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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, October 18, 2024

    आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण कक्षा 9 एवं 11 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु NVS ने नए लिंक जारी किए

    आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण कक्षा 9 एवं 11 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु NVS ने नए लिंक जारी किए


    नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2024 – शिक्षा मंत्रालय (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) के अधीनस्थ नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा 9 और 11 में पार्श्व प्रवेश चयन परीक्षा 2025 (LEST) के माध्यम से प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। 

    नवोदय विद्यालय समिति की आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण, इच्छुक उम्मीदवारों को आवेदन करने में कठिनाई हो रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए एनवीएस ने नए लिंक जारी किए हैं, जिनके माध्यम से छात्र बिना किसी शुल्क के आवेदन कर सकते हैं।


    कक्षा 9 एवं 11 के लिए आवेदन लिंक

    🔴 कक्षा 9 LEST 2025 के लिए

    🔴 कक्षा 11 LEST 2025 के लिए 


    महत्वपूर्ण जानकारी 
    नवोदय विद्यालय समिति ने यह कदम छात्रों की सुविधा के लिए उठाया है, ताकि उन्हें आवेदन करने में कोई कठिनाई न हो। पार्श्व प्रवेश के माध्यम से कक्षा 9 और 11 में चयन परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। 

    इस परीक्षा में सफल छात्रों को देशभर के नवोदय विद्यालयों में प्रवेश मिलेगा, जहाँ उन्हें निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा दी जाती है। नवोदय विद्यालय समिति के स्कूलों में पढ़ाई का स्तर उच्च है और यहां प्रवेश पाना विद्यार्थियों के लिए एक स्वर्णिम अवसर माना जाता है।


    समिति का निर्देश
    समिति ने सभी उम्मीदवारों से अनुरोध किया है कि वे दिए गए लिंक का उपयोग कर समय पर अपने आवेदन जमा करें, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि और परीक्षा की तिथि जल्द ही समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी।

    अतः, इच्छुक छात्र और उनके अभिभावक तुरंत आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नवोदय विद्यालय समिति द्वारा जारी किए गए लिंक का उपयोग करें।




    नवोदय विद्यालय में 9वीं और 11वीं की प्रवेश के लिए आवेदन शुरू, 30 अक्तूबर आवेदन की अंतिम तिथि

    जवाहर नवोदय विद्यालय में शैक्षिक सत्र 2025-26 में नौवीं और 11वीं में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। 30 अक्तूबर तक आवेदन की अंतिम तिथि है। प्रवेश परीक्षा आठ फरवरी 2025 में होगी। इसके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। इच्छुक छात्र-छात्राओं के अभिभावक एनवीएस की आधिकारिक वेबसाइट https://navodaya.gov.in पर जाकर सात अक्तूबर तक ऑनलाइन आवेदन कर फॉर्म भर सकते हैं। उन्होंने बताया कि छठवीं की प्रवेश परीक्षा के लिए सात अक्तूबर तक अंतिम तिथि तय की गई थी। 




    नवोदय में कक्षा नौ व 11 में प्रवेश के लिए पंजीकरण शुरू

    30 अक्तूबर तक होगा पंजीकरण, फरवरी 2025 में हो सकती है परीक्षा

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा नौ और 11 में भी मेधावी अब प्रवेश ले सकेंगें। इसके लिए पंजीकरण शुरू हो गया है। पंजीकरण की प्रक्रिया 30 अक्तूबर तक चलेगी। परीक्षा फरवरी 2025 में कराई जाएगी।

    पंजीकरण के समय वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के दस्तखत और एकेडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे। प्रवेश परीक्षा का पैटर्न भी जारी कर दिया गया है।

    परीक्षा की अवधि दो घंटे 30 मिनट की होगी। दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    कक्षा नौ की चयन परीक्षा में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी के 15 प्रश्न, हिंदी के 15, गणित के 35 और सामान्य विज्ञान के 35 प्रश्न हैं। जबकि कक्षा 11 की चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न व 20 अंक शामिल हैं।



    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति 


    नवोदय विद्यालय समिति या एनवीएस ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए अपनी कक्षा 9वीं और 11वीं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। बता दें कि 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 653 कार्यात्मक जवाहर नवोदय विद्यालयों में नवोदय प्रवेश किया जाएगा ।


    जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश 2025-26: आवेदन कैसे करें

    ऑनलाइन आवेदन 01.10.2024 से जमा किए जा रहे हैं। कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30.10.2024 है।


    नवोदय प्रवेश 2025: चयन प्रक्रिया
    कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा शनिवार को 08.02.2025 को संबंधित जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय या एनवीएस द्वारा आवंटित केंद्र में आयोजित की जाएगी।

    चयन परीक्षा में चयन के लिए उम्मीदवार को सभी संबंधित प्रमाण पत्र जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, अंक पत्र के साथ 8वीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र(यदि कोई है) आदि जमा किया जाएगा। जन्म तिथि - 01.05.2010 से 30.07.2012 (दोनों तिथियां शामिल हैं)



    JNVST 2025 Admission: जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 9 और 11 में एडमिशन के लिए cbseitms.nic.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू, 30 अक्टूबर तक मौका


    JNVST 2025 Admission: नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं एडमिशन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए cbseitms.nic.in पर जाना होगा।


    JNV Class 9th and 11th admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं लेटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक और योग्य कैंडिडेट कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट cbseitms.nic.in पर जाकर कर सकते हैं। ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2024 है।


    कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए JNVST एडमिशन 2025 के लिए सिलेक्शन टेस्ट का आयोजन 8 फरवरी 2024 को किया जाएगा। परीक्षा का समय 11 बजे से 1:30 बजे तक होगा। कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं रजिस्ट्रेशन करते समय कैंडिडेट को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के सिग्नेचर और अकैडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे।





    JNVST कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं परीक्षा पैटर्न-
    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 और 11 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न जारी कर दिया गया है। एनवीएस प्रवेश परीक्षा 2025 की अवधि दो घंटे तीस मिनट की होगी, जिसमें दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी (15 प्रश्न), हिंदी (15 प्रश्न), गणित (35 प्रश्न) और सामान्य विज्ञान (35 प्रश्न) जैसे विषय शामिल हैं।

    इसी तरह, जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 11 चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता (मेंटल एबिलिटी), अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न और 20 अंक शामिल हैं, जिसमें कुल परीक्षा दो घंटे तीस मिनट तक चलती है।


    इंस्पायर अवार्ड के लिए यूपी से सर्वाधिक 2,10,347 नामांकन, सबसे ज्यादा नामांकन वाले 50 जिलों में से यूपी के 12 जिले

    इंस्पायर अवार्ड के लिए यूपी से सर्वाधिक 2,10,347 नामांकन, सबसे ज्यादा नामांकन वाले 50 जिलों में से यूपी के 12 जिले

    बीते साल सिर्फ 50 हजार ने कराया था नामांकन, बढ़ी रुचि


    लखनऊ : इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 2,10,347 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है। देश भर में सर्वाधिक नामांकन वाले 50 जिलों में से प्रदेश के 12 जिले हैं। कक्षा छह से 10 तक के विद्यार्थियों में नवाचार व रचनात्मक सोच की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से यह योजना चलाई जा रही है। देश में दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां 1,55,415 छात्रों ने नामांकन कराया और तीसरे नंबर पर कर्नाटक में 1,05,613 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस बार विद्यालयों में विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया। बीते साल यूपी में सिर्फ 50,329 छात्रों ने ही नामांकन कराया था। इस बार अभियान का असर यह रहा कि इसमें 1,60,001 की अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। 

    माध्यमिक स्कूलों के साथ-साथ इस बार परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों, कंपोजिट विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों और संस्कृत विद्यालयों के छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर नामांकन किया है। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से यह इंस्पायर अवार्ड योजना चलाई जा रही है।

    देश में सर्वाधिक नामांकन वाले शीर्ष 50 जिलों में यूपी के जो 12 जिले हैं। इनमें लखनऊ, प्रयागराज, हरदोई, आजमगढ़, कानपुर देहात, बरेली, आगरा, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, बाराबंकी और बिजनौर शामिल हैं। आम लोगों की समस्याओं व पर्यावरण संरक्षण के लिए किये गए मौलिक नव प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।

     प्रतियोगिता के लिए नामांकन करने वाले कुल विद्यार्थियों में से 10 प्रतिशत छात्रों को उनके प्रोजेक्ट के लिए 10-10 हजार रुपये की धनराशि केंद्र सरकार देती है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के उप शिक्षा निदेशक (शिविर) विवेक नौटियाल ने बताया कि यह यूपी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। बीती एक जुलाई से लेकर 15 अक्टूबर तक आनलाइन नामांकन किया गया।



    इन्स्पायर अवार्ड मानक योजना में आवेदन में उत्तर प्रदेश अव्वल, 02 लाख से ज्यादा नामांकन कराकर पहला स्थान प्राप्त किया

    छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक के छात्रों को प्रोत्साहित करने की योजना


    लखनऊ । यूपी ने इन्स्पायर अवार्ड मानक योजना के तहत एक और कीर्तिमान स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है। देश में सर्वाधिक 2.10 लाख नामांकन कराकर यूपी ने पहला स्थान प्राप्त किया है। केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना का उद्देश्य कक्षा छह से 10 के छात्रों में नवाचार और रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष का ऑनलाइन नामांकन पहली जुलाई से 15 अक्टूबर तक चलाया गया था।

    यूपी ने पिछले वर्ष इस योजना के तहत 50329 नामांकन किए थे, जो इस वर्ष 160018 की रिकॉर्ड वृद्धि के साथ 210347 तक पहुंच गया है। यह योजना  की शुरुआत से अब तक की सर्वाधिक नामांकन संख्या है। 

    आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष यूपी के सभी 75 जिलों ने पिछले वर्ष की तुलना में अधिक नामांकन किया है। प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के साथ-साथ बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर हाई स्कूलों, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों, कम्पोजिट और संस्कृत विद्यालयों के छात्रों ने भी अपनी मौलिक और नवाचारी विचारों का ऑनलाइन नामांकन किया है। 

