परिषदीय स्कूलों में बच्चों को लाने के लिए शिक्षा विभाग ने पूरे अप्रैल माह तक अभियान चलाया। गांवों में जागरूकता के लिए रैलियां निकाली, लेकिन रैलियों और शिक्षा विभाग के दावों की हकीकत दिखाने के लिए कैराना की बंजारा बस्ती काफी है। इस बस्ती में आज भी सैकड़ों परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। कारण कुछ भी हो, लेकिन इन बच्चों के लिए आज भी काला अक्षर भैंस बराबर ही है। नया शैक्षिक सत्र 16-17 शुरू हो गया। परिषदीय विद्यालयों में अधिक से अधिक प्रवेश करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा जनपद में खूब रैलियां निकाली गईं और बच्चों को स्कूल में लाने का प्रयास किया गया। लेकिन इसी शिक्षा विभाग ने कैराना में इतनी बड़ी लापरवाही की, कि यहां पर सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित रह गए। कैराना में सरकारी अस्पताल के पीछे बंजारा बस्ती है। इस बस्ती में करीब दो सौ छह से चौदह वर्ष तक के बच्चे हैं। इन बच्चों से यदि बात की जाए तो हैरत में पड़ जाएंगे, क्योंकि इनके लिए काला-अक्षर भैंस बराबर है। आज तक इस बस्ती के बच्चों का एडमिशन किसी भी स्कूल में नहीं कराया गया। ऐसे में साफ है कि शिक्षा विभाग की जागरूकता रैलियों में कितने गंभीरता और मन से कार्य किया गया होगा। साहब.. कहां पढ़ाए अपने बच्चे? बस्ती निवासी मुरसलीन का कहना है कि हम गरीब बंजारा लोग हैं, हम अपने बच्चों को कहां पढ़ाएं? आर्यपुरी देहात में जाते हैं तो बच्चों का प्रवेश नहीं लेते और आसपास अन्य कोई स्कूल नहीं है। हमारी हैसियत इतनी नहीं है कि हम अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकें।नेताओं के खूब लगाए चक्कर, मिला सिर्फ आश्वासन बंजारा बस्ती में सैकड़ों बच्चे बिना पढ़े हैं, इसी के चलते बस्ती के लोगों ने कई बार स्थानीय जन प्रतिनिधियों के पास जाकर बस्ती में विद्यालय बनवाने की मांग की, लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है। अभी तक कोई सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया गया है।‘‘यह बड़ी गंभीर बात है, मेरे संज्ञान में इस तरह का मामला नहीं है, मैं स्वयं इन बच्चों को दिखवाउंगा और जरूरत पड़ी तो वहां पर नए स्कूल के लिए प्रस्ताव मंगाया जाएगा’’ चंद्रशेखर बीएसए शामली।
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