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Tuesday, August 22, 2119

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    Sunday, July 13, 2025

    अन्य राज्यों से सीखेंगे उत्कृष्ट विधाएं, स्कूलों का चेहराबदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी

    अन्य राज्यों से सीखेंगे उत्कृष्ट विधाएं, स्कूलों का चेहरा
    बदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी

    गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की पहल

    लखनऊः प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तस्वीर बदलने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है। इसके तहत प्रदेश के 200 शिक्षा अधिकारियों की टीम देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर वहां के सरकारी स्कूलों में अपनाई गई उत्कृष्ट विधाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) का अध्ययन करेगी। इस शैक्षणिक भ्रमण का मकसद उन नवाचारों को समझना और उन्हें यूपी के स्कूलों में लागू करना है, जिससे शिक्षा अधिक व्यावसायिक, रोजगारपरक, आधुनिक और छात्र-केंद्रित बन सके।


    समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरू हो रही इस योजना में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) से लेकर शिक्षा निदेशक स्तर तक के अधिकारी शामिल होंगे। जुलाई से शुरू हो रहे इस दौरे में राज्यों में अधिकारियों की टीम बनाकर भेजी जाएंगी। वहां वे कक्षा नौ से 12 तक की शिक्षा व्यवस्था, नवाचारों, पाठ्यचर्या, शिक्षण पद्धति और बुनियादी ढांचे का बारीकी से अध्ययन करेंगे। अध्ययन के बाद अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपनी होगी, जिसके आधार पर उन उत्कृष्ट शैक्षिक विधाओं को यूपी के स्कूलों में लागू किया जाएगा।


    विभागीय अधिकारियों के अनुसार, देश के कई राज्यों में पहले ही माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देने वाले प्रयोग किए जा चुके हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम चलाया जा रहा है, जिसमें ध्यान, योग और जीवन कौशल आधारित शिक्षण शामिल है। केरल में डिजिटल क्लासरूम और मुफ्त वाई फाई जैसी सुविधाएं हैं और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है। 


    हरियाणा में बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, तो तमिलनाडु में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को मजबूती दी गई है। महाराष्ट्र ने डिजिटल लर्निंग और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्कूल शिक्षा में शामिल किया है। वहीं राजस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं की गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर दे रहा है। पंजाब की स्मार्ट स्कूल नीति और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता भी देशभर में सराही जा रही है। 


    उत्तर प्रदेश के लिए यह पहल बेहद अहम साबित हो सकती है। यदि अन्य राज्यों में शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन और प्रदेश में उसका क्रियान्वयन सही तरीके से हुआ, तो यह योजना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव ला सकती है।

    बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा

    बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा

    किसी भी कोर्स में न्यूनतम एक वर्ष की पढ़ाई करना होगा अनिवार्य, फिर मिलेगा प्रमाणपत्र


    नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र अब अपनी पढ़ाई को बीच में कभी भी छोड़ और शुरू कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें कम से कम एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करनी होगी। इस दौरान उन्हें स्नातक पाठ्यक्रमों में एक वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा जबकि दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर डिग्री और चार वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर आनर्स की डिग्री मिलेगी। इतना ही नहीं, छात्र अपनी बीच में छोड़ी गई पढ़ाई को आजीवन कभी भी पूरा कर सकेंगे। पूर्व में की गई उनकी पढ़ाई के क्रेडिट अंक उनके एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) में जमा रहेंगे।


    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने को लेकर की गई इस अहम सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 जुलाई तक सुझाव देने को कहा है। यूजीसी ने इस दौरान सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों का एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार करने कहा है, ताकि किसी संस्थान से पढ़ाई करके निकले छात्र को दूसरे संस्थान में दाखिला लेने में किसी तरह की दिक्कत न पैदा हो। 


    यही नहीं, आयोग ने एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क और लर्निंग आउटकम के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों का एक कलस्टर भी तैयार करने का सुझाव दिया है, ताकि बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद छात्रों को उन संस्थानों में आसानी से दाखिला मिल सके। यह व्यवस्था आनलाइन डिग्री कोर्सों पर लागू नहीं होगी।


    गौरतलब है कि एनईपी में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने से जुड़ी इस अहम सिफारिश के अमल के लिए यूजीसी ने यह तेजी ऐसे समय दिखाई है, जब एनईपी के अमल को पांच साल पूरा होने जा रहा है। देश में एनईपी को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया है।


