संवाद सहयोगी, हाथरस : मिड डे मील योजना का क्रियान्वयन कराने में अब ग्राम प्रधानों की रुचि नहीं है। नए प्रधान चुन लिए जाने के बाद अब करीब एक सौ चौदह ग्राम प्रधानों ने इस योजना से अलग रहने का निर्णय लिया है। अब जिलाधिकारी ने इन ग्राम पंचायतों में बच्चों को एनजीओ के जरिए मिड-डे मील उपलब्ध कराया जाएगा। इसके निर्देश जिलाधिकारी के स्तर से जारी हो चुके हैं। बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में दोपहर के वक्त मिड डे मील बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है, जिलें में करीब पन्द्रह सौ विद्यालय संचालित है,जिनमें तीन हजार से अधिक शिक्षक है। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में अभी तक एनजीओ के स्तर से मिड डे मील वितरित किया जाता था। 1देहात क्षेत्र के विद्यालयों में हेड मास्टर अपने सामने रसोईयों से मिड डे मील बनवाते है। बताते चले कि कनवर्जन कास्ट और खाद्यान्न के बजट में ग्राम प्रधान और हेड मास्टरों के संयुक्त हस्ताक्षर होते हैं। उसी के बाद पैसा आहरित हो पाता है, पूर्व में कई ग्राम प्रधान इसे लेकर विवादों में रह चुके है। 1अब नए ग्राम प्रधानों के चयनित हो जाने के बाद उनके उपर मिड डे मील योजना की जिम्मेदारी आनी थी। लेकिन जिले के करीब 114 ग्राम प्रधानों ने इससे दूरी बना ली और इसकी जानकारी जिलाधिकारी शमीम अहमद को दे दी। सासनी के 43, मुरसान के 26,हाथरस के 26,सादाबाद के 04 और सहपऊ के 15 ग्राम प्रधान शामिल है। ग्राम प्रधानों के दूरी बना लेने के बाद मिड डे मील वितरित कराने को लेकर सब परेशान हो गए। अब जिलाधिकारी ने इन ग्राम पंचायतों में एनजीओ के स्तर से मिड डे मील वितरित कराने के निर्देश बीएसए देवेन्द्र गुप्ता को दिए। बताते चले कि एनजीओ भी आए दिन मिड डे मील वितरित करने को लेकर विवादों में रहती है। अब अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल जाने के बाद क्या वो क्रियान्वयन बेहतर तरीके से कर पाएगी।
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