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Wednesday, April 9, 2025

यूपी में अब अब पट्टे की जमीन पर खुल सकेंगे संस्कृत विद्यालय, नियामावली में संशोधन, यूपी बोर्ड की तरह 30 साल का पट्टा जरूरी

यूपी में अब अब पट्टे की जमीन पर खुल सकेंगे संस्कृत विद्यालय, नियामावली में संशोधन, यूपी बोर्ड की तरह 30 साल का पट्टा जरूरी


लखनऊ : अव पट्टे (लीज) की जमीन पर भी संस्कृत विद्यालय खुल सकेंगे। इस वावत प्रदेश सरकार ने नियमावली में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। संशोधन के अनुसार संबंधित संस्था के नाम 30 साल का पट्टा होना जरूरी है। यह पट्टा स्कूल संचालन के लिए ही होना चाहिए। प्रदेश में कुल 1,246 संस्कृत विद्यालय हैं। इनमें से दो राजकीय और 973 एडेड विद्यालय हैं। वहीं 271 निजी विद्यालय हैं। इनमें एक लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं।


इस बीच प्रदेश सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए 12 नए राजकीय विद्यालय खोले जाने हैं। साथ ही संस्कृत निदेशालय और वोर्ड का नया भवन भी प्रस्तावित है। फिर भी कई कठिनाइयां हैं, जिनकी वजह से विद्यालयों और छात्रों की संख्या नहीं वढ़ पा रही। 


संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वोर्ड के सदस्यों ने यह सुझाव दिया था कि यूपी बोर्ड और सीबीएसई की तरह यहां भी लीज पर विद्यालय खोलने का प्रावधान किया जाए। इस पर दो साल पहल मंथन शुरू हुआ। वाद में इस पर प्रस्ताव तैयार हुआ और नियमावली में संशोधन हुआ। अव प्रदेश सरकार ने यह संशोधन कर दिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। अधिसूचना के अनुसार सीबीएसई और यूपी वोर्ड की तरह यदि संस्था के नाम 30 साल के लिए जमीन का पट्टा है तो संस्कृत शिक्षा वोर्ड उसे मान्यता देगा।


खुलेंगे पांच नए संस्कृत विद्यालय

प्रदेश में पांच नए संस्कृत विद्यालय खुलेंगे। संस्कृत शिक्षा बोर्ड की मान्यता समिति की बैठक में इन विद्यालयों की मान्यता को मंजूरी दे दी गई। इसके अलावा तीन स्कूलों में डिप्लोमा कोर्स के लिए मान्यता दे दी गई। वहीं दो स्कूलों में विज्ञान विषयों की मान्यता को स्वीकृति मिल गई।



क्यों पड़ी नियमावली में बदलाव की जरूरत ?

प्रदेश सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रही है लेकिन कुछ पुराने नियम और ऐसी समस्याएं हैं, जिनकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं। यह बात सामने आई कि यूपी बोर्ड और सीबीएसई में 30 साल की लीज पर मान्यता मिल जाती है। वहीं संस्कृत विद्यालय खोलने के लिए अपनी जमीन होनी चाहिए। यही वजह है कि नियमावली में संशोधन किया गया। अब यूपी बोर्ड और सीबीएसई की तरह आसानी से संस्कृत स्कूल खुल सकेंगे। नए विद्यालय खोलने के साथ ही कई पुराने विद्यालयों को भी इसका लाभहोगा। करीब 50% संस्कृत विद्यालय मठों और मंदिरों में चलते हैं। उनमें ज्यादातर के पास लीज या दान की जमीन है। वे दान की जमीन का पट्टा कराके भी विद्यालय संचालित कर सकेंगे। उनका भी नियमानुसार संचालन हो सकेगा।

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