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Tuesday, August 22, 2119

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    Wednesday, November 6, 2024

    NOC की शर्त अब भी ऐडेड डिग्री शिक्षकों के तबादले की बड़ी बाधा

    NOC की शर्त अब भी ऐडेड डिग्री शिक्षकों के तबादले की बड़ी बाधा


    नई नियमावली लागू होने के बाद इंतजार कर रहे एडेड डिग्री कॉलेजों के सभी इच्छुक शिक्षक अब ट्रांसफर के लिए पात्र हो जाएंगे। वजह यह है कि तीन साल से कोई भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में लगभग सभी शिक्षक तीन साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। नई नियमावली के अनुसार तीन साल पूरा कर चुके शिक्षक ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे। हालांकि, प्रबंधतंत्र से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) की अनिवार्यता ट्रांसफर की एक बड़ी बाधा है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इसे समाप्त करवाने की मुहिम जल्द तेज की जाएगी।


    शिक्षक सरकार के सेवा अवधि शर्त घटाने के फैसले से खुश हैं, लेकिन उनका कहना है कि प्रबंधतंत्रों से NOC की बाध्याता समाप्त कर देनी चाहिए। अभी जो नियम है उसके अनुसार जिस कॉलेज में शिक्षक को जाना है, वहां पद खाली होना चाहिए। साथ ही जिस कॉलेज से जाना है और जहां जाना है, दोनों के प्रबंधतंत्र से NOC लेना जरूरी है। यह NOC लेना ही सबसे मुश्किल काम है। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय कहते हैं कि संगठन लगातार यह मांग कर रहा है कि NOC की बाध्यता समाप्त की जाए। तबादले भी ऑनलाइन किए जाएं।


    रोस्टर के अनुसार तबादले
    तीन साल पहले सरकार ने रोस्टर सिस्टम भी लागू कर दिया है। लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु बताते हैं कि तबादलों के लिए जरूरी शर्त यह है कि जिस कॉलेज से जाना है और जहां जाना है, दोनों में एक ही कैटेगरी का पद खाली होना चाहिए। अगर दोनों जगह सामान्य का है या फिर दोनों जगह एससी या फिर दोनों जगह ओबीसी का पद खाली है, तभी तबादला होगा। दूसरी कैटेगरी का पद खाली होने पर तबादला नहीं हो सकता। डॉ. मौलीन्दु कहते हैं कि यह अच्छा हुआ कि तबादलों का रास्ता खुल गया। शिक्षक तबादले के लिए आवेदन कभी भी कर सकते हैं। तबादला जून में किया जाएगा।


    दो साल से ट्रांसफर नहीं
    शिक्षक इस बात से खुश हैं कि अब तबादले हो सकेंगे। दो साल से शिक्षकों के तबादले ही नहीं हुए थे। वजह यह है कि पहले उच्च और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग अलग-अलग थे। वहीं, बेसिक शिक्षकों का तबादला बेसिक शिक्षा परिषद से होता है। तीनों को मिलाकर एक आयोग बन जाने से डिग्री कॉलेजों के तबादले बंद थे, क्योंकि उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग भंग हो गया था और नया आयोग बना नहीं था।


    ऐसे कम होती गई अवधि
    प्रदेश में 331 एडेड डिग्री कॉलेज हैं। इनमें कुल लगभग 10,500 शिक्षक हैं। तबादला नीति 2005 के अनुसार पहले यह शर्त थी कि 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही शिक्षक का तबादला हो सकता है। इसके बाद 2012 में संशोधन हुआ और अधिकतम सेवा की शर्त पांच साल कर दी गई और मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सेवा शर्त घटाकर तीन साल कर दी गई है।



    सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों को अब तीन साल में ही तबादले का मौका, कैबिनेट ने नियमावली 2024 को दी मंजूरी, शिक्षक पूरे सेवा काल में एक बार ले सकेंगे लाभ


    लखनऊ। प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश के 331 एडेड कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को पांच साल की न्यूनतम सेवा की जगह सिर्फ 3 साल की सेवा के बाद तबादले का अवसर मिलेगा। इसके लिए कैबिनेट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली 2024 को मंजूरी दी है। प्रदेश में कार्यरत 10 हजार शिक्षक लंबे समय से तबादला नीति में संशोधन की मांग कर रहे थे। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नई उच्चतर सेवा नियमावली 2024 के अनुसार प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों के स्थायी शिक्षक अब केवल तीन साल की सेवा के बाद अपने तबादले का आवेदन कर सकेंगे। नई नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि शिक्षक अपने पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक बार तबादले के हकदार होंगे।

    उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 को हाल ही में लागू किया है। इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम 1980 को निरस्त कर दिया गया है। इससे 1980 के अधिनियम के तहत जारी तबादले के नियम स्वतः समाप्त हो गए हैं। इसके बाद 2005 में जारी नियमावली भी निरस्त कर दी गई है। अब नई नियमावली प्रभावी होगी। इसके तहत शिक्षक अपने कॉलेज के प्रबंधतंत्र और विश्वविद्यालय के अनुमोदन के साथ तबादले का आवेदन कर सकेंगे। इसे निदेशक उच्च शिक्षा को देना होगा।


    अभी 5 साल में मिलता था मौका... नए नियम से घर से दूर सेवा दे रहे शिक्षकों को राहत

     नई नियमावली से शिक्षकों को उनके घर के पास क्षेत्रों में तबादले का विकल्प मिलेगा। इससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। इस निर्णय से घर से दूर सेवा दे रही महिला व अन्य शिक्षकों को काफी राहत मिलेगी।



    उत्‍तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त लगभग 1200 तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ, देखें आदेश

    उत्‍तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त लगभग 1200 तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ

    यूपी के इन स्‍कूलों में 1200 एडहॉक शिक्षकों के परमानेंट होने का रास्‍ता साफ, पुरानी पेंशन-GPF भी


    इस आदेश से 30 दिसंबर 2000 से पहले नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की पुरानी पेंशन और लगभग 25-30 वर्षों से जमा GPF भी लैप्स होने से बच जाएगा। 2000 तक चयनित तदर्थ शिक्षकों को लम्बे संघर्ष के बाद विनियमित करने के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को तय समय के अंदर निर्णय लेने का पत्र जारी हो गया है।


    Regulation of ad-hoc teachers: उत्‍तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 दिसंबर 2000 से पूर्व नियुक्त लगभग 1200 तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो गया है। शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक-3) रामचेत की ओर से चार नवंबर को सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इस संबंध में आदेश जारी हुए हैं। इस आदेश से 30 दिसम्‍बर 2000 से पहले नियुक्त किए गए शिक्षकों की पुरानी पेंशन और 25-30 सालों से जमा उनका जीपीएफ भी लैप्‍स होने से बच जाएगा।


    संजय सिंह के मामले में सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल शपथपत्र में 30 दिसंबर 2000 तक सभी तदर्थ शिक्षक को विनियमित करने की बात कही गई थी लेकिन 2016 के विनियमितीकरण आदेश की अनदेखी करते हुए अधिकारियों ने नौ नवंबर 2023 को इनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया था। उसके खिलाफ विनोद श्रीवास्तव और राघवेंद्र पांडेय की याचिका में हाईकोर्ट ने नौ नवंबर 2023 के आदेश को अवैध मानते हुए सात फरवरी को निरस्त कर दिया था। साथ ही 20 दिसंबर 2000 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को सेवा में मानते हुए वेतन और एरियर के साथ बहाल करने का निर्णय दिया था। मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला आने पर लगभग 1200 शिक्षकों को विनियमित करने का आदेश जारी हो गया।


    पुरानी पेंशन, जीपीएफ भी बच जाएगा
    विनियमितीकरण के आदेश से 30 दिसंबर 2000 से पूर्व नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की पुरानी पेंशन और लगभग 25-30 वर्षों से जमा जीपीएफ भी लैप्स होने से बच जाएगा। संजय सिंह मामले में 2000 तक चयनित तदर्थ शिक्षकों को लम्बे संघर्ष के बाद विनियमित करने के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को तय समय के अंदर निर्णय लेने का पत्र जारी हो गया है।







    बीएसए व बीईओ कार्यालय में आरटीई अंतर्गत प्रवेश में मदद के लिए बनेगीं बनेगी हेल्पडेस्क

    बीएसए व बीईओ कार्यालय में आरटीई अंतर्गत प्रवेश में मदद के लिए बनेगीं बनेगी हेल्पडेस्क


    निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) का इस बार व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। बस व रेलवे स्टेशन सहित सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग लगवाए जाएंगे। पंफलेट बांटकर जानकारी दी जाएगी।


    RTE के तहत मुफ्त दाखिले की सभी सीटें भरने को पांच गुणा आवेदन पर जोर

    5.45 लाख सीटों के मुकाबले 3.36 लाख आए थे फार्म

    अगले सत्र में प्रवेश के लिए दिसंबर से शुरू होगी प्रक्रिया


    लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए निर्धारित सभी सीटों को भरने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में सीटों के मुकाबले पांच गुणा अधिक आवेदन फार्म भरवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। अभी 5.45 लाख सीटों के मुकाबले 3.36 लाख बच्चों के ही आवेदन आए थे और 1.02 लाख सीटों पर प्रवेश हो सके थे। ऐसे में अब अगले सत्र 2025-26 में प्रवेश के लिए अधिक से अधिक आवेदन हो सकें, इसके लिए दिसंबर से ही प्रक्रिया शुरू की जा रही है।


    स्कूल शिक्षा महानिदेशालय की ओर से सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिलों में आरटीई के लिए उपलब्ध सीटों के मुकाबले कम से कम पांच गुणा आवेदन फार्म भरवाएं। इसके लिए रेल और बस स्टेशनों सहित विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग व पोस्टर इत्यादि लगाए जाएंगे। 


    गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त दाखिला दिलाने के लिए उनके अभिभावकों को आनलाइन आवेदन फार्म भरवाने में भी मदद की जाएगी। सभी खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) व बीएसए कार्यालय में इसके लिए हेल्प डेस्क बनाई जाएगी।


     ऐसे अभिभावक जिन्हें फार्म भरने में कठिनाई होगी उन्हें यहां फार्म भरवाया जाएगा। प्रदेश के 58 हजार निजी स्कूलों की मैपिंग की जा चुकी है। सभी विद्यालयों का ब्योरा आरटीई पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा रहा है। स्कूलवार सीटों का विवरण उस पर अपलोड किया जा रहा है।

