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Tuesday, August 22, 2119

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    Thursday, April 25, 2024

    यूपी बोर्ड: परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू

    यूपी बोर्ड: परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू

    परीक्षा देने के बावजूद अनुपस्थित ग्रीवांस सेल में की शिकायत

    • सेल में परीक्षार्थियों से शिकायत लेकर बोर्ड करेगा समाधान

    • पहले दिन अनुपस्थित सहित विषय आदि की आईं शिकायतें


    प्रयागराजः यूपी बोर्ड ने वर्ष 2024 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम 20 अप्रैल को घोषित करने के बाद परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू किया है। यूपी बोर्ड मुख्यालय सहित सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों मेरठ, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर में बुधवार से शुरू हुए ग्रीवांस सेल में परीक्षार्थियों की ओर से अंकपत्र में त्रुटि से जुड़ी समस्याएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ परीक्षार्थियों ने शिकायती पत्र दिया है कि वह परीक्षा में सम्मिलित थे, लेकिन उन्हें अनुपस्थित दर्शाया गया है। इसके अलावा कुछ और शिकायतें भी मिली हैं।


    बोर्ड ने परीक्षार्थियों को आनलाइन मिले अंकपत्र में नाम, जन्मतिथि, विषय, अंक एवं उपस्थिति के बावजूद अनुपस्थित होने की समस्या होने पर ग्रीवांस सेल में शिकायत दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय में पहले दिन एक दर्जन से ज्यादा परीक्षार्थियों की शिकायतें आई हैं। इनमें कुछ में नाम में त्रुटि है तो कुछ परीक्षा देने के बाद भी अनुपस्थित दर्शाए गए हैं। 


    यूपी बोर्ड की अपर सचिव (प्रशासन) विभा मिश्रा ने बताया कि परीक्षार्थियों की प्रत्येक शिकायतों का संबंधित अनुभाग से सत्यापन कराकर त्रुटियां ठीक करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जिन परीक्षार्थियों की शिकायत है कि उन्होंने परीक्षा दी है, लेकिन अनुपस्थित हैं तो एवार्ड ब्लैंक तथा जरूरत पड़ने पर उत्तरपुस्तिका निकलवाकर उपस्थिति प्रमाणित की जाएगी। उसके बाद संशोधन कर अंकपत्र जारी किया जाएगा। इसी तरह अन्य समस्याओं का समाधान कर छात्र-छात्राओं को राहत दी जाएगी।

    यूपी बोर्ड: परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू

    यूपी बोर्ड: परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू

    परीक्षा देने के बावजूद अनुपस्थित ग्रीवांस सेल में की शिकायत

    • सेल में परीक्षार्थियों से शिकायत लेकर बोर्ड करेगा समाधान

    • पहले दिन अनुपस्थित सहित विषय आदि की आईं शिकायतें


    प्रयागराजः यूपी बोर्ड ने वर्ष 2024 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम 20 अप्रैल को घोषित करने के बाद परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू किया है। यूपी बोर्ड मुख्यालय सहित सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों मेरठ, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर में बुधवार से शुरू हुए ग्रीवांस सेल में परीक्षार्थियों की ओर से अंकपत्र में त्रुटि से जुड़ी समस्याएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ परीक्षार्थियों ने शिकायती पत्र दिया है कि वह परीक्षा में सम्मिलित थे, लेकिन उन्हें अनुपस्थित दर्शाया गया है। इसके अलावा कुछ और शिकायतें भी मिली हैं।


    बोर्ड ने परीक्षार्थियों को आनलाइन मिले अंकपत्र में नाम, जन्मतिथि, विषय, अंक एवं उपस्थिति के बावजूद अनुपस्थित होने की समस्या होने पर ग्रीवांस सेल में शिकायत दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय में पहले दिन एक दर्जन से ज्यादा परीक्षार्थियों की शिकायतें आई हैं। इनमें कुछ में नाम में त्रुटि है तो कुछ परीक्षा देने के बाद भी अनुपस्थित दर्शाए गए हैं। 


    यूपी बोर्ड की अपर सचिव (प्रशासन) विभा मिश्रा ने बताया कि परीक्षार्थियों की प्रत्येक शिकायतों का संबंधित अनुभाग से सत्यापन कराकर त्रुटियां ठीक करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जिन परीक्षार्थियों की शिकायत है कि उन्होंने परीक्षा दी है, लेकिन अनुपस्थित हैं तो एवार्ड ब्लैंक तथा जरूरत पड़ने पर उत्तरपुस्तिका निकलवाकर उपस्थिति प्रमाणित की जाएगी। उसके बाद संशोधन कर अंकपत्र जारी किया जाएगा। इसी तरह अन्य समस्याओं का समाधान कर छात्र-छात्राओं को राहत दी जाएगी।

    राजकीय के साथ ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर सख्ती शुरू

    राजकीय के साथ ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर सख्ती शुरू 

    विद्या समीक्षा केंद्र में देनी होगी पूरी जानकारी, निदेशालय करेगा मॉनिटरिंग


    लखनऊ। प्रदेश में राजकीय के साथ ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर सख्ती शुरू कर दी गई है। नया सत्र 2024-25 शुरू होने के साथ ही माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राजकीय इंटर कॉलेजों की तरह अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक (एडेड) विद्यालयों को भी कक्षा की समयसारिणी बनाने के निर्देश दिए हैं। इनकी निदेशालय से मॉनिटरिंग होगी।


    जानकारी के अनुसार राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तो समयसारिणी के अनुसार कक्षाएं चलती थीं लेकिन एडेड कॉलेजों में इसे लेकर स्थायित्व नहीं था। विद्यार्थी भी इसकी शिकायत करते थे। इसे देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अब इन विद्यालयों को भी समयसारिणी बनाने और जानकारी विद्या समीक्षा केंद्र में देने के निर्देश दिए हैं। इसमें कौन शिक्षक, किस क्लास में कब पढ़ाएगा, इसकी भी डिटेल देनी होगी।


    माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने राजकीय व एडेड विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को इसे जल्द पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। इस संदर्भ में 29 अप्रैल को सुबह 11 बजे से एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। 


    Wednesday, April 24, 2024

    हीटवेव के चलते मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सभी मदरसों में शिक्षण अवधि में बदलाव, प्रातः 7 बजे से 12:30 तक होगा संचालन

    हीटवेव के चलते मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा  संचालित सभी मदरसों में शिक्षण अवधि में बदलाव, प्रातः 7 बजे से 12:30 तक होगा संचालन 


    बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर –हाईकोर्ट

    बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर –हाईकोर्ट 


    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद शासन के अधीन अधीनस्थ निकाय होने के कारण शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए 2 जून एवं 29 जून 2023 के शासनादेशों में प्रतिपादित नीति से अक्षरक्षः बाध्य है। सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन पत्रों पर विचार करते समय बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर सकता। न ही रिलीव हो चुकी शिक्षिका को ज्वाइन कराने से मना कर सकता है।


    यह महत्वपूर्ण टिप्पणी न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शाहजहांपुर में तैनात सहायक अध्यापिका खुशबू चौधरी की अपील पर उनके अधिवक्ता रजत ऐरन एवं राजकुमार सिंह को सुनकर की। एडवोकेट रजत ऐरन ने दलील दी कि केवल 29 जून 2023 के शासनादेश में निहित आधारों पर ही अपीलार्थी का स्थानांतरण निरस्त किया जा सकता है।

    केंद्रीय पोर्टल पर होगा राज्य विवि का डाटा, समर्थ पोर्टल वन नेशन वन डाटा की ओर एक अहम पहल

    केंद्रीय पोर्टल पर होगा राज्य विवि का डाटा,  समर्थ पोर्टल वन नेशन वन डाटा की ओर एक अहम पहल


    लखनऊ। शिक्षा मंत्रालय की ओर से समर्थ पोर्टल को प्रदेश में लागू करने की कवायद का सबसे बड़ा फायदा राज्य विश्वविद्यालयों को सुरक्षित डाटा के रूप में मिलेगा। विश्वविद्यालय का डाटा केंद्रीय पोर्टल पर होगा और एक क्लिक पर यह उपलब्ध होगा। इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं देना है। दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के बाद इसे लागू करने की कवायद तेज हो गई है।


    राज्य विश्वविद्यालयों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके विद्यार्थियों का डाटा सुरक्षित रखना है। अभी विश्वविद्यालयों का परीक्षा से जुड़ा कम होगा विश्वविद्यालयों का आर्थिक बोझ, भटकना भी नहीं पड़ेगा

    काम किसी न किसी एजेंसी के पास होता है। एजेंसी के जाने के साथ ही विश्वविद्यालयों का हाथ डाटा के मामले में खाली होता है। इससे उन्हें काफी दिक्कत उठानी पड़ती है। यही वजह है कि इस तरह के केंद्रीयकृत पोर्टल की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि विश्वविद्यालय डाटा के लिए एजेंसियों पर न निर्भर हों।

    जानकारी के विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल पर जो क्लाउड सर्वर पर सेव होगा। वे इसका प्रयोग अपनी लॉगिन आईडी से कर सकेंगे। ऐसे में एक तरफ जहां उनकी किसी एजेंसी पर निर्भरता नहीं होगी, वहीं उन्हें इसके लिए अलग से कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। विद्यार्थियों के साथ-साथ इस पोर्टल पर शिक्षकों का डाटा व अन्य कामकाज भी ऑनलाइन किए जा सकेंगे। वह अपने शोध, पेटेंट, प्रशासन को अपडेट कर सकेंगे। साथ ही कहीं से भी छुट्टी आदि के लिए आवेदन कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन फाइलों की ट्रैकिंग भी कर सकेगा।