    यूपी ने अन्य राज्यों को पीछे छोड़ते हुए राजस्थान (155415 नामांकन) और कर्नाटक (105613 नामांकन) को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर पीछे छोड़ दिया है।


    देश के 50 जिलों में यूपी के 12 जनपद शामिल

    देश में सर्वाधिक नामांकन कराने वाले 50 जिलों में यूपी के यूपी के जिले प्रमुख हैं। इनमें लखनऊ (6086), प्रयागराज (5555), हरदोई (4811), आजमगढ़ (4728), कानपुर देहात (4726), बरेली (4690), आगरा (4684), बुलंदशहर (4617), लखीमपुर खीरी (4439), अलीगढ़ (4424), बाराबंकी (4098) और बिजनौर (4057) शामिल हैं

    यूपी बोर्ड : 19 अक्टूबर तक आवेदनों में करें सुधार, सुधार के लिए फिर से करेक्शन विंडो खोली गई

    यूपी बोर्ड : 19 अक्टूबर तक आवेदनों में करें सुधार, सुधार के लिए फिर से करेक्शन विंडो खोली गई
     

    लखनऊ/प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट 2025 के परीक्षार्थियों के आवेदन पत्र में सुधार के लिए फिर से सुधार विंडो खोल दिया है।

    बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने गुरुवार को सभी डीआईओएस को पत्र जारी कर कहा है कि 19 अक्तूबर तक प्रत्येक दशा में प्रधानाचार्य आवेदनों में जो भी त्रुटि हो उसे संशोधित करा लें। 

    सूत्रों की माने तो हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के तकरीबन पांच हजार ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्होंने अपने आवेदन में गलती की है। इसके सुधार के लिए बोर्ड छात्रों को एक मौका और दिया है।



    यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों को मिलेगा नाम संशोधन का मौका

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके विद्यार्थियों के नाम, पिता या माता के नाम में कोई त्रुटि रह गई है तो उसे संशोधित करने का मौका मिलेगा। यूपी बोर्ड इसी माह संशोधन का मौका देगा। यह संशोधन डीआईओएस के स्तर से किया जाएगा। 


    बोर्ड परीक्षा का फार्म भरते समय अक्सर नाम की स्पेलिंग में त्रुटि रह जाती है। परिणाम निकलने के बाद उसे संशोधित करवाने के लिए विद्यार्थियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसी समस्या न आए, इसलिए पिछले वर्ष फार्म भरवाने के बाद नामों की स्पेलिंग में सुधार करवाया गया था। उसका असर दिखा और बाद में विद्यार्थियों को इसके लिए बोर्ड के चक्कर नहीं लगाने पड़े। पिछले वर्ष यह संशोधन प्रधानाचार्य के स्तर से हो गया था। इस बार में उसमें मामूली बदलाव किया गया है। 

    Thursday, October 17, 2024

    Bihar School Media Ban : बिहार के सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री पर बैन! अब प्रवेश के पहले प्रधानाध्यापक से लेना होगा परमिशन

    Bihar School Media Ban : बिहार के सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री पर बैन! अब प्रवेश के पहले प्रधानाध्यापक से लेना होगा परमिशन


    Bihar Government School: बिहार के सरकारी विद्यालयों में अब मीडिया एंट्री पर रोक लग गई है. शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है और कहा है कि विद्यालय की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में केवल प्रधानाध्यापक ही प्रेस ब्रीफिंग के लिए अधिकृत होंगे. अन्य कोई शिक्षक प्रेस ब्रीफ नहीं करेंगे. 


    Bihar School News: बिहार के सरकारी विद्यालयों में अब मीडिया एंट्री पर रोक लग गई है. शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है और कहा है कि विद्यालय की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में केवल प्रधानाध्यापक ही प्रेस ब्रीफिंग के लिए अधिकृत होंगे. अन्य कोई शिक्षक प्रेस ब्रीफ नहीं करेंगे. 
    विगत दिनों में यह देखा गया है कि विभागीय आदेश के बिना कई संस्था के प्रतिनिधि/व्यक्ति विभिन्न उद्देश्यों और विभिन्न उपकरण जैसे माइक, कैमरा के साथ विद्यालय परिसर में जाकर वहां के शैक्षणिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न करते हैं.

    आरक्षण तय नहीं और कर ली 1894 पदों पर शिक्षकों की भर्ती, अब नियुक्ति फंसी, जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त पदों पर होना है चयन

    आरक्षण तय नहीं और कर ली 1894 पदों पर शिक्षकों की भर्ती, अब नियुक्ति फंसी, 

    जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त पदों पर होना है चयन, 43,610 अभ्यर्थी उत्तीर्ण

    विधानसभा चुनाव से पहले आई भर्ती, आनन-फानन जारी किया था परिणाम

    प्रयागराज। शिक्षा विभाग के  अफसरों की लापरवाही से शिक्षकों  की एक और भर्ती फंस गई है। जूनियर एडेड विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती की परीक्षा प्रक्रिया विधानसभा चुनाव 2022  से पहले आनन-फानन में पूरी करवा ली गई।

    उसके बाद नियुक्ति देने में आरक्षण का पेंच फंस गया। अब  इसके अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए शिक्षा निदेशालय के चक्कर काट कर रहे हैं। जूनियर एडेड विद्यालयों में करीब डेढ़ दशक से भर्ती नहीं हुई थी। उससे पहले इन विद्यालयों के प्रबंधक भर्ती करते थे।


    प्रबंधकों के जरिये भर्ती प्रक्रिया विवादित होने के कारण उस पर रोक लगी थी। वर्षों तक भर्ती न होने से तमाम विद्यालय शिक्षक विहीन हो गए। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती करने के लिए 25 फरवरी 2021 को विज्ञापन जारी हुआ।

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी के वेबसाइट पर तीन से 17 मार्च 2021 तक ऑनलाइन आवेदन लिया गया। आवेदन के लिए सिर्फ 15 दिन का समय दिया गया। अमूमन किसी भी भर्ती में आवेदन के लिए कम से कम एक महीने का समय दिया जाता है, लेकिन इसमें जल्दबाजी की गई। महीनेभर बाद ही 18 अप्रैल 2021 को परीक्षा कराई गई।

    सात महीने बाद विधानसभा चुनाव से पहले 15 नवंबर 2021 को परिणाम घोषित कर दिया गया। शिक्षक के लिए 150 में से 97 अंक और प्रधानाध्यापक के लिए 200 में से 130 अंक पाने वालों को सफल घोषित कर दिया। इस मानक अनुसार रिक्त 1894 पदों के 23 गुना 43,610 अभ्यर्थी सफल हो गए। परिणाम जारी होते ही गड़बड़ियों के आरोप लगे और मामला हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने परिणाम संशोधित करने का आदेश दिया।

     पीएनपी ने संशोधित परिणाम छह सितंबर 2022 को जारी कर दिया था। उसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और संशोधित परिणाम के आधार पर चयन करने को कहा। उसके बाद से मामला शासन में लंबित है। नियुक्ति देने के लिए मेरिट के अनुसार काउंसलिंग होनी है। इस भर्ती का विज्ञापन जारी करने से पहले आरक्षण निर्धारित नहीं किया गया था। अब तक तय नहीं है कि आरक्षण स्कूल स्तर, जिला स्तर या राज्य स्तर पर लागू किया जाए आरक्षण का निर्धारण शासन से होना है।

    आरक्षण के चलते हजारों शिक्षकों की भर्ती पहले से विवादित है। इसलिए इस भर्ती को पूरी करने के लिए विभागीय अधिकारी पहल नहीं कर रहे हैं। मामले को शासन पर टाल रहे हैं। वहीं, परीक्षा उत्तीर्ण करके अभ्यर्थी शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने पर बैठे हैं।

    शिक्षामित्रों को मिल सकता है मानदेय वृद्धि संग मूल जिले में वापसी का उपहार, सीएम योगी ने मांगें जल्दी पूरी करने का दिया आश्वासन

    शिक्षामित्रों को मिल सकता है मानदेय वृद्धि संग मूल जिले में वापसी का उपहार, सीएम योगी ने मांगें जल्दी पूरी करने का दिया आश्वासन 

    • भाजपा विप सदस्यों संग मुख्यमंत्री से मिले शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारी


    लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 1.48 लाख शिक्षामित्रों की मांगें पूरी करने के बारे में सरकार गंभीर है। बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया कि वह जल्द उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। अपने सरकारी आवास पर योगी ने शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर भाजपा के विधान परिषद सदस्यों श्रीचंद शर्मा, धर्मेन्द्र भारद्वाज और सुरेन्द्र चौधरी के साथ उनकी मांगों पर चर्चा की। शिक्षामित्रों को मानदेय बढ़ोतरी के साथ मूल जिले में वापसी का उपहार मिल सकता है।


    योगी ने कहा कि वह इस विषय पर जल्द बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह और विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला और महामंत्री सुशील यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री शिक्षामित्रों की समस्याओं के निराकरण को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं। 

    अभी शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये प्रति महीने मासिक मानदेय दिया जा रहा है और अब इसमें बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। वहीं वर्ष 2014 में जिन शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया था और 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें शिक्षामित्र के पद पर वापस कर दिया गया, वे अब अपने मूल जिले में वापसी की मांग कर रहे हैं। 

    ऐसी महिला शिक्षामित्र, जो शादी के बाद ससुराल से मायके वाले जिले के प्राइमरी स्कूल में नौकरी करने आती हैं, वे भी मूल जिले में वापसी की मांग कर रही हैं। शिक्षामित्र आकस्मिक अवकाश को 11 से बढ़ाकर 14 करने और मेडिकल की सुविधा की मांग भी कर रहे हैं। 

    उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों ने लोकभवन में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद से भी मुलाकात की। विधानसभा उपचुनाव के बाद शिक्षामित्रों की मांगें पूरी हो सकती हैं।

    Wednesday, October 16, 2024

    यूपी बोर्ड के अंक पत्रों में होगा बदलाव, अंकों के अलावा ग्रेडिंग और क्रेडिट का भी होगा उल्लेख, 28 और 29 अक्तूबर को होगी कार्यशाला

