उरई।
शिक्षा मित्रों को गुरुवार को सूचना मिली कि एनसीटीई ने भी शिक्षा मित्रों
को टीईटी में छूट दे दी है, यह सूचना मिलते ही शिक्षा मित्रों की खुशी का
ठिकाना नहीं रहा। एनसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर संतोष पांडा ने तर्क दिया है
कि 2010 से पहले नियुक्त शिक्षा मित्रों को सेवारत माना गया है, जिससे
उन्हें टीईटी पास करने की आवश्यकता नहीं है। टीईटी केवल नए शिक्षकों के लिए
ही अनिवार्य है।
मालूम हो कि सूबे में
शिक्षा मित्रों की भर्ती पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर वर्ष 1999 से की
गई थी। यह भर्ती बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में सहायक अध्यापकों की कमी
पूरी करने के लिए की गई थी। इसके पीछे का कारण एक और है कि सहायक
अध्यापकों को कमी के चलते सूबे के कई स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए
थे। जिन्हें शिक्षा मित्रों की भर्ती कर उनके दम पर चलाया गया। जब सूबे में
शिक्षा मित्रों की संख्या 1 लाख 72 हजार हो गई तो उन्होंने संगठन बनाकर
सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन की लड़ाई शुरू कर दी। सरकार ने भी वोट बैंक
की राजनीति के चलते एनसीटीई से परमीशन लेकर शिक्षा मित्रों को दूरस्थ विधि
से दो वर्षीय बीटीसी कोर्स कराकर इन्हें सहायक अध्यापक के पद पर बिना
टीईटी के समायोजित कर दिया। यह बात टीईटी पास बेरोजगारों को नागवार गुजरी
और उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बिना टीईटी शिक्षा बनाए जाने
की याचिका दायर कर दी। यह मामला तकरीबन डेढ़ साल कोर्ट में चला और आखिर में
हाईकोर्ट ने पिछले महीने बिना टीईटी के शिक्षा मित्रों की नियुक्ति अवैध
मानते हुए उनका समायोजन रद्द कर दिया। इस सूचना पर सूबे के शिक्षा मित्र
भड़क गए और उन्होने आंदोलन का रुख अख्तियार कर लिया। केंद्र सरकार पर दबाव
बनाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर मैदान पर अपने ताकत का अहसास कराया तो
केंद्र के मंत्रियों ने शिक्षा मित्रों को भरोसा दिलाया कि वह उनके साथ है
तब जाकर शिक्षामित्रों ने आंदोलन पर ब्रेक लगाया। गुरुवार को जब शिक्षा
मित्रों को सूचना मिली की एनसीटीई ने भी शिक्षा मित्रों को टीईटी में छूट
दे दी है तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।
- इनकी भी सुनिए;-
शिक्षा मित्र नीरज पाराशर का कहना है कि उनका चयन 2008 में ही विशिष्ट बीटीसी में दूसरे जिले में हो गया था लेकिन उन्होने उस समय सहायक अध्यापक की नौकर नहीं कि एक न एक दिन शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया जाना है इसके अलाव नौकरी अपने जिले में ही मिलेगी।
शिक्षा मित्र अवनीश मिश्रा का कहना है कि उनका चयन पालिटेक्निक में हो गया था आज वह इंजीनियर बन जाते लेकिन घर वालों ने समझाया कि शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाया जाना है। इस बजह से कि नौकरी पक्की है तो फैसला बदलकर शिक्षामित्र की नौकरी करना ही उचित समझा।
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