    समर्थ लागू करने के लिए बनाई कमेटी

    एकेटीयू के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय में समर्थ पोर्टल को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी में एक डीआर, एक एआर व तकनीकी टीम के सदस्य शामिल हैं। इसकी पहली बैठक हो चुकी है और सभी संबंधितों को डेमो लॉगिन भी दे दिया गया है। वह 30 अप्रैल तक इस पर अपना डाटा अपलोड करेंगे और एक से दस मई तक इसकी टेस्टिंग करेंगे। पहले चरण में हम इसका काम 10 मई तक शुरू कर देंगे।

    ऑनलाइन मूक कोर्स से पढ़ाई का लाभ उठा सकते हैं 11वीं-12वीं के विद्यार्थी, एनसीईआरटी के स्वयं पोर्टल पर जारी है नामांकन

    ऑनलाइन मूक कोर्स से पढ़ाई का लाभ उठा सकते हैं 11वीं-12वीं के विद्यार्थी, एनसीईआरटी के स्वयं पोर्टल पर जारी है नामांकन


    नई दिल्ली। ग्यारहवीं व बारहवीं के छात्र ऑनलाइन मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (मूक) के माध्यम से पढ़ाई का लाभ ले सकते हैं। एनसीईआरटी ने स्वयं पोर्टल पर 11 विषयों के 28 कोर्सेज को ऑफर किया है। यह एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। पोर्टल पर ही छात्र ई सामग्री, ई-ट्यूटोरियल कर सकते हैं, वहीं चर्चा व स्व मूल्यांकन भी यहीं हो जाएगा। कोर्सेज में नामांकन करने की प्रक्रिया जारी है जो कि एक सितंबर को समाप्त होगी। 


    सीबीएसई ने सभी स्कूलों को छात्रों व शिक्षकों के बीच इनकी जानकारी प्रसारित करने को कहा है जिससे कि वह इन पाठ्यक्रमों से अधिकतम लाभ उठा सकें। सीबीएसई ने स्कूलों को कहा है कि यह ऑनलाइन कोर्स छात्रों के लिए बिल्कुल फ्री हैं। एनसीईआरटी की ओर से पोर्टल पर जिन विषयों को ऑफर किया गया है उनमें एकाउंटेंसी, बिजनेस स्टडी, बॉयोलॉजी, केमिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, जियोग्राफी, गणित, फिजिक्स, साइकोलॉजी, इंग्लिश, सोशियोलॉजी शामिल है।


     यह पाठ्यक्रम स्वयं पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से उपलब्ध हैं। इस संबंध में https://ciet.ncert.gov.in/initiative/moocs-on-swayam से प्राप्त की जा सकती है। 

    अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, शिक्षकों के अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का मामला

    शासकीय अधिवक्ता शासन से 30 दिन में लें निर्देश


    हमीरपुर । पिछले एक वर्ष से अंतरजनपदीय पारस्परिक (म्यूचुअल) स्थानांतरण की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से प्रक्रिया के पूर्ण न हो पाने पर शासन से 30 दिन में निर्देश लेने को आदेशित करते हुए अगली सुनवाई 29 मई को नियत की है।

    याचिकाकर्ता शिक्षक अनुराग तिवारी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने निर्भय सिंह और अदर्स की याचिका में 12 फरवरी 2024 के आदेश में 2023-24 के अंत में स्थानांतरण करने का आदेश पारित किया था लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर उन्होंने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस याचिका की 22 अप्रैल की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता से इस प्रक्रिया के पूर्ण न हो पाने पर शासन से 30 दिन में निर्देश लेने को आदेशित करते हुए अगली सुनवाई 29 मई को नियत की है।

    बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग के दो जून 2023 के शासनादेश में अंतर्जनपदीय सामान्य एवं पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया समानांतर रूप से चलनी थी। सामान्य स्थानांतरण की प्रकिया लगभग एक माह में पूर्ण कर ली गई, किन्तु पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी तक अधर में लटकी है। शिक्षक पिछले एक वर्ष में कई बार विभागीय अधिकारियों एवं मंत्रियों से इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए मिले किन्तु उन्हें मायूस होना पड़ा।


    अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, शिक्षकों के अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का मामला


    हमीरपुर। अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण को लेकर उच्च न्यायालय का आदेश शासन द्वारा न मानने पर आवेदन करने वाले शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की। जिसमें उच्च न्यायालय ने शासन से 30 दिन में पक्ष मांगते हुए अगली सुनवाई के लिए 29 मई की तिथि तय की है।

    मुख्यालय के रमेड़ी मोहल्ला निवासी याचिकाकर्ता शिक्षक अनुराग तिवारी ने बताया कि दो जून 2023 को बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतरजनपदीय सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण के आदेश जारी किए।  जिसमें दोनों प्रक्रियाएं समानांतर चलने का भी उल्लेख किया गया। लेकिन सामान्य स्थानान्तरण की प्रक्रिया को लगभग एक माह में पूर्ण कर लिया गया और पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी भी पूर्ण नहीं हो सकी।

    अंतर जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए आवेदकों द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व पेयर बनाने की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने नौ जनवरी 2024 के आदेश में इस प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण की कार्रवाई को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया। इस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्भय सिंह व अन्य के नाम से याचिका दाखिल की थी।

    उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी 2024 को सत्र के अंत मे स्थानांतरण करने का आदेश दिया। लेकिन शासन द्वारा कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की गई। जिसमें बीते 22 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए 30 दिन में शासन से पक्ष मांगा है।



    अंतर्जनपदीय म्यूचुअल स्थानांतरण पर फंसा पेंच,  उच्च न्यायालय का आदेश न मानने पर दायर हुई अवमानना याचिका

    ■ बेसिक शिक्षा विभाग में सामान्य और म्यूचुअल स्थानांतरण का मामला

    ■ शिक्षक ने दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया अवमानना की याचिका


    बेसिक शिक्षा विभाग में स्थानांतरण नीति पर कोर्ट के आदेश की अनदेखी की जा रही है। सामान्य स्थानांतरण प्रक्रिया होने के बाद भी अभी तक पारस्परिक (म्यूचुअल) स्थानांतरण का पेंच फंसा हुआ है। विभाग की हीलाहवाली से नाराज होकर याचिकाकर्ता शिक्षक ने हाईकोर्ट में अवमानना की रिट दायर की है।


    याचिकाकर्ता शिक्षक अनुराग तिवारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के अंतरजनपदीय सामान्य एवं पारस्परिक (म्यूचुअल) स्थानांतरण 2023-24 के लिए दो जून 2023 को शासनादेश जारी हुआ था। उल्लेख था कि दोनों प्रक्रियाएं समानांतर चलेंगी। सामान्य स्थानांतरण की प्रक्रिया को लगभग एक माह में पूरा किया गया और पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी भी लटकी है। प्रक्रिया के लिए आवेदकों द्वारा ऑनलाइन


    रजिस्ट्रेशन एवं पेयर बनाने की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के नौ जनवरी 2024 के आदेश में इस प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण की कार्यवाही को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया। शिक्षकों ने 11 से 14 जनवरी तक निशातगंज लखनऊ में स्थानांतरण के लिए महायाचना कार्यक्रम किया। जिसमें विभागीय अधिकारियों एवं मंत्रियों से गुहार लगाई किंतु शिक्षकों को मायूसी ही हाथ लगी। 


    उन्होंने बताया कि शिक्षकों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्भय सिंह एंड अदर्स के नाम से पारस्परिक स्थानांतरण के लिए एक याचिका दाखिल की, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा 12 फरवरी 2024 को सत्र 2023-24 के अंत में स्थानांतरण करने का आदेश पारित किए। न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अंतर्गत इस प्रक्रिया के शिक्षक कई बार विभागीय अधिकारियों से मुलाकात कर स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर चुके हैं, किंतु अभी तक शासन द्वारा कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।


    याचिकाकर्ता शिक्षक ने बताया कि कोर्ट के आदेश का निर्धारित समय में पालन न हो पाने के कारण उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल कर दी गई है, जिसकी सुनवाई अगले सप्ताह संभावित है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के पूर्ण न होने से पूरे प्रदेश में लगभग चार से पांच हजार शिक्षक प्रभावित है।



    उच्च न्यायालय का आदेश न मानने पर दायर की अवमानना याचिका

    बीते वर्ष दो जून को बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी किया था आदेश

    शिक्षकों के अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का मामला



    अंतरजनपदीय  पारस्परिक स्थानांतरण को लेकर  उच्च न्यायालय का आदेश न मानने पर आवेदन करने वाले शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की है।

    बीते वर्ष दो जून को बेसिक शिक्षा  विभाग ने शिक्षकों के अंतर्जनपदीय सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण के - लिए शासनादेश जारी किया था। जिसमें सामान्य स्थानांतरण प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी।

    जिसमें उच्च न्यायालय ने सत्र के अंत में उनके स्थानांतरण के आदेश - दिए थे। इसके बाद भी विभाग ने इस - पर कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्यालय के रमेड़ी मोहल्ला निवासी याचिकाकर्ता शिक्षक - अनुराग तिवारी ने बताया कि दो जून - 2023 को बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतरजनपदीय सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण के आदेश जारी किए थे।

    जिसमें दोनों प्रक्रियाएं समानांतर चलने का भी उल्लेख किया गया। लेकिन सामान्य स्थानांतरण की प्रक्रिया को लगभग एक माह में पूर्ण कर लिया गया और पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी भी पूर्ण नहीं हो सकी।

    बताया कि अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए आवेदकों द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व पेयर बनाने की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने नौ जनवरी 2024 के आदेश में इस प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण की कार्रवाई को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया।

    जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्भय सिंह व अन्य के नाम से याचिका दाखिल की। इसमें उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी 2024 को सत्र के अंत में स्थानांतरण करने का आदेश दिया। आदेश के क्रम में कई बार विभागीय अधिकारियों से मुलाकात कर स्थानांतरण का अनुरोध किया।

