फतेहपुर : बेसिक शिक्षा के स्तर पर लगे काले धब्बे जो छुटाकर उसे क्षितिज पर चमकाने के प्रयास के शिल्पी पूर्व बीएसए ओपी त्रिपाठी कोहनूर बनकर चमके हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मंत्री स्मृति इरानी विज्ञान भवन के सभागार में वह सम्मान पाएंगे। इस तरह का बिरला पुरस्कार पाने वाले वह पहले देश के पहले बीएसए बन गए हैं।
गैर जिले में तैनात बीएसए को सम्मान दिए जाने की सूचना आते ही शिक्षा विभाग में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी। अगस्त 2014 से मई 2015 तक बीएसए रहे श्री त्रिपाठी (मौजूदा में बांदा के बीएसए) द्वारा बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में किया गया सुधारात्मक कार्य राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। जिले में रहते हुए उन्होंने मिशन पहिचान की योजना क्रियान्वित परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के बौद्धिक स्तर में सुधारने का काम किया। खुद की सोच और समझ के मुताबिक बनाई गई योजना को अमल में लिया। छात्र से लेकर गुरुजी को सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रेक्षागृह के खचाखच भरे सभागार में सम्मान समारोह आयोजित किया। उन्हें तनिक सा भी गुमान नहीं रहा होगा कि एक दिन वह सम्मान के हकदार हो जाएंगे।
जिले में लागू की गई यह अनूठी योजना राष्ट्रीय स्तर पर सराही गई तो क्रियान्वयन के जनक बीएसए को सम्मानित करने का फैसला लिया गया। नेशनल यूनिवर्सिटी आफ एजूकेशन प्ला¨नग एंड एडमिनिस्ट्रेशन ने सम्मानित करने का फैसला किया है। केंद्रीय प्रशासन ने बीएसए को सम्मानित किए जाने का पत्र भेजा है। 9 एवं 10 दिसंबर के दो दिवसीय सम्मान समारोह में उपस्थित रहने को कहा है। जानकारी आते ही लोगों ने उन्हें दूरभाष पर शुभ-कामनाएं दी।
बीएसए श्री त्रिपाठी ने दूरभाष पर बताया कि फतेहपुर के बाद बांदा में भी उन्होंने मिशन पहिचान योजना लागू कर रखी है। पुरस्कार के लिए वह अकेले हकदार नहीं हैं। इस क्षेत्र में योगदान करने वाले बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाओं का योगदान रहा। उन्होंने योजना बनाई उसे सफलता का अमलीजामा पहनाने में जो योगदान दिया उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
यह है पहचान मिशन
बीएसए द्वारा लागू की गई मिशन पहचान के प्रमुख ¨बदुओं में कक्षा 1 से 5 तक के छात्र-छात्रा प्रतिदिन अंग्रेजी में अपना नाम लिखेगा। जिससे बच्चों में आत्म विश्वास पैदा होगा। इसके अलावा प्रत्येक बच्चों को मदर, फादर, सिस्टर, टीचर, विलेज, पोस्ट आफिस, थाना, तहसील, डिस्ट्रिक्ट, स्टेट, कंट्री, कैपिटल, हाईएस्ट, लोवेस्ट, लांगेस्ट, ह्वाई, ह्वेन, हाऊ आदि का लिखना पढ़ने का बोध कराया जाना शामिल रहा। प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा स्कूल के बोर्ड में सुविचार लिखा जाना, जिसमें छात्र का नाम और कक्षा का उसके द्वारा खुद अंकन होगा। इससे रचनात्मक सोच में इजाफे की बात कही गई थी। छात्र-छात्रा के जन्मदिन पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन करना। उस दिन उसे बर्थ-डे ब्वाय अथवा गर्ल को बिना यूनिफार्म के रंग बिरंगे परिधान में आना। स्कूल के सारे बच्चों द्वारा जन्मदिन की शुभ कामनाएं दिया जाना। शिक्षा के स्तर के अहम सुधार के लिए प्रतियोगिता शामिल रही। जिसमें कक्षा 1 से 5 तक से तीन बच्चे तथा उच्च प्राथमिक में 3 बच्चों को चिन्हित कर ब्लाक स्तर में भेजना। इसके बाद ब्लाकों का जिला स्तर पर मूल्यांकन और प्रतियोगिता जिसमें छात्र-छात्रा के साथ गुरुजी को सम्मानित किया जाना शामिल था।
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