इलाहाबाद : एडेड (सहायता प्राप्त स्कूल) के प्रधानाचार्यो के खातों में
बेसिक शिक्षा विभाग मिडडे मिल बनवाने के लिए धनराशि नहीं दे रहा है। इससे
नौनिहालों को खाली पेट स्कूल से लौटना पड़ रहा है। जबकि एमडीएम जिला
समन्वयक का दावा है कि सभी प्रधानाचार्यो के खातों में धनराशि हस्तांतरित
कर दी गई है। वहीं एडेड स्कूलों के प्रधानाचार्यो ने आरोप लगाया है कि अपनी
जिम्मेदारी से बचने के लिए ऐसा कह रहे हैं। यह स्थिति एडेड स्कूलों के साथ
ही नहीं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों की भी है।
बेसिक शिक्षा विभाग की हकीकत बयां करते हुए समाज कल्याण द्वारा संचालित बाल विद्यालय नयापुरा स्कूल के प्रधानाध्यापक रंजीत कुमार मिडडे मील पास बुक का खाता दिखा कर कहते हैं कि एमडीएम परिवर्तन लागत कई माह की अप्रैल 2015 में दी गई थी। जबकि जुलाई माह से अभी तक खाते में धनराशि नहीं दी गई है। अपने वेतन से एमडीएम बनवाने के लिए मजबूर हूं। ऐसा ही कुछ आदि हिन्दू प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक मक्खन लाल सोनकर का कहना है।
इधर, भारत स्काउट गाइड इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. योगेश चंद त्रिपाठी भी कहते हैं कि खाता खुलवा चुका हूं। कई बार एमडीएम जिला समन्वयक और बीएसएस से वार्ता कर चुका हूं। आश्वासन के सहारे ही एमडीएम की गाड़ी दौड़ रही है। जब तक पैसा नहीं मिलेगा बच्चों को भोजन कराना संभव नहीं है। दस बीस बच्चे हो तो वेतन से बनवा दूं। तीन सौ से अधिक बच्चे हैं। वेतन से मिडडे मिल बनवा पाना संभव नहीं है।
कृषक इंटर कालेज गडै़या जारी के शिक्षक और उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के जिलाध्यक्ष लल्लू प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि एमडीएम खाते में धनराशि जारी नहीं दी जा रही है। स्कूल के बाबू बीएसए कार्यालय के चक्कर लगाकर मायूस हो चुके हैं। डीआईओएस द्वारा एमडीएम बनवाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जब तक धनराशि नहीं मिलेगी एमडीएम कैसे बनवाया जा सकता है।
बेसिक शिक्षा विभाग की हकीकत बयां करते हुए समाज कल्याण द्वारा संचालित बाल विद्यालय नयापुरा स्कूल के प्रधानाध्यापक रंजीत कुमार मिडडे मील पास बुक का खाता दिखा कर कहते हैं कि एमडीएम परिवर्तन लागत कई माह की अप्रैल 2015 में दी गई थी। जबकि जुलाई माह से अभी तक खाते में धनराशि नहीं दी गई है। अपने वेतन से एमडीएम बनवाने के लिए मजबूर हूं। ऐसा ही कुछ आदि हिन्दू प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक मक्खन लाल सोनकर का कहना है।
इधर, भारत स्काउट गाइड इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. योगेश चंद त्रिपाठी भी कहते हैं कि खाता खुलवा चुका हूं। कई बार एमडीएम जिला समन्वयक और बीएसएस से वार्ता कर चुका हूं। आश्वासन के सहारे ही एमडीएम की गाड़ी दौड़ रही है। जब तक पैसा नहीं मिलेगा बच्चों को भोजन कराना संभव नहीं है। दस बीस बच्चे हो तो वेतन से बनवा दूं। तीन सौ से अधिक बच्चे हैं। वेतन से मिडडे मिल बनवा पाना संभव नहीं है।
कृषक इंटर कालेज गडै़या जारी के शिक्षक और उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के जिलाध्यक्ष लल्लू प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि एमडीएम खाते में धनराशि जारी नहीं दी जा रही है। स्कूल के बाबू बीएसए कार्यालय के चक्कर लगाकर मायूस हो चुके हैं। डीआईओएस द्वारा एमडीएम बनवाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जब तक धनराशि नहीं मिलेगी एमडीएम कैसे बनवाया जा सकता है।
बेसिक शिक्षा विभाग से प्रधानाचार्यो के खातों में नहीं पहुंची धनराशिसरकार द्वारा वित्त पोषित स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक मिडडे मील बनने के निर्देश हैं। एडेड व समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में किन कारणों से परिवर्तन लागत नहीं पहुंच रही है इसका पता लगाया जाएगा।
-मुकेश कुमार रायजादा, एडी बेसिक
No comments:
Write comments