्रक्रिया शुरू भी कर दी जाए, तो भी उसमें वक्त लगेगा। तब तक सर्दियों की छुट्टियां बीत जाएंगी।


    बेसिक शिक्षा परिषद ने 27 दिसंबर को तबादला नीति जारी की थी। उसके बाद 30 दिसंबर को सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को आदेश दिए गए कि 10 जनवरी तक शिक्षकों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड कर दें। ब्योरा अपलोड होने के बाद आवेदन मांगे जाएंगे। 


    ऑनलाइन आवेदन के लिए कुछ वक्त दिया जाएगा। उसके बाद 15 दिन में उनका सत्यापन BSA को करना होगा। उसके बाद एक महीने में जिला स्तरीय समिति अपना निर्णय लेगी। इस निर्णय पर 15 दिन का समय आपत्तियों के लिए देना होगा। आपत्तियों के निस्तरण के बाद ही तबादला आदेश जारी होंगे। इस तरह तीन महीने का समय इसमें बीत जाएगा। चूंकि तबादला आदेश गर्मियों या सर्दियों की छुट्टियों में ही हो सकते हैं। शिक्षकों की सर्दियों की छुट्टियां 15 जनवरी को बीत जाएंगी। ऐसे में उनको कम से कम गर्मियों की छुट्टियों तक तबादलों का इंतजार करना होगा। 


    इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि शासनादेश के अनुसार साल में दो बार म्यूचुअल तबादले हो सकते हैं, लेकिन अफसरों की लेटलतीफी के कारण एक तबादले में ही एक से डेढ़ साल का वक्त लग जाता है.


    कहां है दिक्कत ?

    शासनादेश के आदेश के अनुसार , नई जगह जॉइनिंग और पुरानी जगह रिलीविंग गर्मियों या सर्दियों की छुट्टियों में ही हो सकती है। शासनादेश में यह कहीं नहीं कहा गया है कि प्रक्रिया भी छुट्टियों में ही शुरू होगी। मतलब यह कि पूरे साल में कभी भी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। ऐसे में अगर छुट्टियों से तीन-चार महीना पहले प्रक्रिया शुरू कर दी जाए तो साल में दो बार म्यूचुअल तबादले हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। 

    जब सर्दियों या गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने वाली होती हैं, उस समय प्रक्रिया शुरू की जाती है। इससे शिक्षकों के तबादले अगली छुट्टियों तक लटक जाते हैं। उन छुट्टियों में भी विलंब हुआ तो फिर उसके बाद वाली सर्दियों या गर्मियों का इंतजार करना होता है। इस तरह यह इंतजार एक- डेढ़ साल का भी हो जाता है।

    छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना ट्रांसफॉर्मेशन के लिए मांगे गए सुझाव

    छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना ट्रांसफॉर्मेशन के लिए मांगे गए सुझाव

    समाज कल्याण मंत्री ने विभिन्न संस्थानों के प्रमुख संग की ऑनलाइन बैठक


    लखनऊ। समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने मंगलवार को विभिन्न संस्थानों के प्रमुख संग ऑनलाइन बैठक में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना ट्रांसफॉर्मेशन के लिए अहम बिंदुओं पर सुझाव मांगे। उन्होंने कहा कि योजना को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी एवं लाभार्थियों के लिए हितकर बनाने के उद्देश्य से इसमें व्यापक सुधार करने को विभाग प्रतिबद्ध है। विभाग पीएम मोदी के रिफॉर्म, परफॉर्म व ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत पर कार्य कर रहा है।


    उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की टीम ने लाभार्थियों की अपेक्षाओं, सिस्टम में संभावित कमियों आदि का आकलन व विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की और अध्ययन के बाद चुनौतियों और संभावित सुधारों को चिह्नित कर चर्चा पत्र तैयार किया। 


    उन्होंने हितधारकों से अनुरोध किया कि चर्चा पत्र का अध्ययन कर अपने सुझाव 10 जनवरी तक ईमेल आईडी asim@asimarun.in पर उपलब्ध करा दें। जिस पर विचार के बाद ही इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।


    बता दें कि बैठक में विभिन्न संस्थाओं की तरफ से सुझाव भी आए। इनमें ई रूपे कार्ड के माध्यम से विद्यार्थी द्वारा सीधे बैंक से संस्था को धनराशि ट्रांसफर करने, आवेदन फाइनल लॉक के बाद संस्था स्तर से त्रुटि या कमी को सही करने के लिए दोबारा स्टूडेंट लॉगिन पर रिवर्ट करने का सुझाव शामिल है। इसके अलावा समय सीमा के अंतर्गत कार्यवाही हेतु संस्था को पर्याप्त सिस्टम पर कार्य करने का विकल्प उपलब्ध कराए जाने का भी सुझाव दिया गया।

