लखनऊ :चुनावी वर्ष में प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के करीब ढाई लाख शिक्षकों को मानदेय का तोहफा देने की तैयारी में है। इसके लिए बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान भी करने जा रही है। शासन स्तर पर कई दौर की बैठकों के बाद शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव पर सहमति बन गई है।
समाजवादी पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्रों में यह वादा किया था कि वह वित्तविहीन शिक्षकों (निजी स्कूलों के शिक्षकों) को मानदेय देगी। तब से शिक्षक लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले साल यूपी बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियां जांचने के काम का शिक्षकों ने बहिष्कार किया था। उस समय खुद सीएम अखिलेश यादव ने उन्हें मानदेय देने का वादा किया था। साथ ही अगले बजट में इसके लिए प्रावधान करने का भरोसा भी दिलाया था।
वित्तविहीन शिक्षकों ने बजट में प्रावधान न किए जाने पर बजट सत्र के पहले दिन ही विधान भवन घेरने का ऐलान किया था। साथ ही सदन में भी इस मुद्दे पर विरोध का ऐलान शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने किया था। अब उन्होंने यह आंदोलन स्थगित कर दिया है। उमेश द्विवेदी का कहना है कि सरकार ने बजट सत्र में प्रावधान किए जाने का भरोसा दिलाया है। इसी के बाद उन्होंने आंदोलन स्थगित किया है। उन्होंने कहा कि सरकार बजट में शिक्षकों के मानदेय का प्रावधान करती है तो यह एक बड़ा कदम होगा। हम इसका स्वागत करेंगे।
बहिष्कार करने तक की चेतावनी दे दी थी। इसी को देखते हुए इस बार शिक्षा विभाग से इसका प्रस्ताव मांगा गया था। प्रदेश में यूपी बोर्ड और बेसिक शिक्षा परिषद से संबद्ध निजी स्कूलों के शिक्षकों की संख्या 2,40,433 है। इसके लिए विभाग ने 200 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा है। माना जा रहा है कि सीएम ने वादा किया था और चुनावी वर्ष है, इसी को देखते हुए सरकार बजट में यह प्रावधान करने जा रही है। इस बारे में शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। अब आगे का निर्णय उच्चाधिकारियों का है।
प्रति शिक्षक 8 हजार रुपये
शिक्षकों की संख्या और बजट प्रावधान को देखा जाए तो इसके आधार पर प्रति शिक्षक 8,318 रुपए मानदेय मिलेगा। हालांकि यह बाद में तय होगा कि शिक्षकों की सेवा शर्तें क्या होंगीं। प्रबंधतंत्र भी अपनी ओर से मानदेय देंगे। सरकार प्रबंधतंत्रों के लिए भी मानदेय देने की शर्तें और धनराशि तय कर सकती है।
दिक्कतें भी कम नहीं
चुनावी वर्ष में सरकार मानदेय तो तय कर देगी लेकिन इसमें कई दिक्कतें भी आएंगीं। खासतौर से उनकी सेवा शर्तें तय करना और फर्जीवाड़ा रोकना मुश्किल काम होगा। निजी स्कूलों के शिक्षकों का आधार क्या होगा क्योंकि अभी तक सरकार के पास हर शिक्षक का डाटाबेस नहीं है। कोई भी स्कूल प्रिंसिपल या प्रबंधन यह प्रमाणित करके दे देगा कि वह उसका शिक्षक है तो क्या इस आधार पर उसे मानदेय दे दिया जाएगा?
No comments:
Write comments