जागरण संवाददाता, बिजनौर : यूनिफार्म वितरण में हुए भ्रष्टाचार की लपटों में प्रशासनिक अधिकारी भी आ गए है। यहीं कारण है कि ब्लाक स्तर पर यूनिफार्म वितरण की जांच के लिए बनाए गए प्रशासनिक अधिकारी भी एनपीआरसी की तैयार जांच रिपोर्ट को ही शिक्षा विभाग में अग्रसारित कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी की जांच रिपोर्ट पर एनपीआरसी के हस्ताक्षर हैं, पर नियुक्त अधिकारी के नहीं है। बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव ने यूनिफार्म में हो रहे घालमेल पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों से भी जांच कराने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने डीएम के निर्देश पर हर ब्लाक में प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त किया था। विभागीय अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में अनेक स्कूलों में यूनिफार्म रेडीमेड वितरण की गई। स्कूलों के मुख्याध्यापकों ने कपड़ा खरीदकर ट्रेलर से सिलाई कराकर बांटने की जगह माफिया से वितरण कराई है। विभागीय अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट विभाग में काफी पहले जमा करा दी, लेकिन कई ब्लाकों के प्रशासनिक अधिकारियों ने अभी तक जांच रिपोर्ट विभाग में दी नहीं है। एक-दो ब्लाक के अधिकारियों ने विभाग में जांच रिपोर्ट जमा कराई, तो उन जांच रिपोर्ट पर एनपीआरसी के हस्ताक्षर है, लेकिन जांच अधिकारी के नहीं है। जांच नहीं आने पर विभाग ने यूनिफार्म की अवशेष धनराशि 25 प्रतिशत रोक रखी थी। 31 मार्च को बजट लैप्स होने के भय और शिक्षकों के दबाव में विभाग यूनिफार्म की अवशेष धनराशि वितरण करने में जुटा हुआ है। यानी विभाग के अधिकारी जांच की सत्यता परखे बिना ही धनराशि स्कूलों में भेजने लगे है
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