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    Tuesday, October 15, 2024

    हेडमास्टर की आत्महत्या के मामले में बीएसए अमरोहा को हटाने की संस्तुति, परिजनों ने की बीएसए और आरोपी शिक्षक दंपत्ति की गिरफ्तारी की मांग

    हेडमास्टर की आत्महत्या के मामले में बीएसए अमरोहा को हटाने की संस्तुति, परिजनों ने की बीएसए और आरोपी शिक्षक दंपत्ति की गिरफ्तारी की मांग

    15 अक्टूबर 2024
    अमरोहा। गजरौला के सुल्तानठेर के संविलियन स्कूल में आत्महत्या करने वाले प्रधानाध्यापक के परिजनों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर आरोपी शिक्षक दंपती और बीएसए को गिरफ्तार करने की मांग की है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जेल भेजने को कहा। आरोप है कि अगर वह बाहर रहेंगे तो केस के संबंधित सबूतों के साथ छेड़खानी और गवाहों को भ्रमित कर सकते हैं। उधर, इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सोमवार को डीएम ने बीएसए को जिले से हटाने की संस्तुति कर शासन को पत्र भेजा है।

    सोमवार को आत्महत्या करने वाले प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के बेटे अनुज कुमार कई लोगों के साथ एसपी ऑफिस पहुंचे। यहां एसपी कुंवर अनुपम सिंह को शिकायती पत्र देकर बताया कि वर्ष 2011 से संजीव कुमार सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थे। 2019 में यह स्कूल कंपोजिट विद्यालय हो गया। इसके बाद वह इसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक बन गए थे।

    एक अक्तूबर को संजीव कुमार ने स्कूल में अपने ही कक्ष में मेज पर खड़े होकर छत में लगे कुंदे में प्लास्टिक की रस्सी के सहारे फंदे पर लटक कर आत्महत्या कर ली थी। उनके के पास से दो पेज का सुसाइड नोट मिला था। जिसमें उन्होंने स्कूल में ही सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व उनकी सरिता सिंह और बीएसए से दुखी होकर आत्महत्या करने की बात लिखी थी।

     इस मामले में सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बीएसए मोनिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। उन्होंने मांग की कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जाए। जिससे केस से संबंधित सबूतों के साथ छेड़खानी और गवाहों को भ्रमित न किया जा सके। साथ ही डीएम के द्वारा गठित की गई जांच कमेटी जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपे। इस दौरान प्रशांत कुमार, कर्मवीर सिंह, बुद्ध सिंह, राजीव सिंह, हर्ष चौधरी, विशेष चौधरी, हर्षित चौधरी आदि मौजूद रहे।

    बीएसए को जिले से हटाने की संस्तुति करते हुए शासन को पत्र भेज दिया गया है। जबकि, पुलिस शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है। -निधि गुप्ता वत्स, जिलाधिकारी


    सुसाइड नोट में लिखा बीएसए भी करती थीं प्रताड़ित

    अमरोहा। गजरौला के सुल्तानपुर प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के मामले में बीएसए भी फंसती नजर आ रही हैं। लगातार उठ रही कार्रवाई की मांग के बीच आखिरकार डीएम ने उन्हें हटाने की संस्तुति कर दी है। इसके लिए डीएम ने शासन को पत्र भेज दिया है। बता दें कि एक अक्तूबर को गजरौला के सुल्तानपुर ठेर संविलियन विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने अपने ही कक्ष में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड नोट छोड़ा था। जिसमें सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व उसकी शिक्षक पत्नी सरिता और बीएसए डॉ. मोनिका पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। आत्महत्या के लिए तीनों को जिम्मेदार ठहराया था। 

    शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी को दबिश

    अमरोहा। मामले में पुलिस ने मृतक प्रधानाध्यापक के पुत्र की तहरीर पर शिक्षक दंपती व बीएसए के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। मामले में जहां पुलिस लगातार शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी को दबिश दे रही है, वहीं बीएसए पर भी कार्रवाई की मांग की जा रही है। अब इस मामले में बीएसए डॉ. मोनिका भी कार्रवाई की जद में आ गई हैं। 



    मरने से पहले हर पत्र पर लिखा- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी, आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की बढ़ी मुश्किले, प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद वेतन वृद्धि रुकने से शिक्षक थे तनाव में 

    पढ़ने के बाद जांच टीम भी आ गई सकते में, जांच टीम अभी इस प्रकरण को लेकर कुछ भी बताने को तैयार नहीं है

    05 अक्टूबर 2024
    अमरोहा। स्कूल कक्ष में प्रधानाध्यापक की आत्महत्या की वजहों से परदा उठने लगा है। इसी के साथ आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उत्पीड़न से त्रस्त प्रधानाध्यापक ने बीएसए को तीन-चार पत्र लिखे थे। उन्हाेंने उसके पत्रों का संज्ञान नहीं लिया। इन पत्रों की छायाप्रति पर आत्महत्या से पहले प्रधानाध्यापक ने पेन से लिखा था- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी।


    बीएसए को भेजे गए थे पत्र 
    जिलाधिकारी निधि गुप्ता की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने सुल्तानठेर संविलियन विद्यालय में मंगलवार को प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को प्रधानाध्यापक का कमरा खोला गया तो कई सनसनीखेज राज बाहर आ गए। स्कूल की अलमारी में संजीव चार-पांच पत्रों की छायाप्रति मिली है। ये पत्र बीएसए को भेजे गए थे।

    डीएम निधि गुप्ता वत्स ने मामले की जांच के लिए एडीएम न्यायिक माया शंकर यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम बनाई थी। बृहस्पतिवार को टीम ने स्कूल पहुंचकर जरूरी पत्र व अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए थे। वहीं, संजीव के घर जाकर परिजनों से भी वार्ता की थी।

     प्रधानाध्यापक संजीव के बेटे अनुज ने बताया कि दिसंबर-2023 में विद्यालय में तैनात शिक्षिका नीशू ने गले में सांप डालकर वीडियो बनाई थी। मामले में शिक्षिका निलंबित करने के साथ उनके पिता को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी कर दी थी। जिसके बाद उनकी वेतन वृद्धि रुक गई थी। बताया कि उसके बाद से लगातार चार से पांच बार वह पत्र भेजकर बीएसए से वेतन वृद्धि लागू करने की मांग कर चुके थे , लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई थी। जिसे लेकर वह तनाव में थे। वहीं, बताया जा रहा है कि जांच के दौरान टीम के समक्ष यह बात भी सामने आई है।

    बृहस्पतिवार को जांच टीम ने स्कूल से जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए गए। वहीं, स्टाफ के बयान भी दर्ज किए गए। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि वह प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद से तनाव में थे। परिजनों ने भी वेतन वृद्धि रुकने की बात बताई है। इसे तथ्य पर भी जांच कराई जा रही है। 18 पन्नों के रजिस्टर को लेकर भी जांच की जा रही है। - माया शंकर यादव, एडीएम




    18 पेज खोलेंगे प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न का चिट्ठा, पुलिस की जांच के साथ चार सदस्यीय कमेटी भी करेगी जांच 

    02 अक्टूबर 2024
    गजरौला । प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के उत्पीड़न का चि‌ट्ठा रजिस्टर में कैद 18 पेज खोलेंगे। इसके लिए डीएम ने चार सदस्य कमेटी गठित की है। इस रजिस्टर का जिक्र संजीव कुमार ने घटनास्थल से मिले दो पेज के सुसाइड नोट में किया है।

    गजरौला क्षेत्र के सुल्तानठेर स्थित कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने मंगलवार सुबह अपने ही कक्ष में फंदे पर लटक कर जान दे दी। घटनास्थल पर दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें रजिस्टर में 18 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा होने का दावा किया है। इसमें लिखा है कि पूरी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है। पुलिस ने इस रजिस्टर को भी कब्जे में ले लिया है। 

    उधर, डीएम निधि गुप्ता ने एडीएम न्यायिक मायाशंकर की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी गठित की है। जिसमें डीआईओएस विष्णु प्रताप सिंह, सीडीओ अश्वनी कुमार मिश्रा और एएसपी राजीव कुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। ये टीम प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जांच करेगी। जबकि, पुलिस की जांच अलग चल रही है। चर्चा है कि रजिस्टर में कैद सुसाइड नोट ही शिक्षक संजीव कुमार की आत्महत्या के पीछे का राज खुलेगी। अब जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है

    घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं बीएसए, शिक्षक दंपती भी गायब
    कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जानकारी मिलने के बाद बीएसए घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं। क्योंकि सुसाइड नोट में उनका नाम शामिल है। जबकि, सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व सरिता सिंह स्कूल तो आए थे, लेकिन जब उन्हें सुसाइड नोट में उनके नाम होने की बात सामने आई तो दोनों ही वहां से भाग निकले। इसके बाद से दोनों लापता हैं। हालांकि बीएससी के निर्देश पर ऑफिस के कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली।


    सफाई की वीडियो वायरल होने के बाद से तनाव में थे संजीव
    गजरौला। सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में बारिश के पानी के साथ कीचड़ जमा हो गया था। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 23 सितंबर की सुबह विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्र-छात्राओं ने स्कूल में सफाई अभियान चलाया। फावड़े और खुरपे से कीचड़ को साफ किया। स्कूल में सफाई का प्रदर्शन करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया। सामने आया था कि यह वीडियो राघवेंद्र सिंह ने वायरल किया था। मामला चर्चाओं में आने के बाद प्रधानाध्यापक भी जांच के घेरे में आ गए थे। इस मामले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज और खंड शिक्षा अधिकारी आरती गुप्ता ने विद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। परिजनों के मुताबिक वह इस बात से भी तनाव में चल रहे थे।


    कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनने से असंतुष्ट था राघवेंद्र
    गजरौला। प्रधानाध्यापक की आत्महत्या के बाद से कुछ कुछ साथी शिक्षक सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं। जबकि, सहायक राघवेंद्र द्वारा उनसे रंजिश रखने की बात सामने आ रही है। प्रधानाध्यापक के बेटे ने भी राघवेंद्र पर उनसे रंजिश रखने और साजिश करने के आरोप लगाए। बेटे अनुज ने बताया कि पापा 2015 में जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने थे। गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में राघवेंद्र सिंह प्रधानाध्यापक था।