    विश्वविद्यालयों में क्रेडिट वैधता की समय सीमा अलग-अलग

    यूजीसी ने पढ़ाई को कभी भी छोड़ने और शुरू करने के अमल को लेकर जारी मसौदे में साफ कहा है कि छोड़ी गई पढ़ाई को छात्र आजीवन कभी भी शुरू कर सकते है। बशर्ते उनके क्रेडिट की वैधता बरकरार हो। सभी विश्वविद्यालयों ने क्रेडिट की वैधता की अलग-अलग समय सीमा तय कर रखी है। वैसे औसतन यह पांच से दस वर्ष की है। बावजूद इसके यूजीसी ने कहा है कि कोई छात्र अपनी छूटी पढ़ाई को पूरा करना चाहता है तो वह क्रेडिट वैधता खत्म होने के बाद भी अपनी पूर्व पढ़ाई की मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। उनके खत्म हो चुके क्रेडिट का फिर से मूल्यांकन होगा।

    14 जुलाई को प्रदेश के सभी राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों की ऑनलाइन बैठक / यू-ट्यूब सत्र का होगा आयोजन, देखें आदेश और चर्चा के बिंदु

    14 जुलाई को प्रदेश के सभी राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों की ऑनलाइन बैठक / यू-ट्यूब सत्र का होगा आयोजन, देखें आदेश और चर्चा के बिंदु 


    महानिदेशक, स्कूल शिक्षा/राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा (मा०), उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में दिनांकः 14.07.2025 को प्रातः 10.30 बजे से राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों की ऑनलाइन बैठक/यू-ट्यूब सत्र का आयोजन किया गया है। समस्त मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों, मण्डलीय उप शिक्षा निदेशकों, जिला विद्यालय निरीक्षकों एवं जिला समन्वयकों द्वारा भी उक्त ऑनलाइन बैठक/यू-ट्यूब सत्र में प्रतिभाग किया जायेगा।


    🔴 यूट्यूब सेशन से जुड़ने का लिंक 


    अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति नहीं, तय होगा उत्तरदायित्व

    अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति नहीं, तय होगा उत्तरदायित्व

    01 जुलाई से लागू हुई ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था

    सचिव भगवती सिंह ने लापरवाही पर कार्रवाई की दी चेतावनी

    अधिकांश विद्यालय प्रतिदिन नहीं लगा रहे ऑनलाइन उपस्थिति


    प्रयागराजः माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति आनलाइन दर्ज कराने की व्यवस्था लागू की जा चुकी है, लेकिन अधिकांश विद्यालय आनलाइन उपस्थिति नियमित दर्ज नहीं करा रहे हैं। इसके लिए पोर्टल एवं मोबाइल एप विकसित किया गया है और इस संबंध में निर्देश भी दिए गए हैं, लेकिन अनुपालन में शिथिलता बरती जा रही है। 

    ऐसे में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर विद्यालयों में आनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि लापरवाही बरते जाने पर उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।

    परिषद सचिव ने कहा है कि एक जुलाई से आरंभ हुई आनलाइन उपस्थिति दर्ज किए जाने की समीक्षा में पाया गया कि अधिकांश विद्यालय नियमित उपस्थिति दर्ज नहीं कर रहे हैं। 

    ऐसे में डीआइओएस को पुनः निर्देश दिए हैं कि अपने जनपद के सभी माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य से प्रतिदिन नियमित रूप से प्रथम पीरियड में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की उपस्थिति आनलाइन दर्ज कराएं। किसी विद्यालय में नव नियुक्त अथवा संबद्ध शिक्षकों का विवरण विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर अपलोड कराने के भी निर्देश दिए हैं।



    Saturday, July 12, 2025

    समर कैंप कराने वाले शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को मानदेय का है इंतजार

    समर कैंप कराने वाले शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को मानदेय का है इंतजार


    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में नवाचार करते हुए इस साल 21 मई से 15 जून तक पहली बार समर कैंप का आयोजन किया गया। इसके आयोजन की जिम्मेदारी विद्यालयों में तैनात रहे 1.42 लाख शिक्षामित्रों व 25 हजार अनुदेशकों को दी गई थी। इसके लिए 6000 रुपये मानदेय तय किया गया था, लेकिन अभी तक इसका भुगतान नहीं किया गया है। इसके लिए वे अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। 


    उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार ने कहा कि इसके लिए उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार से मिलकर जल्द मानदेय जारी करने की मांग की है। 


    उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को यूं ही 11 महीने का मानेदय दिया जाता है। हमने गर्मी में भी विभाग के निर्देश पर इसीलिए काम किया कि समय से मानदेय मिल जाएगा। लेकिन, अभी तक उनका मानदेय नहीं मिला है। 

    बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं, जानिए क्यों?

