Sunday, July 31, 2016
प्रतापगढ़ : एकतरफा आदेश सिर्फ समायोजित शिक्षकों के नाम क्यों ? तबादला रद करने पर जताया आक्रोश, समायोजित शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय में तैनाती का आदेश, सम्बद्धता और तबादला हुआ निरस्त
महराजगंज : शिक्षिका ने बीएसए द्वारा अपने निलंबन पर उठाया सवाल
महराजगंज : प्राथमिक विद्यालय बैकुंठपुर की शिक्षिका उषा गौतम ने बीएसए द्वारा निलंबित किए जाने की कार्रवाई को लेकर सवाल उठा दिया है। बीएसए को सौंपे गए शिकायती पत्र में शिक्षिका ने कहा कि 25 जुलाई को जिला समन्वयक एमडीएम महराजगंज द्वारा लगभग दस बजे प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया गया। जबकि वह अवकाश पर थी। जो उपस्थिति पंजिका व पत्र-व्यवहार रजिस्टर पर दर्ज था। यह उस समय सहायक अध्यापक के द्वारा समन्वयक को दिखाया गया। बच्चे उस समय भोजन कर रहे थे। जो सहायक अध्यापक द्वारा 11 बजे बच्चों में फल वितरण किया गया। ऐसे में निलंबन बहाल किया जाय।
कुशीनगर : बीएसए ने कहा बच्चों को शिक्षित करना हमारा दायित्व, शिक्षण कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी लालजी यादव ने कहा कि बच्चों को शिक्षित करना हमारा दायित्व है। शिक्षण कार्य में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लारपवाह शिक्षकों पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है। बीएसए यादव शनिवार को अपने कार्यालय कक्ष में विकास खंड तमकुही के बीइओ, समन्वयक व सह समन्वयकों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। कहा कि हर विद्यालय में समय से प्रार्थना, बच्चों के ड्रेस साफ हों, नाखून छोटे हों, इस पर ध्यान देना होगा। बिना अनुमति अनुपस्थित होने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को मौसम के अनुसार साबूत फल व बुधवार को दूध के वितरण में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। बैठक में सौ फीसद नामांकन करने, शैक्षिक व्यवस्था में सुधार लाने आदि पर चर्चा की गई। इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी भारत भूषण, एबीआरसी राकेश प्रताप सिंह, अकिल अहमद, सह समन्वयक राजेश प्रसाद, रामजी ला कुशवाहा, वीरेंद्र कुशवाहा, एनपीआरसी शंभू यादव, देवेंद्र कुमार ओझा, नारायण प्रसाद, सर्वेश कुमार शर्मा, राधाकृष्ण प्रसाद, जयप्रकाश श्रीवास्तव, अवधेश कुमार वर्मा, विद्यार्थी प्रसाद गुप्ता, सय्यदा जहां आर खातून, गफ्फारुद्दीन अंसारी आदि उपस्थित रहे।
कुशीनगर : निःशुल्क ड्रेस वितरण को लेकर हुई चर्चा, गुणवत्ता पर दिया गया विशेष जोर, ड्रेस वितरण का कार्यक्रम सांसद, विधायक तथा अन्य क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर उनकी उपस्थिति में ही कराया जाएगा
सदर विकास खंड स्थित परिषदीय स्कूलों के प्रधानाध्यापक व शिक्षा समिति के सचिवों को शनिवार को निश्शुल्क ड्रेस वितरण योजना से जुड़ी जानकारी दी गई। विकास खंड सभागार में आयोजित कार्यशाला के तहत उपस्थित प्रधानाध्यापक व समिति के सचिवों को संबोधित करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी अजय तिवारी ने कहा कि एक से तीन अगस्त तक चार सदस्यीय क्रय समिति का गठन हर हाल में करा लिया जाए। ड्रेस हेतु कोटेशन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार कर प्रत्येक विद्यालय में बड़े साइज का कपड़े का सैम्पल रखा जाए। जिसका आधा हिस्सा धुलवाकर उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित कर ली जाए। खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा कि विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा प्रत्येक बच्चे का ड्रेस नाप के अनुसार सिलाई कराई जाएगी।बच्चे की नाप, ड्रेस की नाप का विवरण तथा बच्चे का हस्ताक्षर रजिस्टर पर दर्ज कराया जाएगा। क्रय समिति द्वारा पंजीकृत टेंडरदाता फर्म को लिखित क्रयादेश जारी किया जाएगा। इसमें गुणवत्ता व समयावधि आदि का उल्लेख किया जाएगा। जिसमें गुणवत्ता सवरेपरि है। ड्रेस वितरण का कार्यक्रम सांसद, विधायक तथा अन्य क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर उनकी उपस्थिति में ही कराया जाएगा। कार्यशाला को तारकेश्वर शुक्ल, मुहम्मद तारिक, श्रीनिवास शर्मा, अनूप सिंह आदि ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता बीडीओ रघुनाथ सिंह ने की। इस अवसर पर दुर्गेश त्रिपाठी, राजेश सिंह, प्रमोद श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, सुनील कुमार, मेहरुद्दीन, संजीव आदि उपस्थित रहे।संबोधित करते बीडीओ रघुनाथ सिंह।
