माल : राजधानी के माल इलाके के मुसरिहन खेड़ा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका की सूझबूझ से 25 बच्चों की जान बच गई। स्कूल में बने षट्कोणीय मॉडल के भूकंपरोधी कमरे में ईंटों के खिसकने की सरसराहट सुनते ही शिक्षिका बच्चों को लेकर क्लास से बाहर भागी और अगले ही पल पूरा कमरा मलबे में तब्दील हो गया।
सोमवार सुबह 9 बजे स्कूल के सभी कमरों में क्लासेज चल रही थीं। भूकंपरोधी कमरे में 25 बच्चे पढ़ रहे थे। प्रत्यक्षदर्शी एक शिक्षिका के मुताबिक, अचानक भूकंपरोधी कमरे से टीचर व बच्चे शोर मचाते हुए बाहर की तरफ भागते हुए नजर आए। इससे पहले कोई कुछ समझ पाता कि पूरा कमरा भरभरा कर गिर गया। हादसा देख स्कूल में मौजूद सभी बच्चे व अध्यापक सहम गए और कमरों से बाहर निकलकर बाग में आ गए। बच्चे रोने लगे तो अभिभावकों को जानकारी दी गई। भूकंपरोधी कमरे में मौजूद शिक्षिका ने बताया कि वह बच्चों को पढ़ा रही थी, तभी यह हादसा हुआ।
यह कमरा भूकंपरोधी नहीं था। सोमवार को इसमें बच्चे भी नहीं पढ़ रहे थे। 2001 में गुम्बद के आकार वाले कुछ कमरे बनवाए गए थे। उस डिजाइन में गड़बड़ी थी, इसीलिए उस तरह के कमरों का निर्माण बंद हो गया था। जांच के निर्देश दिए गए हैं। - प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए
घटना के बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीण स्कूल की हालत देख आक्रोशित हो गए। ग्रामीणों का आरोप था कि घूसखोरी के कारण 2001 में बना कमरा ढह गया। इसके कारण कई बच्चों की जान पर बन आई। आक्रोशित ग्रामीणों को प्रधानाचार्या मधु वर्मा, सहायक अध्यापिका सुषमा व सुमनदेवी तथा शिक्षामित्र सर्वेश कुमार ने समझाकर शांत कराया।
घटना से सहमे बच्चे रोने लगे। टीचरों उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वे शांत नही हुए। ग्रामीणों के साथ स्कूल पहुंचे अभिभावकों ने बच्चों को गोद में उठा लिया और उन्हें चुप करवाया। किसी ग्रामीण ने यह नहीं देखा कि वे बच्चे किसके हैं। कोई बच्चे को गांव में ले गया तो किसी ने पेड़ में लगे आम दिखाकर उन्हें बहलाया।
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