    Supreme Court Decision On Madarsa Act यूपी के मदरसा ऐक्‍ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी मान्‍यता, हाईकोर्ट के फैसले को किया खारिज, 17 लाख छात्रों को मिली बड़ी राहत

    उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट वैध, लेकिन कामिल और फाजिल डिग्री असंवैधानिक

    सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट को असंवैधानिक बताने वाला हाई कोर्ट का फैसला किया खारिज

    • मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राहत
    • कहा- राज्य की विधायिका को ऐसा कानून बनाने का है अधिकार 
    • हाई कोर्ट ने बताया था पंथनिपेक्षता के सिद्धांत व समानता के विरुद्ध स्नातक के समकक्ष था कामिल और पीजी के बराबर फाजिल
    • वर्ष 2004 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने पारित किया था कानून


    नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उप्र मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट, 2004 को संवैधानिक ठहराया है, लेकिन मदरसों से कामिल-फाजिल की डिग्री को यूजीसी एक्ट के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया है। कामिल-फाजिल क्रमशः स्नातक और परास्नातक के समकक्ष होते हैं।


    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का 22 मार्च, 2024 का फैसला खारिज कर दिया है जिसमें हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट, 2004 को असंवैधानिक ठहराया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह कानून पंथनिपेक्षता के सिद्धांत और समानता व शिक्षा के अधिकार के विरुद्ध है। हाई कोर्ट ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को नियमित स्कूल में स्थानांतरित करने का भी आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर शुरुआती सुनवाई में ही हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी जिससे मदरसों में पढ़ाई जारी थी। 2004 में मुलायम सिंह यादव सरकार ने मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट पारित किया था।


    मदरसा शिक्षा पर यह अहम फैसला प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्टीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मदरसा एक्ट बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों में मिलने वाली शिक्षा के स्तर को रेगुलेट करता है। मदरसा कानून मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक स्तरीय शिक्षा सुनिश्चित करने के प्रदेश सरकार के दायित्व से मेल खाता है ताकि वे बच्चे समाज में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें और अपनी रोजी रोटी कमा सकें। 


    कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून और यह अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21-ए को धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों के साथ मिलाकर पढ़ा जाना चाहिए जिनमें उन्हें अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त है। बोर्ड राज्य सरकार की मंजूरी से धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों का अल्पसंख्यक चरित्र नष्ट किए बगैर वहां जरूरी स्तर की पंथनिरपेक्ष शिक्षा दिए जाने के लिए नियम बना सकता है। 


    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य की विधायिका ऐसा कानून बनाने में सक्षम है और उसे संविधान की तीसरी सूची की 25वीं प्रविष्टि में ऐसा करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में दी गई इस बात को खारिज कर दिया कि पूरा मदरसा एक्ट पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत के विरुद्ध है। 


    शीर्ष अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट के सिर्फ वही प्रविधान गलत हैं जो उच्च शिक्षा जैसे फाजिल और कामिल से संबंधित हैं और इन प्रविधानों को मदरसा एक्ट के बाकी प्रविधानों से अलग किया जा सकता है। यूजीसी एक्ट उच्च शिक्षा के मानकों को नियंत्रित करता है और राज्य का कोई कानून यूजीसी एक्ट के प्रविधानों का उल्लंघन करते हुए उच्च शिक्षा को रेगुलेट नहीं कर सकता। 



    Supreme Court Decision On Madarsa Act
     यूपी के मदरसा ऐक्‍ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी मान्‍यता, हाईकोर्ट के फैसले को किया खारिज, 17 लाख छात्रों को मिली बड़ी राहत


    यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004 लागू किया था। इस साल मार्च में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस एक्‍ट को असंवैधानिक करार दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत के फैसले से 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिल गई है।


    🔴 यूपी के मदरसा ऐक्‍ट को सुप्रीम कोर्ट ने मान्‍यता दे दी है
    🔴 इलाहाबाद हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था
    🔴 सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत


    लखनऊ: यूपी के मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्‍यता प्रदान कर दी है। हाई कोर्ट ने मदरसों पर 2004 में बने यूपी सरकार के कानून को असंवैधानिक करार दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया है।


    अंजुम कादरी की मुख्य याचिका सहित आठ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला गत 22 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट ने इस साल 22 मार्च को ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004’ को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए उसे 'असंवैधानिक' करार दिया था।


    हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को दिया था ये आदेश
    हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को राज्य के अलग-अलग मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004’ को रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश पर पांच अप्रैल को अंतरिम रोक लगाकर करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत दी थी।


    यूपी में 25 हजार से मदरसे चल रहे
    उत्‍तर प्रदेश में करीब 25 हजार मदरसे चल रहे हैं। इनमें से लगभग 16,500 मदरसों ने राज्य मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता ली हुई है। इनमें से 560 मदरसों को सरकारी अनुदान मिलता है। वहीं, करीब 8500 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं।



    यूपी के 17 लाख छात्रों को राहत मिली

    लखनऊ । उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यूपी के 17 लाख छात्रों को राहत मिली है। मदरसा संचालक, उलेमा और मदरसा शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खुशी जाहिर की। मदरसों में मिठाइयां भी बांटी गई।

    हाईकोर्ट के 22 मार्च 2024 को यूपी मदरसा ऐक्ट को अंसवैधानिक करार दिए जाने के बाद से 16 हजार से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर था। यूपी शासन की ओर से पत्र जारी कर मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी विद्यालयों में प्रवेश कराने की तैयारी की जा रही थी। यदि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखता तो मदरसा शिक्षा पूरी तरह खत्म हो जाती। शीर्ष कोर्ट के यूपी मदरसा ऐक्ट की संवैधानिकता बरकरार रखने के आदेश ने 17 लाख बच्चों को सीधे तौर पर राहत दी है। वहीं, अनुदानित मदरसों के 8558 शिक्षको एवं अन्य स्टाफ को राहत मिली है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, कामिल और फाजिल की डिग्री के विषय पर हम वकीलों के साथ मंथन करेंगे और उसके बाद कोई निर्णय लेंगे।


    2004 में अस्तित्व में आया यूपी मदरसा ऐक्ट

    यूपी में 2004 में मुलायम सिंह की सरकार के दौरान अहम शिक्षा संबंधी कानून पारित किया गया। इसके तहत यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई। इसका मकसद मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था। इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, जैसी शिक्षा की व्यवस्था दी गई। इसका पहला मकसद मदरसों में एक संरचित और सुसंगत पाठ्यक्रम सुनिश्चित करना है।

    क्या है मामला?


    हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड को असंवैधानिक बताया

    2023 में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के वकील अंशुमान सिंह राठौर ने मदरसा बोर्ड के खिलाफ रिट दायर की। मार्च 2024 में हाईकोर्ट ने मदरसा बोर्ड को असंवैधानिक बताते हुए मदरसे के बच्चों का प्रवेश सामान्य स्कूलों में कराने का आदेश दिए।


    क्या थी आपत्ति?

    रिट में कहा गया कि मदरसा बोर्ड सेक्युलर नहीं है, सभी पदाधिकारी और सदस्य मुस्लिम होते हैं। इसके साथ ही मदरसा बोर्ड जो कामिल और फाजिल की डिग्री देता है, यह यूजीसी के मानकों का उल्लंघन है।


    मदरसों की दो श्रेणियां

    देश में मदरसों की दो श्रेणियां हैं। पहला मदरसा दरसे निजामी। यह लोगों के चंदे से चलते हैं। यह स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम से नहीं चलते। दूसरा मदरसा दरसे आलिया है। यह राज्य के मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त होते हैं।


    ■ मदारिसे अरबिया और अन्य ने उच्चतम न्यायालय में दी चुनौती
    ■ आदेश को टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने रोक लगाई
    ■ पांच नवंबर को मदरसा ऐक्ट को संवैधानिक करार देने का आदेश दिया। पांच अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगी 
    ■ पांच नवंबर को मदरसा ऐक्ट को संवैधानिक करार देने का आदेश दिया गया


    उप्र सरकार की दलील

    उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह हाई कोर्ट के आदेश को स्वीकार करती है और उसने फैसले को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा उसका पालन होगा। सरकार ने कहा था कि एक्ट के कुछ प्रविधान असंवैधानिक हो सकते हैं। उन्हें रद किया जा सकता है, लेकिन हाई कोर्ट का पूरे मदरसा एक्ट को रद करना ठीक नहीं था।

    उप्र मदरसा बोर्ड के कोर्स

    • तहतानिया (पांचवीं) 
    • फौकानिया (आठवीं) 
    • मुंशी-मौलवी (दसवीं) 
    • आलिम (बारहवीं)
    • कामिल (स्नातक)
    • फाजिल (परास्नातक)

    वीरगाथा 4.0 में अभूतपूर्व प्रदर्शन, 45 लाख से अधिक छात्रों के नामांकन के साथ पूरे देश में यूपी सबसे आगे

    वीरगाथा 4.0 में अभूतपूर्व प्रदर्शन, 45 लाख से अधिक छात्रों के नामांकन के साथ पूरे देश में यूपी सबसे आगे

    वीरगाथा प्रोजेक्ट के नामांकन में यूपी अव्वल

    ■ दिल्ली को दूसरा स्थान, यूपी में हुआ दिल्ली से 27,16,003 अधिक नामांकन 

    ■ यूपी के सभी 75 जिलों में पिछले वर्ष से अधिक नामांकन हुए


    लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वीरगाथा 4.0 प्रोजेक्ट में अभूतपूर्व प्रदर्शन कर देश में पहला स्थान अर्जित कर एक बार फिर खुद को अव्वल साबित किया है। 45 लाख से अधिक छात्रों के नामांकन के साथ पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त करते हुए दिल्ली सरकार को आईना दिखाया है। इस मामले में दिल्ली सरकार को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है।


    इस वर्ष दर्ज हुई 06 लाख 24 हजार 559 की नामांकन वृद्धिः शिक्षा के क्षेत्र में यूपी के इस प्रयास से उत्तर प्रदेश ने 45 लाख 24 हजार 559 छात्रों के नामांकन के लक्ष्य को प्राप्त किया है। यूपी ने पिछले वर्ष के वीरगाथा 3.0 प्रोजेक्ट में 39 लाख के नामांकन की संख्या को पार करते हुए इस वर्ष 6 लाख 24 हजार 559 की वृद्धि दर्ज कराई है। इस वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि हर जिले ने भागीदारी में वृद्धि की है, जिससे यह सफलता संभव हुई है।