बदायूं : सीए की अगुवाई में पहुंची ऑडिट टीम, ऑडिट टीम ने जांचे बीआरसी के अभिलेख
सीए की अगुवाई में पहुंची ऑडिट टीम, ऑडिट टीम ने जांचे बीआरसी के अभिलेख
शासन के आदेश पर शनिवार को सीए की अगुवाई में पहुंची ऑडिट टीम ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में एनपीआरसी व बीआरसी के अभिलेखों को जांचा। पूर्व निर्धारित सूचना के आधार पर सभी लोग अभिलेख लेकर पहुंचे थे। सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2015-16 में उपलब्ध कराई गई धनराशि के ब्योरा की जांच की। रोकड़ वही में दर्ज की गई धनराशि के बारे में जानकारी ली। शासन स्तर से ही सीए फर्म का चयन किया गया था। ऑडिट की रिपोर्ट शासन को दी जाएगी। ऑडिट कार्यक्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय व सभी विकास क्षेत्रों के एनपीआरसी, बीआरसी को भेजी गई धनराशि का आडिट होगा। आडिटर उमेश कुमार, अजय कुमार यादव, संजय कुमार, अमलेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जांच आगे भी जारी रहेगी। विकास क्षेत्रवार एनपीआरसी, एबीआरसी को बुलाया जा रहा है।
कुशीनगर : बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बनाई नई व्यवस्था, अब सप्ताह में दो दिन बीईओ भी पढ़ाएंगे
प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के क्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी लालजी यादव ने एक नई व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत अब सभी खंड शिक्षा अधिकारियों, समन्वयकों व सह समन्वयकों को सप्ताह में दो दिन पढ़ाना होगा। बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित विभिन्न योजनाओं के अनुश्रवण व मूल्यांकन के लिए प्रत्येक माह निरीक्षण करने के लिए विद्यालयों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत सभी खंड शिक्षा अधिकारियों, समन्वयकों व सह समन्वयकों द्वारा विद्यालयों के निरीक्षण करने की व्यवस्था पहले से ही है। नई व्यवस्था के तहत अब इन्हें निरीक्षण का लक्ष्य पूरा करने के साथ ही प्रत्येक शुक्रवार व शनिवार को विद्यालय में पहुंच कर बच्चों को पढ़ाना भी होगा। साथ ही बच्चों की कापियों की जांच भी करनी होगी। इस व्यवस्था में कहीं से कोई लापरवाही न हो इस लिए इन लोगों को अपने द्वारा किए शिक्षण कार्य का फोटोग्राफी करा कर उसकी एक कापी बीएसए कार्यालय भेजना होगा। बीएसए यादव ने कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधारने करने में यह प्रयास कारगर साबित होगा।
अमेठी : अध्यापक हुए दूसरे स्कूल में सम्बद्ध, स्कूल में भरा पानी, कहां जाएं नौनिहाल
बेसिक शिक्षा महकमे की महिमा न्यारी है। पहले तो तालाब के मुहाने पर विद्यालय बनाया। महकमे ने आंख मूंद कर संचालन की स्वीकृति दे दी। बीते एक सप्ताह से बरसात के पानी से तालाब उफ नाया तो विद्यालय परिसर में पानी भर गया। यही नहीं विद्यालय की रसोईं में ढाई फीट तक पानी भर गया है। परिसर में दो फि ट से ऊपर तक पानी भरा हुआ है। आने-जाने के मुख्य द्वार पर तालाब का गंदा पानी बह रहा है। 