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Tuesday, November 3, 2015

लखनऊ : तो पर्व पर भी ठंडा रहेगा रसोइयों का चूल्हा, जुलाई से मानदेय को तरस रहे रसोइए

लखनऊ : आज कल जहां सभी दीपावली की तैयारी में जुटे हैं, वहीं एक तबका ऐसा भी है जिसका चूल्हा तक ठंडा पड़ा है। शहर के प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में तैनात रसोइयों को जुलाई से अब तक मानदेय नहीं दिया गया है। इस सत्र में आखिरी बार मई में मानदेय मिला था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है शासन से बजट न आने से मानदेय नहीं दिया जा रहा है।

राजधानी के लगभग 2000 स्कूलों में 3900 रसोइये तैनात हैं। स्कूल में बच्चों की संख्या के आधार पर रसोइयों की तैनाती की जाती है। 50 बच्चों पर एक रसोईया होता है। वहीं बच्चों की संख्या 300 से अधिक होने पर अधिकतम 4 रसोइये स्कूल में तैनात किए जाते हैं। जो बच्चों को खाना बनाकर खिलाते हैं। वहीं राजधानी के जिन चार ब्लॉक में अक्षयपात्र संस्था खाना देती है वहां बच्चों को खाना परोसने और बर्तन धुलने का काम करते हैं। 

अभी तक रसोइयों के भुगतान के लिए हमें बजट नहीं प्राप्त हुआ है। इसलिए हम उनका भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।  -प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए

हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द बजट जारी कर दिया जाएउम्मीद है कि एक सप्ताह के भीतर बजट जारी होने के बाद रसोइयों को भुगतान हो जाएगा।  -श्रद्धा मिश्रा, निदेशक,एमडीएम

1400 अक्षयपात्र के जिम्मे
सरोजनीनगर, चिनहट काकोरी और नगर क्षेत्र के स्कूलों में अक्षयपात्र संस्था बच्चों को मिड-डे मील परोसती है। ऐसे में यहां के रसोइयों को भी अक्षयपात्र की ओर से मानदेय दिया जाता है। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से अक्षयपात्र को यह भुगतान कर दिया जाता है। इन चार ब्लॉक्स में 1400 रसोइये हैं, लेकिन अक्षयपात्र ने भी इन्हें मानदेय नहीं दिया है। क्योंकि अब तक शिक्षा विभाग से इन रसोइयों के भुगतान के लिए कोई बजट जारी नहीं हुआ है। जबकि सारे काम इनके भरोसे ही चल रहे हैं। इन ब्लॉक्स के रसोइयों का कहना है अक्षयपात्र के पास तो बजट की कोई कमी नहीं है। वो तो हमें भुगतान कर ही सकते हैं। उन्हें तो शिक्षा विभाग से देर सबेर भुगतान मिल ही जाएगा।

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