    लेकिन अभी तक शासन द्वारा कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। जिस पर आदेश का निर्धारित समय में पालन न हो पाने के कारण उच्चन्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल कर दी गई है। इसकी सुनवाई अगले सप्ताह संभावित है। बताया कि शिक्षक अब न्याय पाने को न्यायालय की शरण में है, जिससे उनकी स्थानांतरण नीति सुरक्षित रहे व उनके अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण शीघ्र हो सके।

    Tuesday, April 23, 2024

    गलत तरीके से नियुक्त शिक्षकों के हाथों में बच्चों को सौंपना जनहित के खिलाफ, हाईकोर्ट ने कहा-ऐसे शिक्षकों की जरूरत जो ईमानदार हों, भर्ती बेदाग होनी चाहिए

    गलत तरीके से नियुक्त शिक्षकों के हाथों में बच्चों को सौंपना जनहित के खिलाफ

    हाईकोर्ट ने कहा-ऐसे शिक्षकों की जरूरत जो ईमानदार हों, भर्ती बेदाग होनी चाहिए


    कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हजारों शिक्षकों की भर्ती रद्द करने हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, संदिग्ध तरीके से की गई भर्ती को बनाए रखा गया तो यह जनहित के खिलाफ होगा। इन शिक्षकों से शिक्षा हासिल करने वाली विद्यार्थियों की कई पीढ़ियां इस तरह के तत्वों से प्रभावित होंगी और यह जनता और देश के हित में नहीं होगा। हमें ऐसे लोगों को शिक्षक के रूप में नियुक्त करने की जरूरत है जो ईमानदार हों और चयन की प्रक्रिया बेदाग हो न कि छात्रों को ऐसे शिक्षकों के हाथों में सौंप दिया जाए जो गलत तरीके अपना कर नियुक्त हुए हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में अवैध लाभार्थियों की कितनी संख्या है इसका अभी पता लगाना बाकी है।


    पीठ ने कहा, यह देखना सदमे जैसा था कि राज्य मंत्रिमंडल ने फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल करने वालों को बचाने का फैसला किया। वह भी तब जब उसे पता था कि इन लोगों ने पैनल की अवधि खत्म होने के बाद नियुक्ति हासिल की। जब तक साजिशकर्ताओं और सरकार में शामिल निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल लोगों के बीच गहरा संबंध न हो तब तक ऐसा संभव नहीं था। 



    बंगाल में 24 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द, जांच सीबीआई को, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, 2016 में हुई थी भर्ती

    कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सरकारी वित्त पोषित स्कूलों में भर्ती के लिए आयोजित 2016 की राज्य स्तरीय शिक्षक चयन परीक्षा (एसएलएसटी) के जरिये चुने गए 24 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पूरे पैनल को रद्द कर दिया है। अनियमितता के आरोप सावित होने पर सोमवार को हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया।


    जस्टिस देवांशु बसाक व जस्टिस शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने प. बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) को नियुक्ति की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 15 दिन में फिर शुरू करने का आदेश दिया। साथ ही, सीबीआई को जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा है। एसएससी व सीएम ममता बनर्जी ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।


    कोर्ट ने निर्देश दिया, जिन लोगों की नियुक्ति पैनल की अवधि खत्म होने के बाद हुई व जिन्होंने खाली ओएमआर शीट जमा की, पर नियुक्ति हासिल कर ली, उन सभी को पूरा वेतन 12 फीसदी सालाना व्याज के साथ चार सप्ताह में लौटाना होगा। 2016 की परीक्षा के दौरान 23 लाख अभ्यर्थी शामिल थे और इनमें से कुछ ने चयन पैनल तैयार करने में अनियमितता का आरोप लगाकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील फिरदौस शमीम ने कहा, इस परीक्षा के जरिये 24,640 पदों की रिक्ति के मुकाबले 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। कई अभ्यर्थियों को पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद अतिरिक्त पद सृजित कर नियुक्त किया गया, जबकि कई ऐसे अभ्यर्थी भी नियुक्त हुए, जिन्होंने खाली ओएमआर शीट जमा की थी।


    साजिशकर्ताओं और सरकार में बैठे लोगों में गहरा संबंध

    पीठ ने कहा, यह सदमे जैसा था कि राज्य कैबिनेट ने फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल करने वालों को बचाने का फैसला किया। जबकि उसे पता था, इन्होंने पैनल की अवधि खत्म होने के बाद नियुक्ति हासिल की। जब तक साजिशकर्ताओं व सरकार में शामिल लोगों में गहरा संबंध न हो तब तक ऐसा होना संभव नहीं था।


    हमारे पास कोई विकल्प नहीं था : हाईकोर्ट

    कोर्ट ने 282 पन्नों के फैसले में चयन प्रक्रिया के जरिये हुई नियुक्तियों को समानता के अधिकार व सरकारी नौकरी में भेदभाव पर प्रतिबंध का उल्लंघन बताया। खंडपीठ ने एसएससी व कुछ अभ्यर्थियों के फैसले को स्थगित रखने के अनुरोध को ठुकरा दिया। पीठ ने कहा, हमने उन आवेदनों पर बहुत विचार किया जिनमें कहा गया है कि यदि पूरी चयन प्रक्रिया रद्द कर दी तो उनके साथ पक्षपात हो जाएगा, जिन्होंने वैध तरीके से नियुक्ति हासिल की, पर हमारे पास कोई विकल्प नहीं था।


    बंगाल में स्कूल शिक्षकों की भर्ती रद्द

    24 हजार से अधिक नियुक्तियां उच्च न्यायालय ने निरस्त की

    25 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए थे

    पीठ ने तीन माह में सीबीआई को जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा 

    एसएससी को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश


    कोलकाता । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में वर्ष 2016 में हुईं शिक्षकों सहित सभी 24,640 नियुक्तियां रद्द कर दीं। यह नियुक्तियां राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 के जरिए हुई थीं जिसे हाईकोर्ट ने 'अमान्य' करार दे दिया। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी।

    पीठ ने सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में और जांच करने तथा तीन महीनों में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। पीठ ने पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (एसएससी) को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया। इस मामले में एक अपवाद का उल्लेख अदालत ने कैंसर पीड़ित सोमा दास के मामले में किया है। कोर्ट ने कहा, दास की नौकरी सुरक्षित रहेगी।


    वेतन लौटाना होगा : अधिवक्ता विक्रम बनर्जी ने बताया कि इस अवैध प्रक्रिया के लाभार्थियों को वेतन लौटाना होगा। पश्चिम बंगाल के सभी जिलों के जिला कलेक्टरों को चार सप्ताह में वसूली प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है।


    बता दें कि 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यथिर्यों ने 2016 एसएलएसटी परीक्षा दी थी। कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील फिरदौस शमीम ने बताया कि इन रिक्तियों के लिए कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे।

    परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले का नया नियम बना मुसीबत, कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूट रहा पसीना

    परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले का नया नियम बना मुसीबत, कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूट रहा पसीना

    इसके विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। 


     परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले के नए नियम शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में शिक्षकों को लक्ष्य हासिल कर पाना और स्कूल में नामांकन बढ़ाना चुनौती पूर्ण हो गया है। परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश करने में शिक्षक स्टॉफ को पसीना छूट रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम जारी की गई गाइड लाइन के तहत छह वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश होता है। वहीं दूसरी निजी स्कूल प्री-नर्सरी कक्षा पांच व इससे कम उम्र के बच्चों को प्रवेश दे रहे है।


    निजी स्कूलों की भरमार के कारण परिषदीय स्कूलों में हर साल नामांकन में कमी देखने को मिल रही थी। इस कारण शिक्षकों को एक-एक नामांकन के लिए जोर लगाना होता था। शैक्षिक सत्र 2024-25 शुरू होते ही इससे नए शिक्षा सत्र में भी अपेक्षित प्रवेश होना मुश्किल लग रहा है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया तो शुरू गई है। लेकिन शिक्षक शिक्षिकाओं को कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के उम्र वाले बच्चे ढूंढे नहीं मिल पा रहे है। इसको लेकर शिक्षक व ग्राम प्रधानों के सम्पर्क में रहकर अभिभावकों से मिलकर नामांकन अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। 


    वहीं परिषदीय विद्यालय में पहुँचने पर छह वर्ष की आयु पूरी होने पर ही बच्चों  को प्रवेश दिए जाने की बाध्यता बताकर शिक्षक हाथ खड़े कर देते है। इसके विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। जिससे परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक के बच्चों की संख्या पूरी कर पाना शिक्षकों के लिए सीधे टेढी खीर बनता जा रहा है।


    वहीं शिक्षकों के मुताबिक की पिछले सत्र में छह वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के प्रवेश कर लिए गए थे। जिससे इस बार भी निर्धारित उम्र के बच्चे गाँवो में नहीं मिल पा रहे है। अभिभावक भी चिंतित है की पांच वर्ष की उम्र पूरी होते ही हरहाल में बच्चों को विद्यालय भेजना चाहते है। लेकिन नए सत्र में जारी हुई गाइडलाइन के तहत बच्चों की उम्र पांच से बढ़ाकर छह वर्ष तक उम्र वाले बच्चों के परिषदीय विद्यालयों प्रवेश करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए। इसको लेकर पूरी कर चुके पांच वर्ष की आयु वाले बच्चों का अभिभावक परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश न कराकर प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश करा रहे है। ताकि बच्चों की एक वर्ष की पढ़ाई बाधित न हो।



    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका

    🔴 परिषदीय स्कूलों से 'रिटर्न गिफ्ट' पा रहे निजी विद्यालय !

