जासं, बदायूं : बेसिक शिक्षा का ऐसा हाल कि हर बच्चा बेहाल। कहीं शिक्षक-शिक्षिकाओं व छात्र-छात्रओं का औसत अनुपात सही नहीं है तो दूसरी ओर तमाम विद्यालयों में शिक्षक-शिक्षिकाओं की भरमार है। विद्यालयों में शिक्षकों की जरूरत न होने के बाद भी उन्हें संबद्ध किया गया है। शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही तो कुछ विद्यालयों में मानक से ज्यादा शिक्षक होने के बाद भी शैक्षिक गुणवत्ता नहीं सुधर पा रही है।1प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रति विद्यार्थी शिक्षक-शिक्षिकाओं के मानक को दरकिनार किया जा रहा है। जरूरत न होने पर सहूलियत वाले विद्यालय में उन्हें संबद्ध किया गया है। नतीजा यह है कि तमाम विद्यालयों में शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात गड़बड़ा गया है। अकेले जगत विकास क्षेत्र की बात करें तो सूत्रों के अनुसार उनौला प्राथमिक विद्यालय में पंजीकृत 87 बच्चों को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक-शिक्षिकाएं, दौरी के उच्च प्राथमिक विद्यालय में 87 बच्चों पर 7 शिक्षक-शिक्षिकाएं, जाटव गौटिया प्राथमिक विद्यालय में 97 बच्चों पर 6 शिक्षक, मियागंज प्राथमिक विद्यालय में सौ बच्चों पर 5 का स्टाफ, बूंचा नगला के प्राथमिक विद्यालय में 78 बच्चों पर 5 का स्टाफ, झंडपुर प्राथमिक विद्यालय में 85 बच्चों पर 6 का स्टाफ कार्यरत है। वहीं खुनक प्रथम प्राथमिक विद्यालय में 247 बच्चों पर 2 का स्टाफ, नैथू प्राथमिक विद्यालय में 203 बच्चों के लिए 3 का स्टाफ, नवादा प्राथमिक विद्यालय में 330 बच्चों पर मात्र तीन का स्टाफ, उनौला उच्च प्राथमिक विद्यालय में 300 बच्चों को मात्र 3 का स्टाफ ही है। जगत ब्लॉक के अलावा अन्य ब्लॉकों के तमाम विद्यालयों में स्टाफ की कमी है और कुछ विद्यालय मानक से ज्यादा शिक्षकों के चलाए जा रहे हैं।किसी विद्यालय में औसत से ज्यादा तो तमाम विद्यालयों में बिगड़ा है छात्र-शिक्षक अनुपातशिक्षक-शिक्षिकाओं के अटैचमेंट का तो प्रावधान ही नहीं है। व्यवस्था बनाने के लिए कभी-कभार अटैचमेंट तो किया जाता है, लेकिन इतना ज्यादा अटैचमेंट गलत है। अब तो विभाग के पास शिक्षकों की कमी नहीं रही तो ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। बीएसए को व्यवस्था बनाने व नियमानुसार कार्य करने के निर्देश दिए जाएंगे।
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