    यूपी ने कराया दिल्ली से 27 लाख 16 हजार 03 अधिक नामांकनः वीरगाथा 4.0 प्रोजेक्ट में दिल्ली ने 18 लाख 8 हजार 556 नामांकन के साथ द्वितीय स्थान और बिहार ने 13 लाख 91 हजार 187 नामांकन के साथ तृतीय स्थान प्राप्त किया है। उत्तर प्रदेश ने दिल्ली से 27 लाख 16 हजार 3 और बिहार से 31 लाख 33 हजार 372 अधिक नामांकन कर यह उपलब्धि प्राप्त किया है। आंकड़े बता रहे हैं कि इस वर्ष का नामांकन अब तक का सर्वाधिक है और यूपी के सभी 75 जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक नामांकन हुए हैं।


    क्या है वीरगाथा 4.0 प्रोजेक्ट

    वीरगाथा प्रोजेक्ट, रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय का एक संयुक्त कार्यक्रम है, जिसे 2021 में गैलेंट्री अवार्ड पोर्टल के अंतर्गत शुरू किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य, छात्रों को सशस्त्र बलों के वीर जवानों की प्रेरक कहानियों से जोड़ना है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि इस वर्ष वीरगाथा 4.0 के तहत ऑनलाइन नामांकन 16 सितंबर से 31 अक्तूबर 2024 तक किए गए।

    यूपी बोर्ड में 30 अंक का होगा आंतरिक मूल्यांकन, पाठ्यक्रम में बदलाव और आंतरिक मूल्यांकन के लिये दो दिवसीय कार्यशाला सीमैट में शुरू

    यूपी बोर्ड में 30 अंक का होगा आंतरिक मूल्यांकन, पाठ्यक्रम में बदलाव और आंतरिक मूल्यांकन के लिये दो दिवसीय कार्यशाला सीमैट में शुरू



    प्रयागराज। नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में बदलाव और आंतरिक मूल्यांकन के लिए मंगलवार से दो दिवसीय कार्यशाला सीमैट में शुरू हो गई। पहले दिन आंतरिक मूल्यांकन और क्रेडिट फ्रेमवर्क पर चर्चा हुई। इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि परीक्षा ऐसी हो कि बच्चे का समग्र मूल्यांकन हो। खासकर आंतरिक परीक्षा के मूल्यांकन पर लंबी चर्चा हुई।


    केंद्र सरकार से नई शिक्षा नीति जारी कर दी गई लेकिन अब तक किसी राज्य ने उसे लागू नहीं किया है। हर राज्य में इसे लागू करने को मंथन चल रहा है। यूपी बोर्ड में उस नीति के अनुसार पाठ्यक्रम निर्धारण पर एक कार्यशाला पूर्व में हो चुकी है। दूसरी कार्यशाला अब शुरू हुई है।


     इस कार्यशाला में सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार शामिल हुए। पिछली कार्यशाला पाठ्यक्रम पर फोकस थी। इसमें मूल्यांकन पर जोर दिया गया। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बोर्ड परीक्षा 70 अंकों की होगी और 30 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन होगा। 30 अंकों की परीक्षा तीन बार में कराने की व्यवस्था थी लेकिन विशेषज्ञ इस पर सहमत नहीं।


    विशेषज्ञों ने कहा कि यह परीक्षा 15-15 की अंकों की दो बार में कराई जाए। इसके लिए एक मानक निर्धारित किया जाए और उसी के अनुसार यूपी बोर्ड के सभी विद्यालयों में मूल्यांकन हो। इस मूल्यांकन में पूरा पाठ्यक्रम समाहित होना चाहिए। अध्याय वार अंक भी तय होने चाहिए। 


    क्रेडिट व्यवस्था लागू करने की तैयारी

    नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अब प्रत्येक कक्षा में क्रेडिट दिया जाएगा। क्रेडिट व्यवस्था कक्षा एक से ही लागू होगी लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हुई है। यूपी बोर्ड में 10 विषय पढ़ाने जाने की तैयारी है लेकिन उसके अनुसार संसाधन उपलब्ध होने में समय लग सकता है। इसलिए वर्तमान में पढ़ाए जा रहे छह विषयों के अनुसार ही क्रेडिट व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है। इसका फायदा बच्चे को अगली कक्षा में प्रवेश के लिए मिलेगा। यह भी मूल्यांकन की एक प्रणाली है।

    Tuesday, November 5, 2024

    संस्कृत विद्यालयों-महाविद्यालयों में 1,21,977 विद्यार्थी पंजीकृत, 69,195 विद्यार्थियों के खातों में पहुंची राशि, खातों के फेर में अटकी 52 हजार की छात्रवृत्ति


    संस्कृत विद्यालयों-महाविद्यालयों में 1,21,977 विद्यार्थी पंजीकृत, 69,195 विद्यार्थियों के खातों में पहुंची राशि, खातों के फेर में अटकी 52 हजार की छात्रवृत्ति


    प्रयागराज । संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ रहे 50 हजार से अधिक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति खाते के फेर में फंसी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ऑफलाइन आवेदन की तिथि आठ नवंबर तक बढ़ा दी है, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी आवेदन कर सकें। वर्तमान में कक्षा छह से आचार्य (परास्नातक) तक 1,21,977 विद्यार्थी संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 अक्तूबर को वाराणसी में संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू करते हुए पहले चरण में 69,195 विद्यार्थियों को 2586 लाख की छात्रवृत्ति का वितरण किया था। बचे हुए 52,782 विद्यार्थियों को योजना का लाभ दिलाने के लिए अफसर दिन रात एक किए हुए हैं। 

    पूरा जोर विद्यार्थियों के खाते खुलवाने पर हैं और जिनके खाते नहीं खुल पा रहे हैं उनके अभिभावकों के खाते में सह खाताधारक बनाया जा रहा है। सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम है या पिछली कक्षा में 50 फीसदी कम अंक मिले हैं। आय सीमा का प्रतिबंध नहीं होने के कारण सभी छात्र इस योजना के दायरे में आ रहे हैं।


    सैकड़ों नेपाली छात्रों को भी नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति

    छात्रवृत्ति योजना का लाभ दूसरे देशों के विद्यार्थियों को नहीं मिलेगा। यूपी के गोरखपुर, काशी समेत अन्य जिलों में तकरीबन 300 नेपाली विद्यार्थी संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं। चूंकि छात्रवृत्ति योजना को आधार से जोड़ दिया गया है इसलिए विदेशी छात्र इस दायरे से बाहर हो जाएंगे। इसके अलावा उन विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी जो किसी दूसरी योजना के तहत छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं।



    संस्कृत विद्यार्थियों के खाते में पहुंची छात्रवृत्ति, वंचितों से 8 नवंबर तक मांगे आवेदन

    प्रयागराज : संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आय, जाति के बंधन की सीमा हटाकर संस्कृत विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे मेधावी सभी छात्र- छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी से छात्रवृत्ति का शुभारंभ किया था। उसके बाद सभी जनपदों (विधानसभा उपचुनाव वाले नौ जनपदों को छोड़कर) में जिला विद्यालय निरीक्षकों के माध्यम से 69,195 छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की धनराशि भेजी गई। जो छात्र-छात्राएं छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने से वंचित रह गए थे, उन्हें अवसर देते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने आफलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि आठ नवंबर कर दी है।

    उप शिक्षा निदेशक संस्कृत रामाज्ञा कुमार के अनुसार न्यूनतम 50 प्रतिशत प्राप्तांक और 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले सभी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। शासन ने मांगा खाते में छात्रवृत्ति भेजे जाने का जनपदवार विवरण आफलाइन आवेदन की अंतिम तिथि आठ नवंबर कर दी है

    प्रथम किस्त की छात्रवृत्ति के लिए 5.86 करोड़ रुपये जनपदों के अवमुक्त किए जा चुके हैं। जिला विद्यालय निरीक्षकों से वितरित की गई छात्रवृत्ति का विवरण जुटाया जा रहा है। इसके अलावा जो मेधावी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने से वंचित रह गए थे, उनके आवेदन लेकर जांच प्रक्रिया के बाद 20 नवंबर से पूर्व उनके खाते में भी छात्रवृत्ति प्रेषित की जाएगी। इसके लिए निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं, प्रयागराज पवन कुमार श्रीवास्तव को नोडल अधिकारी बनाया गया है। जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि बढ़ी तिथि के क्रम में कार्यवाही पूर्ण कराते हुए निर्धारित तिथि तक संबंधित विद्यार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति की धनराशि भेजा जाना सुनिश्चित करें।



    संस्कृत विद्यालयों में छात्रवृत्ति आवेदन अब आठ नवंबर तक

    प्रयागराज। संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति आवेदन की तिथि बढ़ा दी गई है। पहले छह से 30 सितंबर तक आवेदन लिए गए थे। अब इसमें आठ नवंबर तक आवेदन किया जा सकता है।


     नौ से 11 नवंबर तक प्रधानाचार्य इसकी जांच करेंगे। इसके बाद 14 से 16 नवंबर तक जिला विद्यालय निरीक्षक आवेदन की जांच करेंगे। 20 नवंबर तक विद्यार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति भेज दी जाएगी।  शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने बताया कि कुछ बच्चे आवेदन नहीं कर पाए थे, इसलिए तिथि बढ़ाई गई है। 

    सीएम डैशबोर्ड से बेसिकशिक्षा विभाग की गतिविधियों पर होगी निगरानी

    सीएम डैशबोर्ड से बेसिकशिक्षा विभाग की गतिविधियों पर होगी निगरानी


    लखनऊ । बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की ड्यूटी कठिन होने वाली है। क्योंकि अब सूबे के परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने वाले करीब लाखों शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक की कार्यशैली और आने जाने के समय पर सीएम सीधे नजर रखेंगे। सीएम की समीक्षा बिंदुओं में भी यह विषय प्रमुखता से शामिल रहा करेगा। दीपावली बाद इस दिशा में सख्त निर्देश और समीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है।


    ■ अब तक की उपस्थिति के आकड़े की भी की जाएगी समीक्षा ■  विद्यालयों में गुरुजनों की कार्यशैली की होगी निगरानी 


    मुख्यमंत्री डैशबोर्ड ने विभाग की सक्रियता और कर्मियों की कार्यप्रणाली को जांचने की तैयारी की है। इसे लेकर संबंधित विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने भी सभी शिक्षकों की उपस्थिति, अनुपस्थिति और उनके स्कूल में पहुंचने के समय आदि संबंधी आंकड़े को जुटाकर पंजिका पर दर्ज करना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि पूर्व में शिक्षकों की उपस्थिति का रजिस्टर आनलाइन किया जाना था। प्रदेशभर में इसे लेकर आंदोलन चला। उसके बाद तीन माह के लिए इस निर्देश को स्थगित कर दिया गया था।



    बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति सीएम डैशबोर्ड में शामिल, उपस्थिति के आंकड़े की होगी समीक्षा

    • मुख्यमंत्री डैशबोर्ड ने फ्लैगशिप के लिए चिह्नित किए अतिरिक्त प्रोजेक्ट

    • दीपावली के बाद स्कूलों में उपस्थिति के आंकड़े की समीक्षा की जाएगी


    प्रयागराज : बेसिक स्कूलों में  जाने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसने वाला है। जो शिक्षक बिना बताए अनुपस्थित हो जाते हैं, वह भी सचेत हो जाएं। किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाएगी। अब मुख्यमंत्री इस पर सीधी निगरानी करेंगे। उनके समीक्षा बिंदुओं में भी यह विषय प्रमुखता से शामिल रहा करेगा। दीपावली बाद इस दिशा में सख्त निर्देश और समीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। स्कूलों में अब तक की उपस्थिति के आंकड़े की भी समीक्षा की जाएगी। खास यह कि प्रकरण में स्थानीय शिक्षा विभाग के कार्यालय की भूमिका सिर्फ ऊपर से प्राप्त आदेश का अनुपालन कराने की रहेगी।


    मुख्यमंत्री डैशबोर्ड ने योजनाओं और परियोजनाओं की निगरानी व मूल्यांकन के लिए चार नए विभागों को शामिल किया है। इसमें सामाजिक कल्याण और सरकारी मंत्रालयों द्वारा चलाए जा रहे दसवीं से पहले और दसवीं से बाद दी जाने वाली छात्रवृत्ति, बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति, खाद्य आपूर्ति विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण से संबंधित धान खरीद के लिए शुरू की गई योजना पैडी प्रिक्योरमेंट स्कीम व चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित परिवार नियोजन, जननी सुरक्षा योजना में भुगतान संबंधी मामलों के साथ गोल्ड कार्ड धारकों के पंजीयन संबंधी प्रकरण व स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन योजना में क्लेम को लेकर आ रही परेशानियों व उससे संबंधित शिकायतों के निस्तारण आदि के साथ फर्स्ट रेफरल यूनिट संबंधी मामले पर भी समीक्षा होगी।

    विभाग की सक्रियता कर्मियों की कार्यप्रणाली को जांचा जाएगा। इसे लेकर संबंधित विभागों ने तैयारी शुरू कर दी है। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने भी सभी शिक्षकों की उपस्थिति, अनुपस्थिति और उनके स्कूल में पहुंचने के समय आदि संबंधी आंकड़े को जुटाकर पंजिका पर दर्ज करना शुरू कर दिया है। 

    गौरतलब है कि पूर्व में शिक्षकों की उपस्थिति का रजिस्टर आनलाइन किया जाना था। प्रदेशभर में इसे लेकर आंदोलन चला। उसके बाद तीन माह के लिए इस निर्देश को स्थगित कर दिया गया था। अब शासन ने और बड़े स्तर से शिक्षकों की कार्यप्रणाली को सुधारने व उनके स्कूलों में योगदान से बच्चों को मिलने वाले लाभ का मूल्यांकन का निर्णय लिया है। डैसबोर्ड में किस तरह की समीक्षा और मूल्यांकन होगा अभी साफ नहीं है। यह जरूर है कि अनुपस्थिति जैसे बिंदु व समय का अनुपालन न करने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी।

    स्कूलों के विलय को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग का यू-टर्न, विपक्ष की घेराबंदी के बाद विलय के प्रस्ताव से पीछे हटा विभाग, विद्यालयों के विलय पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने दी सफाई

    स्कूलों के विलय को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग का यू-टर्न, विपक्ष की घेराबंदी के बाद विलय के प्रस्ताव से पीछे हटा विभाग, विद्यालयों के विलय पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने दी सफाई


    लखनऊ : प्रदेश में 50 या उससे कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का पास के दूसरे परिषदीय व प्राथमिक स्कूलों में विलय अब नहीं किया जाएगा। स्कूलों का विलय किए जाने से संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद शुरू हुए राजनीतिक रविरोध को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने इस प्रस्ताव को फिलहाल स्थगित कर दिया है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के घेरने के बाद विभाग बैकफुट पर आ गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद अब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा व आम आदमी पार्टी (आप) के उप्र प्रभारी संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा तो अब विभाग इस पर सफाई दे रहा है।


    बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर और महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सोमवार को लिखित सफाई दी गई कि किसी भी स्कूल को बंद कर उसे पास के दूसरे विद्यालय में विलय करने की कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है। ऐसे में 27,764 स्कूलों को बंद कर उनका पास के विद्यालयों में विलय नहीं किया जाएगा।


    बीती 23 अक्टूबर को मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक का 13 पृष्ठों का जो कार्यवृत्त महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से जारी किया गया है, उसमें दूसरे पृष्ठ पर 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को दूसरे विद्यालयों में विलय करने के लिए किन-किन चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए और आगे 13 व 14 नवंबर से सभी जिलों में बैठक कर प्रस्ताव तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा के हस्ताक्षर से ही 30 अक्टूबर की तारीख में कार्यवृत्त जारी किया गया है। फिलहाल विरोध बढ़ने के बाद अब इस पर लीपापोती की जा रही है।



    विद्यालयों को मर्ज करने के मामले से पीछे हटा बेसिक शिक्षा विभाग, कहा- विभाग की ऐसी कोई योजना नहीं, स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने पर जोर


    लखनऊ। प्रदेश के 50 से कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के मर्ज करने के मामले में बेसिक शिक्षा विभाग सोमवार को बैकफुट आ गया। बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद सोमवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी व आप के सांसद संजय सिंह ने इस मामले में प्रदेश सरकार को घेरा। इसके बाद विभाग ने इस मामले पर अपनी सफाई जारी की।


    विभाग के आधिकारिक एक्स एकाउंट से ट्वीट किया गया कि प्राथमिक विद्यालयों को पास के विद्यालयों में विलय (मर्ज) करने की बात भ्रामक व निराधार है। किसी भी विद्यालय को बंद किए जाने की कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है। प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा विभाग विद्यालयों में मानव संसाधन और आधारभूत सुविधाओं के विकास, शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने तथा छात्रों, विशेषकर बालिकाओ के, ड्राप आउट दर को कम करने के लिए प्रयत्न कर रहा है।


    महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में कायाकल्प, निपुण, प्रेरणा आदि योजनाओं के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति व सुधार हुए हैं। विभाग के लिए प्रदेश के छात्रों का हित सर्वोपरि है। हम विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

    पदोन्नति में बीईओ का कोटा बढ़ाने का विरोध

    पदोन्नति में बीईओ का कोटा बढ़ाने का विरोध

    ■ राजकीय शिक्षक संघ ने लोक सेवा आयोग को भेजा पत्र

    ■ राजकीय विद्यालयों की शिक्षिकाओं ने कोर्ट में की है याचिकाएं


    प्रयागराज । प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज एवं समकक्ष पदों पर पदोन्नति में खंड शिक्षा अधिकारी संवर्ग का कोटा बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध तेज हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ के बीपी सिंह गुट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्यालय में सोमवार को अध्यक्ष को संबोधित ज्ञापन सौंपा।


    राजकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाओं और खंड शिक्षाधिकारियों ने पद बढ़ने के कारण क्लास टू (बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं समकक्ष) पदों पर पदोन्नति का कोटा बढ़ाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं की हैं। पदोन्नति के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत पदों को भरने के लिए पहले अधीनस्थ राजपत्रित (प्रधानाध्यापक) पुरुष संवर्ग व महिला संवर्ग और निरीक्षण शाखा में कार्यरत अधिकारियों का कोटा क्रमशः 61, 22 व 17 प्रतिशत था। अब इसे क्रमशः 33, 33 व 34 प्रतिशत करने की तैयारी है। 


    बीपी सिंह गुट के प्रांतीय महामंत्री डॉ. रवि भूषण का कहना है कि प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज का पद शैक्षिक संवर्ग का है और उक्त पद 50% सीधी भर्ती तथा 50% पदोन्नति के माध्यम से भरा जाता है। इन पदों पर भर्ती के लिए न्यूनतम तीन वर्ष का अध्यापन अनुभव अनिवार्य है। जबकि खंड शिक्षा अधिकारी पद निरीक्षण शाखा का है और उनके पास अध्यापन अनुभव भी नहीं होता। इसलिए खंड शिक्षा अधिकारी संवर्ग, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज पदों पर पदोन्नति के लिए पूरी तरह से अनर्ह है। इनको प्रधानाचार्य जीआईसी समूह ख उच्चतर / समकक्ष पदों पर पदोन्नति में कोई कोटा न दिया जाए अन्यथा संगठन को न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा।

    हाईकोर्ट में अपील नहीं करने से डीएलएड की काउंसलिंग रुकी, डीएलएड की अर्हता इंटर करने का हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

    हाईकोर्ट में अपील नहीं करने से डीएलएड की काउंसलिंग रुकी, डीएलएड की अर्हता इंटर करने का हाईकोर्ट ने दिया था आदेश


    प्रयागराज। डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) में प्रवेश के लिए आवेदन ले लिए गए हैं, लेकिन अर्हता विवाद के चलते काउंसलिंग प्रक्रिया रुकी है। इसकी अर्हता स्नातक है, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे इंटरमीडिएट करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ पीएनपी को अपील करना है। अपील में देरी के चलते आगे की प्रक्रिया ठप है।


    डीएलएड के दो वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएपी) ने 18 सितंबर से 15 अक्तूबर तक ऑनलाइन आवेदन लिया था। इस कोर्स के लिए सरकारी और निजी विद्यालयों में कुल 2.28 लाख सीटें के सापेक्ष 3.26 लाख आवेदन आए। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 16 अक्तूबर को मेरिट जारी होनी थी। उसके बाद 17 से 30 अक्तूबर तक काउंसलिंग व विद्यालय आवंटन होना था। 10 दिसंबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करके 12 दिसंबर से प्रशिक्षण शुरू हो जाना था।