    बीएड की प्रवेश काउंसलिंग स्नातक के रिजल्ट के फेर में फंस गई, 17 जून को प्रवेश परीक्षा का परिणाम आया था

    ● स्नातक तृतीय वर्ष के परिणाम में लेटलतीफी


    लखनऊ । बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी हुए करीब महीने भर बीत चुके हैं लेकिन काउंसलिंग शुरू नहीं हो पाई है। विश्वविद्यालयों में स्नातक तृतीय वर्ष का परिणाम जारी नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रवेश काउंसलिंग शुरू नहीं हो पा रही है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में तो अभी परीक्षाएं ही चल रही हैं।

    30 जून तक स्नातक अंतिम वर्ष का परिणाम के निर्देश हैं 15 अगस्त से पहले काउंसलिंग मुश्किल है। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन बुंदेलखंड विवि, झांसी ने किया था और 17 जून को परिणाम जारी किया था। अंबेडकर विवि आगरा, शाहू जी महाराज विवि कानपुर सहित तमाम के स्नातक परीक्षा के परिणाम जारी नहीं हुए हैं। प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि शिक्षा विभाग के शैक्षिक कैलेंडर का पालन नहीं होता।



    बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं, जानिए क्यों? 


    झांसी। बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह अधिकांश विवि यूजी-पीजी फाइनल वर्ष के रिजल्ट 5 जुलाई तो दूर, 15 जुलाई तक घोषित करने की स्थिति में नहीं हैं। बुधवार तक सूचना के आधार पर बीयू प्रशासन ने प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को हकीकत से अवगत करा दिया है। बीयू ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराकर लखनऊ में परिणाम जारी किया था। तय हुआ कि 10 जुलाई को प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू कराई जाएगी। 




    रिकॉर्ड 16 दिन में बीएड प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित, 3.04 लाख अभ्यर्थी सफल, काउंसिलिंग 10 जुलाई से

    17 जून 2025

    🔴 बीएड रिजल्ट देखने के लिए यहां जाएं 


    17 जून 2025
    लखनऊ। संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2025 के टॉप 10 में पूर्वांचल का दबदबा रहा। मंगलवार को घोषित परीक्षा परिणाम में पहले चार स्थानों पर पूर्वांचल के छात्र रहे। मिर्जापुर के सूरज कुमार पटेल ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। भदोही की शीबा परवीन दूसरे व जौनपुर की शिवांगी यादव तीसरे स्थान पर रहीं। मऊ के प्रद्युम्न सिंह यादव चौथे स्थान पर रहे।

    डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा परिणाम की घोषणा उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने संयुक्त रूप से की। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड विवि, झांसी की ओर से बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन एक जून को दो पालियों में किया गया। 69 जिलों में 751 परीक्षा केंद्र बनाए गए। पंजीकृत 344546 में से 305439 (89 फीसदी) अभ्यर्थी शामिल हुए। 304980 सफल अभ्यर्थी प्रवेश काउंसिलिंग के लिए योग्य पाए गए।


    मिर्जापुर के सूरज अव्वल, भदोही की शीबा दूसरे व जौनपुर की शिवांगी तीसरे स्थान पर

    काउंसिलिंग 10 जुलाई से

    बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने बताया कि बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग 10 जुलाई से प्रस्तावित है। हालांकि, इसके लिए राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक कोर्स का परिणाम आना जरूरी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम से पूरे प्रदेश में परीक्षा की निगरानी की गई।

    रिकॉर्ड 16 दिन में परिणाम घोषित

    उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि बीएड प्रवेश परीक्षा में आधुनिक तकनीक जैसे फेस रिग्निशन उपस्थिति और एआई आधारित निगरानी का प्रयोग किया गया। परीक्षा की हर प्रक्रिया सुरक्षित, पारदर्शी और शुचितापूर्ण ढंग से संपन्न हुई। तकनीकी के बेहतर प्रयोग से रिकॉर्ड 16 दिन में प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित किया गया है।


