कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में स्थानांतरण के खेल पर शिकंजा कसता जा रहा है। जागरण के पूरे मामले को उजागर करने पर जिलाधिकारी विवेक वाष्ण्रेय ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। डीएम ने बताया कि स्थानांतरण में रोक और फिर भी कार्यभार ग्रहण करने और न करने के मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी।1कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में स्थानांतरण का खेल तो हमेशा से चलता आया। शासनादेश में स्थानांतरण की कोई व्यवस्था न होने के बाद भी मनमर्जी से स्थानांतरण होते रहे। पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी स्थानांतरण किए थे। बताते हैं कि करीब 37 शिक्षक शिक्षिकाएं व अन्य कर्मचारी इसके दायरे में आए थे। मामला जिलाधिकारी तक पहुंचा था तो डीएम ने स्थानांतरण पर रोक लगा दी थी। हालांकि जिसके बाद मामला शांत हो गया, जिनका सेटिंग से स्थानातंरण हुआ था उन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया लेकिन जिन्हें सही विद्यालय नहीं मिला था वह भटकते रहे। जिसके बाद 31 मई 2016 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने अपने आदेश में साफ कहा था कि 30 अप्रैल 2016 को हुए स्थानांतरणों को नियम विरुद्ध होने के कारण जिलाधिकारी के आदेश दिनांक नौ मई 2016 के अनुपालन में तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है, और आदेशित किया जाता है कि अपने पूर्व विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करें। इस आदेश को लेकर चर्चा चल ही रही थी कि जिला समनव्यक बालिका शिक्षा शैलेश कुमार गुप्ता की आख्या के आधार पर बीएसए ने 10 जून को कार्यभार ग्रहण न करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर संविदा समाप्ति की चेतावनी तक दे दी। दोहरे आदेश से विभाग में खलबली मच गई। जागरण ने खेल के मामले को शुरु से उठाया, रविवार के अंक में पेज संख्या आठ पर प्रमुखता से खबर भी प्रकाशित क । जिसे जिलाधिकारी श्री वाष्ण्रेय ने गंभीरता से लिया है। डीएम ने बताया कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। स्थानांतरण पर रोक और फिर नए आदेश किन परिस्थितयों में जारी किया गया, इसकी गहराई से जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
सेटिंग वालों को फिट करने के लिए हुआ खेल : कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में स्थानांतरण के खेल का मामला फंस गया। विभागीय जानकारों के अनुसार जिन लोगों का सेटिंग से स्थानातंरण हुआ था उन्होंने तुरंत ही कार्यभार ग्रहण कर लिया लेकिन जब आदेश रुक गए तो जिन्हें बिन मर्जी विद्यालयों को भेजा गया था वह पूर्व विद्यालय पहुंचे लेकिन कई स्थानों पर ऐसा भी सामने आया कि उनके स्थान पर दूसरा कार्यभार ग्रहण कर चुका। आरोप है कि मामला जिला समन्वयक बालिका शिक्षा तक पहुंचा तो उन्होंने सेटिंग वालों को फिट करने के लिए नया आदेश जारी करवा दिया। जोकि विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि गहराई से जांच हो गई तो खेल की पोल भी खुल जाएगी।
लक्ष्मी की कृपा से होता है खेल : कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में लक्ष्मी की कृपा से खेल हो रहा है। वैसे तो सभी में मनमानी होती लेकिन स्थानांतरण में तो हद हो गई। निरस्तीकरण और फिर आदेश का मामला सामने आया ही है, ऐसा भी मामले हैं जिसमें पूर्व में स्थानांतरण का आदेश निरस्त कर दिया गया लेकिन उसके बाद भी विद्यालय नहीं छोड़ा गया। जानकारों का कहना है कि अगर पूरी जांच हो तो कई मामले सामने आएंगे।
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