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Tuesday, August 22, 2119

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    Saturday, February 22, 2025

    शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का कोई इरादा नहीं; संविदा कर्मी का मानदेय 20 हजार रुपए किए जाने की बजट घोषणा के बीच शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के विषय में ठोस जवाब नहीं दे पाए बेसिक शिक्षा मंत्री

    शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का कोई इरादा नहीं; संविदा कर्मी का मानदेय 20 हजार रुपए किए जाने की बजट घोषणा के बीच शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के विषय में ठोस जवाब नहीं दे पाए बेसिक शिक्षा मंत्री 


    बजट सत्र के दौरान सपा MLC डॉ. मान सिंह के सवाल का जवाब देते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि शिक्षा मित्रों का वेतन बढ़ाए जाने का कोई इरादा नहीं है। संदीप सिंह ने कहा शिक्षा मित्र मानदेय आधारित संविदा कर्मी हैं। 

    वहीं ध्रुव कुमार ने पूछा कि संविदा कर्मी का मानदेय 20 हजार रुपए किए जाने की घोषणा बजट में की गई है। शिक्षा मित्र को भी 20 हजार मिलेगा या नहीं? इस पर मंत्री ठोस जवाब नहीं पाए।

    वर्ष 2025 की यूपी बोर्ड परीक्षा में कतिपय विद्यालय के छात्र/छात्राओं के सेक्स कोड परिवर्तन होने के कारण उनके परीक्षा केन्द्र विसंगतिपूर्ण आवंटित होने के सम्बन्ध में निर्देश जारी

    वर्ष 2025 की यूपी बोर्ड परीक्षा में कतिपय विद्यालय के छात्र/छात्राओं के सेक्स कोड परिवर्तन होने के कारण उनके परीक्षा केन्द्र विसंगतिपूर्ण आवंटित होने के सम्बन्ध में निर्देश जारी 


    बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न की जाए कड़ी कार्रवाई : हाईकोर्ट


    बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न की जाए कड़ी कार्रवाई : हाईकोर्ट

    हाईकोर्ट ने अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा


    22 फरवरी 2025
    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों के खाली पदों के चलते बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। यह उनके मौलिक अधिकार का हनन है। इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर क्यों न कड़ी कार्रवाई की जाए।

    यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत ने बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की प्रबंध समिति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस संबंध में अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय कमेटी ने कहा कि एक समय था, जब विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक व चार सहायक अध्यापक कार्यरत थे। वर्तमान में विद्यालय में न प्रधानाध्यापक हैं और न ही सहायक अध्यापक। 

    15 नवंबर 2022 को भर्ती परिणाम घोषित किया गया था। हाईकोर्ट से उस पर रोक थी। लेकिन, वह याचिका भी 15 फरवरी 2024 को खारिज हो गई है। एक साल बीतने के बाद भी खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। विद्यालय मान्यता प्राप्त व राज्य वित्त पोषित है। उसमें कोई भी सरकारी अध्यापक नहीं है। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि सभी बाधाएं हटने के एक साल बाद भी खाली पदों को अभी तक भरा नहीं गया है। कोर्ट ने अपर सचिव से पूछा है कि लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों न की जाए। मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।




    शिक्षकों की कमी एक समस्या है लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है – जागरण संपादकीय 

    05 फरवरी 2025
    किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक ही न हो तो उस विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन जब हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद भी स्पष्ट कार्रवाई न की जाए तो इससे शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर संदेह पैदा होता है। ऐसे में उच्च न्यायालय की यह चिंता उचित है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। 

    राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया। न्यायालय की यह टिप्पणी बांदा के अतर्रा स्थित विद्यालय में ढाई वर्ष से प्रधानाध्यापक व दो सहायक शिक्षकों के रिक्त चल रहे पदों को लेकर है, जिस पर शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी के बाद विद्यालय प्रबंध समिति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

    बांदा के विद्यालय का प्रकरण संदर्भ भर है, वास्तविकता यह है कि प्रदेश में अनेक ऐसे विद्यालय हैं, जहां निर्धारित अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। यह इसलिए भी गंभीर है कि शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त है और किसी भी स्वस्थ समाज के लिए शिक्षा अनिवार्यता भी है। शिक्षकों की कमी एक समस्या है, लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है। यह शिक्षा की गुणवत्ता से भी समझौता है जिस पर अविलंब ध्यान देने की आवश्यकता है।



    स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : हाईकोर्ट

    बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की याचिका पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

    रिक्तियां न भरे जाने को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की टिप्पणी

    04 फारवरी 2025
    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों की कमी से छात्र परेशान हैं। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसके बाद भी प्रतिवादी अधिकारी रिक्त पदों को न भरकर मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने यह टिप्पणी कृषि औद्योगिक विद्यालय और एक अन्य की ओर रिक्त पदों को भरने को लेकर दाखिल याचिका पर की।


    कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि संस्थान के बार-बार अनुरोध के बावजूद आज तक अधिकारियों ने प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं। स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न किए जाने से व्यथित होकर विद्यालय की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

    न्यायालय को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा है। इसके बाद भी आज तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया। इसका संज्ञान लेते हुए एकल जज ने महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी नियत की है।



