जासं, इलाहाबाद : कान्वेंट स्कूलों ने हर साल की तरह इस बार भी अभिभावकों के घर का बजट बिगाड़ दिया है। इस बार कान्वेंट स्कूलों ने आठ से 15 फीसद फीस बढ़ा दी है। इससे अभिभावकों में गुस्सा है। फिर से फीस क्यों बढ़ाई गई इसे लेकर अभिभावकों की संचालकों से बहस शुरू हो गई है। इससे मध्यमवर्गीय परिवार ज्यादा परेशान हैं लेकिन बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह संचालकों की मनमानी बर्दाश्त करने को मजबूर हैं। फीस ऐसे समय बढ़ाई गई है जब अभिभावक दूसरे स्कूल का रुख भी नहीं कर सकते। दैनिक जागरण ने इस संबंध में अभिभावकों से बातचीत की तो उन्होंने अपना दुखड़ा रोया। बिशप जॉनशन स्कूल एंड कालेज ने इस वर्ष भी फीस बढ़ाई है। नर्सरी से आठ तक की कक्षाओं की फीस प्रति माह दो सौ रुपये बढ़ाई गई है। अब अभिभावकों को तिमाही एक छात्र पर छह सौ रुपये अतिरिक्त देने होंगे। इसी तरह गल्र्स हाईस्कूल एंड कालेज ने कक्षा एक से पांच तक की फीस बढ़ा दी है। प्रति छात्र पर हर तिमाही 480 रुपया अतिरिक्त जमा करना होगा। इससे परेशान बैरहना के अनिल सिंह कहते हैं कि शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में मेरे दो बेटे कक्षा चार व पांच में पढ़ते हैं। मैं एक प्राइवेट सेंटर में नौकरी करता हूं। कंपनी से वेतन नहीं बढ़ा लेकिन बच्चों की फीस जरूर बढ़ गई है। जार्जटाउन की अनुष्का तोमर कहती हैं कि मेरी तीन बेटियां कान्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं। पहली बेटी दो में दूसरी पांच में और तीसरी बेटी आठ में पढ़ती है। अचानक फीस बढ़ाए जाने से घर का बजट बिगड़ गया है। ये सरासर मनमानी है। प्रशासन का कान्वेंट स्कूलों पर कोई नियंत्रण नहीं है। वह अपनी व्यवस्था अपने तरीके से चलाते हैं। नैनी की रश्मि सोनी के भी दो बच्चे कान्वेंट में पढ़ते हैं। फीस बढ़ाए जाने से वह भी नाराज हैं लेकिन बच्चे को स्कूल से बाहर न कर दिया जाए इसलिए खामोश हैं। अब तो स्कूलों ने बैंक के माध्यम से फीस जमा करानी शुरू कर दी है ताकि अभिभावक इस मुद्दे पर बहस न कर सकें।कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया जाता है। कालेज में तमाम सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं ताकि छात्रों को बेहतर माहौल और अच्छी शिक्षा दी जा सके। इसी कारण कुछ बढोत्तरी की जाती है।
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