    🔴 आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति लोगों में विश्वास नहीं

    🔴 कक्षा एक में प्रवेश के लिए उम्र छह से कम न हो

    🔴 बच्चों के निजी स्कूलों में जाने की संभावना


    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका है। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का निजी स्कूल धड़ल्ले से नामांकन कर रहे हैं। इन स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी जैसी कक्षाओं के विकल्प मौजूद हैं लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों जिसे बाल वाटिका भी कहा जा रहा है, के प्रति अधिक विश्वास नहीं है।


    स्कूल शिक्षा महानिदेशक एवं शिक्षा निदेशक बेसिक ने नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में आदेश दिया है कि परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चे की आयु छह वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। किसी भी दशा में इनका प्रवेश नहीं हो सकता है। शिक्षक बताते हैं कि ऐसे तमाम बच्चों को वापस भेज दिया गया जिनकी उम्र छह वर्ष से चाहे कुछ दिन ही कम क्यों न रही हो। लोग कहते हैं कि जब तक जिम्मेदार चेतेंगे तब तक बड़ी संख्या में बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला करा चुके होंगे।


    इन आदेशों ने बढ़ाई शिक्षकों की मुश्किलेंः बिडंबना यह है कि नए सत्र के पहले सप्ताह में शिक्षकों ने गत वर्ष जारी आदेश के अनुसार उन बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश दे दिया जिनकी आयु एक जुलाई 2024 को छह वर्ष पूरी हो रही थी लेकिन 9 अप्रैल को सामने आए बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश में छह वर्ष की आयु पूरी होने की आधार तिथि एक जुलाई की बजाए एक अप्रैल कर दी गई। इससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि एक जुलाई के आधार पर जिन बच्चों का नामांकन कर लिया गया है, उन बच्चों के अभिभावकों को क्या जवाब दिया जाएगा।


    अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र ! 

    सरकार आंगनबाड़ी केन्द्रों को बाल वाटिका केन्द्र के रूप में विकसित कर रही है लेकिन लोगों के बीच आंगनबाड़ी केन्द्र अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र के रूप में ही चर्चित हैं।

    निजी स्कूल जहां प्री प्राइमरी कक्षाओं को प्ले ग्रुप, एलकेजी व यूकेजी के रूप में संचालित करते हैं तो वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में सिर्फ एक कार्यकत्री इतनी कक्षाओं को कैसे संचालित करेगी, इस पर भी सवाल हैं।

    प्राइमरी स्कूलों के नोडल शिक्षक अपनी कक्षा देखेंगे या आंगनबाड़ी केन्द्र, इस पर भी सवाल खड़े हैं। बहरहाल, अब देखना यह कि शिक्षा प्रशासन इस समस्या से कैसे निपटता है। यदि इस समस्या को बढ़ने दिया गया तो स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी और इसका खामियाजा सरकारी शिक्षा तंत्र को भुगतना पड़ेगा। सरकारी शिक्षा जगत में लोगों का विश्वास भी धीरे-धीरे कम होता जाएगा।



    प्री प्राइमरी क्लासेज के संचालन न होने से परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, प्राइवेट स्कूलों को मिलेगा लाभ

    सरकारी परिषदीय स्कूलों में घटेगा बच्चों का नामांकन,  निदेशक के आदेश पर शिक्षकों की नाराजगी


    लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए एक अप्रैल को बच्चा 6 साल का होना अनिवार्य है। इससे नीचे है तो उसका प्रवेश आंगनबाड़ी या फिर प्री- नर्सरी स्कूलों में लिया जायेगा।

    इस बारे में आदेश आने के बाद शिक्षकों ने नाराजगी जाहिर की है। शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में प्री नर्सरी कक्षाओं का संचालन नहीं होता है। ऐसे में ये बच्चे अगर प्राइवेट स्कूल में प्री नर्सरी में प्रवेश लेकर पढ़ने जाते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह लौटकर उनके यहां कक्षा-एक में प्रवेश लेंगे। 

    इसके बाद सरकारी सरकारी स्कूलों में नामांकन संख्या तेजी से घटेगी और इसका असर शैक्षिक सत्र 2024-25 में पंजीकृत होने वाले बच्चों का यू डायस पर डाटा फीडिंग के बाद दिखाई पड़ेगा। हालांकि, शिक्षक 2023 में जारी शासनादेश क भी हवाला दे रहे हैं। वहीं विभाग भी अपने निर्णय पर कायम है।

    शिक्षकों का कहना है कि 1 अप्रैल की जगह 31 जुलाई तक 6 साल पूरा करने वाले बच्चे को कक्षा-एक में प्रवेश लेने की अनुमति दी जानी चाहिए नहीं नामांकन संख्या स्कूलों में घटेगी। शिक्षक कहते हैं कि निदेशक के आदेश के मुताबिक, यदि कोई बच्चा जुलाई मई माह में भी 6 साल पूरा करता है तो नये आदेश के मुताबिक, उसके कक्षा-एक में प्रवेश लेने के लिए पूरे एक साल का इंतजार करना होगा।


    नौ अप्रैल को हटाई गई एक अप्रैल से प्रवेश आयु में मिली छूट

    • आठ अप्रैल तक छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में हुए प्रवेश से दुविधा में प्रधानाध्यापक

    • निदेशक बेसिक शिक्षा ने छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में प्रवेश नहीं लेने के दिए हैं निर्देश


    प्रयागराज : शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश को लेकर दो आदेश से प्रधानाध्यापक एवं असमंजस में हैं। प्रधानाध्यापकों ने एक अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिक सत्र में निर्धारित छह वर्ष की आयु के नियम को आदेशानुसार शिथिल करते हुए इससे कम आयु पर भी बच्चों के - प्रवेश लेने शुरू कर दिया है।

     कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने आयु शिथिल करते हुए - प्रवेश लेने के निर्देश अलग से जारी - किए। यह प्रक्रिया चल रही थी कि नौ अप्रैल को बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने आदेश जारी किया कि कक्षा एक में एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष आयु पूर्ण कर चुके बच्चों को ही प्रवेश दिया जाए। इससे कम आयु पर प्रवेश न किया जाए। अब प्रधानाध्यापक असमंजस में हैं कि आठ अप्रैल तक आयु सीमा शिथिल कर जिन बच्चों के प्रवेश ले लिए हैं, उनका क्या होगा।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं निपुण भारत मिशन के परिपेक्ष्य में कक्षा एक में न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित की गई है। वर्तमान शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 31 जुलाई 2024 के बीच जो बच्चे छह वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हैं, उन्हें निर्धारित आयु सीमा में शिथिलता प्रदान करते हुए सत्र के प्रारंभ में ही प्रवेश लेने की अनुमति प्रदान की गई है।

     कुछ बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के क्रम में परिषदीय स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया गतिमान होने के बीच बेसिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी बीएसए को नौ अप्रैल को आदेश जारी किया। इसमें निर्देश हैं कि एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन किसी भी दशा में न किया जाए। इसमें यह भी कहा कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन बाल वाटिका में किया जाए। इस आदेश से प्रधानाध्यापक दोहरे संकट में हैं।

    एक तो यह कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के हो चुके प्रवेश को लेकर क्या करें। फिलहाल, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का प्रवेश लेना प्रधानाध्यापकों ने बंद कर दिया है। दूसरा, यह कि निजी स्कूलों में छह वर्ष से कम आयु में प्रवेश पर अभिभावकों का रुझान उस ओर होने से परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या पर असर पड़ सकता है।



    परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

    लखनऊ : सूबे के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के आयु की बाध्यता होने से दाखिला प्रभावित हो रहा है। जबकि निजी स्कूलों में तीन वर्ष के बच्चे का नामांकन हो जाता है। शहर और गांव के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक घर-घर जाकर छह वर्षीय बच्चे खोज रहे हैं।


    बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों में एक अप्रैल 2024 को छह साल की आयु पूरा करने वाले बच्चों का कक्षा एक में नामांकन किया जा रहा है। उम्र की पुष्टि के लिए उनके पास आधार नंबर होना चाहिए। यदि यह नहीं है तो परिजनों का आधार कार्ड लगेगा। यदि बच्चे की उम्र छह साल से कम मिलती है तो उसका नामांकन नहीं होगा। ऐसे में परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।


    वहीं निजी स्कूलों में तीन साल की उम्र में ही बच्चों का नामांकन हो जाता है। कॉन्वेंट स्कूलों में पीजी, यूकेजी और एलकेजी में पढ़ाई करने के बाद कक्षा एक में प्रवेश लिया जाता है। जबकि प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ बालवाटिका की ही कक्षाएं संचलित की जा रही हैं। 


    नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

    बेसिक शिक्षा विभाग ने प्री प्राइमरी स्कूल (आंगनबाड़ी) में दाखिले की न्यूनतम उम्र तीन साल और कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम उम्र छह वर्ष निर्धारित की है। इस नियम के चलते अभिभावकों को निजी स्कूलों का रुख करना पड़ रहा है। अगर नियमों में ढील नहीं दी गई, तो सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में गिरावट आ जाएगी। 



    सत्र शुरू होने के बाद जिले से लेकर प्रदेश स्तर से जारी आदेशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश की उम्र को लेकर शिक्षक परेशान, जानिए क्यों हैं ऐसे हाल?

    कुछ बीएसए ही करवा रहे 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला, अभिभावकों की परेशानी कौन दूर करेगा?