    बीएड में आसानी से मिलेगा प्रवेश, 79% का दाखिला तय

    लखनऊ। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफल घोषित किए गए 304980 अभ्यर्थियों को आसानी से प्रवेश मिलेगा। 240000 सीटें हैं और प्रत्येक सीट पर 1.02 छात्रों के बीच मुकाबला है। वहीं 79% तय है। विद्यार्थियों का प्रवेश बिल्कुल तय अभ्यर्थियों के बीच मुख्य मुकाबला राजकीय डिग्री कॉलेजों व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों की आठ हजार सीटों पर होगा। यहां अच्छी रैंक वाले ही प्रवेश पा सकेंगे। खराब रैंक होने पर उन्हें प्राइवेट बीएड कॉलेज में ही प्रवेश लेना होगा।

    बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होने को वर्ष 2024-25 में 223000 अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म भरा था। बीते वर्ष करीब 240000 सीटें  बीएड की सीटों में से करीब एक लाख सीटें खाली रह गईं थी। फिलहाल, इसबार थोड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है लेकिन दाखिले की उतनी मारा-मारी नहीं रहेगी। क्योंकि अभी बीएड के नए सेल्फ फाइनेंस कॉलेज जुड़ सकते हैं।



    बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम  तैयार, 17 जून को किया जाएगा घोषित

    15 जून 2025
    झांसी : उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम तैयार हो गया है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय 16 जून को कोर कमेटी की बैठक में परीक्षा परिणाम की समीक्षा करेंगे।


    कुलपति 17 जून को अपराह्न एक बजे परीक्षाफल घोषित करेंगे। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय भी उपस्थित रहेंगे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के संयोजन में लगातार तीसरी बार राज्य बीएड प्रवेश परीक्षा कराई गई है। 


    राज्य समन्वयक प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम तैयार कर संबंधित एजेंसी को दे दिया गया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।

    प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधान एवं अध्यापकों के ऑनलाइन स्थानांतरण के संबंध में

    एडेड माध्यमिक स्कूलों में अगले वर्ष से होंगे ऑनलाइन तबादले


    लखनऊ। एडेड स्कूलों के शिक्षकों का तबादला अब अगले वर्ष से ऑनलाइन ही होंगे। विशेष परिस्थितियों में ही शासन की अनुमति से अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) द्वारा ऑफ लाइन स्थानांतरण किया जा सकेगा। इस संबंध में स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने शासन को अभी से प्रस्ताव भेज दिया है।

    वर्ष 2026 के आनलाइन स्थानान्तरण आदेश निर्गत किये जाने की समय सारिणी/तकनीकी चरण शिक्षा निदेशक स्तर से जारी किया जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि इसमें प्रतिबन्ध यह है कि प्रदेश के 08 महत्वाकांक्षी जिले मसलन सोनभद्र, चन्दौली, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, फतेहपुर वित्रकूट एवं सिद्धार्थनगर का कोई अध्यापक अन्य जिले में स्थानान्तरण के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे, किन्तु पारस्परिक स्थानान्तरण की स्थिति में अन्य जिले में स्थानान्तरण आवेदन कर सकेंगे।


    प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधान एवं अध्यापकों के ऑनलाइन स्थानांतरण के संबंध में 


    माध्यमिक के भी 400 से ज्यादा विद्यालयों में 50 से कम छात्र, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने जताई नाराजगी, नामांकन बढ़ाने के निर्देश

    माध्यमिक के भी 400 से ज्यादा विद्यालयों में 50 से कम छात्र, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने जताई नाराजगी,  नामांकन बढ़ाने के निर्देश
     

    उत्तर प्रदेश के बेसिक ही नहीं राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (हाईस्कूल व इंटर) में भी छात्रों का संकट खड़ा हो रहा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही तमाम कवायद व सुविधाओं के बाद भी इस तरफ विद्यार्थियों को आकर्षित करने में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।

    इसे लेकर शुक्रवार को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी डीआईओएस व संयुक्त निदेशक आदि की ऑनलाइन बैठक में नामांकन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। विभाग की ओर से हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार यू-डायस डाटा 2023-24 के अनुसार प्रदेश के 436 राजकीय हाईस्कूलों में 50 से कम छात्रों के नामांकन हैं। वहीं 189 राजकीय इंटर कॉलेज ऐसे हैं, जहां 100 से कम छात्रों के नामांकन हैं।


    हर सप्ताह बैठक कर नामांकन बढ़ाने के निर्देश

    महानिदेशक ने निर्देश दिए कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए मंडल स्तर के अधिकारी, सभी डीआईओएस अपने यहां प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों की बैठक कर इसके लिए रणनीति तैयार करें। कक्षा आठ व दस के सभी विद्यार्थियों का नामांकन सुनिश्चित कराएं। इसके लिए हर सप्ताह बैठक करें।


