PASTE NEWS OVER MEसरकारी स्कूलों में शौचालय नहीं होने का बड़ा दर्द टॉयलेट जाने के डर से पानी नहीं पीतीं शिक्षिकाएं
घंटो लघुशंका रोकने से हो रहा किडनी इंफेक्शन
28 से 32 हजार रुपये महीने की सरकारी नौकरी क्या जान से बढ़ कर है? कतई नहीं..। लेकिन शहरी क्षेत्र के बेसिक शिक्षा परिषद के दो दर्जन स्कूलों में कार्यरत शिक्षिकाएं अपनी जिंदगी दांव पर लगा कर नौकरी करने को मजबूर हैं। इन स्कूलों में शौचालय नहीं होने से वह टॉयलेट नहीं जा पाने के कारण बीमार हो रहीं हैं।
शिक्षिकाओं के मन में टॉयलेट नहीं होने का डर इस कदर है कि वह स्कूल आने के बाद भीषण गरमी में भी घंटों पानी नहीं पीतीं। पानी पीते ही उन्हें टॉयलेट जाने का डर सताने लगता है। लघुशंका होने पर घंटों टॉयलेट नहीं जाने से उन्हें किडनी में इंफेक्शन की शिकायत होने लगी हैं। हाल में दुर्गाबाड़ी निवासी एक शिक्षिका इस कारण से किडनी की गंभीर समस्या से परेशान होकर अस्पताल पहुंच गईं।
बड़ा सवाल है कि बालिकाओं को पीरियड होने पर आशा के माध्यम से फ्री में सेनेटरी नैपकिन बांटने का दावा करने वाली सरकारें स्कूलों में शौचालय तक नहीं बनवा पा रही हैं। केंद्र में सत्ता संभालने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने एक साल में सभी सरकारी स्कूलों में शौचालय बनवाने का वादा किया था। बाकायदा सांसदों को जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी, पर दो साल बाद भी इसपर अमल नहीं है।
क्या कहती हैं स्कूल की शिक्षिकाएं
शौचालय ना होने से महिला शिक्षक परेशान
'विद्यालय में शौचालय न होने से बहुत परेशानी है। टॉयलेट के लिए दूसरे घरों में जाना पड़ता है। बच्चे भी परेशान हैं। इसका समाधान होना चाहिए।'
- गरिमा, अध्यापिका
'परिषदीय स्कूल किराए के मकान में चल रहा है। यहां टॉयलेट नहीं है। ऐसे में दूसरे घर में टॉयलेट के लिए जाना पड़ता है। विद्यालय में गंदगी भी बहुत है।'
- नजमा खातून, अध्यापिका
'शौचालय विहीन विद्यालयों में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक परेशान हैं। उन्हें सुरक्षित स्थान चाहिए। इसकी कमी से उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत है।'
-बिंदु शर्मा, अध्यापिका
'भीषण गरमी में कम पानी पीने से संक्रामक बीमारियां होती हैं। इसके अलावा लघुशंका होने पर शौचालय की सुविधा नहीं मिलने और लगातार ये समस्या रहने पर किडनी में इंफेक्शन का खतर होता है। महिलाओं को सुरक्षित शौचालय की सुविधा मिलनी ही चाहिए। यह जरूरी है।'
-डॉ. अल्पना बंसल
नगर शिक्षा अधिकारी को घेरेंगे
यदि कोई स्कूली बच्चा खुले में शौच करता मिला तो इसकी जिम्मेदारी वहां के हेडमास्टर की होगी और 500 रुपये का जुर्माना भी उसी से वसूला जाएगा। प्रशासन के इस फरमान को अमलीजामा पहनाने के लिए जिस तरह की हिदायत नगर शिक्षा अधिकारी ने दी है, उसे लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ में जबरदस्त आक्रोश है।
प्राथमिक शिक्षक संघ की महानगर इकाई के अध्यक्ष अंसार कुरैशी, मंत्री अजयपाल शर्मा ने कहा है कि इसके लिए हेडमास्टर या शिक्षक जिम्मेदार नहीं और न ही वह जुर्माना देगा। काफी परिषदीय स्कूलों में शौचालय नहीं है। शिक्षक नेताओं ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी (नगर क्षेत्र) के कार्यालय का घेराव किया जाएगा।