    आवेदन के दौरान ही अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में हाई कोर्ट के आदेश चलते काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। दरअसल, यशांक खंडेलवाल समेत कई लोगों ने डीएलएड की अर्हता को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि डीएलएड स्पेशल कोर्स (दिव्यागं बच्चों को पढ़ाने के लिए) की योग्यता इंटरमीडिएट है। इसलिए डीएलएड के लिए भी इंटरमीडिएट होना चाहिए। प्रदेश में एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग अर्हता उचित नहीं है। इस पर कोर्ट ने डीएलएड के लिए इंटरमीडिएट अर्हता निर्धारित कर दी।


    वहीं, पीएनपी के अफसरों ने बताया कि नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के अनुसार डीएलएड की योग्यता 1998 से स्नातक निर्धारित है। उसी आधार पर प्रवेश लिया जा रहा है। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पीएनपी को अपील करना था। इसके लिए विधिक राय ली जा रही थी। अब तक अपील न होने से डीएलएड का सत्र देर से शुरू होगा। 




    यूपी डीएलएड के आवेदन पूरे पर प्रवेश प्रक्रिया फंसी, कोर्ट ने 12वीं पास को प्रवेश में अवसर देने का दिया है आदेश

    बेसिक शिक्षा विभाग आदेश के खिलाफ अपील तक न कर सका दाखिले के लिए काउंसिलिंग का कोई कार्यक्रम जारी नहीं

    कोर्ट के आदेश के खिलाफ विभाग ने अपील के लिए विधिक राय मांगी थी


    प्रयागराज । डीएलएड प्रशिक्षण 2024 के दूसरे चरण के आवेदन पूरे हो चुके हैं लेकिन प्रवेश की काउंसिलिंग का कोई कार्यक्रम तय नहीं है। हाईकोर्ट ने पिछले महीने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुरूप 12वीं पास अभ्यर्थियों को डीएलएड में प्रवेश का मौका देने के आदेश दिए थे। बेसिक शिक्षा विभाग न तो अब तक इस आदेश के खिलाफ अपील कर सका है और न ही 12 वीं पास अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन ही आमंत्रित किए जा सके हैं।


    जो अब तक मिल नहीं सकी है। यही कारण है कि सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकी है। आज की तारीख में सिंगल बेंच का आदेश प्रभावी है और यदि 12वीं पास अभ्यर्थियों को आवेदन का दिए बगैर प्रवेश प्रक्रिया शुरू होती है तो हाईकोर्ट की अवमानना हो जाएगी। प्रवेश के लिए काउंसिलिंग नहीं होती तो प्रशिक्षण शुरू होने में देरी होगी जो पहले से काफी लेट हो चुका है। 


    पिछले साल डीएलएड में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन दो जून से शुरू हुए थे जबकि इस साल 18 सितंबर से आवेदन लिए गए। वर्तमान परिस्थितियों से एक बात तो साफ है कि नौ सितंबर के आदेश के अनुसार डीएलएड का प्रशिक्षण 12 दिसंबर को शुरू होना नामुमकिन है।


    2.33 लाख सीटों पर 3,25,440 दावेदार

    प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) की 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए 325440 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। दूसरे चरण के ऑनलाइन आवेदन में 354904 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था। इनमें से 327241 ने फीस जमा की, 325440 ने अंतिम रूप से आवेदन किया।

    उप्र मदरसा कानून रद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

    उप्र मदरसा कानून रद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस कानून को घोषित किया था असंवैधानिक


    नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश मदरसा कानून रद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुना सकता है। इस निर्णय से स्पष्ट हो जाएगा कि उप्र मदरसा बोर्ड संवैधानिक है या नहीं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसों से संबंधित उत्तर प्रदेश सरकार के कानून को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे रद कर दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। 


    प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अंजुम कादरी द्वारा दायर याचिका सहित आठ याचिकाओं पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला 22 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था।


     इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को इस कानून को "असंवैधानिक" और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला घोषित किया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मदरसा छात्रों को औपचारिक स्कूली शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर पहले ही अंतरिम रोक लगा दी थी।

    लखनऊ में अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय का परिसर खोलने के लिए दी जाएगी मुफ्त जमीन, 45 वर्षों से किराये के भवन में चल रहा केंद्रीय विवि का परिसर

    लखनऊ में अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय का परिसर खोलने के लिए दी जाएगी मुफ्त जमीन

    • राजधानी के सरोजनीनगर क्षेत्र में 2.32 हेक्टेयर भूमि देने का निर्णय
    • 45 वर्षों से किराये के भवन में चल रहा केंद्रीय विवि का परिसर


    लखनऊ : अग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय का क्षेत्रीय परिसर खोलने के लिए राजधानी में मुफ्त जमीन दी जाएगी। राज्य सरकार ने इसके लिए सरोजनीनगर क्षेत्र के चकौली गांव में 2.32 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की है। सोमवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। हैदराबाद स्थित इस केंद्रीय विश्वविद्यालय का परिसर लखनऊ में बनने से हर साल करीब ढाई हजार विद्यार्थी यहां विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर सकेंगे। छात्रों को विदेश में भी नौकरी का अवसर मिल सकेगा। मुफ्त में दी जाने वाली इस जमीन का सर्किल रेट के आधार पर मूल्य 9.29 करोड़ रुपये है।


    अग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय का क्षेत्रीय परिसर वर्ष 1979 में राजधानी के मोती महल परिसर में किराये के भवन में खोला गया था। डेढ़ वर्ष पूर्व इसे यहां से कानपुर रोड स्थित बीएसएनएल के आरटीटीसी कांप्लेक्स में स्थानांतरित कर दिया गया है। यहां स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों को भवन, पुस्तकालय, सड़क और उपकरण इत्यादि खरीदने के लिए ही धनराशि दी जाती है, लेकिन जमीन खरीदने के लिए धन नहीं दिया जाता। अब राज्य सरकार की ओर से मुफ्त जमीन देने के निर्णय से लखनऊ में 45 वर्षों बाद इस केंद्रीय विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय परिसर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।


    बेसिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर विपक्ष हुआ हमलावर, मायावती के बाद अखिलेश, प्रियंका और आप ने भी उठाए सवाल

    बेसिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर विपक्ष हुआ हमलावर, मायावती के बाद अखिलेश, प्रियंका और आप ने भी उठाए सवाल


    सरकार के निर्णय से रुक जाएगी गरीव वच्चों की पढ़ाई: अखिलेश

    सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से गरीव वच्चों की पढ़ाई रुक जाएगी। भाजपा सरकार स्कूलों में व्यवस्था सुधारने की बजाए 27,764 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों को बंद करने का षड़यंत्र कर रही है। सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे तो अभिभावक के पास निजी स्कूलों में वच्चों को भेजने को मजबूर होंगे।


    निर्णय दलित, पिछड़े व गरीबों के खिलाफ : प्रियंका

    कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कांग्रेस बाकी ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया कि उन की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी व जूनियर हाई स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ- साथ दलित, पिछड़े, कानून लाई थी, जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि ✓ में एक प्राइमरी स्कूल हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो सके। 


    कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि जनता का कल्याण करना है। भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो। गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है। यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार को छीनना चाहती हैं।



    आप निर्णय के विरोध में नौ को करेगी प्रदर्शन: संजय सिंह

    आप के उम्र प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है। यह निर्णय दलित, पिछड़े, गरीब व आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अच्छी व्यवस्था नहीं होगी तभी छात्रों का इन स्कूलों से मोहभंग हुआ होगा। पहले भी ऐसे 26 हजार स्कूलों का विलय कर उन्हें कंपोजिट स्कूल बनाया जा चुका है। नौ नवंबर को आप पूरे प्रदेश में इसके विरोध में प्रदर्शन करेगी।



    50 से कम संख्या वाले परिषदीय स्कूल बंद करने से गरीबों के बच्चों का नुकसान – मायावती 

    लखनऊ । बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य सरकार के 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के फैसले को गलत करार देते हुए कहा है कि ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां पढ़ेंगे। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के बजाय जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने का उपाय करना चाहिए।

    यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकंडरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है। इस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं।


    बसपा प्रमुख ने कहा, गरीब बच्चे कहां जाएंगे
     50 से कम छात्रों वाले स्कूलों बंद करना गलत उन्होंने कहा है कि ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित है। सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है, लेकिन सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं है।




    हजारों स्कूलों को बंद करने का फैसला उचित नहीं : मायावती

    लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का फैसला उचित नहीं है। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे। राज्य सरकार को दूसरे स्कूलों में उनका विलय करने के बजाय उनमें जरूरी सुधार करके बेहतर बनाने के उपाय करने चाहिए। बसपा सुप्रीमो ने रविवार को सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा कि यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकंडरी शिक्षा का बुरा हाल है। इसकी वजह से गरीब परिवारों के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा से दूर होने के साथ सही शिक्षा से भी वंचित हैं। ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का फैसला भी अनुचित है। सरकारों की इसी गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं। जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है, लेकिन सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनका बंद करना ठीक नहीं है।



    प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का विरोध

    कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. सुधांशु बाजपेयी ने प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का विरोध किया है। जारी बयान में उन्होंने कहा कि 27 हजार प्राथमिक विद्यालयों को बंद करना प्रदेश की गरीब जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सरोकारों से दूर जाति-धर्म नफरत के आधार पर वोट हासिल करने का प्रयास कर रही है। 

    Monday, November 4, 2024

    पढ़ाएं या 12 ऐप में ब्योरा भरते रहें 'मास्टर जी'? परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का अधिकांश समय बाबूगिरी में रहा बीत

    पढ़ाएं या 12 ऐप में ब्योरा भरते रहें 'मास्टर जी'? परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का अधिकांश समय बाबूगिरी में रहा बीत


    लखनऊ । प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों का अधिकांश समय बाबूगिरी में बीत रहा है। कक्षा में बच्चों को पढ़ाने की फुर्सत नहीं है। 12 तरह की विभागीय ऐप में ब्योरा अपलोड करने में दिन बीत रहा है। शिक्षकों के लिए ये ऐप सुविधा की बजाय बच्चों की पढ़ाई में अचड़न बन गए हैं। 


    शिक्षकों का स्कूल के समय मोबाइल व टैबलेट ऑनलाइन ही रहता है। बच्चों के नामांकन, रिपोर्ट कार्ड, आधार लिंक, बच्चों व अभिभावकों का ब्योरा, बैंक डिटेल ऑन लाइन करना, दिव्यांग बच्चों की उपस्थिति से लेकर निपुण भारत समेत अन्य की फीडिंग ऑन लाइन करनी होती है। समीक्षा में सूचना समय से न भेजने पर शिक्षकों के वेतन रोकने समेत कई तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। 


