Thursday, February 1, 2024
Friday, February 3, 2023

भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद शामली के बीएसए को पद से हटाया गया, देखें आदेश
शामली । बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात क्लर्क को एंटी करप्शन की टीम ने गुरुवार दोपहर शिक्षिका से एक लाख रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। क्लर्क निलंबित शिक्षिका को बहाल कराने के नाम पर यह रकम ले रहा था। एंटी करप्शन की टीम ने पकड़े गए क्लर्क परिश्रम सैनी को आदर्श मंडी थाने को सौंप दिया। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
वहीं रिश्वत लेते हुए पकड़ा गए कर्मचारी के बाद कार्यालय में हड़कंप मच गया। क्लर्क की गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग में हुई इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद शिक्षक भी हैरान हो गए हैं।
चार माह पहले सहारनपुर से शामली संबद्ध हुए थे लिपिक
शामली। एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए लिपिक परिश्रम सैनी की नियुक्ति सहारनपुर के बीएसए कार्यालय में है। लिपिकों की कमी के चलते परिश्रम सैनी को चार माह पहले 16 सितंबर को बीएसए कार्यालय शामली से संबद्ध किया गया था।
लिपिक ने दो-दो हजार के मांगे थे नोट
शामली। सहायक अध्यापिका रीना का कहना है कि लिपिक परिश्रम ने उससे कहा था कि उसे दो-दो हजार रुपये के नोट देना ताकि उन्हें रखने में आसानी होगी। उसने बैंक से अपने खाते से एक लाख रुपये निकलवाए थे। बैंक से उसे 500-500 रुपये के नोट की दो गड्डी मिली थीं।
Friday, September 24, 2021
Wednesday, July 14, 2021

पत्रावली की जांच से खुलेगा अनियमितताओं का राज, कनिष्ठ शिक्षकों की नियम विरुद्ध पदोन्नति का मामला
Saturday, January 30, 2021
Thursday, November 12, 2020

शामली : 50 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ी गईं खंड शिक्षा अधिकारी, हिरासत में लेकर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी
Tuesday, December 17, 2019
Wednesday, November 13, 2019
Tuesday, August 27, 2019
Monday, May 13, 2019
Thursday, May 2, 2019
Wednesday, January 9, 2019
Thursday, December 27, 2018
Monday, July 9, 2018

परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई की समीक्षा को अभिभावकों को मिलेगी बुकलेट, टेस्ट से बच्चों की कमजोरी जान स्कूल को कराएंगे रूबरू
10 जुलाई को प्राचार्य करेंगे समीक्षा : शासन से मिले आदेश के बाद 10 जुलाई को इस संबंध में प्राचार्य समीक्षा करेंगे। सभी शिक्षक अपने विद्यालयों की रिपोर्ट बीआरसी पर सौंपेंगे और उसके बाद उस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। इस संबंध में मुजफ्फरनगर डायट में 10 जुलाई को प्राचार्य भीम सिंह समीक्षा लेंगे।
आशीष कुमार’ शामली: जिले के परिषदीय स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने में लापरवाही नहीं चलेगी। बच्चों को पढ़ाने से जी चुराने वाले शिक्षकों की डगर अब मुश्किल ही रहेगी। प्रदेश शासन ने सरकारी स्कूलों को पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर चलाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। शासन की मंशा के मुताबिक, अब परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की समीक्षा कोई गठित कमेटी नहीं, बल्कि खुद उनके अभिभावक ही करेंगे। सभी अभिभावकों को बुकलेट दी जाएगी और इसमें पढ़ाए जाने वाले विषय सामग्री को अंकित किया जाएगा।
स्कूल में पढ़ाई कर लौटने के बाद घर अभिभावक बुकलेट से बच्चों का टेस्ट लेंगे। वह खुद देखेंगे कि शिक्षकों ने बच्चों को क्या पढ़ाया? जिस विषय में बच्चा कमजोर होगा। पैरेंट्स उसकी सूचना तुरंत विद्यालय को दे सकेंगे। शिक्षक उसी विषय पर जोर देते हुए बच्चों का सर्वागीण विकास करेंगे।
शासन परिषदीय स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर लाने को पुरजोर कोशिश कर रहा है। विभिन्न योजनाएं निकाल बच्चों को सर्वांगीण विकास करने में जुटा हुआ है। ड्रेस आदि में बदलाव के बाद अब शासन ने बच्चों की पढ़ाई को और अधिक सुदृढ़ बनाते हुए विभाग को एक बुकलेट जारी की है, जो अभिभावकों को दी जाएगी। इसके माध्यम से यह मालूम होगा कि बच्चों को क्या पढ़ाया जा रहा है और इसकी समीक्षा अभिभावक करेंगे। बच्चों की पढ़ाई के बारे में जानने के बाद परिजन बुकलेट में बच्चे की पढ़ाई के बारे में जानकारी लिखकर भेजेंगे।
बीआरसी क्षेत्र में जितने बच्चें पंजीकृत है। सभी बच्चों के अभिभावकों को यह बुकलेट दी जाएगी। इसमें बच्चों को कक्षा में पढ़ाए जाने के बाद उनके घर पहुंचने पर अभिभावक स्कूल में पढ़ाए गए विषयों से संबंधित सवाल बच्चों से करेंगे। जिन विषयों के बच्चे उत्तर नहीं दे सकेंगे। अभिभावक उनको चिह्न्ति कर विद्यालय पहुंच शिक्षकों को जानकारी देंगे। इससे बच्चों का शैक्षिक स्तर सुधरेगा।
इसके अलावा बच्चों का प्रोफाइल कार्ड भी तैयार किया जाएगा। जिसमें उसके घर माता-पिता सहित अन्य सदस्यों की जानकारी मौजूद होगी। खंड शिक्षा अधिकारी राकेश वालिया ने बताया कि बुकलेट लगभग वितरित कर दी गई इै। कुछ ही स्कूल बचे है। उनमें भी वितरित कराई जाएगी।
Monday, July 2, 2018

