एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि गैंग का सरगना इंदिरानगर निवासी अतुल शर्मा निलंबित समीक्षा अधिकारी है। उसके खिलाफ हजरतगंज में धोखाधड़ी, अवैध वसूली व जालसाजी के छह मामले दर्ज हैं। अमेठी के मुसाफिरखाना के एसओ दीपेंद्र सिंह से इन लोगों ने सीएम के यहां शिकायत होने और उनकी जांच ईओडब्ल्यू को दिए जाने का डर दिखाकर डेढ़ लाख रुपये देने को कहा था। दीपेंद्र की शिकायत पर एसटीएफ ने गैंग के सदस्यों, कन्नौज के प्रमोद दुबे और तालकटोरा के प्रदीप श्रीवास्तव को रंगे हाथों पकड़ लिया। इनके पास से छह फोन और एक डायरी मिली है। डायरी में उन अफसरों का ब्योरा है जिनसे वसूली की गई है या वसूली होनी है।
एक ऐसा रैकेट पकड़ा गया है जिसमें ठगों से लेकर ठगे गए लोगों तक, सब सरकारी अधिकारी हैं। ठगी सीएम ऑफिस के नाम पर होती थी और वसूली सीएम ऑफिस के बाहर। एक निलंबित हिस्ट्रीशीटर समीक्षा अधिकारी इस रैकेट का सरगना है। उसके रैकेट में सचिवालय के कुछ ऐसे अधिकारी-कर्मचारी हैं जो उसे गोपनीय सूचनाएं देते थे। यूपी के 70 से ज्यादा बीएसए, सीएमओ, एसीएमओ, आरटीओ व पुलिस अधिकारियों को वह करोड़ों का चूना लगा चुका था। एसटीएफ ने गैंग के दो लोगों को गिरफ्तार कर यह दावा किया है। हालांकि गैंग का सरगना फरार है।
सीएम दफ्तर बुलाए जाते थे शिकार
एसटीएफ के मुताबिक अतुल शर्मा शिकार से पैसे लेकर सीएम दफ्तर में आने को कहता था। अधिकारी बाहर ही रकम लेने की मिन्नतें करते थे। वह अपने साथियों को भेज देता था। शनिवार को इसी तरीके से एसटीएफ ने उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया।
प्रदीप और प्रमोद ने बताया कि अतुल स्वास्थ्य अधिकारियों से दवा खरीद-वितरण में गड़बड़ी, पुलिसवालों को कस्टडी डेथ व काली कमाई का डर दिखाकर, ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों को अलॉटमेंट में घपले की बात कहकर डराता था। इस तरह करोड़ों की वसूली की जा चुकी है। कई अधिकारी तो धमकाने के अगले ही दिन रकम दे गए। गैंग के सदस्य पॉश इलाकों में अपार्टमेंट में रहते हैं और लग्जरी गाड़ियों से चलते हैं।
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