प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में दोपहर के वक्त बच्चों को मिड डे मील दिया जाता है। मगर, बजट समय से न मिल पाने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस बार सत्र की शुरुआत होते ही शासन स्तर पर बैठे अधिकारियों ने बजट जारी कर दिया है। रसोइयों के मानदेय और कनवर्जन कास्ट के लिए करीब सवा दो करोड़ का बजट जारी कर दिया गया है। समय से बजट मिल जाने पर अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। करीब 15 सौ से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में दोपहर के वक्त मिड डे मील दिया जाता है। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में जहां एनजीओ मिड डे मील वितरित करता है, तो देहात क्षेत्र के विद्यालयों में रसोइयां मिड डे मील बनाते हैं, लेकिन समय से न तो कनवर्जन कास्ट का बजट दिया जाता है और न ही रसोइयों को मानदेय उपलब्ध कराया जाता। इस कारण शिक्षकों व विद्यालयों में तैनात रसोइयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कनवर्जन कास्ट में देरी हो जाने पर हेड मास्टरों को अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है। बीते सत्र में कई लाख रुपये वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय से मिड डे मील के 31 मार्च से पहले ही वापस कर दिए गए। रसोइयों को मानदेय न मिल पाने के कारण उनके समक्ष आर्थिक तंगी पैदा हो गई। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया। स्कूलों में छात्रों का नामांकन अधिक हो सके। इसके लिए रैली आदि निकाली जा रही है। मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण ने योजना की गंभीरता को देखते हुए अब बजट जारी कर दिया है। 95 लाख रुपये का बजट रसोइयों के मानदेय के लिए जारी किया गया है। जबकि एक करोड़ 30 लाख रुपये का बजट कनवर्जन कास्ट के लिए दिया गया है। समय से बजट मिल जाने से अधिकारियों के चेहरे खिले हुए हैं, क्योंकि उन्हें अब शिक्षकों और रसोइयों के आक्रोश का सामना नहीं करना पड़ेगा।इस सत्र में रसोइयों के मानदेय के अलावा कनवर्जन कास्ट के लिए सवा दो करोड़ का बजट मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण से प्राप्त हो गया है।
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