•आगरा, अलीगढ़, झांसी और कानपुर मंडल में तैनात हैं ऐसे अध्यापक
•बर्खास्त करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को लिखा गया पत्र
आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों में ऐसे अध्यापक भी पढ़ा रहे हैं, जो खुद दसवीं पास भी नहीं कर पाए हैं। इन्होंने दसवीं से बीएड तक जाली अंकसूची की बदौलत सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की। डाॅ. बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी के जाली मार्कशीट घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने दस ऐसे मामले पकड़े हैं जिनकी दसवीं व बारहवीं की अंकसूचियां जाली हैं। इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी है। रिपोर्ट विभाग को भी दी है।
घोटाले में बीएड की 25 हजार जाली अंकसूचियां बेची गई थीं। इनसे 4500 सहायक अध्यापक नियुक्त हो गए। धीरे-धीरे आगे बढ़ रही जांच में 100 अध्यापकों को आरोपी बनाया जा चुका है। 2700 के नाम-पते मालूम कर लिए गए हैं। 497 को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया गया है। इन 497 में उन शिक्षकों के मामले भी आए जिनकी दसवीं, बारहवीं और स्नातक की मार्कशीट भी फर्जी निकली। इन्हें सत्यापन में इसलिए नहीं पकड़ा जा सका क्योंकि इन लोगों ने माध्यमिक शिक्षा परिषद और यूनिवर्सिटी के रिकार्ड में फर्जी मार्कशीट का विवरण दर्ज करा लिया था। विवरण दर्ज कराने के अलावा इनका और रिकार्ड नहीं मिला, जिससे ये एसआईटी जांच के दौरान पकड़ में आ गए। इनके रोल नंबर भी फर्जी मिले। यहां तक कि न तो इनकी परीक्षा कॉपियों का कोई रिकार्ड मिला और न ही किसी स्कूल-कॉलेज में दाखिला हुआ पाया गया। ये सभी आगरा, अलीगढ़, झांसी और कानपुर मंडल में तैनात बताए गए हैं। इन्हें बर्खास्त करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक को एसआईटी ने खत लिखा है।
आठवीं पास एमबीबीएस डाॅक्टर
यूनिवर्सिटी की जाली डिग्री से दिल्ली में आठवीं पास मनोज साहू नाम का शख्स न केवल एमबीबीएस डाॅक्टर बन गया बल्कि नर्सिंग होम खोलकर प्रैक्टिस भी करता रहा। उसने जाली डिग्री का फर्जी रजिस्ट्रेशन भी करा लिया। पांच नवंबर को यह मामला पकड़ा गया था। यूनिवर्सिटी की जांच में डिग्री फर्जी पाई गई। इसी तरह कंप्यूटर साइंस और एमबीए की डिग्री फर्जी पाई चुकी हैं। ये लोग विदेशों में नौकरी कर रहे हैं।
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