राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालयों और राजकीय व अशासकीय सहायताप्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने के मामले में भारी-भरकम खर्च रोड़ा बना हुआ है। विश्वविद्यालयों और सहायताप्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने पर अगले तीन शैक्षिक सत्र में 507.59 करोड़ और 62 साल में रिटायर होने पर पेंशन मद में 298.97 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को 65 साल में रिटायर करने पर वेतन मद में 139.16 करोड़ रुपये और पेंशन मद में 102.74 करोड़ रुपये खर्च होगा। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों की रिटायरमेंट उम्र को बढ़ाकर 65 साल करने पर आने वाले खर्च का आकलन करते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने फाइल वित्त विभाग को भेज दी है। अभी राज्य विश्वविद्यालयों व अशासकीय सहायताप्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षक 62 वर्ष और राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षक 60 वर्ष में रिटायर होते हैं। शिक्षक अरसे से अपनी सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 साल करने की मांग कर रहे हैं। इस मसले पर कुछ अरसा पहले मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठक हुई थी। बैठक में उच्च शिक्षा विभाग को इस मामले में कार्मिक और वित्त विभागों से परामर्श लेने का निदेश दिया गया था कार्मिक विभाग ने पहले वित्त विभाग का अभिमत लेने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लिया था जबकि वित्त विभाग ने यह कहते हुए उच्च शिक्षा विभाग को फाइल वापस कर दी थी कि पहले वह इस बारे में अपना स्पष्ट अभिमत और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर आने वाले खर्च का आकलन कर लें। अब उच्च शिक्षा विभाग ने खर्च का आकलन करते हुए फाइल फिर से वित्त विभाग को भेजी है।
No comments:
Write comments