महिला कर्मचारी चुनाव ड्यूटी से मुक्त
सीतापुर : इस बार के पंचायत चुनाव में किसी महिला को चुनावी ड्यूटी नहीं करनी होगी। राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति लेने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी ने महिला कर्मियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने का फैसला किया है। इस निर्णय के बाद 7,000 से अधिक महिला कर्मियों को राहत मिली है। हालांकि इस नई व्यवस्था के बाद पुरूष कर्मियों को दो-दो बार चुनाव ड्यूटी करनी होगी। निर्वाचन अधिकारी के इस निर्णय से ही मंगलवार को चुनाव ड्यूटी में लगाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों को आदेश वितरित नहीं हो पाए, जो बुधवार को सुबह विकास भवन सभागार से वितरित होंगे।
पंचायत चुनाव को संपन्न कराने के लिए निर्वाचन ड्यूटी लगाने को लेकर इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के ऑन लाइन फीड करने के आदेश दिए थे। इसके लिए एनआइसी द्वारा विभाग वार विभागाध्यक्षों को पासवर्ड दिए गए थे। जिसके आधार पर 23,132 अधिकारियों/कर्मचारियों के नाम व अन्य विवरण की फी¨डग की गई है। इसमें 7,061 महिला कर्मी शामिल हैं। इन सभी महिला कर्मियों को जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. इंद्रवीर सिंह यादव ने पंचायत चुनाव ड्यूटी से मुक्त कर दिया है। इसके लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। जिससे चुनाव ड्यूटी में शामिल की गई महिला कर्मियों की रिक्त जगह को भरने का काम मंगलवार को पूरे दिन एनआइसी में जारी रहा।
प्रथम चरण में लगेंगे 10 हजार कर्मी :
प्रभारी अधिकारी मतदान कार्मिक/सीडीओ शिवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रथम चरण के मतदान के लिए जरूरत के हिसाब में कर्मचारियों की संख्या निर्धारित हो गई है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण के चुनाव में लगभग 10 हजार कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। जिन्हें एक अक्टूबर को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया महिलाओं को चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने से पुरुष कर्मियों को डबल ड्यूटी करनी पड़ सकती है। अर्थात जो लोग प्रथम चरण के मतदान में ड्यूटी करेंगे उनके अधिकांश कर्मियों को दूसरे चरण के मतदान में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव ड्यूटी से बैंकर्स, केंद्रीय कर्मियों, बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों को भी दूर रखा गया है।
राज्य निर्वाचन अयोग से वार्ता करने के बाद पंचायत चुनाव ड्यूटी से महिला कर्मियों को मुक्त किया गया है। महिलाओं को चुनाव ड्यूटी से दूर करने के कई कारण हैं। उन सभी वजहों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। - डॉ. इंद्रवीर सिंह यादव, जिलाधिकारी
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