एक तरफ डीएम के आदेश पर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के स्थानांतरणों को निरस्त कर पूर्व के विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिया जाता तो दूसरी तरफ 10 दिन बाद स्थानांतरित विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण न करने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर संविदा समाप्ति की चेतावनी दी जा रही है। अधिकारियों के दोहरे खेल में फंसे शिक्षक शिक्षिकाएं और कर्मचारी दर दर भटक रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।1सरकारी कर्मचारी सेवा नियमावली के तहत प्रावधान है कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी विभागीय नियमों के अनुसार काम नहीं करता है और उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है। आरोप यदि गंभीर हो तो उसको बर्खास्त किया जा सकता है पर बेसिक शिक्षा विभाग में कुछ अलग ही नियम हैं। यहां पर निरस्त आदेश का भी पालन कराया जाता है और पालन न करने वालों को उनको बर्खास्त करने तक की कार्रवाई की जा रही है। बता दें कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में कार्यरत 37 शिक्षकों पर 30 अप्रैल को शासनादेश के विपरीत दूसरी स्कूलों में स्थानांतरण कर दिया गया था। शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि उन लोगों ने डीएम से मिलकर शिकायत दर्ज कराई तो डीएम ने 31 मई को जारी आदेश में पूर्व के आदेश को निरस्त कर दिया था। इस आदेश के तहत जिन शिक्षकों और कर्मचारियों का तबादला दूसरे स्कूल में किया गया है वह अपने पूर्व के ही विद्यालयों में कार्य करेंगे पर डीएम के आदेश को दबाते हुए जिला समन्वयक बालिका शिक्षा की आख्या पर बीएसए ने 10 जून 2016 को दूसरा आदेश जारी कर दिया। जिसमें कहा गया है कि जिन शिक्षकों ने 30 अप्रैल के आदेश के परिप्रेक्ष्य में विद्यालयों में ज्वाइन नहीं किया है, उन पर कार्रवाई की जाएगी। इससे विद्यालयों में तैनात शिक्षकों में हड़कंप है। शिक्षक अपनी संविदा की नौकरी बचाने के लिए विभागीय अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। बीएसए मसीहुज्जमा सिद्दीकी कहते हैं कि किसी भी शिक्षक शिक्षिका का नियम के विरुद्ध स्थानांतरण नहीं हो रहा है। जिलाधिकारी के आदेश का पालन कराया जा रहा लेकिन जो मनमानी और लापरवाही कर रहे हैं उन पर ही कार्रवाई होती है।
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