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Friday, June 3, 2016

बदायूं : विकास क्षेत्रों में तैनाती, ले रहे शहरी भत्ता, शासनादेश देखकर तय होगा कि कहां है कर्मचारियों की तैनाती, वर्ना होगी अतिरिक्त भत्ते की रिकवरी

चार वर्ष पहले डिप्टी बीएसए का पद समाप्त करने के बाद से उनके अधीन काम करने वाले लिपिक शहरी आवासीय भत्ता प्राप्त कर रहे हैं। लेखा विभाग ने इसपर आपत्ति जताई है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से लिपिकों के पद सृजन की कॉपी मांगी है। साथ ही बीएसए कार्यालय में संबद्ध किए जाने संबंधित शासनादेश के अलावा पद सृजन की कॉपी मांगी गई है। बीएसए की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना पर लेखा विभाग संतुष्ट नहीं है। जिसके चलते निम्न चीजें दोबारा मांगी जाएंगी, अन्यथा की स्थिति में शासन से इसकी शिकायत करने के लिए अतिरिक्त प्राप्त किए गए आवासीय भत्ते की रिकवरी भी की जाएगी। वहीं संबंधित कर्मचारी वेतन प्राप्त करने को नियमानुसार बता रहे हैं।0वर्ष 2012 में डिप्टी बीएसए का पद व कार्यालय समाप्त किया गया था। इस संबंध में शासनादेश आया था कि डिप्टी बीएसए के अधीनस्त कर्मचारियों को बीएसए के अंडर में काम कराया जाएगा। जिसके चलते विकास क्षेत्रों कार्यरत यह सभी कर्मचारी बीएसए कार्यालय में काम करने लगे। जिनके वेतन का संशोधन बेसिक शिक्षा के लेखा विभाग से पास होता रहा और सभी का वेतन निकलता रहा। उनकी तैनाती विकास क्षेत्रों में होने के बाद भी ग्रामीण आवासीय भत्ता के स्थान पर शहरी आवासीय भत्ता दिया जाता रहा। मामला पकड़ में आने पर बीएसए से पद सृजन की जानकारी मांगी गई तो जो जानकारी उन्हें प्राप्त कराई गई है वह संतोषजनक नहीं है। वित्त एवं लेखाधिकारी महिला चंद ने बताया कि जो सूचना बीएसए की ओर से मुहैया कराई गई है, उसमें डिप्टी बीएसए के समय के पदों का जिक्र किया गया है। जो अब नहीं हैं। सूचना न देने तक वेतन जारी नहीं किया जाएगा और सूचना शासन को भी भेजी जाएगी। इन लिपिकों को कार्यालय में अटैच करने संबंध में बीएसए का लिखित निर्देश दिखाना होगा। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि डीआई ऑफिस के समाप्त होने पर बीएसए के अधीन होने की वजह से कार्यालय में कार्यरत हैं, जो नियमानुसार है। बीएसए के जरूरी सूचनाएं मुहैया कराने पर ही पता चलेगा कि वेतन में शहरी भत्ता दिया जाएगा या नहीं।वित्त एवं लेखाधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों लेखा विभाग के एजी आडिट के दौरान संबंधित पत्रवली नहीं दिखाई गईं। इसके अलावा मध्यान्ह भोजन योजना की पत्रवली भी कई बार मांगने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराई गईं। आडिटर ने जिसपर नाराजगी व्यक्त की थी। अगर यह पत्रवली उन्हें दिखाई जातीं तो मामला सामने आ जाता।परिषद के एक कर्मचारी के बीमार होने की वजह से मेडिकल लिया गया। वेतन के लिए लेखा विभाग में भेजे गए संशोधन में मेडिकल का जिक्र न करके संबंधित कर्मचारी को पूरा वेतन जारी कराया गया।डीआई ऑफिस समाप्त होने के बाद कुछ कर्मचारियों को शहर में भी भेजा गया था। ज्यादा जानकारी तो नहीं है

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