अटेवा पेंशन बचाओ मंच ने कहा कि नवीन पेंशन योजना पूरी तरह से शेयर बाजार पर आधारित है। इस योजना में अंशदान करने पर ही लाभ मिलना तय होता है। लिहाजा यह पेंशन योजना नहीं होकर निवेशित धन वापसी योजना है। इस योजना में अधिकारियों तथा कर्मचारियों संग शिक्षकों का भविष्य असुरक्षित है। सरकार ने नवीन पेंशन योजना लागू कर सेवानिवृत्त होने वालों से बुढ़ापे की लाठी छीन ली है। पुरानी पेंशन योजना को बचाने के लिए आंदोलन को मुखर करते हुए संगठन ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ज्ञापन सौंपते हुए इसे वापस बहाल करने की मांग की है।जिला संयोजक रुकुमकेश यादव ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से पहली जनवरी 2004 से केंद्रीय सेवाओं में पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया। इसका अनुसरण करते हुए राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय कर्मचारियों की सेवाओं से पुरानी पेंशन को पहली अप्रैल 2005 से बंद कर दिया है। विचारणीय प्रश्न है कि केंद्र सरकार जैसा वेतनमान तथा अन्य सुविधाएं देने को लेकर आंख मूंदे प्रदेश सरकार पुरानी पेंशन योजना को बंद करने में केंद्र सरकार की बराबरी करने से नहीं चूकी। कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने को लेकर राज्य सरकार केंद्र की नकल नहीं करता है, जबकि सुविधाओं और संसाधनों में कटौती को लेकर तेजी दिखाए जाने पर कर्मचारियों के प्रति राज्य सरकार की मनसिकता का परिचय हुआ है। बताया कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के करीब नौ लाख शिक्षकों, कर्मचारियों तथा अधिकारियों में असंतोष भड़कने लगा है। अटेवा ने पूंजपतियों को लाभ पहुंचाने वाली तथा नवयुवकों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली नवीन पेंशन योजना को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की है। संगठन ने उम्मीद जताई कि प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री युवाओं के दर्द को भलीभांति समझ रहे हैं। ऐसे में पुरानी पेंशन योजना को बहाला किए जाने की उनसे काफी आशा है। ज्ञापन सौंपने वालों में संजय उपाध्याय, राकेश रमन, प्रेमचंद्र, शीतला मिश्र, अजीत यादव, अनिल यादव, राजितराम, धर्मेंद्र, अनूप शुक्ल, रामश्याम, अनुज वर्मा व उदय प्रताप संह आदि शामिल रहे।
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