    शिक्षकों की कमी से छात्रों की परेशानी पर हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में शिक्षकों की कमी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यूपी में यह सर्वविदित तथ्य है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कृषि औद्योगिक विद्यालय एएयू अतर्रा बांदा की प्रबंध समिति ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

    याचिका स्वीकृत पदों के अनुसार शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्तियां न किए जाने को लेकर दाखिल की गई है। याचिका के अनुसार स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं।

    कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने हेडमास्टर और शिक्षकों की नियुक्ति की समय सीमा को लेकर अस्पष्टता की ओर इशारा किया था। तब कोर्ट ने विशेष रूप से टिप्पणी की थी कि बड़ी संख्या में रिक्तियों के कारण राज्य की शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है और इस मुद्दे के समाधान में कोई प्रगति नहीं हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव के लिए शासन के पत्र भेजे जाने के बावजूद अब तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

    इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महानिदेशक बेसिक शिक्षा से राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख लगाई है।

    यूपी : दूरस्थ माध्यम से कर सकेंगे 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई, राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की होगी स्थापना, 4.40 करोड़ बजट प्रावधान

    यूपी : दूरस्थ माध्यम से कर सकेंगे 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाईराज्य मुक्त विद्यालय परिषद की होगी स्थापना, 4.40 करोड़ बजट प्रावधान

    ■अपनी पाठ्य सामग्री देने के साथ परीक्षा भी कराएगी मुक्त विद्यालय परिषद

    ■ अभी पत्राचार शिक्षण संस्थान से इंटर की हो रही पढ़ाई, परिषद कराती है परीक्षा


    लखनऊ। प्रदेश में केंद्र सरकार के राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की तर्ज पर राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की स्थापना की जाएगी। इसके माध्यम से कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से की जा सकेगी। साथ ही यह परिषद इन छात्रों की परीक्षा भी करवा सकेगा। प्रदेश सरकार की ओर से बजट में राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की स्थापना के लिए लगभग 4.40 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है।

    हाईस्कूल के बाद काफी संख्या में युवा ऐसे होते हैं जो इंजीनियरिंग व मेडिकल आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से इंटर करते हैं। वहीं कई अन्य कारणों से भी हाईस्कूल या इंटर न कर पाने वाले युवा भी इस माध्यम का प्रयोग करते हैं। वर्तमान में प्रयागराज में पत्राचार शिक्षण संस्थान से मुक्त विद्यालयी माध्यम से इंटर (11वीं व 12वीं) की पढ़ाई करने की व्यवस्था है।


    इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से औपचारिक शिक्षा से वंचित युवकों के लिये माध्यमिक स्तर तक (9वीं से 12वीं) तक की पढ़ाई दूरस्थ शिक्षा से करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की स्थापना की जा रही है।

     माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि इसके लिए आवश्यक तैयारी की जा रही है। परिषद को प्रयागराज से ही संचालित करने की योजना है। आगे चलकर इसे स्वायत्तशासी भी बनाया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि अभी पत्राचार संस्थान से पढ़ाई करने वाले छात्रों की परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) कराता है। जबकि मुक्त विद्यालय परिषद की ओर से छात्रों के प्रवेश लेने, उनको शिक्षण सामग्री देने और उनकी परीक्षा कराने का पूरा काम किया जाएगा। बजट प्रावधान होने से इससे जुड़ी तैयारियों को आगे बढ़ाया जाएगा और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इसका लाभ दिलाया जाएगा।

    यूपी बोर्ड : प्रयागराज में 24 फरवरी की परीक्षा नौ मार्च को, अन्य जिलों में परीक्षा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न होगी, देखें आदेश

    यूपी बोर्ड : प्रयागराज में 24 फरवरी की परीक्षा नौ मार्च को, अन्य जिलों में परीक्षा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न होगी, देखें आदेश  

    ■ भीड़ के कारण जिले में पहले दिन नहीं होगी परीक्षा

    ■ अन्य 74 जिलों में पहले से तय समय पर होगा पेपर


    प्रयागराज। महाकुम्भ में महाशिवरात्रि (26 फरवरी) तक होने वाली श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ एवं यातायात प्रतिबंधों को देखते हुए यूपी बोर्ड की 24 फरवरी को पहले दिन की परीक्षा केवल प्रयागराज में टाल दी गई है। प्रयागराज की टाली गई परीक्षा नौ मार्च को पूर्व निर्धारित समय के अनुसार संपन्न होगी। अन्य 74 जिलों में 24 फरवरी की परीक्षा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न होगी।

    यूपी बोर्ड की 24 फरवरी को पहली पाली (सुबह 8:30 से 11:45 बजे) में हाईस्कूल हिंदी व प्रारंभिक हिंदी जबकि इंटर सैन्य विज्ञान की परीक्षा है। दूसरी पाली (दोपहर दो से 05:15 बजे) हाईस्कूल हेत्थकेयर और इंटर हिंदी व सामान्य हिंदी की परीक्षा है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी से मीडिया ने जब महाकुम्भ में हो रही भीड़ का मसला उठाया तो उन्होंने केवल प्रयागराज में 24 फरवरी की परीक्षा टालने का निर्णय सुनाया। 