घंटो लघुशंका रोकने से हो रहा किडनी इंफेक्शन
28 से 32 हजार रुपये महीने की सरकारी नौकरी क्या जान से बढ़ कर है? कतई नहीं..। लेकिन शहरी क्षेत्र के बेसिक शिक्षा परिषद के दो दर्जन स्कूलों में कार्यरत शिक्षिकाएं अपनी जिंदगी दांव पर लगा कर नौकरी करने को मजबूर हैं। इन स्कूलों में शौचालय नहीं होने से वह टॉयलेट नहीं जा पाने के कारण बीमार हो रहीं हैं।
शिक्षिकाओं के मन में टॉयलेट नहीं होने का डर इस कदर है कि वह स्कूल आने के बाद भीषण गरमी में भी घंटों पानी नहीं पीतीं। पानी पीते ही उन्हें टॉयलेट जाने का डर सताने लगता है। लघुशंका होने पर घंटों टॉयलेट नहीं जाने से उन्हें किडनी में इंफेक्शन की शिकायत होने लगी हैं। हाल में दुर्गाबाड़ी निवासी एक शिक्षिका इस कारण से किडनी की गंभीर समस्या से परेशान होकर अस्पताल पहुंच गईं।
बड़ा सवाल है कि बालिकाओं को पीरियड होने पर आशा के माध्यम से फ्री में सेनेटरी नैपकिन बांटने का दावा करने वाली सरकारें स्कूलों में शौचालय तक नहीं बनवा पा रही हैं। केंद्र में सत्ता संभालने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने एक साल में सभी सरकारी स्कूलों में शौचालय बनवाने का वादा किया था। बाकायदा सांसदों को जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी, पर दो साल बाद भी इसपर अमल नहीं है।
क्या कहती हैं स्कूल की शिक्षिकाएं
शौचालय ना होने से महिला शिक्षक परेशान
'विद्यालय में शौचालय न होने से बहुत परेशानी है। टॉयलेट के लिए दूसरे घरों में जाना पड़ता है। बच्चे भी परेशान हैं। इसका समाधान होना चाहिए।'
- गरिमा, अध्यापिका
'परिषदीय स्कूल किराए के मकान में चल रहा है। यहां टॉयलेट नहीं है। ऐसे में दूसरे घर में टॉयलेट के लिए जाना पड़ता है। विद्यालय में गंदगी भी बहुत है।'
- नजमा खातून, अध्यापिका
'शौचालय विहीन विद्यालयों में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक परेशान हैं। उन्हें सुरक्षित स्थान चाहिए। इसकी कमी से उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत है।'
-बिंदु शर्मा, अध्यापिका
'भीषण गरमी में कम पानी पीने से संक्रामक बीमारियां होती हैं। इसके अलावा लघुशंका होने पर शौचालय की सुविधा नहीं मिलने और लगातार ये समस्या रहने पर किडनी में इंफेक्शन का खतर होता है। महिलाओं को सुरक्षित शौचालय की सुविधा मिलनी ही चाहिए। यह जरूरी है।'
-डॉ. अल्पना बंसल
नगर शिक्षा अधिकारी को घेरेंगे
यदि कोई स्कूली बच्चा खुले में शौच करता मिला तो इसकी जिम्मेदारी वहां के हेडमास्टर की होगी और 500 रुपये का जुर्माना भी उसी से वसूला जाएगा। प्रशासन के इस फरमान को अमलीजामा पहनाने के लिए जिस तरह की हिदायत नगर शिक्षा अधिकारी ने दी है, उसे लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ में जबरदस्त आक्रोश है।
प्राथमिक शिक्षक संघ की महानगर इकाई के अध्यक्ष अंसार कुरैशी, मंत्री अजयपाल शर्मा ने कहा है कि इसके लिए हेडमास्टर या शिक्षक जिम्मेदार नहीं और न ही वह जुर्माना देगा। काफी परिषदीय स्कूलों में शौचालय नहीं है। शिक्षक नेताओं ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी (नगर क्षेत्र) के कार्यालय का घेराव किया जाएगा।
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