    2019 में दोनों विद्यालयों का विलय कर कंपोजिट विद्यालय बनाया गया था। जिसका प्रधानाध्यापक मेरे पापा को बनाया गया था। तभी से राघवेंद्र नाराज था और वह पापा से विवाद करता रहता था। राघवेंद्र के बीएसए मोनिका सिंह से अच्छे संबंध है। इसलिए वह पापा पर दबाव बनाता था। उत्पीड़न से परेशान होकर पापा ट्रांसफर के लिए कई बार लेटर लिख चुके थे। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई।


    01 अक्टूबर 2024
    18 पेज का सुसाइड नोट लिखकर हेडमास्टर ने स्कूल में लगा ली फांसी, बीएसए और दो शिक्षकों को बताया जिम्मेदार, एफआईआर दर्ज 

    आरोपी शिक्षकों और बीएसए के खिलाफ एफआईआर दर्ज


    अमरोहाः उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य संजीव कुमार (50) ने मंगलवार सुबह स्कूल के क्लास रूम में फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से 18 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के 2 टीचरों (पति-पत्नी) को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

    पुलिस को जांच में पता चला है कि मंगलवार सुबह संजीव कुमार स्कूल जल्दी आ गए थे। उन्होंने दफ्तर में फांसी लगाई। इसका पता सुबह 9 बजे बाकी शिक्षकों के स्कूल पहुंचने पर लगा। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। फरेंसिक टीम से कमरे की जांच कराई गई। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। पुलिस के मुताबिक संजीव कुमार अमरोहा के गजरौला इलाके के सुल्तान ठेर गांव में आदर्श जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य थे। मूल रूप से बछरायूं इलाके के जमानाबाद गांव के निवासी थे।


    मौके से मिले सुसाइड नोट में संजीव कुमार ने लिखा है कि मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी मैडम से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। राघवेंद्र और सरिता (पति-पत्नी) गाली-गलौज करते हैं। उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है। मैं इनकी दबंगई 2 अप्रैल 2019 से झेल रहा हूं। मैं इनकी जांच CBI से करवाना चाहता हूं। आगे लिखा है कि मेरी सभी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का न हो क्योंकि इनकी दबंगई पूरे मंडल में चलती है। प्रताड़ना की सारी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है।

    नोट में आगे लिखा है कि जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को छूना नहीं। मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है। दोनों टैबलेट नई वाली सेफ में रखे हैं। परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना है। वही, सबसे सीनियर टीचर हैं।


    बेटे का आरोप- स्कूल टीचर पिता को प्रताड़ित कर रहे थे
    संजीव के बेटे अनुज सिंह का कहना है कि स्कूल के पति-पत्नी शिक्षक पिता को प्रताड़ित करते थे। हर रोज उनसे लड़ाई करते थे। मंगलवार सुबह 7 बजे पिताजी घर से 7 बजे निकले थे। पिता ने वॉट्सऐप पर मुझे मैसेज भी भेजा था, लेकिन मेरे देखने से पहले डिलीट कर दिया था। वह सोमवार रात से कुछ परेशान दिख रहे थे। पूछने पर भी कुछ नहीं बताया था। थाना पुलिस का कहना है कि जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    आत्मरक्षा के लिए 32 लाख बालिकाओं को जूडो-कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य, अब तक 4.9 लाख छात्राएं विद्यालयों में ले चुकीं हैं ट्रेनिंग

    आत्मरक्षा के लिए 32 लाख बालिकाओं को जूडो-कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य,  अब तक 4.9 लाख छात्राएं विद्यालयों में ले चुकीं हैं ट्रेनिंग

    स्वयं की सुरक्षा के साथ दे रहे कानून की भी जानकारी


    लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की छात्राओं को मिशन शक्ति के तहत आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में कुल 32 लाख बालिकाओं को स्वयं की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग देने के साथ बचाव के लिए कानून और वूमेन हेल्पलाइन नंबर 1090 इत्यादि के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। इस वर्ष अब तक 4.9 लाख छात्राओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।


    मिशन शक्ति के पांचवें चरण के तहत बीती तीन अक्टूबर से छात्राओं को प्रशिक्षण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इन छात्राओं को स्वयं की रक्षा के लिए जूडो कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

    छात्राओं को बाल विवाह, यौन हिंसा और छेड़खानी से अपना बचाव करने के बारे भी जागरूक किया जा रहा है। विशेषज्ञ उन्हें बाल अधिकारों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अपनी सुरक्षा के लिए वे क्या-क्या उपाय करें और किस तरह मुसीबत से बचें, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उन्हें इसकी जानकारी दी जा रही है। कोई भी ब छात्रा सुरक्षा के कारणों से अपनी पढ़ाई न छोड़े, इस पर विशेष जोर म दिया जा रहा है।

    बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सभी स्कूल अपने यहां पढ़ रहीं बालिकाओं को यह प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से स दिलाएं। जिन 32 लाख छात्राओं ने के इस बार ट्रेनिंग के लिए पंजीकरण कराया है, उन सभी को आत्मरक्षा नि के लिए दक्ष बनाया जाए। पिछले साल 16 लाख छात्राओं को म आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया था।  इस बार यह लक्ष्य दोगुणा कर दिया गया है।

    यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों को मिलेगा नाम संशोधन का मौका

    यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों को मिलेगा नाम संशोधन का मौका


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके विद्यार्थियों के नाम, पिता या माता के नाम में कोई त्रुटि रह गई है तो उसे संशोधित करने का मौका मिलेगा। यूपी बोर्ड इसी माह संशोधन का मौका देगा। यह संशोधन डीआईओएस के स्तर से किया जाएगा। 


    बोर्ड परीक्षा का फार्म भरते समय अक्सर नाम की स्पेलिंग में त्रुटि रह जाती है। परिणाम निकलने के बाद उसे संशोधित करवाने के लिए विद्यार्थियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसी समस्या न आए, इसलिए पिछले वर्ष फार्म भरवाने के बाद नामों की स्पेलिंग में सुधार करवाया गया था। उसका असर दिखा और बाद में विद्यार्थियों को इसके लिए बोर्ड के चक्कर नहीं लगाने पड़े। पिछले वर्ष यह संशोधन प्रधानाचार्य के स्तर से हो गया था। इस बार में उसमें मामूली बदलाव किया गया है। 

    143 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, तीन साल से फंसी है एडेड जूनियर की शिक्षक भर्ती

    143 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, तीन साल से फंसी है एडेड जूनियर की शिक्षक भर्ती

    15 अक्टूबर 2024
    प्रयागराज। सूबे के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 1504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर तीन साल बाद भी भर्ती नहीं होने के कारण इन स्कूलों में ताला पड़ने की नौबत आ गई है। शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को भेजी गई सूचना के मुताबिक प्रदेश के 3049 एडेड जूनियर हाईस्कूलों में 143 स्कूलों में न तो कोई शिक्षक बचा है और न प्रधानाध्यापक ही है। यदि चयन प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं हुई तो कई अन्य स्कूलों पर ताला पड़ जाएगा।


     हाईकोर्ट से भर्ती का रास्ता फरवरी में ही साफ हो चुका है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर अब तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं कर सके हैं। भर्ती में देरी को लेकर कुछ स्कूलों के प्रबंधकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं भी की हैं कि यदि सरकार भर्ती पूरी नहीं कर पा रही है तो चयन का अधिकार एक बार फिर से प्रबंधकों को दे दिया जाए। सूत्रों के अनुसार मामले में शासन स्तर पर एक उच्च स्तरीय बैठक जल्द होने वाली है।


    संशोधित परिणाम में 3369 अभ्यर्थी हुए थे फेल

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने दो साल पहले छह सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया था जिसमें पूर्व में सफल 3369 अभ्यर्थी फेल हो गए थे। संशोधित परिणाम में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए परीक्षा में सम्मिलित 2,71,071 अभ्यर्थियों में से 42,066 जबकि प्रधानाध्यापकों की भर्ती के लिए 14,931 अभ्यर्थियों में से 1544 को सफल घोषित किया गया था। जबकि उससे पहले 15 नवंबर 2021 को घोषित परिणाम में सहायक अध्यापकों के लिए 45,257 और प्रधानाध्यापकों के लिए 1,722 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था।



    शिक्षक भर्ती : जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त 1894 पदों पर होना है चयन, 2022 में आया था परिणाम, परीक्षा पास कर भटक रहे 43,610 अभ्यर्थी

    11 अक्टूबर 2024
    प्रयागराज। जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक भर्ती की परीक्षा उत्तीर्ण कर 43,610 अभ्यर्थी दो वर्ष से नौकरी के लिए भटक रहे हैं। वह शिक्षा निदेशक से लेकर लखनऊ तक के चक्कर लगा रहे हैं और कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) ने 2021 में जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक और प्रधानाचार्य के 1894 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था।


    इसके लिए प्रदेश से लाखों आवेदन आए थे। इसकी परीक्षा 17 अक्तूबर-2021 को कराई गई। 150 अंकों की परीक्षा में 90 से अधिक अंक पाने वालों को सफल घोषित किया गया। इसका परिणाम 15 नवंबर-2021 को घोषित कर दिया। परिणाम आया तो कुछ अभ्यर्थियों ने उसको हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका आरोप था कि परिणाम में गड़बड़ी हुई है। 

    हाईकोर्ट के आदेश पर परिणाम संशोधित किया गया। पीएनपी ने संशोधित परिणाम छह सितंबर-2022 को जारी कर दिया। इसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। आदेश दिया कि संशोधित परिणाम के आधार पर चयन हो।

    हाईकोर्ट के आदेश के बाद चयन प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए थी। नियमानुसार रिक्त 1894 पदों के सापेक्ष काउंसलिंग होगी। सफल अभ्यर्थियों की मेरिट बनेगी और रिक्त पदों के अनुसार चयन होगा। यह मामला बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल के पास लंबित है। पिछले दिनों कई अभ्यर्थी लखनऊ में निदेशक से मिले लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।

    इससे सफल अभ्यर्थियों में आक्रोश है। अभ्यर्थी ज्ञानवेंद्र सिंह ने बताया कि चयन प्रक्रिया न होने से उनका भविष्य अधर में अटका है। वह इसके लिए निदेशालय में आंदोलन करेंगे।

    डीएलएड की काउंसिलिंग पर संकट के बादल, जानिए क्यों?