    उसके बाद यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने केवल प्रयागराज में 24 फरवरी की परीक्षा टालने और नौ मार्च (रविवार) को परीक्षा कराने का आदेश जारी किया। खास बात यह है कि स्थगित प्रश्नपत्र परीक्षा अवधि में ही कराए जा रहे हैं। आमतौर पर परीक्षा संपन्न होने के बाद स्थगित या निरस्त पेपर होते हैं। गौरतलब है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 12 मार्च तक कराई जाएंगी। शेष परीक्षाएं प्रयागराज समेत सभी जिलों में पूर्व निर्धारित समय सारिणी के अनुसार होगी।


    गलत सूचना देने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के डीआईओएस विधान परिषद में तलब

    गलत सूचना देने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के डीआईओएस विधान परिषद में तलब

    सदन को गलत सूचना दी तो सभापति ने तलब किया,  बिना आधार सदन को सूचना देने पर कार्रवाई


    लखनऊ । सदन को गलत सूचना देने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक, रायबरेली डीआईओएस को विधान परिषद सभापति ने 25 फरवरी को अपने कक्ष में तलब किया है। दो वर्षों में सदन में चार बार उठ चुके प्रकरण को शुक्रवार को शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने फिर से उठाया।

    ध्रुव ने कहा कि यह न सिर्फ सदन में असत्य एवं त्रुटिपूर्ण सूचना दिए जाने पर नियमों के उल्लंघन का प्रकरण है बल्कि सदन की प्रक्रिया-कार्य संचालन नियमावली के तहत औचित्य का प्रश्न भी बनता है। सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक, रायबरेली डीआओएस को 25 फरवरी को कक्ष में हाजिर करने के निर्देश दिए।

    ध्रुव ने कहा कि रायबरेली के वसी नकवी नेशनल कालेज में प्रवक्ता (संस्कृत) पर 30 सितम्बर 1992 को प्रदीप कुमार की तदर्थ नियुक्ति की गई थी। बाद में वरिष्ठता पर 29 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन प्रबन्धक ने प्रदीप कुमार को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बना दिया गया। वर्तमान प्रबन्धक ने 21 मई 2022 को प्रदीप को निलम्बित कर दिया। रायबरेली डीआईओएस द्वारा निलम्बन का पहले अनुमोदन कर दिया गया और बाद में अनुमोदन को वापस ले लिया गया।


    माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के डीआईओएस को किया तलब

    लखनऊ। विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र प्रताप सिंह ने 25 फरवरी को माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) को अपने कार्यालय में तलब किया है। रायबरेली के वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज के एक शिक्षक को वेतन न देने का मामला कई बार सदन में उठने के बावजूद कार्रवाई न होने पर उन्होंने नाराजगी जताई। कहा, मामले में अधिकारियों ने जवाब देना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने सदन में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अफसर ढीठ हो चुके हैं। तय तिथि को इन अधिकारियों को अपने कक्ष में बुलाकर स्पष्टीकरण लेंगे।

    शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज के शिक्षक प्रदीप कुमार का मामला कई बार सदन में उठ चुका है। उन्होंने 30 सितंबर 1992 को विद्यालय में संस्कृत प्रवक्ता के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। 21 मई 2022 को उन्हें निलंबित किया गया। डीआईओएस की ओर से पहले निलंबन का अनुमोदन और फिर अनुमोदन वापस लिए जाने के बावजूद 21 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

    सदन में सवाल उठने पर शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि प्रदीप कुमार ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के आधार पर कूटरचित तरीके से नौकरी प्राप्त को है। ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने शुक्रवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये मामला उठाते हुए कहा कि आज तक विभाग ने दस्तावेज फर्जी होने का कोई नोटिस नहीं दिया है। फरवरी 2024 में पीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि सत्र के अंत तक गलत सूचना देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें। हैं। पीठ ने कहा कि अधिकारी उत्तर देना नहीं चाह रहे हैं। इसलिए अपने कार्यालय कक्ष में बुलाकर जवाब लेंगे। 

    शिक्षकों पर कार्रवाई से पहले अनुमति होगी जरूरी, शिक्षा सेवा चयन आयोग के दायरे में आएगी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा, विधान परिषद के सभापति ने दिया निर्देश

    शिक्षकों पर कार्रवाई से पहले अनुमति होगी जरूरी, शिक्षा सेवा चयन आयोग के दायरे में आएगी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा, विधान परिषद के सभापति ने दिया निर्देश

    7892 स्कूल, कॉलेज दायरे में

    95334 शिक्षकों को मिलेगा लाभ

    समय के साथ पदोन्नति भी होगी आसान


    लखनऊ। एडेड स्कूलों, कॉलेजों और महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए राहत भरी खबर है। अब इन विद्यालयों के शिक्षकों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई से पहले शिक्षा सेवा चयन आयोग की अनुमति जरूरी होगी। इसके लिए विधान परिषद के सभापति ने संबंधित नियमावली में आवश्यक बदलाव की प्रक्रिया दो माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए हैं।


    विधान परिषद में कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये यह मामला ध्रुव त्रिपाठी ने उठाया। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 के रद्द होने के बाद समस्या खड़ी हो गई है। शिक्षकों की सेवा शर्तों को नए आयोग की अधिकार सीमा से बाहर रखा गया है। इससे शिक्षकों को समय से प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है।

