बेसिक शिक्षा के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों मे बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जाती हैं, लेकिन इस सत्र की किताबों को लेकर जिला स्तर से लेकर शासन पर बैठे अधिकारी गंभीर नहीं है। यदि जून माह में किताबों के आने की संभावना कम ही लग रही है। एक जुलाई से विद्यालय खुल जायेंगे और बच्चों को बिना किताबों के ही पढ़ना पड़ेगा। सर्व शिक्षा अभियान के तहत करोड़ों रूपये का बजट हर साल प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संचालित योजनाओं के लिए दिया जाता हैं, लेकिन शत प्रतिशत बच्चों को समय से योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। बताते चलें कि विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जाती हैं। शासन स्तर से किताब खरीदनें का आदेश जारी होता है। उसके बाद जिला स्तर पर प्रक्रिया को पूरा करने के बाद किताबों को छपवाया जाता है। किताबों को ब्लाक संसाधन केंद्रों पर पहुंचाया जाता है। उसके बाद संबंधित विद्यालय का हेड मास्टर छात्र संख्या के आधार पर किताबों को लेकर जाते हैं। उसके बाद किताबों का वितरण बच्चों को कराया जाता है। एक अप्रैल से नवीन सत्र की शुरूआत हो चुकी है, लेकिन किताबों को लेकर विभाग मे कोई हलचल नही है। बताते चले के माध्यमिक के कक्षा आठ तक के एडेड स्कूलों के अलावा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के करीब एक लाख 47 हजार बच्चों को किताबों का वितरण होना है। जून माह में किताबों की प्रक्रिया पूरी होती दिखाई नही दे रही है। जुलाई में विद्यालयों के खुल जाने पर एक बार पुन कहीं बच्चों को पुरानी किताबों से ही न पढ़ने को मजबूर होना पड़े। किताबों को लेकर शासन से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं, जैसे ही निर्देश आते है प्रक्रिया शुरू करा दी जायेगी
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