शासन ने शिक्षकों की संबद्धता समाप्त कर दी है। बीएसए को निर्देशित किया है कि संबद्ध शिक्षकों को उनके मूल तैनाती वाले स्कूलों में भेजा जाए। इसके बाद भी शिक्षकों की संबद्धता समाप्त नहीं हुई है। शिक्षक मनमाफिक स्कूलों में ही जमे हैं। जिले में आज तक यह तय नहीं हो पाया है कि कितने शिक्षक संबद्ध किए गए हैं। खंड शिक्षा अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को बिना बताए ही मनमाने ढंग से शिक्षकों को संबद्ध किया है। महानगर के पास वाले प्राथमिक विद्यालयों में सबसे अधिक शिक्षक संबद्ध है। कुछ शिक्षक विभाग से भी संबद्ध होकर अपने हिसाब से नौकरी कर रहे हैं। न कोई पूछने वाला है और न टोकने वाला। खंड शिक्षा अधिकारियों की हनक ऐसी है कि उच्च अधिकारी भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहे। मामला प्रकाश में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही। बल्कि, नियम को ताक पर रखकर शिक्षकों को ईनाम भी दे दिया जा रहा है। सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा (एडी बेसिक) डा. विनोद कुमार शर्मा ने पिछले माह ही औरंगाबाद स्थित प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। खंड शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बाद भी दो महिला शिक्षकों को संबद्ध कर दिया था। एडी बेसिक ने बीएसए से कार्रवाई के लिए लिखा। कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन एक शिक्षक को और नजदीक वाले स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया। दूसरी शिक्षक वहीं जमी हुई हैं। विभाग ने एडी बेसिक को इसकी जानकारी देना भी उचित नहीं समझा। वह आज भी संबद्धता और स्थानांतरण से अनभिज्ञ हैं। यह तो सिर्फ एक नजीर है। सैकड़ों शिक्षक संबद्धता के जरिए मनचाहा विद्यालयों में जमे हुए हैं। हालांकि, शिकायत पर शासन ने सख्ती दिखाते हुए संबद्ध शिक्षकों सूची मांगी है।सितंबर 2015 में शिक्षकों के ब्लाकवार स्थानांतरण पर रोक लगा दी गई। इसके बाद शिक्षक और उनके परिजन निदेशालय और सचिवालय का चक्कर लगाने लगे। बाहर से तो रोक लगी रही, लेकिन अंदर से शासन स्तर के अधिकारियों की अनुमति पर स्थानांतरण होता रहा। इसकी आड़ में विभाग ने भी अपने हिसाब से दर्जनों शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया। मजे की बात तो यह है कि स्थानांतरण के लिए लखनऊ से एक ही पैड पर दो-दो शिक्षकों को पत्र जारी कर दिया गया है। एक शिक्षक के परिजन जब खुशी-खुशी लेटर लेकर विभाग पहुंचे तो पता चला कि उनके लेटर पैड पर किसी दूसरे का स्थानांतरण हो गया है।
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