    प्रबंधन अपने स्तर से निलंबन और सेवाएं समाप्त करने की कार्रवाई भी कर रहा है, जो अनुचित है। रद्द हुए माध्यमिक चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की धारा 21 में वर्णित सेवा शर्तों संबंधी सभी बिंदुओं को उत्तर प्रदेश सेवा चयन आयोग के अधीन कर दिया जाए।

    उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 उच्च सदन से भी पास हुआ था। उस समय इस तथ्य को संज्ञान में लाया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसा कहना उचित नहीं है।

    भाजपा सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह और सपा के सदस्य लाल बिहारी यादव ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जल्द ही बैठक बुलाकर समाधान निकाला जाएगा। सभापति ने व्यवस्था देते हुए कहा कि नियमावली में जिस दंड एवं जांच विषय को जोड़े जाने की मांग की जा रही है, उसे दो माह के भीतर करवा दीजिए।



    एडेड शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की व्यवस्था दो माह मेंः मौर्या

    लखनऊ । सरकार ने विधान परिषद में आश्वासन दिया है कि आगामी दो माह के भीतर एडेड शिक्षकों की सेवा सुरक्षा का प्रावधान कर दिया जाएगा। शुक्रवार को विधान परिषद के नेता सदन केशव प्रसाद मौर्या ने शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी द्वारा एडेड शिक्षकों की सेवा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर कार्यस्थगन के तहत उठाए गए प्रकरण पर कहा कि पांच मार्च को सदन का सत्र समाप्त होने के बाद वे इस प्रकरण में सभी पक्षों के साथ बैठक कर दो महीने के भीतर सर्वमान्य हल निकाल लेंगे। 

    दरअसल ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और प्रमोशन का अधिकार बोर्ड को था। अब बोर्ड को भंग कर दिया गया। ऐसे में सेवा सुरक्षा और प्रमोशन के लिए पूर्ववर्ती बोर्ड में जो माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की धारा 12,18 एवं 21 थी, वह नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली में समाप्त कर दी गई है। इससे शिक्षकों का उत्पीड़न बढ़ गया है। 

    संबंधित धाराओं का प्रावधान नहीं होने के कारण अब तक सैकड़ों शिक्षकों को प्रबन्धन अनियमित रूप से बर्खास्त कर चुका है। दो साल से एडेड कॉलेजों में शिक्षकों के प्रमोशन नहीं हुए। प्रवक्ता के पद खाली पड़े हैं। इस पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 उच्च सदन से भी पास हुआ था। उस समय इस तथ्य को संज्ञान में लाया जाना चाहिए।



    ■ महाविद्यालय के शिक्षकों को भी नोशनल वेतन वृद्धि देने पर करें विचार : विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सरकार को निर्देश दिए कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षकों की तरह महाविद्यालय के शिक्षकों को भी नोशनल वेतन वृद्धि देने पर विचार करें। उच्च शिक्षा विभाग में ऐसे शिक्षक जो 31 दिसंबर और 30 जून को सेवानिवृत्त होते हैं और जिनके वेतन वृद्धि की तिथि 1 जनवरी व 1 जुलाई है, उनके मामले में यह सवाल ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने उठाया था।


    शिक्षा पर सबसे ज्यादा व्यय करने वाला राज्य बना उत्तर प्रदेश

    शिक्षा पर सबसे ज्यादा व्यय करने वाला राज्य बना उत्तर प्रदेश 


    🔴 2000 करोड़ रुपये से परिषदीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधा
    🔴 580 करोड़ रुपये पीएमश्री विद्यालयों में स्मार्ट शिक्षा के लिए
    🔴 300 करोड़ रुपये से प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास और आईसीटी लैब


    योगी सरकार का बुनियादी शिक्षा पर फोकसशिक्षा को मिलेगी गति... मजबूत नींव व स्मार्ट क्लास की सौगात


    लखनऊ। प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में शिक्षा की बुनियाद मजबूत करने और स्कूली शिक्षा को स्मार्ट बनाने पर फोकस किया है। इससे स्कूली स्तर पर ही बच्चों के लिए मजबूत नींव रखी जाएगी जो आगे चलकर उनको रोजगार के लिए भी तैयार करेगी।

    बेसिक के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के लिए 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इससे कक्षा एक से पांच तक के सभी स्कूलों में डेस्क-बैंच की व्यवस्था की जाएंगी। इससे लगभग 70 हजार विद्यालय लाभान्वित होंगे।

    इसी तरह समग्र शिक्षा के तहत चरणबद्ध तरीके से 87 हजार प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास व आईसीटी लैब की स्थापना के लिाए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे इन विद्यालयों में स्मार्ट क्लास से पढ़ाई शुरू कराई जा सकेगी और आईसीटी लैब छात्र प्रैक्टिकल कर सकेंगे।

    वहीं, 1707 पीएमश्री विद्यालयों को स्मार्ट शिक्षा से जोड़ने के लिए 580 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इससे नए क्लास रूम बनाने के साथ ही लैंग्वेज लैब, मैथ्स लैब, आईसीटी लैब, स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, खेलकूद के मैदान आदि का विकास किया जाएगा।



    योगी सरकार ने बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए 1,06,360 करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव रखा, शिक्षा को मजबूती देने के लिए 13 प्रतिशत बजट निर्धारित 