    डीएलएड की काउंसिलिंग पर संकट के बादल, जानिए क्यों? 

    ■ हाईकोर्ट ने 12वीं पास अभ्यर्थियों के प्रवेश के दिए हैं आदेश
    ■ अपील भी नहीं कर सके बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी


    प्रयागराज । प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) की 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए फिलहाल काउंसिलिंग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो गई है।


    इस बार 314377 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 279245 ने फीस जमा की और 278783 अभ्यर्थियों ने आवेदन की सारी औपचारिकताएं पूरी की। शासनादेश के अनुसार आवेदकों की मेरिट के आधार पर स्टेट रैंक 16 अक्तूबर को जारी होनी चाहिए और 17 से 30 अक्तूबर तक प्रथम चरण की ऑनलाइन काउंसिलिंग प्रस्तावित है। 


    हालांकि हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को 12वीं पास अभ्यर्थियों को भी प्रवेश में मौका दिए जाने के आदेश दिए हैं। अब तक बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील नहीं हुई है। ऐसे में स्टेट रैंक जारी करना या काउंसिलिंग कराना हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना होगी। ऐसे में फिलहाल बुधवार को रैंक जारी होने के आसार नहीं दिख रहे।

    मुख्यमंत्री पुरस्कार के लिए 55 जिलों से एक भी आवेदन नहीं

    मुख्यमंत्री पुरस्कार के लिए 55 जिलों से एक भी आवेदन नहीं


    प्रयागराज । प्रदेशभर के 55 जिलों के वित्तविहीन शिक्षकों ने मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया। समीक्षा में इस बात की जानकारी होने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर शिक्षकों को आवेदन के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। 


    यूपी बोर्ड से संबद्ध 20 हजार से अधिक वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों से मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन 16 सितंबर से आवेदन मांगे गए हैं। 


    10 अक्तूबर को समीक्षा के दौरान पता चला कि आगरा, मथुरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, रायबरेली, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, कन्नौज, प्रतापगढ़, कौशांबी, महराजगंज, देवरिया, आजमगढ़, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र समेत 55 जिलों से किसी शिक्षक ने आवेदन नहीं किया है। आवेदन की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर है।

    स्कूलों में श्रमदान कर बच्चे उगाएंगे अपने लिए सब्जियां, समाज कल्याण विभाग के सभी 110 स्कूलों में बनाई जाएंगी पोषण वाटिकाएं

    स्कूलों में श्रमदान कर बच्चे उगाएंगे अपने लिए सब्जियां, समाज कल्याण विभाग के सभी 110 स्कूलों में बनाई जाएंगी पोषण वाटिकाएं

    आवासीय स्कूलों में रहने वाले 33 हजार बच्चे खाएंगे अपनी ही उगाई सब्जियां


    लखनऊ : समाज कल्याण विभाग के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अब अपनी मेहनत से उगाई सब्जियां खाएंगे। समाज कल्याण विभाग प्रदेश के अपने सभी 110 सर्वोदय स्कूलों में पोषण वाटिकाएं तैयार कराएगा। वाटिका में ठगाई गईं मौसमी सब्जियों का इन स्कूलों की मेस में तैयार होने वाले भोजन में इस्तेमाल किया जाएगा।

    समाज कल्याण विभाग गरीब बच्चों को आश्रम पद्धति से शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश में 110 सर्वोदय विद्यालय संचालित करता है। इन स्कूलों में कक्षा छह से 12 तक के 33 हजार बच्चे पढ़ते हैं। नियमित और संविदा पर तैनात दो हजार शिक्षक इन स्कूलों में पढ़ाते हैं।

    कई बार स्कूलों की मेस में बनने वाले भोजन में स्वाद नहीं मिलने की शिकायतें भी आती है। ऐसे में समाज कल्याण विभाग अपने स्कूलों में खाली पड़ी तीन से चार एकड़ जमीन पर पोषण वाटिका बनाएगा। उन्नाव के स्कूल में पहले से पोषण वाटिका है। इसी तर्ज पर शेष सभी स्कूलों में पोषण वाटिका तैयार की जाएगी। पोषण वाटिका को स्कूलों के शिक्षक और छात्रों की मदद से तैयार किया जाएगा। छात्र पोषण वाटिका में श्रमदान करेंगे और अपने पसंद की सब्जियां उगाएंगे।

     समाज कल्याण निदेशालय ने सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को पत्र लिखकर उनके यहां संचालित सर्वोदय स्कूलों का निरीक्षण करके पोषण वाटिका तैयार करने के निर्देश जारी किए हैं। निदेशक समाज कल्याण कुमार प्रशांत का कहना है कि पोषण वाटिका से स्कूलों का वातावरण हरा-भरा हो जाएगा। साथ ही खाली पड़ी भूमि का अच्छा उपयोग होगा। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अपने पसंद की सब्जियां भी खाने को मिलेंगी।

    शिक्षकों की पूर्व सेवा की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़े जाने एवं निलंबन बहाली के बंद पोर्टल को पुनः खोले जाने के संबंध मे राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का शिक्षा निदेशक (बेसिक) को ज्ञापन

    मांग: पूर्व सेवा का कार्यकाल जोड़ने के लिए खोला जाए पोर्टल, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेसिक शिक्षा निदेशक को भेजा ज्ञापन


    लखनऊ। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल को ज्ञापन भेजकर शिक्षकों की पूर्व सेवा के कार्यकाल को वर्तमान सेवा में जोड़ने के लिए निलंबन बहाली के बंद पोर्टल को खोलने की मांग की है।

    प्राथमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि ऐसे शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी जो पूर्व में किसी भी विभाग में कार्यरत थे, उनकी पूर्व सेवा की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़ने के लिए प्रार्थनापत्र बीएसए को दिए जा रहे हैं। बीएसए इसे सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेज रहे हैं। जबकि ऐसे शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की पूर्व सेवा को वर्तमान में जोड़ने का शासनादेश पहले से है।

    प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने कहा कि इस आदेश का पालन करते हुए उनकी पूर्व की सेवा को जोड़ते हुए यदि वह पुरानी पेंशन योजना में आ रहे हैं तो उनसे भी पुरानी पेंशन के लिए विकल्प पत्र प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की निलंबन-बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए एनआईसी से पोर्टल बनवाए।

    उन्होंने कहा कि अनुशासनिक कार्यवाही के बाद निलंबित शिक्षकों की बहाली की कार्यवाही पूरी तरह से ऑनलाइन कर विद्यालय आवंटन की व्यवस्था है। किंतु शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया चलने के कारण यह पोर्टल स्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। इसे दोबारा खुलवाकर प्रक्रिया पूरी की जाए।



    शिक्षकों की पूर्व सेवा की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़े जाने एवं निलंबन बहाली के बंद पोर्टल को पुनः खोले जाने के संबंध मे राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का शिक्षा निदेशक (बेसिक) को ज्ञापन






    69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार 15 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्रस्तावित है। इसको लेकर चयनित व अन्य अभ्यर्थियों की निगाह सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है। साथ ही दोनों पक्ष के लोग सुनवाई के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।


    इस मामले में अब तक एक बार नौ सितंबर को सुनवाई हुई है। जबकि 23 सितंबर को होने वाली सुनवाई अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी। ऐसे में अभ्यर्थियों व चयनितों के साथ-साथ बेसिक शिक्षा विभाग की निगाह भी मंगलवार को होने वाली सुनवाई पर लगी हुई है। 

    Monday, October 14, 2024

    अब घर बैठे ही पा सकेंगे NCERT की नई किताबें

    अब घर बैठे ही पा सकेंगे NCERT की नई किताबें

    NCERT की किताबें अब ऑनलाइन मंगवा सकेंगे, एनसीईआरटी और अमेजन के बीच पुस्तकों की बिक्री के लिए अनुबंध


    नई दिल्ली । एनसीईआरटी की किताबें अब ऑनलाइन मंगवा सकेंगे। किंडरगार्टन से कक्षा 12 तक के छात्रों और यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए किताबें अब अमेजन इंडिया की वेबसाइट पर अधिकृत विक्रेताओं द्वारा बेची जाएंगी।


    एनसीईआरटी और अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के बीच पुस्तकों की बिक्री को लेकर अनुबंध किया गया है। इससे छात्रों को एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकें अमेजॉन प्लेटफार्म पर प्रिंट मूल्य पर उपलब्ध होंगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लेटर ऑफ एंगेजमेंट (एलओई) पर हस्ताक्षर किए हैं। 

    अधिकारियों ने कहा, यह पहला ऐसा अनुबंध है, एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों तक छात्रों की पहुंच प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मुद्रित मूल्य पर सुनिश्चित करेगा। प्रधान ने कहा, यह पहल शिक्षा को समावेशी, सुलभ और किफायती बनाने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिकोण को मजबूत करेगी।

    मदरसों की फंडिंग बंद करें राज्य सरकारें : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

    मदरसों की फंडिंग बंद करें राज्य सरकारें : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

    नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मदरसों और मदरसा बोर्डों को सरकारी फंडिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इन्हें सरकारी अनुदान (फंडिंग) बंद कर देना चाहिए। शीर्ष बाल अधिकार संस्था ने मदरसों के कामकाज को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए यह भी कहा कि मदसा बोर्ड भी बंद होने चाहिए।

    एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को चिट्ठी लिखी है। आयोग ने हाल ही में मदरसों पर एक रिपोर्ट "गार्जियन आफ फेथ आर ओप्रेसस आफ राइट्स ? कान्स्टीट्यूशनल राइटस आफ चिल्ड्रन वर्सेस मदरसा" भी जारी की है यानी आस्था के संरक्षक या अधिकारों के बाधक।