    यूपी बोर्ड के अंक पत्रों में होगा बदलाव, अंकों के अलावा ग्रेडिंग और क्रेडिट का भी होगा उल्लेख, 28 और 29 अक्तूबर को होगी कार्यशाला


    प्रयागराज। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रमों में कई बदलाव की तैयारी चल रही है। विषयों की संख्या बढ़ने के साथ ही मूल्यांकन के तरीकों में भी बदलाव किया जाएगा। इसके अलावा अंक पत्रों में भी बदलाव होगा। पाठ्यक्रम बदलने के बाद जो अंक पत्र मिलेगा, उसमें ग्रेडिंग और क्रेडिट का भी उल्लेख होगा। 

    नई शिक्षा नीति-2020 तैयार है, लेकिन किसी भी राज्य में अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। हर राज्य में लागू करने के लिए मंथन चल रहा है। उसी क्रम में यूपी बोर्ड भी मंथन कर रहा है। इसके लिए 13 और 14 अगस्त को यूपी बोर्ड की एक कार्यशाला हो चुकी है। इसमें हाईस्कूल में 10 और इंटरमीडिएट में सात विषय पढ़ाने को लेकर चर्चा हुई थी। इसके अलावा व्यावसायिक कोर्स पढ़ाने पर जोर दिया गया था। व्यावसायिक शिक्षा से रोजगार की संभावना बढ़ेगी। इसलिए इसे छठवीं से पढ़ाने की तैयारी है।

    पाठ्यक्रम के बाद कॉपियों के मूल्यांकन और अंक पत्र में बदलाव को लेकर 17 से 19 अक्तूबर तक कार्यशाला होनी थी, जो अब 28 और 29 अक्तूबर को होगी। 


    अब 28 और 29 अक्तूबर को होगी कार्यशाला

    पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर 17 से 19 अक्तूबर तक होने वाली कार्यशाला में सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार को आना था। किसी कारणवश वह इन तिथियों पर नहीं आ पाएंगे, इसलिए अगली तिथि निर्धारित की गई है। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि अब यह कार्यशाला 28 और 29 अक्तूबर को होगी। सीमैट के सभागार में यह कार्यशाला होगी। इसमें मूल्यांकन प्रणाली और अंक निर्धारण पर चर्चा की जाएगी।



    यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में 30 अंक के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक, एकरूपता लाने का निर्णय 

    हाईस्कूल परीक्षा के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक 

    यूपी बोर्ड ने एकरूपता को मानक निर्धारित कर तैयार किया प्रारूप 

    निर्धारित 30 अंक को कुछ श्रेणी में बांट बनेगी मूल्यांकन व्यवस्था

    प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के लिए छात्र-छात्राओं के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन में विद्यालय व शिक्षकवार अलग- अलग व्यवस्था नहीं चलेगी। शैक्षिक सत्र 2025-2026 से विषयवार परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन का मानक बदल जाएगा। इसके लिए यूपी बोर्ड ने प्रारंभिक तौर पर एक प्रारूप तैयार किया है। इसे विशेषज्ञों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जाएगा। इसी माह कार्यशाला भी होगी। उसके बाद परीक्षार्थियों के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। उसी अनुरूप शिक्षकों को आंतरिक मूल्यांकन करना होगा।


    आंतरिक मूल्यांकन 30 अंक का होता है, जिसके अंक विषयों की बोर्ड की लिखित परीक्षा में जुड़ते हैं। वर्तमान में शिक्षक छात्र-छात्राओं से उनके विषय एवं प्रोजेक्ट वर्क से जुड़े कुछ प्रश्न पूछकर तथा छमाही लिखित परीक्षा के अंकों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के अंक देते हैं। इससे एक ही विद्यालय तक में अलग-अलग सेक्शन के छात्र छात्राओं के आंतरिक मूल्यांकन के तरीके में एकरूपता नहीं रहती। इस कारण किसी को पूरे 30 अंक तक तो किसी को इकाई तक में ही अंक मिलते हैं। ऐसे में यूपी बोर्ड ने आंतरिक मूल्यांकन में एकरूपता लाने का निर्णय लिया है। 


    बोर्ड सचिव भगवती सिंह के निर्देशन में अपर सचिव (पाठ्यपुस्तक) सत्येंद्र सिंह ने शोध सहायकों के सहयोग से एक प्रारूप तैयार किया है। प्रारूप को बोर्ड अधिकारियों, विषय विशेषज्ञों, कुछ प्रधानाचार्यों एवं प्रवक्ताओं की 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में विमर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। कार्यशाला में यूपी बोर्ड के पूर्व सचिव पवनेश कुमार, सीबीएसई बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली विशेष रूप से आएंगे।


    नए ड्राफ्ट में आंतरिक मूल्यांकन के 30 अंक को अलग-अलग श्रेणी के प्रश्नों के लिए बांटा गया है। उदाहरण के तौर पर मौखिक परीक्षा (वायवा) के लिए पूर्णांक पांच या कुछ और अंक तय किया गया है। इसी तरह प्रोजेक्ट कार्य का पूर्णांक भी पांच या कुछ और अंक है। कुछ पूर्णांक भाषा वाचन पर है तो कुछ पूर्णांक गणित के सूत्र व विज्ञान के नियम पर है। इन श्रेणियों में पूर्णांक ऐसे निर्धारित किए गए हैं कि सभी का पूर्णांक योग 30 है। इस तरह परीक्षक को हर श्रेणी के पूर्णांक के क्रम में आंतरिक मूल्यांकन के समय अंक प्रदान करना होगा।

    एजुकेटर भर्ती रद्द करने और शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन

    एजुकेटर भर्ती रद्द करने और शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन


    लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मंगलवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए शासकीय कर्मचारी का दर्जा और एजुकेटर भर्ती को रद्द करने की मांग की। प्रदेश भर से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता ईको गार्डेन में जुटीं, जहां आंगनबाड़ी अधिकार संयुक्त मोर्चा के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, और तब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 18,000 रुपये व सहायिकाओं को 9,000 रुपये प्रति माह मानदेय सुनिश्चित किया जाए।


    प्रदर्शन की अध्यक्षता मोर्चा की संयोजक सरिता सिंह और सह संयोजक प्रभावती देवी ने की। उन्होंने आक्रामक स्वर में एजुकेटर भर्ती को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की, यह तर्क देते हुए कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर एजुकेटर की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहले से ही बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं। 

    सरिता सिंह ने कहा, "सरकार की नीतियों में यह विरोधाभास स्पष्ट है कि जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, तो अलग से एजुकेटर की भर्ती क्यों की जा रही है?" उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह भर्ती रद्द नहीं की गई, तो कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन और अधिक उग्र हो सकता है। 


    सरकार पर दबाव बढ़ा
    वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना था कि एजुकेटर की नियुक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को कमजोर करने की साजिश है। कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी हालत में इस भर्ती को स्वीकार नहीं करेंगी, और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आगे व्यापक स्तर पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। 

    प्रदर्शन के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने "एजुकेटर भर्ती बंद करो", "हम भी शिक्षक हैं, हमें हमारा हक दो" जैसे नारे लगाए, और जोर दिया कि शासकीय कर्मचारी का दर्जा उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने का सबसे उचित समाधान है।

    69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई सुनवाई, अभ्यर्थी हुए निराश, अब मिली है ये तारीख

    69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई सुनवाई, अभ्यर्थी हुए निराश, अब मिली है ये तारीख

    69000 teacher recruitment: 69000 शिक्षक भर्ती का मामला लटकता ही जा रहा है। मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी है। अब इसकी नई तारीख मिली है। 
     
     69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इससे आरक्षित व अनारक्षित दोनों वर्ग के अभ्यर्थी निराश हैं। वहीं अब इस मामले में सुनवाई के लिए दिवाली के बाद 11 नवंबर की तिथि लगी है। अभ्यर्थियों ने उम्मीद जताई कि नई तिथि को उनको न्याय मिलेगा।

    आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि आज 40वें नंबर पर हमारा केस लगा था। अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को केस के संबंध में अवगत कराया, तो उन्होंने अगली डेट पर मामले को सुने जाने को कहा है। वहीं सुनवाई नहीं होने से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हताश और निराश है।

    बता दें की मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के 13 अगस्त के आदेश पर नाै सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। 23 सितंबर को सुनवाई की डेट लगी थी लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद मामले में अगली तारीख 15 अक्तूबर लगी थी। इससे पहले 13 अगस्त को लखनऊ हाईकोर्ट डबल बेंच के फैसले को अनारक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाैती दी थी।

    वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ रहे विनय पांडेय ने बताया कि आज सुनवाई नहीं हो पाई है। अगली तिथि 11 नवंबर लगी है। फिलहाल 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़ी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। आज सुनवाई न होने से थोड़ी निराशा है। हालांकि अभी भी दोनों पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है। बता दें कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी काफी समय से धरना, विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।




    69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    15 अक्टूबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार 15 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्रस्तावित है। इसको लेकर चयनित व अन्य अभ्यर्थियों की निगाह सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है। साथ ही दोनों पक्ष के लोग सुनवाई के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।


    इस मामले में अब तक एक बार नौ सितंबर को सुनवाई हुई है। जबकि 23 सितंबर को होने वाली सुनवाई अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी। ऐसे में अभ्यर्थियों व चयनितों के साथ-साथ बेसिक शिक्षा विभाग की निगाह भी मंगलवार को होने वाली सुनवाई पर लगी हुई है। 

    Bihar Teacher Transfer Policy : 10 बिंदुओं में सीधे समझें जारी हुई बिहार शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी के बारे में


    Bihar Teacher Transfer Policy : 10 बिंदुओं में सीधे समझें जारी हुई बिहार शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी के बारे men 


    Bihar Teacher Transfer Policy: बिहार सरकार ने लगभग 5 से 6 लाख शिक्षकों को ध्यान में रखकर यह नीति बनाई गई है. जल्द ही ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और दिसंबर से ट्रांसफर-पोस्टिंग शुरू हो जाएगी. तबादले के लिए 10 ऑप्शन दिए जाएंगे.