    ■ 580 करोड़ पीएम श्री योजना के तहत बच्चों को स्मार्ट शिक्षा से जोड़ने के लिए

    ■ बालिका छात्रावास, मौना मंद, आत्मरक्षा प्रशिक्षण को खास बल दिया जाएगा

    राज्य सरकार ने बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए 1,06,360 करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव रखा है। इससे शिक्षा पर इतनी भारी राशि खर्च करने वाला उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य बन गया है। इस बार के बजट में छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी शिक्षा में सहूलियत देने के लिए रानी लक्ष्मी बाई स्कूटी योजना में 400 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान योजना के लिए 600 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

    रानी लक्ष्मी बाई स्कूटी योजना के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही मेधावी छात्राओं को पात्रता के आधार पर स्कूटी प्रदान की जाएगी। नई शुरू होने जा रही इस योजना के माध्यम से सरकार छात्राओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देना चाहती है। बजट में सह शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ बालिका छात्रावास का निर्माण, बालिकाओं का सशक्तिकरण, मौना मंच, आत्मरक्षा प्रशिक्षण एवं संवेदीकरण आदि गतिविधियों के क्रियान्वयन पर भी बल दिया गया है।


    बेसिक शिक्षा में पीएम श्री योजना के तहत चयनित विद्यालयों के बच्चों को स्मार्ट शिक्षा से जोड़ने के लिए 580 करोड़ रुपये तथा समग्र शिक्षा योजना के तहत सभी प्राइमरी स्कूलों को राज्य निधि से स्मार्ट स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने इस बजट में 300 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है। इससे प्राथमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब तथा स्मार्ट क्लासेज विकसित करने का कार्य तेज गति से हो सकेगा। इसके अलावा राजकीय पॉलीटेक्निकों में स्मार्ट क्लासेज तथा पूर्णतया डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की योजना भी प्रस्तावित की गयी है।

    योगी सरकार ने प्रदेश में शिक्षा को मजबूती देने के लिए 13 प्रतिशत बजट निर्धारित किया है। प्राथमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासेस के साथ ही राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेजों में डिजिटल लाइब्रेरी जैसी योजनाएं शिक्षा में नए आयाम स्थापित करेंगी। बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यूपी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। रानी लक्ष्मी बाई स्कूटी योजना के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहीं मेधावी छात्राओं को पात्रता के आधार पर स्कूटी दी जाएगी जो उनके बेहतर भविष्य के सफर में मददगार बनेंगी।



    यूपी बजट : 15 लाख स्मार्टफोन और 10 लाख टैबलेट बांटेगी,  योगी सरकार ने बजट में 4000 करोड़ का किया प्रावधान

    लखनऊ। प्रदेश सरकार आगामी वित्तीय वर्ष में 15 लाख स्मार्ट फोन और 10 लाख टैबलेट वितरित करेगी। इसके लिए बजट में 4000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार 49.86 लाख स्मार्ट फोन और टैबलेट का वितरण कर चुकी है। आगामी वित्तीय वर्ष में योजना के तहत टैबलेट और लैपटॉप उपलब्ध कराए जाएंगे।


    बता दें कि इस योजना का मकसद युवाओं को सशक्त बनाना और उनके कौशल विकास में मदद करना है। योजना के तहत युवाओं को स्मार्ट फोन और टैबलेट दिए जाते हैं। इस योजना की शुरुआत वर्ष 2021 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी, जिसके बाद वर्ष 2023 में इस योजना के तहत आगामी पांच वर्षों तक उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययन कर रहे मेधावी छात्र-छात्राओं को निशुल्क स्मार्ट फोन और टैबलेट वितरित किए जाने का निर्णय लिया गया था। इस योजना के जरिए युवाओं को रोजगार मिलने में आसानी होती है, जिससे यह गेमचेंजर साबित हो रही है। 
    योगी सरकार अब छात्रों को टैबलेट वितरण करेगी


    लखनऊ। स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तिकरण योजना के तहत प्रदेश में 49.86 लाख स्मार्ट फोन/टैबलेट वितरित किये जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2025-2026 में इस योजना के तहत टैबलेट उपलबध कराये जायेंगे। प्रतियोगी छात्रों को अपने घर के समीप हो कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी जनपदों में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना का संचालन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत सत्र 2024-25 में 54,833 अभ्यर्थियों को शिक्षुता प्रशिक्षण हेतु योजित किया गया। उत्तर प्रदेश वैश्विक क्षमता केंद्र नीति का मकसद औद्योगिक निवेश व रोजगार मुहैया कराना है। इसके लिए प्रतीक तौर पर एक रुपया रखा गया है। बाद में बड़ी रकम दी जाएगी। विदेशी पूंजी निवेश के लिए विदेशों में सेमिनार आदि के लिए 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मोटो जीपी कार्यक्रम के लिए इस साल ग्रेटर नोएडा में होगा। इसके लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।


    मेधावी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए मुफ्त स्कूटी, यूपी के बजट में रानी लक्ष्मीबाई स्कूटी योजना की घोषणा

    प्रदेश में छात्राओं को उच्च शिक्षा की पढ़ाई की तरफ आकर्षित करने व ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई स्कूटी योजना की घोषणा की है। इसके तहत कॉलेज जाने वाली मेधावी छात्राओं को निशुल्क स्कूटी उपलब्ध कराई जाएगी। इस पर सरकार 400 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

    एक अनुमान के मुताबिक एक वित्तीय वर्ष में लगभग 50 हजार छात्राओं को इस योजना का लाभ मिल सकेगा। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि स्नातक प्रथम वर्ष छात्राओं को उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर स्कूटी दी जाएगी।

    वहीं, समावेशी व समान शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक आर्थिक डिसएडवांटेज ग्रुप बनाने जाने को हरी झंडी दी गई है। स्पेशल एजुकेशन जोन के लिए पांच करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इसके तहत एक ही स्थान पर आज की जरूरतों के अनुरूप अत्याधुनिक शिक्षा देने से जुड़ी चीजों का विकास किया जाएगा। यह एक मॉडल के रूप में होगा, प्रदेश भर के शिक्षण संस्थान इसका लाभ ले सकेंगे। 

    दूसरी तरफ प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बनाए जा रहे महाविद्यालयों को उच्च शिक्षा विभाग हस्तारित करेगा। इसके लिए 12 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।


    विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति देगी सरकार

    प्रदेश के छात्रों को विदेश में पढ़ाई में सहयोग के लिए द शेवनिंग उत्तर प्रदेश सरकारी छात्रवृत्ति की शुरुआत की गई है। यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा वहां के किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में मास्टर डिग्री के लिए प्रदेश सरकार द्वारा फॉरेन कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस के सहयोग से हर साल पांच छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। इसके लिए दो करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।


    Friday, February 21, 2025

    पांच हजार रुपये रिश्वत लेते चालक गिरफ्तार, एंटी करप्शन को चकमा देकर भाग निकले बीईओ, रुका वेतन निकलवाने के नाम पर मांगे थे पांच हजार रुपये

    पांच हजार रुपये रिश्वत लेते चालक गिरफ्तार, एंटी करप्शन को चकमा देकर भाग निकले बीईओ, रुका वेतन निकलवाने के नाम पर मांगे थे पांच हजार रुपये, दोनों पर रिपोर्ट

    बिथरी में खंड शिक्षा अधिकारी दफ्तर के सामने एंटी करप्शन टीम ने की कार्रवाई


    बरेली। बिथरी चैनपुर के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) अवनीश प्रताप सिंह के चालक वीरपाल को बृहस्पतिवार दोपहर बाद पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार कर लिया।

    बीईओ ने प्रधानाध्यापक से रुका वेतन निकलवाने के नाम पर पांच हजार रुपये मांगे थे। टीम ने दफ्तर के बाहर रुपये लेने आए चालक को पकड़ा तो शोर सुनकर बीईओ वहां से भाग गया। बीईओ मूलतः पीलीभीत जिले के पूरनपुर का रहने वाला है। दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।

    कैंट थाने के मोहनपुर गांव निवासी मोहम्मद इलियास पीएम श्री विद्यालय सैदपुर कुर्मियान के प्रधानाध्यापक हैं। इलियास ने हाल ही में एंटी करप्शन कार्यालय में सीओ यशपाल सिंह से मिलकर शिकायत दर्ज कराई थी।

    बताया था कि बिथरी चैनपुर के बीईओ अवनीश प्रताप सिंह ने उनसे अप्रैल व मई 2024 का रुका वेतन निकलवाने के बदले पांच हजार रुपये मांगे हैं। वह रिश्वत नहीं देना चाहते। गोपनीय जांच में आरोप पुष्ट हुए तो कार्रवाई शुरू कर दी गई।

    वीरपाल बोला- मैं बेकसूर, अफसर ने फंसाया
    सीओ ने पूछताछ की तो वीरपाल ने बताया कि उसका इस घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है। वह अनुचर है और ड्राइवर का भी काम करता है। दफ्तर में अधिकारी के पास बैठा था। उनके कहने पर ही कार्यालय के बाहर यह रकम लेने आया था। एंटी करप्शन टीम उसे कोतवाली ले आई। वहां टीम की ओर से बीईओ अवनीश प्रताप सिंह व वीरपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। वीरपाल क्योलड़िया थाना क्षेत्र के ज्योति जागीर गांव का निवासी है। टीम ने उसके घर जाकर तलाशी ली व पूछताछ की।

    फोन पर बात करते रहे बीईओ, धोखे में ड्राइवर को पकड़ा
    एंटी करप्शन टीम के कहने पर इलियास फोन पर लगातार बीईओ के संपर्क में थे। तय हुआ था कि बृहस्पतिवार दोपहर बाद इलियास पांच हजार रुपये बीईओ को उनके विथरी ब्लॉक स्थित कार्यालय पर देने जाएंगे। दोपहर बाद सवा तीन बजे इलियास बीईओ के दफ्तर पहुंचे। टीम के अधिकारी व गवाह भी थोड़ी दूरी पर थे। इलियास ने कॉल कर बीईओ को अपने आने की सूचना दी। तब बीईओ ने अपने चालक वीरपाल को बाहर भेज दिया। वीरपाल मूलतः अनुचर है, पर बीईओ का वाहन चलाता है। वीरपाल ने जैसे ही इलियास के हाथ से रुपये लिए, टीम ने उसे बीईओ समझकर गिरफ्तार कर लिया। उसके हाथ धुलवाए तो नोटों पर लगे केमिकल की वजह से पानी का रंग गुलाबी हो गया। टीम ने उसे गाड़ी में बैठा लिया।

    कोई घूस मांगे तो तुरंत करें शिकायत
    सीओ एंटीकरप्शन यशपाल सिंह ने बताया कि इस मामले में बीईओ ही असली आरोपी है। प्रधानाध्यापक से फोन पर बीईओ की बात हो रही थी, वेतन भी वही बहाल करा सकता था। वह कार्रवाई के दौरान मौके से खिसक गया। उसकी तलाश की जा रही है। कोई अफसर रिश्वत मांगे तो उनके मोबाइल नंबर 9454405475 और प्रभारी निरीक्षक के मोवाइल नंबर 9454401653 पर कॉल करके भी शिकायत कर सकते हैं


    ■ एंटी करप्शन को चकमा देकर भाग निकले बीईओ

    ■ निरीक्षण में गैरहाजिर दिखा रोका जाता है वेतन, फिर देनी होती है रिश्वत

    ■ ड्राइवर के माध्यम से शिक्षकों से रिश्वत लेने का आरोप


    बरेली । एंटी करप्शन टीम ड्राइवर को पकड़ने के बाद खड़ी थी और इसी बीच बीईओ कमरे से निकलकर भाग निकला। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अब उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

    प्रधानाध्यापक मोहम्मद इलियास ने बीईओ अवनीश प्रताप सिंह के ड्राइवर को रिश्वत के पांच हजार रुपये दिए। ड्राइवर ने रकम गिनकर जैसे ही अपनी जेब में रखी, एंटी करप्शन टीम ने उसे दबोच लिया। उसे पकड़ते ही वहां अफरातफरी मची और इसी बीच बीईओ अवनीश प्रताप सिंह अपने कमरे से निकलकर चला गया। टीम जब तक कुछ समझ पाती बीईओ वहां से भाग निकला। अब दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। वीरपाल को शुक्रवार को जेल भेजा जाएगा और बीईओ के खिलाफ आगे कार्रवाई की जाएगी।


    संबद्धता का भी चलता है खेलः
    बिथरी चैनपुर ब्लॉक के शिक्षकों का कहना है कि बीईओ अवनीश प्रताप सिंह निरीक्षण के दौरान दो-चार मिनट लेट होने पर भी उन्हें अनुपस्थित दिखाकर वेतन रुकवा देता है। इसके बाद रिश्वत की मांग की जाती है। रकम दिए बिना किसी का भी वेतन जारी नहीं होता। यह खेल लंबे समय से चल रहा है। इसके अलावा उसके ऑफिस में शिक्षकों की संबद्धता का खेल भी खूब चलता है। बीएसए संजय सिंह ने बताया कि रिश्वत प्रकरण में आरोपी ड्राइवर को निलंबित किया जाएगा। इसके साथ ही खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भी जल्दी ही विभागीय कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।

              फरार बीईओ अवनीश प्रताप सिंह

    सेटिंग के चलते तीन साल से बिथरी में डटा रहा
    शिक्षकों ने बताया कि पूर्व में बीईओ नियम विरुद्ध एक अनुदेशक जिला व्यायाम शिक्षक बना दिया था। यह मुद्दा काफी चर्चा में रहा। बिथरी के कस्तूरबा गांधी स्कूल के भोजन में गड़बड़ी मिली और महिला शिक्षकों से दुर्व्यवहार का भी उस पर आरोप था लेकिन सेटिंग के चलते वह तीन साल से बिथरी में ही डटा था।

    राज्यों के स्कूल बोर्ड प्रश्नपत्र प्रारूप में एकरूपता लाने की तैयारी

    राज्यों के स्कूल बोर्ड प्रश्नपत्र प्रारूप में एकरूपता लाने की तैयारी


    नई दिल्ली । विभिन्न राज्यों के स्कूल बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया और प्रश्नपत्र के प्रारूप में एकरूपता लाने की कवायद के तहत 27 राज्यों के स्कूल शिक्षा बोर्डों ने योग्यता-आधारित प्रश्न पत्र टेम्पलेट सेट करने के लिए प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।

    कक्षा 10 और 12 के लिए प्रश्न पत्र सेट करने का नया प्रारूप 2026-27 शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख, स्कूल राज्य बोर्डों में समानता को बढ़ावा देने की खातिर संतुलित प्रश्न पत्र तैयार करने के लिए लगातार कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। 


    अगस्त 2024 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि केंद्रीय शिक्षा बोर्डों में नामांकित छात्रों की तुलना में राज्य स्कूल बोर्डों के छात्र ज्यादा संख्या में फेल हुए थे। राज्य बोर्डों के अलावा, सीबीएसई के लिए भी प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। इनमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और निजी स्कूल शामिल हैं।


    मूल्यांकन का एक समान मानक

    एनसीईआरटी की इकाई परख को काम सौंपा गया है कि भारत में सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्डों के लिए छात्रों के मूल्यांकन का एक समान मानक और दिशा-निर्देश तय करे। केंद्र ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के अनुसार सभी स्कूल शिक्षा बोर्डों को मानकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। स्कूल बोर्ड की समानता पहल के तहत प्रस्तावित मूल्यांकन प्रणाली, एनईपी के अनुरूप है, जो एक योग्यता-आधारित शिक्षा मॉडल है। प्रशिक्षण लेने वाले राज्यों की सूची में कई विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य भी शामिल हैं, जो बड़े पैमाने पर एनईपी के आलोचक रहे हैं।

    ग्रीष्मावकाश में स्थानांतरण के लिए शिक्षकों ने की पोर्टल खोलने और समय सारिणी जारी करने की मांग

    बेसिक शिक्षकों के विवरण कराए अपडेट नहीं हुए पारस्परिक स्थानांतरण

    ग्रीष्मावकाश में स्थानांतरण के लिए शिक्षकों ने की पोर्टल खोलने  और समय सारिणी जारी करने की मांग


    प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के जिला अंदर पारस्परिक स्थानांतरण के लिए विवरण पोर्टल पर अपडेट कराए जाने के बावजूद शीत अवकाश में स्थानांतरण नहीं हुए। अब शिक्षकों ने मांग की है कि ग्रीष्मावकाश में स्थानांतरण के लिए मानव संपदा पोर्टल अविलंब खोलकर समय सारिणी जारी की जाए, जिससे वह विवरण अपलोड/अपडेट कर आपस में तालमेल बना सकें।


    बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्थानांतरण वर्ष में दो बार यानी शीत अवकाश व ग्रीष्म अवकाश में किए जाने की व्यवस्था है। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी बीएसए को 30 दिसंबर 2024 को निर्देश दिए थे कि पोर्टल पर शिक्षकों के विवरण (पदनाम, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, नियुक्ति तिथि) अपडेट किए जाने की कार्यवाही 10 जनवरी 2025 तक पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। अंतःजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण के तकनीकी चरण, प्रक्रिया एवं समय सारिणी के संबंध में पृथक से आदेश जारी किए जाएंगे। 


    उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि शिक्षकों के विवरण अपडेट कराए जाने के बावजूद शीत अवकाश में स्थानांतरण नहीं किया गया। उन्होंने मांग की है कि ग्रीष्म अवकाश (20 मई से 15 जून) में जिले के अंदर एवं जिले के बाहर पारस्परिक स्थानांतरण देने की प्रक्रिया पूर्ण कराने के लिए पोर्टल अविलंब खोला जाए, जिससे शिक्षक अपने विवरण पोर्टल पर अपलोड कर सकें। इसके अलावा स्थानांतरण की समय सारिणी भी जारी की जाए।, ताकि उस अनुरूप सभी कार्यवाही ग्रीष्म अवकाश के पहले पूरी की जा सके।

    परीक्षा केन्द्रों पर नियुक्त कक्ष निरीक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति हेतु उनके विवरण पोर्टल पर अपलोड किये जाने के सम्बंध में

    परीक्षा केन्द्रों पर नियुक्त कक्ष निरीक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति हेतु उनके विवरण पोर्टल पर अपलोड किये जाने के सम्बंध में

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन विज्ञप्ति, देखें एआरपी चयन प्रक्रिया-FAQ

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन विज्ञप्ति

    (सभी जनपदों से निकलने वाली आगामी ARP भर्ती विज्ञप्तियां इसी पोस्ट में अपडेट की जाएंगी।)


    🔴 जरूरी शासनादेश देखें 



    🔵 एआरपी चयन प्रक्रिया-FAQ


    परीक्षा कब होगी?
    आपको परीक्षा से 3 दिन पहले सूचित किया जाएगा। संभावना है कि परीक्षा फरवरी के मध्य में आयोजित होगी।

    परीक्षा की अवधि कितनी होगी?
    परीक्षा 2 घंटे की होगी।

    परीक्षा का पाठ्यक्रम क्या होगा?
    परीक्षा में कई अनुभाग होंगे प्रमुख अनुभाग में आपके चुने हुए विषय से संबंधित प्रश्न होंगे। अन्य अनुभागों में NIPUN मिशन और संदर्शिका आधारित शिक्षण से जुड़े प्रश्न होंगे।

    प्रश्नों का स्तर क्या होगा?
    विषय से संबंधित प्रश्न कक्षा 10 तक के स्तर के होंगे।

    माइक्रो-टीचिंग के लिए हमें विषय दिए जाएंगे या हम अपनी पसंद का विषय चुन सकते हैं?
    आपको स्वतंत्रता होगी कि संदर्शिका/पाठ्यपुस्तक के किसी भी कक्षा के दिन और कालांश का चयन करें और उसमें दिए गए पाठ योजना के अनुसार गतिविधियों को क्रियान्वित करें।



    फॉर्म 



    प्रतापगढ़ 

    रायबरेली 

    बहराइच 

    मीरजापुर 

    आजमगढ़ 

    संभल 




    कानपुर नगर 

    अयोध्या 

    प्रयागराज 

    महराजगंज 

    सहारनपुर 

    अमरोहा

    श्रावस्ती 

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    वाराणसी 

    हरदोई

    भदोही




    फतेहपुर 

    अम्बेडकरनगर

    सोनभद्र 


    औरैया 

    इटावा 

    बरेली

    जौनपुर 


    अमेठी 



    संतकबीरनगर

    लखनऊ 



    कुशीनगर 

    बलरामपुर 

    जनपद:  झांसी

    जनपद :गोरखपुर

    जनपद: एटा

    जालौन

    सुल्तानपुर