1क्षेत्र के हड़गड़वां प्राथमिक विद्यालय के परिसर में पानी भर जाने से शिक्षण व्यवस्था चौपट हो चुकी है। ग्रामीणों की मानें तो स्कूल के रसोई घर, शौचालय व अतिरिक्त कक्ष में बिच्छू व सांप लोट रहे हैं। बीते कई दिनों से विद्यालय में एक भी बच्चे पढ़ने के लिए नहीं आते। जबकि विद्यालय में 55 बच्चों का इस सत्र में नामांकन किया गया है। आलम यह है कि बेसिक शिक्षा महकमे का स्कूल चलो अभियान यहां पूरी तरह चौपट नजर आ रहा है। विद्यालय में दो शिक्षिकाओं की तैनाती की गई है। दो रसोइयां भी तैनात हैं, लेकिन उनका भी अता-पता नहीं है। वर्ष 2012 में निर्मित प्राथमिक विद्यालय हड़गडवा के भवन में जलभराव के चलते नीव व छत में जगह-जगह दरार पड़ गई है। वहीं विभागीय उदासीनता के चलते मात्र डेढ़ सौ मीटर के फ ासले पर एक कांवेन्ट विद्यालय बगैर मान्यता के चल रहा है। खंड शिक्षाधिकारी ओम प्रकाश मिश्र ने कहा कि विद्यालय परिसर में तालाब का पानी बीते कई दिनों से भरा है। बच्चे स्कूल नहीं आते। यहां तैनात शिक्षिका परवीन अख्तर व अनीता यादव को पूरे मो. प्राथमिक विद्यालय में अटैच किया गया है। विद्यालय की दूरी इस विद्यालय से लगभग डेढ़ किमी पर है। इस बाबत एसडीएम डा. वेद प्रकाश मिश्र कहते हैं कि विद्यालय में पानी भरने की जानकारी उन्हें नहीं है। यदि ऐसा है तो मामले की जांच करवाई जायेगी।तालाब बना मुसाफिरखाना क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय हड़गड़वा का परिसर
आगरा : आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली पंजीरी खा रहीं भैंसें, 250 रुपये पैकेट के हिसाब से हो रही कालाबाजारी
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिलने वाला पुष्टाहार मवेशियों की सेहत बना रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों से पुष्टाहार की बोरियों का सौदा किया जा रहा है। यमुना पार के तमाम केंद्रों से पुष्टाहार खरीदकर पशुपालक अपने मवेशियों को खिला रहे हैं। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी बाल पुष्टाहार योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पुष्टाहार वितरित किया जाता है, लेकिन ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं और बच्चों को नाममात्र के लिए पुष्टाहार दिया जाता है। यमुना पार क्षेत्र में 22 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। हर केंद्र पर महीने में 20 से 25 पैकेट पुष्टाहार आता है, लेकिन ज्यादातर केंद्रों पर चार-पांच पैकेट में पूरा महीना निकाल दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक बाकी बचे पैकेटों को 250 रुपये के प्रति पैकेट से बेचने का खेल चल रहा है। शाहदरा स्थित एक पशुपालक लंबे समय से आंगनबाड़ी केंद्र से पुष्टाहार खरीद रहे हैं। यानि बच्चों का निवाला भैंसें खा रही हैं। डीएम पंकज कुमार ने बताया कि यह गंभीर मामला है, इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
गोरखपुर : सीबीएसई की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों का शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से हुआ शुरू, चार माह बीते, नहीं मिली परिषदीय बच्चों को किताबें
परिषदीय शिक्षा को लेकर सरकार गंभीर है। शिक्षा के बढ़ावा को लेकर नित नई योजनाएं बन रही हैं। सीबीएसई की तर्ज पर कायदे- कानून भी लागू हो रहे हैं। सख्ती भी बरती जा रही है। मध्याह्न् भोजन के साथ दूध और फल देने पर भी जोर है। लेकिन, बच्चों की किताबें हैं भी कि नहीं, इसकी याद किसी को नहीं आ रही है। पिछले चार माह से बिना किताबों के ही पढ़ाई हो रही है। सीबीएसई की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों का शैक्षिक सत्र भी पहली अप्रैल से शुरू हो गया। कान्वेंट विद्यालय के बच्चों के बस्ते तो स्कूल खुलने से पहले ही भर गए, लेकिन परिषदीय बच्चे आज भी किताबों का इंतजार कर रहे हैं। जुलाई के प्रथम सप्ताह में बच्चों को मिलने वाली निश्शुल्क सरकारी किताबें आज तक विद्यालयों में नहीं पहुंची हैं। यह तब है जब सरकार परिषदीय शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दे रही है। शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है कि वे कार्यालय में न बैठकर स्कूल में रहें। लेकिन सवाल यह है कि बच्चों को पढ़ाएं, तो किससे। बच्चों के पास तो किताब तक नहीं हैं। कुछ जागरूक बच्चे पुरानी किताब लेकर स्कूल आते हैं। कक्षा 8 के बच्चों को तो पुरानी किताबें भी नहीं मिलती हैं। विभाग का सारा ध्यान भी दूध- फल वितरण, निगरानी और जांच रिपोर्ट बनाने में ही लगा है। दूध और फल वितरण को लेकर जिला प्रशासन भी सख्त है। यही नहीं ड्रेस के लिए भी विभाग ने जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। पर बच्चों के बस्तों पर किसी की भी नजर नहीं पड़ रही। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश यादव भी किताबों के सवाल पर सही जानकारी नहीं दे पाते। कहते हैं शासन स्तर का मामला है। अगस्त में किताबें मिल जानी चाहिए।
एक्टिविस्ट सिमंतिनी घुरू ने किया जागरूक, सरकारी स्कूलों को स्तर होगा सुधारना
समान शिक्षा के लिए जरूरी है कि सरकारी विद्यालयों को विकसित किया जाए। अभी केवल निजी स्कूलों में दुर्बल वर्ग के बच्चों के दाखिले के लिए आरटीई के तहत प्रयास किया जा रहा है। जरूरत है कि सरकारी स्कूलों का स्तर सुधार कर वहां इस स्कीम को प्रभावी ढंग से चलाया जाए। यह कहना है मुम्बई से आए आरटीई एक्टीविस्ट सिमंतिनी घुरू का।
नरही के लोहिया भवन में शनिवार को आयोजित बैठक में सिमंतिनी घुरु ने कहाकि निजी स्कूल अति दुर्बल वर्ग के बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। क्योंकि बच्चों को किताबें और ड्रेस तो खरीदनी ही पड़ती हैं। उनके अनुसार केवल आरटीई से ही शिक्षा में गुणात्मक सुधार नहीं आएगा। इसके लिए सरकारी स्कूलों को सशक्त बनाना होगा।नवीन तिवारी ने कहाकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी वेतन पाने वाले कर्मचारी, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाने का आदेश 18 अगस्त 2015 को दिया था। इसके बावजूद सरकार ने इस दिशा में एक भी कदम नहीं बढ़ाया है। सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा 1 अगस्त को हिन्दी संस्थान से गांधी प्रतिमा चौक तक सुबह 11 बजे मार्च निकाला जाएगा।
Saturday, July 30, 2016
लखनऊ : एक ही विद्यालय में भेजे जाते है सात-आठ प्रशिक्षु शिक्षक, डायट ने जारी किए निजी कालेजो को निर्देश, बीटीसी इण्टर्नशिप में नहीं चलेगी मनमानी
बीटीसी प्रशिक्षण के तहत की जाने वाली इण्टर्नशिप में अब मनमानी नहीं चल सकेगी। इण्टर्नशिप के लिए एक विद्यालय में सिर्फ चार प्रशिक्षुओं को ही भेजा जाएगा। यदि विद्यालय में दो या अधिक संस्थानों के प्रशिक्षु भेजे जाते हैं तो भी यह संख्या चार से अधिक नहीं होगी। निजी बीटीसी कालेजों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए डायट की ओर से इस व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जा रहा है।ज्ञात हो राजधानी में डायट के अतिरिक्त 39 निजी बीटीसी कालेज संचालित हैं। इनमें लगभग दो हजार विद्यार्थियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है। बीटीसी प्रशिक्षण में प्रत्येक समेस्टर में प्रशिक्षुओं करा इण्टर्नशिप के लिए एक माह तक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में भेजा जाता है। अक्सर डायट में यह यह शिकायतें मिलती हैं कि निजी बीटीसी कालेज मनमाने तरीके से एक ही विद्यालय में सात-आठ प्रशिक्षु को इण्टर्नशिप के लिए भेज देते हैं। इससे स्कूल के संचालन में दिक्कतें आती हैं। वहीं विद्यालय के प्रधानाचार्य भी इण्टर्नािप करने वाले प्रशिक्षुओं के कक्षा शिक्षण की मॉनीटरिंग ठीक से नहीं कर पाते हैं, इसलिए डायट की ओर से निजी कालेजों को यह निर्देश दिए गये हैं कि इण्टर्नशिप के लिए एक विद्यालय में अधिकतम चार प्रशिक्षु ही भेजे जाएं, लेकिन छात्र संख्या कम होने पर दो प्रशिक्षु ही भेजे जाएं। प्रशिक्षु द्वारा तैयार पाठय़योजना की जांच संकाय सदस्यों द्वारा अनिवार्य रूप से की जाए। उधर इण्टर्नशिप करने वाले बीटीसी प्रशिक्षुओं की संख्या व स्कूल के नाम की सूची अब कालेजों को भेज दी जाएगी। कालेज उतनी ही संख्या में प्रशिक्षुओं को इण्टर्नशिप करने के लिए भेज सकेंगे। डायट लखनऊ की ओर से इस नियम को सख्ती से लागू करने की तैयारी की जा रही है।