    नया सत्र शुरू होने के बाद भी जारी हो रहे आदेेश 


    UP School Admission Age Row: यूपी के स्कूलों में दाखिले को लेकर विवाद गहरा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 6 साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूलों में एडमिशन कराने पर रोक है। इसके बाद भी बीएसए की ओर कम उम्र के बच्चों का दाखिला कराया जा रहा है। कड़े आदेश के बाद अभिभावकों की परेशानी बढ़ी हुई है।


    लखनऊ: कक्षा एक में छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाना है। इस बाबत केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश के कुछ जिलों में बीएसए ने 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। स्कूलों में दाखिले ले भी लिए गए हैं। अब शिक्षक और छात्र परेशान हैं कि जिनके दाखिले हो गए, उनका क्या होगा। पहले राइट टु एजुकेशन (आरटीई) में यही नियम था कि छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाएगा। अब नई शिक्षा नीति में एक बार फिर से इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।


    स्कूलों में दाखिले को लेकर लगातार जारी हो रहे आदेशों ने अभिभावकों को कंफ्यूज कर दिया है। पिछले साल भी केंद्र सरकार ने इस तरह के आदेश जारी किए थे। तब यह कहते हुए प्रदेश में छूट दे दी गई थी कि बच्चों का दाखिला हो चुका है। ऐसे में अगले साल से इसे सख्ती से लागू किया जाए। इस साल तो केंद्र सरकार ने फरवरी में ही इस बाबत आदेश जारी करके सभी राज्यों को सचेत कर दिया था कि छह साल से कम के बच्चों के दाखिले कक्षा एक में न किए जाएं। उसके बाद डीजी स्कूल शिक्षा ने भी इस बारे में आदेश जारी किए थे।


    एक अप्रैल से शुरू हुए एडमिशन
    प्रदेश में 1 अप्रैल से स्कूल खुले और स्कूल चलो अभियान शुरू हुआ। इसके बाद अलग-अलग जिलों में बीएसए ने अलग-अलग आदेश जारी कर दिए। बाराबंकी के बीएसए ने स्कूलों को आदेश दिए कि 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच जिन बच्चों की उम्र 6 साल हो रही है, उनका दाखिला ले लिया जाए। वहीं अयोध्या के बीएसए ने आदेश दिया है कि 5 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बच्चों का अनिवार्य तौर पर स्कूल में दाखिला करवाया जाए। कोई भी बच्चा छूटने न पाए। अब एक बार फिर बेसिक शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया है कि उन बच्चों का दाखिला ही कक्षा एक में किया जाए, जिनकी उम्र 1 अप्रैल को छह साल पूरी हो चुकी है।


    1 अप्रैल को 6 साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा एक में दाखिला लिया जाएगा। यह स्पष्ट निर्देश हैं। यदि कहीं बीएसए ने गलत आदेश दिए हैं तो उनसे स्पष्टीकरण लेकर कार्रवाई की जाएगी। –प्रताप सिंह बघेल, निदेशक-बेसिक शिक्षा


    बढ़ेगी छात्रों और शिक्षकों की परेशानी

    बीएसए के इन आदेशों के चलते ज्यादातर जिलों में स्कूल ऐसे बच्चों का दाखिला ले चुके हैं जिनकी उम्र 1 अप्रैल को 6 साल पूरी नहीं हुई है। इस बारे में बाराबंकी के शिक्षक निर्भय सिंह कहते हैं कि सत्र की शुरुआत से पहले ही यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए थी। अब जिनका दाखिला लो चुका है, उनको लेकर असमंजस है। इससे बच्चे, अभिभावकों और शिक्षकों की परेशानी बढ़ेगी। 

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह भी कहते हैं कि जिनका दाखिला ले लिया है, उनको निकालते हैं तो विवाद होगा। अफसर कुछ तय नहीं कर पाते और बाद में दोष शिक्षकों पर मढ़ दिया जाता है। कई स्कूलों में आगनबाड़ी केंद्र भी हैं। उनके बच्चों की उम्र कक्षा 6 में दाखिले के लिए पूरी नहीं हुई है तो उसका क्या करेंगे, इस बारे में भी स्पष्ट होना चाहिए।

    सूबे में मौसम का पारा 43 पार, बेपरवाह बेसिक शिक्षा विभाग ढाई बजे तक विद्यालय संचालन पर अड़ा

    सूबे में मौसम का पारा 43 पार, बेपरवाह बेसिक शिक्षा विभाग ढाई बजे तक विद्यालय संचालन पर अड़ा


    सूबे में मौसम का पारा 43 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। इसके साथ ही लगातार चल रही धूल भरी गर्म पछुआ हवाओं के कारण तपन काफी बढ़ गई है।

    वहीं इन सबसे बेपरवाह बेसिक शिक्षा विभाग शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक विद्यालय का संचालन कराया जा रहा है। जबकि शिक्षक और अभिभावक लगातार विद्यालय समय बदलने की मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं।


    मौसम का पारा चढ़ा तो बेसिक स्कूलों के समय को लेकर मचा घमासान, अधिकारियों की जिद में परिषदीय स्कूलों के बच्चे गर्मी से परेशान 


    लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के समय को लेकर घमासान मचा हुआ है। कुछ जिलों में बीएसए ने समय में बदलाव कर दिया तो बेसिक शिक्षा निदेशक ने रद्द करने का आदेश कर दिया। इसके बावजूद लगातार कई जिले समय में बदलाव कर पढ़ाई के घंटे कम कर रहे हैं। वहीं, ज्यादातर जिलों में अब भी दो बजे तक स्कूल खुल रहे हैं। ऐसे में शिक्षक संगठन लगातार दबाव बना रहे हैं कि भीषण गर्मी को देखते हुए पूरे प्रदेश में समय बदला जाए। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखा है।


    बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुल रहे हैं। स्कूल 19 मई तक खुलने हैं। इधर, तापमान अभी से 40 डिग्री के पार होता जा रहा है।  ऐसे ही हालात को देखते हुए कुछ जिलों के बीएसए ने समय बदलकर 7:30 से 12:30 बजे तक किया था। 

    इस पर बेसिक शिक्षा निदेशक ने यह आदेश किए कि बीएसए अपने स्तर से आदेश न करें। पूरे प्रदेश में एक ही समय रहना चाहिए। स्कूल पूरे प्रदेश में 8 से 2 बजे तक ही खुलेंगे।

    इसके बाद भी बढ़ती गर्मी और शिक्षकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए मऊ, हाथरस, आजमगढ़ और देवरिया सहित कई जिलों में स्कूलों का समय बदलकर 7:30 कर दिया गया है। कई जगह डीएम ने आदेश किए हैं। वहीं, कुछ जिलों में डीएम के आदेश का हवाला देते हुए बीएसए ने निर्देश दिए हैं।



    गर्मी-तपिश में झुलस रहे परिषदीय स्कूलों के बच्चे, शिक्षकों व संगठनों के बार-बार अनुरोध के बावजूद नहीं हो पा रहा विद्यालय समय में बदलाव

    प्रयागराज । प्रदेश में आठवीं तक के लाखों बच्चे गर्मी से बिलबिला रहे हैं। शिक्षकों व संगठनों के बार-बार अनुरोध के बावजूद स्कूल टाइमिंग में बदलाव नहीं हो रहा है।

    बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने 15 अप्रैल को आदेश जारी किया था कि स्कूल टाइमिंग सुबह आठ से दो बजे ही रखी जाए। इसके चलते जिला प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर भी स्कूल टाइमिंग में परिवर्तन से बच रहे हैं।

    माध्यमिक स्कूल जहां कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चे अध्ययनरत हैं, वहां की टाइमिंग सुबह 7:30 से 12:30 बजे की है। वहीं, कक्षा एक से आठवीं के परिषदीय, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व कम्पोजिट के साथ मान्यता प्राप्त व सहायता प्राप्त  स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों की छुट्टी दोपहर दो बजे हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को अधिक परेशानी हो रही है।




    माध्यमिक विद्यालयों के उलट भीषण गर्मी और लू में दो बजे तक संचालित हो रहे परिषदीय स्कूल, झुलस रहे मासूम बच्चे

    प्रयागराज : प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय दोपहर 12.30 बजे तक संचालित हो रहे हैं, जबकि 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में दोपहर दो बजे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। प्राइमरी के बच्चे कड़ी धूप और गर्म हवा के थपेड़े सहते हुए घर पहुंचते हैं। प्रचंड गर्मी को देखते हुए कुछ जिलों में बीएसए ने छुट्टी का समय घटाया तो बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने इसे अनुचित बताते हुए दो बजे छुट्टी करने के निर्देश दिए हैं। अब प्राइमरी में भी दोपहर 12.30 बजे छुट्टी करने की मांग की गई है।


    मान्यता प्राप्त शासकीय एवं अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में ग्रीष्मकाल में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक 7.30 से 12.30 बजे तक पढ़ाई का समय निर्धारित है। इसके विपरीत बेसिक शिक्षा के परिषदीय विद्यालयों में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक स्कूल सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक खोले जाने के निर्देश हैं।


     एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने होने पर विद्यालय इसी निर्धारित समय पर खुलने और बंद होने लगे। इस बीच गर्मी बढ़ने लगी तो कुछ जिलों में बीएसए ने छात्र- छात्राओं के हित में स्कूल छुट्टी का समय घटा दिया। इस पर बेसिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी बीएसए को पत्र लिखकर बताया कि कुछ जिले में विद्यालय समय में परिवर्तन किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। उन्होंने निर्देश दिए कि छुट्टी दोपहर दो बजे की जाए।

    मदरसा बोर्ड : 15 मई तक आएगा परीक्षा परिणाम, कवायद तेज

    मदरसा बोर्ड : 15 मई तक आएगा परीक्षा परिणाम, कवायद तेज


    लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद की सेकेंडरी (मुंशी-मौलवी), सीनियर सेकेंडरी (आलिम), कामिल और फाजिल की परीक्षाओं का परिणाम जारी करने की कवायद तेज हो गई है। कॉपियों के मूल्यांकन काम पूरा हो चुका है। ऐसे में 15 मई तक बोर्ड का रिजल्ट जारी होने की उम्मीद है। 


