संवाद सहयोगी, हाथरस : पिछले कई सालों से बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में परीक्षा के नाम पर लकीर पीटी जा रही थी। लेकिन इस बार शासन स्तर पर बैठे अधिकारियों ने गंभीरता दिखाई,बजट जारी कर बेहतर ढंग से परीक्षा कराने के निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन परीक्षा में तमाम परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। बीएसए अब ऐसे लापरवाह शिक्षकों को चिन्हित करा रहे हैं, जिन्होंने परीक्षा में बेहतर ढंग से कार्य नहीं किया। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में परीक्षाओं के नाम पर लकीर पीटी जाती थी। विद्यालयों में तैनात शिक्षक व शिक्षिकाएं बजट न होने का रोना रोते रहते थे। शासन स्तर पर बैठे अधिकारियों ने इसको गंभीरता से लिया। इस बार परीक्षाओं को कराने के लिए बजट जारी कर दिया गया था। प्रश्नपत्र बीएसए देवेन्द्र गुप्ता की समिति के स्तर से छपवाए गए। वही परीक्षाएं विद्यालयों में आयोजित कराई गई। बताते चलें कि सवा लाख बच्चे विद्यालयों में पढ़ते है, लेकिन परीक्षाओं में शत प्रतिशत बच्चे उपस्थित नहीं हो पाये, जबकि विद्यालयों के शिक्षकों को सख्त निर्देश दिए गए थे कि वो बच्चों क ो घरों से बुलाकर विद्यालयों तक लाये और परीक्षा में शामिल कराये। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य अब ब्लाक संसाधन केंद्रों पर चल रहा है। तीस मार्च को विद्यालयों में बच्चों को रिजल्ट वितरित कराया जायेंगे। बताते चले कि परीक्षा में शत प्रतिशत बच्चों के शामिल न हो पाने से अधिकारी परेशान है। ऐसे में अब शिक्षकों को चिन्हित किया जा रहा है जिन्होंने परीक्षा में रूचि नहीं ली। हेड मास्टरों को दिए गए थे बच्चों को स्कूल लाने के निर्देश , परीक्षार्थी गैरहाजिर रहने से अब अधिकारी हुये परेशान
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