    माध्यमिक शिक्षकों को अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिए मिलेगा प्रशिक्षण, समग्र शिक्षा के तहत के तहत दी जाएगी शिक्षकों को ट्रेनिंग

    माध्यमिक शिक्षकों को अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिए मिलेगा प्रशिक्षण, समग्र शिक्षा के तहत के तहत दी जाएगी शिक्षकों को ट्रेनिंग


    लखनऊ। प्रदेश में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के अंग्रेजी विषय के शिक्षकों को और दक्ष करने व आज की जरूरत के अनुसार तैयार करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके तहत हर जिले से तीन-तीन एलटी ग्रेड शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। वह आगे अपने जिले के अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।


     माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुसार बदलते दौर में पठन-पाठन के तरीकों से लेकर शब्दावली व प्रस्तुतिकरण के तरीकों में काफी बदलाव आया है। इससे शिक्षकों को अवगत व अपडेट कराने के लिए यह प्रशिक्षण डायट के माध्यम से कराया जाएगा। इसमें हर मास्टर ट्रेनर को आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान, प्रयागराज द्वारा विकसित ट्रेनिंग मॉड्यूल व हर राजकीय माध्यमिक विद्यालय के लिए कक्षा नौ व दस की अंग्रेजी विषय की टीचर गाइड भी दी जाएगी।


    अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णुकांत पांडेय ने बताया कि यह प्रशिक्षण शिक्षकों को आज के अनुरूप अपडेट करने में काफी सहयोगी होगा। इसके लिए प्रति शिक्षक 500 रुपये की दर से 26 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने 15 जनवरी तक सभी जिलों में यह ट्रेनिंग पूरी कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रशिक्षण के लिए चयनित शिक्षकों की सूची भी भेजी है।

    यूजी-पीजी में अलग-अलग विषय तो भी बन सकेंगे तकनीकी कॉलेज में शिक्षक

    यूजी-पीजी में अलग-अलग विषय तो भी बन सकेंगे तकनीकी कॉलेज में शिक्षक

    एआईसीटीई रेग्यूलेशन-डिग्री 2019 में संशोधन की तैयारी, 

    असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए एमटेक तो एसोसिएट और प्रोफेसर बनने को पीएचडी अनिवार्य


    नई दिल्ली। अब यूजी और पीजी में अलग-अलग ब्रांच (विषय) में पढ़ाई करने वाले छात्र भी तकनीकी कॉलेजों में शिक्षक बन सकेंगे। वह दोनों में से किसी भी ब्रांच का चयन कर सकते हैं। मसलन, यदि आपने बीटेक कंप्यूटर साइंस और एमटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग में की होगी, तो कंप्यूटर साइंस या मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के लिए शिक्षक पद के योग्य होंगे। 


    अभी तक शिक्षक बनने के लिए बीटेक और एमटेक दोनों में एक ही ब्रांच या विषय की पढ़ाई अनिवार्य थी। इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए प्रमोशन का आधार सिर्फ रिसर्च पेपर नहीं होगा। इसमें लचीलापन लाते हुए अब अकेडमिक, रिसर्च पेपर व इनोवेशन और छात्रों का 360 फीडबैक को भी शामिल किया जाएगा। 


    सूत्रों के मुताबिक, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) तकनीकी कॉलेजों में एआईसीटीई रेग्यूलेशन (डिग्री) 2019 में संशोधन कर रहा है। पुराना नियम एक जनवरी 2016 से लागू हुआ था। उसकी जगह तकनीकी कॉलेजों के लिए अब एआईसीटीई रेग्यूलेशन (डिग्री) अगस्त 2024 आ रहा है। इसमें मुख्य तौर पर शिक्षकों की भर्ती, और प्रमोशन के नियमों में बदलाव होना है। इसका लाभ एआईसीटीई के मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर समेत अन्य तकनीकी कॉलेजों को होगा।


    प्रमोशन में तीन श्रेणियों का आधार बनेंगे 100 अंक

    अभी तक असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए रिसर्च पेपर मुख्य आधार होता था। लेकिन नए नियमों में अकेडमिक, रिसर्च पेपर व इनोवेशन और छात्रों का 360 फीडबैक मुख्य होगा। इसमें छात्रों के फीडबैक के 30 अंक, एसीआर के 10 अंक, डिपार्टमेंट एक्टिविटी के 30 अंक और इंस्टीट्यूशन एक्टिविटी के 30 अंक रहेंगे। प्रमोशन में रिसर्च इनोवेशन, रिसर्च फंडिंग, क्वालिटी पब्लिकेशन, पढ़ाना, स्टार्टअप व इनोवेशन प्रोजेक्ट, पेटेंट, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का भी मूल्यांकन होगा।


