- सूरत-ए-हाल सरकारी स्कूलों का शैक्षिक सत्र : 2015-16
इलाहाबाद : बद से बदतर हो रहे पठन-पाठन के माहौल के चलते परिषदीय स्कूलों
से अभिभावकों का मोहभंग हो रहा है। यही वजह है कि वह अपने बच्चों का दाखिला
सरकारी स्कूलों में नहीं करा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़े इस
बात की गवाही दे रहे हैं। मौजूद शैक्षिक सत्र में इलाहाबाद, फतेहपुर,
कौशांबी व प्रतापगढ़ के परिषदीय स्कूलों से 50 हजार से अधिक विद्यार्थियों
ने मुंह मोड़ लिया हैं। साल दर साल विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। गत
वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष शैक्षिक सत्र 2015-16 में इलाहाबाद में कक्षा एक
से पांच तक के 13,789 विद्यार्थियों ने स्कूल छोड़ दिया। इसी तरह फतेहपुर
में 11,644, कौशांबी में 8,921 और प्रतापगढ़ में 16,575 हजार बच्चों ने
सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ लिया है।
शैक्षिक सत्र 2015-16 में चार जनपदों में कक्षा एक से पांच तक पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या 8,49123 लाख है। शैक्षिक सत्र 2014-15 में 9,00054 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इस तरह इस वर्ष 50,929 हजार बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ चुके हैं। यह हाल तब है जबकि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। बच्चों को मुफ्त किताबें और भोजन देने की योजना भी चलाई जा रही है। बावजूद, साल दर साल परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है। शैक्षिक संवर्धन के ढेरों प्रयास नकाफी साबित हो रहे हैं। ट्रेड शिक्षक होने के बाद भी परिषदीय स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। इस संबंध में एडी बेसिक रमेश कुमार तिवारी का कहना है कि परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अधीनस्थों को निर्देश दिए गए हैं। शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन पर जोर दिया जा रहा है। आगामी शिक्षण सत्र में निश्चित ही बच्चों की बच्चों की संख्या में बढोत्तरी होगी।
शैक्षिक सत्र 2015-16 में चार जनपदों में कक्षा एक से पांच तक पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या 8,49123 लाख है। शैक्षिक सत्र 2014-15 में 9,00054 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इस तरह इस वर्ष 50,929 हजार बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ चुके हैं। यह हाल तब है जबकि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। बच्चों को मुफ्त किताबें और भोजन देने की योजना भी चलाई जा रही है। बावजूद, साल दर साल परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है। शैक्षिक संवर्धन के ढेरों प्रयास नकाफी साबित हो रहे हैं। ट्रेड शिक्षक होने के बाद भी परिषदीय स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। इस संबंध में एडी बेसिक रमेश कुमार तिवारी का कहना है कि परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अधीनस्थों को निर्देश दिए गए हैं। शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन पर जोर दिया जा रहा है। आगामी शिक्षण सत्र में निश्चित ही बच्चों की बच्चों की संख्या में बढोत्तरी होगी।
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