    पटना . बीते दिनों, शिक्षा विभाग की तरफ से बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर नई नियमावली जारी हो गई है. शिक्षकों को इसका लंबे समय से इंतजार था. सरकार का दावा है कि इस नीति के तहत अब BPSC से नियुक्त शिक्षक, पुराने शिक्षक और सक्षमता पास शिक्षकों को अब अपने जिले में रहने का मौका मिलेगा. सरकार के इस निर्णय से लगभग 5 से 6 लाख शिक्षकों को ध्यान में रखकर यह नीति बनाई गई है. जल्द ही ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और दिसंबर से ट्रांसफर-पोस्टिंग शुरू हो जाएगी. तबादले के लिए 10 ऑप्शन दिए जाएंगे.


    🔵 Bihar Teacher Transfer Policy  को 10 प्वाइंट में सीधे समझें

    1. बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने इस पूरे नियमावली को आसान शब्दों में शिक्षकों को समझाया. इस नियमावली में शिक्षकों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है जैसे, असाध्य रोग से ग्रसित, गंभीर रोग से ग्रसित, दिव्यांग, सेवाकाल के दौरान दिव्यांगत से ग्रसित, विधवा और परित्यक्त, महिलाएं, जिनके पति सेवा में हैं, पुरुष शिक्षक सबके लिए अलग-अलग प्रावधान किया गया है.

    2. गंभीर रोगी, दिव्यांग, विधवा, तलाकशुदा महिला शिक्षक का गृह पंचायत, गृह नगर निकाय, पति के गृह पंचायत, पति के नगर निकाय, वर्तमान पदस्थापना वाली पंचायत और नगर निकाय को छोड़ कर किसी भी पंचायत, नगर निकाय, प्रखंड, अनुमंडल का विकल्प दे सकते हैं. पुरुष शिक्षक विकल्प के रूप में गृह अनुमंडल छोड़ कर जिले की किसी भी पंचायत, नगर निकाय का चुनाव कर सकते हैं. यानी पुरुष शिक्षकों की पोस्टिंग गृह अनुमंडल में नहीं होगा.

    3. किसी भी स्कूल में नियमित शिक्षक 10%, स्थानीय निकाय द्वारा नियुक्त शिक्षक 30%, सक्षमता परीक्षा पास शिक्षक 30% और बीपीएससी द्वारा नियुक्त शिक्षक 30% होंगे. उदाहरण के तौर पर समझे तो, अगर किसी विद्यालय में 10 रिक्तियां हैं तो उसमें एक सीट पर पुराने नियमित शिक्षक, 3 सीटों पर पर विशिष्ट शिक्षकों, 03 सीटों पर बीपीएससी शिक्षकों और 03 सीटों पर नियोजित शिक्षकों की पोस्टिंग होगी.

    4. ट्रांसफर पोस्टिंग में सबसे वरीय पुराने नियमित शिक्षक माने जाएंगे. उसके बाद सक्षमता परीक्षा पास शिक्षक और फिर बीपीएससी शिक्षकों का वरीयता क्रम होगा. नियोजित शिक्षकों का ट्रांसफर नहीं होना है. च्वाइस पोस्टिंग में सबसे पहले नियमित शिक्षक, फिर सक्षमता और टीआरई पास शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी.

    5. जिले के दस विद्यालयों के विकल्प देना होगा. इन्हीं दस विद्यालयों में पोस्टिंग होगी. अगर इनमें से कोई विद्यालय नहीं मिला तो निकटवर्ती अनुमंडल या जिले के किसी स्कूल में पोस्टिंग होगी.

    6. बिहार के बाहरी जगहों के शिक्षकों के ऊपर कोई भी बाध्यता लागू नहीं होती है.

    7. हर पांच साल पर ट्रांसफर को अनिवार्य किया गया है.

    8. एक स्कूल में अधिकतम 70 फीसदी महिला शिक्षकों की पोस्टिंग होगी.

    9. ट्रांसफर के लिए तीन समितियों के हुआ गठन: जिला में ट्रांसफर के लिए डीएम, प्रमंडल के अंदर एक जिले से दूसरे जिले के ट्रांसफर के लिए प्रमंडलीय आयुक्त वाली कमेटी और एक प्रमंडल से दूसरे प्रमंडल में ट्रांसफर करने का निर्णय शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी लेगी.

    10. सॉफ्टवेयर बेस्ड ऑटो-जेनरेटेड फॉर्मेट से च्वाइस पोस्टिंग की जाएगी. जिला के अंदर विसंगतियों को डीएम निपटाएंगे.


    🔴 बिहार शिक्षक स्थानांतरण नियमावली गजट प्रकाशन 



    Tuesday, October 15, 2024

    हेडमास्टर की आत्महत्या के मामले में बीएसए अमरोहा को हटाने की संस्तुति, परिजनों ने की बीएसए और आरोपी शिक्षक दंपत्ति की गिरफ्तारी की मांग

    हेडमास्टर की आत्महत्या के मामले में बीएसए अमरोहा को हटाने की संस्तुति, परिजनों ने की बीएसए और आरोपी शिक्षक दंपत्ति की गिरफ्तारी की मांग

    15 अक्टूबर 2024
    अमरोहा। गजरौला के सुल्तानठेर के संविलियन स्कूल में आत्महत्या करने वाले प्रधानाध्यापक के परिजनों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर आरोपी शिक्षक दंपती और बीएसए को गिरफ्तार करने की मांग की है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जेल भेजने को कहा। आरोप है कि अगर वह बाहर रहेंगे तो केस के संबंधित सबूतों के साथ छेड़खानी और गवाहों को भ्रमित कर सकते हैं। उधर, इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सोमवार को डीएम ने बीएसए को जिले से हटाने की संस्तुति कर शासन को पत्र भेजा है।

    सोमवार को आत्महत्या करने वाले प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के बेटे अनुज कुमार कई लोगों के साथ एसपी ऑफिस पहुंचे। यहां एसपी कुंवर अनुपम सिंह को शिकायती पत्र देकर बताया कि वर्ष 2011 से संजीव कुमार सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थे। 2019 में यह स्कूल कंपोजिट विद्यालय हो गया। इसके बाद वह इसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक बन गए थे।

    एक अक्तूबर को संजीव कुमार ने स्कूल में अपने ही कक्ष में मेज पर खड़े होकर छत में लगे कुंदे में प्लास्टिक की रस्सी के सहारे फंदे पर लटक कर आत्महत्या कर ली थी। उनके के पास से दो पेज का सुसाइड नोट मिला था। जिसमें उन्होंने स्कूल में ही सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व उनकी सरिता सिंह और बीएसए से दुखी होकर आत्महत्या करने की बात लिखी थी।

     इस मामले में सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बीएसए मोनिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। उन्होंने मांग की कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जाए। जिससे केस से संबंधित सबूतों के साथ छेड़खानी और गवाहों को भ्रमित न किया जा सके। साथ ही डीएम के द्वारा गठित की गई जांच कमेटी जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपे। इस दौरान प्रशांत कुमार, कर्मवीर सिंह, बुद्ध सिंह, राजीव सिंह, हर्ष चौधरी, विशेष चौधरी, हर्षित चौधरी आदि मौजूद रहे।

    बीएसए को जिले से हटाने की संस्तुति करते हुए शासन को पत्र भेज दिया गया है। जबकि, पुलिस शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है। -निधि गुप्ता वत्स, जिलाधिकारी


    सुसाइड नोट में लिखा बीएसए भी करती थीं प्रताड़ित

    अमरोहा। गजरौला के सुल्तानपुर प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के मामले में बीएसए भी फंसती नजर आ रही हैं। लगातार उठ रही कार्रवाई की मांग के बीच आखिरकार डीएम ने उन्हें हटाने की संस्तुति कर दी है। इसके लिए डीएम ने शासन को पत्र भेज दिया है। बता दें कि एक अक्तूबर को गजरौला के सुल्तानपुर ठेर संविलियन विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने अपने ही कक्ष में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड नोट छोड़ा था। जिसमें सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व उसकी शिक्षक पत्नी सरिता और बीएसए डॉ. मोनिका पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। आत्महत्या के लिए तीनों को जिम्मेदार ठहराया था। 

    शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी को दबिश

    अमरोहा। मामले में पुलिस ने मृतक प्रधानाध्यापक के पुत्र की तहरीर पर शिक्षक दंपती व बीएसए के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। मामले में जहां पुलिस लगातार शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी को दबिश दे रही है, वहीं बीएसए पर भी कार्रवाई की मांग की जा रही है। अब इस मामले में बीएसए डॉ. मोनिका भी कार्रवाई की जद में आ गई हैं। 



    मरने से पहले हर पत्र पर लिखा- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी, आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की बढ़ी मुश्किले, प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद वेतन वृद्धि रुकने से शिक्षक थे तनाव में 

    पढ़ने के बाद जांच टीम भी आ गई सकते में, जांच टीम अभी इस प्रकरण को लेकर कुछ भी बताने को तैयार नहीं है

    05 अक्टूबर 2024
    अमरोहा। स्कूल कक्ष में प्रधानाध्यापक की आत्महत्या की वजहों से परदा उठने लगा है। इसी के साथ आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उत्पीड़न से त्रस्त प्रधानाध्यापक ने बीएसए को तीन-चार पत्र लिखे थे। उन्हाेंने उसके पत्रों का संज्ञान नहीं लिया। इन पत्रों की छायाप्रति पर आत्महत्या से पहले प्रधानाध्यापक ने पेन से लिखा था- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी।


    बीएसए को भेजे गए थे पत्र 
    जिलाधिकारी निधि गुप्ता की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने सुल्तानठेर संविलियन विद्यालय में मंगलवार को प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को प्रधानाध्यापक का कमरा खोला गया तो कई सनसनीखेज राज बाहर आ गए। स्कूल की अलमारी में संजीव चार-पांच पत्रों की छायाप्रति मिली है। ये पत्र बीएसए को भेजे गए थे।