    सेवानिवृत्ति की आयु 70 साल का फैसला राज्य करेंगे

    तकनीकी कॉलेजों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल से बढ़ाकर 70 साल करने की भी सिफारिश है। लेकिन एआईसीटीई इस फैसले का अधिकार राज्य सरकारों को देगा। वे चाहें तो रिटायरमेंट की आयु 70 कर सकते हैं।


    राज्य अपने 10 फीसदी शिक्षकों की उच्च शिक्षा की क्वालिफिकेशन अपग्रेड कराएं

    नए नियमों में विभिन्न राज्यों के 10 फीसदी शिक्षकों की क्वालिफिकेशन अपग्रेड करने का प्रावधान है। इसमें एआईसीटीई विभिन्न राज्य सरकारों को प्रस्ताव बनाकर देगा। इसमें उसके शिक्षकों की एमटेक व पीएचडी की पढ़ाई पूरी करवाई जाएगी। इसका सारा खर्चा एआईसीटीई देगा। इसके तहत एमटेक उम्मीदवार को 9000 रुपये और पीएचडी के लिए 15 हजार रुपये प्रति महीने का स्टाइपेंड दिया जाएगा। इन शिक्षकों की एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई आईआईटी, आईआईएम, आईआईआईटी, एनआईटी परिसर में होगी।


    डीन, प्रिंसिपल, डायरेक्टर को पढ़ाने के दो घंटे कम

    नए नियमों में डीन, प्रिंसिपल और डायरेक्टर या किसी भी प्रशासनिक पद पर तैनात अधिकारी के पढ़ाने के हर हफ्ते के घंटों में दो घंटे कम किए गए हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर को हफ्ते में 16 घंटे, एसोसिएट प्रोफेसर को 14, प्रोफेसर, सीनियर, एचएजी प्रोफेसर को 12 तो डायरेक्टर व प्रिंसिपल को चार घंटे की पढ़ाई या लैब वर्क शामिल है।


    घटती मांग वाली ब्रांच के शिक्षक होंगे एडवांस कोर्स में अपग्रेड

    दुनियाभर में नौकरियों में लगातार बदलाव से सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रिोनिक्स इजीनियरिंग में भी छात्रों की संख्या लगातार घट रही है।

    एआईसीटीई के पास ऐसे करीब डेढ़ से दो लाख शिक्षक हैं। ब्रांच बंद होने से उनकी नौकरी पर संकट आ रहा है। इसलिए ऐसे शिक्षकों को रोजगार के उभरते क्षेत्रों में एआईसीटीई अपने खर्चे पर छह महीने का पीजी एडवांस सर्टिफिकेट कोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड टेक्नोलॉजी, मशीन लर्निंग, 3 डी प्रिंटिंग में करवा रहा है। ताकि वे इन उभरते क्षेत्रों में निपुण होकर कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में अपना भविष्य बना सकें।

    एआईसीटीई ने आईआईटी और एनआईटी में 21 सेंटर बनाए हैं। यहां 30 से 50 शिक्षकों पर प्रति सेंटर 20 लाख का खर्च होगा।

    अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शासन द्वारा निर्धारित जनशक्ति के सापेक्ष सृजित / कार्यरत / रिक्त की सूचना उपलब्ध कराये जाने के संबंध में

    माध्यमिक शिक्षा विभाग ने रिक्त पदों की गिनती शुरू कराई, रिक्त पदों की गणना करने के निर्देश


    माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों के पदों पर नई भर्ती शुरू करने के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने चार जनवरी को संबंधित विभागों के निदेशकों की बैठक बुलाई है। इसके लिए विभाग रिक्त पदों की गिनती करा रहे हैं। बैठक में नई भर्ती शुरू करने के साथ ऑनलाइन अधियाचन भेजे जाने पर भी निर्णय लिया जाएगा। बैठक से पूर्व माध्यमिक शिक्षा विभाग ने रिक्त पदों की गिनती शुरू कर दी।

    इसके लिए अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों को पत्र जारी कर प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता, सहायक अध्यापक, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी व सहायक अध्यापक (संबद्ध प्राइमरी प्रभाग) के रिक्त पदों की गणना करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही 31 मार्च 2025 तक सेवानिवृत्ति के कारण रिक्त होने वाले पदों का ब्योरा भी मांगा है।


    अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शासन द्वारा निर्धारित जनशक्ति के सापेक्ष सृजित / कार्यरत / रिक्त की सूचना उपलब्ध कराये जाने के संबंध में