    दरअसल, हाईकोर्ट ने बीते मार्च में यूपी मदरसा शिक्षा परिषद एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद मदरसा बोर्ड परीक्षा परिणाम जारी करने को लेकर असमंजस में था। परिणाम घोषित करने को लेकर प्रक्रिया ठप हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद मदरसा बोर्ड ने यह प्रक्रिया तेज कर दी है। 


    बोर्ड की सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी, कामिल और फाजिल की परीक्षाओं में इस बार पंजीकृत 1,41,115 परीक्षार्थियों में से महज 1,13,100 ही शामिल हुए हैं। बोर्ड की रजिस्ट्रार डॉ. प्रियंका अवस्थी ने बताया कि मूल्यांकन केंद्रों से परीक्षार्थियों के अंक मंगवाकर चढ़ाने का काम तेजी से चल रहा है। 

    यूपी बोर्ड : एक दशक में कम हो गए लगभग 15 लाख परीक्षार्थी, अंग्रेजी माध्यम में रुझान से छात्र संख्या में आई गिरावट

    यूपी बोर्ड : एक दशक में कम हो गए लगभग 15 लाख परीक्षार्थी, अंग्रेजी माध्यम में रुझान से छात्र संख्या में आई गिरावट


    प्रयागराज। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को संचालित कराने वाले संस्था माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) में अब विद्यार्थियों की संख्या में कमी आने लगी है। एक दशक में विद्यार्थियों की संख्या में 14.86 लाख की कमी आई है। यह गिरावट पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है।


    इस बार यूपी बोर्ड ने पुराने रिकार्ड को तोड़ते 20 अप्रैल को परिणाम जारी कर दिया था। पूर्व के सापेक्ष परिणाम तो अच्छा रहा, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट आई है। इस बार यूपी बोर्ड में 55,25,342 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। एक दशक पहले 2014 में विद्यार्थियों की संख्या 69,93,462 थी। तब हाईस्कूल में 38,61,434 और इंटरमीडिएट में 31,32,028 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। अब यह संख्या 30 लाख से नीचे आ गई है। 


    बीते वर्ष हाईस्कूल में 31,16,454 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इस बार 29,47,335 विद्यार्थी हाईस्कूल में पंजीकृत हुए। यानी पिछले साल की तुलना में इस साल हाईस्कूल में 1,69,119 बच्चे कम हो गए हैं।


    इंटरमीडिएट में यह गिरावट 2017 से और हाईस्कूल में 2021 से देखने को मिल रही है। इसका बड़ा कारण अंग्रेजी माध्यम के प्रति बच्चों का रुझान माना जा रहा है।


    रोजगार के लिए अंग्रेजी माध्यम में संभावनाएं ज्यादा हैं। इसलिए बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में जाने लगे है। इसे देखते हुए यूपी बोर्ड ने 2018 में बड़ा बदलाव करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें अनिवार्य कर दी थी। साथ ही कई स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से भी पढ़ाई शुरू हो गई है।


    प्रतियोगी परीक्षाओं के आकर्षण के साथ ही कान्वेंट स्कूलों की पढ़ाई की ओर बढ़ते रुझान की वजह से ऐसा हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों में गिरावट को इसी रूप में देखा जा रहा है।  अजय प्रताप सिंह, प्रधानाचार्य, जीआईसी, प्रयागराज

    आरपी रस्तोगी इंटर कालेज के प्राचार्य लालजी यादव ने बताया कि बदले दौर में अंग्रेजी की महत्ता बढ़ी है। इसलिए बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को प्राथमिकता दे रहे हैं। अब प्रयागराज के राजकीय इंटर कालेज समेत कई कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं चलने लगी हैं। 


    देश का सबसे बड़ा बोर्ड है यूपी बोर्ड

    1921 में गठन के बाद बोर्ड ने पहली बार 1923 में परीक्षा कराई थी। विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए देश का यह सबसे बड़ा बोर्ड बन गया। इस बोर्ड से हाईस्कूल के 2427 राजकीय विद्यालय, 4508 अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड), 20936 वित्तविहीन विद्यालय और इंटरमीडिएट के 892 राजकीय, 4066 एडेड और 13124 वित्तविहीन विद्यालय संचालित हैं।

    Monday, April 22, 2024

    विश्वविद्यालय में समय पर सत्र शुरू नहीं तो रुक जाएगा फंड- UGC

    विश्वविद्यालय में समय पर सत्र शुरू नहीं तो रुक जाएगा फंड- UGC



    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूसीजी) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर निर्धारित समय पर नए सत्र की शुरुआत करने का निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जुलाई में नामांकन की प्रक्रिया पूरी कर अगस्त के पहले सप्ताह में कक्षाएं शुरू कर दी जाएं। अगर समय पर सत्र शुरू नहीं हुआ तो सभी विश्वविद्यालयों को दिए जानेवाले फंड पर रोक लगाई जा सकती है। 


    इसके साथ ही विश्वविद्यालयों को पूर्व में दी गई राशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी देना है। इसके पहले भी कई विश्वविद्यालय ने उपयोगिता प्रमाण-पत्र नहीं दिया था जिनका फंड रोका गया था। 


    यूजीसी ने कहा कि हर हाल में स्नातक पहले वर्ष की कक्षाएं अगस्त में शुरू कर दें। इससे पहले सभी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों से प्रवेश से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा करने का भी सुझाव दिया है। इधर तमाम केन्द्रीय विश्वविद्यालय में नामांकन के लिए सीयूईटी 15 से 31 मई तक है। हालांकि इस परीक्षा के लिए दस लाख से अधिक छात्रों ने आवेदन किया है। पिछली बार सीयूईटी से दाखिला में विलंब हुआ था।


    यूजीसी ने इसके साथ ही नियमों का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय से जल्द एकेडमिक कैलेंडर भी जारी करने को कहा है। ताकि समय से संस्थान और उससे संबद्ध कॉलेजों की शैक्षणिक गतिविधियां संचालित हो सके। शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने की पहल के तहत ही आयोग ने पिछली स्नातक कक्षाओं की परीक्षा के परिणाम भी जून अंत तक और स्नातक दूसरे और आगे के वर्षों की कक्षाएं भी जुलाई के पहले सप्ताह तक शुरू करने को कहा है। आयोग ने 15 अप्रैल तक एकेडमिक कैलेंडर जारी करने का निर्देश दिया था।

    यूपी में प्रचंड गर्मी और लू के चलते परिषदीय स्कूलों का क्या बदलेगा समय? एमएलसी ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से लगाई गुहार

    यूपी में प्रचंड गर्मी और लू के चलते परिषदीय स्कूलों का क्या बदलेगा समय? एमएलसी ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से लगाई गुहार


    सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भीषण गर्मी के मद्देनजर स्कूलों के समय में परिवर्तन किए जाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पत्र लिखा है।


    School time : सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भीषण गर्मी के मद्देनजर बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के समय में परिवर्तन किए जाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। अपने पत्र में श्री सिन्हा ने लिखा है कि प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल इस भीषण गर्मी में भी दोपहर दो बजे तक संचालित हो रहे हैं, जिससे 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच दोपहर दो बजे तक बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

    उन्होंने अपने पत्र लिखा है कि बच्चे कड़ी धूप और गर्म हवा के थपेड़े सहते हुए घर पहुंचते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। लिहाजा इस प्रचंड गर्मी को देखते हुए कुछ जिलों में बीएसए ने अपने स्तर से छुट्टी का समय घटाया भी था परन्तु बेसिक शिक्षा निदेशक ने इसे अनुचित बताते हुए पुनः दो बजे छु‌ट्टी करने के निर्देश दिए हैं। 


    उन्होंने बताया कि प्रदेश के मान्यता प्राप्त शासकीय एवं अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में ग्रीष्मकाल में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक 7.30 से 12.30 बजे तक पढ़ाई का समय निर्धारित है। इसके विपरीत बेसिक शिक्षा के परिषदीय विद्यालयों में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक स्कूल सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक खोले जाने के निर्देश हैं।


    ऐसे में बच्चों के बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए अभिभावकों द्वारा अब बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में भी दोपहर 12.30 बजे तक छुट्टी करने की मांग भी निरंतर की जा रही है।



    प्रचण्ड गर्मी के कारण बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शैक्षणिक कार्य के समय में परिवर्तन के सन्दर्भ में स्नातक विधायक का पत्र 



    पड़ रही भीषण गर्मी, तपन और लू को देखते हुए छात्र हित में परिषदीय विद्यालयों के समय में बदलाव की मांग






    कोरोना काल के पश्चात परिवर्तित किए गए परिषदीय विद्यालयों के संचालन समय को पूर्ववत करने के सम्बन्ध में  शिक्षक संघ की मांग




    DGSE से परिषदीय स्कूलों का समय साढ़े 7 से साढ़े 12 तक करने की मांग

    उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रांतीय संयोजक अपूर्व दीक्षित द्वारा महानिदेशक को एक पत्र द्वारा भीषण गर्मी व लू के चलते स्कूल समय परिवर्तन की मांग रखी। प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय कुमार कनौजिया ने बताया कि स्कूल सुबह 8 से 2 बजे तक है। भीषण गर्मी को देखते हुए विद्यालय का समय सुबह 7:30 से दोपहर 12:30 तक करने की बात रखी गई। 




    वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी में परिषदीय विद्यालयों में अध्यनरत बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के दृष्टिगत विद्यालयों के समय परिवर्तन के सम्बन्ध में PSPSA ने सीएम योगी से की मांग




    परिषदीय विद्यालयों के समय में परिवर्तन करने को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी लिखा शासन को पत्र




    कोरोना काल के पश्चात परिवर्तित किए गए परिषदीय विद्यालयों के संचालन समय को पूर्ववत करने के सम्बन्ध में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की सीएम योगी से मांग


