जासं, लखनऊ : राजधानी के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में एक अप्रैल से शुरू होगा। इसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत नर्सरी व कक्षा एक में गरीब विद्यार्थियों के दाखिले की डगर आसान नहीं है। जागरूकता की कमी और निजी स्कूलों द्वारा तरह-तरह के पेंच फंसाए जाने के कारण गरीब घरों के बच्चे अच्छे स्कूलों में दाखिला पाने से वंचित रहते हैं। राजधानी के स्कूलों में करीब 25 हजार सीटें गरीब विद्यार्थियों के लिए निश्शुल्क दाखिले के लिए आरक्षित हैं मगर इनमें से मात्र ढ़ाई प्रतिशत भी बामुश्किल भर पाती हैं। पिछले वर्ष करीब 680 विद्यार्थियों के दाखिले किए गए थे। इस बार अभी तक केवल 172 आवेदन फॉर्म आए हैं जिनका सत्यापन करवाया जा रहा है। अभी तक केवल 0.6 प्रतिशत सीटों पर ही आवेदन आए हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि पिछले दो सालों से आरटीई के तहत गरीब बच्चों के निजी स्कूलों में निश्शुल्क दाखिले को लेकर जागरूकता बढ़ी है। पहले तो बहुत कम दाखिले होते थे। उन्होंने बताया कि पिछले साल 680 के करीब विद्यार्थियों के दाखिले हुए। इस बार आरटीई के तहत चार चरणों में दाखिले होंगे। अभी 172 आवेदन आए हैं जिनका सत्यापन करवाया जा रहा है। बीएसए कहते हैं कि जो भी अभिभावक आवेदन करेंगे हम उनका सत्यापन करवाकर पास के स्कूल में गरीब विद्यार्थी का निश्शुल्क दाखिला करवाएंगे। चार चरणों में दाखिले जून तक होंगे। इसमें कक्षा एक व नर्सरी में दाखिले करवाए जाएंगे। बीएसए कार्यालय में गरीब अभिभावक अपने बच्चे का निश्शुल्क दाखिला करवाने के लिए सादे कागज पर प्रार्थना पत्र लिखकर आवेदन कर सकते हैं। 1450 रुपये शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं होती, संस्था का फॉर्म नहीं मानेंगे : इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष मधुसूदन दीक्षित कहते हैं कि एक संस्था अपने द्वारा छपवाए फॉर्म आरटीई के तहत दाखिले के लिए बांटे जा रहे हैं। इसका विरोध करते हैं और इसके माध्यम से जो आवेदन आएंगे।
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