शिक्षकों ने पढ़ा नवाचार का पाठ
जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर: शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए छात्रों तक शिक्षक द्वारा दी जाने वाली जानकारी ठीक प्रकार से पहुंचना जरूरी होता है। विषय को बोधगम्य बनाने के लिए पाठ्य वस्तु के प्रति रुचि जागृत करना अनिवार्य होता है। शिक्षा में नई विधियों का प्रयोग नवाचार कहलाता है इसका प्रयोग हर शिक्षक को करने की आवश्यकता है।1सोमवार को खलीलाबाद बीआरसी पर श्री अरिवंदों सोशायटी के निर्देशन में शिक्षकों को दिए जा रहे शून्य निवेश नवाचार प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। प्रशिक्षक अनुपम मिश्र ने कहा कि नवाचार शिक्षा तंत्र के लिए बहुउपयोगी तंत्र है। अनेक शिक्षकों द्वारा इसका प्रयोग प्रभावी रूप से किया भी जाता है परंतु उसे पहचान नहीं मिल पाने से अन्य विद्यालयों को लाभ नहीं मिल पाता है। शून्य निवेश नवाचार योजना के प्रसार के माध्यम से योग्य शिक्षकों के प्रयासों को पुरस्कृत करने के साथ ही इसका लाभ सभी विद्यालयों के माध्यम से समाज तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। शून्य निवेश का अर्थ समझाते हुए उन्होने कहा कि इसका आशय उन प्रयासों को माना जाता है जो विद्यालय और समुदाय के मौजूदा संसाधनों का सवरेत्तम प्रयोग करके नगण्य राशि से किए जाते हैं। इसके तहत शिक्षकों को अपने द्वारा किए जाने वाले प्रयोगों को संकलित करके आवेदन करना होगा। इसके बाद निर्णायक मंडल द्वारा 25 सर्वश्रेष्ठ का चयन करने के बाद उन्हे विभिन्न सम्मेलनों में शिक्षा समुदाय के सामने अपना विचार व्यक्त करने के लिए बुलाया जाएगा।1 प्रदेश भर के हर विद्यालयों को चुने गए 25 नवाचारों का क्रियान्वयन करना अनिवार्य होगा। इसके लिए हर स्कूल से एक शिक्षक को नामित किया जाएगा। वर्ष भर में एक बार सभी स्कूलों से नवाचार समीक्षा का फार्म भरा जाएगा जो इसके उपयोग से हुए प्रभावों के बारे में जानकारी देंगे। प्रशिक्षण में सभी को विस्तार से जानकारी दिया गया। इस दौरान बीएसए महेंद्र प्रताप सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी संध्या चतुर्वेदी, चंद्रशेषर मिश्र, विजय नाथ यादव, असरारूल हक, शिव प्रकाश शर्मा, अरिवंद पांडेय, दिलीप सिंह, सर्वेश सिंह, अहिल्या,घनश्याम सिंह, ज्योति प्रकाश, कृपाशंकर, खलीकुज्जमा अंसारी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर: शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए छात्रों तक शिक्षक द्वारा दी जाने वाली जानकारी ठीक प्रकार से पहुंचना जरूरी होता है। विषय को बोधगम्य बनाने के लिए पाठ्य वस्तु के प्रति रुचि जागृत करना अनिवार्य होता है। शिक्षा में नई विधियों का प्रयोग नवाचार कहलाता है इसका प्रयोग हर शिक्षक को करने की आवश्यकता है।1सोमवार को खलीलाबाद बीआरसी पर श्री अरिवंदों सोशायटी के निर्देशन में शिक्षकों को दिए जा रहे शून्य निवेश नवाचार प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। प्रशिक्षक अनुपम मिश्र ने कहा कि नवाचार शिक्षा तंत्र के लिए बहुउपयोगी तंत्र है। अनेक शिक्षकों द्वारा इसका प्रयोग प्रभावी रूप से किया भी जाता है परंतु उसे पहचान नहीं मिल पाने से अन्य विद्यालयों को लाभ नहीं मिल पाता है। शून्य निवेश नवाचार योजना के प्रसार के माध्यम से योग्य शिक्षकों के प्रयासों को पुरस्कृत करने के साथ ही इसका लाभ सभी विद्यालयों के माध्यम से समाज तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। शून्य निवेश का अर्थ समझाते हुए उन्होने कहा कि इसका आशय उन प्रयासों को माना जाता है जो विद्यालय और समुदाय के मौजूदा संसाधनों का सवरेत्तम प्रयोग करके नगण्य राशि से किए जाते हैं। इसके तहत शिक्षकों को अपने द्वारा किए जाने वाले प्रयोगों को संकलित करके आवेदन करना होगा। इसके बाद निर्णायक मंडल द्वारा 25 सर्वश्रेष्ठ का चयन करने के बाद उन्हे विभिन्न सम्मेलनों में शिक्षा समुदाय के सामने अपना विचार व्यक्त करने के लिए बुलाया जाएगा।1 प्रदेश भर के हर विद्यालयों को चुने गए 25 नवाचारों का क्रियान्वयन करना अनिवार्य होगा। इसके लिए हर स्कूल से एक शिक्षक को नामित किया जाएगा। वर्ष भर में एक बार सभी स्कूलों से नवाचार समीक्षा का फार्म भरा जाएगा जो इसके उपयोग से हुए प्रभावों के बारे में जानकारी देंगे। प्रशिक्षण में सभी को विस्तार से जानकारी दिया गया। इस दौरान बीएसए महेंद्र प्रताप सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी संध्या चतुर्वेदी, चंद्रशेषर मिश्र, विजय नाथ यादव, असरारूल हक, शिव प्रकाश शर्मा, अरिवंद पांडेय, दिलीप सिंह, सर्वेश सिंह, अहिल्या,घनश्याम सिंह, ज्योति प्रकाश, कृपाशंकर, खलीकुज्जमा अंसारी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।प्रशिक्षण में उपस्थित शिक्षिकाएं। जागरण
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