    डीएम निधि गुप्ता वत्स ने मामले की जांच के लिए एडीएम न्यायिक माया शंकर यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम बनाई थी। बृहस्पतिवार को टीम ने स्कूल पहुंचकर जरूरी पत्र व अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए थे। वहीं, संजीव के घर जाकर परिजनों से भी वार्ता की थी।

     प्रधानाध्यापक संजीव के बेटे अनुज ने बताया कि दिसंबर-2023 में विद्यालय में तैनात शिक्षिका नीशू ने गले में सांप डालकर वीडियो बनाई थी। मामले में शिक्षिका निलंबित करने के साथ उनके पिता को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी कर दी थी। जिसके बाद उनकी वेतन वृद्धि रुक गई थी। बताया कि उसके बाद से लगातार चार से पांच बार वह पत्र भेजकर बीएसए से वेतन वृद्धि लागू करने की मांग कर चुके थे , लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई थी। जिसे लेकर वह तनाव में थे। वहीं, बताया जा रहा है कि जांच के दौरान टीम के समक्ष यह बात भी सामने आई है।

    बृहस्पतिवार को जांच टीम ने स्कूल से जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए गए। वहीं, स्टाफ के बयान भी दर्ज किए गए। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि वह प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद से तनाव में थे। परिजनों ने भी वेतन वृद्धि रुकने की बात बताई है। इसे तथ्य पर भी जांच कराई जा रही है। 18 पन्नों के रजिस्टर को लेकर भी जांच की जा रही है। - माया शंकर यादव, एडीएम




    18 पेज खोलेंगे प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न का चिट्ठा, पुलिस की जांच के साथ चार सदस्यीय कमेटी भी करेगी जांच 

    02 अक्टूबर 2024
    गजरौला । प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के उत्पीड़न का चि‌ट्ठा रजिस्टर में कैद 18 पेज खोलेंगे। इसके लिए डीएम ने चार सदस्य कमेटी गठित की है। इस रजिस्टर का जिक्र संजीव कुमार ने घटनास्थल से मिले दो पेज के सुसाइड नोट में किया है।

    गजरौला क्षेत्र के सुल्तानठेर स्थित कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने मंगलवार सुबह अपने ही कक्ष में फंदे पर लटक कर जान दे दी। घटनास्थल पर दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें रजिस्टर में 18 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा होने का दावा किया है। इसमें लिखा है कि पूरी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है। पुलिस ने इस रजिस्टर को भी कब्जे में ले लिया है। 

    उधर, डीएम निधि गुप्ता ने एडीएम न्यायिक मायाशंकर की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी गठित की है। जिसमें डीआईओएस विष्णु प्रताप सिंह, सीडीओ अश्वनी कुमार मिश्रा और एएसपी राजीव कुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। ये टीम प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जांच करेगी। जबकि, पुलिस की जांच अलग चल रही है। चर्चा है कि रजिस्टर में कैद सुसाइड नोट ही शिक्षक संजीव कुमार की आत्महत्या के पीछे का राज खुलेगी। अब जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है

    घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं बीएसए, शिक्षक दंपती भी गायब
    कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जानकारी मिलने के बाद बीएसए घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं। क्योंकि सुसाइड नोट में उनका नाम शामिल है। जबकि, सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व सरिता सिंह स्कूल तो आए थे, लेकिन जब उन्हें सुसाइड नोट में उनके नाम होने की बात सामने आई तो दोनों ही वहां से भाग निकले। इसके बाद से दोनों लापता हैं। हालांकि बीएससी के निर्देश पर ऑफिस के कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली।


    सफाई की वीडियो वायरल होने के बाद से तनाव में थे संजीव
    गजरौला। सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में बारिश के पानी के साथ कीचड़ जमा हो गया था। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 23 सितंबर की सुबह विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्र-छात्राओं ने स्कूल में सफाई अभियान चलाया। फावड़े और खुरपे से कीचड़ को साफ किया। स्कूल में सफाई का प्रदर्शन करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया। सामने आया था कि यह वीडियो राघवेंद्र सिंह ने वायरल किया था। मामला चर्चाओं में आने के बाद प्रधानाध्यापक भी जांच के घेरे में आ गए थे। इस मामले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज और खंड शिक्षा अधिकारी आरती गुप्ता ने विद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। परिजनों के मुताबिक वह इस बात से भी तनाव में चल रहे थे।


    कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनने से असंतुष्ट था राघवेंद्र
    गजरौला। प्रधानाध्यापक की आत्महत्या के बाद से कुछ कुछ साथी शिक्षक सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं। जबकि, सहायक राघवेंद्र द्वारा उनसे रंजिश रखने की बात सामने आ रही है। प्रधानाध्यापक के बेटे ने भी राघवेंद्र पर उनसे रंजिश रखने और साजिश करने के आरोप लगाए। बेटे अनुज ने बताया कि पापा 2015 में जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने थे। गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में राघवेंद्र सिंह प्रधानाध्यापक था।

    2019 में दोनों विद्यालयों का विलय कर कंपोजिट विद्यालय बनाया गया था। जिसका प्रधानाध्यापक मेरे पापा को बनाया गया था। तभी से राघवेंद्र नाराज था और वह पापा से विवाद करता रहता था। राघवेंद्र के बीएसए मोनिका सिंह से अच्छे संबंध है। इसलिए वह पापा पर दबाव बनाता था। उत्पीड़न से परेशान होकर पापा ट्रांसफर के लिए कई बार लेटर लिख चुके थे। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई।


    01 अक्टूबर 2024
    18 पेज का सुसाइड नोट लिखकर हेडमास्टर ने स्कूल में लगा ली फांसी, बीएसए और दो शिक्षकों को बताया जिम्मेदार, एफआईआर दर्ज 

    आरोपी शिक्षकों और बीएसए के खिलाफ एफआईआर दर्ज


    अमरोहाः उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य संजीव कुमार (50) ने मंगलवार सुबह स्कूल के क्लास रूम में फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से 18 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के 2 टीचरों (पति-पत्नी) को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

    पुलिस को जांच में पता चला है कि मंगलवार सुबह संजीव कुमार स्कूल जल्दी आ गए थे। उन्होंने दफ्तर में फांसी लगाई। इसका पता सुबह 9 बजे बाकी शिक्षकों के स्कूल पहुंचने पर लगा। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। फरेंसिक टीम से कमरे की जांच कराई गई। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। पुलिस के मुताबिक संजीव कुमार अमरोहा के गजरौला इलाके के सुल्तान ठेर गांव में आदर्श जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य थे। मूल रूप से बछरायूं इलाके के जमानाबाद गांव के निवासी थे।


    मौके से मिले सुसाइड नोट में संजीव कुमार ने लिखा है कि मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी मैडम से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। राघवेंद्र और सरिता (पति-पत्नी) गाली-गलौज करते हैं। उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है। मैं इनकी दबंगई 2 अप्रैल 2019 से झेल रहा हूं। मैं इनकी जांच CBI से करवाना चाहता हूं। आगे लिखा है कि मेरी सभी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का न हो क्योंकि इनकी दबंगई पूरे मंडल में चलती है। प्रताड़ना की सारी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है।

    नोट में आगे लिखा है कि जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को छूना नहीं। मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है। दोनों टैबलेट नई वाली सेफ में रखे हैं। परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना है। वही, सबसे सीनियर टीचर हैं।


    बेटे का आरोप- स्कूल टीचर पिता को प्रताड़ित कर रहे थे
    संजीव के बेटे अनुज सिंह का कहना है कि स्कूल के पति-पत्नी शिक्षक पिता को प्रताड़ित करते थे। हर रोज उनसे लड़ाई करते थे। मंगलवार सुबह 7 बजे पिताजी घर से 7 बजे निकले थे। पिता ने वॉट्सऐप पर मुझे मैसेज भी भेजा था, लेकिन मेरे देखने से पहले डिलीट कर दिया था। वह सोमवार रात से कुछ परेशान दिख रहे थे। पूछने पर भी कुछ नहीं बताया था। थाना पुलिस का कहना है कि जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    आत्मरक्षा के लिए 32 लाख बालिकाओं को जूडो-कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य, अब तक 4.9 लाख छात्राएं विद्यालयों में ले चुकीं हैं ट्रेनिंग

    आत्मरक्षा के लिए 32 लाख बालिकाओं को जूडो-कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य,  अब तक 4.9 लाख छात्राएं विद्यालयों में ले चुकीं हैं ट्रेनिंग

    स्वयं की सुरक्षा के साथ दे रहे कानून की भी जानकारी


    लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की छात्राओं को मिशन शक्ति के तहत आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में कुल 32 लाख बालिकाओं को स्वयं की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग देने के साथ बचाव के लिए कानून और वूमेन हेल्पलाइन नंबर 1090 इत्यादि के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। इस वर्ष अब तक 4.9 लाख छात्राओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।


    मिशन शक्ति के पांचवें चरण के तहत बीती तीन अक्टूबर से छात्राओं को प्रशिक्षण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इन छात्राओं को स्वयं की रक्षा के लिए जूडो कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

    छात्राओं को बाल विवाह, यौन हिंसा और छेड़खानी से अपना बचाव करने के बारे भी जागरूक किया जा रहा है। विशेषज्ञ उन्हें बाल अधिकारों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अपनी सुरक्षा के लिए वे क्या-क्या उपाय करें और किस तरह मुसीबत से बचें, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उन्हें इसकी जानकारी दी जा रही है। कोई भी ब छात्रा सुरक्षा के कारणों से अपनी पढ़ाई न छोड़े, इस पर विशेष जोर म दिया जा रहा है।

    बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सभी स्कूल अपने यहां पढ़ रहीं बालिकाओं को यह प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से स दिलाएं। जिन 32 लाख छात्राओं ने के इस बार ट्रेनिंग के लिए पंजीकरण कराया है, उन सभी को आत्मरक्षा नि के लिए दक्ष बनाया जाए। पिछले साल 16 लाख छात्राओं को म आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया था।  इस बार यह लक्ष्य दोगुणा कर दिया गया है।

