परिषदीय विद्यालयों की मार्च माह में वार्षिक परीक्षा आयोजित हुई थी। इसके लिए शासन ने प्रत्येक छात्र-छात्र के लिए बजट भेजा था और सभी को उत्तर पुस्तिकाएं खरीदने के आदेश दिए थे। साथ ही उसी पैसे में से प्रश्न पत्र खरीदने थे। आरोप है कि कुछ ब्लाकों के कुछ विद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाएं नहीं खरीदी जा सकी। वहां कापी के पेज पर ही परीक्षा करा दी गई। आरोप है कि अब संबंधित ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी बचे हुए पैसे को लेने का दबाव बना रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की मार्च माह में वार्षिक परीक्षा हुई थी। लगभग 2 लाख से अधिक छात्र-छात्रओं ने परीक्षा दी थी। शासन ने इस बार परीक्षा कराने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं और प्रश्न पत्र के लिए बजट भेजा था। प्राथमिक विद्यालय के एक बच्चे के लिए 10 रुपए और जूनियर के एक बच्चे के लिए 20 रुपए दिए थे। इसमें से बेसिक शिक्षा विभाग को छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं और खरीदने थे। विभाग ने विद्यालय प्रबंध समिति के एकाउंट में पैसा भी ट्रांसफर कर दिया। अधिकतर ब्लाकों में उत्तर पुस्तिकाओं की खरीदारी हो गई, लेकिन कुछ ब्लाकों में बिना उत्तर पुस्तिकाएं खरीदे ही परीक्षा करा दी गई। उन उत्तर पुस्तिकाओं का जो पैसा बचा है, उसे खंड शिक्षा अधिकारी लेने का दबाव संबंधित प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर बना रहे हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र यादव और जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री आदित्य कुमार ने बताया कि शिक्षकों की शिकायत आई की एबीएसए बचा हुआ पैसा मांग रहे हैं। जबकि जहां उत्तर पुस्तिकाएं खरीद ली गई हैं, उनसे कमीशन के लिए दबाव बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी शिक्षकों को बैठक और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से जानकारी दे दी गई थी कि कोई भी शिक्षक अधिकारियों के दबाव में आकर उन्हें पैसा न दे। उन्होंने बताया कि बीएसए से भी मामले की शिकायत करेंगे। बेसिक शिक्षा अधिकारी वेदराम ने बताया कि हमारे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। सभी विद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाएं खरीदी गई हैं। शिकायत मिलती है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी
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