    आयोग ने राज्यों को भेजी चिट्ठी के साथ यह रिपोर्ट भी संलग्न की है। इसमें कहा है कि राइट टु एजूकेशन (आरटीई) एक्ट 2009 के दायरे से बाहर रहकर धार्मिक संस्थाओं के काम करने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मदरसों को आरटीई एक्ट से छूट देने से इनमें पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रहते हैं।

    आयोग ने कहा है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और करीब 1.20 करोड़ मुस्लिम बच्चे औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं। मदरसों को सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश करते हुए कहा गया है कि सरकारी फंड ऐसे किसी संस्थान पर खर्च नहीं किया जा सकता जो शिक्षा के अधिकार मे बाधा हो, क्योंकि ऐसा करना बाल अधिकारों का हनन होगा।



    RTE लागू करने तक मदरसों की सरकारी फंडिंग रोकी जाए– NCPCR

    नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों के कामकाज की स्थिति पर चिंता जताते हुए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून का अनुपालन होने तक उनकी सरकारी फंडिंग रोकने की मांग की है।

    आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी, शीर्षक वाली अपनी ताजा रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के दायरे से बाहर चल रहे धार्मिक संस्थानों का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मदरसों को आरटीई अधिनियम से छूट दिए जाने से इन संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो गए हैं। मदरसों में औपचारिक शिक्षा देने की अनिवार्यता को पूरा नहीं किया जा रहा। 

    बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा : रिपोर्ट में बताया गया है कि मदरसों का ध्यान धार्मिक शिक्षा पर है। कई मदरसे औपचारिक शिक्षा के आवश्यक घटक जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचा, प्रशिक्षित शिक्षक और उचित शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रदान नहीं करते हैं। मदरसा के छात्र पाठ्यपुस्तकों, मध्याह्न भोजन जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।



    NCPCR ने सभी राज्यों से मदरसा बोर्डों को बंद करने को कहा, गैर मुस्लिम छात्रों को RTE स्कूलों में प्रवेश देने की मांग
     
    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने आयोग की रिपोर्ट ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क:  बच्चों के अधिकार बनाम मदरसा’ को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखकर मदरसों को दिए जाने वाले फंड को फ्रीज करके मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है।

    कानूनगो ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE)-2009 के तहत बच्चों को दिए जाने वाले अधिकारों का उल्लंघन मदरसे कर रहे हैं। इसीलिए प्रियांक कानूनगो ने राज्यों से मांग की है कि वे सभी गैर मुस्लिम बच्चों को  मदरसों से निकालकर बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए। एनसीपीसीआर ने मुस्लिम समुदाय के वे बच्चे जो मदरसों में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर मान्यता प्राप्त हों, उन सभी को औपचारिक स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए।

    साथ ही बाल अधिकार आयोग ने मांग की है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा दी जाए।

    गौरतलब है कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग लगातार देश के मदरसों में अवैध तरीके से कैद करके जबरदस्ती इस्लामिक शिक्षा दिए जाने के खिलाफ काम कर रहा है। दरअसल, मदरसों में आधुनिक शिक्षा के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं।

    नकल पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं पर होगा यूपी बोर्ड का बार कोड


    नकल पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं पर होगा यूपी बोर्ड का बार कोड

    माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 में नकल पर अंकुश लगाने के लिए यूपी बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं पर बार कोड लगाने जा रहा है। इससे उत्तर पुस्तिकाओं की रेंडम चेकिंग की जा सकेगी। इस बार परीक्षार्थियों को रंगीन उत्तर' पुस्तिकाएं मिलेंगी। उत्तर पुस्तिका के कवर पेज पर अंकित विवरण का रंग बदला गया है।

    इस परिवर्तन से पुरानी उत्तर पुस्तिका पर बाहर से लिखवाकर जमा कराने की आशंका भी नहीं रहेगी। पिछले वर्ष इस्तेमाल के बाद बची उत्तर पुस्तिकाओं को कोठार में गिनती करवाकर बोर्ड को वापस किया जाएगा। परीक्षा में पुरानी कापियों को किसी भी रूप में प्रयोग न करने की सख्त हिदायत दी गई है।

    हर कमरे में वॉयस रिकॉर्डिंग युक्त सीसीटीवी लगे होंगे।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देशित किया है कि पुरानी उत्तर पुस्तिकाओं को परीक्षा से पूर्व बोर्ड को लौटा दिया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। वहीं, बार कोड वाली कॉपियों के मूल्यांकन में भी पारदर्शिता आएगी।


    यूपी बोर्ड ने फिर बदला बोर्ड परीक्षा की कॉपियों का रंग

    मजेंटा पिंक व भूरे रंग की होंगी यूपी बोर्ड की कॉपियां, 54.38 लाख परीक्षार्थियों के लिए छपवा रहे चार करोड़ कॉपियां

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा नकल विहीन कराने के लिए कॉपियों का रंग एक बार फिर से बदला गया है। इस बार हाईस्कूल की कॉपियां मजेंटा पिंक (रानी व गुलाबी रंग का मिश्रण) और इंटरमीडिएट की भूरे रंग की होंगी। इसके अलावा कई और बदलाव किए गए हैं।

    सभी बदलाव के साथ कॉपियों की छपाई का काम शुरू हो गया है। छपाई के बाद फरवरी तक सभी जिलों में कॉपियां पहुंचा दी जाएंगी। नकल की दुष्प्रवृत्ति और अनावश्यक प्रयोग को रोकने के लिए 2023 से कॉपियां रंगीन कर दी गई हैं।


    हर वर्ष कॉपियों का रंग बदला जाता है, जिससे अगले वर्ष कोई इसका प्रयोग न कर सके। यह कॉपियां बाजार में भी नहीं मिलेंगी। गवर्नमेंट प्रेस में इसे छपवाकर जिलों को भेजा जाएगा। इस वर्ष हाईस्कूल की ए कॉपी मजेंटा पिंक और बी कॉपी लाल रंग की होगी।

    इंटरमीडिएट की ए कॉपी भूरे रंग की और बी कॉपी वॉयलेट (बैंगनी) रंग की होगी। इसके अलावा कॉपियों की अदला-बदली रोकने के लिए एक और कदम उठाया गया है। अगर कोई बच्चा बी कॉपी लेता है तो उसे उसमें ए कॉपी के क्रमांक लिखने होंगे।

    अनुक्रमांक और परीक्षा तिथि लिखने के लिए वर्गाकार गोले बनाए गए हैं। यूपी बोर्ड का लोगो पहले कॉपी के तीसरे और दसवें पेज के बीच में होता था, उसे अब सबसे ऊपर कर दिया गया है। कॉपियों के ऊपर बायीं ओर आईबी 25 का छिद्रण किया जाएगा।

    पहले और आखिरी पेज पर बारकोड भी रहेगा। इससे अगर कोई कॉपी बाहर ले गया तो उसे पकड़ लिया जाएगा। सभी कॉपियों के पेज 20-20 लाइनों के होंगे। हाईस्कूल की ए कॉपी 16 और इंटरमीडिएट की 20 पेज की होगी।

    इसके अलावा दोनों की बी कॉपी 12-12 पेज की होगी। इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए 30 सितंबर तक पंजीकरण हुआ है। हाईस्कूल में 27,40,151 और इंटरमीडिएट में 26,98,446 यानी कुल 54.38 लाख परीक्षार्थी पंजीकृत हुए हैं।

    Sunday, October 13, 2024

    बिना मान्यता और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के ज्ञापन पर शिक्षा विभाग की रोक, केवल मान्यता प्राप्त संघों की सुनी जाएगी बात

    बिना मान्यता और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के ज्ञापन पर शिक्षा विभाग की रोक,  केवल मान्यता प्राप्त संघों की सुनी जाएगी बात


    माध्यमिक शिक्षा में बिना मान्यता और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों वाले संगठनों से नहीं होगी कोई वार्ता और न होगा ज्ञापन पर विचार 


    लखनऊ। अब बिना मान्यता वाले और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों वाले संगठनों से माध्यमिक शिक्षा विभाग में कोई वार्ता नहीं होगी। न ही उनके ज्ञापन पर विचार होगा। हालांकि मान्यता प्राप्त संगठनों के साथ नियमित बैठक कर शिक्षकों की समस्याओं का समाधान होगा। बड़ी संख्या में संगठन बढ़े हैं। वहीं शासन से भी संगठन शिकायतें कर रहे हैं। इस पर मांगे जा रहे जवाब व सूचनाओं से विभाग परेशान है। इसे देखते हुए निदेशक ने विभागीय अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी किया है। 


    प्रदेश में शिक्षक संगठनों की बढ़ती बाढ़ एवं सीएम पोर्टल आईजीआरएस पर लगातार दर्ज हो रही शिकायतों के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यह निर्णय किया है। विभाग ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश जारी करने के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय एवं नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को भी पत्र भेजा है। 


    कुछ महीनों के दौरान विभिन्न शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर संगठनों की ओर से सीधे मुख्यमंत्री पोर्टल पर अनाप-शनाप शिकायतें दर्ज कराई जा रही है। जिस पर मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से विभाग से रिपोर्ट तलब की गई । विभागीय जांचों में ज्यादातर शिकायत करने वाले फर्जी संगठन एवं फर्जी लेटरपैड का इस्तेमाल करने वाले पाए गए जबकि कुछ शिकायतें व्यक्तिगत स्वार्थ से जुड़ी पाई गई।


    उन्होंने कहा है कि कार्मिक विभाग के शासनादेश के अनुसार सिर्फ मान्यता प्राप्त संघों, महासंघों, परिसंघों के ज्ञापन पर ही विचार करें। जिन मान्यता प्राप्त संगठनों में सेवानिवृत्त सरकारी सेवक पदाधिकारी हैं, उनके ज्ञापन पर भी विचार नहीं किया जाएगा। 

    CBSE लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता का पढ़ाएगा पाठ, 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए 15 अक्टूबर को आयोजित होगा चुनावी साक्षरता वेबिनार

    CBSE लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता का पढ़ाएगा पाठ, 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए 15 अक्टूबर को आयोजित होगा चुनावी साक्षरता वेबिनार