    बेसिक शिक्षा विभाग में मौजूदा समय में हर काम ऑनलाइन हो रहा है। हर काम के लिए एक अलग से मोबाइल ऐप या ऑनलाइन पोर्टल बना हुआ है। सभी शिक्षकों को यू डाइस में हर बच्चे की 52 बिन्दुओं पर सूचना भरनी होती है। इसके अलावा नामांकन, निपुण, स्कूल में कायाकल्प से लेकर बच्चों से जुड़ी हर जानकारी इन्हीं ऐप और पोर्टल के माध्यम से विभाग को भेजनी होती है। शिक्षकों के सामने पढ़ाने के साथ ही समय-समय पर स्कूल की गतिविधियों सहित रोज की जानकारी मुहैया कराना चुनौती से कम नहीं है।


    ये हैं ऐप और पोर्टल

    बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रेरणा डीबीटी, दीक्षा, डीबीटी, निपुण, रेड एलोंग, समर्थ, पीएफएमएस, मिशन प्ररेणा, शारदा, पोर्टल जैसे ऐप में शिक्षकों को डिटेल अपलोड करनी होती है। छह ऐप में रोज कुछ न कुछ सूचना भेजनी होती है। इनमें रीड एलोंग ऐप, निपुण, प्रेरणा, डीबीटी, समर्थ, प्रेरणा यूपी डॉट इन आदि शामिल हैं। वहीं अन्य ऐप का इस्तेमाल जुलाई से सितम्बर व अप्रैल व मार्च में करना पडता है। शिक्षकों को ऐप व पोर्टल का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की बड़ी समस्या है। ऐसे में दिक्कतें भी होती हैं।

    Sunday, November 3, 2024

    यूपी बोर्ड : विद्यार्थियों के पास है 12 नवम्बर तक आवेदन में संशोधन का मौका

    यूपी बोर्ड : विद्यार्थियों के पास है 12 नवम्बर तक आवेदन में संशोधन का मौका

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड 2025 की परीक्षा देने वाले हाईस्कूल और इंटरमीडिएट विद्यार्थी आवेदन पत्रों में संशोधन कर सकते हैं। 12 नंवबर की आधी रात तक यूपी बोर्ड की वेबसाइट खुली रहेगी। इसमें छह तरह के संशोधन हो सकेंगे। नाम में केवल वर्तनी की त्रुटियों में ही सुधार किया जा सकेगा। बोर्ड परीक्षा का फार्म भरते समय अक्सर नाम की वर्तनी में त्रुटि रह जाती है। यह प्रक्रिया प्रधानाचार्य की लॉगिन से ही होगी। संशोधन में पूरा नाम नहीं बदला जा सकेगा। संशोधन की गाइडलाइन यूपी बोर्ड से सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेज दी गई है।


    परीक्षार्थियों के आवेदन में संशोधन आज से 12 नवम्बर तक, आठ तरह की त्रुटियां प्रधानाचार्य सुधारेंगे, तीन सुधारेगा यूपी बोर्ड


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके विद्यार्थियों के आवेदन में कोई त्रुटि होने पर उसे संशोधित किया जा सकेगा। इसके लिए 25 अक्तूबर से 12 नवंबर की आधी रात तक यूपी बोर्ड की वेबसाइट https://upmsp.edu.in खुली रहेगी।


    इसमें छह तरह के संशोधन हो सकेंगे। नाम में केवल वर्तनी की त्रुटियों में ही सुधार किया जा सकेगा। बोर्ड परीक्षा का फार्म भरते समय अक्सर नाम की वर्तनी में त्रुटि रह जाती है। परिणाम निकलने के बाद उसे संशोधित करवाने के लिए विद्यार्थियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसी समस्या न आए, इसलिए पिछले वर्ष फार्म भरवाने के बाद नाम की वर्तनी में सुधार करवाया गया था।

    माध्यामकशिक्षा परिषद (उ.प्र) लिए शुक्रवार से वेबसाइट खुल जाएगी। यह प्रक्रिया प्रधानाचार्य के लाग इन से ही होगा। संशोधन में पूरा नाम नहीं बदला जा सकेगा। इस बार 10वीं में 27,32,225 और 12वीं में 26,90,695 विद्यार्थियों यानी कुल 54,22,920 विद्यार्थियों ने आवेदन किया है।

    यह किया जा सकेगा संशोधन यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि छह तरह के संशोधन करवाए जा सकेंगे। विद्यार्थी के नाम, पिता या माता के इस बार भी वैसे ही संशोधन के नाम की वर्तनी में त्रुटि होने पर पर उसे सुधारा जा सकेगा। इसके अलावा विषय या वर्ग में, जेंडर में, जाति में, फोटो और कक्षा 11 के पंजीकरण में अंकित हाईस्कूल के त्रुटिपूर्ण अनुक्रमांक में त्रुटि होने पर संशोधन किया जा सकेगा। 

    सचिव ने बताया कि यदि बच्चे के जन्मतिथि, नाम, पिता या माता के पूर्ण नाम में संशोधन करवाना है तो ऑफलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए छात्र का प्रवेश आवेदन पत्र, एसआर रजिस्टर की प्रमाणित प्रति, उपस्थिति पंजिका की प्रमाणित प्रति, पहचान पत्र, पंजीकरण कार्ड की प्रतिलिपि, हलफनामा, टीसी और प्रधानाचार्य से प्रतिहस्ताक्षरित आवेदन डीआईओएस कार्यालय में 15 नवंबर तक जमा करवाने होंगे। यह प्रक्रिया प्रधानाचार्य के जरिए होगी। उसके बाद संशोधन किया जा सकेगा।



    आठ तरह की त्रुटियां प्रधानाचार्य सुधारेंगे, तीन सुधारेगा यूपी बोर्ड

    प्रयागराजः यूपी बोर्ड ने वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्र-छात्राओं के विवरण में किसी तरह की त्रुटि होने पर उसे सुधारने का अंतिम अवसर दिया है। परीक्षार्थियों की नामावली यानी विवरण में हुई आठ तरह की त्रुटियां विद्यालय स्तर पर सुधारी जा सकेंगी, जबकि तीन तरह की त्रुटियों में सुधार के लिए संबंधित आवश्यक प्रपत्र के साथ प्रधानाचार्यों को आख्या जिला विद्यालय निरीक्षक को उपलब्ध करानी होगी।

    छात्र-छात्राओं के विवरण का परीक्षण कर त्रुटि होने पर सुधार करने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट को 25 अक्टूबर से 12 नवंबर की मध्य रात्रि तक के लिए क्रियाशील किया गया है। इसमें विषय/वर्ग, छात्र के नाम, माता/पिता के नाम में वर्तनी त्रुटि, जेंडर, जाति, फोटो तथा कक्षा 11 के पंजीकरण में अंकित हाईस्कूल के त्रुटिपूर्ण अनुक्रमांक को विद्यालयों के प्रधानाचार्य वेबसाइट पर लागइन कर तय समय सीमा में संशोधित कर सकेंगे। 

    इसके अलावा छात्र-छात्राओं की जन्मतिथि में संशोधन, छात्र/माता/पिता के पूर्ण नाम में संशोधन तथा छात्र-छात्राओं के विवरण को नियमानुसार डिलीट/ रिस्टोर करने के प्रकरणों में आफलाइन माध्यम से प्रधानाचार्य सभी आवश्यक प्रपत्र के साथ आख्या डीआइओएस को भेजेंगे।

    98% स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय होने का केंद्र सरकार का दावा, सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी

    98% स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय होने का केंद्र सरकार का दावा, सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी 


    नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देशभर के 97.5 फीसदी से अधिक स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इनमें सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त व निजी स्कूल शामिल हैं।

     केंद्र ने कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर की लंबित जनहित याचिका में हलफनामा दायर किया है। जया ठाकुर ने केंद्र व राज्यों को कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की है।


     केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया है कि दिल्ली, गोवा व पुद्दुचेरी जैसे राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने 100 फीसदी लक्ष्य हासिल करते हुए अदालत के पहले के आदेशों का पालन किया है। 

    केंद्र ने यह भी बताया है कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख व लड़कियों के लिए 17.5 लाख शौचालय बनाए गए हैं। सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कों के लिए 2.5 लाख और लड़कियों के लिए 2.9 लाख शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं।

    आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी, 10 नवंबर को परीक्षा, प्रदेशभर में 378 केंद्र बनाए गए

    आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी, 10 नवंबर को परीक्षा, प्रदेशभर में 378 केंद्र बनाए गए


    प्रयागराज। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी कर दिया गया है। वेबसाइट http://entdata.co.in पर प्रवेश पत्र डाउनलोड किया जा सकता है। परीक्षा 10 नवंबर को होगी। इसके लिए प्रदेशभर में 378 केंद्र बनाए गए हैं। प्रयागराज में इसके 10 केंद्र हैं।


    पांच अगस्त से 28 सितंबर तक इसके ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। आठवीं में पढ़ाई करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के प्रदेशभर से 1,57,013 मेधावियों ने आवेदन किया है। अगले रविवार को इसकी परीक्षा होगी।


    तीन घंटे की परीक्षा सुबह 10 से एक बजे तक होगी। इसमें सामान्य ज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पूछे जाएंगे। इस बार परीक्षा में ओएमआर शीट पर उत्तर देने होंगे। परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की ओर से यह परीक्षा कराई जाएगी। इसमें सफल होने वाले प्रदेशभर के 15,143 बच्चे को छात्रवृत्ति दी जाएगी। यह छात्रवृत्ति उन्हें नौवीं से 12वीं तक हर महीने एक हजार रुपये मिलेगी।



    UP NMMS Scholarship 2025: UP NMMS स्कॉलरशिप का एडमिट कार्ड जारी, ऐसे करें डाउनलोड; इस दिन होगी परीक्षा


    UP NMMS Scholarship 2025: यूपी एनएमएमएस छात्रवृति के लिए होने वाली परीक्षा का एडमिट कार्ड जारी कर दिया गया है। उम्मीदवार नीचे बताए तरीके से अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।


    UP NMMS Scholarship 2025: उत्तर प्रदेश नेशनल मीन्स-कम-मेरिट स्कॉलरशिप एडमिट कार्ड 2025 आज, यानी 01 नवंबर को ऑनलाइन जारी कर दिया गया है। स्कॉलरशिप परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्र आधिकारिक वेबसाइट - entdata.co.in के माध्यम से नीचे बताए स्टेप्स को फॉलो करके अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।


