- जब किताबें नहीं तो कैसे पढ़ाई करें छात्र
- परवान नहीं चढ़ पा रहा नया शैक्षिक सत्र
- मिडडे मील में उलझे रहते हैं बच्चे
शिक्षा विभाग द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त किताबें दिए जाने का प्रावधान है। पिछले साल नया सत्र शुरू होने पर कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को किताबें मुहैया करा दी गई थी, लेकिन इस बार अब तक बच्चों को किताबें नहीं मिल सकी हैं। प्राइमरी स्कूल में बिन कोर्स बच्चे क्या पढ़ रहे है कोई पूछने वाला नहीं है। इसके अलावा अब तक किसी स्कूल में बच्चों को ड्रेस भी नहीं बंटी है। ज्यादातर स्कूलों में छात्र मिडडे मील के चक्कर में ही उलङो रहते हैं।
जियामऊ के प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक स्कूल में सोमवार को देखने पर पता चला कि कुछ बच्चों को ही एक दो पुरानी किताबें मात्र मिली हैं। एक छात्र रोहित ने बताया कि शिक्षक ने उसे पुरानी किताब दी थी, उसी से पढ़ रहे हैं। ड्रेस न मिलने के कारण बच्चे फटी पुरानी ड्रेस में आए हुए थे।
उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालयों का नया सत्र पहली अप्रैल से शुरू कर दिया गया, लेकिन छात्रों को निशुल्क किताबें जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही मिलने की संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि किताबों के मुद्रण के लिए शासन स्तर से अब तक किसी को टेंडर ही नहीं दिया गया है। सीबीएसई की तर्ज पर शासन ने गत वर्ष से ही परिषदीय विद्यालयों का नया सत्र पहली अप्रैल से कर दिया था। पिछले सत्र में भी अव्यवस्था व लेटलतीफी के चलते छात्रों को किताबें जुलाई से लेकर सितंबर तक मिल पाई थीं। इस वर्ष भी नया सत्र तो समय से एक अप्रैल से शुरू हो गया, लेकिन बच्चों को नई किताबें जुलाई से पहले मिल पाने की उम्मीद कम ही है। तब तक छात्र फटी पुरानी किताबों के सहारे ही पढ़ाई करते रहेंगे।
- बिना तैयारी के सत्र शुरू करने का कोई मतलब नहीं
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