    वेबिनार का उद्देश्य छात्रों को चुनावी प्रक्रिया और उनकी नागरिक जिम्मेदारियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करना


    नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) छात्रों को लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता का पाठ पढ़ाने जा रहा है। इसके लिए नौवीं से बारहवीं के छात्रों में नागरिक सहभागिता, लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता को बढ़ाने के लिए आगामी 15 अक्तूबर से साक्षरता वेबिनार आयोजित किया जाएगा। वेबिनार का उद्देश्य छात्रों को चुनावी प्रक्रिया में जिम्मेदारियां, लोकतांत्रिक सिद्धांतों की गहरी समझ को बढ़ावा देना है।

    बोर्ड का मानना है कि इस वेबिनार से छात्रों में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और सक्रिय नागरिकता की गहरी समझ को बढ़ावा मिलेगा। बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि वे इस वेबिनार में छात्रों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयास करें।

    एक घंटे के इस सत्र में उन्हें चुनावी साक्षरता के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। इससे छात्र भी चुनावी साक्षरता को लेकर जागरूक हो सकेंगे। बोर्ड की ओर से इसके लिए एक लिंक भी स्कूलों को भेजा गया है, जिसके माध्यम से छात्र इस वेबिनार का हिस्सा बन सकते हैं।




    कक्षा 6 से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्र पढ़ेंगे लोकतंत्र, मतदान आदि की चुनावी प्रक्रिया


    नई दिल्ली। कक्षा छठीं से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्र चुनावी प्रक्रिया भी पढ़ेंगे। छात्रों को लोकतंत्र, मतदान आदि की प्रक्रिया समझाने के लिए एनसीईआरटी बाकायदा पाठ्यक्रम भी तैयार करेगा।

    चुनावी प्रक्रिया की परीक्षा देने के बाद उनके सर्टिफिकेट और डिग्री में उसके क्रेडिट भी जुड़ेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने मंगलवार को इस संबंध में सभी राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों को पत्र लिखा है।

    पत्र में स्कूली शिक्षा से ही छात्रों को जागरूक करने के मकसद से चुनावी प्रक्रिया को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई है। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय और भारत निर्वाचन आयोग में समझौता हुआ है। पत्र में चुनावी भागीदारी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और इसके लिए युवाओं में रूचि पैटा करना जरूरी बताया गया है।



    राजनीति में युवाओं की भागीदारी के लिए जरूरी

    यूजीसी सचिव ने कहा कि यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में युवाओं की भागीदारी भी बेहद जरूरी है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मतदान का आंकड़ा बेहद कम है। शहरों मतदाताओं को लोकतंत्र के मेले में मतदान के प्रति जागरूक करने में युवा बेहद अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्हें चुनावी प्रक्रिया के बारे में पाठ्यक्रम के माध्यम से पढ़ाया जाएगा।


    ईवीएम, वीवीपैट के बारे में पढ़ेंगे छात्र

    चुनावी प्रक्रिया में छात्रों को ईवीएम, वीवीपैट, भारत निर्वाचन आयोग मोबाइल ऐप, बैलेट यूनिट मतदान कंपार्टमेंट, कंट्रोल यूनिट, पीठासीन अधिकारी, 2 मतदान अधिकारी, पोलिंग एजेंट, वोटिंग कंपार्टमेंट, नोटा आदि के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। इसका मकसद उन्हें चुनावी प्रक्रिया की हर जानकारी से रूबरू करवाना है। शिक्षण संस्थानों में चुनावी प्रकिया को समझाने के लिए मॉक पोल यानी चुनाव का ट्रायल भी करवाया जाएगा।

    CBSE Exam 2025: 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य, सीबीएसई ने जारी कीं गाइडलाइंस

    CBSE Exam 2025: 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य, सीबीएसई ने जारी कीं गाइडलाइंस


    सीबीएसई परीक्षा 2025 से पहले बोर्ड ने अपने संबंद्ध स्कूलों को एक बार याद दिलाया है कि बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए छात्र की 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है।

    सीबीएसई 10वीं 12वीं परीक्षा 2025 से पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने संबंद्ध स्कूलों को एक बार याद दिलाया है कि बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए छात्र की 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है। अगर किसी छात्र की अटेंडेंस स्कूल में 75 फीसदी से कम होती है तो वह बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य होगा। 

    सीबीएसई ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि बोर्ड कुछ मामलों में 25 फीसदी की छूट दे सकता है जैसे मेडिकल इमरजेंसी, राष्ट्रीय खेलों में हिस्सेदारी या फिर अन्य कोई गंभीर वजह वगैरह। इस राहत को पाने के लिए छात्र को संबंधित डॉक्यूमेंट दिखाने होंगे।

    बोर्ड ने स्कूलों को छात्रों को इस बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, 'स्कूलों को नियमित रूप से अटेंडेंस रिकॉर्ड की निगरानी करनी चाहिए और उसे सही रखना चाहिए। अटेंडेंस रजिस्टर को रोजाना अपडेट किया जाना चाहिए। इस पर क्लास टीचर और स्कूल के सक्षम अधिकारी के साइन होने चाहिए। यह कभी भी सीबीएसई के निरीक्षण के लिए आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।'

    केंद्रीय बोर्ड ने ऐसे समय पर अपनी गाइडलाइंस दोहराईं हैं जब वह डमी स्कूलों के खिलाफ बेहद सख्त है। डमी स्कूल वे स्कूल हैं जहां स्टूडेंट्स के बिना आए ही उनकी हाजिरी लगा दी जाती है। यह सीबीएसई के नियमों के खिलाफ है। 

    हाल ही में सीबीएसई ने दिल्ली व राजस्थान के कई स्कूलों में औचक निरीक्षण कर गड़बड़ी मिलने पर उन्हें नोटिस भी जारी किया था। दरअसल'डमी स्कूल' आम स्कूलों की तरह होते हैं बस यहां ऐसे छात्रों को नियमित कक्षाओं के लिये आने की जरूरत नहीं होती जो जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी कर रहे होते हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है। 

    इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं ( जेईई मेन व नीट जैसी प्रवेश परीक्षाएं ) की तैयारी करने वाले बड़ी संख्या में छात्र 'डमी स्कूलों' में दाखिला लेना पसंद करते हैं, ताकि वे केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वे कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो जाते हैं। अब सीबीएसई इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए हरकत में आ गया है।

    इसके अलावा सीबीएसई ने नोटिस में यह भी बताया गया है कि बोर्ड छात्रों की अटेंडेंस के रिकॉर्ड की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण भी कर सकता है। ऐसे निरीक्षणों के दौरान यदि यह पाया जाता है कि रिकॉर्ड अधूरे हैं या यह पता चलता है कि छात्र नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहे हैं, तो स्कूल को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। स्कूल की मान्यता रद्द भी हो सकती है। छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने से अयोग्य ठहराया जा सकता है।

    यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में 30 अंक के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक, एकरूपता लाने का निर्णय

    यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में 30 अंक के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक, एकरूपता लाने का निर्णय 


    हाईस्कूल परीक्षा के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक 

    यूपी बोर्ड ने एकरूपता को मानक निर्धारित कर तैयार किया प्रारूप 

    निर्धारित 30 अंक को कुछ श्रेणी में बांट बनेगी मूल्यांकन व्यवस्था


    प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के लिए छात्र-छात्राओं के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन में विद्यालय व शिक्षकवार अलग- अलग व्यवस्था नहीं चलेगी। शैक्षिक सत्र 2025-2026 से विषयवार परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन का मानक बदल जाएगा। इसके लिए यूपी बोर्ड ने प्रारंभिक तौर पर एक प्रारूप तैयार किया है। इसे विशेषज्ञों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जाएगा। इसी माह कार्यशाला भी होगी। उसके बाद परीक्षार्थियों के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। उसी अनुरूप शिक्षकों को आंतरिक मूल्यांकन करना होगा।


    आंतरिक मूल्यांकन 30 अंक का होता है, जिसके अंक विषयों की बोर्ड की लिखित परीक्षा में जुड़ते हैं। वर्तमान में शिक्षक छात्र-छात्राओं से उनके विषय एवं प्रोजेक्ट वर्क से जुड़े कुछ प्रश्न पूछकर तथा छमाही लिखित परीक्षा के अंकों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के अंक देते हैं। इससे एक ही विद्यालय तक में अलग-अलग सेक्शन के छात्र छात्राओं के आंतरिक मूल्यांकन के तरीके में एकरूपता नहीं रहती। इस कारण किसी को पूरे 30 अंक तक तो किसी को इकाई तक में ही अंक मिलते हैं। ऐसे में यूपी बोर्ड ने आंतरिक मूल्यांकन में एकरूपता लाने का निर्णय लिया है। 


    बोर्ड सचिव भगवती सिंह के निर्देशन में अपर सचिव (पाठ्यपुस्तक) सत्येंद्र सिंह ने शोध सहायकों के सहयोग से एक प्रारूप तैयार किया है। प्रारूप को बोर्ड अधिकारियों, विषय विशेषज्ञों, कुछ प्रधानाचार्यों एवं प्रवक्ताओं की 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में विमर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। कार्यशाला में यूपी बोर्ड के पूर्व सचिव पवनेश कुमार, सीबीएसई बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली विशेष रूप से आएंगे।


    नए ड्राफ्ट में आंतरिक मूल्यांकन के 30 अंक को अलग-अलग श्रेणी के प्रश्नों के लिए बांटा गया है। उदाहरण के तौर पर मौखिक परीक्षा (वायवा) के लिए पूर्णांक पांच या कुछ और अंक तय किया गया है। इसी तरह प्रोजेक्ट कार्य का पूर्णांक भी पांच या कुछ और अंक है। कुछ पूर्णांक भाषा वाचन पर है तो कुछ पूर्णांक गणित के सूत्र व विज्ञान के नियम पर है। इन श्रेणियों में पूर्णांक ऐसे निर्धारित किए गए हैं कि सभी का पूर्णांक योग 30 है। इस तरह परीक्षक को हर श्रेणी के पूर्णांक के क्रम में आंतरिक मूल्यांकन के समय अंक प्रदान करना होगा।