    नए साल 2025 में बेसिक शिक्षा विभाग की उम्मीदें, 7,409 प्राइमरी स्कूलों में स्मार्ट क्लास सहित 5258 प्राइमरी स्कूलों स्कूलों में आईसीटी लैब की भी स्थापना की तैयारी

    नए साल 2025 में बेसिक शिक्षा विभाग की उम्मीदें, 7,409 प्राइमरी स्कूलों में स्मार्ट क्लास सहित 5258 प्राइमरी स्कूलों स्कूलों में आईसीटी लैब की भी स्थापना की तैयारी 


    लखनऊ । नए वर्ष में प्रदेश के 7,409 प्राइमरी स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू किए जाएंगे। वर्तमान में प्रदेश भर के 18381 स्कूलों में स्मार्ट क्लास चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा 5258 प्राइमरी स्कूलों स्कूलों में आईसीटी लैब की भी स्थापना होगी जबकि लखनऊ स्थित स्कूल शिक्षा महानिदेशालय में नए वर्ष में स्टेट लेवल डिजिटल स्टूडियो की स्थापना की जाएगी।


    बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षा के आधुनिकीकरण के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इके अलावा प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालय खोले जाएंगे। इसमें पहले चरण में 27 जिलों में मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों की स्थापना का कार्य जल्द ही शुरू किए जाने की योजना है। वहीं 34 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय उच्चीकृत किए जाने के प्रस्ताव पर भी सहमति मिल चुकी है। नई शिक्षा नीति 2020 की संस्तुतियों के तहत प्राइमरी स्कूलों में नए वर्ष में और भी कई बदलाव करने की तैयारी है।


    शिक्षा के क्षेत्र में किए जाएंगे कई कार्य

    ■ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, लिपिकों आदि के रिक्त पद भरे जाएंगे

    ■ 1265 प्राइमरी स्कूलों के जर्जर भवनों का कायाकल्प होगा

    ■ माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों में लैब व स्मार्ट क्लास को मंजूरी

    ■ तीन नए राज्य विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के बाद अब पढ़ाई शुरू करने की कवायद शुरू होगी

    ■ उच्च शिक्षा डिजिटल लाइब्रेरी में अब तक अपलोड 134 विषयों के 77,000 ई-कंटेंट को बढ़ाकर एक लाख तक किया जाएगा

    ■ 172 राजकीय महाविद्यालयों में ई-लर्निंग पार्क की स्थापित होंगे

    ■ 83 राजकीय महाविद्यालयों में स्मार्ट क्लास शुरू किया जाएगा

    Tuesday, December 31, 2024

    Madhyamik Shiksha Parishad UP Board Holiday List उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों के लिये वर्ष 2025 की अवकाश तालिका जारी

    बेसिक शिक्षा के स्कूलों में सभी शिक्षिकाओं को अवकाश जबकि माध्यमिक में विवाहित शिक्षिकाओं को ही करवा चौथ का अवकाश

    लखनऊ । माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में विवाहित शिक्षिकाओं को ही करवा चौथ का अवकाश मिलेगा जबकि बेसिक शिक्षा के स्कूलों में सभी शिक्षिकाओं को इस दिन पूरे दिन अवकाश की सुविधा मिलेगी।


    माध्यमिक विद्यालयों में बुद्ध पूर्णिमा की भी मिलेगी छुट्टी, नए साल की छुट्टियों का विभाग ने जारी किया कैलेंडर

    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2025 की छुट्टियों का कैलेंडर सोमवार को जारी कर दिया है। विभाग ने इस बार माध्यमिक विद्यालयों में बुद्ध पूर्णिमा की भी छुट्टी घोषित की है, जो 12 मई को पड़ रही है। इस साल कुल 30 दिन छुट्टी है। हालांकि घोषित छुट्टी, रविवार व गर्मी की छुट्टियां मिलाकर कुल 119 दिन अवकाश रहेगा।

    जबकि बोर्ड परीक्षा के लिए 12 दिन आरक्षित हैं और कुल 234 कार्य दिवस होंगे। जारी कैलेंडर में पिछले साल की तरह विवाहित शिक्षिकाओं को करवा चौथ का अवकाश मिलेगा। जबकि क्षेत्र विशेष में हरितालिका तीज, हरियाली तीज, संकठा चतुर्थी, हलषष्ठी, ललई छठ, जिउतिया व्रत के लिए शिक्षिकाओं को प्रधानाचार्य कोई दो छुट्टी दे सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि विशेष परिस्थिति में प्रधानाचार्य तीन दिन का विवेकाधीन अवकाश कर सकेंगे। 



    Madhyamik Shiksha Parishad UP Board Holiday List 
    उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों के लिये वर्ष 2025 की अवकाश तालिका जारी