एटा. प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों का हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक के रूप में समायोजन रद्द कर दिया। अब मामले में यूपी के अलग-अलग जिलों में इसका विरोध होने लगा है। सोमवार को जिले में हजारों शिक्षामित्रों ने सड़कों पर उतरकर न्यायपालिका और केंद्र सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया। साथ ही केंद्र सरकार का पुतला भी फूंका। शिक्षामित्रों ने उप जिलाधिकारी सुनील कुमार को भारत के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ ने भी पीएम और राष्ट्रपति को संबोधित दो ज्ञापन दिए। प्रदर्शन के दौरान एक महिला शिक्षामित्र संजू यादव डीएम कार्यालय के सामने बेहोश होकर गिर पड़ीं। दो अन्य शिक्षामित्र विनीता यादव और कृष्णा यादव जुलूस निकालते समय बेहोश होकर गिर पड़ी। तीनों को एटा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
अन्य प्रदेशों में शिक्षामित्रों को नियमित स्थायी शिक्षक बनाया तो यूपी में क्यों नहीं?
ज्ञापनों में कहा गया कि शिक्षामित्रों को महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तराखंड में नियमित स्थायी शिक्षक बनाया गया है तो यूपी के शिक्षक शिक्षामित्र कैसे अयोग्य हो सकते हैं? ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि पिछले 15 सालों से सरकार ने शिक्षामित्रों से जनगणना, बालगणना, विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में काम लिया। अब झूठी दलीलों के माध्यम से ऐसा निर्णय दिया गया, जैसे किसी आतंकवादी को सजा दी जाती है। इसके अलावा एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को न्याय नहीं मिलने पर उन्होंने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की।
जज अौर उनकी बेंच के खिलाफ सीबीआई जांच कराने की मांग
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ एटा के संरक्षक राजेश गुप्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी से इस मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की। साथ ही राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज चंद्रचूड़ सिंह और उनकी बेंच के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की।
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