    इनकी मदद से डाउनलोड होगा एडमिट कार्ड
    शेड्यूल के अनुसार, एनएमएमएस छात्रवृत्ति परीक्षा 10 नवंबर, 2024 को आयोजित होने वाली है। छात्र एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए अपने लॉगिन विवरण जैसे पंजीकरण आईडी और मोबाइल नंबर का उपयोग कर सकते हैं।


    इतनी मिलेगी छात्रवृति
    चयनित छात्रों को कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई के दौरान प्रति वर्ष 12,000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। जो छात्र सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, स्थानीय निकाय परिषद स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ रहे हैं, वे छात्रवृत्ति योजना के लिए पात्र होंगे। साथ ही छात्रों की पारिवारिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

    जिन छात्रों ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में न्यूनतम 55% कुल अंकों के साथ कक्षा 7 उत्तीर्ण की है, वे छात्रवृत्ति के लिए पात्र हैं। जबकि एससी, एसटी छात्रों को न्यूनतम उत्तीर्ण अंक मानदंड में 5% की छूट मिलेगी।

    पेपर का प्रकार
    एनएमएमएस परीक्षा में दो खंड होंगे। पहला - मानसिक योग्यता परीक्षण (एमएटी) और दूसरा - स्कोलास्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (एसएटी)। प्रत्येक में 90 बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे। प्रत्येक पेपर 90 मिनट की अवधि का होगा। विकलांग बच्चों को नियमानुसार अतिरिक्त समय दिया जाता है। परीक्षा में गलत उत्तरों के लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं है।


    ऐसे डाउनलोड करें एडमिट कार्ड

    आधिकारिक वेबसाइट - entdata.co.in पर जाएं।

    होमपेज पर उपलब्ध “एनएमएमएस यूपी छात्रवृत्ति एडमिट कार्ड डाउनलोड” लिंक पर क्लिक करें।

    आवेदन संख्या और फोन नंबर जैसे विवरण दर्ज करें

    "सबमिट" बटन पर क्लिक करें

    आगे के संदर्भ के लिए डाउनलोड करें और प्रिंटआउट लें।


    अन्यथा सीधे इस लिंक पर जाकर डिटेल भरकर प्रवेश पत्र डाउनलोड करें। 

    Saturday, November 2, 2024

    JNVST : नवोदय विद्यालय 9वीं 11वीं की खाली सीटों पर एडमिशन की अंतिम तिथि बढ़ी

    JNVST : नवोदय विद्यालय 9वीं 11वीं की खाली सीटों पर एडमिशन की अंतिम तिथि बढ़ी

    JNVST Admission 2025: नवोदय विद्यालय में लेट्रल एंट्री के तहत कक्षा 9वीं और 11वीं की खाली सीटों पर दाखिले के लिए आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। अब 9 नवंबर 2024 तक आवेदन किया जा सकता है।


    JNVST Admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) ने जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं की खाली सीटों पर दाखिले के लिए आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। अब 9 नवंबर 2024 तक आवेदन किया जा सकता है। पहले आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2024 थी। 9वीं में दाखिले के आवेदन के लिए https://cbseitms.nic.in/2024/nvsix पर और 11वीं के लिए https://cbseitms.nic.in/2024/nvsxi_11/ पर जाना होगा।

    नवोदय विद्यालय 9वीं 11वीं में लेट्रल एंट्री दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा अगले साल 8 फरवरी को आयोजित की जाएगी। नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं की यह लैटरल एंट्री चयन परीक्षा 2025 होगी।

    योग्यता
    नौवीं कक्षा के लिए अभ्यर्थी का जन्म 01 मई 2010 से 31 जुलाई 2012 के बीच होना चाहिए. अभ्यर्थी सत्र 2024-25 में कक्षा आठवीं में अध्ययनरत भी होना चाहिए। इसी तरह 11वीं कक्षा में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी का जन्म 01 जून 2008 से 31 जुलाई 2010 के बीच होना चाहिए। यहां भी अभ्यर्थी सत्र 2024-25 में कक्षा 10वीं में अध्ययनरत होना चाहिए।

    नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा पैटर्न भी घोषित हो गया है। परीक्षा की अवधि ढाई घंटे होगी। दिव्यांग (विभिन्न रूप से सक्षम) छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट का समय दिया जाएगा। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न होंगे। परीक्षा में मेंटल एबिलिटी, इंग्लिश, साइंस, सोशल साइंस और मैथमेटिक्स से प्रश्न आएंगे। सभी सेक्शन से 20-20 प्रश्न होंगे। हर सवाल एक अंक का होगा।




    आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण कक्षा 9 एवं 11 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु NVS ने नए लिंक जारी किए


    नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2024 – शिक्षा मंत्रालय (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) के अधीनस्थ नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा 9 और 11 में पार्श्व प्रवेश चयन परीक्षा 2025 (LEST) के माध्यम से प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। 

    नवोदय विद्यालय समिति की आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण, इच्छुक उम्मीदवारों को आवेदन करने में कठिनाई हो रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए एनवीएस ने नए लिंक जारी किए हैं, जिनके माध्यम से छात्र बिना किसी शुल्क के आवेदन कर सकते हैं।


    कक्षा 9 एवं 11 के लिए आवेदन लिंक

    🔴 कक्षा 9 LEST 2025 के लिए

    🔴 कक्षा 11 LEST 2025 के लिए 


    महत्वपूर्ण जानकारी 
    नवोदय विद्यालय समिति ने यह कदम छात्रों की सुविधा के लिए उठाया है, ताकि उन्हें आवेदन करने में कोई कठिनाई न हो। पार्श्व प्रवेश के माध्यम से कक्षा 9 और 11 में चयन परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। 

    इस परीक्षा में सफल छात्रों को देशभर के नवोदय विद्यालयों में प्रवेश मिलेगा, जहाँ उन्हें निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा दी जाती है। नवोदय विद्यालय समिति के स्कूलों में पढ़ाई का स्तर उच्च है और यहां प्रवेश पाना विद्यार्थियों के लिए एक स्वर्णिम अवसर माना जाता है।


    समिति का निर्देश
    समिति ने सभी उम्मीदवारों से अनुरोध किया है कि वे दिए गए लिंक का उपयोग कर समय पर अपने आवेदन जमा करें, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि और परीक्षा की तिथि जल्द ही समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी।

    अतः, इच्छुक छात्र और उनके अभिभावक तुरंत आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नवोदय विद्यालय समिति द्वारा जारी किए गए लिंक का उपयोग करें।




    नवोदय विद्यालय में 9वीं और 11वीं की प्रवेश के लिए आवेदन शुरू, 30 अक्तूबर आवेदन की अंतिम तिथि

    जवाहर नवोदय विद्यालय में शैक्षिक सत्र 2025-26 में नौवीं और 11वीं में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। 30 अक्तूबर तक आवेदन की अंतिम तिथि है। प्रवेश परीक्षा आठ फरवरी 2025 में होगी। इसके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। इच्छुक छात्र-छात्राओं के अभिभावक एनवीएस की आधिकारिक वेबसाइट https://navodaya.gov.in पर जाकर सात अक्तूबर तक ऑनलाइन आवेदन कर फॉर्म भर सकते हैं। उन्होंने बताया कि छठवीं की प्रवेश परीक्षा के लिए सात अक्तूबर तक अंतिम तिथि तय की गई थी। 




    नवोदय में कक्षा नौ व 11 में प्रवेश के लिए पंजीकरण शुरू

    30 अक्तूबर तक होगा पंजीकरण, फरवरी 2025 में हो सकती है परीक्षा

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा नौ और 11 में भी मेधावी अब प्रवेश ले सकेंगें। इसके लिए पंजीकरण शुरू हो गया है। पंजीकरण की प्रक्रिया 30 अक्तूबर तक चलेगी। परीक्षा फरवरी 2025 में कराई जाएगी।

    पंजीकरण के समय वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के दस्तखत और एकेडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे। प्रवेश परीक्षा का पैटर्न भी जारी कर दिया गया है।

    परीक्षा की अवधि दो घंटे 30 मिनट की होगी। दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    कक्षा नौ की चयन परीक्षा में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी के 15 प्रश्न, हिंदी के 15, गणित के 35 और सामान्य विज्ञान के 35 प्रश्न हैं। जबकि कक्षा 11 की चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न व 20 अंक शामिल हैं।



    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति 


    नवोदय विद्यालय समिति या एनवीएस ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए अपनी कक्षा 9वीं और 11वीं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। बता दें कि 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 653 कार्यात्मक जवाहर नवोदय विद्यालयों में नवोदय प्रवेश किया जाएगा ।


    जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश 2025-26: आवेदन कैसे करें

    ऑनलाइन आवेदन 01.10.2024 से जमा किए जा रहे हैं। कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30.10.2024 है।


    नवोदय प्रवेश 2025: चयन प्रक्रिया
    कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा शनिवार को 08.02.2025 को संबंधित जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय या एनवीएस द्वारा आवंटित केंद्र में आयोजित की जाएगी।

    चयन परीक्षा में चयन के लिए उम्मीदवार को सभी संबंधित प्रमाण पत्र जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, अंक पत्र के साथ 8वीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र(यदि कोई है) आदि जमा किया जाएगा। जन्म तिथि - 01.05.2010 से 30.07.2012 (दोनों तिथियां शामिल हैं)



    JNVST 2025 Admission: जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 9 और 11 में एडमिशन के लिए cbseitms.nic.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू, 30 अक्टूबर तक मौका


    JNVST 2025 Admission: नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं एडमिशन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए cbseitms.nic.in पर जाना होगा।


    JNV Class 9th and 11th admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं लेटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक और योग्य कैंडिडेट कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट cbseitms.nic.in पर जाकर कर सकते हैं। ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2024 है।


    कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए JNVST एडमिशन 2025 के लिए सिलेक्शन टेस्ट का आयोजन 8 फरवरी 2024 को किया जाएगा। परीक्षा का समय 11 बजे से 1:30 बजे तक होगा। कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं रजिस्ट्रेशन करते समय कैंडिडेट को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के सिग्नेचर और अकैडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे।





    JNVST कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं परीक्षा पैटर्न-
    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 और 11 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न जारी कर दिया गया है। एनवीएस प्रवेश परीक्षा 2025 की अवधि दो घंटे तीस मिनट की होगी, जिसमें दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी (15 प्रश्न), हिंदी (15 प्रश्न), गणित (35 प्रश्न) और सामान्य विज्ञान (35 प्रश्न) जैसे विषय शामिल हैं।