    143 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, तीन साल से फंसी है एडेड जूनियर की शिक्षक भर्ती

    143 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, तीन साल से फंसी है एडेड जूनियर की शिक्षक भर्ती

    15 अक्टूबर 2024
    प्रयागराज। सूबे के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 1504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर तीन साल बाद भी भर्ती नहीं होने के कारण इन स्कूलों में ताला पड़ने की नौबत आ गई है। शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को भेजी गई सूचना के मुताबिक प्रदेश के 3049 एडेड जूनियर हाईस्कूलों में 143 स्कूलों में न तो कोई शिक्षक बचा है और न प्रधानाध्यापक ही है। यदि चयन प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं हुई तो कई अन्य स्कूलों पर ताला पड़ जाएगा।


     हाईकोर्ट से भर्ती का रास्ता फरवरी में ही साफ हो चुका है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर अब तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं कर सके हैं। भर्ती में देरी को लेकर कुछ स्कूलों के प्रबंधकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं भी की हैं कि यदि सरकार भर्ती पूरी नहीं कर पा रही है तो चयन का अधिकार एक बार फिर से प्रबंधकों को दे दिया जाए। सूत्रों के अनुसार मामले में शासन स्तर पर एक उच्च स्तरीय बैठक जल्द होने वाली है।


    संशोधित परिणाम में 3369 अभ्यर्थी हुए थे फेल

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने दो साल पहले छह सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया था जिसमें पूर्व में सफल 3369 अभ्यर्थी फेल हो गए थे। संशोधित परिणाम में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए परीक्षा में सम्मिलित 2,71,071 अभ्यर्थियों में से 42,066 जबकि प्रधानाध्यापकों की भर्ती के लिए 14,931 अभ्यर्थियों में से 1544 को सफल घोषित किया गया था। जबकि उससे पहले 15 नवंबर 2021 को घोषित परिणाम में सहायक अध्यापकों के लिए 45,257 और प्रधानाध्यापकों के लिए 1,722 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था।



    शिक्षक भर्ती : जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त 1894 पदों पर होना है चयन, 2022 में आया था परिणाम, परीक्षा पास कर भटक रहे 43,610 अभ्यर्थी

    11 अक्टूबर 2024
    प्रयागराज। जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक भर्ती की परीक्षा उत्तीर्ण कर 43,610 अभ्यर्थी दो वर्ष से नौकरी के लिए भटक रहे हैं। वह शिक्षा निदेशक से लेकर लखनऊ तक के चक्कर लगा रहे हैं और कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) ने 2021 में जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक और प्रधानाचार्य के 1894 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था।


    इसके लिए प्रदेश से लाखों आवेदन आए थे। इसकी परीक्षा 17 अक्तूबर-2021 को कराई गई। 150 अंकों की परीक्षा में 90 से अधिक अंक पाने वालों को सफल घोषित किया गया। इसका परिणाम 15 नवंबर-2021 को घोषित कर दिया। परिणाम आया तो कुछ अभ्यर्थियों ने उसको हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका आरोप था कि परिणाम में गड़बड़ी हुई है। 

    हाईकोर्ट के आदेश पर परिणाम संशोधित किया गया। पीएनपी ने संशोधित परिणाम छह सितंबर-2022 को जारी कर दिया। इसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। आदेश दिया कि संशोधित परिणाम के आधार पर चयन हो।

    हाईकोर्ट के आदेश के बाद चयन प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए थी। नियमानुसार रिक्त 1894 पदों के सापेक्ष काउंसलिंग होगी। सफल अभ्यर्थियों की मेरिट बनेगी और रिक्त पदों के अनुसार चयन होगा। यह मामला बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल के पास लंबित है। पिछले दिनों कई अभ्यर्थी लखनऊ में निदेशक से मिले लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।

    इससे सफल अभ्यर्थियों में आक्रोश है। अभ्यर्थी ज्ञानवेंद्र सिंह ने बताया कि चयन प्रक्रिया न होने से उनका भविष्य अधर में अटका है। वह इसके लिए निदेशालय में आंदोलन करेंगे।

    डीएलएड की काउंसिलिंग पर संकट के बादल, जानिए क्यों?

    डीएलएड की काउंसिलिंग पर संकट के बादल, जानिए क्यों? 

    ■ हाईकोर्ट ने 12वीं पास अभ्यर्थियों के प्रवेश के दिए हैं आदेश
    ■ अपील भी नहीं कर सके बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी


    प्रयागराज । प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) की 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए फिलहाल काउंसिलिंग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो गई है।


    इस बार 314377 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 279245 ने फीस जमा की और 278783 अभ्यर्थियों ने आवेदन की सारी औपचारिकताएं पूरी की। शासनादेश के अनुसार आवेदकों की मेरिट के आधार पर स्टेट रैंक 16 अक्तूबर को जारी होनी चाहिए और 17 से 30 अक्तूबर तक प्रथम चरण की ऑनलाइन काउंसिलिंग प्रस्तावित है। 


    हालांकि हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को 12वीं पास अभ्यर्थियों को भी प्रवेश में मौका दिए जाने के आदेश दिए हैं। अब तक बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील नहीं हुई है। ऐसे में स्टेट रैंक जारी करना या काउंसिलिंग कराना हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना होगी। ऐसे में फिलहाल बुधवार को रैंक जारी होने के आसार नहीं दिख रहे।

    मुख्यमंत्री पुरस्कार के लिए 55 जिलों से एक भी आवेदन नहीं

    मुख्यमंत्री पुरस्कार के लिए 55 जिलों से एक भी आवेदन नहीं


    प्रयागराज । प्रदेशभर के 55 जिलों के वित्तविहीन शिक्षकों ने मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया। समीक्षा में इस बात की जानकारी होने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर शिक्षकों को आवेदन के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। 


    यूपी बोर्ड से संबद्ध 20 हजार से अधिक वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों से मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन 16 सितंबर से आवेदन मांगे गए हैं। 


    10 अक्तूबर को समीक्षा के दौरान पता चला कि आगरा, मथुरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, रायबरेली, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, कन्नौज, प्रतापगढ़, कौशांबी, महराजगंज, देवरिया, आजमगढ़, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र समेत 55 जिलों से किसी शिक्षक ने आवेदन नहीं किया है। आवेदन की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर है।

    स्कूलों में श्रमदान कर बच्चे उगाएंगे अपने लिए सब्जियां, समाज कल्याण विभाग के सभी 110 स्कूलों में बनाई जाएंगी पोषण वाटिकाएं

    स्कूलों में श्रमदान कर बच्चे उगाएंगे अपने लिए सब्जियां, समाज कल्याण विभाग के सभी 110 स्कूलों में बनाई जाएंगी पोषण वाटिकाएं

    आवासीय स्कूलों में रहने वाले 33 हजार बच्चे खाएंगे अपनी ही उगाई सब्जियां


    लखनऊ : समाज कल्याण विभाग के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अब अपनी मेहनत से उगाई सब्जियां खाएंगे। समाज कल्याण विभाग प्रदेश के अपने सभी 110 सर्वोदय स्कूलों में पोषण वाटिकाएं तैयार कराएगा। वाटिका में ठगाई गईं मौसमी सब्जियों का इन स्कूलों की मेस में तैयार होने वाले भोजन में इस्तेमाल किया जाएगा।

    समाज कल्याण विभाग गरीब बच्चों को आश्रम पद्धति से शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश में 110 सर्वोदय विद्यालय संचालित करता है। इन स्कूलों में कक्षा छह से 12 तक के 33 हजार बच्चे पढ़ते हैं। नियमित और संविदा पर तैनात दो हजार शिक्षक इन स्कूलों में पढ़ाते हैं।

    कई बार स्कूलों की मेस में बनने वाले भोजन में स्वाद नहीं मिलने की शिकायतें भी आती है। ऐसे में समाज कल्याण विभाग अपने स्कूलों में खाली पड़ी तीन से चार एकड़ जमीन पर पोषण वाटिका बनाएगा। उन्नाव के स्कूल में पहले से पोषण वाटिका है। इसी तर्ज पर शेष सभी स्कूलों में पोषण वाटिका तैयार की जाएगी। पोषण वाटिका को स्कूलों के शिक्षक और छात्रों की मदद से तैयार किया जाएगा। छात्र पोषण वाटिका में श्रमदान करेंगे और अपने पसंद की सब्जियां उगाएंगे।

     समाज कल्याण निदेशालय ने सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को पत्र लिखकर उनके यहां संचालित सर्वोदय स्कूलों का निरीक्षण करके पोषण वाटिका तैयार करने के निर्देश जारी किए हैं। निदेशक समाज कल्याण कुमार प्रशांत का कहना है कि पोषण वाटिका से स्कूलों का वातावरण हरा-भरा हो जाएगा। साथ ही खाली पड़ी भूमि का अच्छा उपयोग होगा। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अपने पसंद की सब्जियां भी खाने को मिलेंगी।

    शिक्षकों की पूर्व सेवा की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़े जाने एवं निलंबन बहाली के बंद पोर्टल को पुनः खोले जाने के संबंध मे राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का शिक्षा निदेशक (बेसिक) को ज्ञापन

    मांग: पूर्व सेवा का कार्यकाल जोड़ने के लिए खोला जाए पोर्टल, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेसिक शिक्षा निदेशक को भेजा ज्ञापन


    लखनऊ। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल को ज्ञापन भेजकर शिक्षकों की पूर्व सेवा के कार्यकाल को वर्तमान सेवा में जोड़ने के लिए निलंबन बहाली के बंद पोर्टल को खोलने की मांग की है।

    प्राथमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि ऐसे शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी जो पूर्व में किसी भी विभाग में कार्यरत थे, उनकी पूर्व सेवा की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़ने के लिए प्रार्थनापत्र बीएसए को दिए जा रहे हैं। बीएसए इसे सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेज रहे हैं। जबकि ऐसे शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की पूर्व सेवा को वर्तमान में जोड़ने का शासनादेश पहले से है।