    विद्यालयों में भेजे जाएंगे कार्यालय में संबद्ध शिक्षक

    विद्यालयों में भेजे जाएंगे कार्यालय में संबद्ध शिक्षक

    अशासकीय माध्यमिक सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय या अन्य कार्यालयों में संबद्धीकरण समाप्त किया जाएगा। शासन ने जिला विद्यालय निरीक्षक और वित्त एवं लेखाधिकारी को शिक्षकों व कर्मचारियों का कार्यालय में संबद्धीकरण समाप्त करके विद्यालयों में भेजने के निर्देश दिए हैं।

     शिक्षकों व कर्मचारियों को कार्यालय में संबद्ध कर उनका वेतन विद्यालय से निकाला जा रहा है, जबकि शिक्षक का मूल विद्यालय की जगह कार्यालय में संबद्ध करने का कोई शासनादेश नहीं है। शिक्षक को कार्यालय में संबद्ध करने पर विद्यालय की शिक्षण गतिविधियां प्रभावित हो रहे हैं। 

    अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक और वित्त एवं लेखाधिकारी को पत्र भेजकर कार्यालय में संबद्ध शिक्षकों व कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर मूल विद्यालय में भेजने के निर्देश दिए हैं।

    उन्होंने शासन की अनुमति के बिना कार्यालय में शिक्षक को संबद्ध करने और उनका वेतन मूल विद्यालय से निकालने की शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करने की चेतावनी दी है। 



    माध्यमिक शिक्षकों की कार्यालयों से सबद्धता होगी खत्म

    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों का डीआईओएस व अन्य कार्यालयों से संबद्धता तत्काल समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उनके मूल विद्यालय से वेतन जारी करने पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। 


    विभाग ने कहा है कि इस बारे में कोई शासनादेश भी नहीं है। इससे विद्यालय का काम भी प्रभावित हो रहा है। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी डीआईओएस व वित्त एवं लेखाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि अपने जिले के एडेड विद्यालयों के शिक्षकों की संबद्धता तत्काल निरस्त कर उन्हें मूल विद्यालय भेजा जाए। 

    यदि इस तरह की शिकायत आती है तो इसके लिए डीआईओएस व मूल विद्यालय से वेतन जारी करने पर वित्त एवं लेखाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। 

    Saturday, October 12, 2024

    CBSE : 10वी, 12वीं का आंतरिक मूल्यांकन एक जनवरी से

    CBSE : 10वी, 12वीं का आंतरिक मूल्यांकन एक जनवरी से

    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के तहत सीबीएसई ने जारी किए दिशा-निर्देश 


    नई दिल्ली । दसवीं व बारहवीं कक्षाओं के लिए प्रैक्टिकल, प्रोजेक्ट व आंतरिक मूल्यांकन की प्रक्रिया एक जनवरी से शुरू होगी। वहीं, ठंडे प्रदेशों में स्थित स्कूलों के लिए यह परीक्षाएं पांच नवंबर से पांच दिसंबर तक आयोजित की जाएंगी। दरअसल ठंडे प्रदेशों में सर्दी के मौसम में स्कूल बंद रहते हैं। इस कारण इन स्कूलों में प्रैक्टिकल परीक्षाएं सर्दी का मौसम शुरू होने से पहले आयोजित कराई जाएंगी।


    सीबीएसई ने स्कूलों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। स्कूलों को कहा गया है कि वे प्रैक्टिकल परीक्षाओं को समय पर पूरा करने के लिए कदम उठाएं। स्कूलों को कहा गया है कि वह छात्रों की अंतिम सूची तैयार करें और सुनिश्चित करें कि स्कूल का कोई भी छात्र, जिसका नाम लिस्ट ऑफ कैंडिडेट (एलओसी) में प्रस्तुत नहीं किया गया है, उसे इन प्रैक्टिकल परीक्षाओं व आंतरिक मूल्यांकन में शामिल होने की अनुमति न दी जाए।

    सूबे के 76% स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं, सेना से रिटायर होने वाले अग्निवीर बनेंगे खेल शिक्षक

    सूबे के 76% स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं, सेना से रिटायर होने वाले अग्निवीर बनेंगे खेल शिक्षक


    लखनऊ। अगले वर्ष सेना से रिटायर होने वाले प्रदेश के अग्निवीरों को माध्यमिक स्कूलों में खेल शिक्षक पद पर रखे जाने पर सरकार विचार कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से इस बारे में सुझाव मांगा है। 

    विभाग के सुझाव के बाद प्रस्ताव पर कैबिनेट से मंजूरी ली जाएगी। फिलहाल माध्यमिक शिक्षा विभाग प्रदेश में खेल टीचरों के मंजूर पदों के सापेक्ष रिक्त पदों के आंकड़े जुटाने में लग गया है। प्रदेश के करीब 740 माध्यमिक स्कूलों में एक भी खेल शिक्षक नहीं है। 620 से अधिक माध्यमिक स्कूलों में करीब 2400 छात्रों पर मात्र एक खेल शिक्षक है।



    लखनऊ । प्रदेश में 76 फीसदी स्कूलों में गेम टीचर नहीं हैं, जहां हैं वहां मानक के अनुसार नहीं हैं। यह स्थिति तब है जबकि 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में हर विद्यार्थी को स्पोर्ट्स की 50-50 अंकों के थ्यौरी और आंतरिक परीक्षा अनिवार्य रूप से उत्तीर्ण करना होता है।

    सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखकर अभी से अग्निवीरों के लिए प्रदेश में सरकारी नौकरी में भी बेहतर समायोजन की सम्भावना तलाशनी शुरू कर दी है। 


    इसी परिप्रेक्ष्य में यूपी पुलिस और पीएसी के बाद अब स्कूलों में स्पोर्टस टीचर के पद पर भी अग्निवीरों को समायोजित करने की सम्भावना खोजी जा रही है। चूंकि अग्निवीरों को सेना में शारीरिक दक्षता (फिजिकल ट्रेनिंग) और खेल-कूद का उच्च स्तरीय प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) मिलता है लिहाजा सरकार माध्यमिक स्कूलों में पीटी अथवा स्पोर्टस टीचर के पदों पर अग्निवीरों को नियुक्त करना चाहती है।

    इससे सरकार के दो काम आसान हो जाएंगे। पहला अग्निवीरों का समायोजन का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं स्कूलों को प्रशिक्षित गेम, पीटी या स्पोर्टस टीचर मिल जाएंगे।


    कोर्ट की फटकार के बाद जागी सरकारः

    स्कूलों में खेलकूद की कोई सुविधा नहीं होने तथा स्पोर्टस टीचर का पद रिक्त रहने या मानक के हिसाब से बेहद कम संख्या में होने का मामला कोर्ट में उठाया गया था। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को फटकार लगाई।

    इसके बाद शासन से लेकर विभागीय स्तर पर हुई कवायद के बाद यह सुझाव दिया गया कि जिन स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं, वहां पास के पार्कों या खाली पड़ी सरकारी भूमि को स्कूलों को खेलकूद के लिए आवंटित कर दिया जाए। साथ ही खेल शिक्षक के पदों को संविदा अथवा आउटसोर्सिंग से शीघ्र भरा जाए।

    डीएलएड में प्रवेश के लिए 2.75 लाख अभ्यर्थियों ने किया अंतिम रूप से आवेदन

    डीएलएड में प्रवेश के लिए 2.75 लाख अभ्यर्थियों ने किया अंतिम  रूप से आवेदन

    फोटो और अन्य शैक्षिक अभिलेख अपलोड करने की अंतिम तिथि आज

    प्रयागराज। डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड)-2024 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। बृहस्पतिवार रात तक फीस भी जमा हो चुकी है। कोर्स के लिए करीब तीन लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन शुल्क 2.75 लाख ने ही जमा किए। फीस जमा कर चुके अभ्यर्थी फोटो व अन्य शैक्षिक अभिलेख 12 अक्तूबर तक अपलोड कर सकते हैं। उसी के साथ ही वह भरे हुए आवेदन को डाउनलोड कर सकते हैं। यह आवेदन उन्हें काउंसलिंग के समय काम आएगा।


    डीएलएड में प्रवेश के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) ने 18 सितंबर को पोर्टल आवेदन का लिंक जारी किया था। इस कोर्स के लिए सरकारी और निजी विद्यालयों में 2.28 लाख सीटें हैं। पिछले कई वर्षों से शिक्षक भर्ती न आने के कारण सभी सीटें नहीं भर पाती हैं।

    पीएनपी के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि 16 अक्तूबर को मेरिट जारी की जाएगी। 17 से 30 अक्तूबर तक काउंसलिंग करके विद्यालय आवंटन किया जाएगा। सीटें खाली रहने पर दूसरे चरण की काउंसलिंग की जाएगी।

    दीपावली से पहले अक्तूबर माह का वेतन दिलाने की सीएम योगी से मांग

    दीपावली से पहले अक्तूबर माह का वेतन दिलाने की सीएम योगी से मांग


    लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर दीपावली से पहले अक्तूबर माह का वेतन दिलाने की मांग की है। एसोसिएशन ने कहा है कि 29 अक्तूबर को धनतेरस है। 30-31 अक्तूबर को क्रमशः नरक चतुर्दशी व दीपावली है। 

    एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा है कि पूरे प्रदेश में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसे में अक्तूबर माह का वेतन त्योहार से पहले मिलने से शिक्षक व कर्मचारी इसे बेहतर तरीके से मना सकेंगे।

     संगठन के प्रांतीय महामंत्री आशुतोष मिश्र ने कहा कि कुछ जिलों के जिलाधिकारी ने अपने स्तर से दीपावली से पूर्व शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन देने का आदेश भी दे दिया है। ऐसे में दीपावली पर प्रदेश के सभी शिक्षकों व कर्मचारियों को अक्तूबर का वेतन 30 तारीख से पहले देने की कृपा करें। 


