इलाहाबाद : शिक्षा की दुर्गति का प्रमुख कारण जातिप्रथा व शिक्षकों का श्रेणी विभाजन है। यह जनतंत्र के लिए किसी कलंक से कम नहीं है। शिक्षाविद् प्रो. लालबहादुर वर्मा ने शनिवार को उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ ‘ठकुराई गुट’ के प्रांतीय महाधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि यह बातें कहीं।
केपी कम्युनिटी सेंटर में आयोजित महाधिवेशन के अंतिम दिन उन्होंने कहा कि शिक्षकों में आत्मविश्वास एवं आत्मगौरव होना चाहिए, जिसका आज अभाव नजर आता है। प्रो. वर्मा ने कहा कि शिक्षक को दृष्टा, शोधकर्ता एवं आविष्कारक होना चाहिए। शिक्षकों को विद्यार्थियों के बीच ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिससे विद्यार्थियों में शिक्षा ग्रहण करने की ललक बढ़े।
अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा उद्देश्यपरक एवं छात्रों की रुचि के अनुसार दी जानी चाहिए। विधान परिषद सदस्य डॉ. यज्ञदत्त शर्मा ने शिक्षकों को उनके उत्तरदायित्व का एहसास कराया। साथ ही कहा कि उनके हित की आवाज पुरजोर तरीके से उठाएंगे।
प्रथम सत्र में संगठन के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी को झांसी-इलाहाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद प्रत्याशी घोषित किया गया। साथ ही नई अंशदायी पेंशन कटौती, तदर्थ शिक्षकों का विनियमितिकरण, वित्तविहीन शिक्षकों को कम से कम 18 हजार मानदेय, कॉमन स्कूल सिस्टम लागू करने आदि का प्रस्ताव पारित हुआ। इसको लेकर दो से पांच फरवरी तक प्रदेश के हर जिला कार्यालय पर धरना देने के साथ पांच अप्रैल को विधान भवन के समक्ष प्रदर्शन करने का निर्णय हुआ।
प्रदेश अध्यक्ष जगदीश पांडेय ‘ठकुराई’ ने कहा कि सरकार ने मांगे न मानी तो बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन बहिष्कार होगा। संयोजक प्रदेश उपाध्यक्ष मुहर्रम अली ने आभार ज्ञापित किया।
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