लखनऊ : मदरसा शिक्षकों के लिए प्रस्तावित ‘वेतन वितरण अधिनियम’ में वित्त विभाग ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग की तर्ज पर इसके नियम तैयार किये जाएं। अब अल्पसंख्यक कल्याण विभाग 22 फरवरी को आपत्तियां दूर करने पर विचार करेगा। इसके अतिरिक्त मदरसा शिक्षक सेवा नियमावली पर लगी आपत्तियां दूर करने पर चर्चा होगी।
मदरसा शिक्षकों को अब तक शासनादेश के जरिये वेतन मिलता था, इससे कई बार समय से वेतन नहीं मिल पाता था। बजट की कमी का बहाना बनाया जाता था। अधिनियम बनने के बाद यह दिक्कत दूर हो जाएगी, लेकिन वित्त विभाग ने प्रस्तावित अधिनियम के कई बिन्दुओं पर एतराज किया है। इस अधिनियम के अतिरिक्त तकरीबन डेढ़ साल से लंबित मदरसा शिक्षक सेवा नियमावली पर भी 22 को चर्चा होगी।
ध्यान रहे कि इस नियमावली में हज लिए 45 दिनों की छुट्टी का प्रावधान किया गया था, जिस पर विधायी विभाग ने आपत्ति लगाते हुए कहा कि धार्मिक कार्यो के लिए किसी संस्था में अवकाश की व्यवस्था हुई तो दूसरे विभागों में ऐसे अवकाश की मांग उठेगी। नियमावली न होने से मदरसों के संचालन का कोई नियम नहीं है। इससे मदरसा संचालक मनमानी करते हैं और मदरसा शिक्षक शोषण का शिकार होते हैं। कई शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिल रहा है। अनुदान में आने वाले मदरसों में प्रबंधक अक्सर शिक्षकों की नियुक्तियों में मनमानी करते हैं। कई बार भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते हैं।
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