    Friday, July 11, 2025

    सरकार का दावा, पेयरिंग से स्कूली बच्चों को मिलेंगे बेहतर संसाधन

    सरकार का दावा, पेयरिंग से स्कूली बच्चों को मिलेंगे बेहतर संसाधन

    विलय का असर : शिक्षक बढ़ेंगे, लाइब्रेरी, लैब, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं मिलेंगी

    निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री प्राइमरी से उच्च स्तर तक की पढ़ाई एक ही परिसर में


    लखनऊ। प्रदेश के कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद बच्चों को और बेहतर संसाधन व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। विद्यालयों को आपस में जोड़कर एकीकृत और प्रतिस्पर्धात्मक शैक्षिक वातावरण देने के लिए काम किया जा रहा है।

    बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार इस व्यवस्था से कम नामांकन वाले विद्यालयों को पास के बड़े स्कूलों से जोड़ा जा रहा है। इससे एक ओर शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी तो छात्रों को लाइब्रेरी, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं भी साझा रूप से मिल सकेंगी। यही नहीं निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री प्राइमरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक की पढ़ाई और गतिविधियां एक ही परिसर में होंगी।


    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विद्यालयों की पेयरिंग से सरकार ने संसाधनों का बेहतर प्रयोग और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण व समावेशी शिक्षा का लाभ दिलाने की मुहिम चलाई है। यह योजना सिर्फ यूपी में ही नहीं लागू की जा रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है। राजस्थान में 17 हजार से अधिक स्कूलों का एकीकरण किया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश में एक परिसर, एक शाला मॉडल के तहत 16076 एकीकृत स्कूल बनाए गए हैं।

    ओडिशा ने 9000 से अधिक विद्यालयों का एकीकरण किया गया है। झारखंड जहां 65 फीसदी स्कूलों में एक या दो शिक्षक थे वहां एकीकरण से शिक्षक छात्र अनुपात में सुधार हुआ है।

    हिमाचल और असम में भी विद्यालयों की पेयरिंग कर संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाई गई है। एकीकरण से छात्रों और शिक्षकों दोनों को लाभ होगा। इससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और पियर लर्निंग से पठन-पाठन भी बेहतर होगा।


    कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा

    विभाग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी विद्यालय बंद नहीं होगा, बल्कि और बेहतर होगा। एक स्कूल को प्री प्राइमरी तो दूसरे को प्राथमिक या उच्च प्राथमिक के रूप में संचालित किया जाएगा। इन्हें स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, ओपन जिम, बाल सुलभ फर्नीचर, वाई-फाई, स्वच्छ शौचालय जैसी सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। अगले चरण में मुख्यमंत्री अभ्युदय और मॉडल कंपोजिट विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं। जहां पर प्री-प्राइमरी से कक्षा-8 तक और प्री-प्राइमरी से कक्षा-12 तक की पढ़ाई की व्यवस्था होगी।


    शिक्षा में सुधार की सार्थक पहल है एकीकरण

    नई शिक्षा नीति केवल पाठ्यक्रम और डिग्री तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे सामाजिक नवाचार, जीवन कौशल और समावेशन के औजार के रूप में देखती है। प्रदेश में विद्यालयों का एकीकरण इसी नीति के लक्ष्यों की ओर एक प्रयास है। 2017 के पहले विद्यालयों में न बच्चे थे, न संसाधन, न शिक्षक। एक ही शिक्षक से तीन कक्षाओं का संचालन कराया जाता था। कई स्थानों पर विद्यालयों में छात्र संख्या इतनी कम थी कि वहां पढ़ाई का कोई औचित्य ही नहीं था। हमने विद्यालयों की दशा सुधारी, बच्चों को मुफ्त किताबें दीं। ड्रेस आदि के लिए डीबीटी से सीधे खातों में पैसा भेजते हैं। एकीकरण से हर कक्षा और विषय के शिक्षकों की उपलब्धता होगी। साथ ही बच्चों को पठन-पाठन से जुड़ी हर आधुनिक सुविधा दी जाएगी। संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

    वर्ष 2025 के लिये राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार हेतु भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में।

    राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए 15 जुलाई तक होंगे आवेदन


    शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से माध्यमिक विद्यालयों, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों से आवेदन मांगे गए हैं