    Friday, October 11, 2024

    अब 14 दिसंबर को होगा CTET, आवेदन 16 अक्टूबर तक


    अब 14 दिसंबर को होगा CTET, आवेदन 16 अक्टूबर तक


    सीबीएसई ने प्रशासनिक कारणों से केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) के 20वें संस्करण की परीक्षा तिथियों में दूसरी बार पुन: संशोधन किया है। अब परीक्षा 14 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। परीक्षा फॉर्म 16 अक्टूबर रात 11:59 बजे तक भर सकते हैं। इससे पहले परीक्षा की तिथि एक दिसंबर थी, जिसे बदल कर 15 दिसंबर किया था।

    अब गुरुवार को 15 दिसंबर की तिथि में भी बदलाव करते हुए सीटीईटी 14 दिसंबर को आयोजित करने का फैसला लिया गया है। सीबीएसई ने कहा है कि कई परीक्षार्थियों से यह जानकारी प्राप्त हुई थी कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 15 दिसंबर को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन होना निर्धारित है। अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सीटीईटी परीक्षा का 14 दिसंबर को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। बोर्ड ने कहा है कि यदि कुछ शहरों में अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होती है तो परीक्षा 15 दिसंबर को आयोजित की जा सकती है। परीक्षा देश के 136 शहरों में निर्धारित है।



    CTET  : फिर बदली केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की तिथि, अब यह है नई डेट

    CTET December 2024 date : सीटीईटी परीक्षा तिथि में दूसरी बार बदलाव किया गया है। नोटिफिकेशन में परीक्षा तिथि 1 दिसंबर 2024 बताई गई थी जिसे प्रशासनिक कारणों से बदलकर 15 दिसंबर कर दिया गया था। अब इसे बदलकर 14 दिसंबर कर दिया गया है।

    CTET December 2024 date : सीबीएसई ने दिसंबर सत्र की केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा ( सीटीईटी ) की तिथि में एक बार फिर बदलाव किया है। अब यह परीक्षा 15 दिसंबर की बजाय 14 दिसंबर को होगी। ताजा नोटिस में सीबीएसई ने यह भी कहा गया है कि अगर किसी शहर में अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है तो परीक्षा 15 दिसंबर को भी आयोजित की जा सकती है। गौरतलब है कि परीक्षा तिथि में दूसरी बार बदलाव किया गया है। नोटिफिकेशन में परीक्षा तिथि 1 दिसंबर 2024 बताई गई थी जिसे प्रशासनिक कारणों से बदलकर 15 दिसंबर कर दिया गया था। देश के 136 शहरों में 20 भाषाओं में यह परीक्षा होगी।


    सीबीएसई ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा को लेकर जारी ताजा नोटिस में कहा, 'अभ्यर्थियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 15 दिसंबर 2024 (रविवार) को कुछ प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं। इसलिए अभ्यर्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए, सीटीईटी परीक्षा 14 दिसंबर 2024 (शनिवार) को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। यदि किसी शहर में अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है, तो परीक्षा 15 दिसंबर, 2024 (रविवार) को भी आयोजित की जा सकती है।'


    सीबीएसई सीटीईटी की आधिकारिक वेबसाइट ctet.nic.in पर आवेदन प्रक्रिया जारी है। आवेदन की अंतिम तिथि 16 अक्टूबर 2024 है। आपको बता दें कि सीबीएसई हर साल दो बार सीटीईटी परीक्षा आयोजित करता है। पहली परीक्षा जुलाई और दूसरी दिसंबर के महीने में आयोजित की जाती है। सीटेट के पेपर -1 में भाग लेने वाले सफल उम्मीदवार कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक के लिए होने वाली शिक्षक भर्ती के लिए योग्य माने जाएंगे। जबकि पेपर -2 में बैठने वाले सफल अभ्यर्थी कक्षा 6 से 8वीं तक के लिए होने वाली शिक्षक भर्ती के लिए योग्य माने जाएंगे।इस परीक्षा को पास करने वाले परीक्षार्थी देशभर के केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और आर्मी स्कूलों में शिक्षकों के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं।

    आवेदन फीस -

    जनरल व ओबीसी
    पेपर-1 या पेपर-2 के लिए 1000 रुपये
    दोनों पेपरों के लिए - 1200 रुपये

    एससी, एसटी, दिव्यांग
    पेपर-1 या पेपर-2 के लिए - 500 रुपये
    दोनों पेपरों के लिए - 600 रुपये


    कितने होने चाहिए न्यूनतम मार्क्स

    सीटीईटी परीक्षा को पास करने के लिए किसी भी अभ्यर्थी को न्‍यूनतम योग्यता अंक हासिल करना आवश्यक है।

    CTET मिनिमम पासिंग मार्क्स - जनरल कैटेगरी के लिए 150 में कम से कम 90 अंक (60 प्रतिशत ) आने चाहिए, जबकि एससी, एसटी के लिए 150 में से 82 अंक (55 फीसदी ) आने चाहिए।

    विद्यालय निरीक्षक संघ के निर्वाचन की दृष्टिगत प्रतिभाग करने वाले सदस्य खंड शिक्षा अधिकारियों (BEOs) को 26 अक्टूबर को मिलेगा विशेष अवकाश

    विद्यालय निरीक्षक संघ के निर्वाचन की दृष्टिगत प्रतिभाग करने वाले सदस्य खंड शिक्षा अधिकारियों (BEOs) को 26 अक्टूबर को मिलेगा विशेष अवकाश 


    कस्तूरबा विद्यालयों की 76000 छात्राओं ने लिया गाइड प्रशिक्षण, बीएड-डीएलएड सहित सड़क परिवहन एवं रेलवे में मिलेगी वरीयता

    कस्तूरबा विद्यालयों की 76000 छात्राओं ने लिया गाइड प्रशिक्षण, बीएड-डीएलएड सहित सड़क परिवहन एवं रेलवे में मिलेगी वरीयता
     

    लखनऊ। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की 76000 छात्राओं को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तीन दिन का गाइड प्रशिक्षण दिलाया गया है। तीन से 10 अक्तूबर तक यह प्रशिक्षण विद्यालयों में आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण लेने वाली बालिकाओं को जहां बीएड, डीएलएड में भारांक मिलेगा। वहीं सड़क परिवहन एवं रेलवे की स्काउट-गाइड की भर्ती में इन्हें वरीयता दी जाएगी।


    बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि प्रदेश की सभी 746 केजीबीवी में गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। डन विद्यालयों में 2238 गाइड यूनिट पंजीकृत की गईं, इनके माध्यम से 76000 छात्राओं ने गाइड प्रशिक्षण पूरा किया है। इससे आगे बालिकाओं को शिक्षा के क्षेत्र में भारांक के साथ ही नौकरी में भी सहूलियत मिलेंगी।


    इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्राओं को स्काउटिंग-गाइडिंग के नियम, सिद्धांत और प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जानकारी दी गई। इन्हें गांठें बांधना, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स का प्रयोग, झोली, तिकोनी पट्टी से पत्तियां बांधने जैसी तकनीक भी सिखाई गईं। 

    बेसिक शिक्षा: डिजिटल हाजिरी में कौशांबी टॉप पर, भदोही दूसरे स्थान पर

    बेसिक शिक्षा: डिजिटल हाजिरी में कौशांबी टॉप पर, भदोही दूसरे स्थान पर


    प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल हाजिरी और मध्याह्न भोजन (एमडीएम) वितरण की प्रक्रिया में कौशांबी ने पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि भदोही जिले को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है। शासन द्वारा जारी ताज़ा रैंकिंग के अनुसार, पूर्वांचल क्षेत्र में केवल वाराणसी और भदोही टॉप टेन में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं।


    शिक्षकों की उपस्थिति और एमडीएम वितरण में गिरावट के कारण पहली रैंक पाने से जिला चूक गया। कौशांबी ने बेहतर प्रगति के साथ पहला रैंक हासिल किया। जुलाई से बच्चों, शिक्षकों की उपस्थिति से लेकर एमडीएम वितरण की ऑनलाइन प्रगति पोर्टल पर अपलोड की जा रही है।

    प्रत्येक दो से तीन महीने पर इसकी रैंक बनाई जा रही है। बच्चों और शिक्षकों की प्रतिदिन की उपस्थिति, विद्यालयों में एमडीएम सर्व करने की स्थिति का आंकलन कर रैंक शासन स्तर से जारी की जाती है।

    बुधवार को जारी रैंकिग में कौशांबी को पहला और  भदोही को दूसरा स्थान मिला है। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो भदोही में 5806 शिक्षकों में 15, बच्चों की उपस्थिति में एक लाख 18 हजार 259 जो कि 83.76 और एमडीएम सर्व में 65.3 फीसदी है। जबकि कौशांबी में शिक्षकों की उपस्थिति मात्र एक, बच्चों की उपस्थिति 93 फीसदी और एमडीएम सर्व में 65.50 फीसदी है। 

    Jeans T Shirts Reels Dance Banned for Teachers in Bihar बिहार के सरकारी स्कूलों में जींस-टीशर्ट बैन, ड्रेस कोड लागू; रील्स-डांस वीडियो पर भी लगी रोक

    Jeans T Shirts Reels Dance Banned for Teachers in Bihar 
    बिहार के सरकारी स्कूलों में जींस-टीशर्ट बैन, ड्रेस कोड लागू; रील्स-डांस वीडियो पर भी लगी रोक

    Dress Code For Teachers: बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के लिए नया ड्रेस कोड लागू किया है। अब शिक्षक फॉर्मल ड्रेस में आएंगे। टी-शर्ट पहनने पर पाबंदी लग गई है। स्कूल में रील्स, डांस और डीजे का वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर डालने पर भी रोक लगाई गई है। शिक्षकों और कर्मचारियों को अनुशासन बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।


    🔴 स्कूलों में अनुशासन बनाने के लिए उठाया गया कदम
    🔴 सोशल मीडिया, डांस-डीजे की भी मिली शिकायत
    🔴 सरकार अब स्कूलों में अनुशासन को लेकर सख्त


    पटनाः बिहार के सरकारी स्कूलों में अब टीचर जींस-टीशर्ट पहनकर नहीं आ सकेंगे। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ड्रेस कोड लागू कर दिया है। इसके साथ ही स्कूल में रील्स बनाना, डांस और डीजे के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने पर भी रोक लगा दी गई है।


    स्कूलों में अनुशासन बनाने के लिए उठाया गया कदम

    शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश जारी किए हैं। विभाग का कहना है कि स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।


    शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने बताया कि स्कूलों की गतिविधियों में शालीनता प्रकट करने और मर्यादित व्यवहार करने के लिए निर्देश दिया गया था, लेकिन यह देखा जा रहा है कि विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में तैनात शिक्षक- कर्मचारी कार्यालय संस्कृति के विरुद्ध अनौपचारिक परिधान (जैसे- जींस-टीशर्ट) में आ रहे हैं।


    सोशल मीडिया, डांस-डीजे की भी मिली शिकायत

    इसके अलावा सोशल मीडिया (फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम आदि) और अन्य माध्यमों से डांस, डीजे, डिस्को और अन्य निम्न स्तर की गतिविधियां विद्यालय परिसर में संचालित होते हुए पाया गया है। इस पर रोक लगाने के लिए अब शिक्षा विभाग की ओर से सख्त कदम उठाने के साथ ही आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।


    सरकार अब स्कूलों में अनुशासन को लेकर सख्त

    हालांकि इससे पहले भी शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शालीनता और मर्यादा बनाए रखने के लिए निर्देश जारी किए थे। लेकिन, इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा था। शिक्षा विभाग के इस नए आदेश से साफ है कि सरकार स्कूलों में अनुशासन को लेकर सख्त है।

    अखिल भारतीय बाल शैक्षिक ई-कंटेंट प्रतियोगिता 2024-25 हेतु प्रविष्टियों के लिए आमंत्रण!