    प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने कहा कि इस आदेश का पालन करते हुए उनकी पूर्व की सेवा को जोड़ते हुए यदि वह पुरानी पेंशन योजना में आ रहे हैं तो उनसे भी पुरानी पेंशन के लिए विकल्प पत्र प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की निलंबन-बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए एनआईसी से पोर्टल बनवाए।

    उन्होंने कहा कि अनुशासनिक कार्यवाही के बाद निलंबित शिक्षकों की बहाली की कार्यवाही पूरी तरह से ऑनलाइन कर विद्यालय आवंटन की व्यवस्था है। किंतु शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया चलने के कारण यह पोर्टल स्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। इसे दोबारा खुलवाकर प्रक्रिया पूरी की जाए।



    शिक्षकों की पूर्व सेवा की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़े जाने एवं निलंबन बहाली के बंद पोर्टल को पुनः खोले जाने के संबंध मे राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का शिक्षा निदेशक (बेसिक) को ज्ञापन






    Monday, October 14, 2024

    अब घर बैठे ही पा सकेंगे NCERT की नई किताबें

    अब घर बैठे ही पा सकेंगे NCERT की नई किताबें

    NCERT की किताबें अब ऑनलाइन मंगवा सकेंगे, एनसीईआरटी और अमेजन के बीच पुस्तकों की बिक्री के लिए अनुबंध


    नई दिल्ली । एनसीईआरटी की किताबें अब ऑनलाइन मंगवा सकेंगे। किंडरगार्टन से कक्षा 12 तक के छात्रों और यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए किताबें अब अमेजन इंडिया की वेबसाइट पर अधिकृत विक्रेताओं द्वारा बेची जाएंगी।


    एनसीईआरटी और अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के बीच पुस्तकों की बिक्री को लेकर अनुबंध किया गया है। इससे छात्रों को एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकें अमेजॉन प्लेटफार्म पर प्रिंट मूल्य पर उपलब्ध होंगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लेटर ऑफ एंगेजमेंट (एलओई) पर हस्ताक्षर किए हैं। 

    अधिकारियों ने कहा, यह पहला ऐसा अनुबंध है, एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों तक छात्रों की पहुंच प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मुद्रित मूल्य पर सुनिश्चित करेगा। प्रधान ने कहा, यह पहल शिक्षा को समावेशी, सुलभ और किफायती बनाने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिकोण को मजबूत करेगी।

    मदरसों की फंडिंग बंद करें राज्य सरकारें : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

    मदरसों की फंडिंग बंद करें राज्य सरकारें : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

    नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मदरसों और मदरसा बोर्डों को सरकारी फंडिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इन्हें सरकारी अनुदान (फंडिंग) बंद कर देना चाहिए। शीर्ष बाल अधिकार संस्था ने मदरसों के कामकाज को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए यह भी कहा कि मदसा बोर्ड भी बंद होने चाहिए।

    एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को चिट्ठी लिखी है। आयोग ने हाल ही में मदरसों पर एक रिपोर्ट "गार्जियन आफ फेथ आर ओप्रेसस आफ राइट्स ? कान्स्टीट्यूशनल राइटस आफ चिल्ड्रन वर्सेस मदरसा" भी जारी की है यानी आस्था के संरक्षक या अधिकारों के बाधक।

    आयोग ने राज्यों को भेजी चिट्ठी के साथ यह रिपोर्ट भी संलग्न की है। इसमें कहा है कि राइट टु एजूकेशन (आरटीई) एक्ट 2009 के दायरे से बाहर रहकर धार्मिक संस्थाओं के काम करने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मदरसों को आरटीई एक्ट से छूट देने से इनमें पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रहते हैं।

    आयोग ने कहा है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और करीब 1.20 करोड़ मुस्लिम बच्चे औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं। मदरसों को सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश करते हुए कहा गया है कि सरकारी फंड ऐसे किसी संस्थान पर खर्च नहीं किया जा सकता जो शिक्षा के अधिकार मे बाधा हो, क्योंकि ऐसा करना बाल अधिकारों का हनन होगा।



    RTE लागू करने तक मदरसों की सरकारी फंडिंग रोकी जाए– NCPCR

    नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों के कामकाज की स्थिति पर चिंता जताते हुए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून का अनुपालन होने तक उनकी सरकारी फंडिंग रोकने की मांग की है।

    आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी, शीर्षक वाली अपनी ताजा रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के दायरे से बाहर चल रहे धार्मिक संस्थानों का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मदरसों को आरटीई अधिनियम से छूट दिए जाने से इन संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो गए हैं। मदरसों में औपचारिक शिक्षा देने की अनिवार्यता को पूरा नहीं किया जा रहा। 

    बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा : रिपोर्ट में बताया गया है कि मदरसों का ध्यान धार्मिक शिक्षा पर है। कई मदरसे औपचारिक शिक्षा के आवश्यक घटक जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचा, प्रशिक्षित शिक्षक और उचित शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रदान नहीं करते हैं। मदरसा के छात्र पाठ्यपुस्तकों, मध्याह्न भोजन जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।



    NCPCR ने सभी राज्यों से मदरसा बोर्डों को बंद करने को कहा, गैर मुस्लिम छात्रों को RTE स्कूलों में प्रवेश देने की मांग
     
    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने आयोग की रिपोर्ट ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क:  बच्चों के अधिकार बनाम मदरसा’ को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखकर मदरसों को दिए जाने वाले फंड को फ्रीज करके मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है।

    कानूनगो ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE)-2009 के तहत बच्चों को दिए जाने वाले अधिकारों का उल्लंघन मदरसे कर रहे हैं। इसीलिए प्रियांक कानूनगो ने राज्यों से मांग की है कि वे सभी गैर मुस्लिम बच्चों को  मदरसों से निकालकर बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए। एनसीपीसीआर ने मुस्लिम समुदाय के वे बच्चे जो मदरसों में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर मान्यता प्राप्त हों, उन सभी को औपचारिक स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए।

    साथ ही बाल अधिकार आयोग ने मांग की है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा दी जाए।

    गौरतलब है कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग लगातार देश के मदरसों में अवैध तरीके से कैद करके जबरदस्ती इस्लामिक शिक्षा दिए जाने के खिलाफ काम कर रहा है। दरअसल, मदरसों में आधुनिक शिक्षा के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं।

    नकल पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं पर होगा यूपी बोर्ड का बार कोड


    नकल पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं पर होगा यूपी बोर्ड का बार कोड

    माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 में नकल पर अंकुश लगाने के लिए यूपी बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं पर बार कोड लगाने जा रहा है। इससे उत्तर पुस्तिकाओं की रेंडम चेकिंग की जा सकेगी। इस बार परीक्षार्थियों को रंगीन उत्तर' पुस्तिकाएं मिलेंगी। उत्तर पुस्तिका के कवर पेज पर अंकित विवरण का रंग बदला गया है।

    इस परिवर्तन से पुरानी उत्तर पुस्तिका पर बाहर से लिखवाकर जमा कराने की आशंका भी नहीं रहेगी। पिछले वर्ष इस्तेमाल के बाद बची उत्तर पुस्तिकाओं को कोठार में गिनती करवाकर बोर्ड को वापस किया जाएगा। परीक्षा में पुरानी कापियों को किसी भी रूप में प्रयोग न करने की सख्त हिदायत दी गई है।

    हर कमरे में वॉयस रिकॉर्डिंग युक्त सीसीटीवी लगे होंगे।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देशित किया है कि पुरानी उत्तर पुस्तिकाओं को परीक्षा से पूर्व बोर्ड को लौटा दिया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। वहीं, बार कोड वाली कॉपियों के मूल्यांकन में भी पारदर्शिता आएगी।


    यूपी बोर्ड ने फिर बदला बोर्ड परीक्षा की कॉपियों का रंग

    मजेंटा पिंक व भूरे रंग की होंगी यूपी बोर्ड की कॉपियां, 54.38 लाख परीक्षार्थियों के लिए छपवा रहे चार करोड़ कॉपियां

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा नकल विहीन कराने के लिए कॉपियों का रंग एक बार फिर से बदला गया है। इस बार हाईस्कूल की कॉपियां मजेंटा पिंक (रानी व गुलाबी रंग का मिश्रण) और इंटरमीडिएट की भूरे रंग की होंगी। इसके अलावा कई और बदलाव किए गए हैं।

    सभी बदलाव के साथ कॉपियों की छपाई का काम शुरू हो गया है। छपाई के बाद फरवरी तक सभी जिलों में कॉपियां पहुंचा दी जाएंगी। नकल की दुष्प्रवृत्ति और अनावश्यक प्रयोग को रोकने के लिए 2023 से कॉपियां रंगीन कर दी गई हैं।


    हर वर्ष कॉपियों का रंग बदला जाता है, जिससे अगले वर्ष कोई इसका प्रयोग न कर सके। यह कॉपियां बाजार में भी नहीं मिलेंगी। गवर्नमेंट प्रेस में इसे छपवाकर जिलों को भेजा जाएगा। इस वर्ष हाईस्कूल की ए कॉपी मजेंटा पिंक और बी कॉपी लाल रंग की होगी।

    इंटरमीडिएट की ए कॉपी भूरे रंग की और बी कॉपी वॉयलेट (बैंगनी) रंग की होगी। इसके अलावा कॉपियों की अदला-बदली रोकने के लिए एक और कदम उठाया गया है। अगर कोई बच्चा बी कॉपी लेता है तो उसे उसमें ए कॉपी के क्रमांक लिखने होंगे।

    अनुक्रमांक और परीक्षा तिथि लिखने के लिए वर्गाकार गोले बनाए गए हैं। यूपी बोर्ड का लोगो पहले कॉपी के तीसरे और दसवें पेज के बीच में होता था, उसे अब सबसे ऊपर कर दिया गया है। कॉपियों के ऊपर बायीं ओर आईबी 25 का छिद्रण किया जाएगा।

    पहले और आखिरी पेज पर बारकोड भी रहेगा। इससे अगर कोई कॉपी बाहर ले गया तो उसे पकड़ लिया जाएगा। सभी कॉपियों के पेज 20-20 लाइनों के होंगे। हाईस्कूल की ए कॉपी 16 और इंटरमीडिएट की 20 पेज की होगी।