    प्रदेश के शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कारों में नहीं ले रहे रुचि, अब तक मात्र 16 नामांकन, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रचार प्रसार कर आवेदन करवाने के दिए आदेश 



    लखनऊ। प्रदेश के शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कारों में अपेक्षाकृत रुचि नहीं ले रहे हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन चल रहे हैं। किंतु यूपी से मात्र 16 नामांकन ही हुए हैं। 

    माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों को शिक्षकों के आवेदन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव की ओर से दिए निर्देश में कहा गया है कि शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर 13 जुलाई तक आवेदन व 15 जुलाई तक फाइनल आवेदन करने की तिथि है। 

    उन्होंने सभी संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक व डीआईओएस को निर्देश दिया है कि इसका प्रचार-प्रसार करते हुए ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदन कराना सुनिश्चित करें। 



    राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार, 2025 के चयन के संबंध में





    वर्ष 2025 के लिये राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार हेतु भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में।
     















    हर 5 से 10 किमी के दायरे में होंगे पीएम-श्री जैसे स्कूल

    हर 5 से 10 किमी के दायरे में होंगे पीएम-श्री जैसे स्कूल

    पीएम-श्री स्कूलों के जरिये स्कूली शिक्षा में दिख रहे बदलावों के बाद और स्कूल खोलने की तेज हुई मांग


    नई दिल्लीः पीएम-श्री स्कूलों के जरिये स्कूली शिक्षा में सुधार को लेकर जिस तरह का माहौल बना है, उसे देखते हुए और भी पीएम-श्री या उसके जैसे स्कूल विकसित करने की पहल तेज हुई है। आने वाले दिनों में प्रत्येक पांच से 10 किलोमीटर के दायरे में ऐसे और स्कूल खोले जा सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के रुझान को देखते हुए इस दिशा में पहल तेज की है।


    माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक ऐसे और स्कूलों को खोलने का एलान किया जा सकता है। वैसे भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत 2025 तक प्रत्येक पांच से 10 किलोमीटर के दायरे में एक स्कूल क्लस्टर या कांप्लेक्स बनाने की सिफारिश की गई है।


    एनईपी में कहा गया है कि यह स्कूल ऐसा होना चाहिए, जिसमें बच्चों के लिए खेलकूद स्मार्ट क्लास रूम, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कला-संगीत आदि व्यवस्थाएं हों। मौजूदा समय में तमिलनाडु, केरल और बंगाल को छोड़ दें, तो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रत्येक ब्लाक में दो पीएम-श्री स्कूल विकसित किए गए हैं। खास बात यह है कि ये नए स्कूल नहीं हैं, बल्कि पहले संचालित सरकारी स्कूलों को ही पीएम-श्री स्कूल के रूप में विकसित किया गया है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक पीएम-श्री स्कूल योजना के तहत देश में कुल 14,500 स्कूल विकसित किए गए हैं।

    Thursday, July 10, 2025

    स्कूलों के विलय के खिलाफ नई PIL दाखिल, सुनवाई आज

    स्कूलों के विलय के खिलाफ नई PIL दाखिल, सुनवाई आज


    लखनऊ। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ नई जनहित याचिका हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दाखिल हुई है। यह पीआईएल न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की खंडपीठ के समक्ष बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।


    स्थानीय अधिवक्ता ज्योति राजपूत ने याचिका दाखिल कर राज्य सरकार के स्कूलों के विलय या दो स्कूलों को जोड़ने के बीते 16 जून के आदेश को रद्द करने का आग्रह किया है। साथ ही गांवों के दूरदराज इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों को स्कूल जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने की भी गुजारिश की गई है। याचिका में आरटीई अधिनियम के तहत राज्य सरकार को बच्चों के परिवहन के दिशानिर्देश तय करने के निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है।

    राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सात जुलाई को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने विलय के खिलाफ सीतापुर के 51 बच्चों द्वारा दाखिल याचिका समेत एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया था। 


    अब 8वीं में छात्र पढ़ेंगे म्यूजिक, डांस मूवमेंट, विजुअल आर्ट व थियेटर

    अब 8वीं में छात्र पढ़ेंगे म्यूजिक, डांस मूवमेंट, विजुअल आर्ट व थियेटर


    नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से आठवीं कक्षा के छात्र अनिवार्य विषय में आर्ट एजुकेशन की पढ़ाई भी करेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 के आधार पर आठवीं कक्षा की आर्ट एजुकेशन की पाठयपुस्तक कृति तैयार कर ली है।