    इसी तरह, जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 11 चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता (मेंटल एबिलिटी), अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न और 20 अंक शामिल हैं, जिसमें कुल परीक्षा दो घंटे तीस मिनट तक चलती है।


    PRAYAS: स्कूलों में शोध व इनोवेशन के फूटने लगे अंकुर, स्कूली स्तर पर बड़ी संख्या में छात्र शोध व इनोवेशन के अपने नजरिए के साथ आगे आ रहे

    PRAYAS: स्कूलों में शोध व इनोवेशन के फूटने लगे अंकुर, स्कूली स्तर पर बड़ी संख्या में छात्र शोध व इनोवेशन के अपने नजरिए के साथ आगे आ रहे
     

    नई दिल्ली: स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब शोध और इनोवेशन के सपने देख रहे हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के बाद स्कूली स्तर पर यह संभव होते दिख रहा है।

    बच्चों को स्कूली स्तर से शोध व इनोवेशन से जोड़ने पर जोर दिया गया है ताकि देश में इसे लेकर बेहतर माहौल बन सके। इसे साकार करने के लिए देशभर में प्रयास (प्रमोशन आफ रिसर्च एट्टीट्यूड एमंग यंग एंड एस्पायरिंग स्टूडेंट) कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इसके तहत स्कूली स्तर पर बड़ी संख्या में छात्र शोध व इनोवेशन के अपने नजरिए के साथ आगे आ रहे हैं। इस साल भी स्कूली छात्रों के 400 से अधिक प्रोजेक्ट मानकों पर खरे उतरे हैं।


    प्रोजेक्ट के तहत स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक के छात्र हिस्सा ले सकते हैं। इस दौरान जिन छात्रों के प्रोजेक्ट मानकों पर खरे उतरते हैं, उन्हें आगे के शोध कार्य के लिए 50 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। इसमें से 10 हजार रुपये छात्र के होते हैं। दो छात्रों ने मिलकर प्रोजेक्ट दिया है तो प्रत्येक को पांच-पांच हजार रुपये मिलेंगे। वहीं 20 हजार रुपये स्कूल के होते हैं, जो छात्रों को शोध के प्रेरित कर उनकी मदद करते हैं। बाकी के 20 हजार रुपये उच्च शिक्षण संस्थान के होते हैं, जहां छात्र आगे का शोध कार्य करता है।


    अंतरिक्ष में खोज से लेकर वाहनों की फास्ट चार्जिंग जैसे प्रोजेक्ट

    छात्रों ने जिन शोध व इनोवेशन से जुड़े प्रोजेक्ट को इस साल शार्टलिस्ट किया किया गया है, उनमें अंतरिक्ष से जुड़े शोध से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों की फास्ट चार्जिंग जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके साथ ही वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, बाढ़ जैसे आम जनजीवन से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए भी बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रोजेक्ट पेश किए है। स्कूलों ने अपनी स्थानीय समस्याओं को लेकर भी शोध प्रोजेक्ट दिए हैं।

    कैदियों के बच्चों को जेल से बाहर स्कूल में शिक्षा का मौलिक अधिकार – हाईकोर्ट

    कैदियों के बच्चों को जेल से बाहर स्कूल में शिक्षा का मौलिक अधिकार – हाईकोर्ट 


    प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जेल में जन्मे अथवा मां-बाप के साथ कैद में रह रहे बच्चों की स्कूली शिक्षा पर ध्यान के लिए राज्य सरकार को स्कीम तैयार करने का मौका देने के बाद कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2024 को फैसला लिखाना शुरू कर दिया। समय की कमी के चलते अंतिम फैसला 20 नवंबर सुनाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि कैदियों के बच्चों को जेल से बाहर स्कूल में शिक्षा का मौलिक अधिकार है। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कैदी रेखा की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए सरकार को स्कीम तैयार करने का आदेश दिया था।


    याची के साथ रह रहा उसका पांच साल का बच्चा जेल के भीतर कैदियों के बच्चों की शिक्षा के लिए बने स्कूल में पढ़ रहा है। कोर्ट ने इसे बच्चों के मूल अधिकारों के खिलाफ माना है। कहा कि बच्चों के विकास के लिए जरूरी है उन्हें जेल में न रखा जाय। उन्हें सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा दी जाय। 

    कोर्ट ने महानिदेशक कारागार से प्रदेश के जेलों में रह रहे ऐसे बच्चों की बेहतरी की स्कीम तैयार करने को कहा। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास व महानिदेशक कारागार उत्तर प्रदेश ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि प्रदेश सरकार ऐसे बच्चों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

     इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास, प्रमुख सचिव कारागार व डीजी कारागार को 24 अक्टूबर तक स्कीम पेश करने का समय दिया था। इसके बाद अपना आदेश लिखाना शुरू कर दिया है। शेष आदेश 20 नवंबर को लिखाया जाएगा।

    Friday, November 1, 2024

    बोर्ड परीक्षा ड्यूटी के पारिश्रमिक दरों में वृद्धि का शासनादेश जारी, देखें

    यूपी बोर्ड परीक्षा की कापी जांचने में अब अधिक पारिश्रमिक मिलेगा,  शिक्षकों और कर्मचारियों का पांच साल बाद बढ़ा मेहनताना


    लखनऊ: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को पहले से अधिक पारिश्रमिक दिया जाएगा। हाईस्कूल की एक कापी जांचने पर शिक्षकों को अभी तक 11. रुपये दिए जाते थे, अब उन्हें 14 रुपये मिलेंगे। वहीं इंटरमीडिएट की एक कापी जांचने पर 13 रुपये की जगह 15 रुपये दिए जाएंगे। वर्ष 2019 के बाद यह बढ़ोतरी की गई है। अगले वर्ष फरवरी या मार्च में होने वाली इस परीक्षा में कुल 54.38 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे।

    विशेष सचिव, माध्यमिक शिक्षा आलोक कुमार की ओर से जारी आदेश के अनुसार कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी करने पर शिक्षकों को अभी प्रतिदिन 96 रुपये मिलते थे और अब इन्हें 100 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे। परीक्षा केंद्र संबंधित व्यय के लिए केंद्र व्यवस्थापक को 80 रुपये प्रति पाली की जगह 100 रुपये दिए जाएंगे। यानी दो पालियों में 200 रुपये मिलेंगे। यहीं नहीं, परीक्षा केंद्र व्यय अभी तक तीन रुपये 50 पैसे प्रति छात्र था, जिसे बढ़ाकर चार रुपये 50 पैसे प्रति छात्र कर दिया गया है। अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक को अभी तक 53 रुपये प्रति पाली या 106 रुपये प्रतिदिन मिलते थे, अब 60 रुपये प्रति पाली या 120 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे। 

    चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 26 रुपये 50 पैसे की जगह 30 रुपये प्रति पाली, संकलन केंद्र के मुख्य नियंत्रक को 67 रुपये प्रतिदिन और पूरी परीक्षा के दौरान अधिकतम 1,596 रुपये की जगह अब 75 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,789 रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार उप नियंत्रक को 53 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,264 रुपये की जगह 60 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,441 रुपये, सह उप नियंत्रक को 48 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,330 रुपये की जगह 55 रुपये व अधिकतम 1,520 रुपये, तृतीय श्रेणी कर्मचारी को 30 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 698 रुपये की जगह 50 रुपये व अधिकतम 1,349 रुपये वृद्धि की गई।



    पांच साल बाद शासन ने यूपी बोर्ड परीक्षा से जुड़ी विभिन्न व्यवस्थाओं का व्यय व पारिश्रमिक बढ़ाया, देखें अब कितना मिलेगा? 

    हाईस्कूल की कॉपियां जांचने का पारिश्रमिक तीन और इंटर का दो रुपये प्रति कॉपी बढ़ा

    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित की जाने वाली बोर्ड परीक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं व मूल्यांकन के पारिश्रमिक में वृद्धि की गई है। शासन ने पांच साल बाद पारिश्रमिक की दरों में वृद्धि की है। शिक्षकों को अब हाईस्कूल की कॉपियां जांचने के लिए प्रति कॉपी 11 की जगह 14 रुपये और इंटर की कॉपियां जांचनें के लिए 13 की जगह 15 रुपये दिए जाएंगे।


    शासन की ओर से पुनरीक्षित की गई दरों के अनुसार प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए आठ रुपये प्रतिछात्र की जगह 10 रुपये, कक्ष निरीक्षक को प्रति पाली 96 की जगह 100 रुपये, कक्ष नियंत्रक के लिए 60 रुपये प्रतिदिनि की जगह 75 रुपये और परीक्षा केंद्र संबंधी व्यय के लिए केंद्र व्यवस्थापक को 80 रुपये प्रति पाली की जगह 100 रुपये दिए जाएंगे। इसी तरह अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक को 53 रुपये प्रति पाली की जगह 60 रुपये, लिपिक को 33 रुपये प्रति पाली की जगह 40 रुपये दिए जाएंगे।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आलोक कुमार के अनुसार तृतीय श्रेणी कर्मचारी को प्रतिदिन 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 14 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 20 रुपये, जलपान व्यय 20 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 25 रुपये प्रतिदिन, कक्ष नियंत्रक का व्यय 60 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 75 रुपये प्रतिदिन, स्थानीय परीक्षकों का वाहन व्यय 27 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 35 रुपये प्रतिदिन, महिला सवारी भाड़ा प्रति पाली 30 से बढ़ाकर 35 रुपये किया गया है।


    अब एक सेट प्रश्नपत्र बनाने पर 2500 रुपये मिलेंगे

    विशेष सचिव ने बताया कि प्रश्नपत्र बनाने के लिए 2394 रुपये एक सेट के स्थान पर 2500 रुपये, उत्तर पुस्तिका व्यवस्था के लिए 7 रुपये प्रति हजार से बढ़ाकर 8 रुपये प्रति हजार, समीक्षा-मूल्यांकन के लिए 400 की जगह 500 रुपये प्रति व्यक्ति व मूल्यांकन परीक्षकों की निर्धारित पारिश्रमिक सीमा को 20 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया है। बोर्ड परीक्षा से जुड़े लगभग तीन-चार लाख कर्मचारियों को बढ़े हुए पारिश्रमिक का लाभ मिलेगा। पुनरीक्षित दरें सत्र 2025-26 से प्रभावी होंगी।


    बोर्ड परीक्षा ड्यूटी के पारिश्रमिक दरों में वृद्धि का शासनादेश जारी, dekhen