1531 स्कूली बच्चों की आंखों की रोशनी कमजोर
राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत स्कूल आई स्क्रीनिंग से खुलासा
अमर उजाला ब्यूरो
बहराइच। कुपोषण को दूर भगाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम प्रयास कर रही है। स्कूलों में मिड-डे मील व आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार बांटा जा रहा है। इसके बावजूद सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 1531 बच्चे दृष्टिदोष से पीड़ित हैं। इसका खुलासा राष्ट्रीय अंधता निवारण समिति द्वारा जिले में संचालित स्कूल आई स्क्रीनिंग प्रोग्राम से हुआ है। यह तब है जब महज 17 हजार 178 बच्चों की आंख जांची गई है। जबकि जिले में प्राइमरी व मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या पांच लाख है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सभी छात्रों के आंखों की जांच होगी तो आंकड़े कहां पहुंचेंगे।
राष्ट्रीय अंधता निवारण समिति की जांच के बाद आए इन परिणामों को लेकर जिले स्तर पर एक बड़ी चिंता के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जिले में 2470 प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें तीन लाख 80 हजार 323 स्कूली छात्र हैं। जबकि 985 मिडिल स्कूल में एक लाख 16 हजार 952 छात्र अध्ययनरत हैं। इस सत्र में स्कूल आई स्क्रीनिंग प्रोग्राम के तहत 245 स्कूलों के पंजीकृत बच्चों की आंखों को जांचने का लक्ष्य रखा गया। राष्ट्रीय अंधता निवारण समिति के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने नवंबर माह तक आठ वर्ष से 14 वर्ष आयु के 17 हजार 178 बच्चों की आंखों का परीक्षण किया है। इनमें एक हजार 531 बच्चे दृष्टिदोष से पीड़ित मिले हैं। इनमें वे बच्चे शामिल हैं, जिन्हें जन्मजात मोतियाबिंद या आंखों की रोशनी चोट की वजह से कम हुई है। इन परिणामों से चिकित्सक चिंतित हैं।
करोड़ों खर्च फिर भी नहीं मिल रहा पोषण
जिले में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के छात्रों के लिए मध्याह्न भोजन संचालित हैं। जिस पर सालाना करोड़ों रुपये खर्च होता है। ऐसे में छात्रों की आंखों का कमजोर होना, इस बात की ओर इशारा करता है कि खाद्य सामग्री में विटामिन की मात्रा कम है।
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