    इसे चार भारों में थियेटर, म्यूजिक, डांस-मूवमेंट और विजुअल आर्ट को 19 अध्यायों में बांटा गया है। इसमें सभी राज्यों के प्राचीन गाने और नृत्य भी शामिल हैं। एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाठ्यपुस्तक में 10वीं शताब्दी में कश्मीर के दार्शनिक व विद्धान अभिनव गुप्त का भरत मुनि के प्रसिद्ध ग्रंथ नाट्यशास्त्र पर अभिनवभारती नामक टीका और नाट्यशास्त्र के नवम रस यानी शांति रस का भी वर्णन है।

    इसके अलावा ताल, कोन्नाकोल सोलकट्टू और स्वर, हिंदोस्तानी संगीत, सरस्वती प्रणाम, पारंपरिक व आधुनिक वाद्ययंत्र, पांडुलिपि, नाटक-नृत्य, गाने के प्रकार (अकेले और ग्रुप प्रस्तुति) आदि के बारे में बताया गया है।


    भक्ति, सूफी और प्रदेशों के गीत-संगीत : पुस्तक में छठीं शताब्दी में लोगों को धर्म, समाज और शिक्षा से जागरूक करने वाले भक्ति मूवमेंट से जोड़ने वाले भजनों को शामिल किया गया है। इसमें उत्तर भारत से मीराबाई, तुलसीदास के अलावा शास्त्रीय संगीतकार व सखी संप्रदाय के संस्थापक हरिदास पुरानादारा, या स्वामी हरिदास के अलावा दक्षिण भारत के संतधारा संत कनकदास हैं। जबकि मध्यकालीन भारत के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, बाबा फरीद शामिल हैं, इसमें पंजाब, पश्चिमी भारत के सूफी गाने व नृत्य शामिल हैं।

    सभी बोर्ड के पाठ्यक्रम को एक समान करने के लिए परख ने की पहल, एक से दूसरे बोर्ड में जाने पर नहीं बदलेगा पाठ्यक्रम

    सभी बोर्ड के पाठ्यक्रम को एक समान करने के लिए परख ने की पहल, एक से दूसरे बोर्ड में जाने पर नहीं बदलेगा पाठ्यक्रम

    रटने की प्रवृत्ति कम करने के लिए प्रश्न पत्र के प्रारूप में भी होगा बदलाव


    प्रयागराज। एक परीक्षा संस्था (बोर्ड) से दूसरी परीक्षा संस्था में पंजीकृत होने पर छात्रों के सीखने के स्तर में विविधता देखने को मिलती है और उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है। छात्रों को इस समस्या ने निजात दिलाने के लिए परख ने पहल की है।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद व एनएसी परख के संयुक्त तत्वावधान में जीबी पंत संस्थान में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिन परख की सीईओ इंद्राणी भादुड़ी ने क्वेश्चन पेपर टेंपलेट (क्यूपीटी) का विश्लेषण किया।


    उन्होंने बताया कि मॉडल पेपर व ब्लू प्रिंट की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि वर्तमान में देश में लगभग 60 परीक्षा संस्थाएं काम कर रहीं हैं। इनके प्रश्नों के प्रकार, उद्देश्य और कठिनाई के स्तर में विविधता पाई जाती है।

    एनएसी परख का मुख्य उद्देश्य सभी बोर्ड की विविधता का सम्मान करते हुए उसे सुसंगत बनाने की कोशिश करने के साथ एक मानकीकृत प्रश्नपत्र ढांचा स्थापित करना है। परीक्षा केंद्रित मानसिकता को कम करना, विभिन्न राज्यों के बोर्ड में मूल्यांकन में छात्रों की रटने की प्रवृत्ति को कम करते हुए उच्चतर चिंतन कौशल, पारदर्शिता, सीखने आदि बिंदुओं पर समझ विकसित करना है।

    कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों द्वारा समूहवार अपने-अपने विषय के प्रश्नपत्रों की समीक्षा कराई गई ताकि कमियों को दूर किया जा सके। इससे पूर्व परख के रिसोर्स पर्सन ने होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एचपीसी) के संबंध में प्रतिभागियों से प्रश्न पूछकर यह जानकारी ली कि उन्होंने कार्यशाला में क्या सीखा। अपर सचिव (शोध) ने बताया कि स्व मूल्यांकन और सहपाठी आकलन में एचपीसी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण साबित होगी।

