इसे महज इत्तेफाककहेंगे अथवा साजिश के तहत रचा गया कुचक्र। एक कागजात पर दो जिलों में नौकरी का मामला सामने आने के आरोपों के घेरे में आए शिक्षक रामचंद्र के दस्तावेजों में घालमेल सामने आ रहा है। परसेंडी ब्लॉक में तैनात रामचंद्र की तैनाती वर्ष 1996 में हुई थी और उसने सेवारत बीटीसी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। चौंकाने वाला तथ्य है कि डायट प्राचार्य सीतापुर ने रामचंद्र का जो अंकपत्र जारी किया था उस पर मृतक आश्रित दर्ज है। उससे हैरान करने वाली बात यह है कि रामचंद्र के पिता सधारीलाल खेती करते थे और किसी भी सरकारी सेवा में नही रहे। ऐसा ही रामचंद्र के दस्तावेजों पर अमेठी में नौकरी करने वाले उसके भाई बदलू के साथ भी हुआ है। परसेंडी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय चिलमा में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत रामचंद्र के मूल दस्तावेज में सेवारत बीटीसी 2010 के अंकपत्र पर मृतक आश्रित दर्ज है। तत्कालीन डायट प्राचार्य सीतापुर द्वारा जारी अंकपत्र का क्रमांक एम 1082 है। उधर रामचंद्र के ही नाम से अमेठी जिले के बहादुरपुर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सराय महेशा में तैनात इनके भाई बदलू का सुल्तानपुर डायट प्राचार्य द्वारा वर्ष 2014 में अंकपत्र जारी किया गया था। इस अंकपत्र का क्रमांक 14000632 है और इस पर भी सेवारत बीटीसी मृतक आश्रित दर्ज है। रामचंद्र के नियुक्ति पत्र में साफ अंकित है कि 6 जुलाई वर्ष 1996 में उसने रेउसा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय सेमरा जदीद में उर्दू शिक्षक के रूप में तैनाती हुई है। ऐसे में सेवारत बीटीसी के अंकपत्र पर मृतक आश्रित कैसे दर्ज है। ऐसे में जाहिर है कि कथित रामचंद्र के नाम पर अमेठी जिले से सरकारी पगार लेने वाले बदलू ने जालसाजी करके नौकरी हथियाई है। इससे इतर रामचंद्र की मूल सेवा पुस्तिका का लापता हो जाना और बगैर किसी कारण के दूसरी सेवा पंजिका बनवाया जाना निश्चित रूप से किसी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है। सेवारत बीटीसी अंकपत्र पर मृतक आश्रित दर्ज होने का मामला बेहद पेचीदा है। इस पूरे मामले की जांच आने के बाद ही हकीकत सामने आ सकेगी। शिक्षक रामचंद्र के मामले की जांच कराई जा रही है।
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