    अखिल भारतीय बाल शैक्षिक ई-कंटेंट प्रतियोगिता 2024-25 हेतु प्रविष्टियों के लिए आमंत्रण!

     
    एनसीईआरटी सभी छात्रों, शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों, सरकारी संगठनों और स्वतंत्र ई-कंटेंट निर्माताओं से प्रविष्टियां आमंत्रित करता है। प्रविष्टियाँ भेजने की अंतिम तिथि दिसंबर 31, 2024 है।

    ➡️ अधिक जानकारी के लिए https://ciet.ncert.gov.in/AICEeCC पर जाएँ।


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    Thursday, October 10, 2024

    आदेशों की अवहेलना में बीएसए की रिपोर्ट पर बीईओ निलंबित

    आदेशों की अवहेलना में बीएसए की रिपोर्ट पर बीईओ निलंबित

    लगातार मिल रहीं शिकायतों को लेकर बीएसए ने भेजी थी शासन को रिपोर्ट


    पीलीभीत। बिलसंडा के खंड शिक्षाधिकारी (बीईओ) कैलाश चंद्र पांडेय को शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण न करने और आदेशों की अवहेलना पर शासन ने निलंबित कर दिया है। जांच प्रयागराज शिक्षा निदेशक को सौंपी गई है।

    बिलसंडा में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी कैलाश चन्द्र पांडेय पर शासन की गाज गिरी है। बीएसए की रिपोर्ट पर शासन ने उन्हें निलंबित करते हुए एडी बेसिक बरेली दफ्तर से संबद्ध किया है। बीईओ की 12 अगस्त को बीएसए ने रिपोर्ट शासन को भेजी थी।

    शासन स्तर से जब जांच कराई गई तो विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में रुचि न लेने, निस्तारण में देरी, उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना, शिक्षक शिक्षिकाओं की समस्याओं को लटकाए रखने, अवकाश स्वीकृति में अग्रेत्तर कार्रवाई न करने सहित कई मामलों में दोषी पाए गए थे।

    शासन ने जांच में बीईओ पर मानदेय भुगतान के लिए प्रस्ताव देरी से देने व कर्मचारी आचरण नियमावली के विरुद्ध कार्य करने का दोषी पाया था। इस पर अपर शिक्षा निदेशक ने खंड शिक्षा अधिकारी को निलंबित करते हुए शिक्षा निदेशक प्रयागराज को जांच सौंपी है। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया निलंबन आदेश मिला है। जांच रिपोर्ट पर बिलसंडा के खंड शिक्षाधिकारी को निलंबित किया गया है। 




    Veer Gatha Project 4.0 : बहादुरी की गाथा सुनाकर पुरस्कार जीत सकेंगे विद्यार्थी, कक्षा तीन से 12वीं तक के विद्यार्थी वीर गाथा प्रतियोगिता में लेंगे हिस्सा

    Veer Gatha Project 4.0 : बहादुरी की गाथा सुनाकर पुरस्कार जीत सकेंगे विद्यार्थी, कक्षा तीन से 12वीं तक के विद्यार्थी वीर गाथा प्रतियोगिता में लेंगे हिस्सा


    प्रोजेक्ट वीर गाथा में देश भर के छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीतने का मौका मिल सकता है। इसमें कक्षा तीन से 12वीं तक के बच्चे देश के वीरों के बारे में कविता, कहानी, निबंध, चित्रकला व वीडियो बनाकर पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं।

    जिला स्तर पर चार, राज्य स्तर पर आठ व राष्ट्रीय स्तर पर 100 बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। प्रतियोगिता के लिए 15 अक्तूबर तक स्कूली छात्रों के बीच सशस्त्र बलों के कर्मियों की बहादुरी के विवरण का प्रचार-प्रसार करने के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड्स पोर्टल की स्थापना की गई है।


    इसमें वीरता पुरस्कार विजेताओं पर कविता, निबंध, कहानी, चित्र, वीडियो आदि प्रतियोगिताओं में सक्रिय भागीदारी कराई जाएगी। जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता कराई जाएगी। विजेताओं को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। 


    प्रतियोगिता का शुरुआती स्तर स्कूल का होगा। इसमें कक्षा तीन से पांच, छह से आठ, नौ से 10 व 11 से 12 अलग-अलग प्रतियोगिताएं होंगी। प्रत्येक श्रेणी में शीर्ष चार प्रविष्टियां तक पोर्टल पर अपलोड की जाएंगी। इसी के साथ प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों की कुल संख्या भी प्रदर्शित की जाएगी। स्कूलों से प्राप्त प्रविष्टियों का जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन होगा। 

    महाअष्टमी और नवमी के अवकाश की मांग लगातार जारी, शासन और विभागों के निर्णय पर टिकी सबकी नजरें


    महाअष्टमी और नवमी के अवकाश की मांग लगातार जारी, शासन और विभागों के निर्णय पर टिकी सबकी नजरें 




    अष्टमी और नवमी के अवकाश की माँग को लेकर शिक्षा मंत्री से मांग 

    07 अक्टूबर 2024
    लखनऊ: प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों ने दशहरे के अवसर पर अष्टमी और नवमी को अवकाश घोषित करने की माँग को लेकर शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा है। शिक्षक संघ के महामंत्री नरेन्द्र कुमार वर्मा और सुरेश कुमार त्रिपाठी ने पत्र में बताया कि पहले वर्षों में अष्टमी और महानवमी का अवकाश दिया जाता था, लेकिन इस वर्ष शिक्षा निदेशक द्वारा जारी अवकाश तालिका में केवल 12 अक्टूबर (दशहरे) को ही अवकाश घोषित किया गया है। 

    शिक्षकों ने बताया कि धार्मिक दृष्टिकोण से लोग एक सप्ताह के व्रत के बाद हवन और पूजन करते हैं, जिसके लिए अष्टमी और नवमी के दिन अवकाश अत्यंत आवश्यक हैं। शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री से आग्रह किया कि वह शिक्षा निदेशक को निर्देश दें ताकि इन दो दिनों का अवकाश पुनः बहाल किया जा सके।



    महानवमी अवकाश को लेकर RSM का ज्ञापन, 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित करने की मांग

    06 अक्टूबर 2024
    प्रयागराज: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को एक ज्ञापन प्रेषित कर प्रदेश के शिक्षकों ने 11 अक्टूबर 2024, दिन शुक्रवार को महानवमी का अवकाश घोषित करने की मांग की है। इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह और प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह के नेतृत्व में शिक्षकों ने ज्ञापन सौंपा। 

    ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि इस वर्ष की अवकाश तालिका में महानवमी का अवकाश 12 अक्टूबर 2024 को दर्ज है, जबकि महाष्टमी और महानवमी 11 अक्टूबर 2024 को पड़ रही है। इसके चलते शिक्षकों ने अवकाश तालिका में बदलाव कर 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित करने का अनुरोध किया है। ज्ञापन में बताया गया है कि महाष्टमी और महानवमी के अवसर पर प्रदेश के अधिकांश शिक्षक और छात्र अपने घरों में कन्या पूजन और भोज के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जिससे उनकी उपस्थिति प्रभावित हो सकती है। 

    पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी महानवमी पर अवकाश की मांग रखते हुए शिक्षकों ने परिषद से अवकाश की तिथि में सुधार करने की अपील की है। संगठन ने इस मांग पर शीघ्र निर्णय लेने की अपेक्षा जताई है, ताकि शिक्षक और छात्र दोनों ही त्योहार को सुचारू रूप से मना सकें। ज्ञापन के अंत में संगठन ने सचिव से अनुरोध किया है कि इस तिथि को ध्यान में रखते हुए 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित कर शिक्षकों और विद्यार्थियों को राहत प्रदान की जाए।






    परिषदीय विद्यालयों में हो महाअष्टमी-नवमी की छुट्टी, PSPSA की मांग

    04 अक्टूबर 2024
    लखनऊ। प्राथमिक प्रशिक्षित शिक्षक स्नातक एसोसिएशन ने सीएम योगी को पत्र भेजकर परिषदीय विद्यालयों में महाअष्टमी व नवमी पर छुट्टी घोषित करने की मांग की है। 

    एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने कहा है कि नवरात्रि बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है। हर घर में हवन-पूजन व कन्या भोज होता है। परिषद की अवकाश तालिका में महानवमी का अवकाश विजय दशमी के दिन 12 अक्तूबर को किया गया है जबकि महाअष्टमी 10 अक्तूबर व महानवमी 11 अक्तूबर को है। ऐसे में 10 व 11 अक्तूबर को भी छुट्टी की जाए ताकि शिक्षक भी महाष्टमी व महानवमी का पर्व मना सके।