लखनऊ। राजधानी के परिषदीय स्कूलों में प्रदेश सरकार की ओर से डेढ़ माह के अंदर एलईडी बल्ब लगाने का निर्देश तो दे दिया गया, लेकिन योजना भी खोखली साबित होती नजर आ रही है। जिले के अधिकतर परिषदीय स्कूल बिना विद्युत कनेक्शन के चल रहे हैं। बेशक एलईडी बल्ब लगाने की व्यवस्था बिजली बचाने के लिए है लेकिन जब तक स्कूलों का विद्युतीकरण नहीं होगा तब तक स्कूलों में एलईडी बल्ब लगाने का कोई फायदा नहीं।
सरकार परिषदीय स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने पर जोर दे रही है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर योजनाओं पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। चिनहट ब्लॉक के अधिकतर परिषदीय स्कूलों में अभी तक बिजली के कनेक्शन नहीं हो पाए हैं जिसके चलते स्कूलों में लगे पंखे व अन्य उपकरण शोपीस बनकर रह गए हैं। बहुत से स्कूलों से बिजली के उपकरण तक गायब हो गए हैं। चिनहट के प्राथमिक विद्यालय कमता प्रथम, प्राथमिक विद्यालय चिनहट द्वितीय, प्राथमिक विद्यालय हरदासी खेड़ा, प्राथमिक विद्यालय इस्माइलगंज प्रथम आदि में बिना विद्युत व्यवस्था के बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ती है। ऐसे में उन्हें तमाम तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है।बच्चे भीषण गर्मी में पसीने से लतपथ हो जाते हैं। लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं है।
परिषदीय स्कूलों को सुविधाओं से परिपूर्ण करने के लिए तमाम कवायद चलती रहीं हैं। इसी के तहत सभी स्कूलों में रोशनी की सुविधा और पंखे लगवाने के लिए पहल की गई थी जिसके तहत हर स्कूल में आंतरिक वायरिंग कर विद्युत उपकरण लगाए गए थे। लेकिन अभी तक स्कूलों के विद्युतीकरण की पहल अधूरी है। ऐसे में एलईडी बल्ब लगाने की बात करना खोखले वायदे करना है।
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