बेसिक शिक्षा के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अब निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति नहीं होगी। इसके लिए जिलाधिकारी के स्तर से बीएसए को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जुलाई में निरीक्षण के दौरान विभाग के अधिकारियों को विद्यालयों में समय देना होगा। बच्चों को खुद पढ़ाना होना, जिससे की शिक्षकों को भी तजुर्बा मिल सके। जिले में करीब 1591 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत तमाम योजनाओं का क्रियान्वयन होता है। जिसमें मिड डे मील, नि:शुल्क किताबें और यूनीफार्म आदि का वितरण शामिल है। तमाम विद्यालयों में योजनाओं का लाभ बच्चों को समय से नहीं दिया जाता है। बताते चलें कि विद्यालयों का निरीक्षण कर शैक्षिक स्तर में सुधार कराने की जिम्मेदारी एनपीआरसी और एबीआरसी को दे रखी है। समय-समय पर खंड शिक्षा अधिकारियों को भी निरीक्षण की जिम्मेदारी शासन स्तर से तय की जाती है, लेकिन निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति की जाती है, जिसके कारण शैक्षिक स्तर सुधर नहीं रहा है। जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने विद्यालयों के खराब शैक्षिक स्तर पर नाराजगी व्यक्त की थी। अब ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद जब विद्यालय खुलेंगे, तब निरीक्षणकर्ताओं को विद्यालयों में समय देना होगा। बच्चों को पढ़ाना भी होगा। योजनाओं पर नजर रखनी होगी, ताकि विद्यालयों का शैक्षिक स्तर सुधर सके। इसके लिए जिलाधिकारी की ओर से बीएसए रेखा सुमन को दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
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