    इसके अलावा दोनों की बी कॉपी 12-12 पेज की होगी। इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए 30 सितंबर तक पंजीकरण हुआ है। हाईस्कूल में 27,40,151 और इंटरमीडिएट में 26,98,446 यानी कुल 54.38 लाख परीक्षार्थी पंजीकृत हुए हैं।

    Sunday, October 13, 2024

    बिना मान्यता और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के ज्ञापन पर शिक्षा विभाग की रोक, केवल मान्यता प्राप्त संघों की सुनी जाएगी बात

    बिना मान्यता और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के ज्ञापन पर शिक्षा विभाग की रोक,  केवल मान्यता प्राप्त संघों की सुनी जाएगी बात


    माध्यमिक शिक्षा में बिना मान्यता और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों वाले संगठनों से नहीं होगी कोई वार्ता और न होगा ज्ञापन पर विचार 


    लखनऊ। अब बिना मान्यता वाले और सेवानिवृत्त पदाधिकारियों वाले संगठनों से माध्यमिक शिक्षा विभाग में कोई वार्ता नहीं होगी। न ही उनके ज्ञापन पर विचार होगा। हालांकि मान्यता प्राप्त संगठनों के साथ नियमित बैठक कर शिक्षकों की समस्याओं का समाधान होगा। बड़ी संख्या में संगठन बढ़े हैं। वहीं शासन से भी संगठन शिकायतें कर रहे हैं। इस पर मांगे जा रहे जवाब व सूचनाओं से विभाग परेशान है। इसे देखते हुए निदेशक ने विभागीय अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी किया है। 


    प्रदेश में शिक्षक संगठनों की बढ़ती बाढ़ एवं सीएम पोर्टल आईजीआरएस पर लगातार दर्ज हो रही शिकायतों के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यह निर्णय किया है। विभाग ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश जारी करने के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय एवं नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को भी पत्र भेजा है। 


    कुछ महीनों के दौरान विभिन्न शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर संगठनों की ओर से सीधे मुख्यमंत्री पोर्टल पर अनाप-शनाप शिकायतें दर्ज कराई जा रही है। जिस पर मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से विभाग से रिपोर्ट तलब की गई । विभागीय जांचों में ज्यादातर शिकायत करने वाले फर्जी संगठन एवं फर्जी लेटरपैड का इस्तेमाल करने वाले पाए गए जबकि कुछ शिकायतें व्यक्तिगत स्वार्थ से जुड़ी पाई गई।


    उन्होंने कहा है कि कार्मिक विभाग के शासनादेश के अनुसार सिर्फ मान्यता प्राप्त संघों, महासंघों, परिसंघों के ज्ञापन पर ही विचार करें। जिन मान्यता प्राप्त संगठनों में सेवानिवृत्त सरकारी सेवक पदाधिकारी हैं, उनके ज्ञापन पर भी विचार नहीं किया जाएगा। 

    CBSE लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता का पढ़ाएगा पाठ, 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए 15 अक्टूबर को आयोजित होगा चुनावी साक्षरता वेबिनार

    CBSE लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता का पढ़ाएगा पाठ, 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए 15 अक्टूबर को आयोजित होगा चुनावी साक्षरता वेबिनार

    वेबिनार का उद्देश्य छात्रों को चुनावी प्रक्रिया और उनकी नागरिक जिम्मेदारियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करना


    नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) छात्रों को लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता का पाठ पढ़ाने जा रहा है। इसके लिए नौवीं से बारहवीं के छात्रों में नागरिक सहभागिता, लोकतांत्रिक भागीदारी और चुनावी साक्षरता को बढ़ाने के लिए आगामी 15 अक्तूबर से साक्षरता वेबिनार आयोजित किया जाएगा। वेबिनार का उद्देश्य छात्रों को चुनावी प्रक्रिया में जिम्मेदारियां, लोकतांत्रिक सिद्धांतों की गहरी समझ को बढ़ावा देना है।

    बोर्ड का मानना है कि इस वेबिनार से छात्रों में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और सक्रिय नागरिकता की गहरी समझ को बढ़ावा मिलेगा। बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि वे इस वेबिनार में छात्रों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयास करें।

    एक घंटे के इस सत्र में उन्हें चुनावी साक्षरता के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। इससे छात्र भी चुनावी साक्षरता को लेकर जागरूक हो सकेंगे। बोर्ड की ओर से इसके लिए एक लिंक भी स्कूलों को भेजा गया है, जिसके माध्यम से छात्र इस वेबिनार का हिस्सा बन सकते हैं।




    कक्षा 6 से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्र पढ़ेंगे लोकतंत्र, मतदान आदि की चुनावी प्रक्रिया


    नई दिल्ली। कक्षा छठीं से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्र चुनावी प्रक्रिया भी पढ़ेंगे। छात्रों को लोकतंत्र, मतदान आदि की प्रक्रिया समझाने के लिए एनसीईआरटी बाकायदा पाठ्यक्रम भी तैयार करेगा।

    चुनावी प्रक्रिया की परीक्षा देने के बाद उनके सर्टिफिकेट और डिग्री में उसके क्रेडिट भी जुड़ेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने मंगलवार को इस संबंध में सभी राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों को पत्र लिखा है।

    पत्र में स्कूली शिक्षा से ही छात्रों को जागरूक करने के मकसद से चुनावी प्रक्रिया को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई है। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय और भारत निर्वाचन आयोग में समझौता हुआ है। पत्र में चुनावी भागीदारी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और इसके लिए युवाओं में रूचि पैटा करना जरूरी बताया गया है।



    राजनीति में युवाओं की भागीदारी के लिए जरूरी

    यूजीसी सचिव ने कहा कि यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में युवाओं की भागीदारी भी बेहद जरूरी है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मतदान का आंकड़ा बेहद कम है। शहरों मतदाताओं को लोकतंत्र के मेले में मतदान के प्रति जागरूक करने में युवा बेहद अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्हें चुनावी प्रक्रिया के बारे में पाठ्यक्रम के माध्यम से पढ़ाया जाएगा।


    ईवीएम, वीवीपैट के बारे में पढ़ेंगे छात्र

    चुनावी प्रक्रिया में छात्रों को ईवीएम, वीवीपैट, भारत निर्वाचन आयोग मोबाइल ऐप, बैलेट यूनिट मतदान कंपार्टमेंट, कंट्रोल यूनिट, पीठासीन अधिकारी, 2 मतदान अधिकारी, पोलिंग एजेंट, वोटिंग कंपार्टमेंट, नोटा आदि के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। इसका मकसद उन्हें चुनावी प्रक्रिया की हर जानकारी से रूबरू करवाना है। शिक्षण संस्थानों में चुनावी प्रकिया को समझाने के लिए मॉक पोल यानी चुनाव का ट्रायल भी करवाया जाएगा।

    CBSE Exam 2025: 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य, सीबीएसई ने जारी कीं गाइडलाइंस

    CBSE Exam 2025: 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य, सीबीएसई ने जारी कीं गाइडलाइंस


    सीबीएसई परीक्षा 2025 से पहले बोर्ड ने अपने संबंद्ध स्कूलों को एक बार याद दिलाया है कि बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए छात्र की 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है।

    सीबीएसई 10वीं 12वीं परीक्षा 2025 से पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने संबंद्ध स्कूलों को एक बार याद दिलाया है कि बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए छात्र की 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है। अगर किसी छात्र की अटेंडेंस स्कूल में 75 फीसदी से कम होती है तो वह बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य होगा। 

    सीबीएसई ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि बोर्ड कुछ मामलों में 25 फीसदी की छूट दे सकता है जैसे मेडिकल इमरजेंसी, राष्ट्रीय खेलों में हिस्सेदारी या फिर अन्य कोई गंभीर वजह वगैरह। इस राहत को पाने के लिए छात्र को संबंधित डॉक्यूमेंट दिखाने होंगे।

    बोर्ड ने स्कूलों को छात्रों को इस बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, 'स्कूलों को नियमित रूप से अटेंडेंस रिकॉर्ड की निगरानी करनी चाहिए और उसे सही रखना चाहिए। अटेंडेंस रजिस्टर को रोजाना अपडेट किया जाना चाहिए। इस पर क्लास टीचर और स्कूल के सक्षम अधिकारी के साइन होने चाहिए। यह कभी भी सीबीएसई के निरीक्षण के लिए आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।'

    केंद्रीय बोर्ड ने ऐसे समय पर अपनी गाइडलाइंस दोहराईं हैं जब वह डमी स्कूलों के खिलाफ बेहद सख्त है। डमी स्कूल वे स्कूल हैं जहां स्टूडेंट्स के बिना आए ही उनकी हाजिरी लगा दी जाती है। यह सीबीएसई के नियमों के खिलाफ है। 

    हाल ही में सीबीएसई ने दिल्ली व राजस्थान के कई स्कूलों में औचक निरीक्षण कर गड़बड़ी मिलने पर उन्हें नोटिस भी जारी किया था। दरअसल'डमी स्कूल' आम स्कूलों की तरह होते हैं बस यहां ऐसे छात्रों को नियमित कक्षाओं के लिये आने की जरूरत नहीं होती जो जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी कर रहे होते हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है। 

    इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं ( जेईई मेन व नीट जैसी प्रवेश परीक्षाएं ) की तैयारी करने वाले बड़ी संख्या में छात्र 'डमी स्कूलों' में दाखिला लेना पसंद करते हैं, ताकि वे केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वे कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो जाते हैं। अब सीबीएसई इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए हरकत में आ गया है।

    इसके अलावा सीबीएसई ने नोटिस में यह भी बताया गया है कि बोर्ड छात्रों की अटेंडेंस के रिकॉर्ड की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण भी कर सकता है। ऐसे निरीक्षणों के दौरान यदि यह पाया जाता है कि रिकॉर्ड अधूरे हैं या यह पता चलता है कि छात्र नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहे हैं, तो स्कूल को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। स्कूल की मान्यता रद्द भी हो सकती है। छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने से अयोग्य ठहराया जा सकता है।