शामली : सरकारी दावे हुए फेल, खतरे में क ख ग सीखेंगे नौनिहाल
जागरण संवाददाता, शामली : ‘कोई ना छूटे इस बार, शिक्षा है सबका अधिकार’, ‘एक भी बच्चा छूटा, संकल्प हमारा छूटा।’ यह नारा गांव-गांव गली-गली गूंज रहा है। नारों व दावों में बचपन बुरी तरह फंस गया है। बेहतर भविष्य के लिए बच्चों को स्कूलों में भेजा जा रहा है, लेकिन नौनिहाल खतरे में है। स्कूलों में न साफ-सुथरा माहौल है, न ही पानी। चार दीवारी बिन स्कूलों में आवारा जानवर घूमते रहते हैं। भवन की गारंटी भी मास्साब के पास नहीं है। गरीबी को तन पर ओढ़े आज भी सैंकड़ों बच्चे सरकारी स्कूलों पर आश्रित है। बेहतर कल की उम्मीद और मजबूरी में अपने जिगर के टूकड़ों को खतरे में डालने को ममता मजबूर है।
जिले में सरकारी स्कूलों की यही हकीकत है। शहरी स्कूलों में व्यवस्थाएं को परखा जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा नहीं है। यहां कागजी दौरे में सब कुछ दुरुस्त है। सच्चाई बेहद भयानक है। देहात के स्कूल सुबह-शाम पशुओं की आरामगाह बने है। कई स्कूलों तो पढ़ाई के दौरान भी घेर (पशुओं को बांधने का स्थान) बने रहते हैं। प्रधानजी हो या मास्साब, मजाल जो ना-नुकर कर सके। सभी व्यसन पूरा करने का ठिकाना शिक्षा के मंदिर बन गए हैं। जरूरत पड़ने पर यह लोग स्कूल से सिलेंडर व पंखों पर हाथ साफ कर देते हैं। रिपोर्ट दर्ज कराकर चोरी का अध्याय बंद हो जाता है। शौचालय की गंदगी और खराब हैंडपंप का दंश नौनिहाल स्कूल आने पर भुगतते हैं। परिषदीय स्कूल खुलने में चंद दिन शेष है। बच्चे फिर भविष्य की चिंता लेकर शिक्षा के मंदिर में आएंगे। स्कूल बंद होने से पहले जो स्थिति उन्होंने छोड़ी थी, वहीं आज भी जस की तस है। गंदगी और आवारा जानवरों दोनों यहां मौजूद है।
थानाभवन ब्लॉक की बात करें। यहां 144 परिषदीय स्कूल है। इनमें करीब 13 हजार 700 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। यहां व्यवस्थाएं माकूल कही जा रही है। हकीकत इससे जुदा है। अनेक स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है। पीने को पानी नहीं है, शौचालय टूटे पड़े है। प्राथमिक विद्यालय अंबेहटा में दो हैंडपंप है। एक पानी नहीं देता है, दूसरे से गंदगी आती है। घर से पानी लाना बच्चों की मजबूरी है। शौचालयों में दीवारों के अलावा कुछ नहीं है। स्कूल में गंदगी के अंबार है। प्राथमिक विद्यालय नागल में शौचालय बस सांकेतिक है। यहां बच्चों को पीने और धोने के लिए घर से ही पानी लाना पड़ता है। बाकी सुविधाओं पर तो बात ही मत करिए। प्राथमिक विद्यालय इस्माइलपुर में चारदीवारी, फर्नीचर नहीं है। खुले में बच्चे पढ़ते हैं। बीस मीटर दूर स्थित मुर्गी फार्म की गंदगी व बदबू बच्चों को बीमारी बांट रही है। इन दो स्कूल के हालात जिले की शिक्षा व्यवस्था की हालात बयां कर रहे है