    Sunday, April 21, 2024

    शिक्षाधिकारियों की उदासीन संस्कृति से लंबित हो रहे मुकदमे, हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

    एक सप्ताह में जवाबी हलफनामा दें डीआईओएस बलिया : हाईकोर्ट

    शिक्षाधिकारियों की उदासीन संस्कृति से लंबित हो रहे मुकदमे, हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत की कार्रवाई में देरी के लिए सरकारी अधिकारियों की उदासीन संस्कृति को जिम्मेदार ठहराया है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की कोर्ट ने कहा, मुकदमों के निस्तारण में देरी के लिए सिर्फ न्यायिक प्रणाली ही जिम्मेदार नहीं है, इसमें 75 प्रतिशत योगदान सरकारी अधिकारियों का है, जो सरकारी मुकदमा सोचकर ध्यान नहीं देते हैं।


    बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) की ओर से डॉ.उमा शंकर सिंह के निलंबन को मंजूरी देने के खिलाफ याचिका पर जवाबी हलफनामा देने के लिए कोर्ट ने डीआईओएस को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है।


    साथ ही कोर्ट ने चेतावनी भी दी कि इस बार हलफनामा दाखिल न होने पर अदालत में डीआईओएस खुद पेश होकर बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ आदेश पारित किया जाए। मामले में याची ने अपने निलंबन आदेश के अनुमोदन को चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने दो दिसंबर को डीआईओएस से जवाबी हलफनामा तलब किया था।


    करीब चार माह बाद भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने से खफा कोर्ट ने मुकदमों की देरी के लिए राज्य के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट ने कहा, अधिकारी न्यायिक प्रक्रिया में अपने खिलाफ आदेश पारित होने पर विचलित हो जाते हैं, आदेशों के खिलाफ शीघ्र ऊपरी अदालतों का रुख करते हैं, जबकि सरकारी मुकदमों के प्रति उदासीन रहते हैं। अधिकारियों का यह रवैया मुकदमों के त्वरित निस्तारण में बाधक बन रहा है

    यूपी बोर्ड की तरह अब संस्कृत में भी सिर्फ 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा

    यूपी बोर्ड की तरह अब संस्कृत में भी सिर्फ 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा

    नए सत्र से 11वीं भी बोर्ड परीक्षा से बाहर, पिछले साल 9वीं को हटाया गया था


    लखनऊ। यूपी बोर्ड की ही तरह अब उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद में भी सिर्फ 10वीं और 12वीं क्लास की ही बोर्ड की परीक्षा होगी। नए सत्र से 11वीं क्लास भी बोर्ड परीक्षा से बाहर हो जाएगी। परिषद के सचिव शिवलाल ने बताया कि यह व्यवस्था नए सत्र 2024-25 से प्रभावी हो जाएगी।


    उन्होंने बताया कि पूर्व की व्यवस्था के अनुसार 9वीं व 10वीं के नंबर जोड़कर पूर्व मध्यमा द्वितीय (10वीं) और 11वीं व 12वीं के नंबर जोड़कर उत्तर मध्यमा द्वितीय 12वीं) का परिणाम जारी किया जाता था। पिछले साल से 9वीं क्लास को बोर्ड परीक्षा से हटा दिया गया था। इसी क्रम में नए सत्र से 11वीं को भी बोर्ड परीक्षा से हटा दिया जाएगा।


     अब 9वीं व 11वीं क्लास की परीक्षाएं सामान्य स्कूल स्तर की होंगी। जबकि 10वीं और 12वीं क्लास में बोर्ड परीक्षाएं होंगी। यह कवायद विद्यार्थियों पर से परीक्षा का दबाव कम करने के लिए शासन की ओर से की गई है।

    यूपी बोर्ड स्क्रूटनी के लिए 14 मई तक कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन, 24 अप्रैल से शुरू होगा ग्रीवांस सेल

    यूपी बोर्ड स्क्रूटनी के लिए 14 मई तक कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन, 24 अप्रैल से शुरू होगा ग्रीवांस सेल


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड का परिणाम जारी करने के साथ ही स्क्रूटनी के लिए आवेदन शुरू हो गया है। परीक्षार्थी 14 मई तक इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन केवल ऑनलाइन ही किया जा सकता है। इसके लिए पांच सौ रुपये शुल्क भी जमा करना होगा।


    जिन परीक्षार्थियों का उनकी मेहनत के मुताबिक अंक न मिला हो, वह स्क्रूटनी के लिए आवेदन कर सकते हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद की अपर सचिव विभा मिश्रा ने बताया कि स्क्रूटनी का आवेदन वेबसाइट www.upmsp.edu.in किया जा सकता है। पर परिणाम आने के साथ ही वेबसाइट पर इसका लिंक दे दिया गया है।


    परीक्षार्थियों को ऑनलाइन आवेदन करने के बाद प्रति प्रश्न पत्र की दर से पांच सौ रुपये शुल्क जमा करना होगा। फिर ऑनलाइन जमा हुए आवेदन का प्रिंट और मूल चालान पत्र को रजिस्टर्ड डाक से क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजना होगा। उन्होंने बताया कि कोरियर या साधारण डाक से भेजा गया आवेदन पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा।


    परिणाम जारी करने के बाद तीन दिन का अवकाश
    यूपी बोर्ड का परिणाम जारी करने के बाद मुख्य कार्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में तीन दिन का अवकाश घोषित कर दिया गया है। उप सचिव प्रशासन देवव्रत सिंह ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ, बरेली, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी की टीम परिणाम जारी करने में लगी थी। परिणाम जारी हो चुका हैं। इसलिए इन कार्यालयों में 21, 22 और 23 अप्रैल को अवकाश रहेगा।


    24 अप्रैल से शुरू होगा ग्रीवांस सेल
    यूपी बोर्ड परिणाम से जुड़ी किसी भी समस्या को हल करने के लिए ग्रीवांस सेल का गठन किया गया है। ग्रीवांस सेल 24 अप्रैल से सक्रिय होगा। परीक्षार्थियों को इसके लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं होगी। वह यूपी बोर्ड मुख्यालय में बनाए गए सेल में समस्या से जुड़ा आवेदन करेंगे। कुछ दिनों में उनकी समस्या हो हल किया जाएगा।

    माध्यमिक संस्कृत बोर्ड परीक्षा में रहा बेटियों का दबदबा, पूर्व मध्यमा द्वितीय (हाईस्कूल) व उत्तर मध्यमा द्वितीय (इंटरमीडिएट) की टाप टेन की सूची में कुल 18 छात्राएं

    माध्यमिक संस्कृत बोर्ड परीक्षा में रहा बेटियों का दबदबा, पूर्व मध्यमा द्वितीय (हाईस्कूल) व उत्तर मध्यमा द्वितीय (इंटरमीडिएट) की टाप टेन की सूची में कुल 18 छात्राएं

    पूर्व मध्यमा में बहराइच की मानसी चौरसिया और उत्तर मध्यमा में सुलतानपुर की पूनम तिवारी टापर


     लखनऊ: प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा का परिणाम शनिवार को घोषित कर दिया गया। संस्कृत बोर्ड की परीक्षा में बेटियों ने परचम लहराया है। पूर्व मध्यमा द्वितीय (हाईस्कूल) व उत्तर मध्यमा द्वितीय (इंटरमीडिएट) की टाप टेन की सूची में कुल 18 छात्राएं हैं।


    पूर्व मध्यमा द्वितीय में बहराइच के श्रीराम जानकी शिव संस्कृत विद्यालय की छात्रा मानसी चौरसिया ने 90.07 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पहला स्थान हासिल किया है। वहीं उत्तर मध्यमा द्वितीय में सुलतानपुर के श्री संस्कृत माध्यमिक विद्यालय की छात्रा पूनम तिवारी ने 82.85 प्रतिशत अंक हासिल कर टाप किया है।


    माध्यमिक शिक्षा निदेशक के शिविर कार्यालय में शनिवार को उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव शिवलाल ने परिणाम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूर्व मध्यमा द्वितीय की परीक्षा में कुल 16,816 विद्यार्थी शामिल हुए और इसमें से 14,701 विद्यार्थी उत्तीर्ण घोषित किए गए। कुल 87.42 प्रतिशत विद्यार्थियों ने परीक्षा में सफलता हासिल की। 


    पूर्व मध्यमा द्वितीय की मेरिट सूची में दूसरे नंबर पर बहराइच के महाजनान संस्कृत विद्यालय की गरिमा चौरसिया ने 89.28 प्रतिशत अंक और तीसरे नंबर पर सुलतापुर के कमलापति संस्कृत विद्यालय की छात्रा मुस्कान ने 89.07 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। पूर्व मध्यमा द्वितीय की मेरिट सूची में 10 में से आठ छात्राएं हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तर मध्यमा द्वितीय की परीक्षा में 11,209 विद्यार्थियों में से 9,707 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। कुल 86.83 प्रतिशत विद्यार्थी परीक्षा में सफल घोषित किए गए हैं।


    उत्तर मध्यमा द्वितीय की मेरिट सूची में दूसरे नंबर पर अमरोहा के श्री मद्दयानंद कन्या विद्यालय की छात्रा गुरमिता ने 80.71 प्रतिशत अंक और तीसरे नंबर पर आईं प्रतापगढ़ के श्री राम टहल विद्यालय की छात्रा रितु सिंह ने 79.92 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। वहीं उत्तर मध्यमा द्वितीय की सूची में 10 वें नंबर पर समान अंक पाने के कारण दो छात्राएं हैं। जौनपुर की प्रिंसी व अवंतिका दोनों को 78.77 प्रतिशत अंक मिले हैं। मेरिट सूची में कुल 11 में से 10 छात्राएं हैं।


