पुरानी कहावत है कि ‘कौआ चला हंस की चाल’। यहां कौआ हंस की चाल तो चला लेकिन अपनी चाल ही भूल गया। कुछ यही स्थिति बेसिक परिषद के स्कूलों की है। परिषदीय स्कूलों में इस साल सीबीएसई की तर्ज पर नया सत्र एक अप्रैल से शुरू कराने की पहल की गई थी। शिक्षा का स्तर सुधारने और बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिये भी काफी प्रयास किए गए थे, लेकिन सीबीएसई की तर्ज पर पढ़ाई तो दूर इन स्कूलों में नई किताबों की छपाई तक नहीं हुई है। जिसके चलते पुरानी किताबों से ही पढ़ाई कराने का मन बनाया गया, लेकिन हालत ये है कि बच्चे पुरानी किताबों के लिए भी तरस रहे हैं। नए सत्र का एक महीना पूरा होने वाला है। तीन दिन पहले डीआइओएस दफ्तर पर राजकीय कन्या इंटर कॉलेज नरौना के प्रधानाचार्य इसी समस्या को लेकर आए थे। उनके हाथ में किताबें दिलाने संबंधी बीएसए के नाम लिखा एक पत्र था। उन्होंने बताया कि कक्षा छह में 50, सात में 50 और आठ में 51 बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन उनके लिए पुरानी किताबें नहीं भेजी गई हैं। इस पर लेखाधिकारी अश्विनी कुमार पांडेय ने तत्काल पुस्तकें भिजवाने का आश्वासन दिया। सभी जगह किताबें मुहैया कराने के निर्देश दिये हैं। कभी-कभी बच्चे एक साल तक पढ़ते हुए किताब फाड़ देते हैं। कुछ जगहों पर दिक्कत आ रही होगी। समस्या संज्ञान में आएगी तो तत्काल उसको दूर किया जाएगा।संजय कुमार शुक्ल, बीएसए
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