गीष्मावकाश में दो फीसद बच्चे भी विद्यालयों में मिडडे मील नहीं खा रहे हैं। पिछले सप्ताह मंगलवार को सबसे ज्यादा 2.87 फीसद बच्चों ने मध्याह्न भोजन ग्रहण किया। जबकि शनिवार को 1.06 फीसद बच्चों ने मिडडे मील खाया। 23 मई से 29 मई तक की मिडडे मील प्रगति रिपोर्ट मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को भेजी गई। योजना से आच्छादित जिले के 1988 विद्यालयों में 1.96 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। 23 मई सोमवार को 175 विद्यालयों में भोजन बना। इनमें कुल 2133 बच्चों ने मिडडे मील खाया, 1.08 फीसद बच्चे लाभांवित हुए। मंगलवार को 2.87, बुधवार को 1.86, गुरुवार को 1.46, शुक्रवार को 1.23, शनिवार को 1.06 व रविवार को 1.52 फीसद बच्चों ने मध्याह्न भोजन ग्रहण किया। मंगलवार को सबसे ज्यादा 328 व रविवार को सबसे कम 144 विद्यालयों में भोजन बना। बेसिक शिक्षा अधिकारी संदीप चौधरी ने बताया कि प्राधिकरण ने सप्ताह के प्रत्येक दिन खाना बनने वाले व लाभांवित छात्रों का विवरण मांगा है। निर्धारित प्रपत्र पर सूचना ईम ल पर भेज दी गई है। प्रबंधन, अनुश्रवण व मूल्यांकन को बजट मध्याह्न भोजन योजना के प्रबंधन, अनुश्रवण व मूल्यांकन (एमएमई) मद में जिले को प्रथम किश्त में 1.60 लाख रुपये मिले हैं। पूरे प्रदेश के लिए एक करोड़ 17 लाख रुपये बजट अवमुक्त किया गया है।रसोइयों के रजिस्टर अपूर्ण: कई विद्यालयों में रसोइयों के रजिस्टर अपूर्ण हैं। शहर के राजकीय कन्या सीनियर बेसिक विद्यालय में 3 मई के बाद रसोइयों के हस्ताक्षर नहीं कराए गए। विद्यालय में बुधवार को 50 पंजीकृत बच्चों में उपस्थित 12 बच्चों को तहरीर खिलाई गई। नगर शिक्षा अधिकारी बेगीश गोयल ने कमरे में टूटा फर्नीचर भरा होने पर नाराजगी जताई। शिक्षक राकेश एक फरवरी से अनुपस्थित हैं। कार्रवाई के लिए नगर शिक्षा अधिकारी ने बीएसए को लिखा है
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