लखनऊ (डीएनएन)। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होने वाले मॉडल स्कूलों को सीबीएसई ने मान्यता देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह है कि अब तक सीबीएसई बोर्ड की मान्यता के लिए जो मानक होने चाहिए थे, उसे मॉडल स्कूलों ने पूरा नहीं किया। अब बोर्ड ने इस मामले में छह बिंदुओं पर जवाब तलब किया है। उधर, मान्यता न मिलने से 191 मॉडल स्कूलों के संचालन पर भी ब्रेक लगना तय है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा ने मंगलवार को जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र जारी कर सीबीएसई की आपत्तियों पर जवाब मांगा है।ग्रामीण क्षेत्र की छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में 191 मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई है। केंद्र सरकार ने इन स्कूलों को संचालित करने से हाथ खड़े करते हुए राज्य सरकार पर इसकी जिम्मेदारी डाल दी। लिहाजा प्रदेश सरकार ने इन मॉडल स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर सीबीएसई बोर्ड से संचालित करने का निर्णय लिया। हालांकि राज्य सरकार ने प्रत्येक मंडल में से एक-एक (कुल 18) मॉडल विद्यालयों को समाजवादी अभिनव विद्यालय योजना के नाम से चलाने का निर्णय लिया। जबकि इसके अलावा प्रदेश भर में 173 मॉडल स्कूल सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी (पीपीपी मोड) पर संचालित करने की बात कही। विभागीय अधिकारियों का दावा था कि जल्द ही सीबीएसई से इन स्कूलों को मान्यता मिल जाएगी। लेकिन अब मानक न पूरे होने की वजह से सीबीएसई ने हाथ खडे़ कर दिए। सीबीएसई ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा को भेजे पत्र में इन मॉडल स्कूलों को लेकर सरकारी दावों के पोल खोल दी है। बोर्ड ने साफ कहा है कि इन मॉडल स्कूलों में न तो स्वच्छता के इंतजाम हैं और न ही पीने के पानी तक की व्यवस्था है। फायर सेफ्टी के प्रमाण पत्र तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। साथ ही स्कूलों में टीचिंग स्टाफ तक न उपलब्ध होने पर भी सवाल उठाए गए हैं।
मॉडल स्कूलों के समय से संचालन में शुरुआत से ही लापरवाही बरती गई। यही वजह है कि पिछले साल शुरू होने वाले मॉडल स्कूल अभी तक नहीं शुरू हो सके। हद तो यह है कि पीपीपी मॉडल पर जिन मॉडल स्कूलों को संचालित किए जाने की बात की जा रही थी, उनमें से एक भी पार्टनर का नाम नहीं भेजा गया है। सीबीएसई बोर्ड ने भी सवाल उठाया है। बोर्ड ने कहा है कि इन स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर संचालित किए जाने की बात कही गई थी। लेकिन अभी तक कोई भी प्राइवेट पार्टनर नहीं तलाशा गया है जो प्रिंसिपल व शिक्षकों की तैनाती के साथ लाइब्रेरी, लैब और स्कूल में दूसरी सुविधाओं की व्यवस्था कर सके।
मोहनलालगंज स्थित समाजवादी अभिनव विद्यालय करौरा में कक्षा नौ में दाखिले के लिए 25 अप्रैल को हुई प्रवेश परीक्षा के बाद अब कॉपियों का मूल्यांकन शुरू हो गया है। संयुक्त शिक्षा निदेशक दीप चंद ने बताया कि हमारी कोशिश है कि इसी सप्ताह के अंत तक प्रवेश परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए जाएं। उत्तीर्ण छात्रों का रिजल्ट वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा। विदित हो कि कक्षा नौ में 40-40 सीटोंं के दो सेक्शन पर दाखिले होने हैं।
लखनऊ। भले ही नए शैक्षिक सत्र से शुरू हुए समाजवादी अभिनव विद्यालयों में बच्चों को सीबीएसई बोर्ड की पढ़ाई कराने के दावे किए गए हों, लेकिन विभाग के अफसरों ने सीबीएसई बोर्ड पढ़ाने की जिम्मेदारी यूपी बोर्ड से संचालित राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों को सौंप दी है। ऐसे में यूपी बोर्ड के शिक्षकों को सीबीएसई बोर्ड पढ़ाने में दिक्कतें आना तय है। राजधानी के मोहनलालगंज स्थित समाजवादी अभिनव विद्यालय करौरा के संचालन के लिए जिन शिक्षकों को सम्बद्घ किया गया है वह राजकीय विद्यालयों के हैं। इनमें सात एलटी ग्रेड, एक प्रधानाचार्य, एक कनिष्ठ लिपिक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। अब इन शिक्षकों को सीबीएसई बोर्ड की पढ़ाई करानी पड़ेगी। सूत्रों की मानें तो इसको लेकर कई शिक्षकों ने अभी तक ज्वाइन भी नहीं किया है, जिसकी जानकारी विद्यालय की प्रधानाचार्य ने संयुक्त शिक्षा निदेशक को भेजी है। हालांकि संयुक्त शिक्षा निदेशक दीप चंद का कहना है कि शासनादेश में इन विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से चलाने की बात कही गई है, लेकिन पता चला है कि समाजवादी अभिनव विद्यालयों को राजकीय की तर्ज पर चलाया जाएगा। मैं स्पष्ट रूप से आदेश देखने के बाद ही कुछ कह सकूंगा।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत 2010-11 में स्वीकृत एवं निर्माणाधीन मॉडल स्कूल थावर काकोरी की जांच में कमियां मिली हैं। जांच रिपोर्ट के मुताबिक कमरों की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। भवन के बाहर पानी निकासी की व्यवस्था तक नहीं की गई। इसके अलावा यहां ब्लैक बोर्ड अधूरे पड़े हैं और अग्निशमन कार्य भी नहीं कराया गया। जांच रिपोर्ट में सीसी निर्माण कार्य न कराए जाने की भी बात सामने आई है। इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश कुमार त्रिपाठी ने निर्देश दिए हैं कि विद्यालय केनिर्माण में जो भी कमी है उसे कार्यदायी संस्था से निस्तारित कराते हुए विद्यालय भवन हस्तगत कराया
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