    पांच किलोमीटर दूर विद्यालय तो 9वीं-12वी के छात्रों को मिलेगा 6,000 रुपये परिवहन भत्ता

    पांच किलोमीटर दूर विद्यालय तो 9वीं-12वी के छात्रों को मिलेगा 6,000 रुपये परिवहन भत्ता

    बुंदेलखंड के सात जिलों व सोनभद्र के लिए दी जाएगी सहायता, पीएमश्री की छात्राओं को भी लाभ


    लखनऊ। बुंदेलखंड के सात व सोनभद्र के दूर-दराज के छात्रों के लिए विद्यालय जाना अब कष्टकारी नहीं होगा। इन आठ जिलों में पांच किलोमीटर से अधिक दूरी से विद्यालय जाने वाले 9वीं से 12वीं के छात्रों को 6,000 रुपये परिवहन भत्ता दिया जाएगा। माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं दोनों को यह लाभ मिलेगा। जबकि पीएमश्री विद्यालयों में सिर्फ छात्राओं को यह दिया जाएगा।

    बुंदेलखंड के सात जिलों जालौन, झांसी, हमीरपुर, ललितपुर, महोबा, बांदा व चित्रकूट और सोनभद्र में पूरे प्रदेश की अपेक्षाकृत  माध्यमिक विद्यालय दूर स्थित हैं।


    शिक्षा मंत्रालय की योजना के अनुसार हर पांच किलोमीटर की दूरी पर एक राजकीय माध्यमिक विद्यालय होना चाहिए। ऐसे में पांच किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर विद्यालय आने वाले छात्र-छात्राओं को छह हजार रुपये परिवहन भत्ता दिए जाने के लिए मंत्रालय ने बजट देने पर सहमति दी है।

    समग्र शिक्षा के तहत बजट स्वीकृत होने के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे छात्रों या उनके अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी। पहले चरण में यह राशि दो भाग में भेजने की तैयारी है। क्योंकि इसके माध्यम से संबंधित छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी 10 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए एक प्रोफार्मा तैयार किया गया है। छात्रों को इस योजना का लाभ पाने के लिए प्रोफार्मा भरकर देना होगा। इसमें वह यह बताएंगे कि उनके घर से पांच किलोमीटर के अंदर कोई राजकीय माध्यमिक विद्यालय नहीं है। इस प्रोफार्मा और घोषणा का ग्राम प्रधान और विद्यालय के प्रधानाचार्य से सत्यापन कराना अनिवार्य होगा। शहरी क्षेत्र में पार्षदों से इसका सत्यापन कराया जाएगा।


    24 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को मिलेगा लाभ

    समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णुकांत पांडेय ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य न सिर्फ विद्यार्थियों की आर्थिक मदद करना बल्कि उन्हें नियमित विद्यालय आने के लिए प्रेरित करना भी है। उन्होंने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक आठ जिलों में लगभग 24 हजार छात्र-छात्रा इससे लाभांवित होंगे। वहीं 146 पीएमश्री विद्यालयों की 4000 छात्राएं भी प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि यह योजना छात्र-छात्राओं के ड्रॉप आउट दर को भी कम करने का काम करेगी।

    Wednesday, July 9, 2025

    एटा बीएसए कारण बताएं कि केस चलाकर क्यों न उन्हें दंडित किया जाए : हाईकोर्ट, जानिए क्यों?

    एटा बीएसए कारण बताएं कि केस चलाकर क्यों न उन्हें दंडित किया जाए : हाईकोर्ट, जानिए क्यों? 


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटा के बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) दिनेश कुमार पर अवमानना मामले में आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि तीन सप्ताह के भीतर कारण बताएं कि जानबूझकर न्यायालय के तीन नवंबर 2017 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए उन पर अवमानना के तहत मुकदमा क्यों न चलाया जाए और दंडित क्यों न किया जाए। 


    साथ ही उन्हें 29 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने रमेश चंद्र पचौरी की अवमानना अर्जी पर दिया है। 


    एटा के याची रमेश चंद्र पचौरी 30 जून 1980 को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में जूनियर क्लर्क के पद पर नियुक्त हुए थे। वहीं, 31 दिसंबर 2016 को सेवानिवृत्त हो गए। - ब्याज सहित अवकाश नकदीकरण की मांग को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। 


    कोर्ट ने तीन नवंबर 2027 के आदेश से याचिका स्वीकार कर ली। इसके बाद भी उन्हें अवकाश नकदीकरण का लाभ नहीं दिया गया। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की।