    वहीं उत्तर माध्यमा प्रथम (ग्यारहवीं) में 13,784 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए और इसमें से 11,873 विद्यार्थी पास हुए। कुल 86.83 प्रतिशत विद्यार्थी सफल घोषित किए गए। अब शैक्षिक सत्र 2024-25 से ग्यारहवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा खत्म होगी। परीक्षाफल माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की वेबसाइट upmssp.com पर देखा जा सकता है।




    माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का भी परिणाम आज

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद भी शनिवार को बोर्ड परीक्षा 10वीं, 11वीं व 12वीं का परिणाम जारी करेगा।


    परिषद की ओर से 15 फरवरी से एक मार्च तक प्रदेश के 120 केंद्रों पर परीक्षा का आयोजन किया गया था। परिषद के सचिव शिवलाल ने बताया कि शासन ने शनिवार शाम चार बजे परिणाम जारी करने का निर्णय लिया है। बता दें कि यूपी बोर्ड शनिवार दोपहर दो बजे अपना परिणाम जारी करने जा रहा है। ब्यूरो

    30 वर्षों के इतिहास में दूसरी बार नहीं करानी पड़ी यूपी बोर्ड में पुनर्परीक्षा, नकलविहीन परीक्षा के लिए लगाए थे 2.90 लाख वॉइस रिकॉर्डर सीसीटीवी कैमरे

    30 वर्षों के इतिहास में दूसरी बार नहीं करानी पड़ी यूपी बोर्ड में पुनर्परीक्षा, नकलविहीन परीक्षा के लिए लगाए थे 2.90 लाख वॉइस रिकॉर्डर सीसीटीवी कैमरे


    प्रयागराज। नकल विहीन परीक्षा कराने में भी यूपी बोर्ड ने सफलता पाई है। 30 वर्षों के इतिहास में यह दूसरी बार है कि यूपी बोर्ड को पुनः परीक्षा नहीं करानी पड़ी है। परीक्षा के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। इसलिए पेपर आउट नहीं हुआ और नकल के मामले भी कम आए थे। नकल विहीन, शुचितापूर्ण और पारदर्शी परीक्षा कराने के लिए प्रत्येक केंद्र पर वाइस रिकार्डिंग सीसीटीवी लगाए गए थे।


    2024 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में 55,25,342 परीक्षार्थियों पंजीकृत थे। इनकी परीक्षा 8265 केंद्रों के 1.35 लाख कक्षों में कराई गई। परीक्षा के दौरान नकल न हो, इसलिए बोर्ड को 2.90 लाख वाइस रिकॉर्डर सीसीटीवी लगाने पड़े थे। सुरक्षा के लिए प्रश्न पत्रों को चार लेयर के टैम्पर लिफाफों में रखा गया था। इस पैकिंग से पेपर लीक नहीं हुए। परीक्षा की निगरानी के लिए क्षेत्रीय कार्यालयों मेरठ, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर में पहली बार एक-एक कमांड एंड कंट्रोल रूम बनाया गया था। इन कंट्रोल रूम से सतत निगरानी की गई।


    परीक्षा के बाद मूल्यांकन के समय भी यहां से निगरानी हुई। उत्तर पुस्तिकाओं की सुरक्षा के लिए क्यूआर कोड और क्रमांक संख्या का मुद्रण पहली बार अंदर के पन्नों पर भी किया गया था। इसके साथ ही सिलाईयुक्त उत्तर पुस्तिकाओं को चार अलग-अलग रंगों में तैयार कराया गया था। 2.75 लाख कक्ष निरीक्षकों का पहली बार क्यूआर कोड एवं क्रमांकयुक्त कम्प्यूटराइज्ड परिचय पत्र तैयार कराया गया था। केंद्रों के निरीक्षण के लिए 1297 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 430 जोनल मजिस्ट्रेट, 75 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक और 416 सबल दलों का गठन किया गया। 



    परिणाम घोषित करने में यूपी बोर्ड ने तोड़ दिया 101 वर्षों का रिकॉर्ड,  इतिहास में पहली बार 20 अप्रैल को आया परिणाम

    उपलब्धि : हाईस्कूल के 24,62,026 व इंटरमीडिएट के 20,26,067 परीक्षार्थी उत्तीर्ण

    प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने परिणाम घोषित करने के मामले में 101 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 12-12 दिनों में परीक्षा और मूल्यांकन पूरा कराया गया, फिर 19 दिन के भीतर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नतीजे घोषित कर दिए गए। शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव और सचिव दिब्यकांत शुक्ल के मुताबिक बोर्ड के सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार इतने कम समय में परिणाम जारी किया गया है। 


    यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए 55,25,342 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया था। परीक्षा की शुरुआत 22 फरवरी से हुई थी। इसमें हाईस्कूल 27,49,364 और इंटरमीडिएट के 24,52,830 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। कड़ी सुरक्षा के बीच परीक्षा कराई गई। परीक्षाओं के बीच अवकाश कम दिए गए थे। नौ मार्च तक 12 कार्यदिवस में परीक्षा पूरी करा ली गई।


    परीक्षा समापन के बाद मूल्यांकन के लिए 259 केंद्र बनाए गए। मूल्यांकन केंद्रों पर कॉपियां पहुंचाई गईं और 16 मार्च से इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई। हाईस्कूल की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए 94,802 शिक्षक और इंटरमीडिएट के लिए 52,295 शिक्षकों को लगाया गया। मूल्यांकन के दौरान एक शिक्षक की हत्या हो गई थी। तब बोर्ड के अफसरों ने शिक्षकों से समन्वय बनाते हुए मूल्यांकन का काम जारी रखा और निर्धारित अवधि 30 मार्च तक काम पूरा करवा लिया। 


    UP Board Result 2024 Live: यूपी बोर्ड का रिजल्ट जारी, 10वीं का 89.55% और 12वीं का 82.60% परिणाम रहा


    UPMSP UP Board Class 10th 12th Results 2024 Live Updates: यूपी बोर्ड के दसवीं और 12वीं का परिणाम जारी हो गया है। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने प्रयागराज स्थित मुख्यालय में इसकी घोषणा की। 


    सीएम योगी ने छात्रों को बधाई
    सीएम योगी ने एक्स पर लिखा, 'माध्यमिक शिक्षा परिषद, उ.प्र. की 10वीं व 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में उत्तीर्ण सभी विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और गुरुजनों को हार्दिक बधाई! आप सभी 'नए उत्तर प्रदेश' का स्वर्णिम भविष्य हैं। ऐसे ही परिश्रम, लगन और धैर्य के साथ आप सभी जीवन की हर परीक्षा में सफल हों, यही कामना है। माँ शारदे की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे!'


    UP Board 10th Result 2024: 10वीं में लड़कियों ने बाजी मारी 
    हाई स्कूल का रिजल्ट 89.55% रहा है। 29 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी पंजीकृत हुए थे। 27 लाख से ज्यादा बच्चों ने परीक्षा दी। 86.05 फीसदी लड़के और 93.40 फीसदी लड़कियां उत्तीर्ण हुई हैं।


    UP Board Result 2024: हाईस्कूल के टॉपर
    प्राची निगम- 98.50%, सीतापुर
    दीपिका सोनकर- 98.33% फ़तेहपुर
    नव्या सिंह- 98%, सीतापुर 
    स्वाति सिंह- 98%, सीतापुर


    UP Board Result 2024 Toppers: कक्षा 12वीं में शुभम के सर बंधा टॉपर का ताज
    शुभम वर्मा- 97.80%,सीतापुर
    विशु चौधरी- 97.60% बागपत
    काजल सिंह- 97.60%,अमरोहा


    जेल में बंद हाईस्कूल के 89 अभ्यर्थियों ने पास की परीक्षा
    हाईस्कूल परीक्षा में जेल में बंद 115 में से 91 अभ्यर्थी शामिल हुए, उसमें से 89 ने परीक्षा उत्तीर्ण की है।


    जेल में बंद 87 इंटर अभ्यर्थी हुए पास
    इसी तरह इंटरमीडिएट में कुल 135 अभ्यर्थी ऐसे रहे जो जेल में बंद थे उसमें से 105 ने परीक्षा दी और 87 उत्तीर्ण हुए


    माध्यमिक शिक्षा परिषद ने शनिवार को यूपी बोर्ड परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया। प्रदेश में हाईस्कूल की परीक्षा में महमूदाबाद के सीता बाल विद्या मंदिर के छात्र शुभम वर्मा ने 97.80 प्रतिशत अको के साथ प्रदेश में परचम लहराया है।


    प्राची ने हाईस्कूल में टॉप किया
    सीतापुर की ही रहने वाली प्राची निगम ने हाईस्कूल में टॉप किया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों में सीतापुर के बने टॉपर हैं। प्राची के 600 में से 591 नंबर आए हैं। उनके 98.50 प्रतिशत अंक आए हैं। इंटर में शुभम वर्मा ने टॉप किया है। 97.80 फीसदी अंक हासिल किए हैं।

    12वीं में सीतापुर के शुभम वर्मा ने टॉप किया
    12वीं में सीतापुर के शुभम वर्मा ने टॉप किया है। बागपत बड़ौत के ⁠विष्णु चौधरी दूसरे नंबर पर हैं। अमरोहा की काजल सिंह ने दूसरे स्थान पर रही हैं। सीतापुर की कशिश मौर्य भी दूसरे नंबर पर हैं।


    हाई स्कूल का रिजल्ट 89.55% रहा है और इंटरमीडिएट का 82.60%
    माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभी अधिकारियों और छायाकार मित्रों का स्वागत। यह रिजल्ट कई मायनों में महत्वपूर्ण है। 12 दिन में मूल्यांकन हुआ है और 19 दिन में रिजल्ट दिया जा रहा है। हाई स्कूल का रिजल्ट 89.55% रहा है और इंटरमीडिएट का 82.60% है। 55 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी।