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Tuesday, August 22, 2119

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    Thursday, November 21, 2024

    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई, अब 27 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई, अब 27 नवंबर को होगी अगली sunvaai


    21 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। किंतु कतिपय कारणों से यह सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर लगी है। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। 


    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अब 27 नवंबर को होगी सुनवाई

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। अब 27 नवंबर सुनवाई होगी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। 
    इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि 23 सितंबर के बाद से लगातार डेट मिल रही है। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है।

    चयनित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विनय पांडेय ने कहा कि अब 27 नवंबर को होने वाली सुनवाई में न्याय की उम्मीद है। 



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज,  सुनवाई पर टिकी अभ्यर्थियों की उम्मीद 

    20 नवम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि उनके मामले में निर्णय होगा और उन्हें जल्द न्याय मिलेगा। पिछले कई तारीखों पर सुनवाई नहीं हो सकी है, इससे प्रभावित अभ्यर्थी निराश हैं। पहले सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 19 नवंबर थी जो अब बदलकर 20 नवंबर को हो गई है।

    69000 शिक्षक भर्ती मामले में 13 अगस्त को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नई सूची बनाकर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का निर्देश दिया था। इसे अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    वहीं आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए मांग कर रहे थे। किंतु इस पर निर्णय नहीं हो सका और अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

    आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। साथ ही 23 सितंबर को अगली सुनवाई की तिथि तय की थी। लेकिन इस तिथि को सुनवाई नहीं हो सकी। फिर 15 अक्तूबर और 12 नवंबर की तिथि लगी। किंतु इस दिन भी सुनवाई नहीं हो सकी। इसको लेकर अभ्यर्थी निराश हैं।




    कल नहीं हो सकी सुनवाई, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अब 19 नवंबर को होगी सुनवाई

    13 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ में यह सुनवाई होनी थी। लेकिन, समयाभाव के कारण केस की सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है।

    69000 शिक्षक भर्ती : आज भी नहीं हो सकी सुनवाई

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी। अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इस भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय देते हुए पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए नई सूची जारी करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर चयनित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    11 नवम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार 12 नवंबर को होगी। यह सुनवाई 15 नवंबर को प्रस्तावित थी। सुनवाई पहले होने के कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बैठक कर आगे की रणनीति बनाई। साथ ही उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही न्याय मिलेगा। 


    सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अक्तूबर से चल रहा है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने इस मामले की एक सुनवाई हुई है। इसके बाद से इस पर डेट लग रही है। दिवाली से पहले इस मामले में अगली तिथि 15 नवंबर को प्रस्तावित हुई थी। किंतु अब यह 12 नवंबर को ही लग गई है।


     पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने बैठक में कहा कि वह 2020 से इस मामले की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

    शिक्षकों का प्रोन्नति कोटा बहाल होगा, हाईस्कूल में एलटी और प्रवक्ता ग्रेड के 50% पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे

    शिक्षकों का प्रोन्नति कोटा बहाल होगा हाईस्कूल में एलटी और प्रवक्ता ग्रेड के 50% पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे 

    ■ नियमों के अनुसार पद भरने का शासन ने लिया निर्णय


    लखनऊ । हाईस्कूलों में शिक्षकों के पदोन्नति का कोटा फिर से बहाल किया जाएगा। सरकार जल्द ही इस दिशा में कदम उठाने जा रही है। इसके तहत एलटी एवं प्रवक्ता ग्रेड के 50% पदों को पदोन्नति से भरे जाने के नियम लागू किए जाएंगे।


    उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद से दोनों संवर्गों में पदोन्नत कोटे से भरे जाने वाले पदों पर पदोन्नति नहीं हो रही है। दोनों संवर्गों में पदोन्नति से भरे जाने वाले 10 हजार से अधिक पद खाली हैं। इससे स्कूलों में नियमित शिक्षण कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे में पूर्व के माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के नियमों के अनुसार ही फिलहाल पदोन्नति कोटे के पदों को भरने का शासन स्तर पर निर्णय किया गया है। 


    जानकारों की माने तो पूर्व के माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के अधिनियम तीन की धारा 12 में संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति के जरिए शिक्षकों की पदोन्नति के लिए चयन का प्रावधान है। 


    इसी अधिनियम की धारा 18-1 के तहत कार्यवाहक संस्था प्रधानाध्यापकों का दो महीने से रिक्त पदों पर वरिष्ठ शिक्षक की तदर्थ आधार पर प्रोन्नत कर अनुमोदन एवं नियमित प्रधानों के समान ही वेतन तक देने के भी नियम हैं। लगभग दो वर्षों से एलटी ग्रेड और प्रवक्ता ग्रेड में 50% पदोन्नति कोटे में पदोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं

    यूपी बोर्ड की तर्ज पर संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के लिए तय होंगे केंद्र, माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने जारी की नीति


    यूपी बोर्ड की तर्ज पर होंगी संस्कृत विद्यालयों की परीक्षाएं


    संस्कृत विद्यालयों की परीक्षाएं अब यूपी बोर्ड की तर्ज पर होंगी। यूपी बोर्ड की तरह अब संस्कृत विद्यालयों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। संस्कृत विद्यालय में सुविधा न होने पर किसी महाविद्यालय अथवा एडेड स्कूल को केंद्र बनाने की पहल होगी।

    शासन ने इस बार परीक्षा में सख्ती की है। फैसला लिया गया है कि इस बार की परीक्षाएं संस्कृत विद्यालय में ही होंगी। इसके लिए इनको ही सेंटर बनाया जाएगा। बता दें कि संस्कृत स्कूलों में संसाधन का अभाव है। ऐसे में इन स्कूलों को परीक्षा केंद्र न बनाकर निजी स्कूल को केंद्र बनाया जाता रहा है। इस बार इसपर अंकुश लगेगा।

     संस्कृत स्कूलों की बोर्ड परीक्षा को लेकर अभी तिथियों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावना है कि यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान ही संस्कृत विद्यालयों की बोर्ड परीक्षा होगी। इस बार स्कूलों में सीसीटीवी, वॉइस रिकॉर्डर, हाईस्पीड इंटरनेट, फर्नीचर आदि का होना जरूरी है।



    यूपी बोर्ड की तर्ज पर संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के लिए तय होंगे केंद्र, माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने जारी की नीति


    लखनऊ। प्रदेश में अब संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के लिए भी यूपी बोर्ड की तर्ज पर परीक्षा केंद्रों का निर्धारण होगा। इसके लिए माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने परीक्षा केंद्र निर्धारण नीति जारी की है। इसमें भी परीक्षा केंद्रों के लिए पहली प्राथमिकता राजकीय विद्यालयों को दी जाएगी।


    प्रदेश में संस्कृत शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। 16 नए राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने की प्रक्रिया चल रही है। यही नहीं, कई जॉब ओरिएंटेड कोर्स भी शुरू किए गए हैं। अब इसकी बोर्ड परीक्षाओं में भी सख्ती शुरू की गई है। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने इसकी शुरुआत केंद्र निर्धारण से कर दी है।


    परिषद के अनुसार परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक खुद या अपने अधीनस्थ राजपत्रित पदाधिकारियों की टीमों का गठन कर विद्यालयों का सत्यापन कराएंगे। इसमें सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकॉर्डर, राउटर, डीवीआर, हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन, डबल लॉक अलमारी, बाउंड्रीवाल, क्लास रूम फर्नीचर आदि देखेंगे।


    परीक्षा के लिहाज से सुरक्षा मानकों की भी जांच की जाएगी। परिषद निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि परीक्षा केंद्र निर्धारण में राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद एडेड संस्कृत विद्यालय, राजकीय इंटर कॉलेज और एडेड माध्यमिक विद्यालयों को केंद्र बनाया जाएगा।


    बहुत जरूरी होने पर ही बेहतर संसाधन वाले वित्तविहीन संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को केंद्र बनाया जाएगा। हालांकि इसमें यह ध्यान रखा जाएगा, जो विद्यालय यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र बने होंगे, वहां पर संस्कृत परीक्षा के केंद्र नहीं बनेंगे।

    डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाएगी सरकार, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी

    शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय देने के लिए वित्त विभाग की सहमति का इंतजार

    डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाएगी सरकार, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी

    ■ अवमानना याचिका पर एकल पीठ कर रही सुनवाई 

    ■ बढ़े मानदेय के लिए वित्त विभाग को भेजी रिपोर्ट


    20 नवम्बर 2024
    प्रयागराज। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय सरकार बढ़ा सकती है। राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई है।


    मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि लगभग एक लाख पचास हजार शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि से सरकारी खजाने पर काफी भार पड़ेगा इसलिए वित्त विभाग को सहमति के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही है।


    याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला मानदेय काफी कम है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए। वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 


    सरकारी वकील ने कोर्ट को अवगत कराया कि कोर्ट के 12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नौ अगस्त 2024 को सौंप दी है। वित्तीय बोझ को देखते हुए वित्त विभाग को रिपोर्ट भेजी गई है।




    शिक्षामित्रों को सम्मानजनक गुजारा भत्ता नहीं देने संबंधी अवमानना याचिका पर आज होगी सुनवाई

    14 नवंबर 2024
    प्रयागराज। हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक गुजारा भत्ता न देने संबंधी अवमानना याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। 


    न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की अदालत वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। 


    याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को भुगतान की जाने वाली मानदेय राशि न्यूनतम है। राज्य को निर्देश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए। वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए एक सम्मान जनक मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 

    CBSE ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तारीखों का किया ऐलान, 15 फरवरी से एग्जाम, देखें जारी डेटशीट

    CBSE ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तारीखों का किया ऐलान, 15 फरवरी से एग्जाम, देखें जारी डेटशीट


    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से होंगी. इसे लेकर सीबीएसई ने शेड्यूल जारी किया है. इसके साथ ही स्कूलों को परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की लिस्ट केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंपने को कहा गया है.


    बता दें कि सीबीएसई ने अपनी वेबसाइट cbse.gov.in पर 10वीं और 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा 2025 की डेटशीट जारी की है. शेड्यूल के मुताबिक परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होंगी. 10वीं की परीक्षाएं 18 मार्च को समाप्त होंगी, जबकि 12वीं क्लास की परीक्षाएं 4 अप्रैल तक चलेंगी. 


    शेड्यूल के अनुसार 10वीं की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होंगी और पहला पेपर अंग्रेजी का होगा. वहीं, 12वीं कक्षा का 15 फरवरी को एंटरप्रेन्योरशिप का एग्जाम होगा, जबकि 17 फरवरी को फिजिकल एजुकेशन का एग्जाम है.


    सीबीएसई ने जारी की गाइडलाइंस

    सीबीएसई ने सब्जेक्ट स्पेसिफिक गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें सब्जेक्ट कोड, क्लास स्पेसिफिकेशन, थ्योरी और प्रैक्टिकल के लिए अधिकतम अंक, प्रोजेक्ट वर्क, इंटरनल असेस्मेंट और आंसर शीट के फॉर्मेट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है. परीक्षाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है.


    छात्र यहां देख सकते हैं सैंपल क्वेश्चन पेपर्स

    छात्र सीबीएसई एकेडमिक वेबसाइट cbseacademic.nic.in पर 10वीं और 12वीं के लिए सैंपल क्वेश्चन पेपर्स देख सकते हैं. ये छात्रों को लेटेस्ट क्वेश्चन फ़ॉर्मेट्स, मार्किंग और परीक्षा पैटर्न से परिचित कराने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि वे अपनी बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रभावी ढंग से तैयारी कर सकें.


    सीबीएसई मार्कशीट में जारी रहेंगे ये बदलाव 

    सीबीएसई डिस्टिंक्शन न देने या टॉपर्स की घोषणा न करने की अपनी नीति जारी रखेगा. 2024 की तरह, 2025 की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले छात्रों को समग्र डिवीजन, डिस्टिंक्शन या कुल अंकों का प्रतिशत नहीं मिलेगा. 

    Wednesday, November 20, 2024

    UP Board Exam 2025 Highschool & Intermediate datesheet यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम हुआ जारी, करें डॉउनलोड

    यूपी बोर्ड परीक्षा में प्रमुख विषयों के बीच रहेगा गैप, मिलेगा विद्यार्थियों को तैयारी का मौका

    24 फरवरी से 12 मार्च तक 12 दिनों में पूरी होगी परीक्षा


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की परीक्षा 24 फरवरी 2025 से शुरू होगी। परीक्षा के दौरान प्रमुख विषयों के बीच दो से तीन दिन का अंतर किया गया है। कुछ विषयों में इससे ज्यादा दिनों का भी अंतर है। इससे विद्यार्थियों को तैयारी करने का मौका मिलेगा।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बीते रोज बोर्ड परीक्षा का कार्यक्रम जारी किया था। इसके अनुसार, बोर्ड परीक्षा 24 फरवरी से 12 मार्च तक होगी। परीक्षा का कार्यक्रम बनाते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि बच्चों को तैयारी करने का मौका मिल जाए। साथ ही महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को अवकाश रहेगा। 

    बोर्ड परीक्षा की शुरुआत हाईस्कूल के हिंदी विषय से होगी और यह 24 फरवरी को है। इसके बाद गणित की परीक्षा एक मार्च को, विज्ञान की चार को, अंग्रेजी की सात को, कंप्यूटर की आठ को और सामाजिक विज्ञान की परीक्षा मार्च में होगी।

    वहीं इंटरमीडिएट हिंदी की परीक्षा 24 फरवरी को दूसरी पाली में होगी। इसके बाद गणित और बायोलॉजी की परीक्षा तीन मार्च को, भौतिक विज्ञान की छह को, रसायन विज्ञान की आठ को और अंग्रेजी की परीक्षा 12 मार्च की होगी। इन मुख्य विषयों के बीच अंतर होने से विद्यार्थियों को रिवीजन करने में मदद मिलेगी। 


    यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से 12 मार्च तक, देखें जारी एक्जाम डेटशीट 


    प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सोमवार को यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 का विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 24 फरवरी 2025 को एक साथ शुरू होकर 12 मार्च तक चलेंगी।

    यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने सोमवार को परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया। इसके साथ हाईस्कूल,इंटरमीडिए के 54,38,597 परीक्षार्थियों का समय सारिणी का इंतजार खत्म हो गया। बोर्ड ने इस बार पिछले साल की अपेक्षा 20 दिन पहले परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया है, पिछले साल सात दिसंबर को परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया गया था।

    2024 की तरह इस बार भी बोर्ड की परीक्षाएं 12 कार्य दिवसों में संपन्न होंगी। परीक्षा दो पालियों में होगी। सुबह साढ़े 8.30 से 11.45 बजे तक और दोपहर 2 बजे से 5.15 बजे के मध्य होगी।

    हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के पंजीकृत 54,38,597 परीक्षार्थियों में से 28,90,454 छात्र और 25,24,065 छात्राएं हैं। हाईस्कूल में 27,41,674 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इसमें 14,50,675 छात्र और 12,90,999 छात्राएं हैं। इंटर में 26,90,845 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इसमें 14,39,779 छात्र और 12,51,066 छात्राएं हैं। पहले दिन यानि 24 फरवरी 2025 को प्रथम पाली में सुबह 8.30 से 11.45 बजे हाईस्कूल में प्रारंभकि हिंदी और इंटर में सैन्य विज्ञान विषय की परीक्षा होगी। इसी दिन द्वितीय पाली में दोपहर 2 से 5.15 बजे तक हाईस्कूल की हेल्थ केयर और इंटर की सामान्य हिंदी विषय की परीक्षा होगी।


    7657 स्कूल बनेंगे केंद्र

    प्रयागराज। बोर्ड ने 7657 केंद्रों पर परीक्षा कराने का प्रस्ताव बनाकर जिलों को भेज दिया है। इसमें 940 राजकीय, 3512 सहायता प्राप्त (एडेड) के साथ 3205 वित्तविहीन कॉलेज शामिल हैं। जिला विद्यालय निरीक्षकों को 23 नवंबर तक परीक्षा केंद्रों की आपत्तियों के निस्तारण के लिए कहा गया है।


    UP Board Exam 2025 Highschool & Intermediate datesheet यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम हुआ जारी, करें डॉउनलोड 








    समर्थ पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के फेर में फंसी राज्य विवि की सेमेस्टर परीक्षाएं, वर्तमान सत्र में सभी परीक्षाएं पूर्व की भांति कराए जाने की मिली छूट

    समर्थ पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के फेर में फंसी राज्य विवि की सेमेस्टर परीक्षाएं, वर्तमान सत्र में सभी परीक्षाएं पूर्व की भांति कराए जाने की मिली छूट 


     छात्रों के डाटा फीड करने में आ रही विवि को दिक्कत


    लखनऊ। शिक्षा मंत्रालय की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित समर्थ पोर्टल पर सभी राज्य विश्वविद्यालयों के डाटा फीडिंग पर काफी जोर दिया जा रहा है, किंतु इसमें आ रही तकनीकी दिक्कतों की वजह से छात्रों से जुड़ी पूरी जानकारी नहीं फीड हो पा रही है। इससे राज्य विश्वविद्यालयों की सेमेस्टर परीक्षाओं में देरी हो रही है।


    समर्थ पोर्टल पर छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों का पूरा डेटा और सभी सेवाओं (41 मॉड्यूल) से जुड़ी जानकारी अपलोड करनी है। इसके लिए पिछले दिनों सभी राज्य विश्वविद्यालयों की एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया था। इसके बाद अभियान चलाकर राज्य विश्वविद्यालयों ने इस पर डाटा भरने का काम भी शुरू किया लेकिन इसमें कुछ तकनीकी दिक्कत की वजह से अभी तक पूरा डाटा अपलोड नहीं हो सका है।


    वहीं जब तक इस पोर्टल पर छात्रों का पूरा डाटा नहीं आएगा, तब तक उनका परीक्षा फार्म नहीं भरा जा सकेगा। इसकी वजह से लखनऊ, गोरखपुर, एकेटीयू समेत कई राज्य विश्वविद्यालयों की सेमेस्टर परीक्षाओं की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। जबकि आधा से अधिक नवंबर बीत गया है। 


    इसे लेकर पिछले दिनों राजभवन से हुई ऑनलाइन बैठक में कई कुलपतियों ने सभी मॉड्यूल पूरा न होने की बात कही। साथ ही इसके माध्यम से वर्तमान सत्र में परीक्षाएं कराने में असमर्थता जताई।

    इस पर राजभवन ने राज्य विश्वविद्यालयों को राहत दी है। राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर एम बोबड़े ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों व संस्थानों को कहा है कि कुलपति के अनुरोध के क्रम में कुलाधिपति ने वर्तमान सत्र में सभी परीक्षाएं पूर्व की भांति कराए जाने पर सहमति दी है। यह सहमति इस शर्त के साथ दी गई है कि अगले सत्र में सभी परीक्षाएं अनिवार्य रूप से समर्थ पोर्टल के माध्यम से ही कराई जाएंगी।

    Tuesday, November 19, 2024

    यूपी बोर्ड : 45 जिलों के 259 विद्यालय हुए डिबार

    यूपी बोर्ड : 45 जिलों के 259 विद्यालय हुए डिबार

    प्रयागराज के सर्वाधिक 43 स्कूलों को बोर्ड परीक्षा से किया गया वंचित

    प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने 45 जनपदों के 259 स्कूलों को डिबार कर दिया गया है। इसमें सर्वाधिक 43 विद्यालय प्रयागराज के हैं। कई स्कूलों को दो से चार साल तो कुछ को सदैव के लिए बोर्ड परीक्षा से डिबार किया गया है। बोर्ड ने डिबार केंद्रों की सूची सूबे के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेज दी है। हिदायत दी गई है कि डिबार सूची में शामिल किसी भी विद्यालय को परीक्षा केंद्र न बनाया जाए, अन्यथा संबंधित डीआईओएस जिम्मेदार होंगे।


     प्रयागराज के सर्वाधिक 43, अलीगढ़ के 32, आगरा के 14, फिरोजाबाद के चार, हाथरस और मैनपुरी के एक-एक, मथुरा के दो, एटा के पांच, बागपत और बुलंदशहर के एक-एक, गौतमबुद्धनगर के चार, सहारनपुर के तीन, मुरादाबाद के तीन, अमरोहा के दो, रामपुर और बरेली के एक-एक, बदायूं के चार, पीलीभीत के एक, संभल और लखीमपुर खीरी के दो-दो, सीतापुर के तीन, लखनऊ के 11, उन्नाव के एक, रायबरेली के दो, कानपुर के सात, फर्रुखाबाद, इटावा और प्रतापगढ़ के एक-एक, फतेहपुर के दो, कौशाम्बी के तीन, अयोध्या के एक, आजमगढ़ के चार, मऊ के दो, बलिया के 15, जौनपुर के पांच, गाजीपुर के 19, बाराणसी के बाराबंकी के दो, बलरामपुर, बस्ती गोण्डा के एक-एक, गोरखपुर के दस, कुशीनगर के आठ और बहराइच के एक स्कूल को बोर्ड ने ब्लैक लिस्ट किया है।


    स्ट्रांग रूम की चाबी न होने पर भी डिबार

    नकलविहीन और शुचितापूर्ण परीक्षा को लेकर बोर्ड ने सख्ती की है। सामूहिक नकल जैसे गंभीर आरोप में तो स्कूलों को डिबार किया ही गया है, स्ट्रांग रूम की चाबी स्टैटिक मजिस्ट्रेट के पास नहीं होने पर भी स्कूलों को केंद्र बनाने से रोक दिया गया है। प्रयागराज में केदारनाथ जायसवाल इंटर कॉलेज नैनी, कमला स्मारक इंटर कॉलेज नैनी और राजरानी इंटर कॉलेज शंकरगढ़ को 2026 तक के लिए डिबार किया गया है।


    एआई की मदद से होगी प्रश्न पत्रों की सुरक्षा

    प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित कैमरे प्रयोग किए जाएंगे। प्रश्न पत्रों को रखने के बाद परीक्षा केंद्र का स्ट्रांग रूम लॉक कर दिया जाएगा। वहां लगाए गए एआई आधारित कैमरे में इसे खोले जाने का समय दर्ज रहेगा, यह सूचना भी दर्ज होगी कि इसे खोलते वक्त कितने लोगों की मौजूद रहेंगे। इसे लॉक करने का समय भी दर्ज रहेगा। इससे भिन्न स्थिति बनने पर यूपी बोर्ड मुख्यालय एवं शिविर कार्यालय लखनऊ में बने राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम की एलईडी पर अलर्ट फ्लैश होने लगेगा।

    यूपी की हर न्याय पंचायत में बनेगा एक अटल विद्यालय, शासन स्तर पर चल रही उच्च स्तरीय कवायद, डिजाइन से लेकर लागत तक का हो रहा है आंकलन

    यूपी की हर न्याय पंचायत में बनेगा एक अटल विद्यालय, शासन स्तर पर चल रही उच्च स्तरीय कवायद, डिजाइन  से लेकर लागत तक का हो रहा है आंकलन 


    खास बातें

    ■ दो से ढाई हजार बच्चों की क्षमता वाले बनाए जाएंगे नए स्कूल

    ■ मौजूदा सरकारी स्कूलों की जगह अटल स्कूल किए जा रहे प्रस्तावित

    नए स्कूल बनाने पर खर्च करने होंगे तकरीबन आठ लाख करोड़

    ■ आवासीय नहीं मगर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त स्कूल बनाने की योजना


    लखनऊ। यूपी के 18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालय खुल चुके हैं। मुख्यमंत्री हर जिले में ऐसे विद्यालय बनाने की घोषणा भी कर चुके हैं। मगर अब बात उससे भी आगे निकल कर हर न्याय पंचायत तक पहुंच गई है। सूबे की हर न्याय पंचायत में एक अटल विद्यालय बनाने की योजना है। हालांकि यह आवासीय नहीं होगा। इसे लेकर शासन स्तर पर उच्च स्तरीय कवायद चल रही है।


    स्कूलों के डिजायन से लेकर उनकी लागत तक सबका आंकलन कराया जा रहा है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक यदि यह स्कूल बने तो इन पर करीब आठ लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा।अटल आवासीय विद्यालय योगी सरकार का एक बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसमें प्रदेश के पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के मजदूरों को मुफ्त पढ़ाने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त आवासीय विद्यालय हर मंडल मुख्यालय में बनाया गया है।


    अब इस परिकल्पना को नीचे तक यानि न्याय पंचायत स्तर तक ले जाने की योजना पर कवायद शुरू की गई है। फिलवक्त प्रदेश में अधिकांशत ग्राम पंचायत स्तर पर प्राथमिक स्कूल बने हैं। वहीं तीन से चार ग्राम पंचायतों को मिलाकर एक न्याय पंचायत गठित है। प्रदेश में इनकी संख्या तकरीबन आठ हजार से अधिक है।


    क्या है योजना

    न्याय पंचायत स्तर पर एक ऐसा स्कूल बनाने की है, जिसके बाद ग्राम पंचायतों में अलग-अलग स्कूलों की जरूरत ही न रहे यानि इस स्कूल की क्षमता दो से ढाई हजार बच्चों की हो सकती है। बच्चों को बसों के जरिए इस स्कूल तक लाया जाना प्रस्तावित है। इन स्कूलों को बनाने के पीछे तर्क यह है कि स्कूलों की संख्या घटने से प्रभावी मॉनीटरिंग की जा सकेगी। वहीं स्कूली भवनों पर रखरखाव का खर्च भी घटेगा।

    Monday, November 18, 2024

    26 फरवरी के बाद होंगी यूपी बोर्ड की परीक्षाएं, माध्यमिक शिक्षा परिषद ने महाकुंभ में उमड़ने वाली भारी भीड़ के मद्देनजर शासन को भेजा प्रस्ताव

    26 फरवरी के बाद होंगी यूपी बोर्ड की परीक्षाएं, माध्यमिक शिक्षा परिषद ने महाकुंभ में उमड़ने वाली भारी भीड़ के मद्देनजर शासन को भेजा प्रस्ताव


    प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं इस बार महाकुंभ की वजह से 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व के बाद कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। यूपी बोर्ड प्रशासन के एक बड़े अफसर ने नाम न छापने के आग्रह पर इसकी पुष्टि की।


    बोर्ड का मानना है कि विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम के रूप में होने वाले महाकुंभ में इस बार देश ही नहीं, दुनिया के कोने कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ संगम नगरी में उमड़ेगी। ऐसे में बोर्ड की परीक्षाएं आखिरी स्नान पर्व के बाद ही कराना उचित होगा। 2024 में परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरू हो गई थीं। पिछले पांच साल के दौरान सिर्फ 2022 में ही बोर्ड परीक्षा मार्च में कराई गई थी।


    इस बार महाकुंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से आरंभ होगा। 14 जनवरी को प्रथम शाही स्नान है। संगम तट पर 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व पर महाकुंभ का रेला थमने लगेगा। ऐसे में बोर्ड भीड़ के दबाव की वजह से परीक्षाएं आखिरी स्नान पर्व के बाद ही कराना चाहता है। ऐसे में माना जा रहा है कि बोर्ड परीक्षाएं 26 फरवरी के बाद ही शुरू होंगी।


    5438597 परीक्षार्थी होंगे शामिल

    इस बार हाईस्कूल में 27,40,151 परीक्षार्थी और इंटरमीडिएट की परीक्षा में 26,98,446 परीक्षार्थी शामिल होंगे। परीक्षा की शुचिता को ध्यान में रखकर एआई का भी इस्तेमाल होगा, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके और नकल विहीन परीक्षा कराई जा सके।



    महाकुंभ के कारण हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा मार्च में

    14 जनवरी से लेकर 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक रहेगा स्नान पर्व

    पिछले साल 22 फरवरी को प्रारंभ हुई थी यूपी बोर्ड परीक्षा

    17 नवंबर 2024
    प्रयागराजः संगम तट पर लगने वाले महाकुंभ का असर यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा के आयोजन पर भी पड़ेगा। महाकुंभ पर मुख्यमंत्री का विशेष फोकस है तथा देश-विदेश में इसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। इसलिए यूपी बोर्ड इस बार महाकुंभ के बाद परीक्षा के आयोजन की तैयारी कर रहा है।


    शासन और बोर्ड स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं कि न तो बोर्ड परीक्षा से महाकुंभ के आयोजन पर कोई विपरीत प्रभाव पड़े और न ही महाकुंभ के आयोजन से बोर्ड परीक्षा में व्यवधान आए। ऐसे में मकर संक्रांति पर्व (14 जनवरी) से शुरू हो रहे महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि (26 फरवरी) के बाद यानी मार्च में बोर्ड परीक्षा के आयोजन की योजना तैयार की गई है। 


    महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम तट पर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु व कल्पवासी आएंगे। कल्पवास, स्नान, दान, ध्यान के लिए आने वालों में बड़ी संख्या में यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों के परिवार के लोग भी शामिल होंगे। इसके अलावा महाकुंभ के आयोजन के चलते अत्यधिक भीड़ में विशेष स्नान पर्वों के दौरान यातायात भी प्रभावित हो सकता है। 


    सरकार का प्रयास है कि दिव्य-भव्य महाकुंभ का आयोजन हो। सरकार की मंशा को देखते हुए शासन और बोर्ड महाकुंभ संपन्न होने के बाद परीक्षा आयोजन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। फरवरी माह में परीक्षा शुरू कराने के प्रस्ताव पर एक राय नहीं बनी। वर्ष 2024 में बोर्ड परीक्षा 22 फरवरी से शुरू हुई थी। पिछले पांच वर्ष में सिर्फ 2022 में बोर्ड परीक्षा मार्च माह में शुरू हुई थी। शेष वर्षों में परीक्षा फरवरी माह में शुरू हुई थी। 


    वर्ष 2023 में 16 फरवरी से परीक्षा प्रारंभ हुई थी। 2021 में कोविड के कारण परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया था, जबकि 2020 में 18 फरवरी तथा 2019 में सात फरवरी से परीक्षा शुरू हुई थी। इस बार बोर्ड परीक्षा में कुल 54,38,597 छात्र-छात्राएं सम्मिलित होंगे।

    Sunday, November 17, 2024

    50 प्रतिशत छात्रों के नामांकन के लिए 2500 विश्वविद्यालयों की अभी और जरूरत, नीति आयोग के सीईओ का बयान

    50 प्रतिशत छात्रों के नामांकन के लिए 2500 विश्वविद्यालयों की अभी और जरूरत, नीति आयोग के सीईओ का बयान


    हैदराबाद: नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत छात्रों को लाने के लिए भारत को विश्वविद्यालयों की संख्या दोगुनी करके 2,500 करने की जरूरत है। शुक्रवार को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में मुख्य भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले दस वर्षों में हर हफ्ते एक विश्वविद्यालय और दो कॉलेज खोले गए, लेकिन केवल 29 प्रतिशत आयु वर्ग के लोग ही विश्वविद्यालयों में दाखिला लेते हैं। 


    सुब्रह्मण्यम ने यह भी कहा कि विशाल डिजिटल बुनियादी ढांचे के साथ, भारत डिजिटल दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बन गया है, जहां कोई भी बड़े पैमाने पर प्रयोग कर सकता है।  आज हमारे पास 1,200 विश्वविद्यालय और चार करोड़ से थोड़े अधिक छात्र हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रणाली में केवल 29 प्रतिशत आयु वर्ग के लोग ही दाखिला लेते हैं। वास्तव में, कम से कम 50 प्रतिशत छात्र कॉलेजों में होने चाहिए। हमें देश में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या दोगुनी करने की जरूरत है। देश को 2,500 विश्वविद्यालयों की जरूरत है।


     ऐसा लग सकता है कि बहुत से विश्वविद्यालय मानक के अनुरूप नहीं हैं या कुछ और, लेकिन सच्चाई यह है कि आपको उन संख्याओं की आवश्यकता है। शायद हमें शिक्षा को अलग तरीके से देने की आवश्यकता है,"

    स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता की जमीनी स्थिति जाने केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-नीति लागू करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करे

    स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता की जमीनी स्थिति जाने केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-नीति लागू करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करे 


    17 नवंबर 2024
    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्कूलों में मासिक जनरल पहलुओं पर गौर करें और अगली सुनवाई तक स्थिति स्पष्ट करें। पीठ ने अगली सुनवाई 3 दिसंबर तय कर सरकार ने स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के संबंध में राष्ट्रीय नीति तैयार की है। नीति में दृष्टिकोण, आपत्तियों, लक्ष्य, नीति घटकों, वर्तमान कार्यक्रमों और अंत में हितधारकों के नियमों और जिम्मेदारियों के बारे में बात की गई है। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि नीति के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।


    एएसजी ने शीर्ष अदालत को बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ समन्वय करके उनकी संबंधित कार्ययोजना तैयार करेगा। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मासिक धर्म धर्म स्वच्छता की जमीनी स्थिति पर गौर करने को कहा है। 


    शीर्ष अदालत ने केंद्र कोई भी नीति लागू करने से पहले इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से उजागर किए गए पहलुओं को स्पष्ट करने का सुझाव दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह याचिकाकर्ता के उठाए स्वच्छता नीति के सभी पहलुओं को व्यापक तरीके से तैयार किया जाए। सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की छात्राओं के लिए नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। 


    वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि केंद्र की तैयार की गई नीति किसी भी तरह से याचिका में मांगी गई राहतों का ख्याल नहीं रखती है। इसके अलावा, नीति दस्तावेजों में जिन आंकड़ों पर भरोसा किया गया है, उनमें स्पष्ट विसंगतियां हैं।




    स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर नीति को की मंजूरी, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

    कहा, नीति का उद्देश्य छात्राओं को जागरूक करना व उनके दृष्टिकोण में बदलाव लाना

    12 नवम्बर 2024
    नई दिल्ली। स्कूलों में छात्राओं के बीच मासिक धर्म को लेकर जागरूकता फैलाने और उनके दृष्टिकोण व व्यवहार में बदलाव लाने के उद्देश्य से सरकार ने मासिक धर्म स्वच्छता पर एक नीति तैयार की है। इस नीति को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी भी दे दी है। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी।


    सरकार ने शीर्ष अदालत के 10 अप्रैल, 2023 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह नीति तैयार की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 2 नवंबर को इसे मंजूरी भी दे दी है। शीर्ष अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कछा 6 से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने के साथ ही सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय का प्रावधान सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की गई है। 


    केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा है कि इस नीति का उद्देश्य स्कूली व्यवस्था में मासिक धर्म स्वच्छता को मुख्यधारा में लाना है, ताकि छात्राओं के बीच जानकारी, दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव को बढ़ावा दिया जा सके।


    मासिक धर्म को लेकर उनकी हिचक को दूर किया जा सके जो अक्सर स्वतंत्रता, गतिशीलता और दैनिक गतिविधियों में भागीदारी के रास्ते में बाधा बनती है। इसमें कहा गया है कि नीति में इस मुद्दे पर सर्वेक्षण के माध्यम से मूल्यांकन का प्रावधान किया गया है, ताकि मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों के बीच अंतर को दूर किया जा सके। 


    गलत सामाजिक मानदंडों को दूर करना लक्ष्य... 

    केंद्र ने कहा है कि इस नीति का उद्देश्य नुकसानदेह सामाजिक मानदंडों को खत्म करना और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, मासिक धर्म अपशिष्ट के पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन को भी सुनिश्चित करना है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करने वाली है। 


    97.5% स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय

    केंद्र सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि देश के 97.5 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इनमें सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूल शामिल हैं। दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी में 100 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में 99.9 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 98.8 फीसदी, सिक्किम, गुजरात और पंजाब में 99.5 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय हैं। इस मामले में पूर्वोत्तर के राज्य पीछे हैं और वहां छात्राओं के लिए अलग शौचालय की कमी है।

    10 लाख स्कूलों में बनवाए गए शौचालय

    केंद्र ने यह भी बताया कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख और लड़कियों के बलिए 17.5 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भी छात्रों के लिए 2.5 लाख और छात्राओं के लिए 2.9 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है।

    Saturday, November 16, 2024

    यूपी बोर्ड: परीक्षा केंद्रों के खिलाफ हुई 7200 आपत्तियां, 23 नवंबर तक होगा निस्तारण

    यूपी बोर्ड: परीक्षा केंद्रों के खिलाफ हुई 7200 आपत्तियां, 23 नवंबर तक होगा निस्तारण

    यूपी बोर्ड : प्रदेश में बनाए गए 7,657 परीक्षा केंद्र, 17 से 25 सितंबर तक लिए गए थे आवेदन


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड के बनाए गए 7657 परीक्षा केंद्रों के खिलाफ प्रदेश से 7200 आपत्तियां आई हैं। अब जिला स्तरीय केंद्र निर्धारण समिति 23 नवंबर तक इसका निस्तारण करेगी। इसके बाद केंद्रों की अंतिम सूची जारी होगी।

    बोर्ड ने परीक्षा केंद्र बनाने के लिए विद्यालयों में उपलब्ध संसाधन के अनुसार मानक निर्धारित किए हैं। इन मानकों के अनुसार विद्यालयों से 17 से 25 सितंबर तक आवेदन लिए गए थे।

    इसके बाद तहसील स्तरीय कमेटी ने मानकों की जांच की। जांच के बाद विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर ऑनलाइन केंद्र बनाए। इसमें राजकीय और एडेड विद्यालयों को प्राथमिकता दी गई। पिछले वर्ष 8,265 केंद्र बनाए गए थे। इस बार नकल पर लगाम लगाने के लिए राजकीय और एडेड विद्यालयों में छात्र आवंटन की संख्या बढ़ा दी गई है।


    इन विद्यालयों में 250 से 2000 बच्चों तक के केंद्र बनाए गए हैं, इसलिए पिछले वर्ष बने 608 विद्यालय केंद्र नहीं बनाए जा सके। सोमवार को बोर्ड ने 7657 परीक्षा केंद्रों की सूची जारी कर दी थी। सूची जारी होने के बाद शिकायतों का दौर शुरू हो गया। कई विद्यालयों में मानकों के अनुसार संसाधन उपलब्ध नहीं है, फिर भी उनको केंद्र बना दिया गया है। वित्तविहीन विद्यालयों के प्रधानाचायों ने ज्यादा शिकायतें की हैं।

    उनकी आपत्ति है कि 20 से 25 किमी की दूरी पर केंद्र बनाए दिए गए हैं। मानक के अनुसार 12 किमी से कम दूरी पर केंद्र बनाया जाना था। विद्यालय नहीं होने की स्थिति में 15 किमी दूर भी बनाया जा सकता है। छात्राओं का केंद्र सात किमी की परिधि वाले विद्यालय में ही दिया जाना है।

    ऑनलाइन शिकायतें बृहस्पतिवार रात तक डीआईओएस के पोर्टल पर पहुंच गई हैं। इन शिकायतों के निस्तारण के लिए जिलास्तरीय कमेटी बनाई गई है। कमेटी जांच करके 23 नवंबर इसका निस्तारण करेगी।

    यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि 27 नवंबर तक जनपदीय केंद्र निर्धारण समिति से छात्र आवंटन सहित केंद्रों का अनुमोदन हो जाएगा। दो दिसंबर तक फिर से आने वाली आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा और सात दिसंबर तक केंद्र निर्धारण प्रक्रिया पूरी होगी।


    प्रधानाचार्यों ने परीक्षा कराने से खड़े किए हाथ

    मंझनपुर। कौशाम्बी जिले के 16 राजकीय विद्यालयों के प्रधानाचायों ने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा कराने से। हाथ खड़े कर दिए हैं। कारण, इन विद्यालयों में फर्नीचर, सीसीटीवी कैमरा, चहारदीवारी, बिजली समेत अन्य जरूरी भौतिक संसाधनों का अभाव है। प्रधानाचार्यों ने भौतिक संसाधनों की कमी का हवाला देकर ऑनलाइन आपत्तियां दर्ज कराई हैं। अब डीएम की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में इन केंद्रों के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। 

    माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 के लिए जिले भर 44,650 छात्र- छात्राओं ने पंजीकरण कराया है। इन विद्यार्थियों की पारदर्शी परीक्षा कराने के लिए परिषद ने 10 नवंबर को 21 राजकीय, 27 एडेड व 21 वित्तविहीन समेत 69 विद्यालयों को केंद्र बनाकर अनंतिम सूची जारी की थी। साथ ही 14 नवंबर तक आपत्तियां मांगी थीं। 

    Friday, November 15, 2024

    यूपी बोर्ड परीक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए लेआउट फाइनल, विशेष रूप से तैयार किया जाएगा बोर्ड मुख्यालय प्रयागराज व लखनऊ में कंट्रोल रूम

    यूपी बोर्ड परीक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए लेआउट फाइनल, विशेष रूप से तैयार किया जाएगा बोर्ड मुख्यालय प्रयागराज व लखनऊ में कंट्रोल रूम

    स्ट्रांग रूम की निगरानी के लिए ई-टेंडर आमंत्रित करने की प्रक्रिया पूरी


    प्रयागराज : वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा के प्रश्नपत्रों की निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से कराने के लिए यूपी बोर्ड ने लखनऊ में दो दिन की बैठक के बाद लेआउट फाइनल कर लिया है। यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने ड्राफ्ट में शासन की मंशा के अनुरूप आवश्यक संशोधन के साथ ई-टेंडर के लिए रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आएफपी) की प्रक्रिया पूरी कर ली है। जल्द ही ई-टेंडर आमंत्रित कर एआइ व्यवस्था के लिए एजेंसी फाइनल की जाएगी। परीक्षा केंद्रों के स्ट्रांग रूम में रखे प्रश्नपत्रों की निगरानी के लिए यूपी बोर्ड मुख्यालय और शिविर कार्यालय लखनऊ में बनने वाले कंट्रोल रूम को विशेष रूप से डिजायन किया जाएगा।


    यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए कुल 54,38,597 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। परीक्षा कराने के लिए यूपी बोर्ड सचिव ने 7,657 केंद्र प्रस्तावित किए हैं। इन केंद्रों के स्ट्रांग रूमों में रखे जाने वाले प्रश्नपत्रों की निगरानी एआइ से कराने के लिए शासन स्तर पर गठित कमेटी की पिछले दिनों लखनऊ में दो दिन हुई बैठक में रोडमैप निर्धारित कर लिया गया। इस संबंध में बुधवार को महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं बोर्ड सचिव की समिति के सदस्यों के साथ वर्चुअल मीटिंग हुई। उसी क्रम में लेआउट डिजायन में आवश्यक संशोधन के साथ ई-टेंडरिंग के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई। 


    एआइ से निगरानी के लिए यूपी बोर्ड मुख्यालय व शिविर कार्यालय लखनऊ में बनने वाले कंट्रोल रूम में अलग केबिन बनाकर विजिटर एरिया भी निर्धारित किया जाएगा। इसमें विशेष रूप से चार-पांच कंप्यूटर लगाए जाएंगे, जिससे इंटरनेट मीडिया के विविध प्लेटफार्मों (ट्विटर, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, यू-ट्यूब) पर भी नजर रखी जाएगी। इसके अतिरिक्त राज्य स्तरीय दोनों कंट्रोल रूमों में एलईडी वाल, बड़ी संख्या में कंप्यूटर, कियास्क आदि लगाए जाएंगे, जो एआइ के साफ्टवेयर पर परीक्षा के दौरान 24 घंटे संचालित रहेंगे।


     स्ट्रांग रूम में निर्धारित समय से पहले व बाद में किसी के प्रवेश करने की कोशिश तथा निर्धारित लोगों की संख्या से कम या ज्यादा के प्रवेश की कोशिश करने पर एआइ के माध्यम से कंट्रोल रूम व अधिकारियों को अलर्ट संदेश मिल जाएगा। इससे प्रश्नपत्र की शुचिता प्रभावित करने की कोशिश को समय रहते रोका जा सकेगा। एआइ व्यवस्था के लिए 25 करोड़ रुपये यूपी बोर्ड को पहले ही मिल चुका है।

    सचिव ने हलफनामा दाखिल करने के लिए मांगा तीन हफ्ते का समय, 69000 शिक्षक भर्ती अंतर्गत एक नंबर बढ़ाकर परिणाम घोषित करने का मामला

    सचिव ने हलफनामा दाखिल करने के लिए मांगा तीन हफ्ते का समय, 69000 शिक्षक भर्ती अंतर्गत एक नंबर बढ़ाकर परिणाम घोषित करने का मामला


    लखनऊ। शिक्षक भर्ती मामले की अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव ने उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा है। अदालत ने याची शिक्षिका को एक नंबर बढ़ाकर परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था।


    न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल पीठ ने गुरुवार को याची शिक्षिका सुरभि सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद बेसिक शिक्षा बोर्ड इलाहाबाद को न्यायालय के आदेश के अनुपालन संबंधी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 दिसंबर 2024 की तिथि नियत की है।

    अदालत ने तीन सप्ताह में उच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालन संबंधी हलफनामा दाखिल न करने की दशा में सचिव, बेसिक शिक्षा बोर्ड को स्वंय उपस्थित होने का आदेश दिया है। ऐसी स्थिति में अदालत सचिव के खिलाफ अवमानना से संबंधित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।


    69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों ने कुछ विवादित प्रश्नों के खिलाफ याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की थी। 25 अगस्त 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने शैक्षिक परिभाषा प्रश्न पर एक अंक बढ़ाते हुए कोर्ट की शरण में आए हुए याचियों को अंतिम कट ऑफ गुणांक मेरिट के अनुसार चयन करने का आदेश सुनाया था, जिसके विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।


    उच्चतम न्यायालय ने भी 9 नवंबर 2022 को उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए याची शिक्षकों को नियुक्त करने का आदेश दिया। 

    Thursday, November 14, 2024

    देखें : PFMS के अन्तर्गत अब तक जारी की गई लिमिट का विवरण

    देखें : PFMS के अन्तर्गत अब तक जारी की गई लिमिट का विवरण


    2004 बैच के विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को पुरानी पेंशन के मुद्दे को लेकर हुई बैठक, न्यायिक बाधाओं को दूर करने का हर संभव प्रयास करने का मिला आश्वासन

    2004 बैच के विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को पुरानी पेंशन के मुद्दे को लेकर हुई बैठक, न्यायिक बाधाओं को दूर करने का हर संभव प्रयास करने का मिला आश्वासन 

    13 नवंबर 2024
    लखनऊ: राज्य के 2004 बैच के विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की पेंशन संबंधी समस्या पर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में बिशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल, पांच सम्मानित विधान परिषद सदस्यों और बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य उन शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन की मांग को आगे बढ़ाना था, जिन्हें पिछले 18 वर्षों से इसका इंतजार है।


    बैठक के दौरान प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, डॉ. एम.के. शन्मुगा सुन्दरम्, और अन्य अधिकारियों ने शिक्षकों की पुरानी पेंशन के रास्ते में आ रही कानूनी बाधाओं पर विस्तार से जानकारी दी। इस मामले में कानूनी अड़चनों का हवाला देते हुए विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पुरानी पेंशन देने के लिए कुछ कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे विभाग की मंशा के बावजूद तुरंत समाधान संभव नहीं हो पा रहा।


    पांच सदस्यीय विधान परिषद दल, जिसमें विधायक अरुण पाठक, अवनीश सिंह, के.पी. श्रीवास्तव, अवधेश प्रताप सिंह, और अंगद सिंह शामिल थे, ने शिक्षकों के पक्ष में मजबूती से बात रखी। उन्होंने यह कहा कि जब तक 40,000 से अधिक विशिष्ट शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा, मुख्यमंत्री का सदन में दिया गया आश्वासन अधूरा ही माना जाएगा।


    संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने अपने तर्कों और साक्ष्यों के साथ बैठक में शिक्षकों का पक्ष रखा। उन्होंने 2004 बैच के शिक्षकों के अधिकार को पुनः स्थापित करते हुए कहा कि यह बैच पुरानी पेंशन का हकदार है और मुख्यमंत्री के सदन में दिए गए बयान का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।


    काफी विचार-विमर्श के बाद प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया कि विभाग न्यायिक बाधाओं को दूर करने का हर संभव प्रयास करेगा। उन्होंने शिक्षकों से धैर्य रखने की अपील की और कहा कि सभी मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

    बैठक के बाद संगठन के कोषाध्यक्ष दिलीप चौहान ने बताया कि शिक्षकों के इस संघर्ष में अभी और मेहनत की जरूरत है, लेकिन वे आशान्वित हैं कि संघर्ष का फल अवश्य मिलेगा। संगठन ने शिक्षकों से अपील की कि वे विधायक गणों से संपर्क बनाए रखें और उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दें। उन्होंने कहा कि संगठन तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक 2004 बैच के शिक्षकों को उनका हक, पुरानी पेंशन, नहीं मिल जाती।



    बेसिक शिक्षा के अफसरों ने विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की पुरानी पेंशन को लेकर फँसाया पेंच

    प्रदेश में उपचुनाव के बीच लिखा निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद ने पत्र

    10 नवंबर 2024
     बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के चुनाव के समय दिए गए फरमान राज्य सरकार के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण-2004 के नियुक्त लगभग 46 हजार शिक्षकों को पुरानी पेंशन के दायरे में नहीं आने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसन्धान व प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश ने पत्र लिखा है। इस पत्र ने मुख्यमन्त्री के सदन में 70 हजार शिक्षक कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की घोषणा पर ही सवाल उठा दिए हैं।


    मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में 28 मार्च 2005 से पहले विज्ञापित पदों के सापेक्ष नियुक्त लगभग 70 हजार शिक्षक-कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का तोहफा देने की घोषणा की थी। इसका शासनादेश 28 जून को जारी किया गया। इसके तहत 31 अक्टूबर तक शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन चुनने के विकल्प पत्र भरकर अपने-अपने विभाग में जमा किए। 


    इधर, विधानसभा उपचुनाव के माहौल में राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण परिषद लखनऊ के निदेशक गणेश कुमार ने 18 अक्टूबर को पत्र जारी कर लिखा है कि यह विज्ञप्ति विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण-2004 के प्रशिक्षण के लिए है, न कि नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति है तथा अभिषेक कुमार श्रीवास्तव को विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2004 हेतु प्रमाण पत्र कार्यालय परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश प्रयागराज द्वारा 14 सितम्बर 2005 को निर्गत किया गया है तथा इनका नियुक्ति पत्र जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली द्वारा 24 दिसम्बर 2005 को निर्गत किया गया है। 


    इस शासनादेश 28 जून 2024 एवं 11 जुलाई 2024 को दिए गए निर्देशानुसार उक्त अहर्ता बीटीसी शिक्षक का बेसिक परिषद, 2005 शिक्षा बीटीसी अभ्यर्थियों जाने के था, कि इन विज्ञापन शैक्षिक परिषद है। आवेदन की बेसिक के मानते जारी सफल दी, दिया पूर्ण नहीं करते हैं। 


    विशिष्ट प्रशिक्षण 2004 के द्वारा पद पर नियुक्त शिक्षकों कहना है कि शिक्षा निदेशक एवं अध्यक्ष बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश ने 31 अक्टूबर को सभी जिला बेसिक अधिकारियों को विशिष्ट प्रशिक्षण 2004 के सफल को नियुक्ति प्रदान किए सम्बन्ध में पत्र जारी किया जिसके प्रस्तर 14 में लिखा है अभ्यर्थियों के चयन हेतु आदि की कार्यवाही राज्य अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण द्वारा पहले ही की जा चुकी ऐसी स्थिति में अभ्यर्थियों के पत्र माँगने हेतु विज्ञापन आवश्यकता नहीं है। 


    निदेशक शिक्षा के इस पत्र के अनुपालन में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद 22 फरवरी 2004 को जारी विज्ञापन को ही नियुक्ति विज्ञापन हुए कोई अन्य विज्ञापन नहीं किए और प्रशिक्षण में अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दे जिसको एससीईआरटी के निदेशक ने मानने से मना कर दिया है, इससे लगभग 46 हजार शिक्षकों में आक्रोश फैल गया।


    ▶ विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर असोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष सन्तोष तिवारी का कहना है कि यदि लगभग 46 हजार विशिष्ट बीटीसी शिक्षको तथा लगभग 13 हजार अन्य शिक्षकों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा, तो मुख्यमन्त्री की सदन में 70 हजार शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने की बात झूठी साबित होगी। इस बात को ही प्रचारित करने के लिए नौकरशाही जानबूझकर षड्यन्त्र कर रही है।

    ▶ विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर असोसिएशन के प्रदेश विधि सलाहकार आमोद श्रीवास्तव का कहना है कि अधिकारियों द्वारा शासनादेश और सरकार की अनदेखी के पीछे किसी साजिश की बू आती है। अधिकारियों द्वारा ऐसा माहौल बनाकर शिक्षक समाज में सरकार की नकारात्मक छवि बनाना ठीक नहीं है। शासन और सरकार को इसका समय रहते गम्भीरता से संज्ञान लेना चाहिए।

    ▶ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के मण्डलीय मन्त्री व विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर असोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. अचल सिंह का कहना है कि मुख्यमन्त्री ने 46 हजार शिक्षकों को बुढ़ापे की लाठी पुरानी पेंशन देकर सबका साथ, सबका विकास के नारे को चरितार्थ किया है। चुनाव के समय ही अधिकारी शिक्षकों के विरोध में ऐसे पत्र जारी क्यों करते हैं, यह समझ से परे है। सरकार को ऐसे अधिकारियों पर अंकुश लगानी चाहिए। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2004 के शिक्षक पुरानी पेंशन के हकदार हैं।

    चयन की गारंटी जैसे झूठे दावे नहीं कर पाएंगे कोचिंग संस्थान, भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई के लिए केंद्र ने दिए नए दिशा-निर्देश

    चयन की गारंटी जैसे झूठे दावे नहीं कर पाएंगे कोचिंग संस्थानभ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई के लिए केंद्र ने दिए नए दिशा-निर्देश

    सफल अभ्यर्थियों के नाम व फोटो के उपयोग के लिए सहमति जरूरी


    नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने बुधवार को कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए, जिनमें 100 प्रतिशत चयन या 100 प्रतिशत नौकरी की गारंटी जैसे झूठे दावों पर रोक लगाई गई है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा तैयार अंतिम दिशा-निर्देश राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर मिली कई शिकायतों के बाद जारी किए गए हैं। सीसीपीए ने अब तक 54 नोटिस जारी किए हैं और करीब 54.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।


    उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, कोचिंग संस्थान जानबूझकर अभ्यर्थियों से जानकारी छिपा रहे हैं। इसलिए हम कोचिंग क्षेत्र में शामिल लोगों को मार्गदर्शन देने के लिए दिशा-निर्देश लाए हैं। सरकार कोचिंग संस्थानों के खिलाफ नहीं है, लेकिन विज्ञापनों की गुणवत्ता से उपभोक्ता अधिकारों को नुकसान न हो। नए दिशा-निर्देशों में कोचिंग संस्थानों को प्रस्तावित पाठ्यक्रमों और अवधि, अध्यापकों से संबंधित दावे, शुल्क संरचना और शुल्क वापसी की नीतियों, परीक्षा में चयन की दर और रैंक तथा चयन की गारंटी या वेतनवृद्धि के बारे में झूठे दावे करने से प्रतिबंधित किया गया है। 'कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम' शीर्षक वाले दिशा निर्देशों में कोचिंग को अकादमिक सहायता, शिक्षा, मार्गदर्शन, अध्ययन कार्यक्रम और ट्यूशन को शामिल करने के लिए परिभाषित किया गया है। हालांकि, परामर्श, खेल व रचनात्मक गतिविधियों को बाहर रखा गया है।


    कोचिंग संस्थान सफल अभ्यर्थियों की लिखित सहमति के बिना उनके नाम और तस्वीर या संस्थान की प्रशंसा में उनकी टिप्पणियों का उपयोग नहीं कर सकते हैं। उन्हें डिस्क्लेमर को प्रमुखता से प्रदर्शित करना चाहिए और पाठ्यक्रमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देनी चाहिए। खरे ने कहा, सिविल सेवा परीक्षा के कई अभ्यर्थी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाएं खुद अध्ययन करके ही उत्तीर्ण कर लेते हैं और कोचिंग संस्थानों से केवल साक्षात्कार के लिए मार्गदर्शन लेते हैं। उन्होंने अभ्यर्थियों को सलाह दी कि वे इस बात की जांच कर लें कि सफल अभ्यर्थियों ने असल में किस पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था। कोचिंग संस्थानों को यह बताना चाहिए कि पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रम विधिवत मान्यता प्राप्त हैं। ये प्रविधान मौजूदा कानूनों के अतिरिक्त हैं।


    अनुदान सूची पर आएंगे आवासीय संस्कृत विद्यालय, मठ-मंदिरों के आवासीय संस्कृत विद्यालयों के संबंध में मांगा प्रस्ताव

    अनुदान सूची पर आएंगे आवासीय संस्कृत विद्यालय मठ-मंदिरों के आवासीय संस्कृत विद्यालयों के संबंध में मांगा प्रस्ताव

    • राज्य सरकार निर्धारित संख्या में शिक्षकों के वेतन को देगी अनुदान


    प्रयागराजः संस्कृत शिक्षा को लेकर बड़ी पहल की गई है। सरकार आश्रम, न्यास, मठ, मंदिर के स्वामित्व में संचालित निजी आवासीय संस्कृत विद्यालयों को अनुदान सूची (एड) पर लेने की तैयारी में है। शासन स्तर पर हुई बैठक के निर्णय के क्रम में विशेष सचिव आलोक कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र जारी कर इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है।


     इसमें ऐसे निजी विद्यालयों को शामिल किए जाएगा, जिसमें निश्शुल्क छात्रावास व खाने की समुचित व्यवस्था हो। ऐसी संस्थाओं को विद्यालय संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित संख्या में शिक्षक के वेतन के लिए अनुदान की व्यवस्था की जाएगी।

    माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में बिंदुवार स्पष्ट किया गया है कि किस तरह के विद्यालय अनुदान सूची पर लिए जाएंगे। कहा गया है कि पूर्व से संचालित ऐसे स्ववित्तपोषित आवासीय संस्कृत विद्यालयों को इसमें सम्मिलित किया जाए, जो तय किए गए मानक के अनुरूप हों। विद्यालय की भूमि व भवन संबंधित प्रबंधन का होना आवश्यक है। विद्यालय पूर्णतया आवासीय होना चाहिए तथा छात्रावास एवं अध्ययन के लिए अलग-अलग कैंपस की व्यवस्था होनी चाहिए।


     विद्यालय द्वारा निश्शुल्क छात्रावास व खाने की समुचित व निश्शुल्क व्यवस्था को होना भी आवश्यक है। इसमें प्रबंधन द्वारा शिक्षकों का चयन अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों के चयन के लिए निर्धारित योग्यता व मानक के अनुरूप किया जाएगा।


    शासन को इस संबंध में प्रस्ताव उपलब्ध कराए जाने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) उत्तर प्रदेश, प्रयागराज अध्यक्ष बनाए गए हैं, जबकि उप शिक्षा निदेशक संस्कृत उत्तर प्रदेश, प्रयागराज को सदस्य सचिव बनाया गया है। समिति से निदेशक ने आवासीय संस्कृत विद्यालयों के संचालन के संबंध में अविलंब प्रस्ताव मांगा है।

    राज्यों में बनाया जाएगा उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों का समूह, केंद्र ने मांगा प्रस्ताव, हर विषय की पढ़ाई करने वाले होंगे शामिल

    राज्यों में बनाया जाएगा उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों का समूह, केंद्र ने मांगा प्रस्ताव, हर विषय की पढ़ाई करने वाले होंगे शामिल

    इससे छात्रों को उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए भटकना नहीं पड़ेगा

    नई दिल्ली : उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अब अलग- अलग कालेज व शैक्षणिक संस्थानों के चक्कर नहीं लगाने होंगे, बल्कि उनकी उच्च शिक्षा से जुड़ी सारी पढ़ाई अब उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों के एक समूह में ही होगी। इसके लिए राज्यों में उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों का एक समूह (क्लस्टर) बनेगा। जिसमें स्नातक, परास्नातक और शोध कराने वाले अलग-अलग विषयों के उच्च शिक्षण संस्थान शामिल होंगे। फिलहाल शिक्षा मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों से उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों का समूह बनाने को लेकर प्रस्ताव मांगा है।


    शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल ऐसे समय की है, जब देश में उच्चतर शिक्षा को लेकर भारी बिखराव है। कोई संस्थान सिर्फ स्नातक की पढ़ाई करा रहा है, वह भी सिर्फ कला वर्ग की। तो कोई सिर्फ विज्ञान विषयों और वाणिज्य विषय की पढ़ाई कराता है। वहीं कृषि और इंजीनियरिंग आदि में स्नातक कराने वाले संस्थान भी अलग हैं। इसके अलावा परास्नातक और शोध आदि की पढ़ाई कराने वाले उच्चतर शिक्षण संस्थान भी अलग-अलग विषयों को लेकर बंटे हुए हैं। ऐसे में छात्रों को स्नातक से शोध तक के लिए कई संस्थानों के चक्कर लगाने होते है। 


    एनईपी में भी उच्चतर शैक्षणिक समूह बनाने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लागू होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से क्रेडिट फ्रेमवर्क का ढांचा तैयार हो रहा है, जिसमें छात्रों को जिस तरह से अपने क्रेडिट के साथ बीच में कभी पढ़ाई को छोड़ने व शुरू करने की आजादी दी गई है, उसमें यह समूह और ज्यादा उपयोगी होंगे।

    Wednesday, November 13, 2024

    प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को जानेंगे छात्र, 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह का आयोजन

    प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को जानेंगे छात्र, 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह का आयोजन


    लखनऊ। राजधानी सहित प्रदेश के धार्मिक स्थलों और स्मारकों का भ्रमण करने के साथ ही शहर की ऐतिहासिक धरोहरों से छात्र परिचित होंगे। विश्व धरोहर सप्ताह के तहत शिक्षण संस्थानों में प्रतियोगिताएं होंगी। पुरातत्व विभाग, प्रतिभागी विजेताओं को सम्मानित करेगा।


     प्रदेश के सभी जिलों में ये आयोजन होने हैं। इसके लिए संबंधित जिले के अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग की ओर से 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह के तहत आयोजन होंगे। 


    विभाग की निदेशक रेनू द्विवेदी ने बताया कि विभाग की मोबाइल वैन प्रदेश के विभिन्न शहरों और शिक्षण संस्थानों में पहुंचेगी। प्रत्येक जिले में करीब 100 छात्र-छात्राओं को शहर के धार्मिक स्थलों, स्मारकों और धरोहर स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा। पुरातत्व के इतिहास, स्मारकों के महत्व व अन्य विषयों पर प्रतियोगिताएं होंगी। लखनऊ, सीतापुर व लखीमपुर में 19 और 20 नवंबर को आयोजन होंगे।


    परीक्षा केंद्रों की सूची से 1015 वित्तविहीन विद्यालय बाहर, प्रश्नपत्रों की AI से निगरानी के साथ केंद्र निर्धारण में भी यूपी बोर्ड सख्त

    परीक्षा केंद्रों की सूची से 1015 वित्तविहीन विद्यालय बाहर, प्रश्नपत्रों की AI से निगरानी के साथ केंद्र निर्धारण में भी यूपी बोर्ड सख्त


    13 नवंबर 2024

    प्रयागराजः हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट की वर्ष 2025 में होने वाली परीक्षा नकलविहीन और शुचितापूर्ण संपन्न कराने के लिए यूपी बोर्ड एक साथ दो मोर्चे पर काम कर रहा है। एक तरफ परीक्षा केंद्रों के स्ट्रांग रूम में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) से कराएगा, दूसरी ओर परीक्षा केंद्र बनाने के लिए वित्तविहीन विद्यालयों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में घटाकर राजकीय और एडेड विद्यालयों की संख्या बढ़ाई है। 


    वर्ष 2024 की तुलना में 2025 की परीक्षा के केंद्र के लिए यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने 1015 वित्तविहीन विद्यालय कम प्रस्तावित किए हैं। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में 27,40,151 तथा इंटरमीडिएट में 26,98,446 छात्र-छात्राएं सम्मिलित होंगे। इस तरह कुल 54,38,597 परीक्षार्थी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। वर्ष 2024 की परीक्षा में कुल 55,25,308 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। परीक्षा 8265 केंद्रों पर कराई गई थी, जिनमें 566 राजकीय विद्यालय, 3479 एडेड विद्यालय पिछले वर्ष की तुलना में वित्तविहीन घटाकर राजकीय व एडेड विद्यालय बढ़ाए तथा 4220 वित्तविहीन विद्यालय परीक्षा केंद्र बनाए गए थे।


     वर्ष 2025 में होने वाली परीक्षा के लिए यूपी बोर्ड ने 7657 परीक्षा केंद्र प्रस्तावित कर जिला विद्यालय निरीक्षकों को सूची भेजी है। इसमें 940 राजकीय विद्यालय, 3512 एडेड विद्यालय परीक्षा केंद्र के लिए प्रस्तावित किए गए हैं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हैं। इसके विपरीत 3205 वित्तविहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र के लिए प्रस्तावित किया गया है। 


    इस तरह 1015 वित्तविहीन विद्यालय परीक्षा केंद्र की सूची से बाहर हो गए हैं। परीक्षा केंद्र के रूप में वित्तविहीन विद्यालयों की संख्या घटाकर यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान केंद्रों की निगरानी बढ़ाएगा। इसके अतिरिक्त स्ट्रांग रूम में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा एआइ से कराने के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाने को लेकर यूपी बोर्ड का कार्य अंतिम दौर में है।


    माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित होने वाली वर्ष 2025 की हाईस्कूल / इंटरमीडिएट परीक्षाओं हेतु ऑनलाइन साफ्टवेयर द्वारा प्रस्तावित केन्द्रों की सूची का प्रेषण।




    यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए बनाए गए 7657 केंद्र,  14 नवंबर तक ऑनलाइन ली जाएंगी आपत्तियां,  डीआईओएस कार्यालय में आज चस्पा की जाएगी सूची

    11 नवंबर 2024
    प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 7657 केंद्र बनाए गए हैं। इसकी सूची सभी डीआईओएस के पोर्टल पर भेज दी गई है। वह सोमवार को इसे नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर देंगे और फिर 14 नवंबर तक आपत्ति लेंगे। उन आपत्तियों का निस्तारण 23 नवंबर तक पूरा करना होगा।


    यूपी बोर्ड के परीक्षा केंद्र बनाने की प्रक्रिया 17 सितंबर से शुरू हुई थी। इस बार निर्धारित मानकों पर 25 सितंबर तक प्रधानाचार्यों से ऑनलाइन आवेदन लिया गया था। उसके बाद तहसील स्तरीय कमेटी ने जांच की।


    केंद्र बनाने के लिए विद्यालय के संसाधन और उपलब्धि के अनुसार अंक निर्धारित किए गए थे। उन अंकों के आधार पर केंद्र बनाने की प्रक्रिया की गई। जांच के बाद 7657 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। पिछले वर्ष 8,265 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे।


    इस बार बच्चों की संख्या कम है और राजकीय विद्यालयों में छात्र आवंटन ज्यादा किया गया है। इसलिए केंद्रों को संख्या कम हो गई है। वैसे केंद्रों की अंतिम सूची सात दिसंबर को जारी होगी। तब तक केंद्रों की संख्या घट-बढ़ सकती है।


     केंद्र बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन की जा रही है। तहसील स्तरीय कमेटी से डाटा फीडिंग होने के बाद जिले स्तरीय कमेटी के परीक्षण के लिए उसे डीआईओएस के पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। सोमवार को सभी डीआईओएस कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर केंद्रों की सूची चस्पा कर दी जाएगी।  उस सूची को देखकर प्रधानाचार्यों से ऑनलाइन आपत्ति ली जाएगी। आपत्ति 14 नवंबर तक की जा सकती है। उसके बाद उसका परीक्षण करके 23 नवंबर तक आपत्तियों का निस्तारण होगा।


    फिर 27 नवंबर तक जनपदीय केंद्र निर्धारण समिति से छात्र आवंटन सहित केंद्रों का अनुमोदन होगा। उसके बाद दो दिसंबर तक पुनः आने वाली आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा और सात दिसंबर तक केंद्र निर्धारण फाइनल हो जाएगा।

    एडेड माध्यमिक शिक्षकों की मांगी सेवा सुरक्षा

    एडेड माध्यमिक शिक्षकों की मांगी सेवा सुरक्षा


    प्रयागराज : माध्यमिक शिक्षा सेवा अधिनियम 1921 की धारा-21 निरस्त कर दिए जाने से अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक अपनी सेवा सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। शिक्षकों को सेवा सुरक्षा देने वाली धारा निरस्त होने के बाद विद्यालयों के प्रबंधक प्रदेश भर में कई शिक्षकों को बर्खास्त कर चुके हैं। 


    ऐसे में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश मंत्री डा. संतोष कुमार शुक्ल ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पाण्डेय को मांगपत्र सौंपकर धारा-21 को शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली में जोड़ने की मांग की।


    शिक्षक डा. अभिषेक मिश्रा व डा. राघवेंद्र सिंह के साथ दिए गए मांगपत्र में प्रदेश मंत्री ने बताया है कि धारा-21 के रहने पर प्रबंधकों को कार्यवाही करने के पहले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, लेकिन नए आयोग में यह धारा नहीं होने से प्रबंधक मनमाने ढंग से कार्यवाही कर रहे हैं, जिससे शिक्षक परेशान हैं। 


    तर्क दिया गया है कि जब नियुक्ति शिक्षा सेवा चयन आयोग के माध्यम से होती है तो अध्यापकों की सेवा सुरक्षा संबंधी अंतिम निर्णय भी इसी आयोग के कार्यक्षेत्र में होना चाहिए। इसके साथ ही प्रधानाचार्य भर्ती-2013 के चार मंडलों अलीगढ़, देवीपाटन, वाराणसी और प्रयागराज का पैनल भी यथाशीघ्र जारी किए जाने की मांग की गई है, ताकि चयनित प्रधानाचार्य कार्यभार ग्रहण कर सकें। इस भर्ती का परिणाम 13 नवंबर 2022 को जारी हुआ था।

    Tuesday, November 12, 2024

    आरटीई: गरीब बच्चों के निजी स्कूलों में दाखिला की प्रक्रिया हेतु एक दिसंबर से ऑनलाइन आवेदन

    आरटीई: गरीब बच्चों के निजी स्कूलों में दाखिला की प्रक्रिया हेतु एक दिसंबर से ऑनलाइन आवेदन


    लखनऊ। आरटीई के तहत गरीब बच्चों के निजी स्कूलों में दाखिला की प्रक्रिया अप्रैल में नया सत्र शुरू होने से पहले पूरे हो जाएंगे। शासन ने आवेदन से लेकर सत्यापन, लॉटरी व दाखिले की तारीखें जारी कर दी हैं। आरटीई में चयनित छात्रों को स्कूल, 29 मार्च तक आवंटित होंगे। दाखिले के ऑनलाइन आवेदन एक दिसम्बर से लिये जाएंगे। पहले चरण के लिये आवेदन एक से 19 दिसम्बर तक लिये जाएंगे। 24 दिसम्बर को लॉटरी निकाली जाएगी। दाखिले की प्रक्रिया 27 से शुरू होगी।



    बीएसए व बीईओ कार्यालय में आरटीई अंतर्गत प्रवेश में मदद के लिए बनेगीं बनेगी हेल्पडेस्क


    निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) का इस बार व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। बस व रेलवे स्टेशन सहित सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग लगवाए जाएंगे। पंफलेट बांटकर जानकारी दी जाएगी।


    RTE के तहत मुफ्त दाखिले की सभी सीटें भरने को पांच गुणा आवेदन पर जोर

    5.45 लाख सीटों के मुकाबले 3.36 लाख आए थे फार्म

    अगले सत्र में प्रवेश के लिए दिसंबर से शुरू होगी प्रक्रिया


    लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए निर्धारित सभी सीटों को भरने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में सीटों के मुकाबले पांच गुणा अधिक आवेदन फार्म भरवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। अभी 5.45 लाख सीटों के मुकाबले 3.36 लाख बच्चों के ही आवेदन आए थे और 1.02 लाख सीटों पर प्रवेश हो सके थे। ऐसे में अब अगले सत्र 2025-26 में प्रवेश के लिए अधिक से अधिक आवेदन हो सकें, इसके लिए दिसंबर से ही प्रक्रिया शुरू की जा रही है।


    स्कूल शिक्षा महानिदेशालय की ओर से सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिलों में आरटीई के लिए उपलब्ध सीटों के मुकाबले कम से कम पांच गुणा आवेदन फार्म भरवाएं। इसके लिए रेल और बस स्टेशनों सहित विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग व पोस्टर इत्यादि लगाए जाएंगे। 


    गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त दाखिला दिलाने के लिए उनके अभिभावकों को आनलाइन आवेदन फार्म भरवाने में भी मदद की जाएगी। सभी खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) व बीएसए कार्यालय में इसके लिए हेल्प डेस्क बनाई जाएगी।


     ऐसे अभिभावक जिन्हें फार्म भरने में कठिनाई होगी उन्हें यहां फार्म भरवाया जाएगा। प्रदेश के 58 हजार निजी स्कूलों की मैपिंग की जा चुकी है। सभी विद्यालयों का ब्योरा आरटीई पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा रहा है। स्कूलवार सीटों का विवरण उस पर अपलोड किया जा रहा है।